विद्यार्थी जीवन पर निबंध – Essay on Student Life in Hindi
Essay on Student Life in Hindi : आज हम विद्यार्थी जीवन पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 & 10 के विद्यार्थियों के लिए है.
वर्तमान की भागदौड़ भरी जिंदगी में विद्यार्थियों का जीवन कहीं भटक सा रहा है इसीलिए विद्यार्थियों को उनके जीवन के बारे में समझाने के लिए हमने यह निबंध लिखा है.
जो विद्यार्थी इस निबंध को पढता है वह भली-भांति समझ जाएगा कि उसका यह समय कितना महत्वपूर्ण है.
इस समय विद्यार्थियों का मस्तिष्क इतना चंचल होता है कि वह कुछ भी कर सकते है इसलिए अभिभावकों को भी अपने बच्चों को समय देना चाहिए.
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Best Essay on Student Life in Hindi 100 Words
विद्यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति के जीवन का अहम और प्रथम पड़ाव होता है इस समय बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास होता है. इस समय विद्यार्थी एक कच्चे घड़े के समान होता है जिसको ठोक-पीटकर, सहलाकर किसी भी आकार में ढाला जा सकता है.
इस समय विद्यार्थी को उचित मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है वह उसे विद्यालय में शिक्षकों द्वारा प्राप्त होता है. यही वह समय होता है जब विद्यार्थी को अच्छा-बुरा, सम्मान-असम्मान, गुण-अवगुण इत्यादि का ज्ञान होना प्रारंभ होता है.
इस समय जो विद्यार्थी लगन और मेहनत करके अच्छी शिक्षा हासिल कर लेते है वही आगे आने वाले जीवन में खुशहाल रहते है और एक अच्छे व्यक्तित्व की मिसाल बनते है.
Vidyarthi Jeevan Essay in Hindi 300 Words
मनुष्य के लिए विद्यार्थी जीवन अति महत्वपूर्ण होता है विद्यार्थी जीवन बाल्यकाल से ही प्रारंभ हो जाता है. विद्यार्थी जीवन किसी मकान की नींव की तरह होता है.
अगर किसी मकान की नींव कमजोर होती है तो उस पर बनाई गई मंजिल ढह जाएगी उसी प्रकार मनुष्य अगर अपने विद्यार्थी जीवन का उपयोग सही से नहीं करता है तो उसका पूरा जीवन व्यर्थ हो जाता है.
जीवन के इस काल में विद्यार्थी को समय का सदुपयोग करना आना चाहिए, विद्यार्थी जीवन से ही व्यक्ति का चरित्र निर्माण होने लग जाता है, उसे अच्छे-बुरे का एहसास होने लगता है हालांकि विद्यार्थी जीवन में व्यक्ति का मन बहुत चंचल होता है इसलिए वह सब कुछ करना चाहता है.
इस समय उसके ज्ञान की पिपासा सबसे ऊंच स्तर पर होती है इस ज्ञान की पिपासा को शांत करने के लिए एक गुरु की आवश्यकता होती है वह गुरु जो उसे सही मार्गदर्शन देकर जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में बताएं अपनों से बड़ों का सम्मान करना सिखाए, से सभी भाषाओं का ज्ञान दें.
वर्तमान में विद्यार्थियों की गुरु की तलाश विद्यालय में जाकर पूरी होती है वहां पर अलग-अलग विषयों पर पारंगत शिक्षक गण मिलते है जो कि उन्हें ज्ञान देते है. इस समय विद्यार्थियों को भी संपूर्ण ध्यान एकाग्र करके ज्ञान प्राप्त करना होता है अगर वह इसमें किसी भी प्रकार की चूक करते हैं तो इसका मूल्य उन्हें भविष्य में देना पड़ता है.
विद्यार्थियों को पढ़ाई के अलावा अपने स्वास्थ्य के ऊपर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं होगा तो वह पढ़ाई नहीं कर पाएंगे इसलिए हमेशा विद्यालय में होने वाले खेल कूद प्रतियोगिताओं में उन्हें भाग लेते रहना चाहिए.
विद्यार्थियों के सामने संपूर्ण भविष्य बाहें फैलाए खड़ा रहता है उन्हें प्रत्येक क्षेत्र की जानकारी लेनी चाहिए और जिस क्षेत्र में उनकी रुचि अधिक हो उसमें ध्यान देना चाहिए.
यही उनके जीवन का सबसे उत्तम समय होता है जब वह अपने आप में हर प्रकार की क्षमता का विकास कर सकते है इसलिए विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को हमेशा सचेत और एकाग्र होकर व्यतीत करना चाहिए जिससे भविष्य में आने वाली कठिनाइयों को आसानी से सुलझा सकें.
Latest Essay on Student Life in Hindi 800 Words
विद्यार्थी जीवन खुशहाल भविष्य की ओर पहला कदम होता है. यह वह स्वर्णिम अवसर होता है जो कि जीवन में दोबारा कभी नहीं मिलता है.
यह मनुष्य के लिए ईश्वर का दिया गया सबसे अनमोल उपहार है जिसको अगर कोई व्यर्थ कर देता है तो उसका पूरा जीवन नष्ट भ्रष्ट हो जाता है.
विद्यार्थी जीवन मनुष्य के बाल्यकाल से ही प्रारंभ हो जाता है . बाल्यावस्था में मनुष्य का मन बहुत चंचल होता है उसमें किसी प्रकार का विकार तो नहीं होता लेकिन समाज के अराजक के लोगों द्वारा भटकाया जा सकता है.
इसीलिए विद्यार्थी को इस समय उत्तम शिक्षा और श्रेष्ठ शिक्षक की आवश्यकता होती है. पुरातन काल में माता-पिता अपने बच्चों को गुरुकुल भेज दिया करते थे जहां पर गुरु द्वारा उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाती थी साथ ही बच्चों को अनुशासन में रहना और बड़ों का सम्मान करना भी सिखाया जाता था.
गुरु अपने आश्रम में कई सालों तक अपने शिष्यों की परीक्षा लेते थे और उन्हें विद्वानों और पराक्रमी बनाकर ही भेजते थे किंतु वर्तमान में गुरुकुल प्रथा खत्म हो गई है और उनकी जगह विद्यालय और कॉलेजों ने ले ली है यहां पर भी उसी प्रकार वर्तमान शिक्षा प्रणाली के अनुसार शिक्षा दी जाती है.
विद्यार्थियों के लिए विद्यालय की इस संसार में पहला कदम होता है. विद्यार्थी जीवन का यह कार्य ज्ञान अर्जित करने का सबसे अच्छा समय है क्योंकि इस समय विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की चिंता नहीं होती है साथ ही उनका मस्तिष्क पूरी तरह से ज्ञान अर्जित करने के लिए उत्सुक होता है.
मनुष्य का विद्यार्थी जीवन ही तय करता है कि भविष्य में वह कैसा इंसान बनेगा इसलिए विद्यार्थियों को हमेशा अपने समय का सदुपयोग करना चाहिए और हमेशा अपने शिक्षक के सुझाए गए मार्ग पर चलना चाहिए.
यह वह समय है जब विद्यार्थी कठोर परिश्रम करके शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होता है इस समय जो विद्यार्थी मन लगाकर ज्ञान अर्जित नहीं करता वह धीरे-धीरे अपने साथियों से पिछड़ जाता है
और कुछ समय बाद वह इसी पिछड़ेपन के कारण कई गलत कामों का शिकार हो जाता है जिस कारण उसका पूरा भविष्य चौपट हो जाता है.
इस काल में विद्यार्थियों को भटकाने के लिए कई प्रकार की बाधाएं आती है वर्तमान में तो यह बताएं मनुष्य ने ही उत्पन्न की है जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, टेलीविजन और अन्य प्रकार की भ्रामक वस्तुएं जोकि विद्यार्थी को अपनी ओर खींचती है.
इनके कारण कई विद्यार्थियों का भविष्य खराब हो चुका है लेकिन जो विद्यार्थी इन सब को चुनौती के रूप में लेकर आगे बढ़ता है उसी का भविष्य निखरता है.
इस स्वर्णिम काल में विद्यार्थी को अपने शिक्षक के दिशा निर्देश अनुसार पढ़ना चाहिए, माता-पिता द्वारा सुझाए गए सुझावो पर ध्यान देना चाहिए, अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए
साथ ही अपने साथियों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए और कभी भी किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए क्योंकि जो एक बार झूठ बोल देता है फिर वह जीवन भर झूठ बोलता रहता है इसके कारण उसका पूरा भविष्य संकट में पड़ सकता है.
जो विद्यार्थी इस समय केवल मौज मस्ती और व्यर्थ के कार्यों में अपना मन लगाता है तो उसका विद्यार्थी जीवन तो माता पिता की शरण में अच्छा बीत जाता है लेकिन जब उसका जीवन के यथार्थ से सामना होता है तो ऐसा विद्यार्थी स्वंय को अयोग्य मानता है.
मनुष्य को अगर जीवन में सफल होना है तो उसे किसी ना किसी क्षेत्र में पारंगत होना जरूरी होता है और मनुष्य पारंगत तभी हो सकता है जब वह विद्यार्थी जीवन में अच्छी शिक्षा प्राप्त करें.
वर्तमान में तो योग्य व्यक्तियों को भी अपना जीवन चलाने के लिए बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है इसलिए जो अयोग्य है वो इस प्रतियोगिता भरी दुनिया में कुछ नहीं कर सकता है.
कुछ विद्यार्थी इस समय मेहनत तो करते है लेकिन थोड़ी सी कठिनाई आने पर ही वह अभ्यास करना छोड़ देते है दो कि उनके भविष्य के लिए अच्छा नहीं होता है विद्यार्थी जीवन का तो मतलब यह होता है कि निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते जाना और कठिनाइयों को चुनौतियां समझते हुए उनका निराकरण करना चाहिए.
इस समय उम्र में इतना जोश होता है कि वह मुश्किल से मुश्किल कार्य को चुटकियों में कर सकते हैं इस समय उनके पास गुरु होता है जो कि उन्हें सफलता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को सुलझाने में मदद करता है.
विद्यार्थी जीवन के बाद तो कई प्रकार की घरेलू और सामाजिक समस्याओं का बोझ मनुष्य पर आ जाता है फिर वह चाहकर भी शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकता और अपना उत्तम भविष्य नहीं बना सकता है.
इसीलिए विद्यार्थी को मन को भटकाने वाली सभी वस्तुओं और जिज्ञासाओं से दूर रहना चाहिए जो विद्यार्थी इस समय मन लगाकर मेहनत कर लेता है वह अपना बाकी का जीवन सुख में और खुशहाली से ही व्यतीत करता है.
वास्तव में विद्यार्थी जीवन कठोर अनुशासन, मेहनत और शिष्टाचार का दूसरा नाम है जिस प्रकार सोना आग में तप कर अधिक मूल्यवान कुंदन बन जाता है उसी प्रकार विद्यार्थी जीवन में किया गया कठोर परिश्रम, अनुशासन ही विद्यार्थी को संसार में प्रतिष्ठा और सम्मान दिलाता है.
यही आगे के भविष्य का निर्माण करता है क्योंकि आज तक विद्यार्थी ने जो भी सीखा है उसी से वह धन अर्जित करता है और अपने परिवार का पालन पोषण करता है.
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13 thoughts on “विद्यार्थी जीवन पर निबंध – Essay on Student Life in Hindi”
Vidhyarthi jeevan
Amazing Bro keep it up 😎
thank you daksh
Nice paragraph 👌👌👌
Thank you Devansh for appreciation.
Great essay. Was able to write full 4 pages for my project and even then half of it was left.
Thank you for your appreciation.
This is amazing nibhandh I got full 5 marks in nibhandh
Thank you Kajal for appreciation.
खाने का रिफाईंड तेल पर निबंध लिखें
वसंत तुळशीराम कन्नाके जी हम जल्द ही रिफाईंड तेल पार भी निबंध लिखंगे, अपना सुझाव देने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद
I love this site I got full 10 marks with clapping👏👏
Thank you Jiya Verma for appreciation.
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- आदर्श विद्यार्थी पर निबंध | Essay on Ideal Student in Hindi
आदर्श विद्यार्थी पर निबंध | Essay on Ideal Student in Hindi!
विद्यार्थी जीवन को मनुष्य के जीवन की आधारशिला कहा जाता है । इस समय वह जिन गुणों व अवगुणों को अपनाता है वही आगे चलकर चरित्र का निर्माण करते हैं । अत: विद्यार्थी जीवन सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है ।
एक आदर्श विद्यार्थी वह है जो परिश्रम और लगन से अध्ययन करता है तथा सद्गुणों को अपनाकर स्वयं का ही नहीं अपितु अपने माँ-बाप व विद्यालय का नाम ऊँचा करता है । वह अपने पीछे ऐसे उदाहरण छोड़ जाता है जो अन्य विद्यार्थियों के लिए अनुकरणीय बन जाते हैं ।
एक आदर्श विद्यार्थी सदैव पुस्तकों को ही अपना सबसे अच्छा मित्र समझता है । वह पूरी लगन और परिश्रम से उन पुस्तकों का अध्ययन करता है जो जीवन निर्माण के लिए अत्यंत उपयोगी हैं । इन उपयोगी पुस्तकों में उसके विषय की पुस्तकों के अतिरिक्त वे पुस्तकें भी हो सकती हैं जिनमें सामान्य ज्ञान आधुनिक जगत की नवीनतम जानकारियाँ तथा अन्य उपयोगी बातें भो होती हैं ।
ADVERTISEMENTS:
एक आदर्श विद्यार्थी सदैव परिश्रम को ही पूरा महत्व देता है । वह परिश्रम को ही सफलता की कुंजी मानता है क्योंकि प्रसिद्ध उक्ति है:
”उद्यमेन ही सिद्धयंति कार्याणि न मनोरथे,
न हि सुप्तस्य सिहंस्य प्रविशंति मुखे मृगा: । ”
आदर्श विद्यार्थी अपने अध्यापक अथवा गुरुजनों का पूर्ण आदर करता है । वह उनके हर आदेश का पालन करता है । अध्यापक उसे जो भी पढ़ने अथव याद करने के लिए कहते हैं वह उसे ध्यानपूर्वक पढ़ता है ।
कक्षा में जब भी अध्यापक पढ़ाते हैं तब वह उसे ध्यानपूर्वक सुनता है । वह सदैव यह मानकर चलता है कि वह गुरु से ही संपूर्ण ज्ञान प्राप्त कर सकता है । गुरुजनों के अतिरिक्त वह अपने माता-पिता की इच्छाओं एवं निर्देशों के अनुसार ही कार्य करता है ।
किसी भी विद्यार्थी के लिए पुस्तक ज्ञान आवश्यक है परंतु मात्र पुस्तकों के अध्ययन से ही सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता है । अत: एक आदर्श विद्यार्थी पढ़ाई के साथ खेल-कूद व अन्य कार्यकलापों को भी उतना ही महत्व देता है । खेल-कूद व व्यायाम आदि भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनके बिना शरीर में सुचारू रूप से रक्त संचार संभव नहीं है । इसका सीधा संबंध मस्तिष्क के विकास से है ।
खेलकूद के अतिरिक्त अन्य सांस्कृतिक कार्यकलापों, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं तथा विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने से उसमें एक नया उत्साह तथा नई विचारधारा विकसित होती है जो उसके चरित्र व व्यक्तित्व के विकास में सहायक होती है ।
एक आदर्श विद्यार्थी नैतिकता, सत्य व उच्च आदर्शों पर पूर्ण आस्था रखता है । वह प्रतिस्पर्धा को उचित मानता है परंतु परस्पर ईर्ष्या व द्वेष भाव से सदैव दूर रहता है । अपने से कमजोर छात्रों की सहायता में वह सदैव आगे रहता है तथा उन्हें भी परिश्रम व लगन से अध्ययन करने हेतु प्रेरित करता है ।
अपने सहपाठियों के प्रति बह सदैव दोस्ताना संबंध रखता है । इसके अतिरिक्त उसे स्वयं पर पूर्ण विश्वास होता है । वह अपनी योग्यताओं व क्षमताओं को समझता है तथा अपनी कमियों के प्रति हीन भावना रखने के बजाय उन्हें दूर करने का प्रयास करता है ।
सारांशत: वह विद्यार्थी जो कुसंगति से अपने आपको दूर रखते हुए सद्गुणों को निरंतर अपनाने की चेष्टा करता है तथा गुरुजनों का पूर्ण आदर करते हुए भविष्य की ओर अग्रसर होता है वही एक आदर्श विद्यार्थी है । उसके वचन और कर्म, दूसरों के साथ उसका व्यवहार, उसकी वाणी हमेशा यथायोग्य होनी चाहिए ताकि जीवन की छोटी-छोटी उलझनें उसका रास्ता न रोक सकें ।
क्योंकि किसी भी विद्यार्थी का जब लक्ष्य बड़ा होता है तो उसमें एक नवीन उत्साह की भावना संचरित होती रहती है:
“काक चेष्टा बकोध्यानम् श्वान निद्रा तथैव च ।
अल्पाहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंच लक्षणम्) ।।”
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Adarsh vidyarthi essay in hindi आदर्श विद्यार्थी पर निबंध.
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Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi
Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 300 Words
विचार-बिंदु – • विद्यार्थी के गुण • लगन और परिश्रम • सादा जीवन उच्च विचार • श्रद्धावान और विनयी • अनुशासनप्रिय • स्वस्थ और बहुमुखी • उच्च लक्ष्य।
विद्यार्थी का सबसे आवश्यक गुण है – जिज्ञासा। जिज्ञासा – शुन्य छात्र उस औंधे घड़े के समान होता है जो बरसते जेल में भी खाली रहता है। विद्यार्थी का दूसरा गुण है – परिश्रमी होना। जब जिज्ञासा और परिश्रम साथ-साथ चलते हैं तो विद्यार्थी तेजी से ज्ञान अर्जित करता है। विद्यार्थी के लिए आवश्यक है कि वह आधुनिक फैशनपरस्ती, फिल्मी दुनिया या अन्य रंगीन आकर्षणों से बचे। ये मायावी आकर्षण उसे चाहते हुए भी पढ़ने नहीं देते। विद्यार्थी को ऐसे मित्रों के साथ संगति करनी चाहिए, जो उसी के समान शिक्षा का उच्च लक्ष्य लेकर चले हों।
संस्कृत की एक सूक्ति का अर्थ है – श्रद्धावान और विनयी को ही ज्ञान की प्राप्ति होती है। जिस छात्र के चित्त में अपने ज्ञानी होने का घमंड भरा रहता है, वह कभी गुरुओं की बात नहीं सुनता। उसकी यह आदत उसकी सबसे बड़ी बाधा है। छात्र के लिए अनुशासनप्रिय होना आवश्यक है। अनुशासन के बल पर ही छात्र अपने व्यस्त समय का सही सदुपयोग कर सकता है। आदर्श छात्र पढ़ाई के साथ-साथ खेल-व्यायाम और अन्य गतिविधियों में भी बराबर रुचि लेता है। वह मानवसेवा, देश-सेवा और समाज-सेवा के लिए अपना जीवन अर्पित कर देता है।
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Adarsh Vidyarthi Essay in Hindi 700 Words
विद्यार्थी जीवन को मनुष्य के जीवन की आधारशिला कहा जाता है। इस समय वह जिन गुणों व अवगुणों को अपनाता है, वही आगे चलकर चरित्र का निर्माण करते हैं। अत: विद्यार्थी जीवन सभी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। एक आदर्श विद्यार्थी वह है जो परिश्रम और लगन से अध्ययन करता है तथा सद्गुणों को अपनाकर स्वयं का ही नहीं अपितु अपने माता-पिता व विद्यालय का नाम ऊँचा करता है। वह अपने पीछे ऐसे उदाहरण छोड़ जाता है जो अन्य विद्यार्थियों के लिए अनुकरणीय बन जाते हैं।
एक आदर्श विद्यार्थी सदैव पुस्तकों को ही अपना सबसे अच्छा मित्र समझता है। वह पूरी लगन और परिश्रम से उन पुस्तकों का अध्ययन करता है जो जीवन निर्माण के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। इन उपयोगी पुस्तकों में उसके विषय की पुस्तकों के अतिरिक्त वे पुस्तकें भी हो सकती हैं जिनमें सामान्य ज्ञान, आधुनिक जगत की नवीनतम जानकारियां तथा अन्य उपयोगी बातें भी होती हैं। एक आदर्श विद्यार्थी सदैव परिश्रम को ही पूरा महत्त्व देता है। वह परिश्रम को ही सफलता की कुंजी मानता है।
आदर्श विद्यार्थी अपने अध्यापक अथवा गुरुजनों का पूर्ण आदर करता है। वह उनके हर आदेश का पालन करता है। अध्यापक उसे जो भी पढ़ने अथवा याद करने के लिए कहते हैं वह उसे ध्यानपूर्वक सुनता है। वह सदैव यह मानकर चलता है कि वह गुरु से ही सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर सकता है। गुरुजनों के अतिरिक्त वह अपने माता-पिता की इच्छाओं एवं निर्देशों के अनुसार ही कार्य करता है।
किसी भी विद्यार्थी के लिए पुस्तक ज्ञान आवश्यक है परन्तु मात्र पुस्तकों के अध्ययन से ही सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता। अतः एक आदर्श विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद व अन्य कार्यकलापों को भी उतना ही महत्त्व देता है। खेल-कूद व व्यायाम आदि भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इनके बिना शरीर में सुचारू रूप से रक्त संचार संभव नहीं है। इसका सीधा संबंध मस्तिष्क के विकास से है। खेलकूद के अतिरिक्त अन्य सांस्कृतिक कार्यकलापों, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं तथा विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने से उसमें एक नया उत्साह तथा नई विचारधारा विकसित होती है जो उसके चरित्र व व्यक्तित्व के विकास में सहायक होती है।
विद्यार्थी जीवन को किसी भी मनुष्य के जीवनकाल की आधारशिला कह सकते हैं क्योंकि इस समय वह जो भी गुण अथवा अवगुण आत्मसात् करता है उसी के अनुसार उसके चरित्र का निर्माण होता है। कोई भी विद्यार्थी अनुशासन के महत्त्व को समझे बिना सफलता नहीं प्राप्त कर सकता। अनुशासन प्रिय विद्यार्थी नियमित विद्यालय जाता है तथा कक्षा में अध्यापक द्वारा कही गई बातों का अनुसरण करता है। वह अपने सभी कार्यों को उचित समय पर करता है। वह जब किसी कार्य को प्रारम्भ करता है तो उसे समाप्त करने की चेष्टा करता है। अनुशासन में रहने वाले विद्यार्थी हमेशा परिश्रमी होते हैं। उनमें टालमटोल की प्रवृत्ति नहीं होती तथा वे आज का कार्य कल पर नहीं छोड़ते हैं। उनके यही गुण धीरे-धीरे उन्हें सामान्य विद्यार्थी से एक अलग पहचान दिलाते हैं।
अनुशासन केवल विद्यार्थी के लिए ही आवश्यक नहीं है अपितु जीवन के हर क्षेत्र में इसका उपयोग है लेकिन इसका अभ्यास कम उम्र में अधिक सरलता से हो सकता है। अत: कहा जा सकता है कि यदि विद्यार्थी को विद्यार्थी जीवन से ही नियमानुसार चलने की आदत पड़ जाए तो शेष जीवन की राहें सुगम हो जाती हैं। ये विद्यार्थी ही आगे चलकर देश की राहें संभालेंगे, कल इनके कंधों पर ही देश के निर्माण की जिम्मेदारी आएगी। अत: आवश्यक है कि ये कल के सुयोग्य नागरिक बनें और अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह धैर्य और साहस के साथ करें।
एक आदर्श विद्यार्थी नैतिकता, सत्य व उच्च आदर्शों पर पूर्ण आस्था रखता है। वह प्रतिस्पर्धा को उचित मानता है परन्तु परस्पर ईर्ष्या व द्वेष भाव से सदैव दूर रहता है। अपने से कमजोर छात्रों की सहायता में वह सदैव आगे रहता है तथा उन्हें भी परिश्रम व लगन से अध्ययन करने हेतु प्रेरित करता है। अपने सहपाठियों के प्रति वह सदैव दोस्ताना संबंध रखता है। इसके अतिरिक्त उसे स्वयं पर पूर्ण विश्वास होता है। वह अपनी योग्यताओं व क्षमताओं को समझता है तथा अपनी कमियों के प्रति हीन भावना रखने के बजाय उन्हें दूर करने का प्रयास करता है।
सारांश में वह विद्यार्थी जो कुसंगति से अपने आपको दूर रखते हुए सद्गुणों को निरन्तर अपनाने की चेष्टा करता है तथा गुरुजनों का पूर्ण आदर करते हुए भविष्य की ओर अग्रसर होता है, वही एक आदर्श विद्यार्थी है। उसके वचन और कर्म, दूसरों के साथ उसका व्यवहार, उसकी वाणी हमेशा यथायोग्य होनी चाहिए ताकि जीवन की छोटी-छोटी उलझनें उसका रास्ता न रोक सकें। क्योंकि किसी भी विद्यार्थी का जब लक्ष्य बड़ा होता है तो उसमें एक नवीन उत्साह की भावना संचार होती रहती है।
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विद्यार्थी जीवन पर निबंध हिंदी में | Essay on Student Life in Hindi
Essay on Student Life in Hindi: एक इन्सान के जीवन में सभी कालों से महत्वपूर्ण विद्यार्थी जीवन का काल होता है यही से उनके भविष्य की दिशा तथा दशा तय हो जाती हैं.
अच्छी परवरिश, अच्छी शिक्षा, अच्छी संगती तथा मेहनत लग्न करने वाले विद्यार्थी जीवन में सफलता के नयें नयें आयाम स्थापित करते है. आज का हमारा हिंदी निबंध विद्यार्थी जीवन पर ही लिखा गया हैं.
Student Life, Vidyarthi Jeevan Essay में हम इस कालावधि के महत्व के बारे में आपकों इस छोटे स्टूडेंट् लाइफ एस्से के जरिये बता रहे हैं.
मनुष्य के लिए विद्यार्थी जीवन बहुत महत्वपूर्ण होता है, बाल्यकाल से ही मनुष्य का विद्यार्थी जीवन आरम्भ हो जाता हैं. मनुष्य का बाल्यकाल कोमल पौधे के समान होता हैं, जिसे समुचित देखभाल और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती हैं.
पहले माता-पिता अपनी संतानों को बाल्य काल में ही गुरुकुल अथवा आश्रम भेज दिया करते थे. वहां के विद्यार्थियों को कठोर अनुशासन में रखा जाता था.
वर्षों के निरंतर अभ्यास के उपरान्त विद्यार्थी गुरुकुल अथवा आश्रम से विद्वान एवं पराक्रमी बनकर बाहर निकलते थे. आज गुरुकुल की परम्परा नहीं हैं. गुरुकुल तथा आश्रमों का स्थान विद्यालयों ने ले लिया हैं. परन्तु आज भी पूर्व की भांति विद्यार्थी जीवन ही मनुष्य का भविष्य निर्धारित करता हैं.
विद्यार्थी जीवन में मनुष्य ज्ञान अर्जित करता हैं, साथ ही उसे आगे बढने की प्रेरणा मिलती हैं. विद्यार्थी जीवन में ही मनुष्य में सच्चा नागरिक बनने की योग्यता उत्पन्न होती हैं.
जीवन में कठोर परिश्रम से निरंतर अभ्यास करने वाले विद्यार्थी ही परीक्षा में उतीर्ण होते हैं. दूसरी ओर कठोर परिश्रम से घबराने वाले विद्यार्थी मन लगाकर अभ्यास नहीं करते और पिछड़ जाते हैं.
वास्तव में विद्यार्थी जीवन मनुष्य के लिए फूक फूक कट कदम रखने वाला काल होता हैं. इस काल में उचित मार्गदर्शन की विशेष आवश्यकता होती हैं.
जो विद्यार्थी स्वयं पर नियंत्रण रखकर, उचित अनुचित का विचार करके निर्णय लेता हैं, वह पथभ्रष्ट होने से बचा रहता हैं, इस प्रकार निरंतर परिश्रम से विद्यार्थी शिक्षित होकर अपना भविष्य सुरक्षित करने में सफल रहता हैं.
लेकिन जो विद्यार्थी उचित दिशा निर्देश पर ध्यान नही देता, परिश्रम से जी चुराता है और विद्यार्थी जीवन का मौज मस्ती में दुरूपयोग करता हैं.
वह अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मारने जैसा कार्य करता हैं. कुछ ही वर्षों में मौज मस्ती का समय व्यतीत हो जाता है और जब जीवन के यथार्थ से सामना होता है तो ऐसा विद्यार्थी स्वयं को अयोग्य पाता हैं.
आज के संसार में किसी भी इन्सान को सफल होने के लिए उसके पास योग्यता का होना बेहद जरुरी है. निक्कमे तथा अयोग्य लोगों के बारे में कोई नहीं पूछता हैं. निरंतर तेजी से कम्पीटीशन का युग ज्यों ज्यों बढ़ रहा है उसके अनुकूल स्वयं को संघर्ष करते हुए आगे बढाने पर ही सफलता अर्जित करनी पड़ती हैं.
जिस व्यक्ति में आरम्भ से ही संघर्ष करने की क्षमता व जूनून नहीं हैं. वह न तो संघर्ष करने की स्थिति में रहता है और न ही यह निश्चय कर पाता है कि अब उन्हें किस राह जाना हैं.
एक विशेष क्षेत्र में योग्यता के अर्जन के लिए इन्सान को कड़ा परिश्रम करना पड़ता हैं. तब जाकर वह एक क्षेत्र में महारत हासिल कर पाता हैं. यदि विद्यार्थी जीवन से ही चरित्र निर्माण सम्बन्धी इन छोटी छोटी बातों का अनुसरण किया जाए तो लक्ष्य प्राप्ति की राह अधिक आसान हो जाती हैं.
विद्यार्थी जीवन को इसलिए भी जीवन निर्माण की अवधि माना जाता हैं क्योंकि इस समय स्टूडेंट्स पर परिवार घर आदि किसी तरह की जिम्मेदारियों के बंधन से मुक्ति भी रहती हैं. जिससे वह अपने क्षेत्र में मेहनत करते हुए अच्छा कर पाता हैं.
हरेक विद्यार्थी के जीवन में कुछ सपने होते है जिन्हें वह बड़ा होकर साकार करना चाहता हैं. सभी सपनों के पूरा होने का द्वार शिक्षा ही हैं. कोई डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक आदि बनना चाहता है.
मगर सही दिशा में निरंतर अभ्यास एवं संघर्ष के बिना छोटा हो या बड़ा सभी कार्य असम्भव बनकर ही रह जाते हैं. यहाँ अपने सपनों से बिछड़ा होने पर आगे वह अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन भी ठीक तरीके से नहीं कर पाता हैं.
वाकई में विद्यार्थी जीवन बेहद सावधानी के साथ आगे बढने वाला वक्त होता हैं. उम्रः के इस मोड़ पर जहाँ उन्हें अपने चरित्र निर्माण एवं संघर्ष के साथ जीवन बिताना होता है वही उन्हें एक अच्छे भविष्य की आस भी रखनी होती हैं.
उन्हें यह बात निश्चय कर लेनी चाहिए कि विद्यार्थी जीवन में की गयी मेहनत उनकों अपने लक्ष्य तक जाने में मदद करेगी साथ ही कठोर परिश्रम के आगे कोई भी लक्ष्य बड़ा या असम्भव नही होता हैं जिसे हासिल नही किया जा सके.
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व Essay on the importance of discipline in student life
बिना अनुशासन विद्यार्थी जीवन की कल्पना करना बहुत कठिन है. स्कूल जाने का एक बड़ा कारण यही होता है कि एक बच्चे के भीतर अनुशासन का पालन करने के भाव उत्पन्न किये जाए.
जीवन में अनुशासन में रहे छात्र ही अच्छा परफोर्म कर पाते हैं. ऐसे छात्र हर टीचर की निगाहों में रहते हैं और हर वक्त प्रशंसा हासिल करते है.
यदि किसी स्टूडेंट्स या बच्चे को अनुशासन के बारे में बताया जाए, तो उसे अपने भावी जीवन में आने वाली कठिनाइयों को हल करने में ज्यादा तकलीफ नहीं होगी. वहीं दूसरी तरफ जो छात्र अनुशासन और बेसिक नियमों का पालन नहीं करते हैं उन्हें काफी बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं.
जो छात्र अनुशासनहीन होता है उसे अमूमन कोई भी पसंद नहीं करता. आगे चलकर अनुशासन हीन व्यक्ति लाइफ में ईर्ष्या, अहिंसा, असत्य, बड़ों से झूठ बोलना, बड़ों का आदर ना करना, अपने गुरु का आदर ना करना, गलत संगत आदि बुरी आदतों की लत लग जाती है और एक आदर्श जीवन से बहुत दूर हो जाता हैं.
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