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जवाहर लाल नेहरू पर निबंध (Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi)

जवाहर लाल नेहरु

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में कश्मीरी पंडित के एक समृद्ध परिवार में हुआ। इनके पिता मोतीलाल नेहरू शहर के जाने माने वकील थे तथा माता स्वरूपरानी नेहरू का संबंध लाहौर के एक सुपरिचित कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से था। बच्चों से अत्यधिक प्रेम होने के वजह से इनके जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहर लाल नेहरू पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi, Jawaharlal Nehru par Nibandh Hindi mein)

जवाहर लाल नेहरू पर निबंध – 1 (300 शब्द).

स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व तथा उसके बाद भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 में हुआ। लोगों के अनुसार पढ़ाई में इनका विशेष रुझान था। नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन तथा इसी प्रकार के अनेक महत्वपूर्ण आन्दोलन में महात्मा गाँधी के कंधे से कंधा मिला कर जवाहर लाल नेहरू ने भाग लिया।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जवाहर लाल नेहरू ने 13 वर्ष की उम्र तक अपने घर पर रह कर ही हिंदी, अंग्रेजी तथा संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। अक्टूबर 1907 में नेहरू ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज गए और वहां से 1910 में प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री प्राप्त की। इस अवधि के दौरान उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, इतिहास तथा साहित्य का भी अध्ययन किया।

बर्नार्ड शॉ, वेल्स, जे. एम. केन्स, मेरेडिथ टाउनसेंड के लेखन ने उनके राजनैतिक सोच पर गहरा असर डाला। 1910 में अपनी डिग्री पूर्ण करने के पश्चात नेहरू कानून की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए और ‘इनर टेम्पल इन’ से वकालत किया।

स्वतंत्र भारत के लिए संघर्ष और सफलता

7 अगस्त 1942 मुम्बई में हुई कांग्रेस कमेटी की बैठक में नेहरू के ऐतिहासिक संकल्प “भारत छोड़ो” के वजह से नेहरू को एक बार फिर गिरफ्तार किया गया। यह अंतिम मौका था जब वह जेल जा रहें थे। इस बार नेहरू की गिरफ्तारी लंबे समय के लिए हुई। अपने पूरे जीवन काल में वह देश की सेवा करने के वजह से नौ बार जेल जा चुके हैं।

1929 लाहौर अधिवेशन के पश्चात, नेहरू देश के बुद्धिजीवी तथा युवा नेता के रूप में उभरे। भारतीय नेता के रूप में उन्होंने अपनी भूमिका अनेक यातनाएं सह कर निभाई है।

इसे यूट्यूब पर देखें : Pandit Jawaharlal Nehru par Nibandh

Pandit Jawaharlal Nehru par Nibandh – निबंध 2 (400 शब्द)

नेहरू का जन्म कश्मीरी ब्राह्मण के एक ऐसे परिवार में हुआ था जो उनकी प्रशासनिक योग्यता और विद्वत्ता के लिए प्रसिद्ध थे। इनके पिता मोती लाल नेहरू पेशे से वकील और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे। आगे चल कर नेहरू महात्मा गाँधी के प्रमुख सहयोगी में से एक बने। उनकी आत्मकथा में भारतीय राजनीति के प्रति उनकी जिवांत रुचि का पता चलता है।

जवाहर लाल नेहरू राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में

जवाहर लाल नेहरू ने 1912 में बांकीपुर पटना में कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया। स्थिति सुस्त और निराशाजनक होने के वजह से उन्होंने तिलक और एनी बेसेंट द्वारा होम रूल लीग के साथ अपना राजनैतिक जुड़ाव शुरू किया। 1916 में राष्ट्रीय कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू की गांधी जी से मुलाकात हुई और वह उनके शालीन व्यक्तित्व से अत्यधिक प्रभावित हुए।

जवाहर लाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद, नगर निगम विभाग के अध्यक्ष बने। दो साल के कार्यकाल के उपरांत 1926 में इस पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया। तत्पश्चात 1926 से 1928 तक कांग्रेस समीति के महासचिव के रूप में नेहरू ने कार्यभार संभाला। दिसम्बर 1929 लाहौर, कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में नेहरू पार्टी के अध्यक्ष नियुक्त हुए। इसी वर्ष में इन्होनें पूर्ण स्वराज की मांग किया।

नेहरू तथा भारत के लिए महत्वपूर्ण सत्र

1935 में कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। नेहरू इस चुनाव का हिस्सा नहीं थे पर ज़ोरो-शोरों से पार्टी का प्रचार-प्रसार करने लगे इसके परिणाम में कांग्रेस को लगभग हर प्रांत से जीत हासिल हुई। नेहरू 1935-1936 के लिए कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान उनकी गिरफ्तारी हुई तथा 1945 में उन्हें रिहा कर दिया गया। 1947 में भारत पाकिस्तान विभाजन के समय उन्होंने ब्रिटिश सरकार से वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।

नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में

जब से महात्मा गांधी ने नेहरू को लाहौर में कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष के रूप में चुना तब से जवाहर लाल नेहरू का प्रधानमंत्री बनना यह तय था। वोटो की संख्या कम होने के बाद भी नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। इसके बाद उनके आलोचकों ने जमकर उनकी निंदा की पर उन्होंने अपने पद पर रहते हुए अपने शक्तियों का उचित प्रयोग कर देश के हित में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिया।

प्रधानमंत्री पद पर नेहरू की महत्वपूर्ण भूमिका

1947 में ब्रिटिश सरकार ने लगभग 500 छोटे-बड़े रियासतों को आज़ाद किया। इन सभी रियासतों को पहली बार एक झण्डे के नीचे लाना चुनौतीपूर्ण कार्य था पर नेहरू ने अन्य महापुरुषों के मदद से इस कार्य में सफलता प्राप्त किया। आधुनिक भारत के निर्माण में नेहरू का विशेष योगदान है। उनके नीतियों के परिणाम स्वरूप आज पंचवर्षिय योजना के माध्यम से कृषि तथा उद्योग में विकास देखा जा सकता है।

नेहरू के राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ाव तथा देश के हित में लिए गए निर्णय के फलस्वरूप गर्व से कहा जा सकता है स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री का पद उन्हें उनकी योग्यता के आधार पर मिला है।

Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi – निबंध 3 (500 शब्द)

जवाहर लाल नेहरू के पंडित होने के वजह से लोग उन्हें पंडित नेहरू भी पुकारते थे तथा भारत में उनकी लोकप्रियता होने के वजह से भारतीय उन्हें चाचा नेहरू कहकर भी बुलाते थे। तीन भाई बहनों में जवाहर लाल नेहरू अकेले भाई थे, इनके अलावां इनकी दो बहने थीं। एक विजय लक्ष्मी पंडित तथा दूसरी कृष्णा हुतेसिंग।

नेहरू एक निपुण लेखक के रूप में

समस्त राजनीतिक विवादों से दूर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता की नेहरू एक उत्तम लेखक थे। उनकी ज्यादातर रचना जेल में ही लिखी गई हैं, पिता के पत्र : पुत्री के नाम (1929), विश्व इतिहास की झलक (1933), मेरी कहानी (नेहरू की ऑटो बायोग्राफी – 1936), इतिहास के महापुरुष, राष्ट्रपिता, भारत की खोज (Discovery of India – 1945) यह कुछ महान रचनाएं नेहरू के कलम से लिखी गई। यह आज भी लोगों के मध्य उतनी ही लोक प्रिय है जितना की उस वक्त थीं।

नेहरू का देश हित में निर्णायक निर्णय

कांग्रेस समीति का वार्षिक सत्र 1928-29, मोतीलाल नेहरू के अध्यक्षता में आयोजित किया गया। उस समय पर मोतीलाल नेहरू ने ब्रिटिश सरकार के अंदर ही प्रभुत्व संपंन राष्ट्र का दर्जा पाने की मांग की। जबकि जवाहर लाल नेहरू तथा सुबास चंद्र बोस ने पूरी राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग की। यहां पहली बार जवाहर लाल नेहरू अपने पिता के निर्णय का विरोध कर रहें थे। यह स्वतंत्र भारत के लिए उचित निर्णय था।

नेहरू की आलोचना

कुछ लोगों के अनुसार, गाँधी जी के वजह से नेहरू को प्रधानमंत्री का पद मिला। माना जाता है की कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष ही प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालेगा यह तय था। इसके बाद भी गाँधी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल समेत अन्य योग्य नेताओं के स्थान पर नेहरू को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना। जो भी हो नेहरू ने अपने पद के महत्व को समझते हुए अनेक बेहतर प्रयास कर आधुनिक भारत का निर्माण किया है।

चाचा नेहरू का जन्म दिवस, बाल दिवस के रूप में

चाचा नेहरू का बच्चों के प्रति असीम प्रेम के वजह से 14 नवम्बर, नेहरू का जन्म दिवस, को बाल दिवस के रूप में देश के सभी विद्यालयों में मनाया जाता है। इस दिन बच्चों को ख़ास महसूस कराने के लिए विद्यालय में विभिन्न प्रकार के प्रतियोगिता तथा खेल का आयोजन किया जाता है।

जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु

नेहरू ने 50 की दशक में कई राजनैतिक, आर्थिक तथा समाजिक निर्णय देश के आने वाले आधुनिक कल को सोच कर लिए। 27 मई 1964 की सुबह उनकी तबीयत खराब हुई तथा दोपहर 2 बजे तक उनका निधन हो गया।

पंडित नेहरू ने अपनी वसीयत में लिखा था- “मैं चाहता हूँ कि मेरी मुट्ठीभर राख को प्रयाग संगम में बहा दिया जाए जो हिंदुस्तान के दामन को चुमते हुए समंदर में जा मिले, लेकिन मेरी राख का ज्यादा हिस्सा हवाई जहाज से ऊपर ले जाकर खेतों में बिखेर दिया जाए, वो खेत जहां हजारों मेहनतकश इंसान काम में लगे हैं, ताकि मेरे वजूद का हर जर्रा वतन की खाक में मिल जाए..”

जाने माने तथा समृद्ध परिवार से संबंध होने के फलस्वरूप नेहरू का पालन पोषण बहुत ही नाजो से किया गया था। इसके बाद भी वह अपने देश की मिट्टी से जुड़े हुए थे। बच्चों में लोक प्रियता के वजह से लोग उन्हें चाचा नेहरू कह कर संबोधित करते हैं।

Jawaharlal Nehru Essay

FAQs: जवाहरलाल नेहरू पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू की जयंती भारत में बाल दिवस के रूप में मनाई जाती है।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू पेशे से वकील थे। तथा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू द्वारा शुरू किया गया अखबार ‘नेशनल हेराल्ड’ था।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू 1947 से 1964 तक 18 वर्षों तक भारत के प्रधान मंत्री रहे।

उत्तर. जवाहरलाल नेहरू के स्मारक को ‘शांतिवन’ कहा जाता है।

उत्तर. ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिया गया प्रसिद्ध भाषण था।

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध 10 lines (Jawaharlal Nehru Essay in Hindi) 100, 200, 250, 300, 500, words

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Jawaharlal Nehru Essay in Hindi – पंडित जवाहरलाल नेहरू सबसे प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे और स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री थे। चूंकि वह देश के लिए एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक शख्सियत थे, इसलिए बच्चों को उनके व्यक्तित्व और योगदान के बारे में पढ़ाया जाता है। उन्हें अक्सर एक संक्षिप्त नोट या जवाहरलाल नेहरू निबंध के रूप में जवाहरलाल नेहरू के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिखने के लिए कहा जाता है। यहां जवाहरलाल नेहरू पर लंबी और छोटी पं के रूप में कुछ पंक्तियां दी गई हैं। जवाहरलाल नेहरू निबंध दिया जाता है। 

जवाहरलाल नेहरू पर अनुच्छेद छात्रों के लिए न केवल हिन्दी में पंडित जवाहरलाल नेहरू निबंध लिखने में बल्कि हिंदी में पंडित जवाहरलाल पर निबंध लिखने में भी सहायक होगा।

जवाहर लाल नेहरू पर 10 लाइन निबंध (10 Lines Essay on Jawahar Lal Nehru in Hindi)

  • 1) पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।
  • 2) पंडित जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी पंडितों के समुदाय से संबंधित थे।
  • 3) पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 1889 में इलाहाबाद में हुआ था।
  • 4) नेहरू भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व थे।
  • 5)पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और माता का नाम स्वरूपरानी था।
  • 6) पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • 7) बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहते थे।
  • 8) पंडित नेहरू महात्मा गांधी के अनुयायी थे।
  • 9)पंडित जवाहरलाल नेहरू ने “डिस्कवरी ऑफ इंडिया” पुस्तक लिखी।
  • 10) 1955 में, जवाहरलाल नेहरू को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

जवाहरलाल नेहरू पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

15 अगस्त, 1947 को देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत के पहले प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। उनका जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज के रूप में जाना जाता है) में हुआ था। उनका जन्मदिन भारत में “बाल दिवस” ​​​​के रूप में मनाया जाता है क्योंकि उनका बच्चों के साथ मधुर संबंध था। उनके पिता एक वकील के रूप में काम करते थे। नेहरू उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे जिन्होंने भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए लड़ाई लड़ी थी। महात्मा गांधी की मान्यताओं पर उनका गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने गांधी के साथ मुक्ति संग्राम में भाग लेते हुए कानूनी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपनी स्वतंत्रता सक्रियता के लिए कई बार जेल में बिताया। बाद में, 1929 में, उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में सेवा देने के लिए चुना गया।

जवाहरलाल नेहरू पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

आजादी के बाद जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उनके पास उत्कृष्ट दृष्टि थी, और वे एक राजनीतिज्ञ, एक लेखक और एक नेता भी थे। उन्होंने हमेशा देश को बेहतर बनाने के लिए दिन-रात काम किया क्योंकि वह चाहते थे कि भारत समृद्ध हो। जवाहरलाल नेहरू एक दूरदर्शी नेता थे। उन्होंने जो सबसे महत्वपूर्ण बात कही वह थी “आराम हराम है”।

उन्होंने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा पूरी करने के लिए लंदन की यात्रा की। उन्होंने कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की और लंदन के इनर टेंपल में अभ्यास करना शुरू किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए, उन्होंने भारत वापस यात्रा की। उन्होंने 1942 और 1946 के बीच कैद के दौरान डिस्कवरी ऑफ इंडिया लिखी।

शांतिप्रिय होने के बावजूद, जवाहरलाल नेहरू ने देखा कि कैसे अंग्रेजों ने भारतीयों को गाली दी। परिणामस्वरूप उन्होंने मुक्ति आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया। उन्होंने अपने राष्ट्र के प्रति जुनून के कारण महात्मा गांधी से हाथ मिलाया। वह महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए।

आजादी की लड़ाई में उन्हें कई बाधाओं को पार करना पड़ा। यहां तक ​​कि उन्होंने काफी समय जेल में भी बिताया। हालांकि, उन्होंने राष्ट्र के प्रति अपना स्नेह नहीं खोया। उन्होंने एक बहादुर लड़ाई लड़ी, जिससे आजादी मिली। जवाहरलाल नेहरू ने भारत के पहले प्रधान मंत्री का पद जीतने के लिए कड़ी मेहनत की।

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जवाहरलाल नेहरू पर 250 शब्दों का निबंध (250 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi जवाहरलाल नेहरू मोतीलाल नेहरू नाम के एक प्रमुख वकील के पुत्र थे। जवाहरलाल नेहरू का जन्म 1889 में 14 नवंबर को इलाहाबाद, भारत में हुआ था। उन्हें बाद में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनका परिवार बहुत प्रभावशाली राजनीतिक परिवार था जहाँ उन्होंने अपना प्रारंभिक अध्ययन प्राप्त किया और उच्च अध्ययन के लिए हैरो स्कूल और ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में इंग्लैंड गए और एक प्रसिद्ध वकील के रूप में भारत लौट आए। 

उनके पिता एक वकील थे लेकिन एक प्रमुख नेता के रूप में राष्ट्रवादी आंदोलन में भी रुचि रखते थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू भी महात्मा गांधी के साथ देश के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए और कई बार जेल गए। उनकी कड़ी मेहनत ने उन्हें पहला भारतीय प्रधान मंत्री बनने और देश के प्रति सभी जिम्मेदारियों को समझने में सक्षम बनाया। उन्होंने 1916 में कमला कौल से शादी की और 1917 में इंदिरा नाम की एक प्यारी सी बच्ची के पिता बने।

1916 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई। जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना के बाद उन्होंने अंग्रेजों से भारत के लिए लड़ने की कसम खाई। अपने कार्यों के लिए आलोचना झेलने के बाद भी वे स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बने। वह 1947 से 1964 तक भारत के सबसे लंबे समय तक और पहले प्रधान मंत्री बने। अपने महान कार्यों से देश की सेवा करने के बाद, स्ट्रोक की समस्या के कारण वर्ष 1964 में 27 मई को उनका निधन हो गया। वह एक लेखक भी थे और उन्होंने अपनी आत्मकथा टूवार्ड फ्रीडम (1941) सहित कई प्रसिद्ध पुस्तकें लिखीं।

जवाहरलाल नेहरू पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi – पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान व्यक्ति, नेता, राजनीतिज्ञ, लेखक और वक्ता थे। वह बच्चों से बहुत प्यार करते थे और गरीब लोगों के बहुत अच्छे दोस्त थे। उन्होंने हमेशा खुद को भारत के लोगों का सच्चा सेवक समझा। उन्होंने इस देश को एक सफल देश बनाने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत की। वह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री बने और इस प्रकार उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा गया। भारत में कई लोग महान पैदा हुए और चाचा नेहरू उनमें से एक थे। वह महान दृष्टि, ईमानदारी, कठिन परिश्रम, ईमानदारी, देशभक्ति और बौद्धिक शक्तियों वाले व्यक्ति थे।

वह “अराम हराम है” के रूप में एक प्रसिद्ध नारा के दाता थे। वह राष्ट्रीय योजना आयोग के पहले अध्यक्ष बने और दो साल बाद उन्होंने भारतीय लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद की शुरुआत की। उनके मार्गदर्शन में 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना शुरू की गई और लागू की गई। उन्हें बच्चों से बहुत लगाव था इसलिए उन्होंने उनकी वृद्धि और विकास के लिए कई रास्ते बनाए। बाद में भारत सरकार द्वारा बाल दिवस को उनके जन्मदिन की सालगिरह पर बच्चों की भलाई के लिए हर साल मनाया जाने की घोषणा की गई। वर्तमान में, उनकी जयंती पर मनाए जाने के लिए भारत सरकार द्वारा बाल स्वच्छता अभियान नाम से एक और कार्यक्रम शुरू किया गया है।

उन्होंने हमेशा अछूतों, समाज के कमजोर वर्गों के लोगों के सुधार, महिलाओं और बच्चों के कल्याण के अधिकार को प्राथमिकता दी। भारतीय लोगों के कल्याण के लिए सही दिशा में महान कदम उठाने के लिए “पंचायती राज” प्रणाली पूरे देश में शुरू की गई थी। उन्होंने भारत के साथ अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए “पंच शील” प्रणाली का प्रचार किया और भारत को दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बना दिया।

जवाहरलाल नेहरू पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Jawaharlal Nehru in Hindi)

जवाहरलाल नेहरू एक प्रमुख भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और भारत के पहले प्रधान मंत्री थे। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे और उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी के लिए देश के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह एक राजनेता, राजनीतिक नेता और लेखक भी थे जिन्हें आधुनिक भारत के विकास में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद, ब्रिटिश भारत में हुआ था। वह एक प्रमुख वकील और राजनीतिज्ञ, मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे। नेहरू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा निजी शिक्षकों के मार्गदर्शन में घर पर प्राप्त की। बाद में उन्होंने लंदन के हैरो स्कूल में पढ़ाई की, जहाँ उन्होंने इतिहास, राजनीति और अर्थशास्त्र का अध्ययन किया। इसके बाद वे कैंब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए गए, जहाँ उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री हासिल की।

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, नेहरू भारत लौट आए और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हो गए। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और तेजी से इसके प्रमुख नेताओं में से एक बन गए। वह असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में अग्रणी व्यक्ति थे। स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और नौ साल से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा।

प्रधान मंत्री के रूप में नेतृत्व

1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, नेहरू भारत के पहले प्रधान मंत्री बने। उन्होंने 1964 में अपनी मृत्यु तक, 17 वर्षों तक प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने नए राष्ट्र को आकार देने और इसे एक आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय लोगों के जीवन में सुधार लाने और देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों को लागू किया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेषकर गुटनिरपेक्ष आंदोलन में।

परंपरा (legacy)

जवाहरलाल नेहरू की विरासत आज भी भारत में महसूस की जाती है। उन्हें देश के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान और प्रधान मंत्री के रूप में उनके नेतृत्व के लिए याद किया जाता है। उन्हें आधुनिक भारत के विकास में विशेष रूप से शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भी याद किया जाता है। उनका जन्मदिन, 14 नवंबर, बच्चों के प्रति उनके प्यार और स्नेह को पहचानते हुए, उनके सम्मान में भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

लेसन्स हिज लाइफ

शिक्षा का महत्व | जवाहरलाल नेहरू एक उच्च शिक्षित व्यक्ति थे, जो जीवन और समाज को बदलने के लिए शिक्षा की शक्ति में विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने और सभी के लिए शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों को लागू किया। हम उनके उदाहरण से शिक्षा के महत्व और व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में इसकी भूमिका के बारे में सीख सकते हैं।

दृढ़ता की शक्ति | नेहरू ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भागीदारी के लिए कई साल जेल में बिताए। चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपनी लड़ाई को कभी नहीं छोड़ा और इस उद्देश्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से कभी नहीं डगमगाए। हम उनके उदाहरण से दृढ़ता की शक्ति और अपने विश्वासों के प्रति सच्चे रहने के महत्व से सीख सकते हैं।

लोक सेवा | नेहरू का जीवन भारत के लोगों की सेवा के लिए समर्पित था। उन्होंने उनके जीवन को बेहतर बनाने और एक बेहतर राष्ट्र बनाने के लिए अथक प्रयास किया। हम उनके उदाहरण से सीख सकते हैं कि सार्वजनिक सेवा का महत्व और समाज में बदलाव लाने में इसकी क्या भूमिका है।

नेतृत्व | नेहरू एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने भारत के नए राष्ट्र को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके पास देश के भविष्य के लिए एक स्पष्ट दृष्टि थी और इसे वास्तविकता बनाने के लिए अथक प्रयास किया। हम उनके उदाहरण से मजबूत नेतृत्व के महत्व और देश के भविष्य को आकार देने में इसकी भूमिका से सीख सकते हैं।

जवाहरलाल नेहरू पर अनुच्छेद पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु कब और कैसे हुई.

उत्तर जवाहरलाल नेहरू का निधन वर्ष 1964 में दिल का दौरा पड़ने से हुआ था।

प्रश्न 2. पंडित नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष कब बने थे?

उत्तर: पंडित जवाहरलाल नेहरू वर्ष 1929 – 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस या कांग्रेस के अध्यक्ष बने और लाहौर अधिवेशन की अध्यक्षता की।

प्रश्न 3. कांग्रेस में जवाहरलाल नेहरू के गुरु कौन थे?

उत्तर: जब पंडित नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए, तो उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रशंसा की, जो बाद में उनके गुरु बने।

प्रश्न 4. जवाहरलाल नेहरू को दी जाने वाली लोकप्रिय उपाधियाँ क्या हैं?

उत्तर: पंडित और चाचा नेहरू जैसी उपाधियों के अलावा, जवाहरलाल नेहरू को भारत के वास्तुकार के रूप में भी जाना जाता था क्योंकि उन्होंने धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, संप्रभु और समाजवादी भारत के निर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी।

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पंडित जवाहरलाल नेहरू पर हिन्दी निबंध

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पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

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रूपरेखा : परिचय - पं. जवाहरलाल नेहरू जी की प्रारंभिक जीवन - पं. जवाहरलाल नेहरू जी की शिक्षा - उनकी राजनीतिक जीवनवृत्ति - एक सफल प्रधानमंत्री के रूप में - निष्कर्ष ।

पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के एक बड़े नायक थे। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व तथा उसके बाद भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पं. जवाहर लाल नेहरू थे। बच्चों से अत्यधिक प्रेम होने के वजह से इनके जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद (प्रयागराज) में हुआ था। इनके पिता मोतीलाल नेहरू शहर के जाने माने वकील थे तथा माता स्वरूप रानी नेहरू का संबंध लाहौर के एक सुपरिचित कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से था।

वे बचपन में घर पर ही निजी शिक्षकों द्वारा पढ़ाए गए। उन्होंने इंग्लैंड में हैरॉ से विद्यालयीय शिक्षा पूरी की। जवाहर लाल नेहरू ने 13 वर्ष की उम्र तक अपने घर पर रह कर ही हिंदी, अंग्रेजी तथा संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने ट्रिनीटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से स्नातक किया। उन्होंने लंदन के 'इन्स ऑफ कोर्ट स्कूल ऑफ लॉ' में कानून की पढ़ाई की। उनके पिता, पं. मोतीलाल नेहरू एक बहुत प्रसिद्ध और सफल बैरिस्टर थे।

इस अवधि के दौरान उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, इतिहास तथा साहित्य का भी अध्ययन किया। बर्नार्ड शॉ, वेल्स, जे. एम. केन्स, मेरेडिथ टाउनसेंड के लेखन ने उनके राजनैतिक सोच पर गहरा असर डाला। 1910 में अपनी डिग्री पूर्ण करने के पश्चात नेहरू कानून की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए और ‘इनर टेम्पल इन’ से वकालत किया। 1912 में नेहरू शिक्षा प्राप्त कर भारत वापस आ गए।अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वे भारत लौटे और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकील बने।

वे भारतीय राजनीति में दिलचस्पी रखते थे। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से स्वयं को दूर न रख सके। उन्होंने अनेक आंदोलनों में भाग लिया। वे कई बार जेल भी गए। वे गाँधीजी के बहुत घनिष्ठ थे। नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन तथा इसी प्रकार के अनेक महत्वपूर्ण आन्दोलन में महात्मा गाँधी के कंधे से कंधा मिला कर जवाहर लाल नेहरू ने भाग लिया। 1928 में साइमन कमीशन के विरूद्ध आन्दोलन का नेतृत्वकर्ता होने के फलस्वरूप नेहरू समेत अन्य लोगों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया।

7 अगस्त 1942 बॉम्बे (मुंबई) में हुई कांग्रेस कमेटी की बैठक में नेहरू के ऐतिहासिक संकल्प “भारत छोड़ो” के वजह से नेहरू को एक बार फिर गिरफ्तार किया गया। यह अंतिम मौका था जब वह जेल जा रहें थे। इस बार नेहरू की गिरफ्तारी लंबे समय के लिए हुई। अपने पूरे जीवन काल में वह देश की सेवा करने के वजह से नौ बार जेल जा चुँके हैं।

पं. नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। वे अत्यंत योग्य नेता साबित हुए। नवजात भारत में बहुत-सी समस्याएँ थीं। पं. नेहरू ने उन सब को बहुत प्रभावी तरीके से निपटाया। उन्होंने भारत के विभाजन के समय समझदारी से काम लिया।

उनके शासन में धर्म की स्वतंत्रता, वयस्क मताधिकार, कानून के समक्ष सबकी समानता आदि-जैसे विभिन्न मुद्दे प्रस्तुत किए गए। सभी बड़े उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया गया। पं. नेहरू ने कृषि के विकास के लिए काम किया। उन्होंने अनेक बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत की। उन्होंने आई. आई. टी, आई. आई. एम. एवं ए. आई. आई. एम. एस. को विकास की ओर प्रवृत्त किया। उस समय संसार दो खेमों में बँटा हुआ था। लेकिन, उन्होंने गुट-निरपेक्ष नीति का सूत्रपात किया। उन्होंने पंचशील के सिद्धांतों को प्रस्तुत किया।

पंडित नेहरू ने भारत की जिम्मेदारी तब ली, जब यह नवजात थे। उन्होंने सभी महत्वपूर्ण परियोजनाओं की नींव डाली। उनकी मृत्यु 27 मई 1964 को हुई। उनकी मृत्यु देश के लिए बहुत बड़ी क्षति थी। भारतीय नेता के रूप में उन्होंने अपनी भूमिका अनेक यातनाएं सह कर भी निभाई है। हमलोग देश के विकास के प्रति उनके योगदान को कभी नहीं भूल सकते।

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध

jawaharlal nehru essay writing in hindi

By विकास सिंह

essay on jawaharlal nehru in hindi

जवाहरलाल नेहरू एक महान व्यक्ति थे जो जीवन भर बच्चों से बहुत प्यार करते थे। अक्सर उन्हें चाचा नेहरु के नाम से याद किया जाता है क्योंकि बच्चों के चहेते होने के कारण उन्हें बच्चे चाचा नेहरु के नाम से बुलाया करते थे।

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, short essay on jawaharlal nehru in hindi (100 शब्द)

पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म वर्ष 1889 में इलाहाबाद में 14 नवंबर को हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक प्रमुख वकील थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा घर पर प्राप्त की लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए और 1912 में फिर से देश लौट आए।

वे अपने पिता की तरह ही एक वकील बन गए। बाद में वह महात्मा गांधी के साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 1947 से पहले उन्हें भारत की स्वतंत्रता के लिए कई बार जेल भेजा गया और वे भारत के पहले प्रधानमंत्री बने।

जवाहर लाल नेहरू पर निबंध, 150 शब्द:

jawaharlal nehru essay writing in hindi

जवाहरलाल नेहरू पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म इलाहाबाद में 1889 में 14 नवंबर को हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक प्रमुख वकील थे। वे अपने पिता की तरह उच्च अध्ययन के बाद भविष्य में वकील भी बने। वह महात्मा गांधी के साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलनों में शामिल हुए और बाद में वे सफलतापूर्वक भारत के पहले प्रधानमंत्री बने।

वह बच्चों के बहुत शौकीन थे और उन्हें इतना प्यार करते थे कि उनकी जयंती का मतलब 14 नवंबर को भारत में बाल दिवस के रूप में घोषित किया गया है। बाल सुरक्षा अभियान भारत के बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए उनकी जयंती के दिन ही भारत सरकार द्वारा चलाया गया है और साथ ही भारत के बच्चों के प्रति उनके प्यार और स्नेह को दर्शाता है। उनका जन्म दिवस भारत में विशेष रूप से बच्चों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। उन्हें बच्चों द्वारा चाचा नेहरू के नाम से बुलाया जाता था।

जवाहरलाल नेहरु पर निबंध, essay on jawaharlal nehru in hindi (200 शब्द)

भारत में कई महान लोग पैदा हुए हैं और जवाहरलाल नेहरू उनमें से एक थे। वह बहुत महान व्यक्ति थे जो बच्चों को बहुत पसंद करते थे। वह बहुत मेहनती और शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक प्रमुख वकील थे। पं. नेहरू का जन्म इलाहाबाद में 1889 में 14 नवंबर को हुआ था। वह अपनी महानता और भरोसेमंद होने की वजह से बहुत प्रसिद्ध थे। उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने घर पर ही प्राप्त की लेकिन वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए और वहां से क़ानून की पढ़ाई की।

वह महात्मा गांधी के साथ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए और उनकी मेहनत ने उन्हें भारत की स्वतंत्रता के बाद पहला भारतीय प्रधानमंत्री बनने में सक्षम बनाया। उन्हें भारत के एक प्रसिद्ध आइकन के रूप में याद किया जाता है। उन्हें बच्चों द्वारा चाचा नेहरू कहा जाता था क्योंकि वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे।

बच्चों के प्रति उनके प्यार और लगाव के कारण, भारत सरकार ने बच्चों के कल्याण, सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए हर साल मनाए जाने वाले जन्मदिन (14 नवंबर) को भारत में बाल दिवस और बाल स्वच्छता अभियान नाम से दो कार्यक्रम लागू किए हैं।

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, 250 शब्द:

jawaharlal nehru essay writing in hindi

जवाहरलाल नेहरू मोतीलाल नेहरू नामक एक प्रमुख वकील के पुत्र थे। जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1889 में भारत के इलाहाबाद में 14 नवंबर को जन्म लिया था। उन्हें बाद में स्वतंत्र भारत का पहला प्रधान मंत्री बनने का सौभाग्य मिला। उनका परिवार बहुत प्रभावशाली राजनीतिक परिवार था जहाँ उन्होंने अपना पहला अध्ययन किया और उच्च अध्ययन के लिए कैम्ब्रिज के हैरो स्कूल और ट्रिनिटी कॉलेज इंग्लैंड गए और एक प्रसिद्ध वकील के रूप में भारत लौट आए।

उनके पिता एक वकील थे लेकिन राष्ट्रवादी आंदोलन में एक प्रमुख नेता के रूप में भी रुचि रखते थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू भी महात्मा गांधी के साथ देश की आजादी के आंदोलन में शामिल हुए और कई बार जेल गए। उनकी कड़ी मेहनत ने उन्हें पहले भारतीय प्रधानमंत्री बनने और देश के प्रति सभी जिम्मेदारियों को समझने में सक्षम बनाया। उन्होंने 1916 में कमला कौल से शादी की और 1917 में इंदिरा नाम की एक प्यारी सी लड़की के पिता बने।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में वह 1916 में महात्मा गांधी से मिले। जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना के बाद उन्होंने अंग्रेजों के साथ भारत के लिए लड़ने की कसम खाई। अपने कार्यों के लिए आलोचना करने के बाद भी, वह स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बन गए।

वह 1947 से 1964 तक भारत के सबसे लंबे और पहले सेवारत प्रधान मंत्री बने। अपने महान कार्यों से देश की सेवा करने के बाद, स्ट्रोक की समस्या के कारण वर्ष 1964 में 27 मई को उनकी मृत्यु हो गई। वह एक लेखक भी थे और उन्होंने अपनी आत्मकथा टूवार्ड फ्रीडम (1941) सहित प्रसिद्ध पुस्तकें भी लिखी थीं।

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, essay on jawaharlal nehru in hindi (300 शब्द)

पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान व्यक्ति, नेता, राजनीतिज्ञ, लेखक और वक्ता थे। वह बच्चों से बहुत प्यार करते थे और गरीब लोगों के बहुत अच्छे दोस्त थे। उन्होंने हमेशा खुद को भारत के लोगों का सच्चा सेवक समझा। उन्होंने इस देश को एक सफल देश बनाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की।

वे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री बने और इस प्रकार उन्हें आधुनिक भारत का वास्तुकार कहा गया। भारत में, कई महान लोग पैदा हुए और चाचा नेहरू उनमें से एक थे। वह महान दृष्टि, ईमानदारी, कड़ी मेहनत, ईमानदारी, देशभक्ति और बौद्धिक शक्तियों वाले व्यक्ति थे।

वह “अराम हराम है” के रूप में एक प्रसिद्ध नारे के दाता थे। वह राष्ट्रीय योजना आयोग के पहले अध्यक्ष बने और दो साल बाद उन्होंने बेहतर गुणवत्ता बनाने के लिए भारतीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए एक राष्ट्रीय विकास परिषद की शुरुआत की। उनके मार्गदर्शन में पहली पंचवर्षीय योजना 1951 में शुरू और कार्यान्वित की गई थी।

वह बच्चों के बहुत शौकीन थे इसलिए उनके विकास और उन्नति के लिए कई रास्ते बनाए। बाद में भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष बच्चों के जन्मदिन पर उनकी जयंती के दिन बाल दिवस मनाया जाता है। वर्तमान में, बाल स्वच्छ भारत नाम का एक और कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा उनकी जयंती पर मनाया जाने लगा है।

उन्होंने हमेशा अछूतों के सुधार, समाज के कमजोर वर्गों के लोगों, महिलाओं और बाल कल्याण के अधिकार को प्राथमिकता दी। भारतीय लोगों के कल्याण के लिए सही दिशा में महान कदम उठाने के लिए पूरे देश में “पंचायती राज” प्रणाली शुरू की गई थी। उन्होंने भारत के साथ अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए “पंच शील” प्रणाली का प्रचार किया और भारत को दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बनाया।

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, 400 शब्द:

jawaharlal nehru essay writing in hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरू को भारत की बहुत प्रसिद्ध हस्तियों में गिना जाता है और लगभग हर भारतीय उनके बारे में अच्छी तरह से जानता है। वह बच्चों के बहुत शौकीन थे और उन्हें बहुत प्यार करते थे। उनके समय के बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहते थे।

वह सबसे लोकप्रिय राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यक्ति थे। उन्हें भारत के अपने पहले प्रधानमंत्री काल में कठिनाई के कारण आधुनिक भारत का निर्माता माना जाता है। वह वर्ष 1947 से 1964 तक देश के पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधान मंत्री बने। उन्होंने देश की स्वतंत्रता के बाद इसे आगे बढ़ाने के लिए भारत की जिम्मेदारी ली।

उनका जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद, भारत में मोतीलाल नेहरू के घर हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू उस समय के एक प्रमुख और सफल वकील और बहुत अमीर व्यक्ति थे। उन्होंने अपने बेटे को राजकुमार के रूप में पर्यावरण प्रदान किया।

पं. नेहरू ने घर पर अपना पहला अध्ययन सबसे कुशल शिक्षक के अवलोकन में किया। 15 साल की उम्र में, वह हैरो और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पब्लिक स्कूल में उच्च अध्ययन के लिए इंग्लैंड गए। उन्होंने वर्ष 1910 में अपनी डिग्री पूरी की और अपने पिता की तरह ही कानून में शामिल हुए और सही मायने में वे बाद में वकील बने।

उन्होंने देश लौटने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपने कानून का अभ्यास शुरू किया। उन्होंने 27 साल की उम्र में वर्ष 1916 में कमला कौल से शादी कर ली और इंदिरा के पिता बन गए। उन्होंने देखा कि भारत के लोगों के साथ अंग्रेजों द्वारा बहुत बुरा व्यवहार किया जाता था, तब उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने और अंग्रेजों के खिलाफ भारत की लड़ाई लड़ने का वादा किया।

उनके देशभक्त दिल ने उन्हें आराम से बैठने की अनुमति नहीं दी और उन्हें बापू के साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए मजबूर किया और आखिरकार वे महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा, लेकिन तंग नहीं आया और सभी सजा भुगत कर अपनी लड़ाई जारी रखी।

आखिरकार 1947 में 15 अगस्त को भारतीय को आज़ादी मिली और भारत के नागरिकों ने उन्हें सही दिशा में देश का नेतृत्व करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में चुना। भारत के प्रधान मंत्री के रूप में उनके चयन के बाद, उन्होंने अपने मार्गदर्शन में देश की प्रगति के कई तरीके बनाए थे।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद (दिवंगत राष्ट्रपति) ने उनके बारे में कहा कि “देश पंडितजी के नेतृत्व में प्रगति की राह पर आगे बढ़ रहा है।” अपनी कठिनाई से देश की सेवा करते हुए, 27 मई को 1964 में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

इस लेख में पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध (Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi) लिखा गया है।

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री होने के कारण पंडित नेहरू के विषय में छोटी बड़ी लगभग सभी परीक्षाओं में निबंध पूछा जाता है। यह निबंध बहुत ही सरल शब्दों में लिखा गया है आशा है आपको यह निबंध जानकारी से भरपूर लगेगी।

Table of Contents

प्रस्तावना (पंडित जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi)

आज के समय में भारत पूरी दुनिया में एक अलग स्थान रखता है। भारत को इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए न जाने कितने लोगों ने अपना जीवन देश के लिए बलिदान कर दिया है। 

जब भारत ब्रिटेन का गुलाम था तब महान राजनेताओं और क्रांतिकारियों ने मिलकर भारत को एक स्वतंत्र देश बनाया। पंडित जवाहरलाल नेहरू जो स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे उन्होंने देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

जवाहरलाल नेहरू का जन्म कश्मीरी पंडित के एक समृद्ध परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू तथा माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था।

पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता पेशे से ब्रिटिश गवर्नमेंट में एक नामी वकील थे। इसीलिए मोतीलाल नेहरू चाहते थे कि उनका पुत्र भी एक प्रसिद्ध बैरिस्टर बने।

जवाहरलाल नेहरू की शिक्षा विदेशों के सबसे जाने-माने शिक्षा संस्थानों पर संपन्न हुई। पंडित नेहरू उस समय विदेश जाकर अपनी पढ़ाई कर रहे थे जिस समय  ब्रिटिश  सरकार भारत को एक गरीब और पिछड़ा देश समझती थी।

अपनी पढ़ाई पूरी कर भारत लौटने के बाद नेहरू गांधी जी की विचारधारा से बहुत आकर्षित हुए। कुछ समय बाद गांधी जी के संपर्क में आकर उन्होंने कई सारे आंदोलनों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

प्रारंभिक जीवन Early Life of Jawaharlal Nehru in Hindi

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 ब्रिटिश भारत के इलाहाबाद जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो एक बहुत प्रख्यात बैरिस्टर थे। पंडित नेहरू की माता का नाम स्वरूप रानी था जो लाहौर के प्रख्यात कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से थी।

मोतीलाल नेहरू के कुल तीन बच्चे थे जिनमें जवाहरलाल नेहरू इकलौते पुत्र थे और 2 बेटियां थी जिनमें  जवाहरलाल नेहरू सबसे बड़े थे।

जवाहरलाल नेहरू के पिता वकील थे इसलिए वे अपने पुत्र को भी उसी दिशा में आगे बढ़ाना चाहते थे। अपने पिता के जैसे ही जवाहरलाल नेहरू भी उस समय देश के लिए कुछ करने की इच्छा रखते थे।

नेहरू बचपन से ही पढ़ने में रुचि रखते थे। अपने पिता के जैसे ही वह भी बड़े होकर एक प्रख्यात वकील बनना चाहते थे उन्होंने अपनी पढ़ाई विदेशों से की।

शिक्षा Education of Jawaharlal Nehru in Hindi

जवाहरलाल नेहरू का परिवार आर्थिक रूप से बहुत ही संपन्न था, जिससे पंडित नेहरू को दुनिया के कुछ सबसे बेहतरीन विश्वविद्यालयों से पढ़ने का मौका मिला।

उन्होंने अपनी  प्रारंभिक शिक्षा हैरो स्कूल से पूरी करने के बाद ट्रिनिटी कॉलेज कैंब्रिज जोकि लंदन के सबसे प्रख्यात विश्वविद्यालय में से एक है वहां अपनी पढ़ाई की।

कॉलेज की शिक्षा खत्म करने के बाद उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से कानून की शिक्षा ग्रहण की। जवाहरलाल नेहरू अंग्रेजी के बहुत अच्छे ज्ञाता थे। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं वापस अपने वतन भारत लौट गए।

राजनीतिक करियर Political Career of Jawaharlal Nehru in Hindi

1912 में जवाहरलाल नेहरू कानून की पढ़ाई पूरी करके भारत आ गए और वकालत का कार्य आरंभ कर दिया।

भारत लौटने के बाद पंडित नेहरू महात्मा गांधी के विचारों से बहुत प्रभावित हुए। देश की आजादी में अपना योगदान देने के लिए बाल तिलक द्वारा स्थापित होम रूल लीग में 1917 जुड़े।

कुछ समय बाद 1919 में पंडित नेहरू की मुलाकात गांधी जी से हुई जिस समय रोलेट अधिनियम के विरोध में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आंदोलन चलाया जा रहा था। जवाहरलाल नेहरू ने इस आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और अपना योगदान दिया।

ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आंदोलन में  पंडित नेहरू की अहम भूमिका रही है। इसके बाद पूरे देश में जवाहरलाल नेहरू को जाना जाने लगा।

गांधी जी के उपदेशों से प्रभावित होकर जवाहरलाल नेहरू ने अपने पूरे परिवार के साथ ब्रिटिश सरकार के विरोध में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तथा स्वदेशी अपनाने पर अधिक बल दिया तथा पश्चिमी देशों में बने वस्त्र त्याग कर खादी से बने कपड़े और टोपी धारण करने लगे।

अब तक के सभी आंदोलन में पंडित नेहरू प्रत्यक्ष रूप से आगे नहीं आए थे किंतु 1920 से 1922 तक चले असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिए और ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध खूब विरोध किया जिसके लिए उन्हें  जेल भी जाना पड़ा था।

 जवाहरलाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद में नगर निगम के प्रमुख चुने गए जहां उन्होंने 2 वर्ष तक काम किया और 1926 में त्यागपत्र दे दिया।

जवाहरलाल नेहरू की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि 1929 में लाहौर में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष चुन लिए गए।

गांधी जी के नेतृत्व में पंडित नेहरू ने 1930 में ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर लगाए अन्याय पूर्ण कानून के खिलाफ दांडी मार्च में हिस्सा लिया। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन  के बाद 1947 में कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री के पद के लिए चुनाव लड़े।

स्वतंत्र भारत में पहली बार हुए चुनाव में सरदार वल्लभ भाई पटेल को बहुमत मिला था किंतु गांधी जी के कहने पर पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए।

जवाहरलाल नेहरू के कार्य Works of Jawaharlal Nehru in Hindi

भारत को जब ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्रता मिली तो वह कुल 565 देसी रियासतों में बटा हुआ था। अपने कुशल बुद्धि तथा रणनीति से जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और वीपी मेनन के भागीदारी में सभी 565 देसी रियासतों को भारत में विलय कर लिया गया।

भारत के आजाद होने के बाद चीन हमेशा से भारत के सीमा पर अपना अधिकार होने का दावा करता है। चीन ने जब तिब्बत पर कब्जा किया था तो वहां के धर्मगुरु दलाई लामा को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से प्रार्थना करने पर भारत में शरण दी थी।

दलाई लामा को भारत में शरण देने के कारण चीन भारत के सीमा पर भी अपना दावा करने लगा। 1962 में धोखे से चाइना ने अचानक से भारत पर हमला कर दिया और भारत के उत्तर पश्चिम मैं स्थित सीमा से लगने वाले कुछ भाग पर अपना कब्जा कर लिया।

 जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में भारत के इस प्रकार हादसे पूरा देश गुस्से में था और कांग्रेस पार्टी की बहुत अधिक आलोचना हो रही थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू को  भारत का यह जगह होने पर बहुत दुख था। 

निजी जीवन Personal Life of Jawaharlal Nehru in Hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरू एक अच्छे राजनीतिज्ञ की तरह बहुत अच्छे लेखक भी थे। पंडित नेहरू जब भारत आए थे तब 7 फरवरी 1916 में उनका विवाह कमला नेहरू से हुआ था।

कमला नेहरू दिल्ली के एक प्रमुख व्यापारी पंडित ‘जवाहरलालमल’ और राजपति कॉल की पुत्री थी। विवाह के कुछ समय बाद उनकी एक प्यारी सी पुत्री हुई  जिसका नाम इंदिरा रखा गया। इंदिरा गांधी आगे चलकर भारत की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनी।

जवाहरलाल नेहरू को बच्चे बहुत प्रिय लगते थे। उनका मानना था कि यह बच्चे ही आगे चलकर देश का भविष्य निर्धारित करेंगे। इसलिए पंडित नेहरू के जन्म तिथि 14 नवंबर को पूरे भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू पर 10 लाइन Best 10 Lines on Jawaharlal Nehru in Hindi

  • चाचा नेहरू जो स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे उन्होंने देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया
  • पंडित नेहरू का जन्म कश्मीरी पंडित के एक समृद्ध परिवार में हुआ था। 
  • उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू तथा माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था।
  • अपनी पढ़ाई पूरी कर भारत लौटने के बाद नेहरू गांधी जी की विचारधारा से बहुत आकर्षित हुए।
  • पंडित नेहरू के जन्म तिथि 14 नवंबर को पूरे भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 ब्रिटिश भारत के इलाहाबाद जिले में हुआ था।
  • मोतीलाल नेहरू के कुल तीन बच्चे थे जिनमें जवाहरलाल नेहरू इकलौते पुत्र थे।
  • कॉलेज की शिक्षा खत्म करने के बाद उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से कानून की शिक्षा ग्रहण की
  • 1919 में पंडित नेहरू की मुलाकात गांधी जी से हुई जिस समय रोलेट अधिनियम के  विरोध में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आंदोलन चलाया जा रहा था।
  • तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से प्रार्थना करने पर भारत में शरण दी थी।

मृत्यु Death

जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु के सम्बन्ध में बहुत लोगों के अलग अलग तर्क हैं लेकिन जो बात भारतीय कांग्रेस पार्टी द्वारा कही जाती है वह यह है की जवाहर लाल चीन द्वारा मिले धोखे के बाद विरोधियों के निशाने पर आ चुके थे।

उसके बाद वे काफी बीमार रहने लगे थे और एक बार 26 मई 1964 की अगली सुबह नेहरु की पीठ में लगातार दर्द होना शुरू हो गया और उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

जब तक उन्हें डॉक्टर देख पाते तब तक उनके प्राण निकल चुके थे 27 मई 1964 की दोपहर को लोकसभा ने यह ऐलान किया की नेहरु अब नहीं रहे। 

मृत्य के कारण में हार्ट अटैक बताया गया लेकिन कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है की नेहरु की मौत की असली रिपोर्ट को छुपाया गया। 

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने जवाहरलाल नेहरु पर निबंध हिंदी में (Jawaharlal Nehru Essay in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपके लिए मददगार साबित हो। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें। 

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जवाहर लाल नेहरु पर निबंध – Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को उनकी दूरदर्शी सोच और प्रभावशाली व्यक्तित्व की वजह से आधुनिक भारत का शिल्पकार माना जाता है। उन्होंने न सिर्फ भारत की मजबूत नींव का निर्माण किया, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के एक यशस्वी योद्धा के रुप में भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी दिलवाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिय।

नेहरू जी ने अपने कुशल और प्रभावशाली व्यक्तित्व का प्रभाव हर किसी पर छोड़ा है। वहीं नेहरू जी बच्चों से अत्याधिक प्यार करते थे, जिसकी वजह से उनके जन्मदिन को बालदिवस के रुप में मनाया जाता है।

पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रभावशाली जीवन को समझने, उनके द्धारा किए गए संघर्षों से प्रेरणा लेने और उनके विचारों को अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से आजकल स्कूल / कॉलेजों में आयोजित निबंध लेखन प्रतियोगिताओं अथवा परीक्षाओं में पंडित नेहरू जी के विषय पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है।

इसलिए आज हम आपको अपने इस पोस्ट में अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते है –

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

जवाहर लाल नेहरु पर निबंध – Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

भूमिका

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू एक दूरगामी सोच वाले बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्तित्व थे, जिन्होंने देश के बुनियादी ढांचे को बनाने में अपना महत्पूर्ण योगदान दिया और कई सालों तक अंग्रजों की गुलामी और अत्याचार सह रहे भारत देश को आजाद करवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यही नहीं राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन वे कभी अपने इरादे से पीछे नहीं हटे और सच्चे दृढ़संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहे और अपने आजाद भारत का सपना पूरा किया।

पंडित नेहरू, भारत के एक सच्चे और महान देशभक्त होने के साथ-साथ एक प्रख्यात दार्शनिक, मशहूर इतिहासकार, सुविख्यात कानूनविद और राजनायिक भी थे। इसके अलावा उन्होंने अपनी पहचान एक महान लेखक के रुप में भी बनाई थी।

इसके साथ ही उन्होंने अपने दूरगामी और महान विचारों से आधुनिक और विकसित भारत के बीज बोए थे। इसलिए उन्हें एक समाजवादी, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणतंत्र के वास्तुकार भी माना जाता है।

नेहरू जी का प्रारंभिक जीवन – Jawaharlal Nehru Information

आदर्शवादी छवि के महानायक और राष्ट्रनेता जवाहर लाल नेहरू ने 14 नवंबर, साल 1889 में इलाहाबाद के एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में जन्म लिया था। वहीं चाचा नेहरू का बच्चों से अत्याधिक स्नेह और प्यार होने की वजह से उनके जन्मदिवस को बालदिवस के रुप में भी मनाया जाता हैं।

पंडित नेहरू जी, महान स्वतंत्रता सेनानी , समाजसेवी और मशहूर वकील मोतीलाल नेहरू और स्वरुप रानी की सबसे बड़ी संतान के रुप में पैदा हुए थे। पंडित नेहरू जी बचपन से ही बाकी बच्चों से अलग थे और आसाधारण प्रतिभा वाले ओजस्वी महापुरुष थे, जो कि बाद में आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री के साथ एक सर्वश्रेष्ठ राजनेता, दूरगामी सोच वाले लेखक और आधुनिक भारत के निर्माता बने। जिनके कहना था कि –

“नागरिकता देश की सेवा में निहित होती हैं।”

वकील के रुप में नेहरू जी –

अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद जवाहर लाल नेहरू ने लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज में लॉ में एडमिशन लिया। इसके बाद उन्होनें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। वहीं 1912 में वे भारत लौटे और वकालत शुरु की, लेकिन वे ज्यादा दिन तक वकालत नहीं कर सके।

क्योकिं उनके अंदर देश प्रेम की भावना निहित थी और वे अंग्रेजों के अत्याचार और दमनकारी नीतियों और गुलामी की बेड़ियों से भारत देश को आजाद करवाना चाहते थे। वहीं जलियांवाला हत्याकांड ने उन पर गहरा प्रभावा डाला था।

जिसके बाद वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े और महात्मा गांधी जी के नेतृत्व वाले अहिंसात्मक आंदोलन में सक्रिय रुप से शामिल हो गए। और इसके बाद उन्होंने पूरी तरह से खुद को देश की सेवा में समर्पित कर दिया।

नेहरू जी का प्रेरणादायक व्यक्तित्व –

जवाहर लाल नेहरू जी आदर्शों पर चलने वाले एक सैद्धान्तिक और नैतिकवादी छवि वाले महानायक थे, जिन्हें खुद पर पूर्ण भरोसा था, वहीं वे जिस काम को करने के बारे में सोचते थे, उसको पूरा करके ही छोड़ते थे।

उनके ह्रद्य में राष्ट्र प्रेम और देश की सेवा करने की भावना समाहित थी। नेहरू जी के जीवन का एकमात्र लक्ष्य भारत को उन्नति की पथ पर ले जाना और भारत को लोकतांत्रिक, आर्थिक और प्रौद्योगिकी रुप से संपन्न राष्ट्र बनाना था।

अपनी दूरगामी सोच और महान विचारों के चलते ही नेहरू जी ने अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल में एक मजबूत भारत की नींव रखी, आज उसी का नतीजा है कि भारत की गिनती आर्थिक रुप से मजबूत, विकसित और शक्तिशाली राष्ट्रों में होने लगी है।

नेहरू जी ने अपने यशस्वी, ओजस्वी और प्रभावशाली और प्रेरणादायक व्यक्तित्व का प्रभाव हर किसी पर छोड़ा है, इसलिए आज भी लोग उनको अपना आदर्श मानकर उनके महान विचारों का अनुसरण करते हैं और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ते हैं।

उपसंहार

भारत के पहले प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के महानायक पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने जिस तरह अपने दूरदर्शी सोच, कठोर प्रयास और संघर्षों के बाद भारत को शक्तिशाली और मजबूत राष्ट्र बनानें में अपने अपूर्व योगदान दिया, उससे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं हम सभी को उनके आदर्शों पर चलकर भारत के विकास में अपना सहयोग देना चाहिए।

जवाहर लाल नेहरु पर निबंध – Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

प्रस्तावना-

14 नवंबर 1889 इलाहाबाद में जन्में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, भारतीय राजनीति का एक चमकता सितारा थे, जिन्होंने अपनी कुशल राजनीति से भारत की नींव मजबूत करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इसके साथ ही अपने कठोर प्रयास और तमाम संघर्षों के बाद गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राजनैतिक करियर और राष्ट्रीय आंदोलन में नेहरू जी की भागीदारी:

जवाहर लाल नेहरु साल 1912 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए। इसके बाद वे गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन से काफी प्रभावित हुए और फिर बाद में साल 1920-1922 के दौरान वे महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन का हिस्सा बन गए। हालांकि इस आंदोलने के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा।

आपको बता दें कि नेहरू जी कांग्रेस के 6 बार अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। वहीं साल 1942 में वे भारत की आजादी के लिए महात्मा गांधी द्धारा चलाए गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का हिस्सा बने।

और इस दौरान उन्हें ब्रिटिश पुलिस द्धारा गिरफ्तार कर लिया गया, करीब 3 साल के लंबे समय तक वे अहमदनगर के जेल में रहे। इस दौरान अपनी सबसे प्रसिद्ध किताब “डिस्कवरी ऑफ इंडिया” लिखी। इस किताब में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान अपनी भारत यात्रा के अनुभवों के साथ-साथ भारत की संस्कृति, धर्म और भारत की आजादी के लिए संघर्ष के बारे में बखान किया है।

आपको बता दें कि नेहरू जी का राजनैतिक करियर और स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेना काफी संघर्षपूर्ण रहा, नेहरू जी को अपने जीवन में करीब 9 बार जेल जाना पड़ा।

स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रुप में नेहरू जी:

साल 1947 में जब भारत गुलामी की बेडि़यों से आजाद हुआ, तब लोकतंत्रात्मक भारत के निर्माण के लिए देश में पहली बार प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ, जिसमें कांग्रेस के सरदार वल्लभई पटेल और आचार्य कृपलानी को सबसे ज्यादा वोट मिले लेकिन, महात्मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और फिर पंडित जवाहर लाल नेहरू को देश को पहला प्रधानमंत्री चुना गया।

इसके बाद लगातार 3 बार वे प्रधानमंत्री बने, इस पद पर रहते रहते हुए उन्होंने आधुनिक भारत की भावी सोच के साथ एक मजबूत भारत की नींव रखी, भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की और विज्ञान और प्रोद्योगिकी के विकास को भी प्रोत्साहित किया।

इसके अलावा पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कांगो समझौते, कोरियाई युद्ध और स्वेज नहर विवाद सुलझाने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और 27 मई साल 1964 को प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए ही उनकी मौत हो गई।

उपसंहार-

पंडित नेहरू जी के प्रेरणादायक और प्रभावशाली व्यक्ति से हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। इसके साथ ही हम सभी को उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए, तभी हम भारत को आर्थिक रुप से मजबूत और सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाने में अपना सहयोग कर सकेंगे।

जवाहर लाल नेहरु पर निबंध – Jawaharlal Nehru par Nibandh

पंडित जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी जी को अपना आदर्श मानते थे। भारत देश को आजाद करने के लिए गांधी जी के शांतिप्रिय आंदोलनो ने उन पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ा था, जिसके चलते नेहरू जी ने खुद को पूरी तरह से राष्ट्र के प्रति समर्पित कर दिया था और बाद में उन्हें देश के प्रथम प्रधानमंत्री बनने का भी गौरव हासिल हुआ था।

नेहरू जी और महात्मा गांधी जी की मित्रता:

भारत रत्न से सम्मानित पंडित नेहरू साल 1916 में कांग्रेस की एक मीटिंग के दौरान महात्मा गांधी से मिले, जिसके बाद वे उनके महान विचारों औऱ उनके द्धारा चलाए गए शांतिप्रय आंदोलन से काफी प्रभावित हुए और फिर वे महात्मा गांधी जी के करीब आते चले गए औऱ बाद में दोनों के बीच काफी अच्छे परिवारिक संबंध बन गए थे।

दोनों के बीच गहरी मित्रता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महात्मा गांधी के कहने पंडित नेहरू को देश का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया था, जबकि सरदार वल्लभ भाई पटेल और आचार्य कृपलानी में से किसी एक को प्रधानमंत्री बनाया जाना तय किया गया था।

हालांकि नेहरू जी और गांधी जी की विचारधारा पूरी तरह मेल नहीं खाती थी, दरअसल नेहरू जी आधुनिक विचारधारा वाले महापुरुष थे और महात्मा गांधी प्राचीन भारत के धार्मिक और पारंपरिक सोच वाले महानायक थे।

पंडित नेहरु जी ने विदेश नीति के माध्यम से किया भारत का उत्थान:

भारत को एक विकसित, समृद्ध और अर्थव्यवस्था से मजबूत राष्ट्र बनाने में नेहरू जी का सबसे बड़ा योगदान है। उन्होंने भारत के कल्याण के लिए विदेश नीति के माध्यम से दुनिया के छोटे-बड़े सभी राष्ट्रों से अच्छे संबंध स्थापित किए और दुनिया के सभी गुटों से सहयोग लेकर गुट निरपेक्ष आंदोलन की नींव डाली थी, और भारत को विदेश नीति में पूरी दुनिया के सामने एक नायक के रुप में दिखाया।

एक प्रभावशाली लेखक के तौर पर पंडित नेहरू:

पंडित जवाहर लाल नेहरू राष्ट्र के महानायक, एक प्रभावशाली वक्ता और आधुनिक भारत के निर्माता होने के साथ-साथ एक कुशल लेखक भी थे। जिन्होंने अपनी दूरगामी सोच और महान विचारों के माध्यम से कई ऐसी रचनाएं लिखी, जिनका लोगों पर गहरा असर पड़ा था।

आपको बता दें कि उन्होंने अपनी कई महत्वपूर्ण किताबों की रचना जेल में ही थी। साल 1944 में उन्होंने अपनी सबसे मशहूर और लोकप्रिय किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया की रचना की। जिसमें उन्होंने आजादी के लिए भारत के संघर्ष, भारत की संस्कृति परंपरा आदि का बेहद सजीव तरीके से वर्णन किया किया है।

साल 1936 में उनकी आत्मकथा प्रकाशित की गई। ‘भारत और विश्व’, ‘भारत की एकता और स्वतंत्रता’, ‘विश्व इतिहास एक झलक’ आदि नेहरू जी की प्रमुख रचनाएं थी।

आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु जी ने अपने ओजस्वी विचारों और दूरदर्शी सोच से आधुनिक भारत के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया, उनकी आधुनिक विचारधारा की बदौलत ही हम सभी आज आधुनिक तकनीकों से लैस और आर्थिक रुप से मजबूत भारत में रह रहे हैं।

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प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय

» पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय «

नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू
जन्म तिथि 14 नवम्बर 1889
जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में
पिता का नाम श्रीमान मोतीलाल नेहरू
माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी नेहरू
पत्नी कमला नेहरू (सन् 1916)
बच्चे श्रीमती इंदिरा गांधी जी
मृत्यु 27 मई 1964 (नई दिल्ली)
मृत्यु का कारण दिल का दौरा
पुरस्कार भारत रत्न (सन् 1955)

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प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय

14 नवम्बर 1889 नेहरू जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पिता मोतीलाल नेहरू और माता स्वरूप रानी नेहरू थे। इनके पिता जी मशहुर बैरिस्टर और समाजवादी थे।

नेहरू जी इकलौते बेटे थे और तीन बहने भी थी। उन्होंने देश-विदेश के नामी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त की थी और इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून शास्त्र में पारंगत हुए।

7 वर्ष इंग्लैंड में रहकर फैबियन समाजवाद एवं आयरिश राष्ट्रवाद की जानकारी विकसित की।

नेहरू जी भारत के सबसे पहले प्रधानमंत्री थे। उनके जन्मदिन को ही बाल दिवस के रूप में देशभर में मनाया जाता है । जवाहरलाल नेहरू जी का जीवन भी अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तरह रहा है।

कहां जाता है कि उन्हें बच्चों से बहुत प्यार था। जिस कारण बच्चे उन्हें प्यार से चाचा जी कहा करते थे। महात्मा गांधी जी उन्हें अपना शिष्य मानते थे। जवाहर लाल जी के अंदर अपने देश के लिए बहुत प्रेम था।

Biography of Jawaharlal Nehru in Hindi

Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

जवाहर लाल जी को पंडित क्यों कहा जाता था?

कश्मीरी पंडित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से वे पंडित नेहरू कहलाये जाते थे।

सन् 1941 में जवाहर लाल जी को स्वतंत्र भारत का प्रधानमंत्री बनने का प्रश्न सुलझ चुका था, वे भारत के सपनों को साकार करने के लिए चल पड़े और भारत के अधिनियम लागू होने के बाद उन्होंने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के लिए योजना बनाने लगे।

उन्होंने बहुवचनी दलीय को बनाए रखा और अंग्रेजी शासन से भारत को एक गणराज्य देश बना दिया। उन्होंने विदेश नीति में भारत को दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय नायक के रूप में दिखाया और गैर-निरपेक्ष आन्दोलन में सबसे आगे रहे।

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नेहरू के शासन में कांग्रेस पार्टी 1951, 1957, 1962 के चुनाव लगातार जीतते रहे और 1962 के चीनी-भारत युद्ध में उनके नेतृत्व को असफलता मिली।

Pandit Jawaharlal Nehru History in Hindi

  • सन्-1912: नेहरू जी भारत वापस आए और वकालत शुरू।
  • सन्-1916:  नेहरू जी की शादी “कमला नेहरू” जी के साथ हुई।
  • सन्-1917:   “होमरूल लीग” शामिल हुए।
  • सन्-1919: “ महात्मा गांधी “ जी से मिले और राजनीति में अपना योगदान दिया। जिस समय महात्मा गांधी जी ने रॉलेट एक्ट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था।
  • सन्-(1920-1922): जवाहर लाल नेहरू ने भी असहयोग आन्दोलन में सहयोग दिया और गिरफ्तार भी हुए और कुछ दिनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।
  • सन्-1924:   “इलाहाबाद” के अध्यक्ष चुने गये और 2 साल तक कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम किया। 1926 में ब्रिटिश अधिकारियों से सहायता न मिलने पर इस्तीफा दे दिया।
  • सन्-(1926-1928): जवाहर लाल नेहरू ने अखिल भारतीय कांग्रेस के नेता के रूप में कार्य किया।
  • सन्-(1928- 1929): मोतीलाल की अध्यक्षता में कांग्रेस का वार्षिक सत्र का आयोजन किया और तभी जवाहर लाल नेहरू और सुभाष चन्द्र बोस ने पूर्ण राजनीतिक की स्वतंत्रता की मांग की जबकि मोतीलाल नेहरू और अन्य नेताओं ने ब्रिटिश साम्राज्य के अन्दर ही संपन्न राज्य का दर्जा पाने की मांग की।

इन दोनों के बीच की बहस को गांधी जी ने हल निकालने के लिए कहा की ब्रिटेन को भारत के राज्य का दर्जा देने के लिए दो साल का समय दिया जायेगा और यदि ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करेगी।

नेहरू और बोस ने मांग की, कि इस समय को कम करके एक साल का कर दिया जाये जिस पर ब्रिटिश सरकार का कोई फैसला नहीं आया।

  • सन्-1929: दिसम्बर के महीने में कांग्रेस के अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू जी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। तभी पूर्ण स्वराज की मांग भी की गयी थी। ये अधिवेशन लाहौर में हुआ था ।
  • 26 जनवरी 1930: जवाहर लाल नेहरू ने लाहौर में स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया था। गांधी जी ने तभी 1930 में सविनय अवज्ञा नमक आन्दोलन की शुरुआत की ओर वो इतना सफल हुआ की ब्रिटिश को एक महत्वपूर्ण निर्णय के लिये मजबूर होना पड़ा।
  • सन्-1935 में: ब्रिटिश सरकार ने अधिनियम लागू करने का प्रस्ताव सामने रखा तो कांग्रेस ने चुनाव लड़ना ही सही समझा, नेहरू ने चुनाव के दौरान पार्टी का समर्थन चुनाव से बाहर रह कर ही किया। कांग्रेस हर प्रदेश में छा गयी और सबसे अधिक जगहों पर जीत हासिल की।
  • सन्-1936-1937: नेहरू जी को कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
  • सन्-1942: गांधी जी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आन्दोलन हुआ जिसमें जवाहर लाल नेहरू जी को जेल भी हुई और जिसके बाद उन्हें 1945 में जेल के बाहर आये।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे?

Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

सन् 1947 में भारत को आजादी मिल गयी थी। तब बात ये हुई की प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार पटेल को सबसे ज्यादा मतदान मिले और उनके बाद सबसे ज्यादा मत आचार्य कृपलानी को मिले लेकिन गांधी जी के कहने पर सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहर लाल नेहरू जी को प्रधान मंत्री बनने दिया।

अंग्रेजों ने 500 देशी रियासतों को रिहा किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके आगे सबसे बड़ी परेशानी आ गयी थी की आजाद लोगों को एक झंडे के सामने लाना और उन्होंने भारत को दोबारा बनाया और आगे आने वाली हर समस्या का सामना समझदारी के साथ किया।

जवाहर लाल नेहरू ने आधुनिक भारत के निर्माण में योगदान दिया। उन्होंने विज्ञान और प्रोद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया। साथ में तीन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया।

उनके कारण व उनके निर्णयों व उनकी नीतियों की वजह से देश में कृषि व उद्योग की लहर आ गयी। नेहरू जी ने विदेशी नीति में एक अपनी भूमिका निभाई।

नेहरु जी ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशवाद को खत्म करने के लिए जोसिप ब्रोज़ टिटो और अब्दुल गमाल नासिर के साथ मिलकर एक गुट निरपेक्ष आन्दोलन की रचना की। उन्होंने अपना योगदान कोरियाई युद्ध का अंत करने, स्वेज नहर विवाद सुलझाने और कांगो समझौते को अन्य समस्याओं को सुलझाने में दिया।

जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार

पंडित जवाहर लाल नेहरू को वर्ष 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु कब और कैसे हुई?

Jawaharlal Nehru and Gandhiji

»नेहरू जी ने पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के रिश्तों को सुलझाने की भी कोशिश की मगर असफल रहे।

»पाकिस्तान कहता है कि कश्मीर हमारा है और जब चीन से दोस्ती की बात करो तो वो सीमा विवाद आगे कर देता है। जिस कारण नेहरू जी ने एक बार चीन से मित्रता के लिए हाथ भी बढ़ाया लेकिन 1962 में चीन ने मौके का फायदा उठा कर धोखे से आक्रमण कर दिया।

»नेहरू जी को इस बात का बहुत बड़ा झटका लगा और लोगों का कहाँ था की हो सकता है इस झटके के कारण ही उनकी मृत्यु हुई हो।

»27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू को दिल का दौरा पड़ा जिसमें उनकी मृत्यु हो गई।

जवाहरलाल नेहरू के नाम सड़कें, स्कूल, यूनिवर्सिटी और हॉस्पिटल क्यों बनाये गए?

Jawaharlal Nehru Original Photo

उनकी मृत्यु होने से भारत को बहुत बड़ी चोट पहुंची थी। जवाहरलाल नेहरू जी सबके लोकप्रिय थे उन्होंने देश के लिए जो भी किया वो बहुत ही कीमती था उन्हें भुलाया नहीं जा सकता था।

जिस कारण उनकी याद में देश के महान नेताओं ने व स्वतंत्रता सेनानियों ने उन्हें हर पल याद रखने के लिए सड़के मार्ग, जवाहर लाल नेहरू स्कूल, जवाहर लाल नेहरु टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरु कैंसर हॉस्पिटल आदि को बनाने की शुरुआत की गयी।

Pandit Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

(जवाहर लाल नेहरू जी पर आलोचना – श्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय)

पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु कब और कैसे हुई

गांधी जी ने जब सरदार वल्लभ भाई पटेल की जगह जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया तो बहुत लोगों में क्रोध जाग उठा।

बहुत लोगों का ये सोचना था की नेहरू जी ने अन्य भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की तुलना में योगदान कम दिया था और फिर भी गांधी जी ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया और तो और जब कांग्रेस के अध्यक्ष बनने की बात आजादी से पहले हुई थी तो ये कहा गया था की जो भी कांग्रेस का अध्यक्ष बनेगा वही आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री बनेगा।

तब भी गांधी जी ने प्रदेश कांग्रेस समितियों के प्रस्ताव अनदेखा करते हुए बातों को न मानते हुए नेहरू जी को अध्यक्ष बनाने की कोशिशें की।

नेहरू के प्रधानमंत्री बनने पर लोगों ने कहा की गांधी जी ने नेहरू को प्रधानमंत्री बनवाया है और जरूर गांधी जी उनसे वो काम करवा पाएंगे जिन्हें वो खुद करना चाहते थे और कर न सके लेकिन सच्चाई ये नहीं थी।

ये बात किसी और ने नहीं बल्कि उनके साथ एक टीम के तौर पे काम करने वाले जयप्रकाश नारायण जी 1978 में आई किताब “गाँधी टुडे” में कहा था.

जयप्रकाश, नेहरू के काफी नजदीक थे और उनके मित्र भी थे और उनकी कही बातों पर विश्वास भी किया जा सकता है। इसके बावजूद भी जयप्रकश ने नेहरू के बनाये मॉडल की कमियों को उजागर किया था।

List of Prime Ministers of India From 1947 To 2020

जवाहरलाल नेहरू
(1889–1964)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 15 अगस्त 1947 से 27 मई 1964
गुलजारीलाल नंदा
(1898–1998)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 27 मई 1964 से 9 जून 1964
लाल बहादुर शास्त्री
(1904–1966)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966
गुलजारीलाल नंदा
(1898–1998)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 11 जनवरी 1966 से 24 जनवरी 1966
इंदिरा गांधी
(1917–1984)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 24 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1977
मोरारजी देसाई
(1896–1995)
जनता पार्टी 24 मार्च 1977 से 28 जुलाई 1979
चरण सिंह
(1902–1987)
जनता पार्टी (सेक्युलर) 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980
इंदिरा गांधी
(1917–1984)

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

14 जनवरी 1980 से 31 अक्टूबर 1984
राजीव गांधी
(1944–1991)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 31 अक्टूबर 1984 से 2 दिसंबर 1989
विश्वनाथ प्रताप सिंह
(1931–2008)
जनता दल 2 दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990
चंद्र शेखर
(1927–2007)
समाजवादी जनता पार्टी 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991
पी वी नरसिम्हा राव
(1921–2004)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 21 जून 1991 से 16 मई 1996
अटल बिहारी वाजपेयी
(1924–2018)
भारतीय जनता पार्टी 16 मई 1996 से 1 जून 1996
एच डी देवगौड़ा
(1933–)
जनता दल 1 जून 1996 से 21 अप्रैल 1997
इंद्र कुमार गुजराल
(1919–2012)
जनता दल 21 अप्रैल 1997 से 19 मार्च 1998

(1924–2018)
भारतीय जनता पार्टी 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004
मनमोहन सिंह
(1932–)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 22 मई 2004 से 26 मई 2014
नरेंद्र दामोदरदास मोदी
(1950–)
भारतीय जनता पार्टी 26 मई 2014 से (अभी भी पद पर है)

10 Lines on Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध:  पंडित जवाहर लाल नेहरू (14 नवंबर 1889-27 मई 1964)

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका जन्मदिन प्रत्येक वर्ष बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था, जो एक धनाढ्य परिवार के थे और माता का नाम स्वरूपरानी था। उनके पिता पेशे से वकील थे।

जवाहरलाल नेहरू उनके इकलौते पुत्र थे और 3 पुत्रियां थी। नेहरू जी को बच्चों से बड़ा स्नेह और लगाव था और वे बच्चों को देश का भावी निर्माता मानते थे।

जवाहरलाल नेहरू को दुनिया के बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से पूरी की थी।

उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। हैरो और कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर 1912 में नेहरू जी ने बार-एट-लॉ की उपाधि ग्रहण की और वे बार में बुलाए गए।

जवाहर लाल नेहरू शुरू से ही गांधी जी से प्रभावित रहे और 1912 में कांग्रेस से जुड़े। 1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चे को संगठित करने का श्रेय उन्हीं को जाता है।

1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू घायल हुए और 1930 के नमक आंदोलन में गिरफ्तार भी हुए। उन्होंने 6 माह जेल काटी।

1935 में अल्मोड़ा जेल में “आत्मकथा” लिखी। उन्होंने कुल 9 बार जेल यात्राएं कीं। उन्होंने विश्वभ्रमण किया और अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में पहचाने गए।

सन् 1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार वल्लभभाई पटेल और आचार्य कृपलानी को सर्वाधिक मत मिले थे। किंतु महात्मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया।

पंडित जवाहरलाल नेहरू 1947 में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। आजादी के पहले गठित अंतरिम सरकार में और आजादी के बाद 1947 में भारत के प्रधानमंत्री बने और 27 मई 1964 को उनके निधन तक इस पद पर बने रहे।

नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। उन्होंने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढ़ाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया।

चीन का आक्रमण जवाहरलाल नेहरू के लिए एक बड़ा झटका था और शायद इसी वजह से उनकी मौत भी हुई। जवाहरलाल नेहरू को 27 मई 1964 को दिल का दौरा पडा़ जिसमें उनकी मृत्यु हो गई।

“स्वाधीनता और स्वाधीनता की लड़ाई को चलाने के लिए की जाने वाली कार्रवाई का खास प्रस्ताव तो करीब-करीब एकमत से पास हो गया। …खास प्रस्ताव इत्तफाक से 31 दिसंबर की आधी रात के घंटे की चोट के साथ, जबकि पिछला साल गुजरकर उसकी जगह नया साल आ रहा था, मंजूर हुआ।” -लाहौर अधिवेशन में स्वतंत्रता प्रस्ताव पारित होने के बारे में नेहरू की “मेरी कहानी” से।

Pandit Jawaharlal Nehru Speech in Hindi

  • जवाहरलाल नेहरू पर भाषण

आप सभी को मेरा नमस्कार, मैं आज आपको जवाहर लाल नेहरू के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने जा रहा/रही हूं और उम्मीद करता/करती हूं की यह आप सबको अवश्य पसंद आएगा।

पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म 14 नवम्बर सन् 1889 को इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। उस समय भारत पर ब्रिटीशियों का राज था और तब भारत गुलाम था। उनके पिता का नाम श्री मोतीलाल नेहरू और माता का श्रीमती स्वरूपरानी थुस्सू था। वे एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे।

उन्होने कैम्ब्रिज, लंदन के ट्रिनिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे भारत आ गये और भारत के स्वतंत्रता की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जिसके लिए उन्हे कई बार जेल भी जाना पड़ा।

देश को आजाद कराने में उनकी बहुत अहम भूमिका रही थी। उन्हें छोटे बच्चों से बहुत लगाव था और बच्चे प्यार से उन्हे चाचा नेहरू बुलाते थे और इसलिये उनके जन्मदिन ‘14 नवम्बर’ को बाल दिवस के रूप में भी मनाते हैं।

जैल के दौरान नेहरू जी ने “भारत की खोज” नमक पुस्तक भी लिखी थी जिसे दुनिया भरा में बहुत ही प्रतिष्ठा मिली है|

नेहरू जी को बहुत ही अच्छा प्रधानमंत्री कहा जाता है। इनका विवाह “कमला कौल” से हुआ था और इनकी पुत्री का नाम इंदिरा गांधी (पूर्व प्रधानमंत्री) था। वे एक बहुत अच्छे लेखक भी थे। इनकी कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं, मेरी कहानी, विश्व इतिहास की झलक, भारत की खोज हिन्दुस्तान की कहानी आदि।

इन्हे बच्चों से बहुत लगाव था, इसलिये इनके जन्म दिवस को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

जवाहर लाल नेहरू एक महान शख्सियत के साथ एक महान व्यक्ति भी थे और उनके भारतीय इतिहास में अपने अतुल्य योगदान के लिये भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है और इन्हे आज भी याद किया जाता है।

FAQs on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

Question. Who is the first prime minister of India to be born after independence?

Answer. नरेंद्र मोदी (17 सितंबर 1950) भारत के स्वतंत्रता के बाद पैदा होने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। अन्य सभी पूर्व प्रधान मंत्री भारत की स्वतंत्रता से पहले पैदा हुए थे।

Question. Who is the first prime minister of India?

Answer. जवाहरलाल नेहरू

Question. Pandit Jawaharlal Nehru Wife Name

Answer. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पत्नी का नाम “कमला कौल” था।

Question. Pandit Jawaharlal Nehru Birthday

Answer. पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म 14 नवम्बर सन् 1889 को हुआ था।

Question. When was born Pandit Jawaharlal Nehru?

Answer. इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था।

Question. What is Nehru famous for?

Answer. जवाहर लाल नेहरू एक महान शख्सियत के साथ एक महान व्यक्ति भी थे और उनके भारतीय इतिहास में अपने अतुल्य योगदान के लिये भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है। नेहरू जी का भारत की आजादी में बहुत ही बड़ा योगदान था उन्होने प्रधानमंत्री बन कर भारत की सेवा भी की थी।

Question. How did Pandit Nehru die?

Answer. नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। पाकिस्तान के साथ एक समझौते तक पहुंचने में कश्मीर मुद्दा और चीन के साथ मित्रता में सीमा विवाद रास्ते के पत्थर साबित हुए।

नेहरू ने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया। नेहरू के लिए यह एक बड़ा झटका था और शायद / किंचित उनकी मौत भी इसी कारण हुई। 27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू को दिल का दौरा पड़ा जिसमें उनकी मृत्यु हो गयी।

Question. Is Nehru a Brahmin?

Answer. नेहरू जी कश्मीरी पंडित थे।

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय का यह लेख यही समाप्त होता है।  पंडित जवाहर लाल नेहरु की जीवनी को पढ़ने के लिए धन्यवाद

अगर आपको इस विषय से सम्बन्धित या जवाहरलाल नेहरू जीवनी (चाचा नेहरू) के विषय में कुछ बोलना है तो आप कमेंट के माध्यम से बोल सकते हो। अथवा इस लेख को आप फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप्प पर शेयर भी कर सकते हो।

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पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध, लेख

Essay on jawaharlal nehru in hindi-जवाहरलाल नेहरू पर निबंध.

देश की स्वाधीनता संग्राम से लेकर आधुनिक भारत के निर्माताओं में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रत्येक देशवासी सादर पूर्वक प्यार याद करते हैं पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम शांति के अग्रदूत और अहिंसा के संवाहक के रूप में भी विश्व के महान व्यक्तियों के साथ लिया जाता है इनका जन्म 14 नवंबर 1889 ई. में इलाहाबाद में हुआ था।इनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू पूरे भारत के सर्वश्रेष्ठ और विश्व के इने-गिने प्रतिभाशाली और सम्मानित बैरिस्टरों में से एक थे।

एक अत्यधिक संपन्न परिवार के होने के कारण पंडित जवाहरलाल नेहरु को किसी वस्तु का कोई अभाव नहीं हुआ उनकी माता श्रीमती स्वरूपा रानी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी इनके पिताजी की असाधारण बुद्धि प्रतिभा और तेज का एवं माता की धार्मिक प्रवृत्ति का पंडित जवाहरलाल नेहरू पर गहरा असर पड़ा

पंडित जवाहर लाल नेहरू की आरंभिक शिक्षा अत्यधिक संपन्न व्यवस्था में घर पर ही हुई पढ़ाने के लिए एक अंग्रेज शिक्षक की व्यवस्था की गई थी उन्होंने बालक के मन में विज्ञान के प्रति अभिरुचि उत्पन्न कर दी आरंभिक शिक्षा समाप्त करके यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए सन 1905 में इंग्लैंड गए।उस समय इनकी आयु लगभग 15 वर्ष की थी।इंग्लैंड में रहकर इन्होंने विज्ञान और कानून की उच्च शिक्षा प्राप्त की ।वहां रहते हुए और दूसरे विषयों से संबंधित गर्न्थो का विस्तार पूर्वक अध्ययन किया। इसके साथ ही साथ ये दूसरे देशों में चल रहे स्वाधीनता आंदोलन से भी परिचित होते रहे।इससे ये अ अपने देश की परतंत्रता और अंग्रेजी सत्ता की राजनीति भी बड़ी बारीकी से समझ गए।

इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से इन्होंने बी .ए की परीक्षा उत्तीर्ण की ।इसके बाद उन्होंने बैरिस्टर की भी परीक्षा उत्तीण कर ली।तत्पश्चात सन 1912 ईस्वी .में स्वदेश लौट आए। स्वदेश आकर जवाहरलाल नेहरू ने सन 1912 ईस्वी में ही इलाहाबाद में वकालत करने लगे। उसी वर्ष यह कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में सम्मिलित हुए। सन् 1916 में जब महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौटे, तब उनसे इन्होंने भेंट की। महात्मा गांधी के राजनीतिक प्रभाव को सुन चुके थे। लेकिन उन्हें निकट से नहीं पहचान सके। गांधीजी को देखते ही उन्होंने उनकी शांत प्रकृति और अहिंसक व्यवहार के पीछे जो महान शक्ति छिपी हुई थी, उसे पहचानने में तनिक भी देर नहीं की। इस प्रकार उनके प्रभाव में आकर इन्होने उनके अनन्य अनुयाई और सहयोगी बन गए। सन 1916 ई.में ही इनका विवाह पंडित कमला नेहरू से हो गया।

सन 1914 ई. से सन 1918 ई. तक प्रथम विश्व युद्ध विश्व काल रहा। युद्ध की समाप्ति पर बिट्रिश सत्ता ने अपनी दमन नीति के अंतर्गत “रॉलेट एक्ट”पास करके भारतीयों की स्वतंत्रता प्राप्त करने की भावना को कुचल दिया। इसके विरोध में गांधी जी ने आंदोलन चलाया। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस आंदोलन में अपनी अच्छी भूमिका निभाई।

सन 1919 ई. में अंग्रेजी सत्ता में भारतीयों की स्वतंत्रता प्राप्त करने की भावनाओं को कुचलने के लिए अपनी दमनकारी कदमों को तेजी से बढ़ाया। इसके लिए उन्होंने पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में निहत्थो पर जनरल डायर से गोली चलवा दी।अनेक निर्दोष मौत के घाट उतार दिए गए।इस हत्याकांड से क्षुब्ध होकर महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन छेड़ दिया। तब पंडित जवाहर लाल नेहरु ने अपनी वकालत को तुरंत ही तिलांजली दे दी।फिर अपने तन- मन बुद्धि – प्रतिभा और धन से स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में लग गए।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश को स्वतंत्र करने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देने का दृढ़ संकल्प कर लिया ।इन्होंने अपनी आलीशान जिंदगी को स्वतंत्रता – संग्राम में संघर्षरत होकर झोंकने में किसी प्रकार की आनाकानी नहीं कि। सन 1921 ई. में “प्रिंस ऑफ वेल्स” के भारत आने पर उन्होंने उनका बहिष्कार किया। इसके लिए इनको गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया ।फिर भी जवाहरलाल नेहरू ने अपना दृढ़-व्रत को नहीं तोड़ा। स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष का प्रबल नायक होने के कारण इन्होंने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जवाहरलाल नेहरू ने राजनीतिक गुरु महात्मा गांधी की तरह खादी के कुर्ते और धोती पहनकर शहरों में ही नहीं अपितु गांव में भी स्वतंत्रता का बिगुल फूंकते रहे।

पंडित मोतीलाल भी महात्मा गांधी की असाधारण देशभक्ति से प्रभावित हुए बिना ना रह सके वह अपने सुपुत्र पंडित जवाहरलाल नेहरु की तरह स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में कूद पड़े। उन्होंने भी बेरिस्टरी करनी छोड़ दी ।फिर महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में देश के आजादी के लिए अपनी विदेशी वस्तुओं का परित्याग कर दिया।

देश की आजादी के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू ने महात्मा गांधी के द्वारा दिए गए दिशा बोध के अनुसार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई 31 दिसंबर सन 1930 ईस्वी में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपने कांग्रेस अध्यक्ष के भाषण में पंजाब की रावी नदी के तट पर स्पष्ट रूप से घोषणा कि “हम पूर्ण रूप से स्वाधीन होकर ही रहेंगे “उनकी इस घोषणा से पूरे देश में स्वाधीनता का प्रबल स्वर गूंज उठा। उससे स्वाधिनता-संग्राम का संघर्ष और तेज होकर प्रभवशाली बन गया ।इसके बाद नमक सत्याग्रह में भी इन्होंने अपना पूरा योगदान दिया।

सन 1942 ईस्वी में महात्मा गांधी ने “भारत छोड़ो का आव्हान किया ।पूरा देश इससे प्रभावित हो गया ।इस आंदोलन में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई बार-बार अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के कारण वे अंग्रेजों की आंख की किरकिरी बन गए। इसलिए वह मौका पाते ही उन्हें जेल में बंद कर दिया करते थे। यही नहीं उन्हें कड़ी से कड़ी यातनाएं भी दी जाती थी इससे भी वे आजादी के संघर्ष से तनिक भी विचलित नहीं हुए। अपितु दिनों दिन और दिलेरी और लौह पुरुष बनते गए। फूल की तरह रहने वाले पंडित जवाहरलाल नेहरू काँटो रूपी यातनाओं में किस तरह मुस्कुराते रहें।यह आज भी लोग समझ नहीं पाते हैं।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में हमारा देश पूर्ण रूप से आजाद हो गया ।पंडित जवाहरलाल नेहरु के असीम त्याग तप को देखकर उन्हें देश का पहले प्रधानमंत्री के रूप में मनोनीत किया गया। इनके नेतृत्व में पूरे देश ने अभूतपूर्व उन्नति की। 23 मई सन 1964 ईस्वी को वे हमें इस संसार से छोड़कर चले गए ।लेकिन उनका शांति संदेश इस धरती से भी कभी नहीं जा सकेगा।

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Jawaharlal Nehru Essay in Hindi : पंडित नेहरू पर हिन्दी निबंध

July 30, 2024 by Antesh Singh Leave a Comment

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता, मोतीलाल नेहरू, एक प्रसिद्ध वकील और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जबकि उनकी माता, स्वरूप रानी, एक धार्मिक और करुणामयी महिला थीं।

नेहरू का पालन-पोषण एक संपन्न और प्रभावशाली परिवार में हुआ, जिसने उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हैरो और इटन जैसे प्रतिष्ठित विद्यालयों में प्राप्त की और आगे की शिक्षा के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गए। इसके बाद, उन्होंने लंदन के इनर टेम्पल से कानून की पढ़ाई पूरी की।

कंटेंट की टॉपिक

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

पंडित नेहरू का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान अनमोल था। उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।

नेहरू ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष जेल में बिताए। वे अपने क्रांतिकारी विचारों और अडिग संकल्प के कारण लोगों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय थे। नेहरू ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में युवाओं को बड़ी संख्या में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में

15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद, पंडित नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। उनके नेतृत्व में भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति की। उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत की, जिससे भारत का औद्योगिक और आर्थिक विकास हुआ।

नेहरू का मानना था कि भारत की प्रगति के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का विकास आवश्यक है, इसलिए उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान और शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया। उनके कार्यकाल में कई प्रमुख संस्थानों की स्थापना हुई, जिनमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) शामिल हैं।

नेहरू की विदेश नीति गुटनिरपेक्षता पर आधारित थी। वे चाहते थे कि भारत किसी भी अंतर्राष्ट्रीय शक्ति समूह का हिस्सा न बने और स्वतंत्र रूप से अपनी विदेश नीति बनाए। उन्होंने एशिया और अफ्रीका के नवस्वतंत्र देशों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित किए और अंतर्राष्ट्रीय शांति और सहयोग को बढ़ावा दिया। नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के विचारों को प्रस्तुत किया।

साहित्यिक योगदान

नेहरू न केवल एक महान नेता थे, बल्कि एक लेखक और विचारक भी थे। उनकी रचनाएँ जैसे “भारत की खोज” (The Discovery of India), “मेरी कहानी” (An Autobiography) और “विश्व इतिहास की झलक” (Glimpses of World History) ने भारतीय समाज को गहराई से प्रभावित किया। इन पुस्तकों में उन्होंने भारत के इतिहास, संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न पहलुओं को सरल और प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत किया। नेहरू का लेखन उनके व्यापक ज्ञान और गहन समझ का परिचायक है।

नेहरू का बच्चों से विशेष स्नेह था। वे बच्चों को देश का भविष्य मानते थे और उनके विकास और शिक्षा पर विशेष ध्यान देते थे। नेहरू के जन्मदिन, 14 नवंबर, को भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें बच्चों की प्रतिभा को प्रोत्साहित किया जाता है।

नेहरू के विचार

नेहरू के विचार और उनके सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। उनका मानना था कि धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद और लोकतंत्र भारत की प्रगति के मूल स्तंभ हैं। वे हमेशा समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांतों में विश्वास करते थे। नेहरू का मानना था कि भारत की प्रगति तभी संभव है जब समाज के सभी वर्गों को समान अवसर मिले और देश के संसाधनों का न्यायसंगत वितरण हो।

समाजवाद और औद्योगिकीकरण

नेहरू के नेतृत्व में भारत ने समाजवादी नीतियों को अपनाया, जिससे देश में समाजिक और आर्थिक सुधार हुए। उन्होंने औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की स्थापना की। उनका मानना था कि औद्योगिकीकरण से देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। नेहरू की नीतियों के कारण भारत में कई बड़े उद्योग और कारोबार स्थापित हुए।

शिक्षा और विज्ञान

नेहरू का मानना था कि शिक्षा और विज्ञान देश की प्रगति के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। उन्होंने देश में उच्च शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान के संस्थानों की स्थापना की। नेहरू के प्रयासों से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की स्थापना हुई, जिन्होंने भारतीय छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान की और उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया।

पंडित जवाहरलाल नेहरू भारतीय इतिहास के एक महान नेता थे। उनका योगदान और उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं और हमें प्रेरणा देते हैं। उनका जीवन हमें देशभक्ति, सेवा और निष्ठा की सीख देता है। नेहरू के नेतृत्व और उनके सिद्धांतों के कारण भारत ने स्वतंत्रता के बाद महत्वपूर्ण प्रगति की और एक मजबूत, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में उभरा।

नेहरू का जीवन और उनका कार्य हमें यह सिखाता है कि कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद, अडिग संकल्प और सकारात्मक दृष्टिकोण से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उनका योगदान और उनकी विचारधारा भारतीय समाज के लिए एक अमूल्य धरोहर है, जिसे आने वाली पीढ़ियों को संजोकर रखना चाहिए।

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध | Essay on Jawahar Lal Nehru in Hindi

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध | Essay on Jawahar Lal Nehru in Hindi!

पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को प्रयाग (इलाहाबाद) में हुआ था । इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था । मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील थे । वे काफी संपन्न व्यक्ति थे । बाद में उन्होंने देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया था ।

जवाहर लाल की माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी था । माता-पिता के इकलौते पुत्र होने के कारण बालक जवाहर लाल को घर में काफी लाड़-प्यार मिला । इसकी

प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई । घर पर इन्हें पढ़ाने के लिए एक अंग्रेज शिक्षक को नियुक्त किया गया था । 15 वर्ष की आयु में जवाहर लाल को शिक्षा प्राप्ति के लिए इंग्लैण्ड भेज दिया । वहाँ इन्होंने हैरो स्कूल में, फिर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अध्ययन किया । सन् 1912 ई. में बैरिस्ट्री की परीक्षा उत्तीर्ण कर वे भारत लौट आए । 1915 में जवाहर लाल कमला नेहरू के साथ विवाह-सूत्र में बँध गए ।

स्वदेश लौटने पर नेहरू जी ने वकालत आरंभ की परंतु उसमें उनका चित्त नहीं रहा । भारत की परतंत्रता उनके मन में काँटे की तरह चुभती थी । उन्होंने इंग्लैण्ड का स्वतंत्र वातावरण देखा था, उसकी तुलना में भारत दीन – हीन देश था । यहाँ की दीन दशा के लिए अंग्रेजों की नीति जिम्मेदार थी । उधर पंजाब में हुए जलियाँवाला हत्याकाँड ने उनके मन को झकझोर कर रख दिया । नेहरू जी ने पहले होमरूल आदोलन में भाग लिया, फिर गाँधी जी के नेतृत्व में चल रहे अहिंसात्मक आदोलन में सक्रिय सहयोग देने लगे । राजसी ठाठ-बाट छोड्‌कर खादी का कपड़ा पहना और सत्याग्रही बन गए । असहयोग आदोलन में बढ़-चढ़ कर भागीदारी की । इसके बाद उन्होंने संपूर्ण जीवन देश की सेवा में अर्पित कर दिया । 1920 से लेकर 1944 तक अनेक बार जेलयात्राएँ कीं और यातनाएँ सहीं ।

ADVERTISEMENTS:

सन् 1929 में लाहौर अधिवेशन में जवाहर लाल जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने । नेहरू जी ने इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की माँग की । अपनी कार्य – क्षमता और सूझ-बूझ से उन्होंने कांग्रेस को नई दिशा दी । उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष कई बार बनाया गया । नेहरू जी ने 1942 के भारत छोड़ो आदोलन में सक्रिय भागीदारी की और तीन वर्ष तक कारावास मैं रहे ।

अंतत: 1946 में अंग्रेज सरकार ने भारत का स्वतंत्र करने का निर्णय लिया । 15 अगस्त 1947, के दिन भारत अंग्रेजीं की दा सौ वर्षों की गुलामी को पछाड़ कर स्वतंत्र राष्ट्र बन गया । नेहरू जी स्वतंत्र राष्ट्र के प्रथम प्रधानमंत्री बने । सन् 1952 में पहला आम चुनाव हुआ । इसमें कांग्रेस को जीत मिली और नेहरू जी पुन: प्रधानमंत्री बने । इसके बाद वे आजीवन भारत के प्रघानमंत्री के पद पर रहे ।

जवाहर लाल जी विश्व शांति के पक्षधर थे । उन्होंने चीन के साथ पंचशील के सिद्धांतों के आधार पर मित्रता का संबंध स्थापित किया । परंतु 1962 में चीन ने विश्वासघात कर भारत पर आक्रमण कर दिया । भारतीय सेना इस युद्ध के लिए तैयार नहीं थी । अत: भारत को इस युद्ध में हार का सामना करना पड़ा । इससे नेहरू जी को बहुत दु:ख हुआ । 27 मई, 1964 को उनका देहांत हो गया ।

नेहरू जी ने प्रधानमंत्री के रूप में देश को नई दिशा प्रदान की । उन्होंने भारत में आधुनिक उद्‌योगों की आधारशिला रखी । आज के भारत की औद्‌योगिक उन्नति उनके सुकर्मों का फल ही है । साथ ही उन्होंने किसानों को जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाने के लिए नदी-घाटी परियोजनाओं का आरंभ करवाया । उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा देश के समग्र विकास का प्रयास किया । वे भारत को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने शहरों के विकास के साथ-साथ गाँवों के विकास पर भी पर्याप्त बल दिया ।

नेहरू जी के गुणों को भारत के लोग आज भी याद करते हैं । उन्हें भारत और भारत के लोगों से असीम प्यार था । उन्हें बच्चे तो सबसे अधिक प्यारे थे । इसलिए बच्चे उनके जन्मदिन 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं । यमुना तट पर शान्ति वन में उनकी समाधि बनी हुई है । नेतागण और आम नागरिक यहाँ उन्हें अपने श्रद्धा-सुमन अर्पित करने आते हैं ।

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श्री जवाहर लाल नेहरू

श्री जवाहर लाल नेहरू

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों से प्राप्त की। पंद्रह साल की उम्र में वे इंग्लैंड चले गए और हैरो में दो साल रहने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहाँ से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1912 में भारत लौटने के बाद वे सीधे राजनीति से जुड़ गए। यहाँ तक कि छात्र जीवन के दौरान भी वे विदेशी हुकूमत के अधीन देशों के स्वतंत्रता संघर्ष में रुचि रखते थे। उन्होंने आयरलैंड में हुए सिनफेन आंदोलन में गहरी रुचि ली थी। उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनिवार्य रूप से शामिल होना पड़ा।

1912 में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर सम्मेलन में भाग लिया एवं 1919 में इलाहाबाद के होम रूल लीग के सचिव बने। 1916 में वे महात्मा गांधी से पहली बार मिले जिनसे वे काफी प्रेरित हुए। उन्होंने 1920 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पहले किसान मार्च का आयोजन किया। 1920-22 के असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा।

पंडित नेहरू सितंबर 1923 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने। उन्होंने 1926 में इटली, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड, बेल्जियम, जर्मनी एवं रूस का दौरा किया। बेल्जियम में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक आधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में ब्रुसेल्स में दीन देशों के सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने 1927 में मास्को में अक्तूबर समाजवादी क्रांति की दसवीं वर्षगांठ समारोह में भाग लिया। इससे पहले 1926 में, मद्रास कांग्रेस में कांग्रेस को आजादी के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध करने में नेहरू की एक महत्वपूर्ण भूमिका थी। 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के खिलाफ एक जुलूस का नेतृत्व करते हुए उन पर लाठी चार्ज किया गया था। 29 अगस्त 1928 को उन्होंने सर्वदलीय सम्मेलन में भाग लिया एवं वे उनलोगों में से एक थे जिन्होंने भारतीय संवैधानिक सुधार की नेहरू रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर किये थे। इस रिपोर्ट का नाम उनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू के नाम पर रखा गया था। उसी वर्ष उन्होंने ‘भारतीय स्वतंत्रता लीग’ की स्थापना की एवं इसके महासचिव बने। इस लीग का मूल उद्देश्य भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्णतः अलग करना था।

1929 में पंडित नेहरू भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन के लाहौर सत्र के अध्यक्ष चुने गए जिसका मुख्य लक्ष्य देश के लिए पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था। उन्हें 1930-35 के दौरान नमक सत्याग्रह एवं कांग्रेस के अन्य आंदोलनों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा। उन्होंने 14 फ़रवरी 1935 को अल्मोड़ा जेल में अपनी ‘आत्मकथा’ का लेखन कार्य पूर्ण किया। रिहाई के बाद वे अपनी बीमार पत्नी को देखने के लिए स्विट्जरलैंड गए एवं उन्होंने फरवरी-मार्च, 1936 में लंदन का दौरा किया। उन्होंने जुलाई 1938 में स्पेन का भी दौरा किया जब वहां गृह युद्ध चल रहा था। द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने से कुछ समय पहले वे चीन के दौरे पर भी गए।

पंडित नेहरू ने भारत को युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर करने का विरोध करते हुए व्यक्तिगत सत्याग्रह किया, जिसके कारण 31 अक्टूबर 1940 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें दिसंबर 1941 में अन्य नेताओं के साथ जेल से मुक्त कर दिया गया। 7 अगस्त 1942 को मुंबई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में पंडित नेहरू ने ऐतिहासिक संकल्प ‘भारत छोड़ो’ को कार्यान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया। 8 अगस्त 1942 को उन्हें अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर अहमदनगर किला ले जाया गया। यह अंतिम मौका था जब उन्हें जेल जाना पड़ा एवं इसी बार उन्हें सबसे लंबे समय तक जेल में समय बिताना पड़ा। अपने पूर्ण जीवन में वे नौ बार जेल गए। जनवरी 1945 में अपनी रिहाई के बाद उन्होंने राजद्रोह का आरोप झेल रहे आईएनए के अधिकारियों एवं व्यक्तियों का कानूनी बचाव किया। मार्च 1946 में पंडित नेहरू ने दक्षिण-पूर्व एशिया का दौरा किया। 6 जुलाई 1946 को वे चौथी बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए एवं फिर 1951 से 1954 तक तीन और बार वे इस पद के लिए चुने गए।

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जवाहर लाल नेहरू पर निबंध 2022 -23 Jawaharlal Nehru Essay in Hindi Pdf Download – Jawaharlal Nehru Nibandh

जवाहर लाल नेहरू पर निबंध

पंडित जवाहरलाल नेहरू जयंती 2022:  चाचा नेहरू के नाम से जानें जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश, इलाहबाद में हुआ था | भारत की आज़ादी के बाद वह पहले प्रधानमंत्री बने | इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो की एक प्रख्यात वकील थे | बच्चों से बहुत लगाव होने के कारण ही उन्हें चाहा नेहरू के नाम से सम्बोधित किया गया है | हर साल भारत सरकार द्वारा उनके जन्म दिवस को बाल दिवस और बाल स्वछता दिवस के रूप में मनाया जाता है | आप ये जानकारी हिंदी, इंग्लिश, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के निबंध प्रतियोगिता, कार्यक्रम या निबंध प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

जवाहर लाल नेहरू पर निबंध

भारत में बहुत से महान व्यक्तियों ने जन्म लिया और नेहरु उनमें से एक थे। वो बच्चों को बहुत प्यार करते थे। वो बेहद मेहनती होने के साथ ही शांतिप्रिय स्वाभाव के व्यक्ति भी थे। इनके पिता का नाम मोती लाल नेहरु था और वो अपने समय के प्रसिद्ध वकीलों में थे। पंडित नेहरु का जन्म 14 नवंबर 1889 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में हुआ। नेहरु अपनी महानता और भरोसे के लिये जाने जाते थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा घर से ही पूरी की उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिये वो इंग्लैंड चले गये और वहाँ से भारत लौटने के बाद वो एक वकील बने। गुलाम भारत में वकालत नेहरु को रास नहीं आ रही थी इसलिये वो गाँधी के साथ आजादी के संग्राम में कूद पड़े। उनकी कड़ी मेहनत ने भी भारत की आजादी में अहम किरदार निभाया और वो आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। उनको भारत के प्रसिद्ध आदर्शों के रुप में याद किया जाता है। बच्चों से बेहद लगाव होने के कारण ही उन्हें चाचा नेहरु भी कहा जाता है। बच्चों से इतने प्यार और लगाव की वजह से ही हर साल भारतीय सरकार ने उनके जन्म दिवस के दिन दो कार्यक्रम लागू किया है जिसका नाम है बाल दिवस और बाल स्वच्छता अभियान। भारत में हमेशा बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिये ये कार्यक्रम मनाया जाता है।

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अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है जवाहरलाल नेहरू पर निबंध लिखें | आइये अब हम आपको jawaharlal nehru essay, p.t jawaharlal nehru essay, jawaharlal nehru essay in telugu language, जवाहरलाल नेहरू पर छोटा निबंध, जवाहरलाल नेहरू निबंध हिंदी, short व long essay आदि की जानकारी 100 words, 150 words, 200 words, 400 words में जान सकते हैं |

जवाहर लाल नेहरु एक प्राख्यात वकील मोतीलाल नेहरु के पुत्र थे। इनका जन्म 14 नवंबर 1889 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में हुआ था। नेहरु को लोगों का आर्शीवाद प्राप्त हुआ और वो आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। इनका परिवार राजनीतिक रुप से बेहद प्रभावशाली था जहाँ पर इन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा अर्जित की और उच्च शिक्षा के लिये इंग्लैंड चले गये तथा एक प्रसिद्ध वकील बन कर भारत लौटे। इनके पिता एक जाने-माने वकील थे हालाँकि प्रतिष्ठित नेता के रुप में उनकी राष्ट्रवादी आंदोलनों में भी गहरी रुचि थी। महात्मा गाँधी के साथ आजादी के संग्राम में पंडित जवाहर लाल नेहरु ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और कई बार जेल गये। उनकी कड़ी मेहनत ने उनको इस काबिल बनाया कि वो आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री बने और देश के प्रति सभी जिम्मेदारीयों को निभा सके। 1916 में उन्होंने कमला कौल से शादी की और 1917 में एक प्यारी सी बच्ची के पिता बने जिसका नाम इंदिरा गाँधी था। 1916 में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के एक मीटिंग में वो महात्मा गाँधी से मिले। जलियाँवाला बाग नरसंहार के बाद उन्होंने अंग्रेजों से लड़ाई करने की प्रतिज्ञा ली। अपने कार्यों के लिये आलोचना होने के बावजूद भी वो स्वतंत्रता संघर्ष के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक है। उन्हें भारत के पहले और सबसे लंबी अवधि (1947 से 1964) तक प्रधानमंत्री रहने का गौरव हासिल है। अपने महान कार्यों से देश की सेवा के बाद हृदय घात की वजह से 27 मई 1964 को उनका देहांत हो गया। वो एक अच्छे लेखक भी थे और अपनी आत्मकथा जिसका नाम था आजादी की ओर (1941) सहित उन्होंने कई प्रसिद्ध किताबें भी लिखी थी।

Jawaharlal nehru essay in english

Pandit Jawaharlal Nehru was a great person, leader, politician, writer and speaker. He loved children so much and was a great friend of the poor people. He always understood himself as the true servant of the people of India. He worked hard all through the day and night for making this country a successful country. He became the first Prime Minister of the Independent India and thus called as the architect of modern India. In India, many people born great and Chacha Nehru was one of them. He was the person having great vision, honesty, hard labour, sincerity, patriotism and intellectual powers. He was the giver of a famous slogan as “Aram Haram Hai.” He became the first chairman of the National Planning Commission and two years later he started a National Development Council in order to improve the living standard of the Indian people to make better quality of life. The first Five Year Plan was launched and implemented in 1951 under his guidance. He was very fond of the children so has created many ways for the growth and development of them. Later Children’s Day was declared by the Indian government to be celebrated every year for the wellness of the children on his birthday anniversary. Currently, another programme named Bal Swachhta abhiyan has been launched by the Indian government to be celebrated on his birthday anniversary. He always gave the priority to the improvement of the untouchables, people of weaker sections of society, right of women and children welfare. “Panchayati Raj” system was launched throughout the country in order to take great step in the right direction for the welfare of the Indian people. He publicized the “Panch Sheel” system in order to maintain the international peace and harmony with India and made India as one of the leading countries of the world.

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Pandit Jawaharlal Nehru is counted among the very famous personalities of the India and almost every Indian knows about him very well. He was very fond of the children and loved them much. Children of his time were used to of saying him as Chacha Nehru. He was the most popular national and international figure. He is considered as the maker of modern India because of his hardship during his first prime ministership of India. He became the first and longest serving prime minister of the country from the year 1947 till 1964. He took the responsibility of the India to lead it ahead just after the independence of the country. He was born on 14th of November in 1889 at Allahabad, India to the Motilal Nehru. His father Motilal Nehru was a prominent and successful lawyer and very rich person of that time. He provided the environment to his son as a prince. Pt. Nehru took his earlier study at home in the observation of most efficient teacher. At his 15, he went to the England for higher studies at public school in Harrow and Cambridge University. He completed his degree in the year 1910 and joined law just like his father and truly he became a lawyer later. He started practising his law in the Allahabad High Court after his return to the country. He got married to the Kamala Kaul in the year 1916 at the age of 27 and became the father of Indira. He saw that people of India were treated very badly by the Britishers then he promised to join the freedom movement and fight for India against the Britishers. His patriotic heart did not allow him to sit comfortably and forced him to join the Indian independence movement with the Bapu and finally he joined the Non-cooperation Movement of Mahatma Gandhi. He had to go to the jail several times however did not fed up and continued his fight by suffering all the punishment cheerfully. Finally Indian got independence on 15th of August in 1947 and citizens of India selected him as a first Indian prime minister to lead the country in the right direction. After his selection as the prime minister of India, he had created many ways to progress the country under his guidance. Dr. Rajendra Prasad (the late President) said about him that “The country is marching forward on the road of progress in the leadership of Panditiji”. Serving the country with his hardship, he died on 27th of May in 1964 because of the heart attack.

Jawaharlal nehru essay in gujarati

પ. જવાહરલાલ નેહરુનો જન્મ 14 નવેમ્બર, 1888 ના રોજ અલ્લાહાદમાં થયો હતો. તેમને ખાનગી શિક્ષક તરીકે ઘરે પ્રારંભિક શિક્ષણ મળ્યું હતું. પંદર વર્ષની ઉંમરે, તે ઇંગ્લેન્ડ ગયો અને બે વર્ષ પછી હેરોમાં, કેમ્બ્રિજ યુનિવર્સિટીમાં જોડાયો, જ્યાં તેણે નેચરલ સાયન્સિસમાં તેની ટ્રાયપોઝ લીધી. પાછળથી તેને આંતરિક મંદિરમાંથી બારમાં બોલાવવામાં આવ્યો. તે 1912 માં ભારત પાછો ફર્યો અને સીધા રાજકારણમાં ગયો. એક વિદ્યાર્થી તરીકે પણ, તે વિદેશી પ્રભુત્વ હેઠળ સહન કરનારા તમામ રાષ્ટ્રોના સંઘર્ષમાં રસ ધરાવતો હતો. આયર્લૅન્ડમાં સિન ફીન ચળવળમાં તેમણે રસ દાખવ્યો હતો. ભારતમાં, તે સ્વાભાવિક રીતે સંઘર્ષના સંઘર્ષમાં દોરી ગયો હતો. 1 9 12 માં, તેમણે પ્રતિનિધિ તરીકે બૅન્કીપોર કોંગ્રેસમાં હાજરી આપી અને 1919 માં હોમ રૂલ લીગ, અલ્હાબાદના સેક્રેટરી બન્યા. 1916 માં તેમણે મહાત્મા ગાંધી સાથેની તેમની પહેલી મુલાકાત લીધી અને તેમને ખૂબ પ્રેરણા મળી. તેમણે 1920 માં ઉત્તર પ્રદેશના પ્રતાપગઢ જિલ્લામાં પ્રથમ કિશન માર્ચનું આયોજન કર્યું હતું. 1920-22 ના સહકાર ચળવળના સંદર્ભમાં તેમને બે વખત કેદ કરવામાં આવ્યા હતા. પ. સપ્ટેમ્બર 1923 માં નેહરુ ઓલ ઇન્ડિયા કોંગ્રેસ કમિટીના જનરલ સેક્રેટરી બન્યા. 1926 માં તેમણે ઇટાલી, સ્વિટ્ઝર્લૅન્ડ, ઈંગ્લેન્ડ, બેલ્જિયમ, જર્મની અને રશિયાનો પ્રવાસ કર્યો. બેલ્જિયમમાં, તેમણે બ્રસેલ્સમાં કૉંગ્રેસ ઑફ અમ્પ્રેસ્ડ નેશનલિટીઝ ઇન ઇન્ડિયાના સત્તાવાર પ્રતિનિધિ તરીકે હાજરી આપી. રાષ્ટ્રીય કોંગ્રેસ તેમણે 1927 માં મોસ્કોમાં ઓક્ટોબર સમાજવાદી ક્રાંતિની દસમી વર્ષગાંઠની ઉજવણીમાં ભાગ લીધો હતો. અગાઉ, 1 9 26 માં, મદ્રાસ કૉંગ્રેસમાં, નેહરુ સ્વતંત્રતાના લક્ષ્યમાં કોંગ્રેસને કાર્યવાહીમાં મહત્ત્વપૂર્ણ ભૂમિકા ભજવતા હતા. સિમોન કમિશન સામે ઝઘડો ચલાવતા, તે 1928 માં લખનૌમાં લાઠીનો આરોપ મૂકાયો હતો. 29 ઑગસ્ટ, 1928 ના રોજ તેમણે ઓલ પાર્ટી કોંગ્રેસમાં હાજરી આપી હતી અને તેના પિતાના નામ પર ભારતીય બંધારણીય સુધારા પર નેહરુ રિપોર્ટના હસ્તાક્ષરોમાંના એક હતા. શ્રી મોતીલાલ નેહરુ. તે જ વર્ષે, તેમણે ‘ઈન્ડિયા લીગની સ્વતંત્રતા’ ની સ્થાપના કરી, જેણે ભારત સાથે બ્રિટીશ જોડાણની સંપૂર્ણ વિભાજનની હિમાયત કરી, અને તે જનરલ સેક્રેટરી બન્યા. 1929 માં, પે. નેહરુ ભારતીય રાષ્ટ્રીય કોંગ્રેસના લાહોર સત્રના અધ્યક્ષ તરીકે ચૂંટાયા હતા, જ્યાં ધ્યેય તરીકે દેશ માટે સંપૂર્ણ સ્વતંત્રતા અપનાવવામાં આવી હતી. સોલ્ટ સત્યાગ્રહ અને કોંગ્રેસ દ્વારા શરૂ કરાયેલી અન્ય હિલચાલના સંબંધમાં 1930-35 દરમિયાન તેમને ઘણી વાર જેલની સજા થઈ હતી. તેમણે 14 ફેબ્રુઆરી, 1935 ના રોજ અલ્મોરા જેલમાં પોતાની ‘આત્મકથા’ પૂર્ણ કરી. પ્રકાશન પછી, તે પોતાની બિમારીની પત્નીને જોવા માટે સ્વિટ્ઝર્લૅન્ડ ગયો અને ફેબ્રુઆરી-માર્ચ, 1936 માં લંડનની મુલાકાત લીધી. જુલાઇ 1 9 38 માં જ્યારે તે દેશમાં હતો ત્યારે સ્પેનની પણ મુલાકાત લીધી. ગૃહ યુદ્ધની ફેંકવાની. બીજા વિશ્વયુદ્ધની અદાલત વિરામ પહેલાં, તે ચીનમાં પણ ગયો. 31 ઑક્ટોબર, 1940 ના રોજ પ. યુદ્ધમાં ભારતની બળજબરીથી સહભાગી થતા વિરોધ સામે વિરોધ કરવા માટે વ્યક્તિગત સત્યાગ્રહ પ્રદાન કરવા બદલ નેહરુની ધરપકડ કરવામાં આવી હતી. ડિસેમ્બર 1, 1941 માં તેમને અન્ય નેતાઓ સાથે છોડવામાં આવ્યા. 7 ઓગસ્ટ, 1942 ના રોજ. નેહરુએ ઐતિહાસિક ‘ક્વિટ ઇન્ડિયા’ રિઝોલ્યુશન એ.આઇ.સી.સી. પર ખસેડ્યું. બોમ્બેમાં સત્ર 8 ઓગસ્ટ, 1942 ના રોજ તેમને અન્ય નેતાઓ સાથે ધરપકડ કરવામાં આવી અને અહમદનગરના કિલ્લા પર લઈ જવામાં આવી. આ તેમની સૌથી લાંબી અને છેલ્લી અટકાયત હતી. બધામાં, તેને નવ વખત જેલની સજા થઈ. જાન્યુઆરી 1945 માં તેમની મુક્તિ પછી, તેમણે રાજદ્રોહ સાથેના આઈએનએના અધિકારીઓ અને માણસો માટે કાયદેસર સંરક્ષણની ગોઠવણ કરી. માર્ચ 1946 માં, પે. નેહરુએ દક્ષિણ પૂર્વ એશિયામાં પ્રવાસ કર્યો. 6 જુલાઈ, 1946 ના રોજ ચોથી વખત કોંગ્રેસના પ્રમુખ તરીકે ચૂંટાયા અને ફરીથી 1951 થી 1954 સુધી ત્રણ વધુ શરતો માટે તેઓ ચૂંટાયા

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जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay In Hindi

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay In Hindi: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी एवं आजादी के बाद बने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु ही थे.

आज भी उनकी राजनीती आदर्श विदेश नीति भारत की राजनीती में स्पष्ट देखा जा सकता हैं. सबके चहेते नेता नेहरु को बच्चें प्यार से चाचा कहकर पुकारते थे.

इस कारण जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं. आज के जवाहरलाल नेहरू निबंध को आप बाल दिवस  पर बोल सकते हैं.

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध Pandit Jawaharlal Nehru Essay In Hindi

किसी व्यक्ति की देशभक्ति का अनुमान उसकी इच्छा से लगाया जा सकता हैं. और यदि कोई व्यक्ति मरने के बाद भी अपने देश के जर्रे जर्रे में समा जाने की इच्छा रखता हो तो उसके बारे में निसंदेह यह कहा जा सकता है कि वह व्यक्ति एक महान देशभक्त हैं. ऐसे ही एक महान देशभक्त थे पंडित जवाहरलाल नेहरू .

पंडित नेहरु ने न केवल देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपनी सक्रिय भूमिका अदा की थी, बल्कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी प्रथम प्रधानमंत्री  के रूप में देश का नेतृत्व करते हुए इसे विकास के पथ पर अग्रसर करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया,

वे अपने देश से कितना प्रेम करते थे, इसका अनुमान उनकी आत्मकथा में प्रकाशित उनके विचारों से होता हैं. उन्होंने लिखा था कि मैं चाहता हूँ कि मेरी भस्म का शेष भाग उन खेतों में बिखेर दिया जाए,

जहाँ भारत के किसान बड़ी मेहनत करते हैं. ताकि वह भारत की धूल और मिटटी में मिलकर भारत का अभिन्न अंग बन जाएँ.

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) शहर में हुआ था. उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध एवं धनाढ्य वकील थे. उनकी माताजी का नाम स्वरूप रानी नेहरू था.

समृद्ध परिवार में जन्म लेने के कारण उनका लालन पोषण शाही तरीके से हुआ था. उन्हें विश्व के बेहतरीन शिक्षण संस्थानों से शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा लंदन के हैरो स्कूल से पूरी की.

उसके बाद कॉलेज की शिक्षा उन्होंने लंदन के ही ट्रिनिटी कॉलेज से पूरी की. कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद कानून में करियर बनाने के दृष्टिकोण से उन्होंने लंदन के विश्व प्रसिद्ध कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से लो की डिग्री प्राप्त की.

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वे 1912 में भारत लौटे और इलाहबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की. वर्ष 1916 में जवाहरलाल नेहरू का विवाह कमला नेहरू से हुआ.

1919 ई में रोलेट एक्ट के विरोध में जब महात्मा गाँधी ने एक अभियान शुरू किया, तब नेहरु जी उनके सम्पर्क में आए. गांधीजी के व्यक्तित्व एवं विचारधारा का नेहरू जी पर ऐसा प्रभाव पड़ा

कि उन्होंने वकालत छोड़ दी और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके साथ हो गये. गाँधी जी के प्रभाव से ही उन्होंने एश्वर्यपूर्ण जीवन को त्यागकर खाकी कुर्ता और टोपी धारण करना शुरू किया,

जब 1920-22 ई में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन का बिगुल बजाय तो इसमें नेहरू जी ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई. इस कारण ब्रिटिश सरकार ने उन्हें पहली बार गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

1924 में वे इलाहबाद नगर निगम के अध्यक्ष निर्वाचित हुए और इस पद पर दो वर्षों तक बने रहे. इसके बाद में 1926 में ब्रिटिश अधिकारियों ने सहयोग की कमी का हवाला देकर उन्होंने इस पद से  त्यागपत्र दे दिया.

1926 ई. से 1928 तक जवाहरलाल नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव रहे. दिसम्बर 1929 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन लाहौर में आयोजित किया गया, जिसमें जवाहरलाल नेहरु कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष निर्वाचित हुए.

इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का लक्ष्य निर्धारित किया गया तथा 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की गई. इस दिन लाहौर में स्वतंत्रता दिवस मनाते हुए नेहरू जी ने भारतीय झंडा फहराया.

भारत सरकार अधिनियम 1935 के अध्यारोपित होने के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत में चुनाव करवाए तो नेहरू जी के नेतृत्व में कांग्रेस ने लगभग सभी प्रान्तों में अपनी सरकार का गठन किया एवं केन्द्रीय असेम्बली में भी सबसे ज्यादा सीटें हासिल की.

1939 में भारतीय सैनिकों को द्वितीय विश्वयुद्ध में भेजने के ब्रिटिश सरकार के निर्णय के खिलाफ नेहरू जी ने केन्द्रीय असेम्बली भंग कर दी. केबिनेट मिशन योजना को स्वीकार किये जाने के पश्चात संविधान सभा के निर्माण के लिए जुलाई 1946 में हुए

चुनाव में कांग्रेस ने नेहरू जी के नेतृत्व में 214 स्थानों में से 205 स्थानों पर जीत हासिल की, इसके बाद नेहरू जी के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन 2 सितम्बर 1946 को हुआ.

15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ तो वे देश के पहले प्रधानमंत्री बने. इसके बाद लगातार तीन आम चुनावों 1952, 1957 एवं 1962 में इनके नेतृत्व में कांग्रेस ने बहुमत में सरकार बनाई और तीनों बार वे प्रधानमंत्री बने.

प्रधानमंत्री के रूप में नेहरूजी आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. देश के विकास के लिए उन्होंने सोवियत रूस की पंचवर्षीय योजना की नीति को अपनाया.

उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि एवं उद्योग का नया युग शुरू हुआ. इसलिए उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता हैं.

देश के नौजवानों को कर्मठ बनने की प्रेरणा देने के लिए उन्होंने नारा दिया- आराम हराम है . उनकी उपलब्धियों एवं देश के प्रति उनके योगदान को देखते हुए,

भारत सरकार ने उन्हें 1955 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया. उन्हें बच्चों से बेहद लगाव था तथा बच्चों में वे चाचा नेहरू के रूप में प्रसिद्ध थे. इसलिए उनका जन्मदिन 14 नवम्बर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.

नेहरू जी भारत की विदेश नीति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने जोसेफ ब्राज टीटों और अब्दुल कमाल नासिर के साथ मिलकर एशिया एवं अफ्रीका के उपनिवेशवाद की समाप्ति के लिए गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत की.

नेहरू जी शांति के मसीहा थे. उन्होंने पंचशील सिद्धांत के साथ चीन की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से भारत पर आक्रमण कर दिया.

नेहरूजी के लिए यह बड़ा झटका था और इसी वजह से 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई. नेहरू जी न केवल एक महान राजनेता एवं वक्ता थे, बल्कि वे एक महान लेखक भी थे,

इसका प्रमाण इनके द्वारा रचित पुस्तकें डिस्कवरी ऑफ इंडिया, ग्लिम्पसेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री हैं. इसके अतिरिक्त अपनी पुत्री इंदिरा प्रियदर्शनी को नैनी जेल से लिखे गये उनके पत्रों का संकलन पिता का पुत्री के नाम नामक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हैं.

इस पुस्तक में जिस तरह उन्होंने सामाजिक विज्ञान, सामान्य विज्ञान एवं दर्शन का वर्णन किया हैं उससे पता चलता है कि वे उच्च कोटि के विद्वान् थे.

उन्होंने विश्व को शांतिपूर्ण सहअस्तित्व एवं गुटनिरपेक्षता के महत्वपूर्ण सिद्धांत दिए. जवाहरलाल नेहरू भारत के सच्चे सपूत थे, उनका जीवन एवं उनकी विचारधारा हम सबके लिए अनुकरणीय हैं.

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Information About Jawaharlal Nehru in Hindi

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Jawaharlal Nehru Biography in Hindi 300 Words

पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को प्रयाग (इलाहाबाद) में हुआ था। इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील थे। वे काफी संपन्न व्यक्ति थे। बाद में उन्होंने देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया था। जवाहर लाल की माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर हुई। 15 वर्ष की आयु में नेहरू जी को शिक्षा प्राप्ति के लिए इंग्लैण्ड भेज दिया। सन 1912 में बैरिस्ट्री की परीक्षा उत्तीर्ण कर वे भारत लौट आए। 1915 में जवाहर लाल कमला नेहरू के साथ विवाह-सत्र में बंध गए।

स्वदेश लौटने पर नेहरू जी ने वकालत आरंभ की परंतु उसमें उनका चित्त नहीं रहा। भारत की परतंत्रता उनके मन में काँटे की तरह चुभती थी। उन्होंने इंग्लैण्ड का स्वतंत्र वातावरण देखा था, उसकी तुलना में भारत दीन हीन देश था। यहाँ की दीन दशा के लिए अंग्रेजों की नीति जिम्मेदार थी। उधर पंजाब में हुए जलियाँवाला हत्याकाँड ने उनके मन को झकझोर कर रख दिया। नेहरू जी ने पहले होमरूल आदोलन में भाग लिया, फिर गाँधी जी के नेतृत्व में चल रहे अहिंसात्मक आदोलन में सक्रिय सहयोग देने लगे। राजसी ठाठ-बाट छोडकर खादी का कपड़ा पहना और सत्याग्रही बन गए। असहयोग आदोलन में बढ़-चढ़ कर भागीदारी की। इसके बाद उन्होंने संपूर्ण जीवन देश की सेवा में अर्पित कर दिया।

सन् 1929 में लाहौर अधिवेशन में जवाहर लाल जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने। नेहरू जी ने इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य की माँग की। 15 अगस्त 1947, के दिन भारत अंग्रेजो की दो सौ वर्षों की गुलामी को पछाड़ कर स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। नेहरू जी स्वतंत्र राष्ट्र के प्रथम प्रधानमंत्री बने। बच्चों के चाचा नेहरु और भारत के पहले प्रधानमंत्री की देश की सेवा करते हुए हृदय घात की वजह से 27 मई 1964 को निधन हो गया। भारत के पहले प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के महानायक पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने जिस तरह अपने दूरदर्शी सोच, कठोर प्रयास और संघर्षों के बाद भारत को शक्तिशाली और मजबूत राष्ट्र बनाने में अपने अपूर्व योगदान दिया, उससे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं हम सभी को उनके आदर्शों पर चलकर भारत के विकास में अपना सहयोग देना चाहिए।

Biography of Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi 400 Words

पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री और हम सबके प्यारे चाचा नेहरू उन नेताओं में से एक थे, जिन्हें आधुनिक भारत के निर्माण का श्रेय जाता है। श्री नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ। उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक मशहूर वकील थे। उनकी माताजी का नाम स्वरूप रानी था। श्री नेहरू ने विदेश के बेहतरीन शिक्षण संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की। 1912 में वे भारत लौटकर वकालत करने लगे।

चार साल बाद 1916 में उनका विवाह कमला नेहरू से हुआ। इसके बाद वे छोटी-मोटी राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ने लगे, लेकिन राजनीति से उनका असल जुड़ाव 1919 में महात्मा गांधी के संपर्क में आने के बाद हुआ। वे गांधीजी की शांतिपूर्वक प्रतिरोध करने की नीति से बहुत प्रभावित हुए। वहीं गांधीजी ने भी उनमें भारत कीं राजनीति का भविष्य देखा। सक्रिय राजनीति में कदम रखने के बाद श्री नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए। तीन साल तक पार्टी के महासचिव रहने के बाद दिसंबर, 1929 में लाहौर अधिवेशन के दौरान वे कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए गए। इसी अधिवेशन के दौरान 26 जनवरी, 1930 को भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रस्ताव पारित किया गया।

1935 को भारत सरकार अधिनियम बनने के बाद हुए चुनावों में उन्होंने पार्टी के लिए बढ़-चढ़कर प्रचार किया। नतीजा यह हुआ कि पार्टी ने लगभग हर राज्य में अपनी सरकार बनाई और वे एक प्रभावशाली राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।

1945 में जेल से बाहर आने पर उन्होंने देश की आज़ादी को लेकर ब्रिटिश सरकार से हुई बातचीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हो गया और पं० नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। अगले 17 सालों, यानी 1964 तक वे इस पद पर बने रहे। इस दौरान उन्होंने देश के सामने आने वाली हर चुनौती का बहुत सूझबूझ से सामना किया। ये उनकी नीतियों का ही कमाल था कि भारत ने कृषि, विज्ञान और उद्योग के क्षेत्र में खूब प्रगति की। पंचवर्षीय योजनाओं से लेकर भारत की विदेश नीति तय करने में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई। यही वजह है कि उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है। 27 मई, 1964 को हृदय गति रुक जाने से उनका निधन हो गया।

Gandhi Jayanti Essay in Hindi

Essay on Rabindranath Tagore in Hindi

Narendra Modi essay in Hindi

Quotes of Jawaharlal Nehru in Hindi

Action to be effective must be directed to clearly conceived ends। कार्य के प्रभावी होने के लिए उसे स्पष्ठ लक्ष्य की तरफ निर्देशित किया जाना चाहिए।

Citizenship consists in the service of the country. नागरिकता देश की सेवा में निहित है।

ESSAY ON JAWAHARLAL NEHRU IN HINDI

Hello, guys today we are going to write an essay on Jawaharlal Nehru in Hindi. जवाहरलाल नेहरू पर निबंध हिंदी में। Students today we are going to discuss very important topic i.e essay on Jawaharlal Nehru in Hindi. Jawaharlal Nehru essay in Hindi is asked in many exams. The long essay on Jawaharlal Nehru in Hindi is defined in more than 2000 words. Learn an essay on Jawaharlal Nehru in Hindi and bring better results.

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 300 Words

जवाहरलाल नेहरू का जन्म 4 नवंबर 1889 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, में हुआ था। उनके पिता का नाम पं. मोती लाल नेहरू था, जो प्रसिदध वकील थे तथा उनकी मां का नाम स्वरुप्रानी था। जवाहरलाल नेहरू की परवरिश एक राजकुमार की तरह हुई थी। एक अंग्रेजी ट्यूटर द्वारा घर पर अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद, उन्हें उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा गया। उन्होंने इंग्लैंड से कानून में अपनी डिग्री ली और बैरीस्टर के रूप में भारत लौट आये।

जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी के साथ भारत की स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल भेजा गया। उनका पूरा जीवन स्वतंत्रता के लिए भारत की लड़ाई का इतिहास है। उन्होंने कई सालों के लिए महा सचिव के रूप में कांग्रेस की सेवा की। वह एक महान राजनीतिक नेता थे और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए उन्होंने पांच साल की योजना शुरू कर दी थी और बहुउद्देशीय परियोजनाओं का निर्माण किया था। अंत में, 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद वह भारत के पहले प्रधान मंत्री बने।

जवाहरलाल नेहरू बच्चों से बहुत प्रेम करते थे। उन्हें बच्चो से बात करना, उनके साथ रहना बहुत पसंद था और बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहते थे। बच्चो के प्रति उनके इसी प्रेम के कारण, हमारे देश में हर साल 14 नवंबर को उनका जन्मदिन ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसे स्कूल और कॉलेज के छात्रों द्वारा बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है तथा कई प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।

जवाहरलाल नेहरू भारत के महानतम नेताओं में से एक थे और भारतीय संस्कृति के प्रेमी थे। वह पंचशीला के संस्थापक थे, जो मानवीय अच्छाई और नैतिक मूल्यों में विश्वास रखता है और जिसमे नेहरू जी ने सुरक्षा और व्यवस्था के सिंधान्तो का जवाब दिया। उन्होंने “आत्मकथा”, “द डिस्कवरी ऑफ इंडिया” और “ग्लिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री” जैसी प्रसिद्ध किताबें लिखीं।

27 मई 1964 को नेहरू जी का निधन हो गया। चाचा नेहरू जी की मौत दुनिया के सभी शांतिप्रिय लोगों के लिए एक बड़ा झटका था। राष्ट्र ने अपना एक महान आदमी और महान राष्ट्रवादी खो दिया है जिनका स्थान भरना बहुत कठिन होगा।

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 500 Words

पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को भारत के प्रसिद्ध व्यक्तियों में गिना जाता है और लगभग हर भारतीय उनके बारे में बहुत अच्छी तरह से जानता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1898 को इलाहाबाद में एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्हें हम चाचा नेहरू के रूप में भी जानते हैं। उनका जन्मदिन, देश के बच्चों के लिए उनके महान प्रेम और स्नेह के कारण बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। जवाहरलाल नेहरू के मुताबिक, बच्चे देश के उज्ज्वल भविष्य हैं। नेहरुजी अच्छी तरह से जानते थे कि देश का उज्ज्वल भविष्य बच्चों के उज्ज्वल भविष्य पर ही निर्भर करता है।

उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था और माता का नाम स्वरूपरानी थूसु था। उनके पिता इलाहाबाद के एक प्रसिद्ध वकील थे। इसलिए उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा। नेहरू जी ने वहां वकालत पूरी की और 1912 में एक वकील के रूप में भारत लोट आए।

भारत में पंडित जवाहरलाल नेहरू महात्मा गांधी से मिले। महात्मा गांधीजी से मिलने के बाद नेहरु जी – गांधी जी से बहुत प्रभावित हुए थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी जी ने देश की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष किया था। भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान जवाहरलाल नेहरू जी को कई बार जेल भेजा दिया गया। इस प्रकार, पंडित नेहरू जी ने भारत की आजादी के लिए बहुत संघर्ष किया था।

1916 में उन्होंने 27 साल की उम्र में कमला कौल (कमला नेहरू) से शादी की और उनकी पुत्री का नाम इंदिरा गांधी था। पंडित जवाहरलाल नेहरू एक महान राजनीतिक नेता थे और वह एक बहुत ही अनुकूल व्यक्ति थे। नेहरू जी हमेशा बच्चों को देशभक्त बनने के लिए प्रोत्साहित करते थे और उन्हें कड़ी मेहनत और बहादुरी से काम करने का सुझाव देते थे, क्योंकि नेहरु जी बच्चों को देश का भविष्य मानते थे।

इस प्रकार, 27 मई, 1964 को, भारत की सेवा के दौरान, दिल का दौरा पड़ने के कारण नेहरू जी का निधन हो गया। दुनिआ भर के शांतिप्रिय लोगो पर इनकी मौत का गहरा असर पड़ा, क्योकि उन्होंने एक ऐसा शांतिप्रिय नेता खो दिया था जिनका स्थान भरना बहुत कठिन होगा। उनकी मृत्यु के बाद, हर साल 14 नवंबर को, उनका जन्मदिन एक बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। चाचा नेहरू को उनके बलिदान और राजनीतिक उपलब्धियों के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

Jawaharlal Nehru Essay in Hindi 800 Words

स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद के प्रसिद्ध आनन्द भवन में हुआ था। यह भवन उन दिनों अखिल भारतीय कांग्रेस और राजनीतिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र था। देश के सभी बड़े नेता समय-समय पर यहीं एकत्रित होते थे और अपनी रणनीति तय करते थे। बालक नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू अपने समय के प्रसिद्ध वकील और कांग्रेस के नेता थे। इनकी माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था। वे अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र थे। इनकी दो बहिनें-विजय लक्ष्मी पंडित और कृष्णा हठी सिंह थीं। जवाहरलाल नेहरू का पालन-पोषण बड़ी सुख-सुविधाओं के बीच हुआ। 15 वर्ष की आयु में इन्हें उच्च कानूनी शिक्षा प्राप्त कर वैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड भेजा गया। लंदन में इन्होंने हैरे तथा कैम्ब्रिज में अध्ययन किया और इनर टैम्पल में कानून का प्रशिक्षण पूरा किया। अंततः 1912 में वे स्वदेश लौट आए।

सन् 1916 में इनका विवाह कमला कॉल से हो गया। नेहरू जी की गाँधी जी से मुलाकात से उनके जीवन में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ आया। 1916 में वकालत छोड़कर वे स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े। गाँधी जी के नेतृत्व ने नेहरू जी के जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया। इसके पश्चात् उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 19 नवम्बर, 1919 को बेटी इन्दिरा का जन्म हुआ। 1936 में कमला नेहरू की मृत्यु पर नेहरू जी को बड़ा धक्का लगा परन्तु वे देश की आजादी के संग्राम में लगे रहे। 1918 में उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस का सदस्य बनाया गया और फिर वे जीवन भर इसके सदस्य बने रहे। उन्होंने भारत का व्यापक दौरा किया और अपनी आंखों से देश की दयनीय तस्वीर देखी।

जलियांवाला बाग की त्रासदी और अत्याचार ने तो सभी देशवासियों को गहरा आघात पहुंचाया। नेहरू जी भी इससे बड़े आहत हुए। सन् 1923 में वे पहली बार जेल गये। 1926 में उन्होंने यूरोप का भ्रमण किया तथा वहां के स्वतन्त्र देशों के संविधान, कार्यप्रणाली आदि का अध्ययन किया। 1927 में वे भारत लौट आये और पुन: स्वतन्त्रता-संग्राम में संलग्न हो गये। 1929 में लाहौर अधिवेशन में उन्हें कांग्रेस का प्रधान बनाया गया। इसी ऐतिहासिक अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया। शीघ्र ही नेहरू जी, गाँधी जी के राजनीतिक उत्तराधिकारी और देश के प्रमुख नेताओं में गिने जाने लगे।

9 अगस्त, 1942 को मुम्बई अधिवेशन में ऐतिहासिक ”भारत छोडो” आन्दोलन का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके तुरन्त बाद गाँधी जी, नेहरू जी व अन्य सभी बड़े नेताओं को जेल भेज दिया गया। गाँधी जी ने ‘करो या मरो’ का नारा देश को दिया और स्वतन्त्रता आन्दोलन अपने पूरे उफान पर पहुंच गया। इसी बीच नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज का गठन कर लिया था। दूसरे विश्व युद्ध में विनाश का तांडव सर्वत्र छाया हुआ था। अंतत: अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा और भारत 15 अगस्त, 1947 को स्वतन्त्र हो गया, परन्तु जाते-जाते भी अंग्रेज देश का हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में विभाजन करने में सफल रहे।

नेहरू जी स्वतन्त्र भारत के प्रधान मंत्री बनाये गये। 30 जनवरी, 1948 को महात्मा गाँधी जी की हत्या ने सारे भारत को गहरे शोक में डुबो दिया। नेहरू जी को इससे बड़ा आघात लगा परन्तु शीघ्र ही उन्होंने अपने आप को संभाल लिया और वे पुन: अपने कार्यों में सक्रिय हो गये। नेहरू जी ने अपने राजनीतिक जीवन में कई परिवर्तन देखे परन्तु कभी हिम्मत नहीं हारी। वे पूरे आशावादी थे। सन् 1960 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ (यू. एन. ओ.) में एक बड़ा ओजस्वी भाषण दिया और विश्वशांति की जोरदार वकालत की।

नेहरू जी के व्यक्त्वि के कई आयाम थे। 17 वर्ष की लम्बी अवधि तक वे देश को समृद्ध, शिक्षित, गतिशील व पूर्णत: स्वावलम्बी बनाने के प्रयत्न में लगे रहे। वे महान मानवतावादी तथा सहिष्णु स्वभाव के नेता थे और जनता की सेवा को ही अपना परम धर्म मानते थे। देश के लोगों में वे बहुत लोकप्रिय थे और सारी जनता उन्हें बड़ा आदर व प्यार करती थी। वे एक बहुत अच्छे वक्ता, लेखक और इन्सान थे। उनके भाषण सुनने हजारों की भीड़ उमड़ पड़ती थी। बच्चों से उनको असीम प्यार था। उन्हीं की आंखों में वे भारत का स्वर्णिम भविष्य देखते थे। बहुत व्यस्त रहने के बावजूद भी वे बच्चों से मिलने का समय निकाल लेते थे। बच्चों में वे स्वयं भी बच्चे बन जाते थे।

उनका जन्म दिन 14 नवम्बर उनकी इच्छा के अनुसार “बाल दिवस” के रूप में मनाया जाने लगा और आज भी मनाया जाता है। इस दिन देश के सभी बच्चे अपने प्यारे चाचा नेहरू को याद करते हैं, उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं तथा उनके द्वारा बताये गये मार्ग पर चलने का प्रयत्न करते हैं। यदि पण्डित नेहरू राजनीति में नहीं होते तो महान् लेखक बनते। लिखने और पढ़ने का उन्हें बड़ा शौक था। जब भी समय मिलता तो वे पुस्तकें पढ़ते थे या फिर सृजन करते। वर्ल्ड हिस्ट्री, द डिस्कवरी ऑफ इंडिया, ऑटोबाओग्राफी, लैटर्स फ्रॉम फादर टू हिज डॉटर, ए बन्च ऑफ लैटर्स आदि उनकी प्रसिद्ध कृतियां हैं। अंग्रेजी भाषा पर उनकी असाधारण पकड़ थी। विश्वशांति के लिए उन्होंने अनेक प्रयत्न किये। पंचशील के सिद्धांतों का प्रतिपादन इन में से एक था। इन सिद्धान्तों का पालन कर सहज ही विश्व में शांति और व्यवस्था को बनाये रखा जा सकता है।

Essay on Jawaharlal Nehru in Hindi 1000 Words

काल-चक्र के परिभ्रमण के साथ विश्व-इतिहास और मानवीय सभ्यता के इतिहास में अनेक परिवर्तन हुए हैं। इस परिवर्तन की प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप समाज, देश, सभ्यता तथा मूल्यों में परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों को रूप देने वाले और नवीन-सिद्धान्तों की स्थापना करने वाले व्यक्ति भी इतिहास के ही अंग बन जाते हैं। इस प्रकार के व्यक्तित्व कभी धर्म और दर्शन के क्षेत्र में कभी ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में तो कभी राजनीति और साहित्य के क्षेत्र में प्रकट होते हैं तथा अपनी मान्यताओं और कार्यों से विश्व इतिहास को नई दिशा देते हैं भारतीय राजनीति के इतिहास में जवाहर लाल नेहरू ऐसे ही गौरवशाली व्यक्तित्व के रूप में प्रकट हुए हैं। शान्ति के उपासक, पंचशील के अधिष्ठाता, बच्चों के “चाचा नेहरू” विश्व इतिहास में अमर हो गए हैं।

जवाहर लाल नेहरू का जन्म पावन तीर्थ प्रयाग में माता स्वरूप रानी की गोद हरी करने के लिए नेहरू वंश की वृद्धि के लिए, पीड़ित भारत के कल्याण के लिए 14 नवम्बर, सन् 1889 को श्री मोती लाल के घर हुआ। श्री मोती लाल विख्यात वकील थे और पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित थे। आरम्भ में नेहरू जी को शिक्षा भी कुछ ऐसी ही मिली। अध्यापक कुछ आध्यात्मिक अधिक थे, इसलिए नेहरू भी आध्यात्मिक बनने लगे। पिता को यह अच्छा न लगा और उन्होंने सन् 1905 में नेहरू को इंग्लैंड भेज दिया। वहां नेहरू जी ने निरन्तर सात वर्ष तक अध्ययन किया। 1912 में वकालत पास करके आए। पिता की इच्छा थी कि बेटा इनकी तरह ही विख्यात वकील बने, फलतः पुत्र ने पिता के साथ वकालत में सहयोग देना शुरु किया। इधर वकालत चलती उधर विख्यात राजनीतिज्ञ मोती लाल नेहरू के घर आते और राजनीतिक चर्चा करते। फलत: नेहरू पर भी कुछ-कुछ राजनीतिक प्रभाव पड़ने लगा।

1916 में श्री कौल की पुत्री कमला से जवाहर लाल नेहरू का पाणिग्रहण हुआ और 1917 में एक लड़की हुई जिसका नाम इन्दिरा प्रियदर्शिनी रखा गया। कुछ समय बाद एक लड़का पैदा हुआ पर वह जीवित न रह सका। 1919 में जलियांवाला बांग के गोलीकांड को देखकर नेहरू की आत्मा कांप उठी और तब वह राजनीतिक नेताओं के सम्पर्क में आने लगे। 1921 से छः मास की और 1922 में अठारह महीने की कैद का दण्ड उनको मिला। इधर कमला का स्वास्थ्य बहुत गिर रहा था। 1927 में नेहरू स्विट्ज़रलैण्ड गए। वहां उन्होंने कई नेताओं से भेंट की। अब तो नहेरू का ध्येय ही बदल गया।

26 जनवरी, 1930 को रावी के किनारे साँझ के समय तिरंगा फहराते हुए पण्डित जवाहरलाल ने कहा, “स्वतन्त्रता प्राप्त करके ही रहेंगे।” कांग्रेस के इस प्रस्ताव से अंग्रेज़ बौखला उठे। उन्होंने दमनचक्र शुरू किया, कमला फिर बीमार हुई। आखिर 1936 में कमला का देहान्त हो गया। इधर मोती लाल की भी मृत्यु हो गई। नेहरू अब राजनीतिक कार्यों में अधिक भाग लेने लगे। आन्दोलन करते और जेल जाते। गांधी जी के पथप्रदर्शन से नेहरू का व्यक्तित्व विकसित होने लगा। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन शुरू हुआ। बड़े-बड़े नेता जेल में डाल दिए गए। देश में बहुत हलचल हुई। युद्ध समाप्त हो गया। अंग्रेज़ों की विजय तो हुई पर वे बहुत जर्जर हो गए। 1945 में शिमला कांन्फ्रेंस हुई, पर वह असफल रही। 1946 में अन्तरिम सरकार बनी, पर जिन्ना के कारण वह भी असफल ही रही। आखिर भारत का विभाजन करके 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ चल दिए।

प्रधानमन्त्री के रूप में

नेहरू स्वतन्त्र देश के पहले प्रधानमन्त्री बने। भारत के सामने एक नहीं, अनेक समस्याएं मुंह खोले खड़ी थीं। नेहरू ने कुशल वीर पुरुष की तरह डट का उनका मुकाबला किया। तकनीकी उन्नति, वैज्ञानिक उन्नति, शिक्षा-सम्बन्धी उन्नति, आर्थिक उन्नति, तात्पर्य यह कि भारत को हर तरह से उन्नत करने का प्रयास किया। उनके जीवनकाल में तीन बार आम चुनाव हुए – 1952 1957 और 1962 में, तीनों ही बार नेहरू भारत के प्रधानमन्त्री बने तथा तीनों बार कांग्रेस को बहुमत मिला। नेहरू की पंचशील की योजना का

सम्मान विश्व भर में हुआ। देश की बागडोर अपने हाथ में लेकर नेहरू देश के नव-निर्माण में जुट गए। इसके लिए पंचवर्षीय योजनाओं का आरम्भ हुआ। सन् 1951 में प्रथम पंचवर्षीय योजना आरम्भ हुई। देश के औद्योगीकरण की ओर कदम बढ़ाए गए। वैज्ञानिक प्रगति के इस युग में इस ओर आए बिना उन्नति संभव न थी। अतः बड़े-बड़े कल कारखाने आरम्भ हुए और बड़े-बड़े बाँध बनाए गए। वैज्ञानिक क्षेत्र में अनुसंधान हुए। इन को ही नेहरू आधुनिक मन्दिर मानते थे। परमाणु शक्ति के विकास की आधारशिला रखी गई। रेल के इंजन और हवाई जहाज का निर्माण अपने देश में आरम्भ हुआ।

विदेश नीति के क्षेत्र में भी भारत पूरे विश्व में उभर कर सामने आया। पंचशील और सह-अस्तित्व के सिद्धान्तों को अपनाया गया। रूस अमेरिका और चीन के साथ मैत्री सम्बन्ध बने, इण्डोनेशिया और कोरिया के साथ जुड़े।

सन् 1962 में जब चीन ने मैत्री के नारे के साथ भारत की पीठ में चाकू घोंपा तो नेहरू को बहुत आघात पहुंचा। उसके बाद भारत सैन्य-विकास की ओर बढ़ा। शस्त्रों के बड़े-बड़े कारखाने बने। इस प्रकार वे नए भारत के निर्माता बने।

जवाहर लाल नेहरू को अपने पर पूरा भरोसा था। उनका विश्वास था कि अगर दृढ़-संकल्प से, कोई कार्य किया जाए तो कोई कारण नहीं कि वह पूर्ण न हो। इसलिए भारत की आज़ादी से पहले ही उन्हें भरोसा था कि हम आज़ाद हो कर ही रहेंगे। और उन्हें दृढ़ विश्वास था कि आज़ाद होकर हम स्वतन्त्रता की रक्षा कर सकेंगे और समस्याओं को सुलझा लेंगे। नेहरू जी अधिक परिश्रमी थे। निराशा तो उनके मुख पर कभी झलकती तक न थी। कार्यों से वह घबराते न थे। उनका विचार था कि यह जीवन संग्राम है, संघर्षों से ही जीवन निखरता है, निकम्मे और निठल्ले रहने से जीवन अपने आप में ही बोझ बन जाता है। उनका कहना था कि मैं सौ वर्ष तक जीना चाहता हैं और देखना चाहता हूँ कि जीवन की पगडंडियां कितनी ऊबड़-खाबड़ हैं। वह जीवन इसीलिए नहीं चाहते थे कि सुख-भोग प्राप्त करें, वह जीवन इसलिए नहीं चाहते थे कि उन्हें वैभव का नशा था, अधिकारों का उन्माद था बल्कि उनके विचार में जीने का अर्थ था जनता की भलाई, संघर्षों से दो हाथ होना और साधना के पथ पर चलना।

वह एशिया की एक महान् विभूति थे। सारा विश्व भी उन्हें आदर की दृष्टि से देखता था। वह अपने कोट के ऊपर गुलाब का फूल लगाया करते थे, इसलिए कि जितनी देर जियो मुस्कराते हुए जियो। अपने सत्कार्य-सुमनों की महक को बिखेरते हुए जियो। बच्चों के चाचा नेहरू को कैसे भुलाया जा सकता था। उन्हें बच्चों से, नन्हें मुन्नों से बहुत प्यार था। इसीलिए उनका जन्म दिन ‘बाल-दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

नेहरू के प्रभावशाली व्यक्तित्व के सम्मुख उनके विरोधी भी दब जाते हैं अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में विदेशी नेता उनकी प्रशंसा और सम्मान करते थे। उन्होंने केवल भारत की राजनीति को ही नहीं अपितु विश्व राजनीति को नई दिशा दी थी। राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ वे उच्च-कोटि के लेखक और वक्ता भी थे। नेहरू का लेखकीय व्यक्तित्व भी प्रभावशाली रहा है। उन्होंने पिता के पत्र पुत्री के नाम ‘विश्व इतिहास की झलक’ ‘मेरी कहानी तथा ‘भारत की खोज’ जैसी बहुचर्चित पुस्तकें लिखी हैं। लोकतंत्र के समर्थक नेहरू के संबंध में अमेरिकी राजदूत श्री चेस्टर बोल्स ने कहा था -“भारत में जवाहर लाल नेहरू की राजनीतिक शक्ति इस सीमा तक बढ़ी थी कि वे आसानी से उसी प्रकार एक व्यक्ति के शासन का मार्ग अपना सकते थे जिस प्रकार दूसरे अन्य विकासशील देश के नेताओं ने किया था। पर इसके विपरीत उन्होंने अपने अपार व्यक्तित्व के प्रभाव का प्रयोग रचनात्मक ढंग से भारत के लोकतंत्रीय संस्थानों को सबल बनाने के लिए किया।

भारतीय-राजनीति के इतिहास में नेहरू का व्यक्तित्व निर्विवाद रूप से अप्रतिम रहा है, उन्होंने भारत को विश्व के सम्मुख एक उन्नत और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में खड़ा करने में अपूर्व योगदान दिया। अपने देश, अपनी संस्कृति और अपने लोगों से उन्हें असीमित प्यार था। उन्हीं के शब्दों में – “अगर मेरे बाद कुछ लोग मेरे बारे में सोचे तो मैं चाहँगा कि वे कहें – वह एक ऐसा आदमी जो अपने पूरे दिल और दिमाग से हिन्दुस्तानियों से मुहब्बत करता था और हिन्दुस्तानी भी उस की कमियों को भुलाकर उससे बेहद मुहब्बत करते थे।”

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जवाहरलाल नेहरू की जीवनी Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

जवाहरलाल नेहरू की जीवनी Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

जवाहरलाल नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है. उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपने जीवन के 3259 दिल जेल में बिताए. पंडित जवाहरलाल नेहरू  करीब 16 वर्ष 8 माह तक स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री रहे और आजादी के बाद भारत के नवनिर्माण की आधारशिला रखी.

Table of Contents

जवाहर लाल नेहरू की संक्षिप्त जीवनी Brief Biographay of Jawaharlal Nehru

जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे. जवाहरलाल का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को प्रयागराज (इलाहाबाद) के एक प्रतिष्ठित कश्मीरी परिवार में हुआ. उन्होंने इलाहाबाद में अपने पैतृक निवास आनंद भवन में सुख, ऐश्वर्य से भरा बचपन बिताया और 16 वर्ष तक आरम्भिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त की. इसके बाद, जवाहरलाल ने स्नातक और कानून की पढ़ाई इंग्लैंड से पूरी की और बैरिस्टर बन कर भारत लौटे.

पंडित जवाहरलाल नेहरू  1912 में भारत लौटते ही कांग्रेस पार्टी से जुड़कर देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने लगे. पंडित नेहरू ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए सभी प्रमुख आंदोलनों में भाग लिया. उन्होंने वर्ष 1920 से लेकर 1945  के दौरान करीब 9 बार अलग-अलग अवधि में कुल 9 साल जेल में बिताए.

जवाहरलाल नेहरू ने 14 -15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में पद की शपथ ली. भारत का प्रथम प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने अपनी दूरदृष्टि, दृढ़ इच्छाशक्ति और कर्मठता से आधुनिक भारत की मजबूत नींव रखी. बच्चों के प्रति अपार स्नेहभाव रखने के कारण पंडित जवाहरलाल नेहरू को चाचा नेहरू भी कहा जाता है और उनकी जयन्ती 14 नवम्बर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है.

जवाहरलाल नेहरू का आरम्भिक जीवन एवं शिक्षा Early Life & Education of Jawaharlal Nehru

जवाहरलाल नेहरू के पिता पंडित मोतीलाल नेहरू एक सुविख्यात वकील थे और कानून की गहरी जानकारी के कारण भारत भर में प्रसिद्ध थे.अपनी योग्यता से पंडित मोतीलाल नेहरू ने भरपूर समृद्धि हासिल की थी. जवाहरलाल की मां स्वरूप रानी नेहरू मूलरूप से लाहौर के एक प्रसिद्ध कश्मीरी परिवार से ताल्लुक रखती थीं. जवाहरलाल नेहरू की दो बहनें थीं- विजय लक्ष्मी और कृष्णा.

जवाहरलाल का पालन-पोषण इलाहाबाद के विख्यात आनंंद भवन में सुख- सुविधा परिपूर्ण वातावरण में हुआ. जवाहरलाल को वर्ष 1896 में इलाहाबाद के सेंट मेरी कॉन्वेंट स्कूल में प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने भेजा गया. लेकिन 6 माह बाद ही उन्हें स्कूल से हटा लिया गया और 16 वर्ष तक घर पर ही शिक्षा प्राप्त की.

जवाहरलाल का दाखिला मई 1905 में  इंग्लैंड के ‘हैरो काॅलेज’ में कराया गया. अध्ययन के लिए वहां का वातावरण उनके बिलकुल अनुकूल था. 1907 मे उन्होंने ‘कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय’ के ट्रिनिटी काॅलिज में प्रवेश लिया. वहां से जन्तु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान एवं रसायन शास्त्र विषयों के साथ स्नातक किया. काॅलेज की शिक्षा समाप्त करके जवाहरलाल नेहरू ने मिडिल टेम्पल इन्स ऑफ कोर्ट स्कूल ऑफ लॉ में बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया.

जवाहरलाल नेहरू ने बैरिस्टर बनने के बाद इलाहाबाद वापस आकर अपने पिता के साथ वकालत शुरू कर दी. इसके साथ ही उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यों के लिए समय देना शुरू कर दिया. 1912 में वे बाँकीपुर में कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में सम्मिलित हुए.

जवाहरलाल नेहरू का पारिवारिक जीवन – Family Life of Jawaharlal Nehru

जवाहरलाल नेहरू का विवाह 26 वर्ष की आयु में लाहौर निवासी जवाहरमल मूल अटल कौल के साथ 8 जून 1916 को दिल्ली की हक्सर हवेली में हुआ. उनके घर 19 नवम्बर 1917 को एक पुत्नारी का जन्म हुआ, जिसका नाम इंदिरा प्रियदर्शनी रखा गया. 1922 में एक पुत्र भी हुआ, परन्तु दुर्भाग्यवश वह जीवित न रह सका.

जवाहरलाल एवं कमला नेहरू का शुरुआती विवाहित जीवन पारिवारिक पृष्ठभूमि में अंतर के कारण विरोधाभासों से भरा रहा. कमला नेहरू परंपरागत सोच वाले रूढ़िवादी कश्मीरी परिवार से थीं, जबकि जवाहरलाल नेहरू के परिवार का झुकाव पश्चिमी जीवन शैली की तरफ था.  राजनीतिक गतिविधियों के कारण जवाहरलाल नेहरू अपनी पत्नी कमला नेहरू के साथ अधिक समय नहीं बिता पाते थे. शीघ्र ही कमला नेहरू ने भी स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना प्रारंभ कर दिया.

1930 में कमला नेहरू टीबी की गंभीर बीमारी से पीड़ित हो गईं. देश-विदेश के कई बड़े अस्पतालों में उनका इलाज कराया गया. जवाहरलाल नेहरू ने इस दौरान अपना अधिकतर समय उनके साथ ही बिताया. 28  फरवरी 1936  को कमला नेहरू का देहावसान स्विटज़रलैंड के लौसेन में हो गया।

जवाहरलाल नेहरू का राजनीतिक करिअर Political Career of Jawahrlal Nehru

जवाहरलाल नेहरू वर्ष 1920 तक  वकालत का कार्य करते जरूर रहे, लेकिन उनका मन राजनीतिक क्षेत्र में आने के लिए छटपटा रहा था. गोपाल कृष्ण गोखले की अपील पर उन्होंने 50 हजार का चन्दा जमा करके प्रवासी भारतीयों की सहायता के लिए अफ्रीका भिजवाया. उन्होंने डाॅ. एनी बेसेण्ट और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की ‘होमरूल लीग’ में भी खूब कार्य किया.

जवाहरलाल नेहरू का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान – Contribution of Jawaharlal Nehru in freedom struggle

1920 में जब महात्मा गांधी ने विदेशी बहिष्कार और खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ किया, तो  जवाहरलाल ने उसमें पूरे उत्साह से भाग लिया. 1921 में उन्हें 6  महीने और 1922 में 18 महीने की कैद हुई. 1922 में उन्हें इलाहाबाद म्युनिसिपैलिटी का अध्यक्ष चुना गया. उन्होंने कई मज़दूर यूनियनों के साथ भी कार्य किया.

1926 में जब वे पत्नी  कमला नेहरू का स्वास्थ्य खराब होने पर स्विट्जरलैंड गए, तो यूरोप में भी स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. 1927 में वे जिनेवा में साम्राज्य विरोधी संघ के अधिवेशन में भारतीय राष्ट्र सभा के प्रतिनिधि के रूप में सम्मिलित हुए. उसी वर्ष वे सोवियत-संघ के दसवें वार्षिक समारोह में सम्मिलित होने के लिए सपरिवार मॉस्को गये. कुछ दिन मॉस्को में रहकर उन्होंने साम्यवादी विचारधाराओं का विशद अध्ययन किया.

पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव

जब वे अपनी यूरोप-यात्रा से लौटकर भारत आए तो उन्हीं दिनों कलकत्ता में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ, किन्तु उसमें पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पास न हो सका. इससे असन्तुष्ट होकर जवाहरलाल नेहरू ने 1928 में इंडिपेन्डेन्स फ़ॉर इंडिया लीग की स्थापना की जिसका लक्ष्य पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करना था. इसी समय साइमन-कमीशन भारत में आया.  उन्होंने लखनऊ में  इसका विरोध किया, जिसमें उन्हें लाठी चार्ज का सामना करना पड़ा.

1929 में लाहौर में जवाहरलाल नेहरू के सभापतित्व में  कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 31 दिसम्बर को रावी नदी के तट पर स्वाधीनता-प्राप्ति की शपथ ली गई.  गांधी जी ने 1930 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया. कानून तोड़े गए और जेलें भर दी गई. जवाहरलाल नेहरू को भी एक साल तक जेल में रहना पड़ा.

इस बीच, पंडित मोतीलाल नेहरू बीमार हो गए. जवाहरलाल और उनके बहनोई रणजीत पण्डित को छोड़ दिया गया. किन्तु पंडित मोतीलाल की दशा में कोई सुधार न हुआ और उनका निधन हो गया.

1931 में जब गांधी जी गोलमेज सम्मेलन से भारत लौटे तो उन्हें बम्बई आते ही गिरफ्तार कर लिया गया. पंडित जवाहरलाल नेहरू जब गांधी जी से मिलने बम्बई जा रहे थे, उन्हें रेल में ही गिरफ्तार कर लिया गया. अन्य नेता भी पकड़ लिये गये. पं. नेहरू को प्रायः नैनी जेल में रखा जाता था.

अब की बार उन्हें देहरादून जेल में लाया गया. 2 वर्ष कैद में रहने के पश्चात उन्हें मुक्त किया गया, परन्तु कुछ ही महीनों के बाद उन्हें बन्दी  बना लिया गया.   जवाहरलाल नेहरू ने देहरादून जेल में ही अपनी आत्मकथा एन ऑटोबायोग्राफी और ग्लिम्पसेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री लिखी.

इसी बीच, उनकी पत्नी का स्वास्थ्य फिर बिगड़ गया और उन्हें इलाज के लिए जर्मनी ले जाया गया. नेहरू जी को मुक्त कर दिया गया. 26 फरवरी, 1936 को कमला नेहरू का निधन हो गया.

जवाहरलाल नेहरू ने 1939 में लंका की यात्रा कर वहां भारतीयों को लेकर बने कटु वातावरण को दूर किया. अगस्त में उन्होंने चीन जाकर राष्ट्रपति मार्शल च्यांग काई शेक से मैत्री-सम्बन्ध स्थापित किये.

वर्ष 1942 में जब ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पास हुआ तो अन्य नेताओं के साथ  नेहरू को भी गिरफ्तार कर लिया गया. 1945 में वेवल-योजना के अनुसार अन्य नेताओं के साथ उन्हें भी रिहा किया गया.  उन्होंने 1943-45 के दौरान जेल में सबसे लंबा समय बिताया. फिर शिमला सम्मेलन और कैबिनेट मिशन की बातचीत में भी वे बराबर भाग लेते रहे. 2 सितम्बर 1946 को उन्होंने भारत की अंतरिम सरकार का नेतृत्व किया.

कैसे दें बाल दिवस पर भाषण?

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू – First PM of India Jawaharlal Nehru

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 14 एवं 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. इस रात संसद भवन में उन्होंने अपना प्रसिद्ध भाषण  ट्रिस्ट विद डेस्टिनी  दिया. उन्होंने भारत के विदेश मंत्रालय का कार्यभार भी संभाला.

स्वतंत्र भारत में जवाहरलाल नेहरू का योगदान – Jawaharlal Nehru’s contribution in Free India

जवाहरलाल नेहरू का सपना था कि भारत एक स्वतंत्र, सार्वभौम लोकतांत्रिक गणतंत्र बने. उनके नेतृत्व में भारत सरकार ने देश के सामने आई शुरुआती चुनौतियों का सामना करना पड़ा.  नेहरू ने देश को विश्व के उन्नत राष्ट्रों की कतार में खड़ा करने के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया. सरकार ने देश विभाजन के बाद  लाखों विस्थापितों का सफलतापूर्वक पुनर्वास किया. जवाहरलाल नेहरू ने भारत के संविधान की रचना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

नेहरू सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र दोनों को आगे बढ़ाने वाली मिश्रित अर्थव्यवस्था के हिमायती थे. उन्होंने ज़मींदारी प्रथा समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे बड़ी संख्या में भूमिहीनों को भी भूमि मिली.

जवाहरलाल नेहरू के समय में हिंदू सिविल कोड में सुधार किया गया, जिससे हिंदू विधवाओं को भी उत्तराधिकार और सम्पत्ति के मामले में पुरुषों के बराबर अधिकार मिले. छुआछूत को भी अपराध घोषित किया गया. राज्य की सीमाओं का भाषा के आधार पर पुनर्गठन किया गया.

नेहरू ने भारत के परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष कार्यक्रमों को प्रोत्साहन दिया. वे बड़े  तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सी. एस. आई. आर.) के अंतर्गत प्रयोगशालाओं की एक श्रृंखला की स्थापना की.

नेहरू ने बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजनाओं को आधुनिक भारत के मंदिर बताते हुए भाखड़ा नंगल तथा हीराकुड जैसे बड़े बांधों की नींव रखी. उन्होंने भिलाई, राउरकेला एवं दुर्गापुर जैसे बडे़ इस्पात कारखानों की स्थापना भी की.

नेहरू ने भारत में सरकारी क्षेत्र में कई बड़े शिक्षण संस्थानों जैसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स),  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (एनआईटी) की स्थापना की.

जवाहरलाल नेहरू की विदेश नीति – Foreign policy of Jawaharlal Nehru

नेहरू जी विदेश नीति में ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर के रास्ते पर चलने में विश्वास करते थे. उनकी विदेश नीति गुट निरपेक्षता एवं पंचशील के सिद्धांत पर आधारित थी.  पड़ोसी देशों के साथ मधुर एवं मजबूत संबंध स्थापित करने की पहल की. हालांकि, पाकिस्तान और चीन के साथ अनेक प्रयासों के बाद भी वे रिश्तों में मधुरता नहीं ला पाए. उन्होंने ‘हिंदी चीनी भाई भाई’ को बढ़ावा देते हुए चीन के साथ मित्रता का प्रयास किया, लेकिन 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर दिया.

चीन के आक्रमण से जवाहरलाल काे बड़ा सदमा लगा. कहा जाता है कि यही जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु की वजह भी बनी. जवाहरलाल नेहरू का 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया.

जवाहरलाल नेहरू को 1955 में देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखित पुस्तकें – Books written by Jawaharlal Nehru

जवाहरलाल नेहरू के भाषणों और विचारों के संकलन पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं. जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्वयं लिखित पुस्तकें इस प्रकार हैं.

  • पुत्री इंदिरा प्रियदर्शिनी को लिखे पत्रों का संकलन लेटर्स फ्रॉम अ फादर टु हिज डॉटर.
  • आत्मकथा मेरी कहानी ( एन ऑटोबायोग्राफी)
  • विश्व इतिहास की झलकियां (ग्लिम्पसेज ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री)
  • भारत एक खोज (डिस्कवरी ऑफ इंडिया)

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Jawaharlal Nehru Essay- Jawaharlal Nehru is the name that every Indian is aware of. Jawaharlal was quite famous among children. Due to which the children called him ‘Chacha Nehru’. Since he loved children so much the government celebrated his birthday as ‘ Children’s Day ’. Jawaharlal Nehru was a great leader. He was a person of great love for the country.

JawaharLal Nehru Essay

Jaw aharlal Nehru’s Early Life

Jawaharlal Nehru was born on 14th November 1889 in Allahabad (now Prayagraj). His father’s name was Motilal Nehru who was a good lawyer. His father was very rich because of which Nehru got the best education.

At an early age, he was sent abroad for studies. He studied in two universities of England namely Harrow and Cambridge. He completed his degree in the year 1910.

Since Nehru was an average guy in his studies he was not much interested in law. He had an interest in politics. Though he later became a lawyer and practiced law in Allahabad High Court. At the age of 24, he got married to Smt. Kamla Devi. They gave birth to a daughter who was named Indira.

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Jawaharlal Nehru as a Leader

Most Noteworthy, Jawaharlal Nehru was the first Prime Minister of India. He was a man of great vision. He was a leader, politician, and writer too. Since he always India to become a successful country he always worked day and night for the betterment of the country. Jawaharlal Nehru was a man of great vision. Most importantly he gave the slogan ‘Araam Haram Hai’.

Jawaharlal Nehru was a man of peace but he saw how Britishers treated Indians. Due to which he decided to join the freedom movement. He had a love for his country because of which he shook hands with Mahatma Gandhi (Bapu). As a result, he joined the Non-Cooperation movement of Mahatma Gandhi .

In his freedom struggle, he had to face many challenges. He even went to jail many times. However, his love for the country did not get any less. He fought a great fight which results in Independence. India got its’ Independence on 15th August 1947. Because of Jawaharlal Nehru’s efforts, he was elected as the first prime minister of India.

Achievements as a Prime Minister

Nehru was a man of modern thinking. He always wanted to make India a more modern and civilized country. There was a difference between the thinking of Gandhi and Nehru. Gandhi and Nehru had different attitudes toward civilization. While Gandhi wanted an ancient India Nehru was of modern India. He always wanted India to go in a forward direction. Despite the cultural and religious differences in India.

However, there was a pressure of religious freedom in the country. At that time the main motive was to unite the country. With all the pressures Jawaharlal Nehru led the country in scientific and modern efforts.

Most importantly Jawaharlal Nehru had a great achievement. He changed ancient Hindu cultural. It helped the Hindu widows a lot. The change had given women equal rights like men. The right of inheritance and property.

Though Nehru was great prime minister a problem stressed him a lot. The Kashmir region that was claimed by both India and Pakistan. He tried to settle the dispute several times but the problem was still there.

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  • Pandit Jawaharlal Nehru Essay

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An Introduction

Pandit Jawaharlal Nehru was one of the most famous freedom fighters and the first Prime Minister of independent India. Since he was such an important and inspirational figure for the country, children are taught about his personality and contributions. They are often asked to write a few lines about Jawaharlal Nehru in the form of a short note or Jawaharlal Nehru essay. Here are some lines on Jawaharlal Nehru in the form of a long and a short Pt. Jawaharlal Nehru Essay is given. 

The paragraph on Jawaharlal Nehru will be helpful for the students not only in writing Pandit Jawaharlal Nehru essay in English but also for writing Pandit Jawaharlal par Nibandh in Hindi.

Long Jawaharlal Nehru Essay in English 

India has been the home to many great freedom fighters and world leaders. Pandit Jawaharlal Nehru is one among them. He was born on 14 th November 1889 at Allahabad, officially known as Prayagraj. His father, Motilal Nehru, was a famous barrister. In the initial years, Jawaharlal Nehru had his primary education at home. He was then sent to England for high school studies. He completed his graduation in Law from Trinity College in Cambridge and became a barrister at the Inner Temple in London. He then returned to India as he was passionate about the Indian freedom struggle.

In the fight for Indian independence, he was deeply influenced by Mahatma Gandhi. Under his guidance, Jawaharlal Nehru took an active part in the freedom struggle following the path of truth and non-violence. Due to this, he was sent to jail many times. During his one of the jail periods, he wrote the book, ‘The Discovery of India’. He also wrote a series of letters to his daughter, Indira, telling her about the rich social and cultural heritage of India and the importance of the freedom struggle. He played a very active role in the struggle for independence with Congress. He was made the president of the Indian National Congress in 1929. Under him, Congress took the pledge of complete independence from British rule. This was known as the Poorna Swaraj declaration and was officially acknowledged on 26 th November 1930. This day is celebrated as ‘The Republic Day in India when India officially adopted its constitution.

After the independence of India on 15 th August 1947, Pandit Jawaharlal Nehru became the first Prime Minister of India. Under his astute leadership and global vision, India achieved progress, prosperity, and respect on the international stage. He laid the foundation of democracy in India. He exemplified his belief in democracy at an international level by adopting the Non-Aligned Policy as part of India’s foreign policy. This made India the pioneer of the Non-Aligned Movement in the world. He believed in peaceful co-existence and therefore he signed the Panchsheel Agreement between India and China in 1961. He was a great supporter of disarmament and worked hard to create an international order of peace and brotherhood. Following the path defined by Buddha, Christ, and Nanak, he led India, the largest democracy in the world, to a position of respect in the world. 

He died on 27 th May 1964. He left behind the rich heritage of planning and development. He created a network of educational, technical, and medical institutions. One of the best examples is the establishment of a chain of the Indian Institute of Technology and the Indian Institute of Management. He left a legacy of large industrial, agricultural, irrigation, and power projects. Projects such as setting up steel plants, construction of dams, and establishing power plants led India to the path of technological and infrastructural development.

His contributions have been noteworthy in all fields. Because of this, Pandit Jawaharlal Nehru came to be known as ‘The Architect of Modern India’. He was one of the few men who made a great impact on the country and the world. Being a favorite amongst the children and popularly known as ‘Chacha Nehru’, his birthday is celebrated as Children’s Day in India. He is and will be known for being a visionary and his beliefs for the unity of the country and the liberty of mankind.

Short Jawaharlal Nehru Essay in English

Pandit Jawaharlal Nehru became the first Prime Minister when India achieved independence on 15 th August 1947. He was born on 14 th November 1889 at Allahabad (which is now known as Prayagraj). Because he shared a fond relationship with children his birthday is celebrated as ‘Children’s Day in India. This is also the reason why he was famously known as ‘Chacha Nehru’. He was the son of a famous barrister Motilal Nehru and his wife Swaroop Rani. 

He went for his high school studies in London. He finished his graduation in Law from Trinity College, Cambridge, and practiced law at Inner Temple in London. He came to India to fight for Indian Independence. Under the guidance of Mahatma Gandhi, he worked for independence with the Indian National Congress.

When he was in jail from 1942 to 1946 he wrote, ‘The Discovery of India’. His inaugural speech as the first Prime Minister of independent India, ‘Tryst with Destiny’, is widely popular. His vision established several prominent educational, technological, and medical institutions. His contributions to diverse fields such as industrial, agricultural, projects, and foreign policies put India in a respectable position on the world map.

Timeline of  Jawaharlal Nehru's Life

Jawaharlal Nehru was born on 14  November 1889 in Allahabad (Now officially named as Prayagraj). His father was Motilal Nehru and his mother was Swaroop Rani, both belong to the Kashmiri pandit community.

In 1905, he started his institutional schooling at Harrow, (a leading school in England), with the nickname of Joe.

In October 1907, he went to Trinity College, Cambridge, to pursue the course on an honors degree in natural science.

After his degree was completed in 1910, he started studying law at the Inner Temple Inn.

In the year 1912, he returned to India and tried to settle down as a barrister like his father.

Within months of returning to India, he attended the annual session of the Indian National Congress in Patna and from there started playing his part as a Freedom fighter.

He married Kamala Kaul in 1916 and had a daughter named Indra in 1917.

At the time of the non-cooperation movement in 1920, he made his first big involvement in national politics. And also had to go to jail many times due to their involvement in such activities.

He also internationalized the Indian Freedom struggle and sought foreign allies for India. He forged links with others movements for independence and democracy. His efforts paid off in the year 1927 when Congress was invited to the congress of oppressed nationalities in Brussels, Belgium

From the year 1939, At the start of World War 2, Congress under Nehru decided to help the British but on the fulfillment of certain conditions, one of which was the assurance of complete independence of India after the war and right to frame a new constitution, but the British didn’t agree.

After the war, India somehow got Independence from the British, but sadly India was divided into two nations, Pakistan and modern-day India. And Nehru was elected as the Prime minister of this nation.

He led the country with his modern thinking and worked on the modernization of the Hindu religion.

At last, he died on 27th May, in 1962 due to a cardiac arrest.

This essay on Pandit Jawaharlal Nehru will be beneficial to the students for both English and Hindi language. This simple Jawaharlal Nehru essay can be easily translated into Hindi helping the students to write ‘Jawaharlal Nehru par Nibandh’ in Hindi.

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FAQs on Pandit Jawaharlal Nehru Essay

1. Who was Pandit Jawaharlal Nehru?

Pandit Jawaharlal Nehru was an Indian freedom fighter and later the first Prime Minister of independent India. He belonged to a family of Kashmiri pandits and was the son of Motilal Nehru and Swaroop Rani. Under the guidance of Mahatma Gandhi, he fought for the complete independence of India from British rule along with many other freedom fighters. 

2. Who was the First Prime Minister of India?

Jawaharlal Nehru was the first Prime Minister of independent India. He was a very active freedom fighter and fought for the independence of India against British rule. He was a member of the Indian National Congress and actively participated in the struggle for independence under the guidance of Mahatma Gandhi. 

3. How was Jawaharlal Nehru’s life as a leader and the prime minister of India?

Most Noteworthy, Jawaharlal Nehru was elected to be the first Prime Minister of Free India. He was considered a man of great thinking and modern thinking. He worked day and night for the betterment of the country and was also given the slogan Aaram Haram Hai. 

As PM, he wanted India to go in a forward direction in a scientific and modern way, despite the cultural and religious differences that existed in India in the past. The biggest achievement of Nehru as a PM will be the modernization of the Hindu religion. He helped a lot to change the Hindu cultures and practices. And by doing so, he made Hinduism a modern religion. Due to his changes, women were given equal rights as men.

4. Discuss the early life of Jawaharlal Nehru?

Jawaharlal Nehru was born on 14 November 1889 in Allahabad, now known as Prayagraj at the house of their father - Motilal Nehru, and Mother - Swaroop Rani. Nehru writes about his early life as a sheltered and uneventful one in his autobiography. His father was a self-made wealthy barrister and belongs to the Kashmiri Pandit community. Hence, he grew up in an atmosphere of privilege in a wealthy home. In his youth, he started developing nationalist feelings and became an ardent nationalist. He was amused by the idea of Indian freedom and Asiatic freedom from the thraldom of Europe.

5. What was in his inaugural speech as the Prime Minister of independent India Tryst with Destiny?

Pandit Jawaharlal Nehru, after becoming the PM of the Independent state of India, gave his inaugural speech at midnight on the eve of India’s independence (on 15 August 1947), which became quite famous and named Tryst with Destiny. This speech is considered the best speech of the 20th century. It fits well with that special day and captures the essence of the last day of the Indian independence movement against British colonial rule in India.

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Essay on Jawaharlal Nehru – 400 to 600 Words

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  • Updated on  
  • Nov 1, 2023

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Jawaharlal Nehru was the First Prime Minister of the Independent India. He was a nationalist leader, who along with Mahatma Gandhi and several other leaders led the independence movement. known to every Indian, was a key leader in India’s independence movement during the 1930s and 1940s. Also known as Pandit Nehru, he was the first Prime Minister of independent India , serving from 1947 to 1964. 

As the Prime Minister of India. Nehru passed the Objective Resolution, which established the concept and guiding principles for building the Constitution and eventually took the shape of the Preamble to the Indian Constitution . His policy of Non-Alignment during the Cold War years created a new atmosphere where leaders of newly independent countries of the Third World guarded their independence in international relations .

He was especially adored by children, who affectionately called him ‘Chacha Nehru’. In honour of his love for children, the government commemorates his birthday as ‘ Children’s Day ‘ on 14 November each year. He was not only a revered leader but also demonstrated immense patriotism and devotion to the nation.

Table of Contents

  • 1 Essay on Jawaharlal Nehru (200 Words)
  • 2.1 History
  • 2.2 Significant Activities and Accomplishments of Jawaharlal Nehru  
  • 3.1 Jawaharlal Nehru As Prime Minister
  • 3.2 Family 
  • 3.3 When did Jawaharlal Nehru Die?

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Essay on Jawaharlal Nehru (200 Words)

Jawaharlal Nehru, who played a significant role in India’s campaign for independence, served as the country’s first prime minister from 1947 to 1964. For his impartial international policy, Pandit Nehru, as he was popularly known, was admired. Children especially liked him and referred to him as “Chacha Nehru.” 

His birthday is celebrated throughout India as ‘Children’s Day.’ He was born in Allahabad on November 14, 1889. He was raised in affluence and practised law before entering politics. 

Because of his fervent feeling of patriotism and loyalty to the nation, Nehru joined Mahatma Gandhi in the struggle for liberty. Despite setbacks and detention, he persistently advocated for India’s freedom. After India gained independence in 1947, Nehru’s vision—which placed a heavy focus on progress and unification—played a crucial impact in establishing the country’s current direction.  

As prime minister, he worked to modernize India and put social changes into place, notably securing equal rights for women. Nehru’s secular policies and modern concepts had a significant impact on India’s development notwithstanding their different perspectives. He was in that position till his passing on May 27, 1964.  

As a visionary leader who fought for independence and democracy, Nehru left his mark on Indian history and national cohesion. 

Among his many significant accomplishments, he presided over the Indian National Congress, drafted the Declaration of Independence, managed the division of India, established the Election Commission, and ratified the Indus Water Treaty. People of all ages in India still recall and value Nehru’s contributions.

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Essay on Jawaharlal Nehru (300 Words)

A well-known individual who is well-known to every Indian, Jawaharlal Nehru played a crucial role in the 1930s and 1940s Indian independence struggle. He served as India’s first prime minister from 1947 until 1964 and is also referred to as Pandit Nehru. 

In this essay, you will learn about Jawaharlal Nehru’s journey and his accomplishments. 

Jawaharlal Nehru, born on 14th November 1889 in Allahabad (now Prayagraj), had the privilege of receiving the finest education due to his father’s prosperous status as a prominent lawyer. His father, Motilal Nehru, was affluent, which enabled Nehru to pursue studies abroad. He attended Harrow and Cambridge universities in England and obtained his degree in 1910.

Although Nehru was not particularly enthusiastic about law, he pursued it and practised in the Allahabad High Court. However, his true passion lay in politics . At the age of 24, he tied the knot with Smt. Kamla Devi, and together, they had a daughter Indira Gandhi.

Significantly, Jawaharlal Nehru held the distinguished honour of being India’s inaugural Prime Minister. He possessed an extraordinary vision, and apart from his leadership and political roles, he was also a writer. His unwavering dedication to India’s prosperity led him to work tirelessly day and night.

Jawaharlal Nehru’s profound sense of peace was challenged by witnessing the mistreatment of Indians under British rule, compelling him to join the freedom movement. Deeply devoted to his country, he collaborated with Mahatma Gandhi (Bapu) in the Non-Cooperation movement.

Significant Activities and Accomplishments of Jawaharlal Nehru  

Jawaharlal Nehru, was a visionary leader who championed independence, democracy , and modernization, leaving an indelible legacy of progress and unity for the nation. Let’s have a look at some of the most important activities and achievements of Jawaharlal Nehru: 

  • Served as the President of the Indian National Congress on five occasions. 
  • Made the historic Declaration of Independence and raised the Tricolor flag in Lahore on New Year’s Eve in 1929. 
  • Oversaw the partition of India while holding the position of Prime Minister. 
  • Played a crucial role in establishing the Election Commission of India during his tenure as Prime Minister. 
  • Signed the Indus Water Treaty between Pakistan’s President Ayub Khan and India’s Prime Minister, Jawaharlal Nehru.

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Essay on Jawaharlal Nehru (400 Words)

Jawaharlal Nehru, a highly renowned figure familiar to every Indian, played a pivotal role in India’s struggle for independence during the 1930s and 1940s. He assumed the role of India’s first prime minister from 1947 until 1964 and was affectionately known as Pandit Nehru.  

Nehru was instrumental in establishing India’s parliamentary system of government and gained prominence for his impartial and nonpartisan approach to global affairs. He held a special place in the hearts of children, who lovingly referred to him as “Chacha Nehru.” To honour his affection for children, the government observes his birthday as ‘Children’s Day’ on November 14th every year.  

In addition to his leadership and respect among the people, Nehru demonstrated unwavering loyalty and patriotism toward his nation.

Jawaharlal Nehru As Prime Minister

Throughout his struggle for independence, Nehru encountered numerous challenges and faced multiple imprisonments. Nevertheless, his love for the nation remained unwavering, and he fought relentlessly for India’s freedom. 

As a result of his exceptional efforts, India achieved independence on 15th August 1947, leading to his election as the country’s first Prime Minister.

Nehru was a visionary with modern ideas, striving to modernize and civilize India. His approach differed from Gandhi’s, as Gandhi favoured an ancient India while Nehru advocated for a modern direction, embracing progress despite cultural and religious differences.

Although religious freedom was a pressing concern in the country, Nehru’s primary focus was to unify the nation. He successfully led India towards scientific and modern advancements, despite facing various pressures.

A significant achievement of Jawaharlal Nehru was his reform in ancient Hindu cultural practices, particularly concerning Hindu widows. His efforts brought about positive changes, granting women equal rights to men, including rights of inheritance and property.

From 1929 to 1964, Nehru remained a beloved leader, even after facing challenges like the conflict with China in 1962. He had a secular approach to politics, which differed from Gandhi’s religious and traditional outlook. 

Gandhi aimed to make Hinduism more secular, despite appearing religiously conservative. The main contrast between Nehru and Gandhi was their approach to civilization. Nehru embraced modern ideas, while Gandhi looked back to ancient India’s greatness.

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Family 

Jawaharlal Nehru’s father, Motilal Nehru, was a wealthy lawyer practising at Allahabad High Court. His mother, Swarup Rani Nehru, hailed from a Kashmiri Brahmin family and was a homemaker. 

Jawaharlal Nehru had two sisters, with him being the eldest. His elder sister, Vijaya Lakshmi, achieved the distinction of becoming the first female President of the United Nations General Assembly. 

The youngest sister, Krishna Hutheesing, was a writer known for her autobiographical book titled “With No Regrets.”  In 1916, Jawaharlal Nehru tied the knot with Kamala Nehru, and together, they had a daughter named Indira Gandhi, who later became India’s first female Prime Minister.

When did Jawaharlal Nehru Die?

Jawaharlal Nehru held the position of India’s Prime Minister from 15th August 1947 until his passing on 27 May 1964, making him the longest-serving Prime Minister in Indian history . On 27th May 1964, Jawaharlal Nehru passed away at the age of 74 due to a heart attack.

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Ans: Jawaharlal Nehru, also known as Pandit Nehru, served as the first Prime Minister of independent India. He was a prominent leader in India’s struggle for independence and played a pivotal role in the Indian National Congress. 

Ans: Jawaharlal Nehru was born on November 14, 1889, in Allahabad, India, and he passed away on May 27, 1964, in New Delhi. 

Ans: Nehru significantly contributed to India’s independence movement during the 1930s and 1940s. He actively participated in the Civil Disobedience Movement and other campaigns against British rule.  

Ans: As Prime Minister, Nehru played a crucial role in shaping India’s political landscape. He established a parliamentary system of government and pursued nonalignment in foreign policy. Additionally, he focused on modernizing India and fostering social and economic development.

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Abhishek Kumar Jha

Abhishek Kumar Jha is a professional content writer and marketer, having extensive experience in delivering content in journalism and marketing. He has written news content related to education for prominent media outlets, garnering expansive knowledge of the Indian education landscape throughout his experience. Moreover, he is a skilled content marketer, with experience in writing SEO-friendly blogs. His educational background includes a Postgraduate Diploma in English Journalism from the prestigious Indian Institute of Mass Communication (IIMC), Dhenkanal. By receiving an education from a top journalism school and working in the corporate world with complete devotion, he has honed the essential skills needed to excel in content writing.

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