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भारत में ऋतु के प्रकार निबंध Essay on 6 Different Types of Seasons in India (Hindi)

भारत में ऋतु के प्रकार निबंध 6 Different Types of Seasons in India (Hindi)

इस लेख में हमने भारत में ऋतु के प्रकार निबंध Essay on 6 Different Types of Seasons in India (Hindi) के बारे में बताया है‌। इसे विद्यार्थी essay के रूप में भी परीक्षा के लिए मदद ले सकते हैं। साथ ही इस अनुच्छेद में इन भारतीय ऋतुओं के विषय में विस्तार से भी बताया है।

आईये आपको बताते हैं – भारत में ऋतु के विभिन्न प्रकार Essay onTypes of Seasons in India (Hindi)

प्रस्तावना Introduction (भारत की ऋतुएँ निबंध – 1000 Words)

भारत का मौसम अन्य देशों से बहुत अलग है। इसका मौसम हमेशा बदलता रहता है और मुख्य रूप से 6 प्रकार के मौसम को यहाँ देखा गया है जिनके नाम हैं – वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, और शीत ऋतु। in सभी ऋतुओं का अपना ही एक अलग अनुभव और महत्व होता है।

कई देशों में या तो साल भर बहुत सर्दी होती है या तो बहुत गर्मी परन्तु भारत में हर दो-तीन महीने में मौसम बदलते रहते हैं जिसका एक अलग ही मज़ा है। इससे किसानों को भी मदद मिलती है और वातावरण भी शांत और सुखद बना रहता है। इन्हीं विभिन्न प्रकार के ऋतुओं के कारण ही भारत में कई प्रकार के अनमोल जिव-जंतु पाए जाते हैं जो दुनिया में और कहीं भी पाए नहीं जाते हैं।

भारतीय ऋतुओं के साहित्यिक और पौराणिक नाम Traditional Name of Seasons in India (Hindi)

  • बसंत ऋतु = चैत, वैशाख
  • ग्रीष्म ऋतु = ज्येष्ठ, आषाढ़
  • वर्षा ऋतु = श्रावण, भादों
  • शरद ऋतु = क्वार, कार्तिक
  • हेमंत ऋतु = अगहन, पूस
  • शीत ऋतु = माघ, फाल्गुन

भारत की ऋतुओं के नाम और जानकारी हिन्दी में Indian 6 Types of Seasons Name in Hindi

1. बसंत ऋतु (चैत, वैशाख) spring season in hindi.

बसंत ऋतु को अंग्रेजी में Spring Season कहा जाता है। इस ऋतु को ‘मौसम का राजा’ माना जाता है।सर्दियों के तेज़ ठंड जब चली जाती है तब इस मौसम का अनमन होता है। यह मौसम न तो बहुत गर्म होता है और न ही बहुत ठंडा होता है।

इस मौसम के दौरान प्रकृति मनुष्य को सुन्दरता का भरपूर उपहार प्रदान करता है। बसंत के इस आगमन पर सुखद हवा की ध्वनि शुरू हो जाती है। यह हमारे शरीर और मन को तानो ताज़ा अहसास कराती है। इस मौसन के दौरान कुछ मुख्य त्यौहार भी आते है जैसे- मकर संक्रांति , वसंत पंचमी , पोंगल , होली , रामनवमी , आदि।

2. ग्रीष्म ऋतु (ज्येष्ठ, आषाढ़) Summer Season in Hindi

ग्रीष्म ऋतु को अंग्रेजी में Summer Season कहते हैं। यह गर्मियों का महिना होता है इस समय जलती हुई ज़ोरदार धुप होती है। ग्रीष्म ऋतु में नदियाँ, तालाब और कुऐ आदि सभी सूख जाते है। ज्यतारत लोगों को गर्मी का मौसम पसंद नहीं होता है परन्तु इस माह का भी एक अलग ही महत्व है।

हालांकि, इस मौसम में विभिन्न प्रकार के फल खाने को मिलते हैं। इस समय पके हुए आम और कटहल की खूब पैदावार होती है, जिसे हम सभी इस मौसम में ख़ुशी के साथ खाते है। ग्रीष्म ऋतु के मुख्य त्यौहार हैं – महावीर जयंती , बैसाखी , बुद्ध पूर्णिमा , आदि।

3. वर्षा ऋतु (श्रावण, भादों) Rainy Season in Hindi

वर्षा ऋतु को अंग्रेजी में Rainy Season कहते है। यह बारिश का महिना होता है। बरसात के मौसम में हर जगह पानी ही पानी होता है। इस मौसम में भारी बारिश के कारण सभी नदी, नाले और तालाब पानी से भर जाते हैं। वर्षा की संभावना के कारण आकाश में घने बादल हमेशा रहते हैं।

बारिश का महिना किसानों के जीवन में ढेरों खुशियाँ लाता है क्योंकि ज्यादातर किसान अपने फसल के लिए वर्षा के पानी पर निर्भर करते हैं। परन्तु कभी-कभी यह वर्षा ज्यादा होने पर सभी के लिए बाढ़ और कम होने पर सुखा जैसे प्राकृतिक आपदा का रूप भी ले लेता है। वर्षा ऋतु के कुछ मुख्य त्यौहार हैं – रक्षाबंधन , गुरु पूर्णिमा , जन्माष्टमी , आदि।

4. शरद ऋतु (क्वार, कार्तिक) Autumn Season in Hindi

शरद ऋतु को अंग्रेजी में Autumn Season कहते हैं। यह ऋतु वर्षा ऋतु के बाद आता है। इस मौसम में वर्षा के कारण होने वाले आद्रता और गर्मी में कमी आती है। शरद ऋतु के दौरान आने वाले कुछ मुख्य त्यौहार हैं – दशहरा , नवरात्री , आदि। जाती हुई शरद ऋतु में चावल की पैदावार शुरू हो जाती है और किसानों के पास कुछ धन इकठ्ठा हो पता है। यह उनके लिए सबसे ज्यादा ख़ुशी का दिन होता है।

5. हेमंत ऋतु (अगहन, पूस) Pre-winter Season in Hindi

हेमंत ऋतु को अंग्रेजी में Pre-winter Season कहते हैं। इस मौसम में आकाश सुखद धूप से मुस्कुराता हुआ दीखता है। आसमान स्पष्ट और नीला दिखाई देता है। यह खिलते हुए फूलों और ‘मधुर फल’ का मौसम है। रात के दौरान घास पर हल्की ओंस की बुँदे इकट्ठा हो जाती है, जो सुबह मोतियों की तरह दिखाई देती है ।

यह महिना शीत ऋतु से पहले आता है इसलिए इसकी रातों में थोड़ी-थोड़ी ठंड लगनी शुरू हो जाती है। सर्दी के महीने के कुछ मुख्य त्यौहार हैं – दिवाली , गोवर्धन पूजा , छठ पूजा , भैया दूज , गुरु नानक जयंती , आदि।

6. शीत ऋतु (माघ, फाल्गुन) Winter Season in Hindi

शीत ऋतु को अंग्रेजी में Winter Season कहते हैं। यह ठंड का मौसम होता है। भारत के कुछ उत्तरी राज्य जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड में शीत ऋतु के दौरान ज़ोरदार बर्फ की बारिश होती है। इन क्षेत्रों में तापमान सर्दी के महीने में शुन्य डिग्री से भी बहुत नीचे चले जाता है।

सर्दी के महीने में रातें लम्बी और दिन छोटे होते हैं। अत्यधिक सर्दी बढ़ने के कारण, लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। शीत ऋतु के दौरान ही क्रिसमस और नव वर्ष का उत्सव आता है।

निष्कर्ष Conclusion

भारत के सभी ऋतुओं का अपना-अपना एक सुन्दर उत्सव है। कभी भी कोई नहीं कह सकता है की कोई मौसम अच्छा है और कोई बुरा। सभी भारतीय ख़ुशी के साथ सभी भारतीय मौसम का लुफ्त उठाते हैं। मुझे खुद पर गर्व है की मैं ऐसे महान देश भारत में जन्म हुआ हूँ जिसमे ऋतुओं का इतना सुन्दर रंग-रूप देखने को मिलता है। आशा करते हैं आपको भारत में ऋतु के प्रकार निबंध 6 Types of Seasons in India (Hindi) लेख पसंद आया होगा।

8 thoughts on “भारत में ऋतु के प्रकार निबंध Essay on 6 Different Types of Seasons in India (Hindi)”

Every day required hindi inspiratonal quotus

Very short and easy to understand thank you

realy its benifit for me and I got more information about all 6 season ,so thank you very much.

Very nicely explained nice essay

Thank you for uploading this paragraph This helps me a lot to complete my homework

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  • निबंध ( Hindi Essay)

essay on seasonal changes in hindi

Essay on Seasons in India in Hindi | Rainy Seasons in Hindi

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Essay on seasons in India in Hindi से हम जानेंगे कि भारत की ऋतुएं खुद में बहुत ख़ास है । भारत इस पूरे विश्व का सबसे अभिन्न देश है। यहां भांति-भांति प्रकार की सभ्यताएं, संस्कृति देखने को मिलती है। उसी प्रकार से यह एक ऐसा देश है जहां विभिन्न विभिन्न प्रकार की ऋतुओं का भी आगमन होता है, जिसके कारण यह देश सभी प्रकार के मौसम को झेलने की ताकत रखता है। हर ऋतु का अपना अलग महत्व होता है। हर ऋतु इंसान के मन को सुहावना व लाभान्वित करती है। 

Essay on seasons in India in Hindi के माध्यम से आप भारत देश में आने वाली सभी ऋतुओं के बार में विस्तार से जानने वालें हैं।

Table of Contents

Varsha Ritu Essay in Hindi: 

Essay on Seasons in India in Hindi में यदि Varsha Ritu Essay in hindi की बात की जाय तो हम आपको यह बता दें कि भारत विभिन्न प्रकार की ऋतुओं का देश है। भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसमें हर प्रकार की ऋतु आती है। इसमें सबसे रोमांचक ऋतु है Varsha Ritu । वर्षा ऋतु ढेर सारी खुशियां लेकर आता है। यह श्रावण और भादो मास में आता है। वर्षा ऋतु कृषि के लिये जल की पूर्ति के लिए अति आवश्यक है।

 पर्यावरण की दृष्टि से देखें तो वर्षा ऋतु काफी अहम किरदार निभाती है। यह ऋतु जुलाई माह से शुरू होकर सितंबर तक रहती है। ग्रीष्म ऋतु के बाद यह काफी राहत की सांस लेता है। इसके बाद आसमान का भी साफ हो जाता है। यहां तक कि कई बार सतरंगी इंद्रधनुष दिखाई पड़ता है। किसानों के लिए वर्षा ऋतु सबसे अधिक फायदेमंद होती है। 

Rainy season in Hindi: 

Essay on Seasons in India in Hindi   में Rainy season in Hindi भारत वासियों का सबसे प्रिय ऋतु है। केवल मनुष्य ही नहीं पशु – पक्षी , पेड़ – पौधे सभी rainy season  का बेसब्री से इंतज़ार   करते हैं। rainy season   में वातावरण काफी सुंदर व आकर्षक हो जाता है , बादलों की गर्जन , बिजली की चमक , एक अद्भुत एहसास दिलाती है। इस सीजन में सभी प्राकृतिक जल स्त्रोत नाले – तालाब गड्ढे आदि पानी से भर जाते है और सड़कें मैदानी इलाका कीचड़ युक्त हो जाता है। rainy season   को प्यार की ऋतु भी बोला जाता है। 

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि जल ही जीवन है तो इस ऋतु में सभी जलीय स्रोतों की पूर्ति हो जाती है। वास्तविकता में तो किसानों के लिए यह सीजन वरदान साबित होता है। यह अच्छा होने के साथ कुछ जगह पर अपना दुष्प्रभाव भी डालता है जैसे :- अत्याधिक वर्षा , मृदा , अपरदन , और संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। इस सीजन में त्वचा रोग बढ़ जाते हैं। पेट संबंधित या पाचन संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं।

Essay on summer season in Hindi: 

Essay on Seasons in India in Hindi में हम आपको बता दें कि Summer season   भारत की सबसे विशेष ऋतु में से एक है। summer season   की शुरुआत   आषाढ़ के समय होती है। उत्तर – पश्चिमी भारत के शुष्क भागों में इस ऋतु में गर्म   हवाएं चलती हैं जिस को आम भाषा में ‘लू’ कहा जाता है। पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश में इस ऋतु में धूल भरी आंधियां भी चलती है।

भारत में वैसे तो मार्च से जून तक इस ऋतु का समय रहता है। इसमें संपूर्ण देश में तापमान में वृद्धि हो जाती है। सूर्य के पृथ्वी के सबसे निकट आ जाने के कारण Summer season आता है। अधिकतर इसमें तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इस तापमान के बढ़ने का मुख्य कारण मानवीय प्रदूषण , पेट्रोल गैस , Air conditioner इत्यादि हैं। इसी कारण यह रितु दुखदाई बन जाती है।  

summer season   के काफी सारे लाभ भी हैं , इस मौसम में खरीफ की फसलें बोई जाती है। summer season   में आम , लीची , तरबूज जैसे फलों की प्राप्ति होती है , जो शरीर की तरलता कायम रखता है। खाद्य पदार्थों की उपभोक्ता भी बढ़ जाती है। परंतु जल की कमी होने के कारण इस ऋतु में पानी से संबंधित रोगों की वृद्धि हो जाती है , जैसे दस्त , डायरिया इत्यादि। इस समय लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। जिसके लिए शरीर को लगातार पानी का सेवन देते रहना चाहिए।

Essay on winter season in Hindi:

Essay on Seasons in India in Hindi में Winter season   बेहद महत्वपूर्ण ऋतु है।   Winter season   में तापमान निम्न हो जाता है। Winter season   का आगमन अक्टूबर से होता है वह फरवरी अंत तक रहता है। नवंबर अंत या मध्य तक ठंड काफी बढ़ जाती है। Winter season   में रातें लंबी व दिन छोटे होते हैं।  

Winter season   का जीवनकाल कार्तिक से माघ मास के बीच रहता है। स्वास्थ्य के अनुसार यह ऋतु काफी लाभदायक होती है क्योंकि इस ऋतु में पाचन शक्ति काफी प्रबल होती है। खाद्य अनुसार भी Winter season   काफी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस समय में हरी सब्जियों की भरमार होती है , पालक , गोभी , गाजर इत्यादि जो कि शरीर के लिए लाभदायक होती है।

इस मौसम में गेंदा , सूरजमुखी , गुलाबी फूलों की भी खूबसूरत दिखाई पड़ती है। लोगों को काफी सुकून देता है। हमें जीवन के संघर्षों का सामना करने की प्रेरणा देता है। गरीबों के लिए यह रितु काफी दुखदाई होती है क्योंकि उनके पास उपलब्ध नहीं हो पाती है जिसके कारण उन लोगों को यह काफी दुष्कर लगता है। मूंगफली का आनंद भी इसी ऋतु में मिलता है। मूंगफली को तेल निकालने के लिये भी उपयोग किया जाता है। तेल आदि का सेवन इस ऋतु में लाभदाई होता है।

Essay on Six Seasons of India in Hindi: 

Essay on Seasons in India in Hindi में आपको बता दें कि भारत में 6 सीजन होते हैं , बसंत , वर्षा , शरद , ग्रीष्म , हेमंत और शीत ऋतु और प्रत्येक ऋतु का अपना अलग-अलग महत्व है। इन ऋतुओं से वातावरण , जलवायु , और कृषि हर ऋतु में भिन्न-भिन्न प्रकार से   लाभदायक होता है।

बसंत ऋतु : बसंत ऋतु का काल फाल्गुन स्वाद चैत्र मास होता है इसमें मौसम सुहावना हो जाता है नए पत्ते आने लगते हैं।

वर्षा ऋतु : वर्षा ऋतु आषाढ़ श्रावण और भादो मास में मुख्य रूप से होता है। इसका काल जुलाई से सितंबर के मध्य रहता है।

शरद ऋतु : इसे पतझड़ के नाम से भी जाना जाता है। यह अश्विन से कार्तिक के मध्य होता है इस ऋतु में आद्रता काफी बढ़ जाती है।

ग्रीष्म ऋतु : यह ज्येष्ठ से आषाढ़ के मध्य होता है। इस ऋतु में वातावरण तापमान काफी बढ़ जाता है।

हेमंत ऋतु : हेमंत ऋतु मार्गशीर्ष से पौष के मध्य रहता है। इसमें मौसम में मध्यम शीतलता आ जाती है इसमें मौसम काफी सुहावना   वह   लुभावना हो जाता है।

शीत ऋतु : यह ऋतु कार्तिक से माघ मास के मध्य रहती है। यह सभी ऋतु में से सबसे अधिक ठंडी ऋतु होती है स्वास्थ्य के लिए यह रितु सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है।

Bharat ki rituyen in hindi: 

Essay on Seasons in India in Hindi की इस पोस्ट में हम Bharat ki rituyen in hindi की बात करने वालें हैं।

भारत में छह प्रकार की ऋतु होती है। बसंत , वर्षा , शरद , ग्रीष्म , हेमंत और शीत ऋतु भारत एक ऐसा एकमात्र देश है। जहां भिन्न भिन्न प्रकार की ऋतु एवं जलवायु परिवर्तन होने के कारण ही यहां के देशवासियों की शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अधिक होती है। भारत एक ऐसा देश है जहां हर ऋतु का अपना महत्व है और सभी ऋतु किसी त्यौहार से परिपूर्ण है जैसे फसलों की कटाई के समय लोहड़ी , बसंत ऋतु के समय बसंत पंचमी होती है | इसी प्रकार से हर ऋतु का अलग-अलग त्योहार होता है |

Seasons of India in Hindi :

  Essay on Seasons in India in Hindi की इस पोस्ट में हम 4 seasons of india in hindi के बारे में जानेंगे। वैसे तो भारत में 6 ऋतुएं होती हैं , परन्तु   4 ऋतुएं मुख्य हैं : 

ग्रीष्म ऋतु : ग्रीष्म ऋतु साल का सबसे गर्म मौसम है। यह 15 अप्रैल से शुरू होकर 15 जुलाई तक रहती है। ग्रीष्म ऋतु को ज्येष्ट   या आषाढ़ के नाम से भी जाना जाता है। ग्रीष्म ऋतु के दौरान दिन बड़े और रात छोटी होती है। इस मौसम में चलने वाली हवा को लू कहते हैं। नदियों, तालाबों, और झीलों आदि का पानी सुखकर कम होने लगता है। ग्रीष्म ऋतु में गर्मी की वजह से विषैले कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। ग्रीष्म ऋतु गरीबों के लिए वरदान होती है क्योंकि वह जहां चाहे सो सकते हैं। ग्रीष्म ऋतु में आम, खरबूजा, खीरा, ककड़ी, तरबूज, आदि खाने को मिलता है।

शीत ऋतु :  सर्दियों का मौसम बहुत ही अच्छा और सुहावना मौसम होता है। इस समय ठंडी ठंडी हवा चल रही होती है , नीला आसमान होता है , सुबह-शाम कोहरा पड़ता है। शीत ऋतु नवंबर माह में प्रारंभ होती है और फरवरी माह तक चलती है। शीत ऋतु के प्रारंभ होते ही दिन छोटे और रात बड़ी होने लग जाती है। सर्दियों में धूप का प्रभाव कम हो जाता है और उत्तर दिशा की ओर से हवाएं चलने लग जाते है।

इन दिनों में सभी लोग गर्म कपड़े स्वेटर, कोट, कंबल, रजाई इत्यादि का इस्तेमाल करते है।

सर्दियों में पाचन शक्ति मजबूत हो जाती है इसलिए सभी लोग अच्छा भोजन खाकर सेहत बनाते है।

इन दिनों में दीपावली, लोहड़ी, क्रिसमस जैसे बड़े-बड़े त्यौहार आते है जिनका लोग खूब आनंद उठाते है।   फल और सब्जियों का अच्छी मात्रा में उत्पादन होता है। दिसंबर और जनवरी माह में बहुत अधिक ठंड के साथ कोहरा भी हो जाता है जिससे कुछ दिखाई नहीं देता है।

वर्षा ऋतु: भारत के सभी ऋतु में वर्षा ऋतु एक अनुपम ऋतु है। यह हर साल गर्मी के मौसम के बाद जुलाई से शुरू होकर सितंबर महीने तक रहती है। गर्मी के मौसम में तापमान अधिक होने के कारण जैसे महासागर नदी आदि भाप के रूप में बादल बन जाते हैं और बादल आपस में घर्षण करते हैं।

साथ ही इससे बिजली गिरती है और बारिश होती है।   यह ऋतु संसार को जीवन देती है, प्यासे को पानी देती है, और मां की तरह सभी पृथ्वी के जीवों का पालन पोषण करती है। भारत में ग्रीष्म ऋतु के ठीक बाद वर्षा ऋतु का आगमन होता है।

बसंत ऋतु : वसंत ऋतु मनमोहक ऋतु होती है । इस ऋतु में गुलाब, गेंदा, सूरजमुखी, सरसों आदि के फूल बहुतायत में फूलते हैं। वसंत में वृद्धों और बीमारों में भी नवजीवन के संकेत दिखाई देने लगते हैं। जनसमूह नए उल्लास से भर जाता है। इसी उल्लास का प्रतीक है-वसंत पंचमी और होली का त्योहार। ललनाएँ वसंत पंचमी में प्रकृति से सामंजस्य बिठाते हुए पीली साड़ी पहनती हैं। किसान होली के गीत गाते हैं। लोकगीतों की धुन पर सब नाच उठते हैं । वसंत ऋतु प्रकृति का उपहार है। यह बीमारियों को दूर भगाने का काल है।  

Ritu Name in Hindi : 

भारत में 6 प्रकार की ऋतुए   होती हैं :

  • ग्रीष्म ऋतु

Hemant Ritu Essay in Hindi :

Essay on Seasons in India in Hindi की इस पोस्ट में आप Hemant ritu essay in hindi के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी।

जैसा की हम जानते है की भारत में कई ऋतुए हैं।   शीत   ऋतू   का जिसमे अहम् हिस्सा हैं।   शीट ऋतू को २ भागो   में बांटा गया हैं हेमंत और शिशिर।

शीट ऋतू की शुरुआत को हम   हेमंत ऋतू कह सकते हैं क्योंकि इस समय   में ठंडक होती हैं।  

दोनों ऋतुओं ने हमारी परंपराओं को अनेक रूपों में प्रभावित किया है।   इसका समयकाल   मार्गशीर्ष-पौष   के मध्य होता हैं।   दीवाली इस ऋतु मे मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार में से एक है। 

स्वास्थय की दृष्टि से भी यह ऋतु बहुत लाभदायक होती है। इस ऋतु मे गर्म कपड़े पहनना एवं आग के सामने बैठना आदि अच्छा होता है ताकि शरीर को गर्म रखा जा सके। इस ऋतु के कुछ दुष्प्रभाव भी है जैसे- कुछ लोग ठंड सहन न करने के कारण बीमार हो जाते है। आयुर्वेद में हेमंत ऋतु को सेहत बनाने की ऋतु कहा गया है। हेमंत में शरीर के दोष शांत स्थिति में होते हैं। अग्नि उच्च होती है इसलिए वर्ष का यह सबसे स्वास्थ्यप्रद मौसम होता है। इस ऋतु में लघु (‌‌‌शीघ्र पचने वाले) तथा वातवर्धक अन्नपान का सेवन नहीं करना चाहिये।   बसंत , ग्रीष्म और वर्षा देवी ऋतु हैं तो शरद , हेमंत और शिशिर पितरों की ऋतु है। 

कार्तिक मास में करवा चौथ , धनतेरस , रूप चतुर्दशी , दीपावली , गोवर्धन पूजा , भाई दूज आदि तीज-त्योहार आते हैं , वहीं कार्तिक स्नान पूर्ण होकर दीपदान होता है। इस माह में उज्जैन में महाकालेश्वर की दो सवारी कार्तिक और दो सवारी अगहन मास में निकलती हैं। कार्तिक शुक्ल प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी विवाह होता है। हेमंत ऋतू के मौसम में प्रकृति का नजारा हरा-भरा हो जानें के कारण सभी लोग घुमनें के लिए बाहर जाते हैं। इस मौसम में सभी का स्वस्थ तंदुरुस्त हो जाता है। हेमंत ऋतू का यह मौसम सभी के लिए खुशियां लेकर आता है।

भारत में पुरे वर्ष सीजन बदलता है। वर्ष के शुरुआत से   ही   शीत   ऋतू का   आनंद शुरू हो जाता हैं। वर्ष   के मध्य में ग्रीष्म ऋतू   फिर वर्षा ऋतू का मनमोहक आगमन होता है। इस सीजन के बदलने से   हमारे शरीर को मजबूत बनता है , जो की अन्य देश के लोगो से अधिक होता है।  इस सीजन में हमे तरह – तरह के फल , सब्जियां का आनंद मिलता है।   इससे हमारी रोग प्रतिरोधक छमता भी बढ़ती हैं। हर सीजन में अलग   अलग प्रकर के त्यौहार भी होते हैं।

SHISHIR  SEASON   ESSAY   IN  HINDI :

Essay on Seasons in India in Hindi की इस पोस्ट में आप SHISHIR  SEASON  ESSAY   IN  HINDI के बारे में जानेंगे की शीत   ऋतू को २ भागो में बनता गया है उसमे से एक ऋतु   है   शिशिर | शिशिर में कड़ाके की ठंड पड़ती है। घना कोहरा छाने लगता है। दिशाएं   उज्ज्वल हो जाती हैं मानो वसुंधरा और अंबर एकाकार हो गए हों। ओस से कण-कण भीग जाता है। 

Shishir season का काल माघ और फाल्गुन के मध्य होता है। इस ऋतु में प्रकृति पर बुढ़ापा छा जाता है। वृक्षों के पत्ते झड़ने लगते हैं। चारों ओर कुहरा छाया रहता है। इस प्रकार ये ऋतुएं जीवन रूपी फलक के भिन्न-भिन्न दृश्य हैं , जो जीवन में रोचकता , सरसता और पूर्णता लाती हैं। सब्जियों के पौधे तथा लताएँ अपने उत्पादन की चरम स्थिति में इस ऋतु में ही पहुँच जाती है। बाज़ार सब्जियों से पट जाता है। भोजन अत्यन्त स्वाद लगने लगता है।

इस समय लिया गया पौष्टिक और बलवर्धक आहार वर्ष भर शरीर को तेज , बल और पुष्टि प्रदान करता है। शिशिर में वातावरण में सूर्य के अमृत तत्व की प्रधानता रहती है तो शाक , फल , वनस्पतियां इस अवधि में अमृत तत्व को अपने में सर्वाधिक आकर्षित करती हैं और उसी से पुष्ट होती हैं। मकर संक्रांति पर शीतकाल अपने यौवन पर रहता है। 

शीत के प्रतिकार तिल , तेल आदि बताए गए हैं। शिशिर में ठंड बढ़ने के कारण अनेक प्रकार के स्वास्थ्यवर्धक पाक , मेवों , दूध , गुड़-मूंगफली आदि शरीर को पुष्ट करते हैं। इस ऋतु में आने वाले व्रत-त्योहार में तिल के सेवन करने के लिए कहा जाता है। शीतकाल का खान पान वर्षभर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। शीतकाल के तीन-चार मासों में बनाए जाने वाले प्रमुख व्यंजनों में गोंद , मैथी ,   के लड्डू और सौंठ की मिठाइयां प्रमुख हैं।

ABOUT AUNTUM SUMMER SEASON IN HINDI: 

Essay on Seasons in India in Hindi की इस पोस्ट में आप ABOUT AUNTUM SUMMER SEASON IN HINDI के बारे में जानेंगे कि बसंत ऋतु   काफी उत्तम ऋतु   हैं। यह काफी रोमांचक ऋतु   होती हैं।   वसन्त ऋतु वर्ष की एक ऋतु है जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः सुखद रहता है। भारत में यह फरवरी से मार्च तक होती है। अन्य देशों में यह अलग समयों पर हो सकती है। इस ऋतु की विशेष्ता है मौसम का गरम होना , फूलो का खिलना , पौधो का हरा भरा होना और बर्फ का पिघलना। 

भारत का एक मुख्य त्योहार है होली जो वसन्त ऋतु में मनाया जाता है। यह एक सन्तुलित ( Temperate) मौसम है। इस मौसम में चारो ओर हरियाली होती है। पेड़ों पर नये नये पत्ते उगते है। इस ऋतु में कई लोग झीलों आदि में घूमने जाते है। 

वसंत ऋतु में वसंत पंचमी , शिवरात्रि तथा होली नामक पर्व मनाए जाते हैं। भारतीय संगीत साहित्य और कला में इसे महत्वपूर्ण स्थान है। संगीत में एक विशेष राग वसंत के नाम पर बनाया गया है जिसे राग बसंत कहते हैं। वसंत राग पर चित्र भी बनाए गए हैं।

वसंत ऋतु सर्दियों के मौसम के बाद और गर्मियों के मौसम से पहले , मार्च , अप्रैल और मई के महीने में आती है। बसंत के आगमन पर   किसान नई फसलें के पकने का इंतजार करने लगते हैं। सरसों के पीले-पीले फूल खिल-खिला कर ख़ुशी व्यक्त करते हैं। सिट्टे भी ऐसे लगते हैं जैसे सिर उठाकर ऋतुराज का स्वागत कर रहे हों। सरोवरों में कमल के फूल खिल कर इस तरह पानी को छिपा लेते हैं जैसे मनुष्यों को संकेत देते हैं की अपने सारे दुखों को समेट कर खुल के जिंदगी का आनंद ले। आसमान में पक्षी किलकारियां मारकर बसंत का स्वागत करते हैं।

Essay on different season in hindi :

भारत में तरह तरह के ऋतु है। हर ऋतु का अपना महत्व होता है , कोई प्रेम का त्यौहार है तो कोई दीपो का।   भारत की जलवायु व तापमान अन्य देशो से काफी भिन्न होती है। जिस प्रकार से पश्चिमी देशों में 12 महीना शरद ऋतु रहती है वैसा भारत में नहीं होता यहां पर गर्मी , ठंडक , वर्षा सभी प्रकार के ऋतु होते हैं जिसके कारण भारत की ऋतु , विश्व के सभी देशों की ऋतु से अलग है।

Conclusion : 

जैसा कि हमने Essay on Seasons in India in Hindi पूरे लेख में जाना कि भारत में विभिन्न विभिन्न प्रकार की ऋतु में उनका नए-नए तरीकों से आगमन उनका खाद्य स्वास्थ्य सभी चीजों से हमारा जुड़ाव यह सभी चीजें केवल भारतवर्ष में ही दिखाई पड़ती है अतः हर ऋतु  ह में सतर्कता के साथ में आनंद लेते रहिए।

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Hindi essay 1 #  ग्रीष्म ऋतु | summer season.

1. प्रस्तावना ।

2. ग्रीष्म का आगमन ।

3. ग्रीष्म का प्रभाव ।

4. प्रकृति पर प्रभाव ।

5. महत्त्व ।

6. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

भारत की भौगोलिक संरचना काफी विविधताओं से भरी हुई है । कहीं पर्वत हैं, कहीं नदियां हैं, कहीं नाले हैं, तो कहीं बर्फीली चोटियां, तो कहीं मैदानी भागों की हरियाली है, तो कहीं मरुस्थलीय रेतीली भूमि । वर्ष के विभिन्न अवसरों पर यहां प्रकृति के भिन्न-भिन्न रूप मिलते हैं । इन रूपों के आधार पर वर्ष-भर में भारत में छह प्रकार की ऋतुएं होती हैं-वर्षा, शरद, शिशिर, हेमन्त, वसंत तथा ग्रीष्म ऋतु ।

2. ग्रीष्म ऋतु का आगमन:

भारत में सभी ऋतुएं अपने-अपने क्रम पर आती-जाती हैं और प्रकृति में अपने प्रभाव व महत्त्व को दर्शाकर चली जाती हैं । यहां ग्रीष्म ऋतु का आगमन वसंत ऋतु के बाद होता है । भारतीय गणना के अनुसार ज्येष्ठ और आषाढ़ के महीने में ग्रीष्म का आगमन होता है ।

ADVERTISEMENTS:

अंग्रेजी कलेण्डर के हिसाब से इसका आगमन 15 मार्च से 16 जून तक होता है । सामान्यत: मार्च के महीने से बढ़ता हुआ इसका तापमान मई तथा जून माह में चरमसीमा पर होता है । सूर्य जब भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ता है, तब इसका तापमान बढ़ने लगता है ।

भारतीय पर्व होली के बाद सूर्य की गरमी बढ़ने लगती है । सूर्य का जब मकर संक्रान्ति के बाद उत्तरायण होने लगता है, तब ग्रीष्म प्रारम्भ हो जाती है ।

3. ग्रीष्म का प्रभाव:

ग्रीष्म में प्रकृति का तापमान बढ़ जाता है । धरती तवे के समान तपने लगती है । लू के थपेड़ों से समस्त प्राणियों का शरीर मानो झुलसने लगता है । नदियों, तालाबों, कुओं का जल सूखने लगता है । जलस्तर कम होने लगता है ।

गरमी के कारण पशु-पक्षी, मानव सभी आकुल-व्याकुल होने लगते हैं । प्यास के मारे गला सूखने लगता है । सूर्य की गरमी से व्याकुल होकर प्राणी छाया ढूंढने लगते हैं । रीतिकालीन कवि सेनापति ने ग्रीष्म की प्रचण्डता का वर्णन करते हुए लिखा है कि ”वृष को तरनि तेज सहसौ किरन करि, ज्वालन के ज्वाल विकराल बरखत है ।

तचति धरनि, जग जरत झरनि सीरी छांव को पकरि पंथी बिरमत हैं । सेनापति धमका विषम होत जो पात न खरकत है । मेरी जान पौनो सीरी ठण्डी छांह को पकरि बैठि कहूं घामै बितवत है ।”  अर्थात् वृष राशि का सूर्य अपने प्रचण्ड ताप को भयंकर ज्वालाओं के जाल के रूप में धरती पर बिखेर रहा है । धरती तप गयी है । संसार जलने लगा है । ऐसा लगता है कि आग का कोई झरना बह रहा है ।

गरमी से आकुल-व्याकुल होकर धरती के प्राणी किसी ठण्डी छाव को पकड़कर विश्राम करने लगे हैं । सेनापति के अनुसार दोपहर के होते हुए वातावरण में इतना भीषण सन्नाटा छा जाता है कि पत्ता तक नहीं खड़कता है । ऐसा प्रतीत होता है कि हवा भी किसी ठण्डे कोने में विश्राम कर रही है । तभी तो हवा भी नहीं चल रही है ।

एक दोहे में कवि बिहारी यह कहते हैं कि कहलाने एकत बसत. अहि मयूर मृग-बाघ । जगत तपोवन सों कियों, दीरघ दाघ निदाघ ।। अर्थात् ग्रीष्म से व्याकुल होकर सर्प, मृग, मोर तथा बाघ जैसे हिंसक, अहिंसक प्राणी आपसी वैर-भाव भूलकर एक ही स्थान पर विश्राम कर रहे है ।

इस गरमी ने तो इस संसार को तपोभूमि बना दिया है । ग्रीष्म के प्रभाव से दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं । खाना खाने की इच्छा नहीं होती । सिर्फ ठण्डा पानी पीने का मन करता है । कूलर की ठण्डी हवा में पड़े रहने का मन करता है ।

4. प्रकृति पर प्रभाव:

प्रकृति पर ग्रीष्म का प्रभाव इतना होता है कि वायु इतनी गरम हो जाती है कि पेड़ों से लेकर प्राणियों तक को झुलसाने लगती है । नदी, तालाब सुख जाते हैं । रेतीले स्थानों पर अधिया चलने लगती हैं । मैदानी भागों में तो लू चलने लगती है ।

लोगों का घर से निकलना दुश्वार हो जाता है । सभी प्राणी बेचैन हो उठते हैं । इस भयंकर गरमी से बचने के लिए लोग पहाड़ी और ठण्डे स्थानों पर जाते हैं । जहां पर बिजली नहीं होती, वहां पर इनके अभाव में बड़ी तकलीफ होने लगती है ।

5. महत्त्व:

सभी ऋतुओं की तरह ग्रीष्म ऋतु का अपना ही विशेष महत्त्व है । यद्यपि इस ऋतु का प्रभाव प्राणियों पर बड़ा ही कष्टप्रद होता है, किन्तु फसलें तो गरमी में ही पकती हैं । हम रसीले फल, खरबूजे, तरबूज, आम, ककड़ी, लीची, बेल आदि का आनन्द लेते हैं ।

लस्सी, शरबत, आइसक्रीम, कुल्फी, बर्फ के गोलों को खाने का आनन्द ही कुछ ओर होता है । मई और जून की गरमी में हमारे स्कूलों में छुट्टियां होने लगती हैं । गरमी में तो घूमने, सैर-सपाटों का लोग आनन्द लेते हैं ।

गरमी के कारण ही वर्षा ऋतु का आगमन होता है । गरमी में नदियों, समुद्रों आदि का पानी सूखकर वाष्प के रूप में आकाश में जाता है और उससे बादल बनते हैं । फिर इन्हीं बादलों से वर्षा होती है । ग्रीष्म तु एक प्रकार से हमें धैर्य और सहनशक्ति सिखाती है ।

जिस प्रकार प्रचण्ड गरमी के बाद रिमझिम वर्षा का आगमन होता है, उसी प्रकार दुःख के बाद सुख आता है । गरमी के कारण पंखे, कूलर, वातानुकूलित यन्त्रों एवं शीतल पेयों का हम भरपूर लुत्फ उठा सकते हैं । बागों में तो आमों की नयी-नयी किस्में बहार लेने लगती हैं ।

6. उपसंहार:

इस प्रकार हम पाते हैं कि ग्रीष्म का अपना विशेष महत्त्व है । यदि हम ग्रीष्म के दुष्प्रभावों से बचने की पहले से ही व्यवस्था कर लेंगे, तो इस के भयंकर प्रभाव से हम बच सकते हैं तथा इससे प्राप्त आनन्द का पूर्णत: लाभ उठा सकते हैं ।

ग्रीष्मावकाश के समय का सदुपयोग हम कई हितकर कार्यो में भी कर सकते हैं; क्योंकि इस समय दिन बड़ा होता है । इस तरह हम मनोरंजक साधनों से भी अपने जीवन की नीरसता को कम कर सकते हैं ।

Hindi Essay 2 #  वर्षा ऋतु | Rainy Season

2. वर्षा का आगमन ।

3. प्रकृति पर वर्षा का प्रभाव ।

4. महत्त्व ।

5. उपसंहार ।

जब सूर्य की प्रचण्ड किरणें धरती को जलाने लगती हैं, ऐसे में धरती के सभी प्राणी आकुल-व्याकुल हो उठते हैं, नदियां, ताल-तलैया सब सुख जाते हैं, तब प्यासी धरती पानी के लिए तड़प उठती है ।

ऐसे समय में ऋतुओं की रानी बरखा अपनी रिमझिम फुहारों के साथ धरती को शीतलता देने और उसकी प्यास बुझाने आ पहुंचती है । सारी प्रकृति प्रसन्नता से झूम उठती है । सारा जन-जीवन प्यास से तृप्त होकर खुशी से गाने लगता है और शुरू हो जाता है कृषिप्रधान देश भारत का जन-जीवन ।

2. वर्षा का आगमन:

उमड़-घुमड़कर छाये हुए आकाश में काले-काले बादल जब टप-टप कर बरस पड़ते हैं, तो समझ लो कि वर्षा रानी आ गयी । ऋतुओं की रानी वर्षा का आगमन वस्तुत: मानसून के साथ जुड़ा हुआ है । सामान्यतया इसका समय 15 जून से 17 सितम्बर तक होता है, किन्तु मानसून के आगमन में देर-सवेर की वजह से समय थोड़ा परिवर्तित हो जाता है ।

वर्षाकाल में धरती मानो हरियाली की चादर ओढ़े इतराने लगती है । जल में नहाये हुए पेरू-पौधे ठण्डी वायु के झोकों के साथ लहराने लगते हैं । पक्षी वनों, कुंजों में मधुर ध्वनि गाने लगते हैं । नदियों और तालाबों का कल-कल करता हुआ बड़ी तेजी से बहता हुआ पानी, वर्षा की महिमा को बिखेरने लगता है ।

काले-काले मेघ गर्जन-तर्जन करते हुए बिजली की चमक के साथ धरती पर बरस पड़ते हैं । बगुलों की सफेद पंक्तियां आकाश में उड़ती हुई अत्यन्त सुन्दर लगती हैं । वर्षा के आगमन का चित्र खींचते हुए कवि सेनापतिजी लिखते हैं:

दामिनी दमक, सुरचाप की चमक, स्यामघटा की धमक अति घोर-घनघोर तें । कोकिला-कलापी कल कूजत है, जित-तित शीतल है, हीतल समीर झकझोर तें । सेनापति, आवन कइयो है मन भावन तै सु लाग्यों तरसावन विरह जुर जीर तें ।।

आयो सखि, मदन सरसावन । लायों है, बरसावन सलिल चहुं ओर तें । अर्थात वर्षा ऋतु का आगमन होते ही कोयल, मोर सुन्दर आवाजें करते हुए यहां-वहां दिखाई पड़ते हैं । ठण्डी वायु के झोंकों से धरती का हृदय शीतल हो उठता है । सेनापति कवि कहते हैं कि विरही जनों को यह ऋतु प्रियतम की याद दिलाती है ।

3. प्रकृति पर प्रभाव:

वर्षा का आगमन होते ही समस्त प्रकृति पर उसका प्रभाव व्यापक रूप से दिखाई देने लगता है । जहां वर्षा के आते ही वातावरण एकदम सुहावना हो उठता है, वहीं नदी-नालों, तालाबों में लबालब जल भर जाता है । पेड़-पौधे नये-नये पत्तों से ढक जाते हैं । वनों-उपवनों में तो हरियाली के दर्शन होने लगते हैं ।

धरती पर नये-नये अंकुर फूट पड़ते हैं । किसान हल लेकर खेतों की ओर निकल पड़ते हैं । सावन-भादो की इस हरियाली में तीज, नागपंचमी, रक्षाबन्धन, कजली, हलषष्ठी, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों का आनन्द दूना हो जाता है । बच्चे, बूढ़े, जवान छतरी, रेनकोट के साथ वर्षा की फुहारों का आनन्द लेते दिखाई पड़ते हैं ।

4. वर्षा का महत्त्व:

भारत एक कृषिप्रधान देश है । यहां की 80 प्रतिशत से भी ज्यादा की आबादी गांवों में ही निवास करती है । गांवों की अधिकांश जनता खेती पर ही निर्भर है । सिंचाई सुविधाओं का पूरी तरह से विस्तार न होने के कारण जनता वर्षा पर ही निर्भर है । कृषि का आधार भी वर्षा ही है ।

कृषि हमारे जीवनयापन का साधन है, अर्थव्यवस्था का आधार है । वर्षा के बिना किसी प्रकार का उत्पादन सम्भव ही नहीं है । यह सत्य है कि जिस वर्ष वर्षा अच्छी होती है, तो फसल उत्पादन भी अच्छा होता है । हरी-भरी घास उगने के कारण पशुओं को चारा भी अच्छा प्राप्त होता है । पशुओं को चारा अच्छा मिलने के कारण उनसे अच्छा दूध प्राप्त होता है ।

5. उपसंहार:

वर्षा ऋतु मानव जीवन का आधार है । वर्षा के बिना प्रकृति में जीवन सम्भव नहीं है; क्योंकि इसके बिना अन्न उत्पादन असम्भव है । इस प्रकार वर्षा हमारे जीवन की सुख-समृद्धि का आधार है । वहीं अधिक वर्षा से बाढ़ की विनाशकारी स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जो खेतों की फसलों को नष्ट कर देती है । जन-धन को अपार हानि पहुंचाती है । इस में

कीड़े-मकोड़े, सर्प, बिच्छू आदि कई प्रकार के जहरीले कीड़े निकलते हैं, जिनसे मनुष्य के जीवन को जान का खतरा हो सकता है । वर्षा में मक्खियों के फैलने से हैजा का प्रकोप बढ़ जाता है । रास्ते में अधिक पानी की वजह से कीचड़ बढ़ जाता है ।

वर्षा ऋतु में होने वाली इन हानियों से बचा जा सकता है, किन्तु इतना सत्य है कि वर्षा के बिना जीवन सम्भव नहीं है ।  अत: इस का होना हमारे लिए बहुत जरूरी है । वर्षा की प्रत्येक बूंद हमारे लिए प्राणदायिनी है । इसकी महत्ता हमें कम वर्षा, अर्थात् अनावृष्टि से ज्ञात हो जाती है । जो भी हो, वर्षा हमारे जीवन का प्राणाधार है ।

Hindi Essay 3 #  शरद ऋतु | Autumn Season

2. शरद का प्रभाव ।

3. शरद ऋतु का महत्त्व ।

4. उपसंहार ।

जब गरमी के प्रभाव से सारा संसार जलने लगता है, तो उसकी तपन को शान्त कर देती है-वर्षा रानी । जब वर्षा रानी अपने प्रभाव से समस्त संसार को नया जीवन देती है, हरियाली और सम्पन्नता का नया वरदान देकर विदा लेती है, तब शरद ऋतु का आगमन होता है । सभी छह ऋतुओं में शरद ऋतु का प्रभाव प्रकृति में अनुपम रूप से दिखाई पड़ता है ।

2. शरद का प्रभाव:

शरद का आगमन होते ही प्रकृति का रूप अत्यन्त ही निर्मल एवं मनोहारी हो जाता है । निर्मल चन्द्रमा की चांदनी का प्रकाश सारी पृथ्वी में व्याप्त हो जाता है । फिर धरती क्या, आकाश क्या, सभी जगह निर्मल व शीतल चांदनी की आभा दिखाई देने लगती है ।

आकाश से बादलों की कालिमा हट जाती है । स्वच्छ आकाश से निर्मल चन्द्रमा झांकता-सा दिखाई देता है । आकाश में नजर आते असंख्य तारे आकाश में खिले पुष्प की तरह नजर उघते हैं । या फिर ऐसा प्रतीत होता है कि आकाश में अनगिनत मोती बिखरे पड़े हों ।

रीतिकालीन कवि सेनापतिजी ने शरद ऋतु के प्राकृतिक वैभव एवं सौन्दर्य का वर्णन करते हुए लिखा है कि:  फूले है कुमुद, फूली मालती सघन वन । फूलि रहे तारे, मानो मोती अनगन है ।। उदित विमल चंद चांदनी छिटकी रही ।

तिमिर हरण भयो सेत है वरन सब ।। मानहुं जगत क्षीर सागर में डूबा हुआ है । गोस्वामी तुलसीदासजी ने शरद के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए रामचरितमानस में लिखा है कि:  वरषा विगत सरद रितु आई । लछिमन देखहुं परम सुहाई । फूले कास सकल महि छाई । बिनु घन निर्मला सोह आकाशा । हरिजन इव परिहरि सब आसा । कहुं कहुं दृष्टि सारदी थोरी ।

अर्थात् वर्षा ऋतु व्यतीत होते ही शरद ऋतु का आगमन होता है । लक्ष्मणजी इस के सौन्दर्य को देखकर बहुत प्रसन्न हो रहे हैं । कांस के खिले हुए फूल अत्यन्त सुन्दर लग रहे हैं तथा बादलों से विहीन आकाश उसी प्रकार शोभायमान हो रहा है, जिस प्रकार हरिजन सब प्रकार की आशाओं को त्यागकर सुशोभित होते हैं ।

शरद ऋतु में कहीं-कहीं थोड़ी-थोड़ी वर्षा होती है । मैथिलीशरण गुप्ताजी ने चन्द्रमा की शोभा के रात्रिकालीन सौन्दर्य का वर्णन करते हुए लिखा है कि:  चारु चन्द्र की चंचल कि२णें, खेल रही थीं जल-थल में । स्वच्छ चांदनी बिखरी हुई है, अवनि और अम्बर तल में ।

3. शरद का महत्त्व:

शरद ऋतु में समस्त नदियों और तालाबों का जल स्वच्छ हो जाता है । धरती पर धूल और कीचड नहीं रहती है । बादलों से विहीन आकाश अत्यन्त सुन्दर दिखाई देता  है । शरद ऋतु में खंजन पक्षी भी दिखाई देने लगते हैं । साथ ही हंस भी क्रीड़ा करते हुए हर्षित होते हैं ।

शरद के प्रारम्भ होते ही सभी जन अपने-अपने कार्य-व्यापार में लग जाते हैं; क्योंकि वर्षा ऋतु में सबके कार्य बन्द-से पड़ जाते है । शरद ऋतु का आगमन होते ही समस्त कीट-पतंग नष्ट हो जाते हैं । इरम में नवरात्र, दीपावली जैसे त्योहारों की उमंग और उत्साह देखते ही बनती है ।

4. उपसंहार:

इस तरह प्रकृति की सभी छह ओं में शरद अपनी प्राकृतिक शोभा के कारण महत्त्व रखती है । लोगों को अपने-अपने कर्तव्यकर्म में गतिशील होने की प्रेरणा होती है । शरद ऋतु में अमृत बरसाता चन्द्रमा अपनी किरणों की शीतलता से सभी की थकान हर लेता है । भारतीय जन-जीवन में शरद ऋतु विशेष महत्त्व रखती है ।

Hindi Essay # 4 शिशिर ऋतु |   Winter Season

2. शिशिर ऋतु का आगमन ।

3. महत्त्व ।

शरद ऋतु जब अपने शीतल, रचच्छ, मोहक सौन्दर्य से प्रकृति पर अपना प्रभाव छोड़ जाती है, तो उसकी खुमारी को तोड़ती हुई हौले-हौले दबे पांव आ जाती हैं: शिशिर ऋतु । शरद की हल्की-हल्की गुलाबी ठण्ड अपने पूर्ण यौवन पर आ पहुंचती है ।

शिशिर के समय धरती का तापमान तो कहीं-कहीं पर शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है । ठण्ड अपने पूरे शबाब पर आ जाती है, जिसका प्रभाव समस्त प्रकृति पर प्राणिमात्र पर ऐसा पड़ता है कि उन्हें कंपकंपी-सी छूटने लगती है ।

2. शिशिर का आगमन:

भारत में शिशिर ऋतु का प्रारम्भ नवम्बर के मध्य से होता है । जनवरी तथा फरवरी इस ऋतु के सबसे ठण्डे महीने होते हैं । यह मौसम वायुदाब से प्रभावित होता है । सूर्य के दक्षिणायन होने से हिमालय के उत्तर क्षेत्र में उच्च वायुदाब का केन्द्र विकसित हो जाता है तथा यहां से पवनें भारतीय उपमहाद्वीप की ओर बहने लगती हैं ।

ये पवन ही शुष्क महाद्वीपीय वायु संहति के रूप में पहुंचती है । इस समय उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्र का तापमान 18 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, किन्तु दक्षिण की ओर बढ़ते जाने से सागरीय समीपता एवं उष्णकटिबन्धीय स्थिति होने के कारण तापमान बढ़ता जाता है ।

इस समय उत्तरी भारत के मैदानी भागों का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है । रात के समय तो इसका तापमान 0 ० से भी नीचे चला जाता है । इस सामान्य ठण्ड के मौसम को सामान्यत: शीत लहर की संज्ञा दी जाती है ।

3. शिशिर ऋतु का महत्त्व:

इस में खरीफ की फसलें खलिहानों में पककर तैयार हो जाती हैं । खरीफ की फसलों के उगते ही खेतों में रबी की फसलें, गेहूं चना तथा दालों की फसलों का उत्पादन अच्छा होता है । यह रबी की फसलों के लिए बहुत फायदेमन्द है ।

इस ऋतु में विभिन्न प्रकार के फल-फूल तथा सब्जियां बहुतायत में उपलव्य होती हैं । खेतों में लहलहाती रबी की फसलों के साथ-साथ हरी-हरी सब्जियां मटमट करती हुई धनियां लोगों के जीभ का स्वाद बढ़ा देती है । गाजर, मूली, टमाटर, सेमफली, मटर, गोभी जैसी फसलें अपना अनूठा स्वाद चखाती हैं ।

ठण्ड में फलों में भी मिठास आ जाती है । यह ऋतु स्वास्थ्य के लिए भी बड़ी लाभदायक होती है । कहा जाता है कि इस में बीमारी से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है; क्योंकि ताजी सब्जियां और विटामिनयुक्त फल शरीर को शक्तिवर्द्धक बनाते हैं ।

इस में रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं । गरमी तथा वर्षा में हमारी कार्यक्षमता प्रभावित होती है, किन्तु इस ऋतु में हमारी कार्यक्षमता बढ़ जाती है । इस ऋतु में हम दीपावली, क्रिसमस, ईद जैसे त्योहारों का आनन्द उठाते हैं ।

रंग-बिरंगे ऊनी कपड़ों में बच्चे, बूढ़े, जवान सभी स्वेटर, ऊनी शॉल, कोट, मफलर डाले ठण्ड को दूर भगाते नजर आते हैं । गरमागरम चाय के साथ गुनगुनी धूप का आनन्द लेते हैं । इस ऋतु में विशेषत: विभिन्न प्रकार के खेलों का आयोजन होता है ।

क्रिकेट, हॉकी, कबडी, खो-खो, फुटबॉल, एथेलिटिक्स आदि प्रतियोगिता ठण्ड के आनन्द को और अधिक बढ़ा देती हैं । खेलों से जहां शरीर में चुस्ती-फुर्ती आती है, वहीं हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहता है । शीतकालीन विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं गे स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं होती हैं ।

इस में जहां बहुत से लाभ हैं, वहीं कुछ हानियां हैं । अत्यधिक ठण्ड की वजह से लोग ठिठुरकर काल के गाल में समा जाते हैं । इस ऋतु में सर्दी, खांसी, दमा जैसी बीमारियां आपने पांव पसारने लगती हैं । ठण्ड की अधिकता से लोगों की कार्य की गति धीमी पड़ जाती है ।

अत्यधिक ठण्ड की वजह से लोग रजाई और बि२तर में ही दुबके रहना चाहते हैं ।  ठण्ड के दिनों में ईधन की खपत कुछ ज्यादा ही होती है । इस ऋतु में कभी-कभी वर्षा हो जाती है, जिसकी वजह से फसलें खराब हो जाती हैं । पाला और कोहरे की वजह से फसलें तथा सब्जियां सड़ जाती हैं । सूर्य, चन्द्रमा की तरह मन्द पड़ जाता है । नदियों, तालाबों का पानी बर्फ बन जाता है ।

यह सत्य है कि प्रकृति की प्रत्येक का अपना विशेष महत्त्व होता है । इस रूप में शिशिर ऋतु प्रकृति की अत्यन्त सुन्दर एवं उपयोगी है ।

Hindi Essay 5 # हेमन्त ऋतु | Spring Season

2. महत्त्व ।

3. उपसंहार ।

समस्त प्राणी समाज को अपने ठण्डे-ठण्डे झोंकों से ठिठुराती-कंपकपाती शिशिर ऋतु जब प्रकृति से विदा लेती है, तो आ जाती है-हेमन्त । इसे पतझड़ की भी कहते हैं । हेमन्त का आगमन समस्त प्रकृति एवं मानव-समाज के लिए एक अनूठा सन्देश होता है ।

2. महत्त्व:

हेमन्त का आगमन होते ही पेड़ों से पत्ते झड़ने लगते हैं । पके हुए पीले-पीले पत्ते पेड़ों से गिरते हैं, ताकि नये पत्ते उसकी जगह ले सकें । नवीनता का नया सन्देश देने वाली यह ऋतु प्राकृतिक दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है ।

पेड़ों से पत्ते झड़ने का प्राकृतिक कारण है कि वृक्षों की वाष्पोत्सर्जन की क्रिया को सीमित किया जाये, ताकि वृक्ष पानी की कमी की क्षति को पूरा कर सकें । प्रकृति की इस क्रिया के पीछे यह उद्देश्य है कि पेड़ों द्वारा त्यागे गये पत्ते वृक्ष को पानी से होने वाली कमी से अनुकूलन करा सकें ।

पुराने, जर्जर, पके हुए पत्ते जब अपना स्थान छोड़ते हैं, तब उनका स्थान नये-नये पत्ते ले लेते हैं । वृक्षों से फूटी हुई नयी कोंपलें वृक्ष को पूर्ण यौवन प्रदान करती हैं, साथ ही उसकी जीवनी तथा प्राणशक्ति को बढ़ा देती हैं ।

वृक्षों से गिरे हुए ये पत्ते वर्षा ऋतु में भूमि की नयी परत बनाने में मदद करते हैं । नवीन पौधों का अंकुरण भूमि की इस नयी परत में ही बड़ी सरलता से होता है । इस में सूर्य का ताप क्रमश: बढ़ने लगता है, जिससे सभी जीवधारियों को ठण्ड से काफी-कुछ राहत मिल जाती है ।

हेमन्त का सम्बन्ध मानव-जीवन दर्शन से है, जो इस सांसारिक दर्शन से हमारा साक्षात्कार कराती है कि मनुष्य का जीवन क्षणभंगुर है, नाशवान है । जिस तरह से पेड़ों के पत्ते अपना सम्पूर्ण जीवन जीने के उपरान्त मिट्टी में मिल जाते हैं, उसी तरह मानव-जीवन भी नश्वर है ।

कबीरदासजी ने तो मानव-जीवन की इसी नश्वरता पर प्रकाश डालते हुए वृक्ष के पके पत्ते से इसकी तुलना करते हुए यह दोहा लिखा है:

मानुष देह दुर्लभ है, देह न बारम्बार । तरूवर से पत्ता झरया लागे न बहुरि डार ।। पुराने चीजों की जगह ही नवीन चीजों को स्थान मिलेगा । विकास की यही गति है, यही प्रक्रिया है । मनुष्य का जीवन पके हुए पत्ते की तरह है, यही हमारे जीवन का सत्य है । हेमन्त ऋतु एक प्रकार से प्रकृति की नवीनता की सूचक है । उसके लिए अपनी जमीन वह तैयार भी करती है ।

3. उपसंहार:

प्रकृति की अन्य ऋतुओं ल तरह हेमन्त ऋतु का अपना अलग ही महत्त्व है । यह ऋतु जहां प्राचीनता के मोह को छोड़ने तथा नवीनता के आग्रह का सन्देश देती है, वहीं यह सन्देश देती है कि परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है ।

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शीत ऋतु पर निबंध Winter Season Essay in Hindi

शीत ऋतु पर निबंध Winter Season Essay in Hindi (600W)

हमने इस आर्टिकल में शीत ऋतु Winter Season Essay in Hindi पर निबंध लिखा है जिसमें प्रस्तावना, महत्व, मनाए जाने वाले त्योहार, लाभ और हानि 10 लाइन बताया है।

Table of Contents

प्रस्तावना  (शीत ऋतु पर निबंध Winter Season Essay in Hindi)

शीत ऋतु का आगमन शरद ऋतु के बाद होता है व बसंत ऋतु के आगमन पर समाप्त होता है। भारत में शीत ऋतु बहुत अधिक ठंडी होती है। शीत ऋतु माघ या फाल्गुन के नाम से भी जाना जाता है।

ठंडे मौसम के कारण सूर्य की किरणें धरती पर बहुत कम समय के लिए पड़ती है। जिसके कारण वातावरण ठंडा होने लगता है।

शीत ऋतु का महत्व (Importance of Winter season in Hindi)

शीत ऋतु का समय नवंबर माह से फरवरी तक होता है। भारत में नवंबर माह में शुरू होने वाली ठंड दिसंबर के आते  बहुत ही अधिक बढ़ जाती है। शीत ऋतु में दिन प्रायः छोटे व रात लंबी होती है।

शीत ऋतु में सुबह के समय पेड़ पौधों की पत्तियों पर ओस की बूंदे रहती हैं जो मोतियों के समान लगती हैं।

अधिक ठंड होने के कारण धुन्ध,कोहरा हो जाता है जिसके कारण कुछ भी नहीं दिखाई देती है।

सर्दियों में पहाड़ बर्फ  के कारण ढक जाता है जो देखने में बहुत सुंदर लगते हैं और सूर्य उदय होने पर विभिन्न रंगों के फूल खिलते हैं जिनसे पर्यावरण अत्यधिक मन मोहक हो जाता है।

और पढ़ें:- शरद ऋतु पर निबंध

शीत ऋतु की विशेषता Characteristics of Winter Season

शीत ऋतु मैं अन्य दिनों की तुलना में अधिक परिवर्तन दिखाई देते हैं जैसे ठंडा मौसम, लंबी रातें, छोटे दिन, ठंडी हवा का चलना, घना कोहरा, धुंध, कम तापमान का चलना, बर्फ का गिरना आदि।

शीत ऋतु पर मनाए जाने वाले त्योहार Winter Festivals

मकर संक्रांति, क्रिस्मस, नया साल, गणतंत्र दिवस, बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है।

शीत ऋतु के लाभ और हानि Advantages and Disadvantages of Winter Season in Hindi

शीत ऋतु का लाभ advantages and of winter season in hindi.

शीत ऋतु का मौसम सुबह टहलने के लिए बहुत ही अच्छा होता है। इस ऋतु में अनेक गतिविधियाँ जैसे आइस स्केटिंग, आइस हॉकी आदि में भाग ले सकते हैं। सदियों में पाचन शक्ति मजबूत हो जाती है। जिससे हम अच्छा भोजन कर सकते हैं और अपना सेहत बना सकते हैं।

यह मौसम किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस मौसम में खेती अच्छी होती है।

मौसम ने हमें अनेक प्रकार की सब्जियां मिलती है जैैसे पत्ता गोभी, फूल गोभी, मटर, मूली, गाजर, पालक और फलों में सेब, अंगूर, मुसम्मी से बाजार भरा हुआ।

यह मौसम बहुत ही सुहाना होता है इस मौसम में  बर्फ गिरता है  जिस कारण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

और पढ़ें:- बसंत ऋतु पर निबंध

शरद ऋतु का हानी Disadvantages of Winter Season in Hindi

शरद ऋतु के समय कड़ाके की ठंड होती है जिस कारण लोग अपने घरों में कंबल, स्वेटर, चादर, रजाई आदि का इस्तेमाल करते हैं और आग जला कर आग के सामने बैठे रहते हैं।

सुबह-सुबह कोहरा और धुंध छाया रहता है जिस कारण  से यातायात मैं परेशानी होती है। बड़ी गाड़ियां, हवाई जहाज, ट्रेन अपने टाइम पर नहीं पहुंच पाते हैं।

गरीबों के लिए शीत ऋतु बहुत ही कष्टदायक होता है क्योंकि उनके पास कंबल, स्वेटर,  रजाई, चादर आदि गर्म कपड़े खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते हैं इसीलिए उन्हें आग जलाकर ही राहत का अनुभव करते हैं।

ठंड के मौसम में हमारे स्वास्थ्य के लिए हमें अच्छे खान-पान का ध्यान रखना पड़ता है।

तापमान कम होने के कारण हमारे शरीर और त्वचा में रूखापन हो जाती है जिसका भी हमें विशेष ध्यान रखना पड़ता है।

शीत ऋतु पर 10 लाइन 10 Line on Winter season in Hindi

  • शीत ऋतु का आगमन शरद ऋतु के बाद होता है व बसंत ऋतु के आगमन पर समाप्त होता है।
  • भारत में शीत ऋतु बहुत अधिक ठंडी होती है।
  • शीत ऋतु माघ या फाल्गुन के नाम से भी जाना जाता है।
  • ठंडे मौसम के कारण सूर्य की किरणें धरती पर बहुत कम समय के लिए पड़ती है।
  • शीत ऋतु में दिन प्रायः छोटे रात लंबी होती है।
  • शीत ऋतु में सुबह के समय पेड़ पौधों के पत्तियों पर ओस की बूंदे पड़ी होती है जो ऐसा प्रतीत होती है मानो किसी ने उन पर मोती बिखेर दिए हो।
  • सर्दियों में पहाड़ बर्फ के कारण ढंक जाता है जो देखने में बहुत ही सुंदर लगता है।
  • अधिक ठंडा होने के कारण धुंध और कोहरा छाए रहता है जिस कारण कुछ भी दिखाई नहीं देता है।
  • शीत ऋतु पर मकर संक्रांति, क्रिसमस, बसंत पंचमी, नया साल, और गणतंत्र दिवस का त्यौहार मनाया जाता है।
  • यह रितु हमें जीवन में संघर्ष का सामना करने की प्रेणा देती है।

निष्कर्ष Conclusion

सर्दी का मौसम काफी ठंडा होता है इस ऋतु में सबको ताजा व सुंदर दिखाई देता है। यह रितु हमें जीवन में संघर्ष का सामना करने की प्रेणा देती है। शीत ऋतु से पहले शरद ऋतु में जीवन सामान्य रहता है। परंतु शीत ऋतु में अत्यधिक ठंड के कारण हमारा संघर्ष बढ़ जाता है। जिस प्रकार शीत ऋतु के बाद हमें बसंत ऋतु का आनंद मिलता है ठीक उसी प्रकार जीवन में संघर्ष करने पर हमें सफलता का आनंद  मिलता है। यही संदेश हमें शीत ऋतु देती है।

 धन्यवाद

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दा इंडियन वायर

वसंत ऋतु पर निबंध

essay on seasonal changes in hindi

By विकास सिंह

essay on spring season in hindi

वसंत ऋतु पर निबंध, small essay on spring season in hindi (100 शब्द)

वसंत का मौसम सभी का मनभावन मौसम होता है। भारत में वसंत का मौसम मार्च, अप्रैल और मई के महीनों के दौरान पड़ता है। यह सर्दियों के मौसम के लंबे तीन महीनों के बाद आता है, जिसके दौरान लोग सर्दी जुकाम से राहत महसूस करते हैं। वसंत के मौसम में तापमान मध्यम हो जाता है और हर जगह खिलने वाले पेड़ों और फूलों के कारण हरा और रंगीन दिखता है।

लंबे इंतजार के बाद, आखिरकार समय आता है जब हम हल्के कपड़े पहनना शुरू करते हैं और अधिक बार दरवाजे के बाहर जा सकते हैं। छोटे बच्चे पतंगबाजी करते हैं। होली का त्यौहार इस मौसम की शुरुआत में आता है जब हर कोई रंगों और पानी से होली खेलकर वसंत के आने का पूरा आनंद लेता है।

वसंत ऋतु पर निबंध, essay on spring season in hindi (150 शब्द)

भारत में मार्च, अप्रैल और मई के महीनों में सर्दियों के मौसम के बाद वसंत आता है। यह मौसम गर्मियों के मौसम के रूप में समाप्त होता है। वसंत मार्च के महीने में शुरू होता है और भारत में मई के महीने में समाप्त होता है। भारत के कुछ हिस्सों में, लोग गर्म वातावरण के कारण इस मौसम का पूरी तरह से आनंद नहीं लेते हैं।

तापमान बहुत सामान्य हो जाता है, सर्दियों की तरह बहुत ठंडा नहीं होता है और पूरे वसंत के दौरान गर्मियों की तरह बहुत गर्म नहीं होता है लेकिन अंत में यह धीरे-धीरे गर्म होना शुरू हो जाता है। रात में, मौसम अधिक सुखद और आरामदायक हो जाता है।

वसंत का मौसम बहुत प्रभावी है; जब यह आता है तो यह प्रकृति में पेड़, घास, फूल, फसल, जानवर, इंसान और अन्य जीवित चीजों से लेकर सर्दियों के मौसम की लंबी नींद तक सब कुछ जगाता है। मनुष्य नए और हल्के कपड़े पहनते हैं, पेड़ नई हरी पत्तियों और शाखाओं से भरे होते हैं और फूल अधिक ताजा और रंगीन हो जाते हैं। हर जगह नए घास से भरे मैदान बन जाते हैं और इस तरह पूरी प्रकृति हरी और ताजा दिखती है।

वसंत ऋतु पर निबंध, essay on spring season in hindi (200 शब्द)

वसंत का मौसम भारत में सबसे सुखद मौसम के रूप में जाना जाता है। प्रकृति में सब कुछ सक्रिय हो जाता है और पृथ्वी पर नया जीवन महसूस करता है। वसंत का मौसम तीन महीने लंबे सर्दियों के मौसम के बाद जीवन में बहुत सारी खुशियां और राहत लाता है।

वसंत सर्दियों के बाद और गर्मियों के मौसम से पहले मार्च, अप्रैल और मई के महीनों में पड़ता है। वसंत के मौसम की घटना देश से देश के साथ-साथ इस मौसम के तापमान में भी भिन्न-भिन्न होती है। कोयल पक्षी गीत गाना शुरू करती है और आम खाने का आनंद लेती है।

प्रकृति में हर जगह रोमांस की सुगंध से भरपूर हो जाती है जैसे कि फूल खिलने लगते हैं, पेड़ नए पत्ते पाने लगते हैं, आकाश बादल रहित हो जाता है, नदियाँ हल्की हो जाती हैं, आदि, हम कह सकते हैं कि प्रकृति खुशी से जोर से घोषणा करती है कि वसंत आ गया है; अब जागने का समय आ गया है

इस मौसम की सुंदरता और चारों ओर खुशी मन को बहुत रचनात्मक बनाती है और शरीर को पूरे आत्मविश्वास के साथ नए काम शुरू करने की ऊर्जा देती है। सुबह-सुबह पक्षियों की आवाज़ और रात में चंद्रमा की रोशनी, दोनों बहुत ही सुखद, शांत और शांत हो जाते हैं। आकाश बहुत साफ दिखता है और हवा बहुत ठंडी और ताज़ा हो जाती है।

यह किसानों के लिए महत्वपूर्ण मौसम है क्योंकि उनकी फसलें खेतों में पकती हैं और उन्हें काटने का समय आ गया है। हर कोई खुशी और खुशी महसूस करता है क्योंकि यह मौसम होली, राम नवमी, हनुमान जयंती, गुड फ्राइडे, ईस्टर, बिहू, नवरोज़, बसखी, आदि त्योहारों का मौसम है।

वसंत ऋतु पर निबंध, essay on spring season in hindi (250 शब्द)

प्रस्तावना:.

वसंत का मौसम वर्ष का सबसे अच्छा और सबसे पसंदीदा मौसम है। लोग (विशेषकर बच्चे) इस मौसम में अपनी सुंदरता, थोड़े शांत और आरामदायक स्वभाव के कारण पसंद करते हैं। यह वर्ष के सभी मौसमों की रानी है और कवियों का पसंदीदा मौसम माना जाता है। यह सर्दियों के मौसम के बाद और गर्मियों के मौसम से पहले आता है। यह मार्च के महीने से शुरू होता है और मई के महीने में समाप्त होता है।

वसंत के मौसम के आगमन पर पृथ्वी पर सब कुछ मनमोहक और आकर्षक लगता है। सभी पेड़ों को नए पत्तों के रूप में नए कपड़े मिलते हैं, फूल खिलने और सुगंधित होने लगते हैं, पक्षी पेड़ों की शाखाओं पर नाचना और गाना शुरू कर देते हैं, आकाश साफ, बादल रहित और नीला हो जाता है, खेत हरी घास से भर जाते हैं और अन्य बहुत सारे बदलाव आते हैं।

वसंत का मौसम फूलों और त्योहारों का मौसम होता है और इस प्रकार बहुत सारी खुशियाँ और खुशियाँ आती हैं। रंगीन और सुंदर फूल पूरी तरह से दिल जीत लेते हैं और हरी घास हमें बगीचे में चलने के लिए एक अच्छी जमीन देते हैं। सुंदर उड़ान तितलियों हमारी आंखों को अक्सर सुबह और शाम को पकड़ती हैं। दिन और रात दोनों बहुत ही सुखद और मस्त हो जाते हैं। सुबह-सुबह पर्यावरण मधुमक्खियों, कोयल और अन्य पक्षियों की आकर्षक आवाज़ों से भरा हो जाता है।

खुशी का मौसम:

वसंत का मौसम बहुत खुशी, खुशी और खुशी प्रदान करता है। सर्दियों में बहुत अधिक ठंड होती है, गर्मियों में बहुत गर्म होती है और बारिश के मौसम में हर जगह कीचड़ और गंदगी हो जाती है, इसलिए वसंत को खुशी और खुशी का मौसम कहा जाता है। हर कोई इस मौसम का भरपूर आनंद लेता है और सर्दियों और गर्मियों के बीच अपने सभी आकर्षण को प्राप्त करना चाहता है।

वसंत सभी जीवित प्राणियों जैसे पेड़, पौधे, फूल, पशु, पक्षी, मनुष्य आदि के लिए खुशी और खुशी का मौसम है क्योंकि यह न तो गर्म है और न ही ठंडा है। दिन और रात लगभग समान हो जाते हैं, न तो बहुत कम और न ही बहुत लंबे। हर कोई सर्दियों में ठंड से, गर्मियों में गर्म और कीचड़ और बारिश के मौसम में गंदगी से तंग आ जाता है।

निष्कर्ष:

वसंत की वास्तविक सुंदरता हमारे स्वास्थ्य का पोषण करती है और हम जीवन के सभी दुखों को भूल जाते हैं। यह दिल को बहुत खुशी और खुशी से भर देता है। तो, हम वास्तव में हर जगह सुखद स्थलों के साथ इस मौसम का आनंद लेते हैं।

वसंत ऋतु पर निबंध, essay on basant ritu in hindi (300 शब्द)

भारत में वसंत का मौसम मार्च, अप्रैल और मई के महीने में सर्दियों और गर्मियों के मौसम में पड़ता है। यह सभी मौसमों के राजा के रूप में जाना जाता है और प्रकृति के युवाओं के रूप में प्रसिद्ध है।

वसंत के मौसम के फायदे:

वसंत का मौसम पौधों को अच्छी भावनाएं, अच्छा स्वास्थ्य और नया जीवन देता है। यह एक सबसे सुंदर और आकर्षक मौसम है जो फूलों को खिलने के लिए अच्छा मौसम देता है। मधुमक्खियों और तितलियों फूलों की कली पर गोल और गोल बनाती हैं और स्वादिष्ट रस (फूलों का सार) चूसने का आनंद लेती हैं और शहद बनाती हैं।

इस मौसम में लोग फलों के राजा आम को खाने का आनंद लेते हैं। चिड़िया कोयल पत्तेदार टहनी पर बैठकर अच्छे गाने गाती है और सभी का दिल जीत लेती है। दक्षिण दिशा से बहुत मीठी और ठंडी हवा बहती है जो फूलों की अच्छी खुशबू लाती है और हमारे दिल को छू जाती है।

यह लगभग सभी धर्मों के त्योहारों का मौसम है, जिसके दौरान लोग अच्छी तैयारी करते हैं और अपने परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर आनंद लेते हैं। यह किसानों का मौसम है जब वे नई फसलें अपने घर लाते हैं और कुछ राहत लेते हैं। कवियों के मन में अच्छी काव्य कल्पनाएँ मिलती हैं और मीठी कविताएँ लिखते हैं। इस मौसम में, मन अधिक रचनात्मक और अच्छे विचारों से भरा हो जाता है।

वसंत ऋतु के नुकसान:

वसंत ऋतु के कुछ नुकसान भी हैं। जैसा कि यह सर्दियों के मौसम का अंत है और गर्मी के मौसम की शुरुआत है, यह स्वास्थ्य के लिए अधिक संवेदनशील मौसम है। आम सर्दी, चेचक, चिकन-पॉक्स, खसरा आदि विभिन्न महामारी रोग आम हैं, इसलिए लोगों को अपने स्वास्थ्य की अतिरिक्त तैयारी करनी पड़ती है।

वसंत का मौसम वर्ष के सभी मौसमों का राजा है। वसंत के मौसम के दौरान प्रकृति अपने सबसे सुंदर रूप में दिखाई देती है और हमारे दिल को बहुत खुशी से भर देती है। वसंत के मौसम का पूरी तरह से आनंद लेने के लिए हमें स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और विभिन्न महामारियों से बचाव के लिए टीका लगवाना चाहिए।

वसंत ऋतु पर निबंध, long essay on spring season in hindi (400 शब्द)

वसंत का मौसम तीन महीने तक रहता है, लेकिन ऐसा लगता है कि इसकी खूबसूरती के चारों ओर छोटी अवधि के लिए अवशेष हैं। वसंत के मौसम के स्वागत में पक्षी मधुर गीत गाने लगते हैं। इस मौसम में तापमान सामान्य रहता है, न तो बहुत ठंडा और न ही बहुत गर्म। यह हमें महसूस कराता है कि पूरी प्रकृति ने हर जगह प्राकृतिक हरियाली के कारण खुद को हरी चादर से ढक लिया है।

सभी पेड़ों और पौधों को नया जीवन और नया रूप मिलता है क्योंकि वे अपनी शाखाओं पर नए पत्ते और फूल विकसित करते हैं। खेतों में फसलें पूरी तरह पक जाती हैं और हर जगह असली सोने जैसी दिखती हैं। नई और हल्की हरी पत्तियाँ पेड़ और पौधों की शाखाओं पर लगाना शुरू कर देती हैं। सर्दियों के मौसम की लंबी चुप्पी के बाद, पक्षी यहां और घरों के पास या आकाश में गाना और गाना शुरू करते हैं।

वसंत की घटना पर, वे ताजा महसूस करते हैं और अपने मधुर गीतों के माध्यम से अपनी चुप्पी तोड़ते हैं। वहाँ की गतिविधियाँ हमें यह महसूस कराती हैं कि इतने अच्छे मौसम के लिए वे भगवान को बहुत खुश और धन्यवाद दे रहे हैं। इस सीज़न के शुरू होने पर, तापमान सामान्य हो जाता है जिससे लोगों को राहत महसूस होती है क्योंकि वे अपने शरीर पर बहुत सारे गर्म कपड़े रखे बिना कुछ आउटिंग कर सकते हैं।

सप्ताहांत के दौरान कुछ पिकनिक की व्यवस्था करके माता-पिता अपने बच्चों के साथ आनंद लेते हैं। फूलों की कलियाँ अपने पूरे जोश में खिल जाती हैं और प्रकृति का स्वागत अपनी अच्छी मुस्कान के साथ करती हैं। खिलते हुए फूल चारों ओर अपनी मधुर सुगंध बिखेर कर एक सुंदर दृश्य और रूमानी एहसास देते हैं। इंसान और जानवर स्वस्थ, खुश और सक्रिय महसूस करते हैं।

सर्दियों के मौसम के बहुत कम तापमान के कारण लोग अपने बहुत सारे लंबित कार्यों और परियोजनाओं को करने लगते हैं। बहुत शांत जलवायु और वसंत का सामान्य तापमान लोगों को बिना थके बहुत काम करता है। हर कोई सुबह और शाम से अच्छा दिन शुरू करता है, यहां तक ​​कि बहुत भीड़ के बाद भी ताजा और ठंडा महसूस करता है। किसान बहुत खुश और राहत महसूस करते हैं क्योंकि वे कई महीनों के लंबे श्रम के बाद इनाम के रूप में अपने घर में सफलतापूर्वक नई फसलें लाते हैं।

हम अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों और रिश्तेदार के साथ वसंत ऋतु में होली, हनुमान जयंती, नवरात्रि और अन्य त्योहार मनाते हैं। वसंत का मौसम प्रकृति से हमें और पूरे पर्यावरण के लिए एक अच्छा उपहार है और हमें महत्वपूर्ण संदेश देता है कि दुःख और खुशी एक के बाद एक जारी है। इसलिए कभी भी बुरा महसूस न करें और थोड़ा धैर्य रखें, क्योंकि हर काली रात के बाद एक अच्छी सुबह होती है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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वर्षा ऋतु पर निबंध- Rainy Season Essay in Hindi

दोस्तों इस आर्टिकल में हम आपके लिए Rainy Season Essay in Hindi ( Varsha Ritu Par Nibandh  ) शेयर कर रहे है, हमने 100 words, 200 words, 250 words, 300 words, 500 words 600 words ke essay लिखे है जो की class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 ke students | Vidyarthi ke liye upyogi hai.

In this article, we are providing information about Rainy Season in Hindi | 4 well written essay on Rainy Season in Hindi Language. वर्षा ऋतु पर पूरी जानकारी जैसे की सामान्य परिचय, प्राकृतिक शोभा, जन-जीवन, लाभ-हानि अदि के बारे बताया गया है। 

वर्षा ऋतु पर निबंध | Rainy Season Essay in Hindi

10 Lines Essay on Rainy Season ( 100 words )

1. वर्षा ऋतु का समय मुख्य रूप से श्रावण-भाद्रपद मास में होता है।

2. वर्षा ऋतु के आते ही आकाश में काले-काले मेघ छा जाते हैं।

3. वर्षा के बरसने से वनों और बागों में हरियाली छा जाती है।

4. वर्षा ऋतु किसानों के लिए वरदान है।

5. वर्षा ऋतु से पहले ग्रीष्म ऋतु में भीषण गर्मी पड़ती है

6. इसी ऋतु में खरीफ की फसल बोई जाती है।

7. वर्षा हमें नव जीवन देती है।

8. अधिक वर्षा से नदियों में बाढ़ आ जाती है।

9. वर्षा ऋतु में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं।

10. वर्षा प्राणि-मात्र के लिए वरदान है।

Read Also- 10 Lines on Rainy Season in Hindi

वर्षा ऋतु पर निबंध | Short Essay on Rainy Season in Hindi ( 200 words )

गर्मी के बाद वर्षा ऋतु आती है। तेज गर्मी के बाद आसमान बादलों से ढंक जाता है। बिजली चमकने लगती है और बारिश होने लगती है। सभी जीव-जन्तु प्रसन्न हो जाते हैं।

वर्षा ऋतु चार महीने जून से सेप्टेंबर तक रहती है। वर्षा ऋतु में चारों तरफ हरियाली छा जाती है। नदी, नाले पानी से भर जाते हैं। मेंढ़क टर्र-टर्र करने लगते हैं। मोर खुशी से नाचने लगता है।

इस मौसम में लोग छाते, रेनकोट में इधर-उधर जाते नज़र आते हैं। बच्चों को पानी में भीगना और खेलना बहुत अच्छा लगता है। वे कागज की नाव बनाकर पानी में तैराते हैं।

वर्षा ऋतु में सबसे ज्यादा किसान खुश रहता है। वर्षा होते ही वह खेतों में बीज बो देता है। अच्छी वर्षा होती है, तो फसल भी अच्छी होती है।

लेकिन इस ऋतु में कुछ नुकसान भी होता है। तेज वर्षा से बाढ़ आ जाती है। गाँव-नगर पानी में डूब जाते हैं। सामान बह जाता है। अनेक लोग और पशु मर जाते हैं।

लेकिन फिर भी यह मौसम खुशहाली लाता है । इस ऋतु को जीवन देने वाली ऋतु कहते हैं।

जरूर पढ़े- Summer Season Essay in Hindi

Varsha Ritu Par Nibandh Hindi me ( 300 words )

मनमोहिनी प्रकृति के अनेक रूप हैं। उसके अनेक रूपों में वर्षा ऋतु का रूप विशेष रूप से आनन्ददायक और मन-भावन है। वर्षा ऋतु का आगमन ग्रीष्म ऋतु के अनन्तर होता है।

भारत में वर्षा ऋतु का समय मुख्य रूप से श्रावण-भाद्रपद मास में होता है। यद्यपि वर्षा का आरम्भ आषाढ़ मास में हो जाता है और आश्विन मास तक रहता है। इसी कारण इसे चौमासा भी कहते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने के कारण जो भीषण गर्मी पड़ती है, उसी के कारण जल भाप बनकर आकाश में उड़ जाता है। उसी से बादल बनते हैं; वे बादल ही पानी बरसाते है।

वर्षा ऋतु के आते ही आकाश में काले-काले मेघ छा जाते हैं, शीतल वायु बहने लगती है, बिजली चमकने लगती है और मेघों का गर्जन प्रारम्भ हो जाता है। तदनन्तर झम-झम करके बादल बरसने लगते हैं। वर्षा के बरसने से वनों और बागों में हरियाली छा जाती है। धरती की प्यास बुझ जाती है। नदी-नाले, ताल-तलैया पानी से भर जाते हैं। प्राणि-मात्र आनन्द से भर जाता है। वनों में पपीहा पीहू-पीहू स्वर करने लगता है तो मेघों की काली घटा को देखकर मोर भी नाचने लगते हैं तो मेंढक टर्राने लगते हैं। बागों में वृक्षों पर झूला डालकर उन पर स्त्रियाँ झूलने लगती हैं। बरसात की अंधेरी रात में चमकते जुगनू तारों सी शोभा देते हैं।

वर्षा ऋतु किसानों के लिए वरदान है। वर्षा से खेतों में हरियाली छा जाती है। धान, ज्वार, बाजरा, मक्का और तरह-तरह के दानों के पौधे अन्न से भर जाते हैं। यही अन्न मानवों को नव जीवन देता है।

अत्यधिक वर्षा होने पर जब बाढ़ आती है तो वर्षा ऋतु हानिकारिणी भी बन जाती है; पर जल रूपी जीवन का दान करने के कारण तथा ग्रीष्म की तपन से रक्षा करने के कारण यह वन्दनीय ही है।

Varsha Ritu Nibandh

Hindi Rainy Season Essay

वर्षा ऋतु पर निबंध | Long Rainy Season Essay in Hindi ( 500 to 600 words )

प्रकृति अपना स्वरूप लगातार बदलती रहती है। कभी बहुत गर्मी पडती है कभी अधिक वर्षा होती है तो कभी अधिक जाड़ा पड़ता है। हमारे देश में चार मौसम और छ: ऋतुएँ होती हैं- बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शिशिर। हर ऋतु का समय दो महीने का होता है। हर ऋतु में प्राकृतिक शोभा अलग-अलग होती है। वर्षा ऋतु सावन और भादों में मानी जाती है।

प्राकृतिक अवस्था

वर्षा से पहले ग्रीष्म ऋतु में भीषण गर्मी पड़ती है, किन्त इस ऋतु के आने के बाद बदलाव आता है। आकाश में बादल उमड़ने-घुमड़ने लगते हैं। पहले हल्की वर्षा होती है जिसे “दौंगरा” कहते हैं। धीरे-धीरे वर्षा अधिक होने लगती है। प्रायः कई दिनों तक वर्षा होती रहती है। आकाश में बादल छाए रहते हैं जिसके कारण सूर्य का दर्शन नहीं होता है। रह-रह कर बादल दिखाई पड़ता है। खेत, मैदान, बाग-बगीचे हरे-भरे हो जाते हैं। जिसे देखकर सब का मन प्रसन्न हो जाता है। प्रकृति की शोभा बढ़ जाती है। जलाशय पानी से लबालब भर जाते हैं। चारों ओर छातों और बरसातियों की घूम मच जाती है।

वर्षा का प्रभाव जन-जीवन पर बहुत पड़ता है। इस समय लोग अधिक प्रसन्न रहते हैं। किसानों के लिए यह ऋतु वरदान है। वे अपने हल-बैल के साथ निकल पड़ते हैं और खेतों की जुताई-बुआई करते हैं। इसी ऋतु में खरीफ की फसल बोई जाती है। अन्य प्राणी भी इस समय आनंदित होते हैं। झींगुरों की झंकार, कोयल की कूक, मेढ़कों की टर्र-टर, मयूर की क्याऊँ-क्याऊँ से वातावरण मुखरित हो जाता है। जन-जीवन में नयापन आ जाता है। लोग तरह-तरह के गीत गाने लगते हैं- जैसे ‘आल्हा, कजली, मल्हार आदि। इस सुखद समय में पेड़ों की डालियों पर लोग झूले डालकर झूलते हैं।

वर्षा में शहरों की अवस्था भिन्न होती है। अधिक वर्षा से सड़कें डूब जाती हैं, आवागमन ठप हो जाता है। जन जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। शहरों के बच्चे वर्षा का आनंद लेने के लिए सड़कों पर निकल आते हैं।

वर्षा ऋतु के लाभ

वर्षा हमें नव जीवन देती है। ग्रीष्म काल की गर्मी से व्याकुल लोगों को इससे राहत मिलती है। हवा में ठंडापन आ जाता है। इस समय थोड़ी बहुत उमस रहती है। हमारा देश कृषि प्रधान है। कृषि पूरी तरह बरसात पर निर्भर है। यदि वर्षा न हो तो खेती का काम होना असम्भव हो जाए। खेत की फसलें सूख जाएँ और लोग भूखों मर जाएँ। वर्षा के कारण खेती होती है, पशुओं को चारा मिलता है। वर्षा के अभाव में बाग-बगीचे उजड़ जाते हैं। सूखा पड़ने से अकाल पड़ जाता है। जिसके कारण जन-धन की बहुत हानि होती है। जल को जीवन कहते हैं। जल की कमी से जीवन सुरक्षित नहीं रह सकता है।

वर्षा ऋतु की हानियाँ

वर्षा से जहाँ इतने लाभ हैं, वहीं इससे कुछ हानियाँ भी हैं। अधिक वर्षा से नदियों में बाढ़ आ जाती है। बाढ़ की चपेट में अनेक गाँव डूब जाते हैं। इसके कारण पशु बह जाते हैं। कहीं-कहीं जन-धन की भी हानि होती है। बाढ़ से हरी-भरी फसलें तबाह हो जाती हैं। अधिक वर्षा से शहर के लोगों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके कारण गाँवों की दशा अधिक खराब हो जाती है। चारों और कीचड़ और पानी के कारण कहीं आना-जाना कठिन हो जाता है। तालाबों, गड्ढों, पोखरों में भरा जल सड़ने लगता है, जिसमें तरह-तरह के मच्छर पैदा हो जाते हैं। इन मच्छरों के काटने से रोग फैलने लगता है। मलेरिया का प्रकोप इसी मौसम में होता है। साँप, बिच्छु जैसे विषैले जीव वर्षा में अधिक पैदा होते हैं। गाँवों के कच्चे मकान वर्षा में गिर जाते हैं।

थोड़ी बहुत हानि के बाद भी वर्षा से लाभ अधिक है। हमारी सरकार बाढ़ पर काबू पाने के लिए बाँधों का निर्माण कर रही है, जिससे बाढ़ पर नियंत्रण लग रहा है। इससे बिजली पैदा की जा रही है। नदियों से नहरें निकाल कर सिंचाई की व्यवस्था की जा रही है। हमें वर्षा का स्वागत करना चाहिए। वर्षा ऋतु में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं। लोग आनंद से आल्हा और कजली गाते हैं। वर्षा प्राणि-मात्र के लिए वरदान है।

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essay on seasonal changes in hindi

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Seasons In India Essay In Hindi

भारत की ऋतुएँ पर निबंध – Seasons In India Essay In Hindi

भारत की ऋतुएँ पर निबंध – essay on seasons in india in hindi.

संकेत-बिंदु –

  • ग्रीष्म ऋतु

ऋतुओं का अनोखा उपहार (Rtuon Ka Anokha Uphaar) – Unique gift of seasons

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

भूमिका – प्रकृति भारत पर खूब दयालु रही है। उसने हमारे देश को अनेक वरदान दिए हैं। इन वरदानों में एक अद्भुत वरदान है-यहाँ की ऋतुएँ। हमारे देश में छह ऋतुएँ पाई जाती हैं, जो बारी-बारी से आती हैं और अपनी सुषमा सर्वत्र बिखरा जाती हैं।

Seasons In India Essay In Hindi

ग्रीष्म ऋतु – इस ऋतु को गरमी की ऋतु भी कहा जाता है। भारतीय महीनों के अनुसार, यह ऋतु जेठ महीने में होती है। इस समय खूब गरमी पड़ती है। धूप बहुत तेज़ हो जाती है। तालाब, पोखर, नाले और छोटी नदियाँ सूख जाती हैं। इस समय हरियाली गायब हो जाती है। पशु-पक्षी, मनुष्य और अन्य जीवधारी बेहाल हो जाते हैं। वे वर्षा के लिए आसमान की ओर निहारते नज़र आते हैं।

Essay On Seasons In India In Hindi

वर्षा ऋतु – यह ऋतु ग्रीष्म ऋतु के बाद आती है। इसका काल आषाढ़, सावन और आधा भादों का महीना होता है। इसे ‘जीवनदायिनी ऋतु’ और ‘ऋतुओं की रानी’ भी कहा जाता है। आषाढ़ माह में तपते मौसम के बीच अचानक बादल छा जाते हैं, शीतल हवा बहने लगती है, बिजली चमकने लगती है और वर्षा शुरू हो जाती है। इससे धरती को हरियाली और प्राणियों को जीवन मिलता है। इस समय खेतों में फ़सलें लहराने लगती हैं और नदी-नाले तालाब-पोखर पानी से भर जाते हैं। प्रकृति में सर्वत्र उल्लास का वातावरण बन जाता है।

शरद ऋतु-यह ऋतु मुख्यतया क्वार और आधे कार्तिक मास में होती है। इस समय तक गरमी बिलकुल कम हो चुकी होती है। आसमान से काले बादल गायब हो चुके होते हैं। जो होते भी हैं वे थोथे होते हैं। वे गरजते तो हैं, पर बरसने की क्षमता नहीं होती है। धरती पर सर्वत्र हरियाली दिखाई देती है। रास्तों का कीचड़ सूख चुका होता है। अधिक बरसात के कारण जो नदी – नाले अपनी सीमा लाँघ गए थे वे अपनी सीमा में लौट आते हैं। यह काल गरमी और सरदी का संधि काल होता है। इस समय का मौसम गुलाबी होती है- यह ऋतु स्वास्थ्य के अनुकूल होती है।

शिशिर ऋतु – कार्तिक और अगहन महीना इस ऋतु का काल माना जाता है। इस ऋतु में सरदी बढ़ने लगती है। इसी समय दीपावली तथा अन्य त्योहार मनाए जाते हैं। इसी समय खरीफ की फ़सलें पककर कटने को तैयार होती हैं तथा रबी की फ़सल की बुवाई करने की तैयारी की जाती है। इस ऋतु में आसमान प्रायः स्वच्छ होता है। इस ऋतु में आसमान साफ़ रहता है।

हेमंत ऋतु – इस ऋतु का काल पूस और माघ माना जाता है। इस समय दाँत किटकिटा देने वाली सरदी पड़ती है। गरीबों का जीवन ऐसे में मुश्किल हो जाता है। पहाड़ी भागों में इस समय खूब बरफ़ पड़ती है। मैदानी भागों में कभी-कभी पाला पड़ता है। इस ऋतु में रंग-बिरंगे कपड़े पहने लोग दिखाई देते हैं। रूस साइबेरिया जैसे स्थानों पर बरफ़ पड़ने के कारण विदेशी पक्षी हमारे आसपास दिखाई पड़ते हैं। इसी समय अनेक पेड़ अपनी पत्तियाँ गिराकर दूंठ से नज़र आते हैं।

वसंत ऋतु – वसंत को ‘ऋतुराज’ की संज्ञा दी जाती है। यह सबसे सुंदर और सुहानी ऋतु मानी जाती है। इस ऋतु का काल फागुन और चैत महीने माने जाते हैं। इस समय धरती का प्राकृतिक सौंदर्य निखर उठता है। चारों ओर फूल खिल जाते हैं और पेड़ों पर नई पत्तियाँ और कलियाँ आ जाती हैं। हवा में मादकता भर जाती है। यह ऋतु प्राणियों को हर्षोल्लास से भर देती है। आमों पर बौर आया देख कोयल मतवाली हो जाती है और कूकती फिरती है।

उपसंहार – भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहाँ इतना ऋतु वैविध्य है। यहीं ऋतुओं का ऐसा अद्भुत सौंदर्य दिखाई देता है। हमें ऋतुओं का स्वागत करने को तैयार रहना चाहिए।

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वर्षा ऋतु पर निबंध (Essay On Rainy Season In Hindi) | Varsha Ritu Par Nibandh

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वर्षा ऋतु पर निबंध (Essay On Rainy Season In Hindi)- हर साल हम सभी को वर्षा ऋतु (Rainy Season) का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार रहता है। शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे बारिश का मौसम पसंद न हो। बच्चे हों या फिर बड़े हर कोई बारिश के मौसम का स्वागत करना, उसका आनंद उठाना और उससे प्यार करना बखूबी जानता है। किसी को बरसात के मौसम में घूमना पसंद होता है, तो किसी को बरसात में भीगना अच्छा लगता है। वर्षा ऋतु के मौसम में पेड़-पौधों पर हरियाली की सुंदरता भी और बढ़ जाती है। इंसान ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी भी वर्षा ऋतु के आगमन से प्रसन्न हो उठते हैं।

वर्षा ऋतु पर निबंध (Essay On Rainy Season In Hindi)

अगर आप वर्षा ऋतु (Varsha Ritu) के बारे में जानना चाहते हैं, तो parikshapoint.com आपके लिए वर्षा ऋतु पर निबंध (Varsha Ritu Par Nibandh) लेकर आया है। इस पोस्ट से आप Varsha Ritu Essay In Hindi पढ़ सकते हैं। आप हमारे इस पेज पर दिए वर्षा ऋतु पर निबंध हिंदी में (Rainy Season Essay In Hindi) पढ़कर जान सकते हैं कि वर्षा ऋतु कब आती है और वर्षा ऋतु का क्या महत्त्व है। हमनें Varsha Ritu In Hindi Essay एकदम सरल, सहज और स्पष्ट भाषा में लिखा है, ताकि हर वर्ग के लोग हमारे इस Varsha Ritu Nibandh In Hindi को आसानी से समझ सकें।

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बच्चों को स्कूलों में अकसर निबंध प्रतियोगिता में Essay About Rainy Season In Hindi लिखने के लिए दे दिया जाता है, जिसमें वह Varsha Ritu Nibandh लिखते हैं। आप हमारे इस पेज पर दिए गए Varsha Ritu Par Nibandh Hindi Mein पढ़कर वर्षा ऋतु के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपना एक बेहतर Essay In Hindi On Varsha Ritu लिखकर दिखा सकते हैं। इस पेज से आप Essay In Hindi On Rainy Season के साथ-साथ वर्षा ऋतु पर 10 लाइन भी पढ़ सकते हैं। Hindi Essay On Varsha Ritu पढ़ने के लिए नीचे देखें।

वर्षा ऋतु पर निबंध हिंदी में (Rainy Season Essay In Hindi)

भारत में वर्षा ऋतु एक बेहद ही महत्वपूर्ण ऋतु मानी जाती है। जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है, तो हर तरफ खुशियों का माहौल छा जाता है। वर्षा ऋतु के आने पर बच्चों में एक अलग ही उमंग देखने को मिलती है। पर्यावरण के लिए वर्षा बहुत जरूरी होती है। वर्षा हमारे लिए ही नहीं पृथ्वी के लिए भी बहुत जरूरी है। भारत में वर्षा किसानों के लिए एक वरदान है क्योंकि उनकी फसल की बुआई और सिंचाई वर्षा पर ही निर्भर रहती है। अगर यही वर्षा देर से आए, तो उनकी फसल खराब होने की संभावना रहती हैं। हर किसी ने बारिश के पानी में कागज से बनी हुई नाव के साथ खेलते हुए बच्चों का सुन्दर दृश्य जरूर देखा होगा।

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वर्षा ऋतु का आगमन

वर्षा ऋतु का आगमन श्रावण माह से शुरू होता है और भादो माह तक रहता है। अंग्रेजी भाषा में इसे जुलाई से सितंबर तक के महीने को कहा जाता हैं। वर्षा ऋतु में चारों तरफ आपको हरियाली नज़र आयेगी। वर्षा ऋतु को मानसून भी कहा जाता है। इस मौसम में बरसात सबसे ज्यादा होती है। आपको हर तरफ पानी ही पानी नजर आएगा। पेड़ों पर हरे-भरे पत्ते, आम के फलों से लदे पेड़, उस पर चिड़ियों का बैठकर चहचाना, ये मनमोहक दृश्य आपको वर्षा ऋतु के आगमन का संदेश देता है।

वर्षा ऋतु का महत्व

वर्षा ऋतु एक ऐसी ऋतु है जो सबको अपनी तरफ आकर्षित करती है। चाहे वो मनुष्य हों, पेड़-पौधे हों या पशु-पक्षी हों। गांव के खेतों में लहराते धान को देखकर वर्षा ऋतु की जो मनमोहक प्रस्तुति हमारे मन में उत्पन्न होती है उसे शब्दों में बयां कर पाना शायद ही किसी के लिए आसान हो। इस मौसम में धान के अलावा और भी फसलों का उत्पादन किया जाता है। जिससे किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलता है।

उत्पादन में अधिक वृद्धि- अगर सही समय पर वर्षा ऋतु का आगमन हो जाए, तो किसानों के खेतों के लिए काफी लाभदायक होता है जिसे निम्नलिखित तरीकों से बताया गया है।

  • सिंचाई के लिए किसी अन्य साधन पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।
  • वर्षा ऋतु में एक से ज्यादा फसलों का उत्पादन।
  • सिंचाई के पैसों की बचत।
  • वर्षा का पानी धान के पौधों को मजबूत करने का काम करता है।

छोटे जीव-जंतु को राहत- जून के माह में भीषण गर्मी पड़ती है जिसके कारण छोटे-छोटे जीव-जन्तु परेशान हो जाते हैं। जुलाई के माह में जब बारिश होती है, तो उनको राहत मिलती है।

वर्षा ऋतु का उद्देश्य

वर्षा ऋतु का उद्देश्य है जीवन के चक्र को चलाना तथा उसे नया रूप देना। वर्षा ऋतु 3 से 4 महीने रहती है और फिर चली जाती है। वर्षा ऋतु में ठंडी-ठंडी हवाएं चलती हैं, पेड़ों पर नए-नए पत्ते निकलने शुरू हो जाते हैं, जमीन पर छोटी-छोटी नई घास की चादर बिछ जाती है। बारिश की पहली बूंद जब धरती पर गिरती है, तो जमीन से निकलने वाली खुशबू आप का मन मोह लेगी। वर्षा ऋतु में त्योहारों का आगमन और किसानों में एक अलग जोश के साथ खेती करना उत्साह देखा जा सकता है। वर्षा से हमें गर्मी से राहत मिलती है।

वर्षा ऋतु के लाभ

बारिश हमारे और हमारे देश के किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। वर्षा ऋतु के लाभ निम्नलिखित हैं-

पानी को इकट्ठा करने का समय-

वर्षा ऋतु ही एक ऐसा मौसम है जहां हम वर्षा के पानी को इकट्ठा करके रखने में सक्षम हो सकते हैं। इसलिए हमें चाहिए कि हम तालाब, नहर, कुएं, गड्ढे आदि जगह पर पानी को इकट्ठा करके रख ले और बाद में इसका उपयोग हम खेत की सिंचाई, पेड़ों को पानी देना आदि जैसी चीजों के लिए करें।

पानी कम खर्च करने का सुनहरा मौका होती है वर्षा ऋतु-

वर्षा ऋतु में हम पानी का सबसे कम उपयोग कर सकते हैं क्योंकि बारिश के कारण पेड़-पौधे को अपने आप ही पानी मिल जाता है। तो हमें उन्हें पानी देने की जरूरत नहीं पड़ती है। ऐसे में आप पानी की बचत भी कर सकते हैं।

पंखे, कूलर और एसी का कम से कम प्रयोग-

वर्षा ऋतु में हम पंखे, कूलर और एसी का कम से कम प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि वर्षा ऋतु में मौसम ठंडा रहता है।

वर्षा ऋतु से हानि या समस्या

बाढ़ की संभावना–

लगातार तेज बारिश होने के कारण लोगों को बाढ़, सुनामी जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा है।

बारिश से फसल का नुकसान–

तेज बारिश होने की वजह से किसानों की फसल को काफी नुकसान भी होता है जिसके कारण उनकी साल भर की मेहनत खराब जाती है।

फसल खराब होने से अनाज उत्पादन में गिरावट–

तेज बारिश के कारण किसानों का अनाज खराब हो जाता है, तो उनके द्वारा खेतों में लगाई गई लागत तक नहीं निकल पाती है, जिसके कारण किसान वर्ग के लोगों को काफी निराशा झेलनी पड़ती है। और बाजार में फसल कम दाम पर बिकती है।

संक्रामक/वायरस फैलने का डर–

वर्षा ऋतु में हर जगह पानी भर जाता है जिसके कारण बच्चों और बड़ों में वायरस फैलने का भय बना रहता है, जैसे सर्दी, जुखाम, खांसी, बुखार, एलर्जी आदि।

प्रकृति पर वर्षा का प्रभाव–

तेज वर्षा के कारण पेड़-पौधे गिर जाते हैं जिसके कारण प्रकृति को भी नुकसान होता है।

लोगों की  मृत्यु–

तेज बारिश के कारण चलती हुए सड़कों पर अचानक पेड़ गिरने से सड़क दुर्घटना में मरने वालों की संख्या में इजाफा देखा जा सकता है, जिसका मुख्य कारण वर्षा है।

वर्षा ऋतु में बचाव हेतु बातें

  • वर्षा ऋतु में आप घर में ही रहें।
  • वायरस से बचने के लिए घर को साफ-सुथरा रखें।
  • बाहर के खाने की चीजों से बचें।
  • स्वच्छ जल का प्रयोग करें।
  • वर्षा ऋतु के मौसम में आपको गेहूं, दही, अंजीर, खजूर और छाछ का सेवन करना चाहिए।
  • वर्षा ऋतु में अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धोएं।
  • घर से निकलने वाले कूड़े-कचरे को नदी, नालों में ना फेंके।
  • कुछ मामूली सी सावधानियां बरतकर हम सभी हैजा जैसे भयंकर रोग से बचाव कर सकते हैं।
  • आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप गंदे पानी को ना पिएं।
  • अगर आपको डायरिया जैसी बीमारी का एहसास हो, तो आपको तुरंत जीवन रक्षक घोल का सेवन करना चाहिए।
  • जीवन रक्षक घोल आपके शरीर में पानी की कमी को पूरा करने का काम करता है।
  • इस घोल के पैकेट को आप वर्षा ऋतु के मौसम में जरूर अपने घरों में लाकर रखें।
  • वर्षा ऋतु में आप कभी भी छोटे बच्चों को बोतल से दूध ना पिलाएं।
  • अगर किसी छोटे बच्चे को दस्त होने लगें, तो उसे तुरंत मां का दूध पिलाएं या फिर डॉक्टर के पास ले जाएं।
  • वर्षा ऋतु में पशुओं में भी अनेक बीमारी उत्पन्न होने का खतरा बना रहता है। इसलिए छोटे बच्चों को पशुओं से संबंधित दूध को जांच करने के बाद ही पिलाएं।
  • वर्षा ऋतु में ज्यादा से ज्यादा हरी और रंगीन सब्जियों का सेवन करें।
  • वर्षा ऋतु के मौसम में मांसाहारी चीजों को खाने से बचें क्योंकि यह उनके प्रजनन का मौसम होता है।
  • वर्षा ऋतु सुहाना मौसम होता है इसलिए आपको स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा से ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
  • इस मौसम में आपको कालरा, डायरिया का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है।
  • इस मौसम में आपको संक्रामक बीमारियां फैलती हैं, जिसके लिए आपको दिनचर्या के तरीके में थोड़े बदलाव की जरूरत है। ऐसे में आप बीमारियां होने से बचाव कर पाएंगे।
  • पानी को आप जब भी पिएं उबालकर ही पिएं।
  • कटे फल, सब्जियां आदि को खुला बिल्कुल ना रखें।
  • साफ-सुथरे बर्तन का ही प्रयोग करें।
  • फलों को खाने से पहले उसे अच्छी तरह से धो लें।
  • सब्जियों को पकाने से पहले उन्हें धोकर सुखा लें।
  • वर्षा ऋतु में बचे हुए भोजन का प्रयोग ना करें।
  • पत्तेदार सब्जियों के प्रयोग से बचें।

हमारे शरीर में खानपान के अलावा भी मौसम का प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमें चाहिए कि हम मौसम के अनुकूल भोजन और फलों का इस्तेमाल करें, जो हमारी सेहत के लिए हानिकारक ना हो। वर्षा ऋतु में हमें ज्यादा ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए। अपने स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सजग रहें तथा नियमित रूप से व्यायाम करें, इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता तेज होगी। बारिश होने पर आप छाता या टोपी का इस्तेमाल जरूर करें ताकि बारिश के पानी से आपके बालों को कोई नुकसान ना हो।

वर्षा ऋतु संसार के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है। इसे हम अपनी जीविका के साधन के रूप में देख सकते हैं। जैसे पानी के बिना नदी का कोई मोल नहीं होता है ठीक वैसे ही बारिश के बिना इंसान और प्रकृति का भी कोई मोल नहीं होता है।

वर्षा ऋतु पर छोटा निबंध

वर्षा ऋतु प्रकृति के सौंदर्य को दर्शाने वाली ऋतु है। प्रकृति में ऋतुओं के बदलाव से वर्षा ऋतु का आगमन होता है जिसके बाद ही वर्षा होती है। इसीलिए हमें चाहिए कि हम प्रकृति की रक्षा करें और उनका कम से कम दोहन करें। अगर हम प्रकृति की रक्षा नही करेंगे, तो एक दिन हम विनाश की ओर बढ़ जाएंगे। वर्षा ऋतु में हर साल होने वाली बारिश की मात्रा में कमी आ रही है। वर्षा ऋतु परिवर्तन का सबसे बड़ा कारण है पेड़ों की कटाई। लोग लगातार अंधाधुंध पेड़ों की कटाई करते जा रहे हैं, जिसके चलते बारिश कम होती जा रही है।

पेड़ों को लगाने का सही समय वर्षा ऋतु ही माना जाता है। इस मौसम में नए-नए पेड़ों को लगाया जाता है ताकि उनका सही से विकास हो सके। छोटे पेड़ों को लगाने का उद्देश्य होता है उन्हें भरपूर वर्षा का पानी मिले जिससे वह मजबूत हो जाएं। वर्षा ऋतु को सुहावना मौसम भी कहा जाता है क्योंकि इस मौसम में लोग घूमने के लिए ज्यादातर बाहर जाते हैं। इस मौसम में चारों तरफ आकर्षित करने वाली चीजें ही आपको देखने को मिलेंगी। इस मौसम में सभी को राहत की सांस और सुकून मिलता है। इस मौसम में आपको सात रंगों वाला इंद्रधनुष भी दिखाई पड़ता है, जो बहुत ही सुंदर और आकर्षक दिखाई देता है। वर्षा ऋतु में सफेद, भूरे और काले बादलों को घूमते हुए आपने जरूर देखा ही होगा, जिसे बच्चे देखकर बहुत खुश होते हैं।

वर्षा ऋतु ना सिर्फ अपने साथ खुशियां लेकर आती है बल्कि बहुत सारी कठिनाइयां भी लेकर आती है। बरसात होने पर जगह-जगह सड़कों और गड्ढों में पानी भर जाता है जिसके कारण लोगों को आने-जाने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण बाढ़ और सुनामी आपदाएं जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

वर्षा ऋतु में आने वाली समस्याएं-

  • वर्षा ऋतु में लोग घर से बाहर नहीं निकल पाते हैं।
  • वर्षा ऋतु परिवर्तन में कुछ लोग अपने आप को ढाल लेते हैं, तो वहीं कुछ लोग इस मौसम में बीमार पड़ जाते हैं।
  • ऋतु परिवर्तन का प्रभाव मनुष्य के साथ-साथ पेड़-पौधों पर भी पड़ता है।
  • तेज वर्षा होने के कारण कमजोर पेड़ गिरकर टूट जाते हैं।
  • वर्षा ऋतु परिवर्तन से पेड़ों को बहुत नुकसान होता है।
  • तेज बारिश के चलते फसलें गल जाती हैं या खराब हो जाती हैं।
  • इस मौसम में बहुत सारे जीव-जंतु, कीड़े-मकोड़े बाहर निकल कर आने लगते हैं, जिसके कारण लोगों को खतरा बढ़ जाता है।

इस मौसम में आकाश बहुत साफ, चमकदार और हल्के नीले रंग का दिखाई पड़ता है। वर्षा ऋतु में आसमान बहुत अच्छा दिखाई पड़ता है, ये दृश्य आपका मन मोह लेता है। वर्षा और मनुष्य का एक दूसरे से गहरा रिश्ता है। अगर पेड़-पौधे ही ना हों, तो वर्षा ऋतु का आगमन काफी देर से होगा।

वर्षा ऋतु पर 10 लाइन

  • भारत में वर्षा ऋतु एक महत्त्वपूर्ण ऋतु है।
  • वर्षा ऋतु का आगमन जून के महीने में हो जाता है।
  • वर्षा ऋतु किसान वर्ग के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
  • वर्षा ऋतु बच्चों के साथ-साथ बड़ों की भी पसंदीदा ऋतु है।
  • वर्षा ऋतु उत्साह और उमंग लेकर आती है।
  • वर्षा ऋतु धान की खेती के लिए सबसे अच्छी ऋतु मानी जाती है।
  • वर्षा ऋतु पानी इकट्ठा करने का सबसे अच्छा स्रोत है।
  • वर्षा ऋतु में आप तरह-तरह के फलों का आनंद ले सकते हैं।
  • वर्षा ऋतु लोगों को जून की तपती गर्मी से राहत दिलाने आती है।
  • वर्षा ऋतु को हरियाली के लिए भी जाना जाता है।

वर्षा ऋतु से संबंधित कुछ प्रश्न (FAQ’s)

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प्रश्न- वर्षा ऋतु के फायदे क्या हैं?

उत्तरः वर्षा होने के कारण अच्छी फसल उगती है, जिसके चलते बाजार में किसान वर्ग को अच्छे पैसे मिलते हैं। वर्षा होने के कारण जामुन जैसे फल जल्दी पकने लगते हैं।

प्रश्न- वर्षा ऋतु से होने वाले हानियों का वर्णन करें ?

उत्तरः वर्षा ऋतु में लोगों को वायरस फैलने का खतरा बना रहता है और आपदा जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

प्रश्न- वर्षा ऋतु से फैलने वाले वायरस का नाम बताइए ?

उत्तरः सर्दी, खांसी, जुखाम, बुखार, एलर्जी आदि।

प्रश्न- वर्षा ऋतु में कौन-कौन सी फसल उगाई जाती है ?

उत्तः वर्षा ऋतु में धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूंग, उड़द, कपास, मूंगफली, सोयाबीन आदि फसलों को उगाया जाता है।

प्रश्न- वर्षा ऋतु में ही पेड़ों को लगाने के लिए क्यों सबसे अच्छा ऋतु माना जाता है ?

उत्तरः वर्षा ऋतु में पेड़ों को इसलिए लगाया जाता है ताकि उन्हें वर्षा का जल मिल सके। वर्षा जल के कारण ही पौधे में मजबूती आ जाती है और वह आसानी से उग जाते हैं।

प्रश्न- वर्षा ऋतु कब आती है?

उत्तरः वर्षा ऋतु जून या जुलाई में आकर सितंबर तक रहती है।

प्रश्न- वर्षा ऋतु का महत्व क्या है?

उत्तरः वर्षा ऋतु हमें भीषण गर्मी से राहत देने का काम करती है।

वर्षा ऋतु पर निबंध लिखते समय ध्यान रखने वाली आवश्यक बातें

  • वाक्य छोटे हों।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए।
  • निबंध पढ़ते समय लोगों को उबाऊ नहीं लगना चाहिए।
  • वर्षा ऋतु में आप कविता का भी प्रयोग कर सकते हैं।
  • वर्षा ऋतु पर निबंध लिखने से पहले आप किन-किन बिंदुओं का उल्लेख करने वाले हैं इसका पता आपको पहले ही होना चाहिए ताकि लिखते समय आप जल्दी से अपना निबंध पूरा कर सकें।
  • ऐसे शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए जिसका अर्थ आपको मालूम ना हो ।
  • निबंध को हमेशा हेडिंग के साथ लिखें। इससे आपका निबंध और ज्यादा आकर्षक दिखेगा।
  • अपने निबंध में आप वर्षा ऋतु से संबंधित चित्रों को भी लगा सकते हैं।
  • वर्षा ऋतु पर निबंध लिखते समय ज्यादा से ज्यादा सृजनात्मक लेखन का ही प्रयोग करें।

वर्षा ऋतु के निबंध में हमने काफी सारे बिंदुओं के बारे में विस्तार से चर्चा की है। आप इसे पढ़कर काफी जानकारी हासिल कर सकते हैं जैसे हम वर्षा ऋतु में कौन-कौन से तरीकों का उपयोग करके संक्रामक बीमारियों से बच सकते हैं। वर्षा ऋतु से संबंधित निबंध लिखने का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इसके बारे में जानें। हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह हिंदी में निबंध (Essay In Hindi) ज़रूर पसंद आया होगा और आपको इस निबंध से जुड़ी सभी ज़रूरी जानकारी भी मिल गई होंगी। इस निबंध को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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सर्दी का मौसम पर निबंध (Winter Season Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

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Winter Season Essay : सर्दी भारत में चार मौसमों में से एक है। सर्दियां सबसे ठंडा मौसम होता है जो नवंबर के मध्य से शुरू होता है और फरवरी तक रहता है। चरम समय जब सर्दियों का सबसे अधिक सामना करना पड़ता है तो दिसंबर और जनवरी में होता है। भारत में, सर्दियों का समय बहुत महत्व रखता है। इसके अलावा, इसके सार की कई लोगों ने सराहना की है।

सर्दी का मौसम पर निबंध 10 लाइन (Winter Season Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) सर्दी का मौसम सभी मौसमों में सबसे ठंडा होता है।
  • 2) सर्दियों में हम सभी गर्म कपड़े पहनते हैं।
  • 3) भारत में नवंबर से जनवरी तक के महीने ठंडे माने जाते हैं।
  • 4) सर्दियों में रातें बड़ी और दिन छोटे होते हैं।
  • 5) हिंदू कैलेंडर में कार्तिक से पौष तक के महीनों को सर्दियों के महीनों के रूप में शामिल किया गया है।
  • 6) हम सर्दियों में बहुत से दुर्लभ प्रवासी पक्षियों को देख सकते हैं।
  • 7) सर्दियों में लोग पहाड़ियों पर बर्फ पा सकते हैं।
  • 8) सर्दियों के महीने कई जानवरों के लिए हाइबरनेशन की अवधि होते हैं।
  • 9) सर्दियों में कई स्वास्थ्यवर्धक फल और सब्जियां मिलती हैं।
  • 10) बच्चे सर्दियों में क्रिसमस और न्यू ईयर जैसी छुट्टियों का लुत्फ उठा सकते हैं।

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  • Essay On Dog
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सर्दी के मौसम पर लंबा और छोटा निबंध (Long and Short Essay on Winter Season in Hindi)

सर्दी का मौसम पर निबंध 100 शब्दों मे.

सर्दी का मौसम साल का सबसे ठंडा मौसम होता है, जो दिसंबर के महीने से शुरू होता है और मार्च के महीने में समाप्त होता है। दिसंबर और जनवरी चरम सर्दियों के महीने होते हैं और सबसे ठंडे महीनों के रूप में गिने जाते हैं जब तापमान देश के उत्तर-पश्चिम क्षेत्रों में लगभग 10 से 15 डिग्री सेल्सियस (मतलब 50 से 59 डिग्री फारेनहाइट) तक गिर जाता है, हालांकि, दक्षिण-पूर्व क्षेत्रों (देश की मुख्य भूमि) में यह रहता है। लगभग 20 से 25 डिग्री सेल्सियस (मतलब 68 से 77 डिग्री फारेनहाइट)। चरम सर्दियों के महीनों में उत्तरी क्षेत्र से तेज़ गति वाली ठंडी हवाएँ चलती हैं। हमें घने कोहरे का सामना करना पड़ता है जो अक्सर सूरज की रोशनी को छुपा लेता है जिससे सर्दी के पूरे मौसम में ठंड गंभीर हो जाती है।

सर्दी का मौसम पर निबंध 150 शब्दों मे (Winter Season Essay 150 words)

शीत ऋतु बहुत ठंडी होती है और भारत की चार ऋतुओं में से एक होती है। यह दिसंबर के महीने में पड़ता है और होली के त्योहार के दौरान मार्च में समाप्त होता है। दिसंबर और जनवरी को सर्दियों के मौसम के चरम ठंडे महीने माने जाते हैं। यह पतझड़ के मौसम के बाद आता है और वसंत के मौसम (बाद में गर्मियों के मौसम) से पहले समाप्त होता है। हम आम तौर पर दीवाली त्योहार (सर्दियों की शुरुआत) से होली त्योहार (सर्दियों के अंत) तक वायुमंडलीय तापमान में मामूली कमी महसूस करते हैं।

सर्दी के चरम महीनों में हमें अत्यधिक ठंडी और तेज़ गति वाली ठंडी हवाओं का सामना करना पड़ता है। हम वायुमंडलीय तापमान और दिन और रात की दिनचर्या में भारी बदलाव महसूस करते हैं। शीत ऋतु में रात बड़ी और दिन छोटा हो जाता है। आसमान अक्सर साफ दिखता है लेकिन कभी-कभी अत्यधिक ठंडे महीनों के दौरान घने कोहरे के कारण यह दिन भर अस्पष्ट रहता है। कभी-कभी सर्दी के मौसम में भी बारिश हो जाती है और स्थिति और भी खराब हो जाती है।

सर्दी का मौसम पर निबंध 200 शब्दों मे (Winter Season Essay 200 words)

सर्दी का मौसम साल का सबसे ठंडा चरण होता है, जो दिसंबर से शुरू होता है और मार्च में समाप्त होता है। सर्दी के पूरे मौसम में हर जगह बहुत ठंड महसूस होती है। वायुमंडलीय तापमान विशेष रूप से चरम सर्दियों के महीनों के दौरान बहुत नीचे गिर जाता है। पहाड़ी क्षेत्र (घर, पेड़ और घास सहित) सफेद बर्फ की मोटी परत से ढक जाते हैं और बहुत सुंदर लगते हैं। इस ऋतु में पर्वतीय क्षेत्रों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। सर्दी के मौसम में कड़ाके की ठंड के कारण लोगों को घरों से बाहर निकलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

देश के कुछ स्थानों पर जलवायु सामान्य तापमान (न अधिक ठंडा और न अधिक गर्म) के साथ सामान्य रहती है तथा बहुत ही सुखद अनुभूति देती है। शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ बहुत कम तापमान से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए सभी सर्दियों में मोटे ऊनी कपड़े पहनते हैं। हल्की गर्मी और आनंददायक अनुभव पाने के लिए हम सुबह और शाम गर्म कॉफी, चाय, सूप आदि की चुस्कियां लेना पसंद करते हैं। हम आमतौर पर रविवार को दोपहर में प्राकृतिक धूप से कुछ गर्मी पाने के लिए पिकनिक पर जाते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ आनंद लेते हैं। हम गर्मी पाने और सर्दी से सुरक्षित रहने के लिए रात में जल्दी बिस्तर पर चले जाते हैं।

सर्दी का मौसम पर निबंध 250 शब्दों मे (Winter Season Essay 250 words)

सर्दी साल का सबसे ठंडा महीना होता है। भारत में यह आमतौर पर दिसंबर से फरवरी तक लगभग तीन महीने तक रहता है। हालांकि, तापमान देश के भीतर जगह-जगह बदलता रहता है और कुछ जगहों पर सबसे कम तापमान होता है जबकि अन्य में सर्दियों का तापमान सबसे अधिक होता है

तापमान भिन्नता

भारत में तापमान दक्षिणी के मध्य की तुलना में उत्तरी भागों में सबसे ठंडा है। उदाहरण के लिए, जम्मू और कश्मीर की घाटी में द्रास, सर्दियों के दौरान सबसे ठंडा स्थान होता है। यह अमरनाथ की यात्रा पर स्थित है और इसे अक्सर ग्रह पर दूसरा सबसे ठंडा स्थान कहा जाता है। द्रास में सर्दियों का तापमान माइनस 45 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। 1995 की सर्दियों में यहां का तापमान माइनस 60 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था, जो अब तक का रिकॉर्ड न्यूनतम है।

दूसरी ओर, भारत के पश्चिमी भागों में स्थित राजस्थान राज्य के श्रीगंगानगर में सर्दियों में भी उच्चतम तापमान दर्ज किया जाता है। सबसे ठंडे सर्दियों के महीनों में भी तापमान 40-50 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज किया जाता है।

सर्दियों की तैयारी

सर्दी के लिए तैयार होने के लिए ठंड का सामना करने के लिए कुछ सक्रिय उपायों की आवश्यकता होती है। सर्दियों के आने से पहले खाने-पीने की चीजों और सब्जियों को जमा करने की जरूरत होती है, क्योंकि सर्दियों में इन्हें खरीदना मुश्किल होता है। साथ ही शरीर के तापमान को सामान्य और वातावरण के तापमान से अधिक रखने के लिए अतिरिक्त गर्म कपड़े खरीदने की जरूरत है।

भारत की जलवायु उतनी ही विविध है जितनी इसकी संस्कृति। यहां तक ​​कि सर्दी के दिनों में भी ऐसी जगहें हैं जो बहुत गर्म होती हैं।

सर्दी का मौसम पर निबंध 300 शब्दों मे (Winter Season Essay 300 words)

सर्दी का मौसम भारत में साल का सबसे ठंडा मौसम होता है। शीत ऋतु की विशेषता ठंडी हवा का झोंका, बर्फ का गिरना, बहुत कम वायुमंडलीय तापमान, छोटा दिन, लंबी रात आदि हो सकती है। यह मौसम लगभग तीन महीने तक रहता है, दिसंबर से शुरू होता है और मार्च में समाप्त होता है। छोटे बच्चों को सर्दी के चरम दिनों (दिसंबर के अंतिम सप्ताह और जनवरी के शुरुआती सप्ताह) में तेज ठंड से बचाने के लिए स्कूलों में शीतकालीन अवकाश हो जाता है। अपना व्यवसाय करने वाले या कार्यालय में काम करने वाले लोगों को डिस्टर्ब शेड्यूल के कारण अपना काम जारी रखने में समस्या होती है। सूरज सुबह देर से उगता है और शाम को बहुत ही हल्की धूप के साथ जल्दी अस्त हो जाता है।

सर्दी का मौसम ऊनी कपड़ों और उचित घर की कमी के कारण विशेष रूप से गरीब लोगों के लिए काफी कठिन मौसम होता है। वे आमतौर पर अपने शरीर को गर्म रखने के लिए पगडंडियों या अन्य खुले स्थानों जैसे पार्क आदि पर धूप में स्नान करते हुए देखे जाते हैं। बहुत अधिक ठंडे मौसम के कारण कई बूढ़े लोगों और छोटे बच्चों की जान चली गई।

सर्दी का मौसम स्वस्थ फलों और हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे अंगूर, संतरा, सेब, अमरूद, पपीता, गन्ने का रस, अनानास, गाजर, आंवला, गोभी, चुकंदर, शलजम, फूलगोभी, मूली, टमाटर, आलू आदि का मौसम है। सर्दी के मौसम को सेहत बनाने वाला मौसम कह सकते हैं। सर्दी का मौसम गेहूं, जौ, मुंगफली और कुछ अन्य फसलों की फसलों का मौसम है। विभिन्न प्रकार के मौसमी फूल (दलाई, गुलाब आदि) सुंदर रंगों में खिलते हैं और प्रकृति की सुंदरता को बढ़ाते हैं।

सर्दी के मौसम के मुख्य एजेंट ठंडी हवाएं और पाले हैं जो इस मौसम को और अधिक शुष्क सुस्त और सर्द बनाते हैं। बिना मौसम के कभी-कभी बारिश हो जाती है जिससे जीवन वास्तव में दयनीय हो जाता है। जाड़े की कड़ाके की बारिश से फसलें, सब्जियां और फल नष्ट हो जाते हैं। सर्दियों में पाले से रात में घर से बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है।

सर्दी के मौसम का भी अपना महत्व होता है। यह स्वास्थ्य बनाने के लिए उपयोगी है, सुबह टहलने के लिए अच्छा है, सांस लेने के लिए ताजी हवा से भरा वातावरण, मच्छरों का डर नहीं, किसान की फसल के लिए अच्छा है, आदि।

सर्दी का मौसम पर निबंध 500 शब्दों मे (Winter Season Essay 500 words)

सर्दी भारत में सबसे महत्वपूर्ण मौसमों में से एक है। यह भारत में होने वाली चार ऋतुओं में से एक है। सर्दियां सबसे ठंडा मौसम होता है जो दिसंबर से शुरू होता है और मार्च तक रहता है। चरम समय जब दिसंबर और जनवरी में सबसे अधिक सर्दी का अनुभव होता है। भारत में सर्दियां बहुत महत्व रखती हैं। इसके अलावा, इसके सार की कई लोगों ने प्रशंसा की है। सर्दियां आपको स्नोबॉल फाइटिंग, स्नोमैन बनाने, आइस हॉकी और बहुत कुछ जैसी विभिन्न गतिविधियों में शामिल होने का समय देती हैं। बच्चों के लिए अपनी छुट्टियों का आनंद लेने और अपने कंबलों में आरामदायक होने का यह एक अच्छा समय है।

सर्दी का सार

सर्दियों के दौरान, स्कूल आमतौर पर छुट्टी लेते हैं और बंद हो जाते हैं। दिन छोटे होते हैं और रातें लंबी होती हैं। सर्द सुबह आपको एक अलग ही एहसास देती है। सर्दियों में गर्म पेय जैसे कॉफी, चाय और हॉट चॉकलेट का अधिक सेवन किया जाता है। सूरज काफी देर से उगता है और कभी-कभी नहीं भी।

यहां तक ​​कि जब यह करता है, यह थोड़ा गर्म नहीं होता है। लोग थोड़ी धूप के लिए तरसते हैं क्योंकि ठंड का मौसम रीढ़ को ठंडक पहुंचाता है। आप सड़कों पर लोगों को थोड़ी गर्मी पाने के लिए लकड़ी और कागज जलाते हुए देखते हैं। हालांकि, बहुत से लोग सर्दियों में बाहर जाना पसंद नहीं करते हैं। वे सारा दिन चिमनी या हीटर के पास बैठना पसंद करते हैं।

पहाड़ी इलाकों में, लोग सर्दियों के दौरान बर्फ का अनुभव करते हैं। चलने के लिए रास्ता बनाने के लिए उन्हें इसे रास्ते से हटाना होगा। क्रिसमस से भी सर्दियों की रौनक बढ़ जाती है। यह लोगों के लिए छुट्टी का मूड सेट करता है और पूरी दुनिया में इसकी प्रशंसा की जाती है।

लेकिन, इस सीजन का एक नकारात्मक पहलू भी है। इस मौसम से किसान, बेघर लोग और जानवर सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। किसानों के लिए इस सीजन में शायद ही कोई कारोबार हो। भीषण सर्दी के कारण सैकड़ों बेघर लोगों की मौत हो जाती है।

जानवरों के पास उचित आश्रय नहीं होने के कारण वे भी अपनी जान गंवा देते हैं। इसके अलावा इस सीजन में कई उड़ानें रद्द भी की जाती हैं। बहरहाल, यह सर्दियों को कम महत्वपूर्ण नहीं बनाता है। हमारे देश के मौसम में संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है।

मुझे सर्दी क्यों पसंद है?

मुझे व्यक्तिगत रूप से सर्दियां बहुत पसंद हैं। यह मौसम बहुत सारे स्वस्थ फल और सब्जियां लाता है। लोगों को ताजा अंगूर, सेब, गाजर, फूलगोभी, अमरूद आदि खाने का मौका मिलता है। इसके अलावा इस मौसम में बहुत से खूबसूरत फूल खिलते हैं। इन फूलों में गुलाब, दहलिया और बहुत कुछ शामिल हैं। यह सर्दियों को पहले से भी ज्यादा खूबसूरत बना देता है।

इसके अलावा, जब वे हाइबरनेशन में जाते हैं तो कोई छिपकलियां नहीं मिलतीं। यह मुझे बहुत खुश करता है और मुझे निडर होकर जीने देता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सर्दियों की सुबह मेरे लिए इस मौसम का सबसे अच्छा हिस्सा होती है। मुझे सर्दियों में जल्दी उठना और फूलों पर सुबह की ओस देखना पसंद है। सर्दियों के साथ एक अलग ही वाइब आता है।

साथ ही, हमारा स्कूल अलाव का आयोजन करता है जो साल के सबसे बहुप्रतीक्षित कार्यक्रमों में से एक है।

संक्षेप में, सर्दी किसी अन्य मौसम की तरह ही महत्वपूर्ण है। ज़रूर, इसके नकारात्मक पक्ष और सकारात्मक पक्ष हो सकते हैं, लेकिन ऐसा हर मौसम के साथ होता है। सर्दियां आपको लंबी सुबह की सैर और ताजी हवा का आनंद लेने में मदद करती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: (FAQs)

Q.1 पृथ्वी पर किस स्थान पर साल भर सर्दी पड़ती है.

उत्तर. अंटार्कटिका में साल भर सर्दी और बर्फ पड़ती है।

Q.2 सर्दी के मौसम में हम क्या पीना पसंद करते हैं?

उत्तर. सर्दी के मौसम में हम चाय, कॉफी और चॉकलेट जैसे गर्म पेय पीना पसंद करते हैं।

प्रश्न 3. सर्दी के मौसम में कौन-कौन सी मज़ेदार गतिविधियाँ की जा सकती हैं?

उत्तर. स्कीइंग, आइस स्केटिंग, एक स्नोमैन का निर्माण, स्नोबोर्डिंग जैसी गतिविधियाँ सर्दियों के मौसम में लोगों द्वारा पसंद की जाने वाली गतिविधियाँ हैं।

Q.4 सर्दियों के मौसम में कौन सा मीठा व्यंजन विशेष रूप से बनाया जाता है?

उत्तर. गाजर का हलवा सर्दियों के मौसम में बनाया जाने वाला एक मीठा व्यंजन है.

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मेरा पसंदीदा मौसम/ऋतु पर निबंध (My Favourite Season Essay in Hindi)

आमतौर पर भारत में मुख्य रूप से चार ऋतुएँ होती है – वसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु और शीत/शरद ऋतु। ये सभी मौसम पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा पर निर्भर करते है, क्योंकी पृथ्वी एक वर्ष में सूर्य का एक पूरा चक्कर लगा लेती है। सभी मौसमों की अपनी खाशियत और अपना महत्त्व होता है। हम सभी अपने पसंद के अनुसार मौसमों का आनंद लेते हैं।

मेरा पसंदीदा मौसम/ऋतु पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on My Favourite Season in Hindi, Mera Pasandida Mausam par Nibandh Hindi mein)

हममें से कुछ को गर्मी, तो कुछ लोगों को वसंत ऋतु बेहद पसंद होती है। मैंने यहां अपने पसंद की ऋतुओं के बारे में निबंध के रूप में दर्शाया है।

निबंध – 1 मेरा पसंदीदा ऋतु – वसंत ऋतु (250 शब्द)

सभी मौसमों की अपनी एक अनूठी विशेषताएं होती है। हमें भारत में मुख्य रूप से चार ऋतुओं का आनंद लेना का सुनहरा अवसर हर वर्ष मिलता है। अपनी-अपनी पसंद के अनुसार हर किसी को इन मौसमों में से एक मौसम सबसे अधिक प्रिय होता है, और मेरा प्रिय मौसम है वसंत ऋतु।

वसंत ऋतु मेरा पसंदीदा मौसम

भारत में सर्दियों के बाद फरवरी से अप्रेल तक के महीने में वसंत ऋतु का मौसम होता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार वसंत ऋतु माघ महीने से चैत्र महीने तक चलता है। सर्दियों के मौसम के बाद वसंत ऋतु में हल्की गर्माहट के साथ मौसम बहुत ही सुहाना हो जाता है। इन दिनों प्रकृति के मौसम में अद्भुत सी सुंदरता और अनोखी महक चारों ओर फैली होती है। पेड़ों की हरियाली, रंग बिरंगे फूल, चिड़ियों का चहचहाना और हवाओं में एक सोंधी सी महक होती हैं। हर पौधों में नई फूलों और नई टहनियों का आगमन होता है। पशु-पक्षियों में एक नया संचार होता है। इस सुहाने मौसम के साथ प्रजनन और खाने के साथ रंगीन वादियों का आनंद लेते है। भवरें कलियों के रास से शहद निर्माण कार्य में व्यस्त हो जाते है।

मुझे वसंत का मौसम सबसे ज्यादा पसंद है, क्योंकि इस समय मौसम का तापमान बेहद सुखद हो जाता है। शीतलता भरी उन हवाओं में एक दिल को छू लेने वाली महक शामिल होती है। प्रकृति का मौसम देख मेरा जीवन रंगों से भर जाता हैं। चारों ओर फैली प्राकृतिक बहार मुझे इन मौसम में नए जीवन का एहसास कराती है।

वसंत का मौसम हमारे अंदर एक नयी सोच और नए जीवन जीने के उद्देश्य से आता है। इस मौसम में एक अनोखी चमक और उम्मीद होती है। मौसम के दौरान पेड़-पौधों और जानवरों के बीच नए जीवन को देखा जा सकता है। यह मौसम मेरे लिए सबसे मोहक और रोमांचित करने वाला मौसम होता है।

मुझे अन्य मौसमों की अपेक्षा इस मौसम में अत्यधिक खुश महसूस करता हूँ। कई प्रकार के फूल और फलों के साथ मुझे अनेक प्रकर की सब्जियों के सेवन का भी आनंद मिलता है। मैं तो भगवान से हमेशा प्रार्थना करता हूँ की वसंत का यह मौसम हमेशा ही ऐसा बना रहे, जिससे मेरे साथ-साथ सभी का जीवन आनंदमयी और सुखो से भरी रहें।

निबंध – 2 मेरा पसंदीदा ऋतु – ग्रीष्म ऋतु (400 शब्द)

भारत एक विविध परिस्थितियों में भिन्न जलवायु वाला देश है। गर्मी के मौसम का मुझे बेसब्री से इंतिजार रहता है क्योंकि यह मेरा पसंदीदा मौसम है। आमतौर पर गर्मियों का मौसम अप्रैल महीने से शुरू होकर जून और जुलाई तक होता है। बरसात के मौसम की शुरुआत के साथ ही गर्मी के मौसम का अंत हो जाता है। गर्मियों का मौसम भले ही थोड़ा गर्म होता है पर यह मेरे लिए बहुत प्रिय मौसम है। मौसम के गर्म होने के कारण मुझे इस मौसम में एक लम्बी छुट्टी का आनंद लेने का अवसर मिलता है।

ग्रीष्म ऋतु मेरा प्रिय मौसम होने की वजह

  • गर्मियों में लम्बी अवधि की छुट्टी

मुझे गर्मियों का मौसम इसलिए पसंद है क्योंकि इस मौसम के दौरान लगभग 2 महीने की लम्बी अवधि की गर्मियों की छुट्टियाँ हमें मिलती हैं। जिसके कारण हम खूब मौज मस्ती कर सकते है। छुट्टियों के दौरान सुबह स्कूल जाने का तनाव, होमवर्क और पढ़ाई से हमें मुक्ति मिलती है।

गर्मियों के दिनों में मुझे घूमने का अवसर प्राप्त होता है। विशेष रूप से देश के विभिन्न हिल स्टेशनों पर जाने का मौका मिलता है। मुझे ऐसे स्थानों पर घूमना बहुत पसंद है जहां पर प्राकृतिक खूबसूरती हो। घूमने के साथ-साथ हमें अपने परिवार और कुछ नए मित्रों के साथ समय बिताने का मौका भी मिलता है। मरे ज्यादातर मित्र अपने गांव पर रहने और घूमने के लिए जाते है और वह अपने दादा-दादी और अन्य लोगों के साथ समय बिताते हैं। इसके साथ ही हमें गांवों के रहन-सहन को जानने और कुछ दिन वहां समय बिताने का भी मौका मिलता है।

  • छुट्टियों के दौरान शाम का खेल

खेल खेलने और उनका अभ्यास करने का सही समय सुबह और शाम का होता है। गर्मी की छुट्टियों में हम सुबह-शाम कई प्रकार के खेल खेलते है। छुट्टियोंके दौरान हमारी बाहरी गतिविधियों में अधिक वृद्धि आती है। कुछ बच्चे सुबह की शुरुआत अपने खेल के साथ करते है और कुछ शाम को खेलते है। अपनी गर्मियों की छुट्टी में सभी बच्चे एक दूसरे के साथ मिलकर अधिकांश समय खेलने में ही बिताते है, कभी इनडोर गेम तो कभी आउटडोर गेम।

  • गर्मियों में आम खाने का आनंद

गर्मी की छुट्टियों के मौसम में कई तरह के मौसमी फल भी हमें खाने को मिलते है जैसे लीची, तरबूज, इत्यादि। इसी मौसम में आम की पैदावार की सबसे अधिकता होती है। आम भी एक मौसमी फल है जो हममें से कई लोगों को पसंद होती है। आम मुझे बेहद पसंद है। मैं जब भी अपने गांव जाता हूँ तो मुझे कई प्रकार के आम खाने को मिलता है क्योंकि वहां आम के पेड़ों की बगीचा हैं।

  • विभिन्न समारोह का आनंद

आमतौर पर लोग शादी या अन्य पारिवारिक समारोह छुट्टियों के दिनों में आयोजित करना पसंद करते है। ऐसे में इन दिनों हमें भी ऐसी शादी और पार्टियों में तरह-तरह के पकवान और नाचने गाने का मौका मिलता है। शादी या ऐसे कार्यक्रमों में हमें परिवार और अन्य रिश्तेदारों से एक साथ मिलने का अवसर प्राप्त होता हैं।

  • बड़े दिन और छोटी रातें

गर्मी के दिनों में आमतौर पर दिन बड़े और राते छोटी हो जाती है। ऐसा हमारी पृथ्वी के संरचना के कारण होता है। जिसके कारण हमें दिन में ज्यादा खेलने का मौका मिलता है।

बेशक गर्मियों का मौसम थोड़ा गर्म होता है, पर यही गर्मिया हमें अपने कार्यों, स्कूलों या अन्य काम से थोड़े दिनों के लिए आराम देता है। हम सभी एक साथ आपस में समय बिताने का समय इन्हीं दिनों में मिलता है। इस दौरान हम कई प्रकार के विभिन्न एक्टिविटी में भी भाग लेते है और कई तरह के फलों व अन्य रसों का आनंद लेते हैं।

Essay on My Favourite Season

निबंध – 3 मेरा पसंदीदा ऋतु – शीत ऋतु (600 शब्द)

मुझे सभी मौसम पसंद है और मैं इन सभी का आनंद लेता हूँ। हर मौसम के अपने फायदे और नुकसान है। भारत के सभी मौसमों में कुछ अपनी एक अलग विशेषता है, मुझे ठंडी/सर्दी का मौसम बहुत पसंद है। मैं बहुत ही आतुरता के साथ इस मौसम का इंतिजार करता हूँ। इस मौसम में हमें खाने से लेकर और पहनने के लिए अच्छे गर्म कपड़े और घूमने के लिए भी यह मौसम बहुत अच्छा होता है।

सर्दियों का मौसम अक्तूबर के अंत से शुरू होकर फरवरी माह के मध्य तक रहता है। सबसे ज्यादा ठण्ड दिसंबर और जनवरी के महीने में होती है। इस मौसम के दौरान मुझे बहुत सुखद का अनुभव होता है। ठन्डे दिनों में सूरज की किरणे बहुत ही राहत देती है। यह मौसम फसलों के लिए काफी अच्छी मानी जाती है। सर्दियों के दौरान सूर्य की किरणे धरती पर तिरछी पड़ती है जिसके कारण अनेक प्रकार की फसलों की खेती की जाती है।

सर्दी के मौसम की विशेषताएं

सर्दी के मौसम में रातें बड़ी और दिन काफी छोटे होते है। इन दिनों बहुत अधिक ठण्ड होती है। सुबह-शाम और रातें अत्यधिक ठंडी होती है। दिन में सूरज की धुप इस कड़ाके की ठण्ड से हमें थोड़ी सी राहत देती है, दिन में धुप बहुत ही कम होती है। हम आपस में जब भी बाते करते है तो हमारे मुँह से वाष्प निकलता है यह हमारे शरीर की गर्मी होती है जो बाहर निकलने पर वाष्प में बदल जाती है। लोग ठण्ड के असर को कम करने के लिए आग, अलाव, लकड़ी के टुकड़े इत्यादि जलाते है और उसके पास बैठते हैं। कमरों में गर्मी के लिए लोग हीटर का भी इस्तेमाल करते है। मुझे अलाव के पास बैठना और मुझे उसमें आलू पकाकर खाना बेहद पसंद है, पर ज्यादातर समय हम कम्बल के अंदर रहकर ही बिताते है।

इन दिनों सुबह पेड़-पौधों और घासों पर गिरी ओस की बूंदे सूर्य की किरणों के साथ बहुत ही सुंदर दिखाई देती है, मानो जैसे ओस की बूंदे नहीं मोतियां हो। सुबह के समय काफी देर से सूर्य की किरणे धरती पर पड़ती है और अंधेरा भी जल्दी हो जाता है। सूर्य की किरणे कम दिखाई देने के कारण मौसम और भी सर्द हो जाता है।

सर्दियों के दौरान हमें खाने को कई प्रकार के फसलों की किस्में मिलती है। सर्द से बचने के लिए लोग अधिक मात्रा में चाय, काफी, सुप, इत्यादि गर्म पेय पदार्थों और गर्म खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं। दिसम्बर के अंत में जब ठण्ड काफी अधिक हो जाती है तो कुछ दिनों के लिए स्कूलों की छुट्टी कर दी जाती है जिसे हम ‘सर्दी की छुट्टीयां’ के नाम से जानते है। स्कूली छात्रों के लिए यह बहुत सुखद का समय होता है क्योंकि उन्हें स्कूल जाने के लिए जल्दी उठाना नहीं पड़ता है। सर्दियों के दौरान हम लोग खुद को काफी स्वस्थ महसूस करते हैं, क्योंकि इस समय शरीर को गर्म रखने के लिए कुछ गर्म चीजे और हम जो भी खाते है वो खाना हमारे शरीर को लगता है, क्योंकि इस समय हमारा पाचनतंत्र काफी अच्छा होता है।

इन दिनों पर्वतीय क्षेत्रों में सर्दिया अपनी चरम पर होती है। वहां लोग ठण्ड से बचने के लिए लम्बे और गर्म करने वाले जैकेट और लम्बे जूते पहनते है और आग का सहारा लेते है। पहाड़ी क्षेत्रोँ में भरी बर्फबारी भी होती है जिसके कारण उनसे हमारा संपर्क टूट जाते है और ऐसे में इस तरह के गर्म कपड़ो का सहारा ही होता है। हमने सीरियल और फिल्मों में देखा है वहां पर लोग बर्फ के स्नोमैन बनाते है और एक-दूसरे को बर्फ के गोले बनाकर मारते है। इसे करना और महसूस करना बहुत ही रोमांचकारी होता है।

क्रिसमस का पर्व

यह एक दावतों का पर्व है जो कि सर्दियों के मौसम में मनाया जाता है। मैं एक मिशन स्कूल में पढता हूँ और यह पर्व मेरे स्कूल में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व तीन दिनों तक मनाया जाता है। लकड़ियां जलाकर हम उसके आसपास गीत और नृत्य करते है। हममें से कई यीशु के जन्मोत्सव में अपनी भागीदारी अदा करते है। ठण्ड क्रिसमस के इस पर्व को और भी अद्भुत और रोमांचित करता है। सभी मिलकर सांता क्लॉज के जन्मदिन का केक काटते है और उनका जन्मदिन मानते हैं। हमें खाने के लिए केक और साथ में क्रिसमस उपहार दिया जाता है।

सर्दियों के दिन में मेरी गतिविधियां

इस साल सर्दियों में स्कूल बंद होने के उपरांत मैंने और मेरे दोस्तों ने मिलकर एक क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया। जिसकी प्लानिंग बहुत पहले से ही कर ली थी। इसके लिए हमने पहले ग्राउंड की मिलकर साफ-सफाई की और क्रिकेट में सारी बाउंड्री को ठीक किया। चुने के सहारे चौके और छक्के को अंकित किया। इसके बाद एक सुबह शाम मैच के उपरांत हम सब मिलकर होने वाले क्रिकेट मैच का अभ्यास करते है। अंत में सफलता से इस टूर्नामेंट का आयोजन खत्म हुआ और हमने सर्दियों में रात को खेलने के लिए बैडमिंटन ग्राउंड को बनाया। हर शाम हम मिलकर वहां बैडमिंटन का आनंद लेते है।

सर्दी के मौसम के कुछ नुकसान

वैसे तो सर्दियों का मौसम बहुत अद्भुत और आनंददायी होता है, पर जब अत्यधिक ठंड पड़ती है तो इसके कई नुकसान भी होते है। सर्दियों के दिनों में अत्यधिक ठंड से कोई भी काम समय पर नहीं हो पाता। ठण्ड के दिनों में कोहरे के कारण हवाई जहाज, ट्रेने इत्यादि समय से नहीं चलती है। इन दिनों जिनके पास पहनने के लिए पर्याप्त कपड़े इत्यादि नहीं होते है उन्हें बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ता है। कभी कभी तो इनकी मौत भी हो जाती है। मेरी माँ जो एक समाजसेविका है ऐसे गरीब लोगों के लिए संस्था के द्वारा जरूरतमंद लोगों के लिए गर्म कपड़ो की व्यवस्था कर उनके बीच वितरण करवाती हैं। इस समय पशु-पक्षियों के लिए भी काफी कठिन समय होता है। ठंड के कारण उनकी मृत्यु तक हो जाती है। इस कार्य में मैं अपनी माँ की सहायता करता हूँ।

सर्दियों का मौसम वास्तव में काफी रोमांचित और अद्भुत होता है। इन दिनों पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के कारण पहाड़ों पे भारी बर्फ जमी होती है जो स्नो स्केटिंग, स्नो फाइटिंग, आइस हॉकी इत्यादि कई खेलों का आयोजन पर्यटकों के लिए किया जाता है। इन दिनों हम तरह तरह के सब्जी और फलों के इस्तेमाल से अपने आपको स्वस्थ रख सकते है। रात में ठण्ड होने के बावजूद दिन बहुत ही सुहाना होता है जो की काफी लोगों को अच्छा लगता है। सुहाने वातावरण को देखकर मन बहुत प्रसन्न होता है। मैं और मेरा परिवार इस मौसम के आने का बड़ी उत्सुकता से इंतिजार करते हैं।

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वर्षा ऋतु पर निबंध – Essay on Rainy Season in Hindi

Essay on Rainy Season in Hindi : दोस्तों आज हमने वर्षा ऋतु पर निबंध  कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 & 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है.

वर्षा ऋतु जन जीवन का आधार है, इस समय मौसम सुहावना हो जाता है सभी जीव जंतुओं और मनुष्यों का मन प्रफुल्लित हो उठता है. बच्चों को बारिश बहुत अच्छी लगती है इसलिए अक्सर परीक्षाओं में वर्षा ऋतु पर निबंध लिखने को दिया जाता है.

Essay on Rainy Season in Hindi

Get Some Essay on Rainy Season in Hindi for class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11 & 12 Students.

Best Essay on Rainy Season in Hindi 100 Words

हमारा देश कृषि आधारित देश है इसलिए आप वर्षा का होना बहुत जरूरी है. बारिश के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है क्योंकि बारिश से ही हमें पीने योग्य अमृत समान जल प्राप्त होता है.

भीषण गर्मी और लू चलने के बाद जब मानसून आता है तो चारों ओर खुशहाली और हरियाली छा जाती है. हर तरफ ठंडी-ठंडी हवाएं चलती है, खेतों में फसल लहरा उठती है, किसानों के चेहरे खिल उठते है, बच्चे भी बारिश और ठंडी हवा का आनंद लेते है.

बारिश का मौसम सबसे सुहाना मौसम होता है यह मौसम मुझे सबसे प्रिय और अच्छा लगता है.

Varsha Ritu Essay in Hindi 250 Words

वर्षा ऋतु हमारे देश में जुलाई माह से प्रारंभ होती है और सितंबर माह तक वर्षा होती है. गर्मियों की झुलसा देने वाली गर्मी के बाद सभी लोग बेसब्री से बारिश का इंतजार करते है. हमारे देश के किसान तो हर समय आसमान की तरफ टकटकी लगाए देखते रहते है.

वर्षा ऋतु किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है इस समय किसानों खरीफ की फसल बोते है और बारिश आते है फसल लहरा होते है चारों ओर खेतों में हरी भरी फसल लहराते देखकर मन प्रशंसा पूर्वक हर्षा उठता है

गर्मी के कारण सूखे हुए पेड़ पौधे भी नव अंकुरित हो उठते है, सूखी हुई नदियां, तालाब, बावड़िया, बांध पानी से लबालब भर जाते है धरती की प्यास बुझती है और भूजल स्तर ऊंचा उठ जाता है. सभी जीवो को बारिश से राहत की सांस मिलती है.

बारिश के आगमन पर मोर छम-छम करके नाचता है , कोयल मीठी राग सुनाती है, मेंढक टर्र-टर्र करके अपनी खुशी जाहिर करता है. वर्षा ऋतु बहुत ही मनोरम ऋतु होती है इस ऋतु में सभी का मन ऐसा होता है क्योंकि चारों तरफ हरियाली, ठंडी हवा और सुख शांति फैल जाती है.

मानसून के दिनों में आसमान में काले सफेद बादल पानी लेने के लिए दौड़ते नजर आते है, काली घटाओं में बिजली का चमकना बहुत अच्छा लगता है.

गर्मियों के कारण जो बच्चे घर से बाहर निकलना बंद कर देते हैं बारिश के मौसम में वे बाहर निकल कर खूब खेलते नाचते गाते है और बारिश का भरपूर आनंद उठाते है.

बारिश का मौसम पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक जीव को नया जीवन प्रदान करता है इसलिए मुझे वर्षा ऋतु बहुत पसंद है.

Latest Essay on Rainy Season in Hindi 500 Words

भूमिका –

भारत में मुख्य रूप से वर्षा सावन और भादो माह में होती है यह वह समय होता है जब मानसून सबसे सक्रिय रूप में होता है. ग्रीष्म काल की झुलसाती हुई गर्मी से राहत बारिश के कारण ही मिलती है.

गर्मियों के कारण भारत के प्रत्येक प्रांत का तापमान इतना अधिक बढ़ जाता है कि दिन में बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. हर तरफ पानी के लिए त्राहि-त्राहि मच जाती है.

सभी नदी, नालों, तालाबों का पानी सूख जाता है जिसे जीव-जंतुओं का जीवन बहुत कठिन हो जाता है. लेकिन जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है तो चारों तरफ हरियाली ही हरियाली छा जाती है.

ऐसा लगता है मानो बारिश की बूंदों के रूप में धरती पर अमृत की बौछार कर दी गई हो, बारिश के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है.

वर्षा ऋतु का महत्व –

वर्षा ऋतु सभी ऋतु में सबसे अच्छे ऋतु मानी जाती है, जब भी वर्षा आती है तब धरती का कण कण उमंग से प्रफुल्लित हो उठता है. जब धरती पर प्रचंड गर्मी के बाद मानसून की पहली बारिश होती है तो धरती से सोंधी सोंधी खुशबू आती है जिसके आगे दुनिया का सबसे खुशबूदार इत्र भी कम पड़ता है.

हमारा देश गर्म प्रांतीय क्षेत्र में आता है इसलिए यहां पर सबसे अधिक गर्मी पड़ती है, नदियों में पानी का अभाव है इसलिए पानी की उपलब्धता कम है. इसीलिए हमारे देश में वर्षा ऋतु का महत्व और भी बढ़ जाता है वर्षा ऋतु जब भी आती है तो सभी के मन को भा जाती है.

हमारा भारत देश के प्रधान देश है इसलिए यहां पर ज्यादातर खेती ही की जाती है और खेती के लिए पानी की आवश्यकता होती है इस आवश्यकता की पूर्ति सावन और भादो माह में आने वाली बारिश ही करती है. किसानों के लिए तो यह अमृत के समान है क्योंकि उनकी फसल बारिश पर ही निर्भर करती है.

जब बारिश अच्छी होती है तो देश के हर प्रांत में खेतों में फसल लहरा उठती है चारों तरफ हरियाली ही हरियाली छा जाती है ऐसा लगता है मानो धरती ने हरी चुनरी ओढ़ ली हो.

बारिश के कारण सभी नदी नाले और तालाब पानी से लबालब भर जाते हैं जिसके कारण पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं को मीठा जल पीने को मिलता है.

और धरती का भू-जल स्तर भी बढ़ जाता है जिससे गर्मी का प्रकोप कम हो जाता है और चारों तरफ ठंडी ठंडी हवाएं चलती है जो कि प्रत्येक प्राणी की मन को खुशहाली से ओतप्रोत कर देती है.

वर्षा के कारण फसल अच्छी होती है इसलिए सभी को खाने के लिए अनाज मिलता है साथ ही किसानों को इससे अच्छी पूंजी भी मिल जाती है.

जिससे उनका जीवन यापन थोड़ा सरल हो जाता है. बारिश अच्छी होती है तो देश की प्रगति भी तेजी से होती है. वर्तमान में जल की कमी का ज्यादातर भाग मानसून की बारिश से ही पूरा होता है इसलिए बारिश का महत्व हमारे जीवन में अतुल्य है.

निष्कर्ष –

हमारे जीवन में सभी ऋतुओं का महत्व है लेकिन सबसे अधिक महत्व वर्षा ऋतु का है जिसके कारण पृथ्वी की संपूर्ण जीवन प्रणाली चलती है लेकिन कभी-कभी अत्यधिक वर्षा के कारण कुछ हानि भी हो जाती है लेकिन इसके महत्व के आगे यह नगण्य है.

वर्षा हमारी धरती के लिए बहुत आवश्यक है इसलिए में इसके जल को सहेज कर रखना चाहिए और अधिक वर्षा हो इसलिए पेड़ पौधे लगाने चाहिए.

Full Essay on Rainy Season in Hindi

प्रस्तावना –

हमारा भारत देश बहुत सारी विभिन्नताओं वाला देश है इसलिए हमारे देश में ऋतुओं में भी विभिन्नता पाई जाती है. हमारे देश में कुल छ: ऋतुएँ ग्रीष्म, वर्षा, शीत ऋतु, हेमन्त, शिशिर और बसंत है जो कि हर दो महीने के अंतराल में बदल जाती है.

ऋतुओं के नाम के हिसाब से पृथ्वी का वातावरण बदलता रहता है, इन्हीं में से एक वर्षा ऋतु है जोकि संपूर्ण पर्यावरण में जीवन रेखा का काम करती है.

वर्षा ऋतु में बहुत तेज और अधिक बारिश होती है कई बार तो हफ्तों तक लगातार रिमझिम बारिश होती रहती है. वर्षा ऋतु में जुलाई में प्रारंभ होती है और अगस्त माह तक इसका पूरा जोर रहता है.

वर्षा ऋतु का आगमन –

जब वर्षा ऋतु का आगमन होता है तो चारों तरफ खुशहाली और हरियाली छा जाती है, भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों से जनजीवन को राहत मिलती है. बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी में खुशी की लहर दौड़ जाती है. बारिश के समय बच्चे खूब नहाते और खेलते है अपनी कागज की नाव पानी में तैराते है.

किसान भी समय बहुत खुश होता है क्योंकि उसकी फसल लहरा उठती है. वर्षा के समय सूख चुके जंगल के पेड़ पौधे फिर से नव अंकुरित हो उठते है. सूखी काली पहाड़ियों पर हरियाली की चादर बिछ जाती है हर तरफ रंग बिरंगे फूल दिखाई देते है.

नदियां, ताल तलैया, नाले, बांध इत्यादि सभी पानी से भर जाते है, पूरा वातावरण ठंडा हो जाता है. पशु पक्षियों को खाने के लिए हरी घास और पेड़ पौधे मिल जाते है. वर्षा ऋतु का आगमन पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवो के लिए खुशियों की चाबी है.

वर्षा का आगमन सभी को भाता है यह प्रकृति की काया पलट कर रख देता है प्रकृति के सारे रंग हमें बारिश के मौसम में देखने को मिल जाते है यह दृश्य किसी स्वर्ग लोक से कम नहीं होता है.

वर्षा ऋतु के लाभ –

वर्षा ऋतु का लाभ संपूर्ण पर्यावरण को मिलता है बारिश के कारण ही पर्यावरण का पूरा चक्कर चल पाता है इसके मुख्य लाभ हमने नीचे पॉइंट के माध्यम से समझाएं है.

(1) किसानों को –

किसानों के लिए तो वर्षा ऋतु किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि वर्षा ऋतु से पहले किसान अपने खेतों में निराई गुड़ाई और खाद डालकर फसल के लिए तैयार करते है. यह सब इतना आसान नहीं होता क्योंकि उस समय भयंकर गर्मी और लू चलती है.

किसान प्रचंड गर्मी में दिन भर मेहनत करता है और फिर आसमान की तरफ टकटकी लगाए देखता रहता है कि कब बादल आए और बारिश होगी. हमारे देश के ज्यादातर किसान मानसून आधारित बारिश पर ही अपनी फसल बोते है.

इसलिए जब बारिश का मौसम आता है तो किसानों के मुंह की मुस्कान देखते ही बनती है. उनके द्वारा लगाई गई फसल, फल, सब्जियां इत्यादि सभी भरपूर मात्रा में होती है.

(2) पर्यावरण –

हमारी पृथ्वी की पर्यावरण के चक्कर को सुचारू रूप से चलाने के लिए वर्षा ऋतु का अहम महत्व है अगर यह रितु नहीं होगी तो संपूर्ण पर्यावरण तंत्र बिगड़ जाएगा. चारों तरफ पानी के लिए त्राहि-त्राहि मच जाएगी फिर पृथ्वी पर जीवन जीना मुश्किल हो जाएगा.

इसलिए जब बारिश आती है तो जीव जंतुओं के लिए चारे पानी की व्यवस्था हो जाती है और इंसानों के लिए भी पानी और अन्य फसल की व्यवस्था हो जाती है. पृथ्वी का पर्यावरण में फिर से एक बार जान आ जाती है. इसलिए वर्षा ऋतु का हमारे पर्यावरण के लिए अहम महत्व है.

(3) जीव – जंतुओं –

भयंकर गर्मी के कारण सभी पेड़ पौधे और घास सूख जाती है साथ ही पानी के तालाब और नदियां सूख जाती हैं जिससे जीव जंतुओं को खाने के लिए कुछ नहीं मिलता और पीने के लिए पानी भी बहुत कम मिलता है. इसके कारण धीरे-धीरे जीव जंतु और पशु पक्षी पानी और खाने की कमी के कारण मृत्यु के आगोश में चले जाते है.

लेकिन जब वर्षा ऋतु आती है तब फिर से पानी और खाने की कमी दूर हो जाती है इसलिए वर्षा ऋतु जीव जंतुओं के लिए अमृत के समान कार्य करती है.

(4) भू-जल स्तर बढ़ना –

गर्मी और अत्यधिक तापमान के कारण पृथ्वी का जल वाष्प बनकर उड़ जाता है, और मानव द्वारा भूजल का अत्यधिक दोहन करने के कारण भू-जल स्तर कम हो जाता है जिसके कारण पृथ्वी गरम रहती है और हमें स्वस्थ जल पीने को भी नहीं मिलता है.

जब वर्षा ऋतु आती है तब बारिश के कारण ही भू-जल स्तर बढ़ता है जिससे पृथ्वी के तापमान में भी कमी आती है और स्वच्छ जल भी हमें प्राप्त होता है.

(5) व्यापार में तेजी –

हमारा भारत देश कृषि आधारित देश है इसलिए यहां पर ज्यादातर आमदनी कृषि से ही होती है इसलिए जिस साल अच्छी वर्षा नहीं होती उस साल सभी वस्तुओं के दाम बढ़ जाते है और व्यापार धीमी गति से चलता है.

अगर अच्छी बारिश होती है तो किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त होती है और वे बाजार में आकर नई नई वस्तुएं खरीदते हैं जिससे व्यापार तेजी से बढ़ता है.

(6) देश की प्रगति –

हमारे देश आज भी 70% से अधिक आमदनी कृषि से ही होती है इसलिए हमारे देश के ज्यादातर लोग आज भी किसान है. इसलिए जिस वर्ष भी अधिक वर्षा होती है और फसल अच्छी हो जाती है तो हर प्रकार के व्यापार में तेजी देखने को मिलती है.

इस कारण सभी को खर्च करने के लिए पैसे मिल जाते है और सभी लोग नई नई वस्तुएं खरीदते है जिससे देश की प्रगति होने लग जाती है.

वर्षा से हानि –

वर्षा ऋतु से कुछ हानियां भी होती है लेकिन ज्यादातर मानव जनित कार्यों के कारण उनके घातक परिणाम देखने को मिलते है. वर्षा ऋतु से होने वाली कुछ प्रमुख हानियां निम्नलिखित है –

(1) बाढ़ – अत्यधिक बारिश होने के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसके कारण फसल जन-धन की हानि होती है. लेकिन बाढ़ भी मानव जनित कार्य से ही आती है क्योंकि मानव द्वारा जंगलों की कटाई कर दी गई है जिससे पानी का बहाव तेजी से होता है.

और जनधन की हानि भी मानव के कारण ही होती है क्योंकि मानव ने अपने रहने का स्थान नदियों के पास बना लिया है और उनके बहने के क्षेत्र को रोक दिया है जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है. अगर मानव अपनी सीमा में रहे तो बाढ़ की स्थिति इतना भयानक रूप नहीं ले सकती है.

(2) मौसमी बीमारियां –

वर्षा ऋतु में मौसमी बीमारियां बहुत अधिक होती है जैसे हैजा, मलेरिया, त्वचा संबंधी रोग, खांसी जुकाम इत्यादि हो जाती है. लेकिन इनमें से ज्यादातर बीमारियां मानव द्वारा फैलाए गए प्रदूषण के कारण ही उत्पन्न होती है. अगर मानव पर्यावरण का ख्याल रखें तो वर्षा ऋतु से बीमारियां नहीं होंगी.

(3) भू-कटाव –

अत्यधिक तेज वर्षा के कारण भूमि का कटाव होने लग जाता है जिसे उपजाऊ मिट्टी बह कर चली जाती है. जो कि पर्यावरण और फसलों के लिए अच्छा नहीं होता है.

भू-कटाव की स्थिति वर्तमान में बहुत अधिक देखने को मिलती है क्योंकि मानव द्वारा अत्यधिक पेड़ों की कटाई कर दी गई है जिससे भूमि का कटाव हो रहा है इसलिए मैं अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाने होंगे और भू-कटाव को रोकना होगा.

वर्षा ऋतु के त्योहार –

वर्षा ऋतु आने के बाद भारत देश में जैसे त्योहारों की झड़ी लग जाती है, भारत में वर्षा से वैसे ही सभी को खुशी मिलती हैं और पूरा वातावरण ठंडा और मनमोहक हो जाता है इन खुशियों में चार चांद लगाने के लिए भारत देश के लोग त्योहारों का आयोजन करते है.

अगर ऐसा कहा जाए कि भारत में त्योहारों की शुरुआत वर्षा ऋतु से ही प्रारंभ होती है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि ज्यादातर त्यौहार वर्षा ऋतु के बाद ही आते है.

वर्षा ऋतु के बाद प्रमुख रूप से मनाए जाने वाले त्योहार निम्न है – तीज, रक्षाबंधन, गणगौर, दिवाली इत्यादि है.

उपसंहार –

वर्षा ऋतु के कारण संपूर्ण जन जीवन में हर्षोल्लास की लहर दौड़ जाती है, सच में वर्षा ऋतु पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवो के प्राण के लिए अमृत का कार्य करती है.

खेतों में लहराती हुई फसल का मनमोहक दृश्य बहुत सुहाना लगता है. चारों तरफ हरियाली ही हरियाली देखकर सबके मन को शांति मिलती है.

चहु और पशु पक्षी अपना नया राग सुनाते है यह वाक्य में ही बहुत मनोरम दृश्य होता है और वर्षा ऋतु के कारण भयंकर गर्मी से जो राहत मिलती है उसकी तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है.

इसीलिए वर्षा ऋतु सभी ऋतु में सबसे ऊंचा स्थान रखती है. हमें भी वर्षा ऋतु में जल का संग्रह करके वर्षा ऋतु का आदर करना चाहिए.

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7 thoughts on “वर्षा ऋतु पर निबंध – Essay on Rainy Season in Hindi”

वर्षा ऋतु पर निबंध

very good letters

Thank you Arnav for appreciation, keep visiting Hindi yatra.

आप का निबंध हमें बहुत अच्छा लगा।

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अंशिका जी ऐसे ही और रोचक जानकारी लेने के लिए हिंदी यात्रा पर आते रहे धन्यवाद

आपका निबंध बहुत अच्छा लगा । धन्यवाद

करन राणा आप का बहुत बहुत आभार

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10 Lines on Seasons in Hindi – 10 Lines Essay

10 lines on seasons in hindi language :.

Hello Student, Here in this post We have discussed about Seasons in Hindi. Students who want to know a detailed knowledge about Seasons, then Here we posted a detailed view about 10 Lines Essay Seasons in Hindi. This essay is very simple.

Seasons (ऋतुएँ)

1) पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करने के कारण ऋतु में परिवर्तन होता है।

2) भारत में ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर और वसंत यह भारत के छः प्रमुख ऋतुएँ हैं।

3) गर्मी ,बरसात, सर्दी यह भारत के प्रमुख तीन ऋतुएँ है।

4) भारत में मई से जून गर्मी का मौसम रहता है  गर्म हवा चलती है।

5) गर्मी के बाद भारत में जून से अगस्त तक बरसात का मौसम रहता है।

6) बरसात के मौसम में मुख्यता मौसमी हवा के कारण भारत में वर्षा होती है।

7) बरसात के बाद भारत में सर्दी का मौसम आता है। 8) किसी पर प्रदेश का वातावरण तथा मौसम वहां  रहने वाले सजीव जिव पर गहरा प्रभाव डालता हैl

9) मनुष्य तथा जीव जंतु स्वय को वातावरण के अनुकूल ढाल लेते हैं।

10) ऋतुएँ भारत के सुंदर भौगोलिक परिस्थिति तथा जैव विविधता के लिए एक वरदान है।

Hope above 10 lines on Seasons in Hindi will help you to study. For any help regarding education Students please comment us. Here we are always ready to help You.

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Seasons in India Essay

India is a country with large variations in seasons and other environmental aspects. In a nutshell, there are four basic seasons in India namely the winter season, summer season, rainy season and lastly the spring season. The intensity of each of the four seasons in India varies from region to region depending upon the topographical factors, latitude and longitude of the region.

Long and Short Essay on Seasons in India in English

Here are essays on seasons in India of varying lengths to help you with the topic in your exam. You can select any seasons in India essay as per your need:

Seasons in India Essay 1 (200 words)

The various seasons India experiences throughout the year are broadly classified as summer, monsoon, winter and post monsoon period. Usually these seasons prevail in a particular duration around the year but not necessarily because there are many other environmental and anthropological factors that hinder the process of these seasons such as global warming and deforestation. The time period and intensity of these seasons in different parts of the country vary largely due to different topographical features. Many activities such as travelling and school calendars depend upon the seasons and climate of an area.

The meteorological department of India bifurcates the months of a year according to the seasons as follows:

  • Winter (December, January and February)
  • Summer (March, April and May)
  • Monsoon (June to September)
  • Post Monsoon (October to November)

These classifications are made keeping in mind the changes in temperature, air pressure, topography, amount of rainfall, changes in directions and intensity of air current etc.

Traditionally, India has six seasons namely Summer, Spring, Monsoon, Autumn, Winter and Prevernal season. They are divided among the twelve months of a calendar with each season having a span of exactly two months. Each season has its own beauty and is loved for different reasons.

Seasons in India Essay 2 (300 Words)

Introduction

Typically, the seasons in India are divided into 4 categories which are summer (March – May), winter (December – February), monsoon (June – September) and post monsoon also known as north east monsoon (October – November). The span of these seasons varies from 2.5 to 3 months.

During the winter season the temperature varies from 10 to 15 degree Celsius. Northern part experiences snowfall along with rain. December and January are usually the coldest months. In winter time, it is observed that nights are longer than days.

India being a tropical country, summer is a bit extreme in certain parts. The temperature is highest in April and May and varies from 32 to 40 degree Celsius. In summer the days appear comparatively longer than nights.

The Indian Monsoons typically start in June and extend till September. In India, majority of precipitation is caused by the south – west monsoons. The south west monsoon originates from the Bay of Bengal and Arabian Sea.

The months of October and November fall under the post monsoon season. Some parts of India receive their precipitation from the north east monsoon such as Tamil Nadu. This season marks the transition between a wet and dry season. The temperature slowly starts lowering during this transition.

So, these are the seasons of India as classified by the meteorological department. The span and intensity of these seasons are not fixed and are subject to change depending upon certain external environmental factors such as air pressure, direction of air currents, cloud formation, anthropological factors such as deforestation and pollution etc. As the environmental factors experience major changes, these changes are reflected largely in the duration and intensity of the seasons in India and also the neighboring parts. Hence, due to vast geographic scale and varied topography generalizations cannot be made for the seasons of India.

Seasons in India Essay 3 (400 words)

Anthropological factors such as pollution have caused havoc to the generally smooth seasonal cycles of India. Various activities such as deforestation, urbanization, industrialization, etc have brought an adverse effect on the seasonal changes in India. Excessive deforestation for the construction of residential buildings and industries to cope with the growing demands of the people has led to loss of valuable green cover in the country which in turn has caused disturbance in the rainfall pattern and has also led to the loss of valuable soil cover and floods in various parts of the countries.

Causes of Adverse Effect on Indian Climate

The major cause of climate change is as follows:

  • Urbanization
  • Burning of fossil fuels
  • Emission of greenhouse gases
  • Industrialization
  • Deforestation

Due to the change in rainfall and temperature patterns people have to face extreme climatic conditions. Indian monsoons lead to floods in parts of north east and northwest while the southern parts experience drought to the extreme levels. These changes are confusing scientists and meteorological experts from a considerably long time. It is difficult to assign exact reasons to these adversities. These changes can be permanent or the climate might return to its normal state.

Due to the increase in C0 2 concentrations in the atmosphere along with the stimulation of production of greenhouse gases, winters are becoming relatively warmer in tropical countries. The presence of these gases in the atmosphere along with the presence of favorable conditions for their oxidation has led to thinning of the ozone layer. Ozone layer obstructs the harmful U.V. radiations from entering the earth’s atmosphere. But due to the damage caused by the greenhouse gases on the ozone layer, the radiations make it through the earth’s atmosphere thus increasing the temperature on the surface and contributing to certain problems such as skin cancer.

According to past records, it is true that climate change is a natural phenomenon but the research from the past few decades suggests that the sudden exponential changes are a result of increasing population and industrialization. Many scientists argue about the irreversibility of these climatic conditions and changes but many others are optimistic about the new researches and enlightenment among people about the changing scenario.

Numerous scientists have sought out ways to reverse the effects of global warming or we can say that at least they’ve all tried. Numerus books, research papers, documentaries, movies etc have been introduced on the growing concern of global warming and its association with climate change.

Seasons in India Essay 4 (500 Words)

In India, different regions experience different climatic conditions. While in summers, certain regions in the country may experience extreme heat others may have a rather less hot but humid climate.

What Causes Change In Seasons?

The tropical and sub-tropical parts in India consist of four seasons namely winter, summer, monsoon and post monsoon. As the change in day and night is caused by the rotation of the earth on its axis similarly the change in seasons is caused by the revolution of earth around the sun in elliptical orbits. The difference in the intensity of seasons in different parts is a result of the slight tilt of the earth.

At different times during the year, the northern or the southern axis is closer to the sun. During this time the part closer to the sun experiences summer as it recieves direct heat from the sun. Whereas in winter, the earth moves away from the sun in the elliptical orbit and hence the sun rays have to travel a longer distance to reach the earth, which results in lower temperature on the earth at that time of the year.

The above stated are the natural processes which bring about the change in the seasons around the year. The changes by these processes are subtle and people can easily adapt to the whereas the change in seasons caused by anthropological factors such as emission of greenhouse gases are more adverse and extreme and cause difficulties to living creatures and even property.

Geographical Aspect of the Indian Lands

India’s geography is extremely contrasting at different places: With the Thar desert in the west and Himalayas in the north. This diversity in topography affects the climatic and cultural conditions in various parts of the country.

India can be regarded as both tropical and sub tropical as the tropic of cancer passes roughly through its center. The Northern Part is kept relatively warm as the Himalayas act as a barrier to the cold central Asian wind entering the country. Extreme temperatures recorded in India are 51 degree Celsius in Rajasthan and the lowest being -45 degree Celsius in Kashmir.

The Physical Features are divided into six regions as stated below:-

  • Northern Mountains
  • Northern Plains
  • Indian Desert
  • Coastal Plains
  • Peninsular Plateau

Natural Calamities

A calamity is addressed as a disaster when it has severe effect on life and property which results in death and loss of valuable monetary assets. Disasters due to seasonal changes and effects of it are a bit common in India. Natural disasters may be the result of earthquakes, volcanic eruptions, hurricanes etc. The areas subject to heavy rainfall are more prone to flash floods and cyclones whereas certain areas in the southern parts experience severe droughts. In colder regions of Himalayas and areas of Jammu and Kashmir, Himachal Pradesh and Sikkim, snow storms and avalanches are the cause for destruction of life and property. Other disasters include heat waves, hailstorms, landslides etc. Heat wave causes many health problems and at times even death. Hailstorms destroy the standing crops and also effect life and property. Cyclones are more frequent in the coastal regions of Orissa, Andhra Pradesh, Tamil Nadu and West Bengal.

India is a land of diversity and this diversity can also be seen in its seasons. Nature is truly incredible. Change in season throughout the year offers a good experience to the inhabitants of the country. However, extreme weather conditions can at times be hazardous.

Seasons in India Essay 5 (600 words)

According to the Hindu calendar, the seasons in India are classified into six types. These are Vasanth Ritu (Spring Season), Sharad Ritu (Early Autumn), Varsha Ritu (Monsoon Season), Sishira Ritu (Late Autumn), Greeshma Ritu (Summer Season) and Hemantha Ritu (Winter Season).

Classification of Seasons by the Hindu Calendar

The classification by the Hindu calendar includes the names of the seasons as in Sanskrit, the cultural and festive values associated with these seasons. In other aspects these classifications are similar to those made by the Meteorological Department of India.

Vasanth Ritu

Vasanth Ritu or the spring Season is a time of moderate climate that is neither too hot nor too cool. Spring season brings about a pleasant weather along with the bloom of flowers and maturing of the shrubs and trees. Usually this is the most loved season due to pleasant and lively weather. An important Hindu Festival – Mahashivratri falls in Vasantha Ritu.

Sharad Ritu

Sharad Ritu or the autumn season marks the onset of winter and acts as a transition period between hot, scorching heat rays and cool winter winds. This is the time when trees shed their leaves and many of the Hindu festivals such a Diwali (Festival of lights), Navratri and Durga Puja fall during this time. The mid time of Sharad Ritu is autumnal equinox. It takes place when the earth’s axis is inclined neither away nor in the direction of the sun.

Varsha Ritu

Varsha Ritu or the Monsoon/ Rainy season is when it rains heavily in many parts of India. It starts usually in June and extends until September. The onset of this season is a mark of certain Indian festivals such as Janmastami (Birth of lord Krishna), RakshaBandhan, etc. India being a largely agricultural governed country, this season is extremely important. A fair rainfall ensures good crop production and happy farmers.

Sishira Ritu

Sishira Ritu or the late autumn season gives way to many important harvest festivals. Festivals such as Lohri, Pongal, etc are celebrated during this season. Shishir Ritu starts with the winter solstice when the sun reaches its highest points in the sky. It usually starts in December and extends till January.

Greeshma Ritu

Greeshma Ritu or the Summer Season is when the temperature starts increasing across various parts of the country due to the fact that earth is revolving very close to the sun on the elliptical orbit. It usually prevails from April to early June. Festivals such a Guru Purnima fall under this Ritu. India being a tropical country, the weather during this season is extreme and sometimes unbearable. In some parts the temperature is raised to as high as 45 degree Celsius. In GreeshmaRitu, the day seems longer than the night which is the complete opposite of the scenario during Hemantha Ritu or the winter season.

Hemantha Ritu

Hemantha Ritu or the winter season prevails from early December to February. Winter season in the western countries is extreme and tiresome whereas in various parts of India a pleasant weather prevails in the winter months.

So the above stated was the brief explanation about the various seasons of India as classified by the Hindu calendar. Many bifurcations have been made relating to the seasons in India. Different entities and organizations such as The Meteorological department of India have made these classifications.

The duration of these seasons is not exactly constant and is subject to change with the alterations in external factors such as air pressure, temperature, direction of air currents, amount of precipitation etc.

India is one such country that enjoys all the seasons. People living get a chance to wear different kinds of outfits as the weather changes. The food preferences of people also change according to the seasons. So, they enjoy different delicacies to treat their taste buds during different seasons.

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  • Essay on Seasons in India

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Indian Weather Essay

All the seasons of India are divided among 12 months of the calendar. They are divided among the twelve months of the calendar of two months for each season. Every season has its beauty and specialty that make it noticeable. Sometimes due to some environmental issue, this period may differ.

The meteorological department of India divided the months of a year according to the seasons as follows:

Summer (March, April, and May)

Monsoon (June to September)

Post Monsoon (October to November)

Winter (December, January, and February)

By knowing the month's distribution, one can easily understand the beauty of the season in India.

Introduction to India

India is one of those countries which sees four types of seasons. Each season is different due to its nature. However, the reason behind this diversification of these seasons depends on various factors such as latitude, longitude, topography, etc. Below are the two sample essays on Seasons in India which students can refer to for further use. Apart from the name of Seasons In India essay, these can also be referred to as weather essay, paragraph on seasons, etc. So, whatever the questions would be in your question paper, you must not get confused.

Long ‘Seasons in India’ Essay

India is a vast country with various geographical features and conditions. Hence it is important for all the kids to be aware of what are the seasons in India. When it comes to seasons, India is extremely diverse in nature. There are mainly four seasons that can be witnessed across the country i.e. Summer, Monsoon, Post-monsoon, and Winter.

Duration: Three months

Time of the Year: April to June

Summer in India generally stays for three to four months, which starts from April (sometimes in March) and continues to June. This season excites the kids the most as they get a month-long vacation. Many schools or authorities organize summer camps for the kids in various places in India which are comparatively cold. Besides, everyone can enjoy eating ice-cream and various other fun foods. It is the longest season. During this season, nature gets brighter and temperatures soar high. Lots of flowers and fruits bloom at this time. Sometimes, the season's temperature gets very high due to geographical reasons. The temperature is highest in April and May. In that season, the temperature varies from 32 to 40 degrees Celsius. In summer, the days appear longer than night.

Duration: Three to four months

Time of the Year: June end to September

Monsoon means rain, which delights the farmers across the countries. The first monsoon in India hits the state of Kerala. The Indian Monsoons typically start between the second week of June and extend until September. In India,  most precipitation is caused by the southwest monsoons. The two origins of the Indian monsoon are the Bay of Bengal and the Arabian sea. The south-west part of India also witnesses heavy downpour every year. However, following the scorching heat of summer, this season brings relief to everyone’s life including the farmers. India's agriculture is highly based on the monsoon season. But it has its downside too. Many areas get flooded due to deluge which damages a lot of crops and creates difficulty in a farmer’s life.

Post-Monsoon

Duration: Two Months

Time of the Year: October, November

Post-monsoon is the most pleasant time of the year, which is nothing but a transition phase between monsoon and winter. During this time, some of the regions in India witnessed rainfall. This time is referred to as Autumn also in some parts of India. The months of October and November cover the post-monsoon season. This season marks the mixture between a wet and dry season. The temperature slowly starts getting low during this transition. However, it is the shortest season of all. Lots of festivals take place during this season such as Durga Puja (Navratri), Diwali, Bhaidooj, Halloween, etc.

Duration: Two to three months

Time of the Year: December, January (sometimes in February)

As the time moves fast towards winter, days become shorter and nights become longer. Temperature can be as low as minus 5 degrees Celsius at some places (such as the extreme northern regions in India). People wear woolen clothes to keep themselves warm. Some travel to sea-shore areas to enjoy the pleasant weather. This season is the season of cheerful festivals like Christmas, the new year, and various foods. This season's picnic is perfect. Some also travel to high altitude areas to experience snow falls like Uttarakhand, Kashmir, etc. The overall temperature increases as January ends and moves towards February.

Short Essay on ‘Seasons in India’

India is well known for its diversified nature and climate. Every year the country witnesses mainly four major seasons i.e. summer, monsoon, post-monsoon, winter. Each season has its own charm and characteristics. The duration of each season ranges from three to four months. In a nutshell, India is a tropical region.

The summer season mainly starts in April and stays until the month of June. Due to the country’s tropical nature, the summer season gets extremely hot in some parts of India such as Rajasthan, Gujarat, Delhi, Uttar Pradesh experiences the scorching heat of the summer sun. The temperature ranges from 30 to 40 degrees Celsius during this season and the length of the day is generally longer than the length of the night. The highest temperature during the summer season could be 50 to 52 degrees Celsius.

Monsoon follows the summer season and brings relief to everyone’s life. Monsoon stays for three to four months. It begins at the end of June and stays until September. The origins of the Indian monsoon are basically the Arabian sea and the Bay of Bengal. The first monsoon rains in India are witnessed in the state of Kerala. Some other regions too experienced heavy downpours, especially the south-western part of India (Mumbai, Nashik, Nagpur, etc).

There comes the post-monsoon season which stays for two seasons approximately i.e. October and November. Some also refer to this season as Autumn in India. This is the transition phase between the monsoon and the winter season. This transition period brings very comfortable and pleasant weather which prepares everyone for the dry winter season. Some regions might witness a little bit of deluge at this time.

Thereafter, this season is followed by the most awaited season - winter. The temperature can go down to 10 to 15 degrees Celsius in this season. The extreme north and north-eastern region of India also witnesses heavy snowfall in this time of the year, i.e., Kashmir, Uttarakhand, etc, and other northern regions see an extreme fall in the temperature. The temperature might be around minus 5 to 5 degrees Celsius. The coldest months in the entire year are December and January. As opposed to summer, the season has the longest nights compared to the days.

Effect on Season Change

Due to heavy pollution, some disturbances have been created in India's generally smooth seasonal cycles. Various activities like urbanization, industrialization, deforestation,  etc., have affected the seasonal changes in India. Excessive deforestation for residential buildings and industries to cope with the growing demands.  People have led to the loss of valuable green forests in the country.  By this, a disturbance is caused in the rainfall pattern and has led to floods and drought in various countries.

Causes of Effect on Indian Climate

The cause of climate change is happening  as follows:

Burning of fossil fuels

Industrialization

Deforestation

Emission of greenhouse gasses

Urbanization

Due to the change in rainfall and temperature patterns, people face extreme climatic conditions. Indian monsoons lead to floods in parts of the northeast and northwest while the southern parts experience drought to the extreme levels. These changes have been confusing scientists and meteorological experts for a long time. It is difficult to identify exact reasons for these adversities. These changes can be permanent if we will not take a severe step as soon as possible.

In a nutshell, India is one of those beautiful countries which witness the diversity of nature. Each region is popular for its various conditions of nature. Each season is beautiful in its way and Indians are lucky to experience such wide ranges of nature at its best.

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FAQs on Essay on Seasons in India

1. What are the Seasons in India?

There are mainly four seasons in India i.e. Summer, Monsoon, Post-monsoon, Winter.

2. Which Months are the Coldest in India?

December and January are the coldest months in India.

3. Which Months is the Post-Monsoon Season?

Generally, the post-monsoon season comes between monsoon and winter. Hence, October and November are the two months that experience the transition.

4. Why is the season change essential in India?

The season change is essential in India because everything depends upon it. According to the season change, the various crops also grow at different times. AS north to south, there are various geographical issues for that season change is essential. There is uniqueness and beauty in every season. So every season has its reason of importance.

5. How does the season affect human life?

For the variety of every season, people have to change their regular habits. They can not continue with the same in every season. For example, One may have to wear lite cloth, eat incredible food or drinks, and feel irritated in scorching heat in Summer. On the other hand, one must wear woolen clothes, eat hot food, drink, and feel happy in sunlight in the winter season. In the monsoon season, people have to survive with colds and coughs. There are also various effects that may occur due to season change.

6. What is the reason behind season change?

As India is situated in the tropical part of the earth, it faces maximum season changes. Besides that, we all know that the world moves around the sun and has a tilted rotation axis. The different parts of the planet get different light and heat from the sun, which is the main reason behind season change.

7. How to write an essay on season change?

Season change is one of the favorite topics for children. So one can follow some simple steps to write a good and attractive essay about season change. First, one must write an overview of the seasons of India. After that, they may include detailed information about seasons. In the next step, one may include the case and effect on season change. At last, the student must include the conclusion. One may also add some exciting content to their essay as they want.

8. How can a student get help on writing essays easily?

Nowadays, everything can be found on the internet. Especially about the study of different topics, there are thousands of online learning websites where one can get help in any subject or topic. But choosing the best is the priority. Vedantu is one of the best learning platforms where students can get help on any topic. Not only that, but Vedantu also provides courses, study material, online classes, and thousands of blogs and videos for study. All the students of ICSE, CBSE as well as State Boards can get maximum help from Vedantu.

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