lata mangeshkar ki biography hindi mein

लता मंगेशकर जीवन परिचय | Lata Mangeshkar Biography in Hindi

स्वर कोकिला लता मंगेशकर भारत की ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की सबसे मशहूर और अनमोल गायिका हैं, उन्होंने अपनी सुरीली आवाज का जादू न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी चलाया है। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी को संगीत का पर्यायवाची कहना भी गलत नहीं होगा, क्योंकि उन्होंने अपनी मधुर और मंत्रमुग्ध कर देने वाली आवाज से संगीत में जो मानक स्थापित कर दिया है, वहां तक शायद ही कोई पहुंच सकता है।

लगा मंगेशकर जी की अद्भुत आवाज को लेकर  रिसर्च तक की जा चुकी है, उनकी मधुर आवाज को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने यह तक कह डाला है कि लता जी की तरह इतनी सुरीली आवाज न कभी थी और न ही संभवत: कभी होगी। कई सदियों की महागायिका कहलाने वाली लता जी भारत की एक सबसे प्रसिद्ध, बेहतरीन और सम्मानित प्लेबैक सिंगर प्रसिद्ध भारतीय प्लेबैक सिंगर और म्यूजिक कंपोजर के रुप में जानी जाती हैं।

भारत रत्न लता मंगेशकर जी कई दशकों से भारतीय सिनेमा को अपनी मधुर आवाज दे रही हैं। लता मंगेशकर जी के आगे आज पूरी संगीत की दुनिया नतमस्तक है। साल 1942 में जब लता जी महज 13 साल की थी, तब से ही वे भारतीय सिनेमा को अपनी सुरीली आवाज दे रही हैं।

उन्होंने अब तक करियर में 1000 से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों और तक़रीबन 36  से भी ज्यादा  भाषाओं में गाने गाए हैं। इसके साथ ही लता जी ने कई विदेशी भाषाओं में भी गीत गा चुकीं हैं। आपको बता दें कि संगीत का महानायिका Lata Mangeshkar जी ने सबसे ज्यादा गाना मराठी और हिंदी भाषा में  गाए है।

लता जी सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने वाली म्यूजिक आर्टिस्ट के रुप में भी पहचानी जाती है। वहीं एक कार्यक्रम में जब लता जी ने “ए मेरे वतन के लोगो को,जरा आँख में भर लो पानी” गाया तो भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरूजी के आँखों में भी आंसू आ गए थे। महागायिका लता जी के द्धारा संगीत के क्षेत्र में दिए गए अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।

साल 1989 में उन्हें भारत सरकार द्वारा भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान दादासाहेब फालके पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। लता जी  एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी के बाद दूसरी ऐसी गायिका है जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मन भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है।

लता जी ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव और संघर्षों को झेला है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और वे लगातार अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ती रहीं,और जीवन की अनंत ऊंचाइयों को छूआ। आज आज लता जी सभी के लिए आदर्श हैं और उनका जीवन कई लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं – तो आइए जानते हैं लता मंगेशकर जी के जीवन, संगीत करियर और उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में –

Lata Mangeshkar

लता मंगेशकर का जन्म, परिवार एवं प्रारंभिक जीवन – Lata Mangeshkar Information in Hindi

भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी 28 सितंबर साल 1929 में मध्यप्रदेश के इंदौर में एक मराठी बोलने वाले गोमंतक मराठा परिवार में जन्मीं थी। उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक क्लासिकल सिंगर और थिएटर एक्टर थे, इसलिए यह कह सकते हैं कि लता जी को संगीत विरासत में मिला है।

लता जी के माता का नाम शेवंती (शुधामती) था जो कि महाराष्ट्र के थालनेर से थी और वह दीनानाथ की दूसरी पत्नी थी। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी के परिवार का उपनाम (सरनेम) हर्डीकर था, लेकिन उनके पिता ने इसे बदलकर अपने गृहनगर के नाम पर मंगेशकर रखा, ताकि उनका नाम उनके पारिवारिक गांव मंगेशी, गोवा का प्रतिनिधित्व करे। हालांकि, लता जी के जन्म के कुछ समय बाद ही उनका परिवार महाराष्ट्र में जाकर रहने लगा था।

लता मंगेशकर को बचपन में उन्हें “हेमा” नाम से बुलाया जाता था, लेकिन बाद में उनके पिता ने एक प्ले ”भाव बंधन’ से प्रेरित होकर उनका नाम बदलकर लता रख दिया था और बाद में संगीत के क्षेत्र में इसी लता नाम ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। लता अपने माता-पिता की सबसे बड़ी औऱ पहली संतान है। इनसे छोटे चार भाई-बहन हैं जिनके नाम मीना, आशा भोसले , उषा और हृदयनाथ हैं।

बचपन से ही संगीत में रुचि होने की वजह से सुरों की जादूगर लता मंगेशकर ने  अपना पहला पाठ अपने पिता से सीखा था। वे अपने पिता से अपना सभी भाई-बहनों के साथ क्लासिकल संगीत सीखतीं थी। आपको बता दें कि जब लता जी महज 5 साल की थी, तब से उन्होंने अपने पिता के म्यूजिकल प्ले के लिए एक्ट्रेस के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था। लता मंगेशकर जी संगीत के क्षेत्र का चमत्कार है, इसका अहसास उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर को लता के बचपन में ही हो गया था।

9 साल की उम्र में इस स्वरासम्राज्ञानिने शास्त्रीय संगीत की मैफिल सजाई थी। शुरु से ही संगीत में रुचि होने की वजह से लता जी ने क्लासिकल म्यूजिक की ट्रेनिंग उस्ताद अमानत खान, बड़े गुलाम अली खान, एवं पंडित तुलसीदास शर्मा एवं अमानत खान देवसल्ले से ली थी। उस समय लता जी के.एल. सहगल के म्यूजिक से काफी प्रभावित थीं।

पिता के मौत के बाद घर की आर्थिक उन्होंने अपने कंधों पर उठाई:

साल 1942 में संगीत के चमत्कार कही जाने वाले लता मंगेशकर जी पर उस वक्त दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, जब उनके पिता को ह्रदय संबंधी बीमारी हो गई और वे अपने विशाल युवा परिवार को बीच में छोड़ कर चल बसे। उस दौरान लता जी सिर्फ 13 साल की थी, वहीं परिवार में सबसे बड़ी होने के नाते लता जी पर अपने भाई-बहनों की आर्थिक जिम्मेदारी आ गई। जिसके बाद से लता जी ने कम उम्र में ही अपने परिवार के पालन-पोषण के लिये काम करना शुरू कर दिया था।

लता जी का करियर –  Lata Mangeshkar Career

13 साल की उम्र में लता जी ने अपने करियर की शुरुआत की थी और तब से वे अपनी भारतीय सिनेमा को अपनी मधुर आवाज दे रही हैं। लता ने अपना पहला गाना 1942 में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिये “‘नाचू या ना गड़े खेडू सारी, मानी हौस भारी’ गाया था, इस गाने को सदाशिवराव नेवरेकर ने कंपोज किया था, लेकिन इस फिल्म की एडिटिंग करते समय इस गाने को फिल्म से निकाल दिया गया था।

इसके बाद नवयुग चित्रपट फिल्‍म कंपनी के मालिक और लता जी के पिता के दोस्त मास्टर विनायक ने इनके परिवार की मौत के बाद इनके परिवार को संभालने में मद्द की और लता मंगेशकर जी को एक सिंगर और अभिनेत्री बनाने में भी मद्द की। मास्टर विनायक ने साल 1942 में लता जी को मराठी फिल्म ‘पहिली मंगला-गौर’ में एक छोटा सा किरदार भी दिया था जिसमे लता ने एक गाना भी गाया था।

भले ही लता ने अपना करियर मराठी गायिका और अभिनेत्री के रूप में शुरू किया था, लेकिन उस समय यह कोई नही जानता था की यह छोटी लड़की एक दिन हिंदी सिनेमा की सबसे प्रसिद्ध और मधुर गायिका बनेगी।

देखा जाये तो, उनका पहला हिंदी गाना भी 1943 में आई मराठी फिल्म का ही था। वह गाना “माता एक सपूत की दुनियाँ बदल दे तू” था जो मराठी फिल्म “गजाभाऊ” का गाना था। इसके बाद लता जी साल 1945 में मास्टर विनायक कंपनी के साथ मुंबई चली गईं थी। और यहां से ही उन्होंने  अपनी संगीत प्रतिभा को निखारने के लिए उस्ताद अमानत अली खान से हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत सीखना शुरू कर दिया था।

वहीं इस दौरान उन्हें बहुत सारे म्यूजिक कंपोजर ने उनकी पतली और तीखी आवाज बताकर रिजेक्ट कर दिया था, क्योंकि उनकी आवाज उस दौर के पसंद किए जाने वाले गानों से एकदम अलग थी। वहीं उस दौरन लता जी से उस दौर की मशहूर सिंगर नूरजहां के लिए भी गाने के लिए कहा जाता था।

1948 में दुर्भाग्यवश विनायक की मृत्यु हो गयी थी और लता के जीवन में एक और तूफ़ान आया था, इस तरह हिंदी फिल्म जगत में उनके शुरुआती साल काफी संघर्ष से भरे हुए थे। हालांकि  विनायक जी की मौत के बाद गुलाम हैदर जी ने लता जी के करियर में काफी मद्द की थी।

साल 1948 में मजदूर फिल्म का गाना “दिल मेरा तोड़ा,मुझे कहीं का ना छोड़ा” से लता मंगेशकर जी को पहचान मिली थी। वहीं इसके बाद साल 1949 में आई फिल्म ‘महल’ में उन्होंने अपना पहला सुपर हिट गाना “आएगा आनेवाला” गाया।

इस गाने के बाद लता जी, संगीत की दुनिया के कई बड़े म्यूजिक डायरेक्टर और प्लेबैक सिंगर की नजरों में चढ़ गईं थी, जिसके बाद उन्हें एक के बाद एक कई गानों के लिए ऑफर मिलते चले गए।

साल 1950 में लता जी को कई बड़े म्यूजिक डायरेक्टर जैसे अनिल बिस्वास, शंकर जयकिशन, एस.डी. बर्मन, खय्याम, सलिल चौधरी, मदन मोहन, कल्यानजी-आनंदजी, इत्यादि के साथ काम करने का मौका मिला।

वहीं उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट तब आया जब उन्हें 1958 में म्यूजिक डायरेक्टर सलिल चौधरी द्धारा फिल्म “मधुमती” का गाना “आजा रे परदेसी” के लिए बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का सबसे पहला फिल्मफेयर अवार्ड मिला।

इस दौरान स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी ने कुछ राग आधारित गाने जैसे बैजू बावरा के लिए राग भैरव पर “मोहे भूल गए सावरिया” कुछ भजन जैसे हम दोनों मूवी में “अल्लाह तेरो नाम” साथ ही कुछ पश्चिमी थीम के गाने जैसे “अजीब दास्ता भी गाए थे।

उस दौरान अपनी आवाज से सभी के दिलों में राज करने वाली लता जी ने मराठी और तमिल से लोकल भाषाओं में भी गीत गाना शुरु किया था, तमिल ने उन्होंने ”वानराधम” के लिए “ एंथन कन्नालन” गाया था।

इसके बाद लता जी ने अपने छोटे भाई ह्दयनाथ मंगेशकर के लिए गाना गाया था, जो कि जैत के जैत जैसी फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर थे। इसके अलावा लता जी ने बंगाली भाषा के म्यूजिक को अपनी मधुर आवाज से एक नई पहचान दी है। साल 1967 में लता जी ने “क्रान्तिवीरा सांगोली” फिल्म में लक्ष्मण वेर्लेकर के द्धारा कम्पोज किए गए गाने “बेल्लाने बेलागयिथू” से कन्नड़ भाषा में अपना डेब्यू किया था।

इसके बाद स्वर कोकिला लता जी ने मलयालयम में नेल्लू फिल्म के लिए सलिल चौधरी द्धारा कंपोज किया गया गाना ”कदली चेंकाडाली” गाना गाया था। फिर बाद में कई अलग-अलग भाषाओं में गाने गाकर उन्होंने अपनी आवाज से संगीत को एक नई पहचान दी।

इस दौरान लता जी ने कई बड़े म्यूजिक कंपोजर जैसे हेमंत कुमार, महेन्द्र कपूर, मोहम्मद रफी, मत्रा डे के साथ कई बड़े प्रोजक्ट्स किए थे। उस दौर में लता जी का करियर सातवें आसमान पर था, उनकी सुरीली और मधुर आवाज की बदौलत वे एक सिंगिंग स्टार बन गईं थी, यह वो दौर था जब बड़े से बड़ा प्रोड्यूसर, म्यूजिक कंपोजर, एक्टर और डायरेक्टर लता जी के साथ काम करना चाहता था।

1960 का समय लता जी के लिये सफलताओ से भरा हुआ था, इस समय में उन्होंने “प्यार किया तो डरना क्या”, “अजीब दासता है ये” जैसे कई सुपरहिट गाने गाए। 1960 के साल को सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और लता जी के संबंध के लिये भी जाना जाता था जिसके बाद लता जी ने तक़रीबन 35 साल के अपने लंबे करियर में 700 से भी ज्यादा गाने गाए।

इसके बाद मंगेशकर की सफलता और आवाज़ का जादू 1970 और 1980 के दशक में भी चलता गया। इस दौर में उनके किशोर कुमार के साथ गाए ड्यूएट बहुत पसंद किए गए। कुछ गाने जैसे कि “कोरा कागज़” (1969), ”आंधी” फिल्म  का तेरे बिना जिंदगी से (1971), अभिमान फिल्म का “तेरे मेरे मिलन की” (1973), घर का आप की आँखों में कुछ” (1978) ये वो गाने हैं, जिन्हें सुनकर आज भी मन को सुकून मिलता है।

ये लता जी के एवरग्रीन गाने हैं। इसके अलावा लता जी ने कुछ धार्मिक गीत भी गाए थे। इस समय उन्होंने अपनी सुरमयी आवाज़ की बदौलत  अपनी पहचान पुरे विश्व में बना ली थी। साल 1980 में महानगायिका लता जी ने सचिन बर्मन के बेटे राहुल देव बर्मन के साथ और आर.डी.बर्मन के साथ काम किया था।

आपको बता दें कि आर.डी.बर्मन, लता जी की छोटी बहन और हिन्दी फ़िल्मों की मशहूर पार्श्वगायिका आशा भोंसले जी के पति हैं। उन्होंने लता जी के साथ अगर तुम ना होते का “हमें और जीने की, रॉकी का “क्या यही प्यार हैं”,मासूम में “तुझसे नाराज नहीं जिंदगी” आदि गाने गए।

इसके कुछ सालों बाद धीरे-धीरे लता जी का स्वास्थ्य खराब होता गया और फिर उन्होंने कुछ चुंनिदा गानों में ही अपनी आवाज देनी शुरु कर दी, लता जी ने अपने करियर में न सिर्फ फिल्मों के लिए गीत गाए बल्कि कई म्यूजिक एल्बम भी लॉन्च किए थे। साल 1990 में बॉलीवुड में बहुत से नये महिला गायकों ने प्रवेश किया लेकिन जिनके कंठ में स्वयं सरस्वती विराजमान है उन्हें भला  कौन पीछे छोड़ सकता है।

इस समय भी लता की सफलता का दीया जलता रहा। और आज के समय में भी लोग लता जी से उतना ही प्यार करते है जितना 70, 80 और 90 के दशक में करते थे।

लता जी के गाये यादगार गीतों में कुछ  फिल्मों के नाम विशेष उल्लेखनीय है – अनारकली, मुगले आजम अमर प्रेम, गाइड, आशा, प्रेमरोग, सत्यम् शिवम् सुन्दरम्आ दी. वहीं नए फिल्मों में भी उनकी आवाज पहले की तरह न केवल सुरीली है, बल्कि उसमे और भी निखार आ गया है, जैसे हिना, रामलखन, आदी में।

एक समय उनके गीत ‘बरसात’, ‘नागिन’, एवं ‘पाकीजा’ जैसी फिल्मों में भी काफी चले थे। उन्होंने 30,000 से अधिक गाने गाये है तथा सभी भारतीय भाषाओ में गाने का उनका एक कीर्तिमान भी है।

लता मंगेशकर पुरस्कार  – Lata Mangeshkar Awards

लता मंगेशकर ने न केवल कई गीतकारो एवं संगीतकारों को सफल बनाया है, बल्कि उनके सुरीले गायन कारण ही कई फिल्में लोकप्रिय सिद्ध हुई है। लता मंगेशकर जी को अपने करियर में कई बहुत से बड़े औऱ राष्ट्रीय सम्मान भी प्राप्त कर चुकी हैं, जिनमें भारत के सर्वोच्च पुरस्कारों में शामिल पद्मश्री और भारत रत्न भी शुमार है।

इसके अलावा लता जी को गायन के लिए 1958, 1960, 1965,एवं 1969 में फिल्म फेयर अवॉर्ड भी प्राप्त हुए हैं। ‘गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स’ की तरफ से भी उनका विशेष सम्मान किया जा चुका है। मध्यप्रदेश शासन की तरफ से उनके नाम हर साल 1 लाख रूपये का पारितोषिक दिया जाता है। 1989 में लताजी को ‘दादा साहब फालके पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

लता जी को मिले पुरस्कार इस प्रकार हैं –

  • फिल्म फेयर अवॉर्ड – पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)
  • नेशनल फिल्म अवॉर्ड (1972, 1974 और 1990)
  • महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और1967)
  • 1969 – पद्म भूषण
  • 1974 – दुनिया मे सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड
  • 1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार
  • 1993 – फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 1996 – स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 1997 – राजीव गांधी पुरस्कार
  • 1999 – एन.टी.आर. पुरस्कार
  • 1999 – पद्म विभूषण
  • 1999 – ज़ी सिने का का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 2000 – आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 2001 – स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 2001 – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न”
  • 2001 – नूरजहाँ पुरस्कार
  • 2001 – महाराष्ट्र भूषण
  • 2008 _ लता जी को भारत के 60वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ”वन टाइम अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट” से भी नवाजा गया था।

भारत रत्न लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय और सम्माननीय महागायिका है जिनका दशको का करियर कई उपलब्धियों से भरा हुआ है। लता जी ने अपनी आवाज़ से 7 दशकों से भी ज्यादा समय तक संगीत की दुनिया को अपने मधुर सुरों से नवाजा है। भारत की ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर ने बहुत सी भाषाओ में हजारो गाने गाए है।

उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आये तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। लता जी ने आज भी स्वयं को पूरी तरह संगीत के लिये समर्पित करके रखा है। लता जी एक लीजेंड है, जिन पर हर भारतवासी गर्व करता है।

लता जी के और नये गाने सुनने के लिये हम सभी बेकरार है और उम्मीद करते है की जल्द ही हमें उनका कोई नया गाना सुनने को मिलेंगा। लता मंगेशकर दुनिया की एक ऐसी कलाकार है, जिनके जैसा न कोई पहले हुआ है और न संभवतः हो सकेगा।

5 thoughts on “लता मंगेशकर जीवन परिचय | Lata Mangeshkar Biography in Hindi”

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it is brilliant article on lata mangeshkar 1 it is all information of lata mangeshkar

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The great singer on the earth. The real swar Kokila . The real gem of Bharat.

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लता जी के बारे में जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है उन्हें स्वर कोकिला ऐसे ही नहीं कहा जाता था उनका एक गाना Kabhi Khushi Kabhie Gham का मेरे दिल के सबसे करीब है LATA MANGESKAR G YOU ARE A GREAT SINGER. I LOVE YOU …….. SO MUCH….

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लता जी के बारे में जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है उन्हें स्वर कोकिला ऐसे ही नहीं कहा जाता था उनका एक गाना Kabhi Khushi Kabhie Gham का मेरे दिल के सबसे करीब है

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Best knowledge.

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Biography of Lata Mangeshkar In Hindi - लता मंगेशकर की जीवनी

Lata Mangeshkar Biography In Hindi – लता मंगेशकर की जीवनी

नमस्कार मित्रो आज के हमारे लेख में आपका स्वागत है आज हम Lata Mangeshkar Biography In Hindi में भारत की स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का जीवन परिचय देने वाले है। 

सुर-साधिका, सरस्वती की वरद् पुत्री, कोकिल कण्ठी सुश्री लता मंगेशकर भारत की सर्वश्रेष्ठ फिल्मी पार्श्व गायिका हैं । शताब्दी की सर्वश्रेष्ठ गायिका लता का गायन भारत के लिए ही नहीं, वरन् विश्व के लिए भी विस्मित कर देने वाला है । स्वर कोकिला लता मंगेशकर का एक-एक गीत सम्पूर्ण कलाकृति होता है। आज lata mangeshkar husband ,lata mangeshkar birthday और lata mangeshkar tamil songs से सम्बंधित सभी बाते बताने वाले है। स्वर, लय और शब्दार्थ का एक ऐसा त्रिवेणी नाद सौन्दर्य उनकी सुर लहरियों में समाया होता है कि कानों में पड़ते ही मधुरता एवं मादकता की अनुभूति दिल की गहराइयों में उतरने लगती है ।

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लता मंगेशकर – lata mangeshkar ki jivani in hindi

By: Sakshi Pandey

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50 को दशक को फिल्म इंडस्ट्री का स्वर्ण काल कहा जाता है। जहां एक तरफ बड़े पर्दे पर कई अनोखे बदलावों का आगाज हो रहा था, वहीं इसी दौरान फिल्म जगत से एक ऐसी आवाज रुबरु हो रही थी, जिसके तरानों ने सीधा लोगों के दिलों पर दस्तक दी। नतीजतन बेहद कम समय में यही आवाज समूचे हिन्दुस्तान की शान बन गई और वो आवाज थी, पिछले 71 सालों में 27,000 से ज्यादा सुपरहिट गाने देकर संगीत जगत पर राज करने वाली मेलोडि क्वीन लता मंगेशकर की। (lata mangeshkar biography )

यहाँ पढ़ें : वेंकैया नायडू जीवनी

Lata Mangeshkar Biography in Hindi

लता मंगेशकर का जन्म 28 सितम्बर 1929 (lata mangeshkar birthday) को मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में हुआ था।लता के पिता दीनानाथ मंगेशकर एक मराठी गायक थे, वहीं लता की माता शिवांती मंगेशकर गुजराती परिवार से ताल्लुक रखती थीं।

दरअसल मंगेशकर परिवार का उपनाम हरदिकार था, वहीं गोवा के मंगेशी गांव में रहने के चलते उन्होंने अपने परिवार का उपनाम बदल कर मंगेशकर कर लिया।

लता अपने पांच भाई-बहनों मीना, आशा, ऊषा और हृदयनाथ में सबसे बड़ी बहन हैं। वहीं लता सहित उनके सभी भाई-बहन संगीत जगत की जानी-मानी शख्सियत हैं।

लता मंगेशकर के नाम से समूची दुनिया में मशहूर लता के बचपन का नाम हेमा मंगेशकर था। बेहद कम उम्र में ही लता का नाता संगीत और अभिनय की दुनिया से जुड़ गया। लता ने पांच साल की उम्र में अपने पिता के निर्देशन में बने नाटक ‘भावबंधन’  में लतिका नामक अभिनेत्री का मुख्य किरदार निभाया था। जिसके चलते लता के पिता ने उनका नाम हेमा से बदलकर लता रख दिया।

यहाँ पढ़ें : mamata banerjee biography in Hindi

Lata Mangeshkar Biography in Hindi

संगीत के क्षेत्र से रुबरु होने का जिक्र करते हुए लता मंगेशकर अपने एक इंटरव्यू में बताती हैं कि, एक दफा पिता जी अपने एक शाहगिर्द को राग पर अभ्यास करने का निर्देश देकर किसी काम में व्यस्त हो गए। मैं वहीं पास में ही खेल रही थी। तभी मैंने शाहगिर्द को गलत अभ्यास करते देखा और मैंने उसे सुधारने की कोशिश की। जब पिता जी लौटे तो वो मुझे राग बनाते देखकर हैरान रह गए और उसी वक्त उन्होंने अपनी बेटी में ही एक शाहगिर्द को पाया।

लता बताती हैं कि, उस रोज जब पिता जी घर पहुंचे तो उन्होंने मां से अपनी खुशी का इजहार करते हुए कहा कि –‘हमारे घर में ही एक बेहतरीन गायक मौजूद हैं और हम इस बात से अब तक अनजान थे।’

यहाँ पढ़ें : राजनाथ सिंह जीवनी

संगीत के क्षेत्र में अपनी आवाज को आकार देने की जद्दोजहद में जुटीं लता को सबसे बड़ा झटका उस वक्त लगा जब 1942 में उनके पिता ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।

13 वर्षीय लता के सर से पिता का साया हटने के बाद मंगेशकर परिवार के करीबी विनायक दामोदर कर्नाटकी (मास्टर विनायक) ने लता के परिवार का हाथ थामा। नवयुग चित्रापट फिल्म कपंनी के मालिक मास्टर विनायक ने संगीत और अभिनय के क्षेत्र से लता का परिचय कराया।

लता मंगेशकर ने 1942 में नवयुग चित्रापट की फिल्म ‘पहिली मंगाला गौर’ में एक छोटी सी भूमिका अदा की। इस फिल्म में उन्होंने ‘नताली चित्राची नवालाई’ नाम के मराठी गाने में अपनी आवाज दी।

हालांकि लता ने अपना पहला हिन्दी गाना ‘माता एक सपूत की किस्मत बदल  तू’ साल 1943 में रिलीज हुई मराठी फिल्म गाजाभाऊ में गाया था।

यहाँ पढ़ें : ज्योतिरादित्य सिंधिया जीवनी

साल 1945 में मास्टर विनायक की कंपनी का मुख्यालय मुंबई स्थांतारित होने के कारण लता ने मायानगरी का रुख करने का फैसला किया। मुंबई में लता मंगेशकर भिंडी बाजार से ताल्लुक रखने वाले उस्ताद अमन अली खान से संगीत के गुर सीखने के लिएहिन्दुस्तान क्लासिकल म्यूजिक का हिस्सा बनीं।

इसी कड़ी में लता ने 1946 में रिलीज हुई फिल्म ‘आपकी सेवा में’ के गाने ‘पा लगूं कर जोरी’ गाया। वहीं लता ने ‘माता तेरे चरणों में’ नाम के पहले भजन में भी अपनी आवाज दी।

यहाँ पढ़ें : योगी आदित्यनाथ का जीवन परिचय

Lata Mangeshkar Biography in Hindi

साल 1948 में लता के बेहद करीब रहे मास्टर विनायक की मृत्यु हो गई। जिसके बाद गुलाम हैदर ने लता के मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। उस दौर का जिक्र करते हुए लता बताती हैं कि, गुलाम साहब ने मुझे निर्माता शशाधार मुखर्जी से मिलवाया और उनकी आगामी फिल्म शहीद में मेरी आवाज देने की बात कही।

हालांकि मुखर्जी ने बहुत पतली आवाज होने के कारण इस प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया। जिसके बाद गुलाम साहब गुस्सा हो गए और उन्होंने कहा कि ‘एक दिन सभी निर्माता निर्देशक लता की आवाज के कायल होंगे।’

साल 2013 में अपने 84वें जन्मदिन के मौके पर गुलाम साहब के बारे में बात करते हुए लता कहती हैं कि, “गुलाम हैदर सचमुच मेरे भगवान हैं, वह पहले ऐसे संगीत निर्देशक हैं जिन्हें मेरी आवाज पर मुझसे भी ज्यादा भरोसा था।”

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आखिरकार गुलाम हैदर का विश्वास सच साबित हुआ और 1949 में रिलीज हुई फिल्म महल में लता की आवाज ने दर्शकों का दिल जीत लिया।

खेमचंद प्रकाश और मधुबाला की जोड़ी और लताकी आवाज ने फिल्म महल के गाने ‘आएगा आनेवाला’ को सुपरहिट कर दिया और इसी के साथ संगीत जगत में लता मंगेशकर एक नया चेहरा बन कर उभरीं।

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50 के दशक में लता मंगेशकर ने बड़ी बहन (1950), मीना बाजार (1950), अफसाना (1951), उड़न खटोला (1955), श्री 420 (1955), देवदास (1955), मदर टेरेसा (1957), अदालत (1958) सहित कई सुपरहिट फिल्मों के गानों में अपनी आवाज दी।

1958 में रिलीज हुई फिल्म ‘मधुमती’ के गाने ‘आजा रे परदेसी’ के लिए लता मंगेशकर को फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।

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60 के दशक को फिल्म इंडस्ट्री का स्वर्ण काल (golden era)माना जाता है। जहां एक तरफ बॉलीवुड में कई फिल्में लगातार बड़े पर्दे पर हिट हो रहीं थीं, वहीं ज्यादातर फिल्मों की सफलता में लता की आवाज ने चार-चांद लगा दिए थे।

दशक की शुरुआत ब्लॉकबस्टर फिल्म मुगल-ए-आजम (1960) के साथ हुई। इस फिल्म में लता की आवाज  ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’और मधाबाला की अदाकारी ने सीधा दर्शकों के दिल पर दस्तक दी।

वहीं इसी साल रिलीज हुई फिल्म हवांईयां में मीना कुमारी पर फिल्माया गाना ‘अजीब दास्तां है ये’ न सिर्फ सुपरहिट हुआ बल्कि इस गाने का नाम लता मंगेशकर के एवरग्रीन गानों (latamangeshkar evergreen songs) की फेहरिस्त में भी शुमार हो गया।

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Lata Mangeshkar Biography in Hindi

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60 का दशक न सिर्फ लता के लिए बल्कि देश के लिए खासा अहम रहा। एक तरफ जहां लता सफलता की ऊंचाइयां छूने की कोशिशों में मशगूल थीं, वहीं देश को दशक की शुरुआत में ही सरहद पर शिकस्त का सामना करना पड़ा।

दरअसल 1962 में भारत-चीन युद्ध में चीन का पलड़ा भारी था। इसी कड़ी में भारत न सिर्फ ये युद्ध हार गया बल्कि देश ने अपने कई शौर्यवीरों को भी हमेशा के लिए खो दिया था।

इसी दौरान देश में फैली शोक की लहर के बीच लता के द्वारा गाया गाना ‘ए मेरे वतन के लोगों’ ने मरहम का काम किया। यही नहीं तात्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने अपने एक साक्षात्कार में बताया कि उस दौरान लता की आवाज सुनकर उनकी आंखों से आंसू बहने लगे।

महज एक दशक पहले बॉलीवुड में अपनी पहचान तराश रहीं लता मंगेशकर 60 के दशक के अंत तक फिल्म इंडस्ट्री की मशहूर हस्ती बन गई थीं।

1962 में लता मंगेशकर को फिल्म ‘बीस साल बाद’ के गाने ‘कहीं दीप जले कहीं दिल’ के लिए उन्हें दूसरे फिल्म फेयर आवॉर्ड से सम्मानित किया गया। वहीं लता बैक टू बैक सुपरहिट गाने देकर बी-टाउन की मेलोडि क्वीन बन गईं।

इस दौरान उन्होंने ‘आपकी नजरों ने समझा’, ‘आज फिर जीने की तमन्ना है’, ‘गाता रहे मेरा दिल’, ‘पिया तोसे’, ‘होठों पे ऐसी बात’, ‘नेना बरसे रिमझिम’, ‘लग जा गले’ सहित कई ब्लॉकबस्टर गानों में अपनी आवाज दी।

इसी कड़ी में लता ने फिल्म इंडस्ट्री के कई मशहूर सिंगरों मसलन मोहम्मद रफी (lata mangeshkar and mohammadrafi) , किशोर कुमार, मंहेद्र कपूर और मुकेश के साथ भी गाने रिकॉर्ड किए। वहीं उन्होंने कई मराठी और बंगाली गानों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा।

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70 के दशक तक लता की आवाज का जादू इस कदर परवान चढ़ चुका था कि उनका गाना हर सुपरहिट फिल्म की पहचान बन गया। 1972 में रिलीज हुई फिल्म पाकीजा मशहूर अदाकारा मीना कुमारी की आखिरी फिल्म थी। इस फिल्म में मीना कुमारी के किरदार पर लता की आवाज में गाया गाना ‘चलते-चलते’ और ‘इन्हीं लोगों ने’दर्शकों की जमकर सराहना बटोरी।

इसके अलावा लता मंगेशकर ने प्रेम पुजारी (1970), अभिमान (1973), दस्तक (1970), हीर रांझा (1970), दिल की राहें (1973), हिंन्दुस्तान की कसम (1973), हसंते जखम (1973), मौसम (1975), लैला मजनू (1976), कारवाँ (1971), कटी पतंग (1971), आंधी (1975) जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में अपने हुनर का जादू बिखेरा।

इसी सिलसिले में 1973 में लता मंगेशकर को फिल्म ‘परिचय’ के गाने ‘बेटी न बिताई’ के लिए राष्ट्रीय फिल्म फेयर के खिताब से नवाजा गया। वहीं लता को फिल्म ‘कोरा कागज’ के गाने ‘रुठे-रुठे पिया’ के लिए राष्ट्रीय पुरुस्कार से सम्मानित किया गया।

वहीं 1978 में राज कपूर के निर्देशन में बनी फिल्म सत्यम् शिवम् सुंदरम् के टाइटल सांग में लता की अवाज को लोगों का भरपूर प्यार मिला। नतीजतन ये साल का सबसे हिट गाना साबित हुआ।

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80 के दशक तक लता मंगेशकर की आवाज लगभग हर सुपरहिट फिल्म की मांग बन चुकी थी। इस दौर में लता ने सिलसिला (1981), चांदनी (1989), बेजुबान (1982), मैंने प्यार किया (1989), कर्ज (1980), एक दूजे के लिए (1981), प्रेम रोग (1982), राम तेरी गंगा मैली (1985), नगीना (1986), राम लखन (1989), संजोग (1985) जैसी दशक की ज्यादातर सुपरहिट हिन्दी फिल्मों में अपनी आवाज दी।

इसके अलावा लता के द्वारा गाया गाना आज भी लोगों के जहन में जिंदा है। मसलन इस फेहरिस्त में ‘शीशा हो या दिल हो’, ‘मेरे नसीब में’, ‘जिंदगी कीन टूटे’, ‘सोलह बरस की’, ‘ये गलियां ये चौबारा’, ‘दिन महीने साल’, ‘यशोदा का नन्दलाला’, ‘उंगली में अंगूठी’, ‘ओ राम जी तेरे लखन ने’, ‘बिंदिया तरसे’, ‘क्या यही प्यार है’, ‘देखा मैंने देखा’, ‘तुझ संग प्रीत’, ‘थोड़ा रेशम लगता है’, ‘नेनों में सपना’, ‘जिंदगी प्यार का’, ‘साजन मेरा उस पार है’ जैसे एवरग्रीन गाने शामिल हैं।

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90 के दशक में लता मंगेशकर ने आनन्द मिलिंद, अनु मलिक, उत्तम सिंह, जतिन ललित, नदीम श्रवण जैसे कई मशहूर संगीत निर्माताओं के साथ काम किया। वहीं लता ने जगजीत सिंह के साथ कई गजलें भी गायीं। (lata mangesh karghazal)

लता ने उस दौर के जाने-माने गायकों कुमार सानू, एस.पी.बालसुब्रमण्यम्, उदित नारायण (lata mangeshkar uditnarayan) , मोहम्मद अजीज, अभिजीत भट्टाचार्य, रूप कुमार राठौड़, विनेद राठौड़, सोनू निगम के साथ भी मंच साझ किया।

वहीं 90 के दशक में यशराज फिल्म के बैनर तले बनी चांदनी (1989), लम्हे (1991), डर (1993), ये दिल्लगी (1994), दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे (1995), दिल तो पागल है (1997), मोहब्बतें (2000), मुझसे दोस्ती करोगी (2002), वीर जारा (2004) जैसी ज्यादातर ब्लॉकबस्टर फिल्मों में कई सुपरहिट गाने दिए।

इसके अलावा लता ने इस दशक की फिल्में मसलन पत्थर के फूल (1991), महबूब मेरे (1992), सातवां आसमान (1992), दिल की बाजी (1993), अंतिम न्याय(1993), हम आपके हैं कौन (1994), मेघा (1996), रंग दे बसंती सहित कई फिल्मों में गीत गाए। Lata Mangeshkar Biography in Hindi

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90 के दशक के अंत तक लता ने संगीत से सियासत तक का सफर तय कर लिया था। दरअसल साल 1999 में लता को राज्यसभा सदस्य चुना गया।

हालांकि इस दौरान संसद के किसी सत्र में हिस्सा न लेने के चलते ससंद के सदस्यों नजमा, प्रणब मुखर्जी और शबाना आजमीं ने लता की जमकर आलोचना भी की।

वहीं लता ने सत्र में हिस्सा न लेने की वजह अपनी खराब सेहत को बताया और इसी के साथ लता ने संसद का सदस्य होने के नाते दिल्ली में सरकार की तरफ से मिले घर और तनख्वा को भी लेने से इंकार कर दिया।

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पिछले कई दशकों से संगीत जगत में अपने सुरों का जादू बिखेर देश –विदेश की मशहूर शख्सियत बन चुकीं लता मंगेशकर को साल 2000 में भारत सरकार द्वारा देश के सबसे अहम सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।

71 सालों तक सुरों की मलिका के रूप में संगीत जगत पर राज करने वाली लता मंगेशकर वर्तमान में भी सिंगिग के क्षेत्र में एक्टिव हैं। 27,000 से ज्यादा गानों में अपनी आवाज दे चुकीं लता ने अपना आखिरी गाना ‘सौगंध मुझे इस मिट्टी की’ साल 2019 में रिलीज किया था। (lata mangeshkar latest songs) इसके अलावा लता मंगेशकर बतौर निर्माता चार फिल्मों – वाडाल (मराठी), कंचन गंगा (हिन्दी), लेकिन (हिन्दी), झांझर (हिन्दी) से जुड़ी रहीं। Lata Mangeshkar Biography in Hindi

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इसके अलावा ऑउटलुक इंडिया नामक पत्रिका ने लता मंगेशकर को महान भारतीयों की सूची में 10वां स्थान दिया था। वहीं मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार भी लता की कला के कुछ इस कदर कायल हुए कि उन्होंने लता के हुनर को कुदरत का करिशमा करार दिया।

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Reference- 3 March 2021, Lata Mangeshkar Biography in Hindi , wikipedia

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I am enthusiastic and determinant. I had Completed my schooling from Lucknow itself and done graduation or diploma in mass communication from AAFT university at Noida. A Journalist by profession and passionate about writing. Hindi content Writer and Blogger like to write on Politics, Travel, Entertainment, Historical events and cultural niche. Also have interest in Soft story writing.

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Lata Mangeshkar Biography in Hindi | स्वर-साम्राज्ञी-लता मंगेशकर का जीवन परिचय, जीवनी

देश की धरोहर, हम सब का गौरव , स्वर-साम्राज्ञी , स्वर-कोकिला , भारत रत्न, लता मंगेशकर जी संगीत की दुनिया का ऐसा नाम हैं जो संगीत के आसमां पर चमकता सितारा हैं। सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व में उनकी जादुई आवाज़ के लोग मुरीद हैं , यहाँ तक कि “गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स” ने भी इस बात को स्वीकारा कि विश्व में सर्वाधिक गाने उन्हीं ने गाए हैं ।

लता जी के 7 दशकों से भी ज्यादा के संगीतमय सफर में अनगिनत उपलब्धियां उनके नाम हैं । भारत कोकिला ने 20 भाषाओं में लगभग तीस हजार गाने गाकर गीत- संगीत की दुनिया को अपने सुरों से नवाजा। उनकी यह मखमली आवाज कभी किसी प्रेमिका के दिल का सुकून बनी, कभी किसी मां की लोरी, और कभी देश के सैनिकों का हौसला।

लता जी ने 1962 की चीन की लड़ाई के बाद जब एक प्रोग्राम के दौरान प्रदीप जी का लिखा हुआ गीत, “ए मेरे वतन के लोगों……..” गाया तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आंखों में आंसू आ गए।

दोस्तों, आज हम इस लेख Lata Mangeshkar Biography in Hindi| स्वर-साम्राज्ञी-लता मंगेशकर का जीवन परिचय,जीवनी  के माध्यम से एक ऐसी शख्सियत के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो हमारे देश की धरोहर है और देश की वर्तमान पीढ़ी जिनके नगमों को गुनगुनाते हुए बड़ी हुई है।

जी हां……दोस्तों, आपने ठीक समझा, हम उन्हीं हर-दिल अजीज, स्वर-साम्राज्ञी, देश का गौरव और भारत रत्न लता मंगेशकर ( Lata Mangeshkar ) जी के जीवन के संघर्ष व उपलब्धियों की गाथा के बारे में जानेंगे।

Table of Contents

लता मंगेशकर का जन्म कब और कहां हुआ था ? Where Was Lata Mangeshkar Born?

देश की आवाज लता जी का जन्म इंदौर ( मध्य प्रदेश) में 28 सितंबर 1929 को एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में हुआ |

लता मंगेशकर के माता-पिता का क्या नाम था ? What was the Name of Mother, Father of Lata Mangeshkar ?

लता जी के पिता पं0 दीनानाथ मंगेशकर और उनकी माता शेवंती मंगेशकर थीं ।

Lata Mangeshkar Biography in Hindi

प्रारंभिक जीवन और बचपन – Early Life and Childhood

लता जी के पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर रंगमंच के प्रसिद्ध कलाकार और शास्त्रीय संगीत के मशहूर गायक थे। इनके पिता का नाम पहले पंडित दीनानाथ हार्डीकर था इनके पिता मंगेशी (गोवा) के रहने वाले थे इसलिए इन्होंने अपना नाम बदलकर हार्डीकर से मंगेशकर रख लिया।

बचपन में लता मंगेशकर जी का नाम हेमा रखा गया था परंतु बाद में इनका नाम बदलकर लता रख दिया गया। लता जी चार भाई बहनों में सबसे बड़ी थीं इनकी तीन अन्य बहनें मीना, आशा, उषा हैं तथा एक भाई हृदयनाथ मंगेशकर है।

लता जी ने 5 वर्ष की उम्र से ही अपने पिता से संगीत सीखना शुरू कर दिया था। लता जी के पिता इन्हें संगीत सिखाना नहीं चाहते थे परंतु एक बार एक घटना हुई- लता जी के पिता के कई शिष्य थे जो उनसे संगीत सीखते थे,

पिता की अनुपस्थिति में एक बार जब एक शिष्य बार-बार गलती कर रहा था तो लता जी ने उसकी गलती को सुधारा, ठीक तभी वहां पहुंचे उनके पिता ने इस बात को देख लिया तभी उन्हें एहसास हुआ की इस बच्ची में बहुत प्रतिभा है।

और तभी से उन्होंने लता जी को संगीत की शिक्षा देनी प्रारंभ कर दी। उनके साथ ही उनकी तीनों बहने भी संगीत सीखा करती थी। लता जी ने अमान अली खान तथा अमानत अली खान के साथ भी शिक्षा ली।

पहली बार 5 वर्ष की उम्र में लता जी ने अपने पिता के साथ एक नाटक में काम किया और फिर 13 साल की उम्र में ( 1942 ) उन्होंने एक मराठी फिल्म के लिए गाना गाया परंतु किसी कारणवश इस गाने को फिल्म से हटा दिया गया।

1942 में पिता की मृत्यु के समय जब ये मात्र 13 वर्ष की थीं उस समय विनय दामोदर कर्नाटकी , जोकि इनके पिता के अभिन्न मित्र थे तथा नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक थे , ने इनके परिवार को संभाला और लता जी को गायिका और अभिनेत्री के रूप में स्थापित करने में सहयोग किया ।

परिवार के प्रति जिम्मेदारी व संघर्ष- Struggle and Responsibility Towards Family

दोस्तों, हम लता जी के जीवन संघर्ष व उनकी उपलब्धियों के बारे में आपको इस लेख Lata Mangeshkar Biography in Hindi के माध्यम से बताते हैं, केवल 13 वर्ष की आयु में ही इनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर जी का 1942 में देहांत हो जाने के कारण परिवार व भाई बहनों तथा घर संभालने की सारी जिम्मेदारी लता जी पर आ गई। बाद में उनका परिवार पुणे छोड़कर मुंबई आ गया।

शास्त्रीय संगीत की शिक्षा- दीक्षा – Training of Classic Music

लता दीदी ने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा उस्ताद अमानत अली खां भिंडी बाजार वाले से लेनी शुरू की, परंतु उसी समय भारत-पाकिस्तान के विभाजन के कारण अमानत साहब पाकिस्तान चले गए।

इसके बाद लता जी ने अमानत खां देवास वाले से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ली। इनके अतिरिक्त दो और मशहूर हस्तियों बड़े गुलाम अली खां तथा पंडित तुलसीदास शर्मा जी से भी इन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण की।

अभिनय की शुरुआत- Acting Debut

लता मंगेशकर जी को अभिनय का बिल्कुल भी शौक नहीं था, परंतु पिता की मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी इनके ऊपर आने के बाद घर खर्च चलाने के लिए इन्होंने फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया पहली बार लता जी को 1942 में बनी फिल्म “मंगलगौर” में काम करने का मौका मिला, और उसके बाद लता जी की मुलाकात 1945 में प्रसिद्ध संगीतकार गुलाम हैदर जी से हुई।

लता जी ने कुछ हिंदी और मराठी फिल्मों में भी काम किया। 1942 में आई “मंगलागौर” उनकी पहली फिल्म थी।इसके अतिरिक्त उनकी कई अन्य फिल्में भी थी जिनमें प्रमुख “माझे बाल”, ” छत्रपति शिवाजी” ( 1952 ), ” बड़ी मां” ( 1945 ),  ” चिमुकला संसार” (1943 ), ” माँद “(1948 ), ” जीवन यात्रा”( 1946 ),  “गजभाऊ ” (1944 ), हैं |

पार्श्व गायन का सफर- Playback Singing Journey

लता जी ने जब गायकी में अपना कैरियर बनाने के लिए संघर्ष शुरू किया तो उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा, लता जी की आवाज काफी पतली होने के कारण बहुत से निर्देशकों ने उन्हें काम देने से इंकार कर दिया था।

उस दौर में नूरजहां , शमशाद बेगम और जोहराबाई अंबाले प्रसिद्ध गायिका थीं , फिल्म इंडस्ट्री में इनका वर्चस्व था, अतः सभी इनकी तुलना नूरजहां से करते थे।

गुलाम हैदर जी लता जी के गाने के अंदाज से बहुत प्रभावित थे अतः उन्होंने उस समय के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता एस0 मुखर्जी से उनकी फिल्म “शहीद” में गाने का मौका देने के लिए सिफारिश की ।

एस0 मुखर्जी को लता जी की आवाज पसंद ना आने के कारण उन्होंने उन्हें काम देने से मना कर दिया इस बात से नाराज होकर गुलाम हैदर जी ने कहा कि यह लड़की आने वाले समय में फिल्म इंडस्ट्री में नाम कमाएगी।

लता जी ने अपनी गायन की शुरुआत 1947 में उनकी पहली हिन्दी फिल्म “आपकी सेवा में” से की परंतु उनके गायकी को किसी ने नोटिस नहीं किया| फिर पहली बार 1949 में लता जी का कैरियर चमक उठा, उनकी चार फिल्में रिलीज हुई – “महल” , “बरसात” , “अंदाज़” और “दुलारी”|

लता जी के कैरियर का टार्निंग पॉइंट ” महल” फिल्म का उनका गाना ” आएगा आने वाला आएगा…” Turning Point Of Career

“महल” फिल्म का उनका गाना ” आएगा आने वाला आएगा…” बहुत लोकप्रिय हुआ, और इस गाने के साथ ही उन्होंने स्वयं को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर लिया, इसी के बाद से फिल्म जगत के दिग्गजों को एहसास हो गया कि लता जी का कैरियर बहुत लंबे समय तक चलने वाला है।

50 का दशक आते-आते यह बात सच साबित हुई लता जी ने सी0 रामचंद्रन मोहन, एस0डी0 बर्मन, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, हेमंत कुमार जैसे नामचीन संगीतकारों के साथ काम किया। साहिर लुधियानवी के गीत और एस0 डी0 बर्मन के संगीत निर्देशन में लता जी ने बहुत से हिट गीत गाए।

1961 में लता जी द्वारा गाया “हम दोनों” फिल्म का भजन ” अल्लाह तेरो नाम.. बहुत लोकप्रिय हुआ। ” नागिन” फिल्म में लता जी का गाया गाना ” मन डोले मेरा तन डोले मेरे दिल का गया करार ….” उस दौर का बहुत ही प्रसिद्ध  गाना था जिसे हर व्यक्ति आज भी सुनना पसंद करता है।

साठ के दशक में हेमंत जी के संगीत निर्देशन में बनी फिल्म “आनंद मठ” में लता जी के द्वारा गाया गीत “वंदे मातरम …” बहुत लोकप्रिय हुआ और आज भी जब यह गाना कोई सुनता है तो शरीर में एक अलग तरह की ऊर्जा संचारित हो उठती है | लता जी ने इस गीत के साथ एक अलग पहचान बनाई।

इसके अतिरिक्त लता जी के गाए गीत जाग दर्द इश्क जाग…, और प्रदीप जी के लिखे गीत “ए मेरे वतन के लोगों……” भी गाया जिसे सुनकर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आंखों में आंसू आ गए। बॉलीवुड के दिग्गज संगीतकार आर0 डी0 बर्मन, नौशाद, शंकर जयकिशन, अनिल विश्वास, मदन मोहन, सलिल चौधरी, और सी0 रामचंद्र जैसे लोग लता जी की प्रतिभा के कायल थे।

मुगले-आज़म, मदर इंडिया, दो आंखें बारह हाथ, दो बीघा जमीन जैसी बड़ी फिल्मों में लता जी ने गीत गाए। 60, 70, 80 और 90 के दशक में बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में लता जी और उनकी बहन आशा जी का ऐसा साम्राज्य कायम रहा कि लोग उस दौर की अन्य गायिकाओं को भूल गए।

मशहूर शो मैन राज कपूर जी अपनी फिल्मों के लिए हमेशा लता जी को ही साइन किया करते थे, वह लता जी से इतने प्रभावित थे कि वे उन्हें सरस्वती का दर्जा देते थे, 90 का दशक आने तक लता जी की उम्र हो जाने के कारण वे कुछ चुनिंदा फिल्मों में ही गाया करती थी।

इस दौर में लता जी ने यश चोपड़ा जी के गीतों को अपनी आवाज दी। दाग, कभी-कभी, सिलसिला, लम्हे, दिल तो पागल है, वीर-ज़ारा , जैसी यश चोपड़ा की फिल्मों के लिए लता जी ने आवाज दी।

परंतु धीरे-धीरे लता जी की गायकी, उनकी प्रतिभा तथा काम के प्रति उनका समर्पण के चलते लता जी को काम मिलने लगा और फिर दीदी को मिलने वाली कामयाबी ने उन्हें बॉलीवुड की सर्वाधिक मशहूर व असरदार पार्श्व गायिका बना दिया।

फिल्म जगत में अब तक सर्वाधिक गीत गाने का रिकॉर्ड लता जी के नाम है। लता जी ने हिंदी भाषा के अतिरिक्त कई अन्य भाषाओं व गैर फिल्मी गीतों को भी बड़ी ही खूबसूरती के साथ गाया है।

शास्त्रीय संगीत हो, भजन हो या कव्वाली ,गज़ल हो या कोई दर्द भरा नगमा गीतों की हर विधा में लता जी को गायकी की महारत हासिल है , उनकी गायकी का फिल्म जगत में कोई सानी नहीं है। नरगिस और मधुबाला से लेकर श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित तथा काजोल के युग तक सिनेमा के रजत पटल पर ऐसी कोई अभिनेत्री नहीं है जिसे लता जी ने आवाज न दी हो , और किसी पर भी उनकी आवाज कभी मिसफिट नहीं हुई।

लता जी को स्लो पॉइजन दिया गया – Lata ji Was Given Slow Poison

उस दौर में लता जी की लोकप्रियता इतनी ज्यादा थी कि उन्हें 1962 में स्लो पॉइजन देकर मारने की कोशिश भी की गई। 1 दिन अचानक उनके पेट में बहुत तेज दर्द हुआ बाद में खुलासा हुआ कि उन्हें स्लो पाइजन दिया गया था हालांकि इस बात का खुलासा आज तक नहीं हुआ उन्हें मारने की यह कोशिश किसकी थी।

शादी का ख्याल – Wedding Care

लता जी ने अपना पूरा जीवन अपनी गायकी के लिए कड़ा रियाज और मेहनत करते हुए बिताया, साथ ही अपने भाई बहनों की जिम्मेदारी संभालते हुए उन्हें कभी अपनी शादी का ख्याल ही नहीं आया| लता दीदी जब भी किसी समारोह में शामिल होती थीं तो पत्रकारों का उनसे एक ही सवाल होता, कि उन्होंने शादी क्यों नहीं की ?

और उन्होंने इस सवाल पर हमेशा यही जवाब दिया कि “मुझ पर भाई बहनों और परिवार के सदस्यों की जिम्मेदारी थी , बहुत छोटी उम्र से ही काम करने लगी थी शादी के बारे में सोचने का उनके पास कभी वक्त ही नहीं था हमेशा सोचती थी कि पहले मेरे भाई बहन व्यवस्थित हो जाए तब शादी करूं परंतु ऐसा सोचते सोचते ही वक्त निकल गया। “

नेटवर्थ-Networth

बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने के बाद से आज तक लता जी ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री पर एकक्षत्र राज किया है। भारतीय हिंदी सिनेमा उद्योग को अपनी सुरीली आवाज देकर उन्होंने ना सिर्फ शोहरत हासिल की बल्कि अपने कैरियर में काफी धन भी कमाया।

एक रिपोर्ट के अनुसार लता जी की नेटवर्थ लगभग 50 मिलियन डॉलर या भारतीय रुपयों के अनुसार इनकी कीमत 368 करोड़ रुपए है।

बंगला -Bungalow

फिल्म इंडस्ट्री में लता जी लता दीदी और ताई के नाम से मशहूर है। लता जी का दक्षिण मुंबई में पेडर रोड पर एक भव्य और आलीशान बांग्ला है, उनके बंगले का नाम प्रभु कुंज भवन है

गाड़ियों का संग्रह- Car Collection

लता मंगेशकर जी ने अपना पूरा जीवन बहुत ही सादगी के साथ बिताया है परंतु उनके पास एक बहुत शानदार कार कलेक्शन है । उनके कलेक्शन में शेवरले, ब्यूक और क्रिसलर गाड़ियां है, इन गाड़ियों के अतिरिक्त हिंदी फिल्म “वीर-जारा” के रिलीज होने के बाद प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा ने लता जी को एक मर्सिडीज कार गिफ्ट की थी।

लता मंगेशकर , अलग-अलग दशकों के हिट गाने-Lata Mangeshkar Hit Songs in Different Decades

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लता जी एक ऐसी शख्शियत रही हैं कि उन्हें सम्मानित करने पर सम्मान स्वयं ही सम्मानित महसूस करे | उनके गायकी के सफर में शायद ही कोई ऐसा सम्मान या अवॉर्ड हो जो उन्हें न मिला हो | लता दीदी को गायकी के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए अनगिनत अवार्ड्स मिले हैं , उनमें से कुछ विशिष्ट अवार्ड्स के बारे में हम आपको जानकारी देने वाले हैं –

भारत सरकार द्वारा दिए गए अवार्ड्स –

फिल्मफेयर पुरस्कार –.

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फिल्म पुरस्कार ( राष्ट्रीय )-

बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन अवॉर्ड्स –.

निम्न फिल्मों के लिए बेस्ट फ़ीमेल प्लैबैक सिंगर अवार्ड्स –

फिल्म पुरस्कार ( महाराष्ट्र राज्य ) –

उपरोक्त सभी अवॉर्ड्स के अतिरिक्त 250 ट्रॉफी तथा 150 गोल्ड मेडल भी लता जी कि उपलब्धियों मे शामिल है, लता मंगेशकर जी के सम्मान में मध्य प्रदेश की राज्य सरकार ने भी एक पुरस्कार शुरू किया है, लता दीदी एक मात्र ऐसी लिविंग लेजेन्ड हैं जिनके नाम पर पुरस्कार शुरू किया गया है |

एक नेक इंसान के रूप में लता जी, हिंदी सिनेमा जगत की सर्वश्रेष्ठ गायिका लता जी व्यक्तिगत जीवन में भी एक नेक दिल इंसान हैं। वे एक ऐसी इंसान है जिनका व्यवहार सभी के साथ बहुत मधुर रहा है इंडस्ट्री के सभी लोग उनका बेहद सम्मान करते हैं।

क्रिकेट लता जी का प्रिय खेल है जब 1983 में भारत ने विश्व कप जीता तब लता मंगेशकर जी ने भारतीय टीम को पुरस्कृत करने के लिए अलग-अलग जगहों पर कई शो किए।

भारत के महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर उनके मनपसंद खिलाड़ी हैं और उन्हें सचिन से बहुत लगाव है, सचिन भी उन्हें अपनी मां के समान मानते हैं और बहुत सम्मान देते हैं। अपने मृदुल स्वभाव के कारण ही फिल्म इंडस्ट्री के अधिकांश निर्माता-निर्देशकों व अभिनेताओं के साथ उनके पारिवारिक रिश्ते रहे हैं।

लता मंगेशकर जी वर्तमान में कोरोना पॉजिटिव हैं – Lata ji Diagnosed Positive with Covid-19

लता जी के बारे में आजकल समाचारों में चल रही खबर के मुताबिक लता जी कोरोना पॉजिटिव डायग्नोस हुई हैं तथा वे पिछले कुछ दिनों से मुंबई स्थित ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती हैं और उनका इलाज चल रहा है, ऐसे मुश्किल समय में हम उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं तथा उनकी दीर्घायु के लिए परमेश्वर से करबद्ध प्रार्थना करते हैं।

लता दीदी ने अपना पूरा जीवन दूसरों को प्यार व स्नेह बांटते हुए बताया है हमें पूर्ण विश्वास है कि वे एक योद्धा की तरह इस बीमारी को परास्त करके पुनः हमारे सम्मुख होंगी और हम फिर से उन्हें गाते हुए सुनेंगे।

लता मंगेशकर की मृत्यु -Lata Mangeshkar Death

लम्बे समय (लगभग 29 दिन) तक कोरोना व निमोनिया से जीवन की जंग लड़ते हुए आखिर वही हुआ जिसका डर था, देश का गरूर, स्वर कोकिला, भारत रत्न लता जी ने 92 वर्ष की उम्र में , 6 फरवरी 2022 की सुबह 8:12 पर इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

मुम्बई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। समस्त देशवासी इस अपूर्णीय क्षति पर स्तब्ध हैं। देश की धरोहर लता जी के सम्मान में राष्ट्रीय ध्वज दो दिन तक आधा झुका रहेगा। लता जी को शत-शत नमन । आप अपने स्वर व आवाज़ के माध्यम से हमेशा – हमेशा हमारे बीच रहेंगी।

लता जी के जीवन से संबंधित कुछ तथ्य – Facts Related to Lata Mangeshkar

  • लता जी ने अपना पहला गाना मराठी फिल्म “किती हसाल” के लिए 1942 में रिकॉर्ड किया।
  • पहली बार 1949 में “महल” फिल्म का गाना ” आएगा आने वाला…..” सुपरहिट हुआ।
  • लता जी देश की इकलौती ऐसी जीवित व्यक्ति है जिनके नाम पर पुरस्कार दिया जाता है।
  • लता जी ने अब तक 20 से अधिक अलग-अलग भाषाओं में 30,000 से भी ज्यादा  गाने रिकॉर्ड किए हैं ।
  • लता जी हमेशा गाना गाते समय नंगे पैर होती है।
  • 1980 के बाद से फिल्मों के लिए गाने रिकॉर्ड करना कम कर दिया तथा अधिक ध्यान स्टेज शो पर देने लगी।

प्रश्न – लता जी का पूरा नाम क्या है ?

उत्तर – लता जी का पूरा नाम लता दीनानाथ मंगेशकर है।

प्रश्न – लता जी का जन्म कब और कहां हुआ ?

उत्तर – लता जी का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर ( मध्य प्रदेश ) में हुआ।

प्रश्न – लता मंगेशकर के पिता का क्या नाम है ?

उत्तर- लता जी के पिता का नाम पंडित दीनानाथ मंगेशकर है।

प्रश्न- लता जी के भाई का नाम क्या है ?

उत्तर- लता जी के भाई का नाम हृदयनाथ मंगेशकर है।

प्रश्न- लता मंगेशकर की उम्र क्या है ?

उत्तर- लता जी की उम्र 92 वर्ष है।

प्रश्न- लता मंगेशकर का पहला गाना कौन सा है ?

उत्तर- लता जी ने अपना पहला गाना मराठी फिल्म “किती हसाल” के लिए 1942 में रिकॉर्ड किया।

प्रश्न – लता जी कितनी बहने हैं ?

उत्तर – लता मंगेशकर कुल 4 बहने हैं उनके अलावा उनकी 3 बहने आशा, मीना तथा उषा हैं |

प्रश्न – लता मंगेशकर को मिलने वाला सर्वोच्च सम्मान कौन सा है ?

उत्तर – लता मंगेशकर को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न मिला है |

प्रश्न – लता मंगेशकर की संपत्ति कितनी है ?

उत्तर- एक रिपोर्ट के अनुसार लता जी की नेटवर्थ लगभग 50 मिलियन डॉलर या भारतीय रुपयों के अनुसार इनकी कीमत 368 करोड़ रुपए है।

प्रश्न – लता मंगेशकर की मृत्यु कब हुयी ?

उत्तर – लता जी की मृत्यु 6 फरवरी 2022 को हुयी |

प्रिय पाठकों ! आज आपने इस लेख Lata Mangeshkar Biography in Hindi| स्वर-साम्राज्ञी-लता मंगेशकर का जीवन परिचय,जीवनी के माध्यम से लता जी के संपूर्ण जीवन परिचय को जाना। आपको यह लेख कैसा लगा ? हमें पूर्ण विश्वास है कि आपको यह बृहत् जानकारी अवश्य पसंद आई होगी।

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो कमेंट बॉक्स में अपनी राय लिखकर हमें अवश्य भेजें। दोस्तों, ऐसे ही जानकारी से भरपूर और लेख लिखने के लिए हमारा उत्साहवर्धन करते रहें , शीघ्र ही एक और शानदार, ज्ञानवर्धक तथा प्रेरणादायक लेख के साथ आपसे फिर मिलेंगे, धन्यवाद !

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40 thoughts on “Lata Mangeshkar Biography in Hindi | स्वर-साम्राज्ञी-लता मंगेशकर का जीवन परिचय, जीवनी”

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Lata Mangeshkar: A career that spanned the arc of Hindi cinema

Lata mangeshkar's death is mourned by millions across the world. here's a timeline of her prolific career..

Lata Mangeshkar, known to millions as the "Nightingale of India" and a regular fixture of the country's airwaves for decades, died Sunday morning at the age of 92.

Lata Mangeshkar started working at 13 years old.

We remember her contribution to music with a timeline of her life and career, which spans over nine decades.

September 28, 1929: Lata Mangeshkar was born in Indore in (now) Madhya Pradesh, the first of five children, to Pt Deenanath Mangeshkar, a renowned Marathi theatre actor and Hindustani classical musician, and Shevanti Haridas Lad. All other children — Usha, Meena, Asha and Hridaynath — became musicians and singers as well.

1930s: Lata acts and sings in Marathi plays written by her father.

1942: Lata recorded her first playback song for a Marathi film, Kiti Hasaal, at the age of 13, and even acted in a Marathi film, Pahili Mangalagaur. This was also the year her father passed away following an illness.

1946: Records her first Hindi film playback song for Aap Ki Seva Mein, directed by Vasant Jogalekar. The year before, she and her sister, Asha, acted in a film.

1940s: Lata trains under Ustad Aman Ali Khan, of the Bhendi Bazaar gharana, famed for his Merukhand style, a mathematical ordering of notes to convey thousands of taans (beats). “Khan saheb was a very kind-hearted, systematic and benevolent guru,” she once told an interviewer.

1949: Lata, now 20, becomes the go-to voice of the heroine after two films released that year. In Madhubala-starrer Mahal, she sang the breakthrough Aayega Aanewala and in Barasaat, she sang nine songs for three different stars in the film.

Also read: Lata Mangeshkar once helped raise ₹ 20 lakh for the 1983 World Cup-winning Indian cricket team

As HMV began to make records with singers, entering into exclusive contracts with them, music historians note that Lata Mangeshkar helped organise other singers to put pressure on music labels to credit the singers on the records.

1950s-60s: Lata cements her position as the most popular playback singer of Hindi cinema, working with some of the most notable music composers of her generation, including Anil Biswas, Naushad Ali, Madan Mohan, SD Burman, C Ramchandra, Khayyam, among others. She sang alongside some of the great male playback singers: from Kishore Kumar to Mohammed Rafi.

January, 1963: Lata performs Ae Mere Watan Ke in front of former prime minister Jawaharlal Nehru at the Ramlila Maidan in Delhi, moving him to tears. The song was written in honour of the Indian soldiers who died in the India-China War of 1962.

1969: Wins the Padma Bhushan, the third-highest civilian award for exceptional and distinguished service.

1970s-80: Lata sings prolifically across genres. She recorded over 700 songs for composers Laxmikant Pyarelal alone.

1972: Wins first National Award for best female playback singer for film Parichay.

1974: Performed at London’s Royal Albert Hall; Wins second National Award for best female playback singer for film, Kora Kagaz.

1989: Wins Dadasaheb Phalke award.

1990: Wins third National Award for best female playback singer for Lekin.

1997: AR Rahman’s composed Ma Tujhe Salam, sung by Lata, broke sales records at the time of its release. The song was made on the occasion of India’s 50th year of Independence.

1999: Receives second-highest civilian award, Padma Vibhushan.

2001: Wins the country’s highest civilian award, Bharat Ratna; also receives the first Maharashtra Ratna.

2007: Awarded Officer of the Legion of Honour, France’s highest civilian award.

2012: Launches music label, LM Music. By this time, she had thousands of songs in several Indian languages, from Punjabi to Tamil, Bengali to Chhattisgarhi, and across genres from Gurbani to ghazals to qawwals to classical compositions. As she enters the eighth decade of work, she begins to record fewer Hindi cinema songs.

January 8, 2022: The 92-year-old admitted to Breach Candy after testing positive for Covid-19, with mild symptoms. She died on February 6.

  • Lata Mangeshkar

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लता मंगेशकर की जीवनी – Lata Mangeshkar Biography Hindi

आज हम इस आर्टिकल में आपको लता मंगेशकर की जीवनी – Lata Mangeshkar Biography Hindi के बारे में बताएंगे।

लता मंगेशकर की जीवनी – Lata Mangeshkar Biography Hindi

Lata Mangeshkar  भारत की सबसे अनमोल गायिका है।

पूरी दुनिया उनकी आवाज की दीवानी हैं पिछले 10 दशको से भारतीय सिनेमा को अपनी आवाज दे रही लता मंगेशकर बेहद शांत स्वभाव की और प्रतिभा की धनी है. Lata Mangeshkar Biography Hindi

भारत के क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर उन्हे अपनी मां मानते हैं.

आज पूरी संगीत की दुनिया उनके आगे नतमस्तक है।

लता जी ने लगभग 30 से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर फिल्मी गाने गाए हैं।

लता जी हमेशा नंगे पावँ गाना गाती है।

लेकिन उनके पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्व गायक के रूप में रही है।

जन्म – लता मंगेशकर की जीवनी

लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था।

इनका बचपन में नाम ‘हेमा’ था, लेकिन जब यह 5 वर्ष की थी तो इनके माता-पिता ने इनका नाम ‘लता’ रख दिया गया। इनके पिता का नाम दीनानाथ मंगेशकर और माता का नाम शेवंती मंगेशकर था।

इनका जन्म एक मराठा परिवार में हुआ था।

लता के पिता रंगमंच कलाकार और शास्त्रीय गायकार थे.

यह पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी।

लता मंगेशकर के भाई बहनों के नाम इस प्रकार है- ह्रदयनाथ मंगेशकर, उषा मंगेशकर ,मीना मंगेशकर आशा भोसले ।

इन सभी ने अपनी आजीविका चलाने के लिए गायन को ही चुना।

लता मंगेशकर का जन्म इंदौर में हुआ था, लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई।

जब लता 7 साल की थी तब वह महाराष्ट्र आई।

लता मंगेशकर ने 5 साल की उम्र से ही अपने पिता के साथ एक रंगमंच कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू कर दिया।

  • 1942 में दीनानाथ मंगेशकर की मृत्यु हो गई। इस दौरान लता केवल 13 वर्ष की थी। नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक और उनके पिता के दोस्त मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) उनके परिवार को संभाला और लता मंगेशकर को एक सिंगर और अभिनेत्री बनने में मदद की।
  • पहली बार लता ने वसंग जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म कीर्ति हसाल के लिए गाया। लेकिन उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फिल्मों के लिए गए इसलिए गाने को फिल्म से निकाल दिया गया था।  अपने पिता की मृत्यु के बाद लता मंगेशकर को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय करना बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असमय मृत्यु के कारण पैसों की कमी के कारण उन्हें अभिनय करना पड़ा और उन्होंने हिंदी और मराठी फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फिल्म पाहिली मंगलागौर(1942) रही। जिसमें उन्होंने स्नेहाप्रभा प्रधान की छोटी बेटी के रूप में भूमिका निभाई। इसके बाद में उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया जिनमें से माझे बाल,  चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ(1944), बड़ी मां(1945), जीवन यात्रा(1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी(1952) शामिल थी लता मंगेशकर ने खुद की भूमिका के लिए गाने भी गाए और आशा के लिए पार्श्व गायन भी किया ।

1945 से 1949 तक – लता मंगेशकर की जीवनी

  • 1945 में उस्ताद गुलाम हैदर अपनी आने वाली फिल्म के लिए लता को एक निर्माता के स्टूडियो ले गए जिसमें कामिनी कौशल मुख्य भूमिका निभा रही थी। वे चाहते थे कि लता उस फिल्म के लिए पार्श्व गायन करें लेकिन गुलाम हैदर को निराशा हाथ लगी।
  • 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फिल्म ‘आपकी सेवा में’ में लता को गाना गाने का मौका दिया। इस फिल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने ‘मजबूर’ फिल्म के गानों “अंग्रेजी छोरा चला गया” और “दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का ना छोड़ा तेरे प्यार” ने जैसे गानों से अपनी स्थिति सुदृढ़ की। लेकिन इसके बावजूद भी लता को उसका खास हिट कि अभी भी तलाश थी।
  • 1949 में लता को एक बार फिर ऐसा मौका फिल्म ” महल” के “आएगा आने वाला” गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फिल्माया गया था। यह फिल्म काफी सफल रही थी और लता तथा मधु बाला दोनों के लिए यह बहुत ही शुभ साबित हुई। इसके बाद में लता जी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा
  • फिल्म फेयर पुरस्कार 1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994 में
  • राष्ट्रीय पुरस्कार- 1972, 1975 और 1990 में
  • महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार 1966 और 1967 में
  • पदम भूषण 1969
  • 1976 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज बुक रिकॉर्ड
  • दादा साहेब फालके अवॉर्ड 1989 में
  • फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड 1993 में
  • 1996 में स्क्रीन का लाइफ  टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 1997 में राजीव गांधी पुरस्कार से नवाजा गया
  • 1999 में एम. टी. आर. पुरस्कार, पदम विभूषण और जी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 2000 में  आई.आई.ए.एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
  • 2001 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पुरस्कार भारत रत्न से नवाजा गया इसके साथ- साथ ही नूरजहां पुरस्कार, महाराष्ट्र भूषण, स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

निधन – लता मंगेशकर की जीवनी

लता मंगेशकर जी का निधन 92 वर्ष की आयु में हुआ .

उन्होंने 6 फरवरी 2022 को लेजेंड्री सिंगर लता मंगेशकर ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली.

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Lata Mangeshkar Biography in Hindi | लता मंगेशकर का जीवन परिचय

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Lata Mangeshkar Biography in Hindi लता मंगेशकर की जीवनी

“नाम गुम जाएगा,चेहरा ये बदल जायेगा।

मेरी आवाज ही पहचान है,गर याद रहे।।”

भारत की स्वर-कोकिला,सुर-सम्राज्ञी,एक ऐसी आवाज,जो किसी पहचान की मोहताज नही। भारत-रत्न लता मंगेश्कर जी, जिन्हें हम सभी लता दीदी के नाम से भी जानते है। पिछले 6 दशकों से जिनकी मधुर आवाज के हम सभी कायल है।सुख हो या दुःख, चिंता हो या मनन, ख़ुशी के पल हो या गमनीन माहौल। हर मौके पर,उनके गीत गुनगुनाने का मन हो उठे। ऐसी ही शख्शियत है- Lata Mangeshkar उर्फ ‘लता दीदी’।

Lata Mangeshkar Biography in Hindi

Lata Mangeshkar : An Introduction लता मंगेशकर : एक परिचय

लता मंगेशकर का बचपन lata mangeshkar early life.

लता दीदी का जन्म 28 सितम्बर 1929 को,मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में,एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।उनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई थी।लता जी,अपनी तीन बहनों(मीना,आशा,उषा) व एक भाई(ह्र्दयनाथ) में सबसे बड़ी है। उनके बचपन का नाम हेमा रखा गया,जिसे बाद में बदलकर लता किया गया।

उनके पिता स्व० प० दीनानाथ मंगेशकर,रंगमंच के जानेमाने कलाकार व शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध गायक थे।मात्र तरह वर्ष की आयु में ही,उनके पिताजी का देहांत(1942) में हो गया।इसके बाद,घर मे बड़ी होने के कारण,सारी जिम्मेदारी उन पर आ गईं।

लता मंगेशकर : बचपन की यादगार घटनाए Lata Mangeshkar Life History in Hindi

 बचपन में लता मंगेशकर को संगीत नहीं सिखाया जा रहा था। उनके बाबा दीनानाथ मंगेशकर जी के बहुत सारे शिष्य थे। एक बार हुआ कुछ ऐसा। उनका एक शिष्य गलत गाना गा रहा था। अपने बाबा की गैर हाजरी में, नन्ही लता ने उस बच्चे को ठीक करना शुरू कर दिया।उसे बताया कि यह राग ऐसे नहीं, ऐसे गाया जाता है।

वह इस बात से बेखबर थी। उनके बाबा उनके पीछे खड़े थे। दीनानाथ मंगेशकर ने उनकी आइ से कहा। मैं तो बाहर के बच्चों को सिखा रहा हूं। जबकि घर में ही एक गवैया मौजूद है। बस उस दिन से लता जी की संगीत की शिक्षा घर मे शुरू हो गई।

बहुत छोटी उम्र में ही, लता अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर के साथ स्टेज पर perform करती थी। एक बार कुछ ऐसा हुआ। एक नाटक चल रहा था। जिसमें नारद का किरदार निभाने वाला कलाकार नहीं आया। उनके पिता बहुत परेशान थे। नन्ही-सी लता ने अपने बाबा से कहा। कोई बात नहीं, अगर वह नहीं आया। अगर आप कहें। तो मैं उसका रोल निभा देती हूं।

उनके पिता को थोड़ा सा अजीब लगा। उन्होंने कहा कि तुम इतनी छोटी सी हो। मेरे साथ स्टेज पर गाना गाओगी,अजीब सा लगेगा। लता ने कहा बाबा देखना। मैं once more लेकर आऊंगी। एक अवसर तो दे। फिर कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं। इस तरह लता जी ने अपने बाबा के साथ stage पर perform किया।फिर निश्चित रूप से once more भी आया। इसी प्रकार जाने :  Tragedy King – Dilip Kumar Biography । यूसुफ खान से दिलीप कुमार तक का सफर।

दीनानाथ मंगेशकर की भविष्यवाणी

बचपन में ही दीनानाथ मंगेशकर, जो  ज्योतिष के एक बड़े ज्ञाता थे। उन्होंने लता जी से कहा। देख बेटी, तू आगे चलकर इतनी सफल होगी। जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। लेकिन उस सफलता को देखने के लिए, मैं नहीं रहूंगा। तेरी शादी भी नहीं होगी। परिवार की सारी जिम्मेदारी तुझ पर ही रहेगी। नन्ही सी लता, उस वक्त समझ नहीं पाई। कि उनके बाबा बहुत जल्द जाने वाले हैं। ठीक वैसा ही हुआ।

दीनानाथ मंगेशकर का स्वर्गवास हो गया। फिर सारी जिम्मेदारी लता जी के कंधों पर आ गई। उन्होंने stage के साथ-साथ, फिल्मों में भी छोटे-मोटे किरदार निभाने शुरू किये। लता जी ने संगीत का पहली शिक्षा, अपने पिताजी से ली थी।वे उनके साथ संगीत नाट्य प्रस्तुति में भाग लेती रहती थी।उनके पिता नही चाहते थे कि वो फिल्मों के लिये गाना गाए। उन्हें अभिनय पसन्द नही था,लेकिन पिता की मृत्यु के बाद,पैसो की दिक्कत की वजह से काफी संघर्ष करना पड़ा।

तब उन्होंने कुछ हिंदी व मराठी फिल्मों में अभिनय भी किया, जिनमे पाहिलीमंगलागोर (1942), माझेबाल (1943),गजभाऊ(1944),बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946) व छत्रपति शिवाजी (1952) प्रमुख थी। लताजी ने 1948 में पार्श्वगायिकी में कदम रखा, उस समय नूरजहाँ, शमशाद बेगम व राजकुमारी जैसी गायिकाओं का दौर था।ऐसे में अपने कदम जमाना मुश्किल था।

Lata Mangeshkar – Identified as Playback Singer

मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में, इनकी आवाज को सुनकर कहा गया था। इनकी आवाज बहुत पतली है। यह पार्श्वगायिका के लिए नहीं है। इनके गुरु और God father गुलाम हैदर ने यह बात साबित करने का बीड़ा उठा लिया।  लता जैसी आवाज और किसी के पास नहीं है। मास्टर गुलाम हैदर जी  ने, इनके जीवन मे एक बड़ी भूमिका निभाई। इनको न ही बड़े break दिलाए। बल्कि यह विश्वास भी रखा कि एक दिन सिर्फ इसकी ही आवाज ही गूंजेगी। बाकी सारी आवाजें, इसके सामने फीकी रहेगी। इसके बाद ठीक वैसा ही हुआ।

लता जी ने 1947 में वसंत जोगलेकर की फ़िल्म ” आपकी सेवा में” से अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने अपनी गायिकी की एक अलग शैली विकसित की।उन्होंने तभी भिंड़ीबाजार घराने के उस्ताद अमानत अली खान से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू की।बड़ी मां फ़िल्म में गाए, भजन से सभी का ध्यान उनकी ओर गया।उस्ताद गुलाम हैदर(संगीतकार) ने,उनकी बहुत से निर्माता-निर्देशकों से मुलाकात कराई।लेकिन काफी समय उन्हें उस सफलता से दूर रहना पड़ा,जिसकी वह हकदार थी।

फिर गुलाम हैदर साहब ने 1948 में फ़िल्म ‘मजबूर’ का गीत ‘दिल मेरा तोड़ा’  गवाया।जो उनके जीवन का पहला हिट गीत साबित हुआ। गुलाम हैदर को, लता जी का गॉडफादर माना जा सकता है।मधुबाला अभिनीत फिल्म ‘महल’ (1949) का गीत ‘आएगा आने वाला’ ने धूम मचा दी। फिर लता जी ने पीछे मुड़कर नही देखा। यह गीत लता दीदी के बेहतरीन गीतों में से एक है।जिसे आज भी लोगों की जुबान पर महसूस किया जा सकता है। इसी प्रकार जाने : Jubin Nautiyal Biography in Hindi । Rejection से Success तक का सफर।

Lata Mangeshkar की अपनी शर्त

लता मंगेशकर पहली ऐसी गायिका थी। जिन्होंने producer से गाने की royalty की मांग की।उनका मानना था कि Recording के पेमेंट के बाद भी, जब तक वह record बिक रहा है। उसकी कमाई का छोटा-सा हिस्सा, गायक को भी आना चाहिए। फिर इन्हें royalty भी मिली। जबकि हर producer इसके खिलाफ थे।

राज कपूर साहब ने तो यहां तक कहा था। लता, मैं तुम्हें royalty नहीं दे सकता। मैं यहां पर business करने आया हूं। तब लता जी ने जवाब दिया था। राज साहब, अगर आप बिजनेस करने आए हैं। तो मैं भी film industry में रानी बाग घूमने नहीं आई। फिर लता जी ने अपनी बात मनवा ली।

Lata Ji को जान से मारने की कोशिश

साठ के दशक में, जब लता मंगेशकर अपना एक अलग मुकाम हासिल कर चुकी थी। तभी उनकी तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई थी।उन्हें मौत के मुंह से बाहर निकाला गया था। तब डॉक्टर ने बोला था। आपको कोई धीमा जहर दे रहा था। वह डॉक्टर सही था। उनका रसोईया हर रोज, उन्हें जहर दिया करता था। जिसमें लता जी की जान भी जा सकती थी। लेकिन इनके बीमार पड़ते ही, रसोईया भाग गया। तब इस बात का खुलासा हुआ।

लता मंगेशकर के गाने

यूँ तो लता दीदी,आवाज की दुनिया की एक ऐसी शख्शियत है। जिनका कोई युग हो ही नही सकता।वह सदाबहार थी और हमेशा रहेगी। उन्होंने सदाबहार गीत हम सभी को दिये।उनका सम्पूर्ण जीवन गीत-संगीत को समर्पित है।उन्होंने 20 अलग-अलग भाषाओं में, 30,000 से भी अधिक गीतों को, अपनी आवाज़ से  नवाजा।

उनकी आवाज़ में वो खलिश है कि कभी बचपन की यादें, तो कभी आँखों मे आँसू, तो कहीं सीमा पर खड़े जवानों में नया जोश भरने के लिए काफी है। लता जी का फिल्मों में पार्श्व गायिका के रूप में कभी न भुलाया जाने वाला योगदान है।

पचास का दशक- लता जी ने इस दशक के महान संगीतकारों के साथ बहुत से सुपरहिट गाने गाए।जिनमें अनिल विश्वास, एस डी बर्मन,शंकर जय किशन, मदन मोहन, नौशाद अली प्रमुख थे।

लता जी ने नौशाद साहब के लिए फ़िल्म बैजू बावरा(1952), कोहिनूर औऱ मुगल-ए-आजम(1960) में बेहतरीन गाने गाए। दादा एस डी बर्मन के लिए फ़िल्म साजा(1951), देवदास औऱ हाउस न० ४२०(1955) के लिये गाया, लता जी दादा की सबसे पसंदीदा गायिका थी।शंकर जयकिशन के लिए फ़िल्म आह(1953), श्री 420(1955) और चोरी-चोरी(1956) के लिए बेहतरीन नग़मे दिए।

साठ का दशक-   साठ के दशक में भी लता जी छाई रही, इस दशक के कुछ बेहतरीन सदाबहार गीत यूँ थे। न जाने तुम कहाँ थे(1961),क्या हुआ मैने अगर इश्क का इज़हार किया(1963), सुनो सजना पपीहे ने, रहा गर्दिशों में हरदम, कभी तेरा दामन न छोड़ेंगे हम(1966), महबूब मेरे महबूब मेरे(1967),फलसफा प्यार का तुम क्या जानो(1968), हमने देखी है इन आँखों की, वो शाम कुछ अजीब थी, आया सावन झुमके(1969) ।

1961 के दौर में उन्होंने अल्लाह तेरो नाम,ईश्वर तेरो नाम और प्रभु तेरा नाम जैसे गीत दिए।किशोर दा के साथ- होठों पे ऐसी बात,गाता रहे मेरा दिल,आज फिर जीने की तम्मना है, जैसे गीत गाये।

सत्तर व अस्सी के दशक- इस दशक में लता जी के  कुछ चुनिंदा गीतों की एक झलक- सारे रिश्ते नाते तोड़ के आ गई(जानी दुश्मन), गुम है किसी के प्यार में(रामपुर का लक्ष्मण), वादा करो नही छोड़ोगे तुम(आ गले लग जा), वादा करले साजना( हाथ की सफाई), नही नही अभी नही(जवानी दीवानी), तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा(आँधी), मै झट यमला पगला दीवाना(प्रतिज्ञा),चला भी आ आजा रसिया(मन की आंखे),जाते हो जाने जाना(परवरिश),किसी पे दिल अगर आ जाये तो क्या होता है(रफूचक्कर),सुनो कहो कहा न (आपकी कसम)।

आज फिर तुमपे प्यार आया है(दयावान),तुमसे मिलकर न जाने क्यों(प्यार झुकता नही),मेरे प्यार की उमर हो इतनी सनम(वारिश),प्यार करने वाले(हीरो),जब हम जवां होंगे(बेताब),प्यार किया नही जाता(वो सात दिन) । लता जी ने 70’s व 80’s में बहुत से संगीतकारों के साथ काम किया जिनमें लक्ष्मीकांत प्यारेलाल,मदन मोहन,सलिल चौधरी व हेमन्त कुमार मुख्य थे।

नब्बे से अबतक का सफर- नब्बे के दशक से अब तक, लता जी ने उस दौर के बहुत से संगीतकारों के साथ काम किया,जिनमे जतिन ललित,नदीम श्रवण, आनन्द मिलन्द,अनु मलिक,आदेश श्रीवास्तव, ए आर रहमान प्रमुख थे।इसके साथ ही उन्होंने बहुत से सह गायकों के साथ भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा। उनमे से जगजीत सिंह, एस पी सुब्रमण्यम, उदित नारायण ,कुमार सानू, अभिजीत भट्टाचार्य,गुरुदास मान, सोनू निगम आदि प्रमुख है। इसी प्रकार जाने : South Super Star Mahesh Babu Biography in Hindi । रील से रियल तक का सफर।

किस गीत पर रो पड़े प० जवाहर लाल नेहरू

 यह बात उस समय की है,जब 1962 के युद्ध मे चीन ने भारत को बुरी तरह पराजित कर दिया था। देश का मनोबल नीचा था, ऐसे में दरकार थी, एक ऐसे जज्बे की,जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक,कच्छ के रण से अरुणाचल प्रदेश तक,देश को एक कर सके। आसमान में तिरंगे को लहराते देखकर,गर्व महसूस करा जा सके। ऐसे में ही राष्ट्र कवि प्रदीप ये शब्द-ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा याद आँख में भर लो पानी।जो शहीद हुए है ,उनकी जरा याद करो कुर्बानी। इन शब्दों को आवाज दी थी,लता जी ने। जो सदा सदा के लिए अमर हो गए।

इस गाने को पहली बार दिल्ली के लाल किले से हजारों लोगों के साथ,जब प्रधानमंत्री प० नेहरू ने सुना तो उनकी आँखें बरबस छलक उठी। तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ रो पड़ा पूरा वतन।लता जी की ज़ुबान से निकला ये देशभक्ति का गाना ही नही, बल्कि हिंदुस्तान का दर्द था।

यह बात भी मशहूर रही है। लता मंगेशकर इकलौती ऐसी गायिका है। जो गाने के लब्ज़ को सुनकर ही, गाने को record करती हैं। यदि कोई भी आपत्तिजनक शब्द हुआ। तो लता दी उस गाने को रिकॉर्ड करने से मना कर देती हैं। गजलें रही हो या रोमांटिक गाने। दर्द भरा गीत रहा हो या फिर सपनो भरा। हर जज़्बात को लता जी की आवाज मिली है। ऐसी आवाज सदियों में एक बार ही जन्म लेती है।हम सभी को उन पर गर्व के साथ, अभिमान है।

Lata Mangeshkar Awards लता मंगेशकर पुरस्कार

लता मंगेशकर का निधन कब हुआ lata mangeshkar death.

लता मंगेशकर जी को, उनकी तबीयत खराब होने के कारण 5 फरवरी बसंत पंचमी को मुंबई के ‘ब्रीच कैंडी अस्पताल’ में भर्ती किया गया। जहां उनकी हालत काफी नाजुक बनी हुई थी। वह काफी लंबे समय से करोना संक्रमित थी। इसके पहले भी 8 जनवरी को उन्हें भर्ती कराया गया था।

आज 6 फरवरी 2022 को उनका निधन मुम्बई के ब्रीज कैंडी अस्पताल में हो गया। जो पूरे भारतवर्ष के लिए, एक अपार क्षति के समान है। जिसकी भरपाई, किसी भी रुप में संभव नहीं है। सुर साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेश्कर जी 92 वर्ष की थी।

उ० 6 फरवरी 2022 को लता मंगेशकर निधन मुम्बई के ब्रीज कैंडी अस्पताल में हो गया।

उ० लता मंगेशकर जी ने शादी नहीं की थी।

उ० गुलाम हैदर साहब ने 1948 में फ़िल्म ‘मजबूर’ का गीत ‘ दिल मेरा तोड़ा ‘  गवाया। जो उनके जीवन का पहला हिट गीत साबित हुआ।

उ० लता मंगेशकर जी ने कभी शादी नहीं की ।

उ० 6 फरवरी 2022 को लता मंगेशकर निधन हो गया था।

उ०  लता मंगेशकर जी ने 2006 में फिल्म ‘रंग दे बसंती’ में ‘ लुका छिपी ‘ गाना गाया था। यह उनके जीवन का आखरी गाना था

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3 thoughts on “lata mangeshkar biography in hindi | लता मंगेशकर का जीवन परिचय”.

Swar Kokila Lata ji ko Sadar Shradhanjali

Very beautiful and inspiring biography.

Hey Suneha, Thank you for your support and appreciation. Keep checking out my website for such more motivational content.

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Lata Mangeshkar Biography: Age, Early Life, Family, Education, Singing Career, Net Worth, Awards and Honours, and more

Lata mangeshkar biography: legendary singer lata mangeshkar breathed her last in mumbai's breach candy hospital on 6 february 2022 (sunday) morning. she was 92. she was an indian playback singer and music director. she was one of the most respected playback singers in india. let us have a look at her biography including age, family, education, singing career, awards, honours, etc..

Shikha Goyal

Lata Mangeshkar Biography: Lata Mangeshkar is a big name for music enthusiasts all over the world, and the day marks her 94th birth anniversary. Legendary singer Lata Mangeshkar has recorded songs in over a thousand Hindi films and was one of the best-known and most respected playback singers in India. She had a sweet and captivating voice which is the main reason for her popularity. 

At the age of 13, Lata Mangeshkar started her career in 1942 and has sung over 30,000 songs in various Indian languages. She is considered one of the greatest singers of Indian cinema and received Bharat Ratna, India's highest civilian honour in 2001.

Lata Mangeshkar Biography

Lata mangeshkar biography: age, family, early life, and education.

Legendary playback singer Lata Mangeshkar was noted for her distinctive voice and vocal range that extended over more than three octaves. 

She was born on 28 September 1929 in Indore, India. She was the eldest of five siblings. Her father was Pandit Deenanath Mangeshkar and her mother was Shevanti. His father was a noted Marathi stage personality popularly known as Master Dinanath. 

She was introduced to music at an early age. At the age of 13, she recorded her first song for Vasant Joglekar’s Marathi film Kiti Hasaal. 

Lata Mangeshkar's birth name was "Hema". Later, her parents renamed her name and kept it, Lata, after a female character, Latika, in one of her father's plays, BhaawBandhan. Her siblings' names in birth order are Meena, Asha, Usha, and Hridaynath. All are accomplished singers and musicians. Her educational career is not much known but she proved that a degree is not the only way to earn. She received her first music lesson from her father. When she was five years old, she started to work as an actress in her father's musical plays.  

Lata Mangeshkar Biography: Singing Career and her Musical Journey

Early career of lata mangeshkar in the 1940s and 50s.

When Lata Mangeshkar was 13 years old, her father died due to a heart attack in 1942 . The owner of Navyug Chitrapat movie company named Master Vinayak or Vinayak Damodar Karnataki took care of them. He was a close friend of the Mangeshkar family. He helped Lata to get started in a career as a singer and actress. 

In 1942 , Lata Mangeshkar sang the song "Naachu Yaa Gade, Khelu Saari Mani Haus Bhaari". It was composed by Sadashivrao Nevrekar for Vasant Joglekar's Marathi movie Kiti Hasaal. The song dropped from the final cut. A small role was also provided by Vinayak in Navyug Chitrapat's Marathi movie Pahli Mangalaa-gaur, she sang "Natali Chaitraachi Navalaai". It was composed by Dada Chandekar. "Mata Ek Sapoot Ki Duniya Badal De Tu" was her first song in Hindi.

As a teenager, she struggled and support her family. She established herself as a playback singer in the Hindi film industry of the 1940s.  She moved to Mumbai in 1945. She started taking lessons from Ustad Aman Ali Khan of Bhindibazaar Gharana in Hindustani classical music. For the movie Aap Ki Seva Mein (1946), she sang the song "Paa Lagoon Kar Jori" which was composed by Datta Davjekar. Also, in Badi Maa (1945) movie, Lata and her sister Asha played minor roles. In this movie, she also sang a Bhajan "Mata Tere Charnon Mein."

In 1948, Vinayak died and music director Ghulam Haider mentored her as a singer. He introduced Lata to producer Sashadhar Mukherjee. She recorded the hit “Uthaye ja unke sitam” in Andaz (1949), and her destiny was sealed. From this point, she gave her musical voice to every major leading lady, representing every generation of Hindi cinema from Nargis and Waheeda Rehman to Madhuri Dixit and Preity Zinta.

Her singing contributed a great deal to the commercial films like Mahal (1949), Barsaat (1949), Meena Bazaar (1950), Aadhi Raat (1950), Chhoti Bhabhi (1950), Afsana (1951), Aansoo (1953), and Adl-e-Jehangir (1955).

She also sang various Raag-based songs for Naushad in films like Deedar (1951), Baiju Bawra (1952), Amar (1954), Uran Khatola (1955), and Mother India (1957).  Her first song for the composer Naushad was Ae Chorre Ki Jaat Badi Bewafa, a duet with G. M. Durrani. The duo, Shankar–Jaikishan, chose Lata for Barsaat (1949), Aah (1953), Shree 420 (1955), and Chori Chori (1956).

Composer S.D Burman before 1957 chose Lata as the leading female singer for his musical scores in Sazaa (1951),  House No. 44 (1955), and Devdas (1955). In 1957, a rift developed between Lata Mangeshkar and Burman and she did not sing his compositions again until 1962.

Singing Career of Lata Mangeshkar in the 1960s, 70s, and 80s

How can we forget the song "Pyar Kiya To Darna Kya" from Mughal-e-Azam (1960). Lata Ji sang this song very beautifully and still, it remains in everyone's heart. It was composed by Naushad and lip-synced by Madhubala. Also, one of my favourite songs "Ajeeb Dastaan Hai Yeh" from Dil Apna Aur Preet Parai (1960) was also sung by Lata Ji very beautifully. It was composed by Shankar–Jaikishan and lip-synced by Meena Kumari.

Two popular bhajans were recorded by Lata Mangeshkar in 1961 namely  "Allah Tero Naam" and "Prabhu Tero Naam", for Burman's assistant, Jaidev. She was awarded her second Filmfare Award in 1962 for the song "Kahin Deep Jale Kahin Dil" from Bees Saal Baad, composed by Hemant Kumar.

Lata Ji sang a patriotic song against the backdrop of the Sino-Indian War in January 1963. The song was "Aye Mere Watan Ke Logo" in the presence of Jawaharlal Nehru, then the Prime Minister of India. It is said that the song brought tears to former Prime Minister Jawaharlal Nehru. The song was composed by C. Ramchandra and written by Kavi Pradeep.

Lata Ji returned to collaborate with S. D Burman in 1963. She then sang in R.D Burman's first film Chhote Nawab (1961), and later in his films such as Bhoot Bungla (1965), Pati Patni (1966), Baharon Ke Sapne (1967), and Abhilasha (1969). 

Various popular songs were also recorded by her namely  "Aaj Phir Jeene Ki Tamanna Hai", "Gata Rahe Mera Dil" (duet with Kishore Kumar) and "Piya Tose" from Guide (1965), "Hothon Pe Aisi Baat" from Jewel Thief (1967), and "Kitni Akeli Kitni Tanhaa" from Talash.

She also continued her association with Madan Mohan and sang beautiful songs including "Aap Ki Nazron Ne Samjha" from Anpadh (1962), "Lag Jaa Gale" and "Naina Barse Rim Jhim" from Woh Kaun Thi? (1964), "Woh Chup Rahen To" from Jahan Ara (1964), "Tu Jahan Jahan Chalega" from Mera Saaya (1966), and "Teri Aankho Ke Siva" from Chirag (1969).

The 1960s also witnessed the beginning of the association of Lata Ji with Laxmikant-Pyarelal, the music director for whom she sang the most popular songs. 

It is said that she sang over 700 songs for the composer duo over a period of 35 years, many of which become hits. She sang for several movies including Parasmani (1963), Mr. X in Bombay (1964), Aaye Din Bahar Ke (1966), Milan (1967), Anita (1967), Shagird (1968), Mere Hamdam Mere Dost (1968), Intaquam (1969), Do Raaste (1969) and Jeene Ki Raah. For this, she got her third Filmfare Award.

She sang several playback songs for Marathi films. And during the 1960s and 1970s, she also sang various Bengali songs. She recorded duets with Kishore Kumar, Mukesh, Manna Dey, Mahendra Kapoor, and Mohammed Rafi in the 1960s. 

Meena Kumari's last film was released in 1972 which featured popular songs like "Chalte Chalte" and Inhi Logon Ne", sung by Lata Ji and composed by Ghulam Mohammed. 

She also recorded various popular songs for S.D Burman's last films like "Rangeela Re" from Prem Pujari (1970), "Khilte Hain Gul Yahaan" from Sharmeelee (1971), and "Piya Bina" from Abhimaan (1973) and for Madan Mohan's last films, including Dastak (1970), Heer Raanjha (1970), Dil Ki Rahen (1973), Hindustan Ki Kasam (1973), Hanste Zakhm (1973), Mausam (1975) and Laila Majnu (1976).

Various songs by Lata Mangeshkar were composed by Laxmikant-Pyarelal and Rahul Dev Burman in the 1970s. Various hit songs are also sung by her with Rahul Dev Burman in the films including Amar Prem (1972), Caravan (1971), Kati Patang (1971), and Aandhi (1975). The two are noted for their songs with the lyricists Majrooh Sultanpuri, Anand Bakshi, and Gulzar.

She won National Film Award in 1973 for Best Female Playback Singer for the song "Beeti Na Bitai" from the film Parichay. It was composed by R.D Burman and written by Gulzar. She also sang Malayalam song in 1974 ""Kadali Chenkadali" for the film Nellu. It was composed by Salil Chowdhury, and written by Vayalar Ramavarma.

She again won National Award in 1975 for the song "Roothe Roothe Piya" from Kora Kagaz, composed by Kalyanji Anandji. She also staged several concerts from the 1970s onwards including various charity concerts. In 1974, her first concert was at the Royal Albert Hall, London and she was the first Indian to do so.

An album was also released by her of Mirabai's Bhajans, "Chala Vaahi Des". Composed by her brother Hridaynath Mangeshkar.

Satyam Shivan Sundaram in 1978 was directed by Rak Kapoor in which lata Ji sang the main theme song "Satyam Shivam Sundaram" which become the hit of the year. 

In the late 1970s and early 1980s , she worked with composers namely  Rahul Dev Burman, son of Sachin Dev Burman, Rajesh Roshan, son of Roshan, Anu Malik, son of Sardar Malik, and Anand–Milind, sons of Chitragupta. In the Assamese language also sung several songs. The song "Dil Hoom Hoom Kare" from Rudaali (1993) made the highest record sales that year.

From the 1980s, she sang for various movies including Karz (1980), Ek Duuje Ke Liye (1981), Silsila (1981), Prem Rog (1982), Hero (1983), Pyar Jhukta Nahin (1985), Ram Teri Ganga Maili (1985), Nagina (1986), and Ram Lakhan (1989). Her song "Zu Zu Zu Yashoda" from Sanjog (1985) was a hit at that time.

In the late 1980s, she also sang for Tamil movies. The biggest hits of Lata ji in 1980s were "Sheesha Ho Ya Dil Ho" in Asha (1980), "Tu Kitne Baras Ka" in Karz (1980), "Kitna Aasan Hai" in Dostana (1980), "Hum Ko Bhi Gham" in Aas Paas (1980), "Mere Naseeb Mein" in Naseeb (1980), "Zindagi Ki Na Toote" in Kranti (1981), "Solah Baras Ki" in Ek Duuje Ke Liye (1981), "Ye Galiyan Ye Chaubara" in Prem Rog (1982), "Likhnewale Ne Likh Dale" in Arpan (1983), "Din Maheene Saal" in Avtaar (1983), "Pyar Karnewale" and "Nindiya Se Jagi" in Hero (1983), "Zu Zu Zu Yashoda" in Sanjog (1985), "Zindagi Har Qadam" in Meri Jung (1985), "Baith Mere Paas" in Yaadon Ki Kasam (1985), "Ungli Mein Anghoti" in Ram Avtar (1988) and "O Ramji Tere Lakhan Ne" in Ram Lakhan (1989).

Some songs were also composed by Bappi Lehri for Lata Ji like "Dooriyan Sab Mita Do" in Saboot (1980), "Baithe Baithe Aaj Aayi" in Patita (1980), "Jaane Kyun Mujhe" in Agreement (1980), "Thoda Resham Lagta Hai" in Jyoti (1981), "Dard Ki Ragini" in Pyaas (1982), and "Naino Mein Sapna" (duet with Kishore Kumar) in Himmatwala (1983).

She also sang hits during the 1980s like "Sun Sahiba Sun" in Ram Teri Ganga Maili (1985) for Ravindra Jain, "Chand Apna Safar" in Shama (1981), "Shayad Meri Shaadi" and "Zindagi Pyar Ka" in Souten (1983), "Hum Bhool Gaye Re" in Souten Ki Beti (1989) for Usha Khanna. Hridaynath Mangeshkar had "Kale Kale Gehre Saye" in Chakra (1981), "Ye Ankhen Dekh Kar", and "Kuchh Log Mohabbat Ko" in Dhanwan (1981), "Mujhe Tum Yaad Karna" in Mashaal (1984), Assamese song "Jonakore Rati" (1986) with music and lyrics by Dr. Bhupen Hazarika, "Jaane Do Mujhe" in Shahenshah (1989) for Amar-Utpal, "Sajan Mera Us Paar" in Ganga Jamuna Saraswati (1988) and "Mere Pyar Ki Umar" in Waaris (1989) for Uttam Jagdish.

 Lata Mangeshkar's Career in 1990s and 2000s

During the 1990s she recorded with various music directors like Anand-Milind, Nadeem-Shravan, Jatin-Lalit, etc. She also launched her own production house in 1990 for Hindi movies which produced the Gulzar-directed movie Lekin..... She won her third National FIlm Award for Best Female Playback Singer for the song "Yaara Sili Sili". It was composed by her brother Hridaynath.

She also sung for almost all the Yash Chopra films. Even A. R Rahman had recorded a few songs with her during this period like "Jiya Jale" in Dil Se.., "Khamoshiyan Gungunane Lagin" in One 2 Ka 4, "Ek Tu Hi Bharosa" in Pukar, "Pyaara Sa Gaon" in Zubeidaa, "So Gaye Hain" in Zubeidaa, etc.

She also released  Shraddanjali - My Tribute to the Immortals in 1994. The main feature of the film is that Lata Ji offers her tribute to immortal singers of the time by rendering a few songs in her voice. She sang "Kuch Na Kaho" for Rahul Dev Burman the last song in 1994 in 1942: A Love Story.

A perfume brand name was also launched named Lata Eau de Parfum in 1999. She was also awarded Zee Cine Award for Lifetime Achievement the same year. She was also nominated as a member of the Rajya Sabha in 1999. 

She was awarded the Bharat Ratna, India's highest civilian honour in 2001.  She also established the Master Deenanath Mangeshkar Hospital in Pune in the same year. It was managed by the Lata Mangeshkar Medical Foundation.

Lata Mangeshkar's Career in the 2010s

She released the album Sarhadein: Music Beyond Boundaries on 12 April 2011. It contains duet Tera Milna Bahut Acha Lage" by Mangeshkar and Mehdi Hassan. She also recorded a song for composer Nadeem-Shravan "Kaise Piya Se" for Bewafaa (2005). Shamir Tandon also recorded a song with her "Tere Hasne Sai Mujheko" for the movie Satrangee Parachute (2011). 

She also recorded a song in her own studio. The song was "Jeena kya hai, jaana maine" for Dunno Y2-Life Is A Moment (2015).

Lata Mangeshkar Biography: Production

She has produced four films:

1953 - Vaadal in Marathi

1953 - Jhaanjhar in Hindi and, co-produced with C. Ramchandra

1955 - Kanchan Ganga in Hindi

Lata Mangeshkar Biography: Awards and Honours

She won several awards and honours and some of them are listed below:

2009 - ANR National Award 

2007 - Legion of Honour  

2001 - Bharat Ratna, India's highest civilian award

1999 - Padma Vibhushan 

1999 - Zee Cine Award for Lifetime Achievements

1999 - NTR National Award 

1997 - Maharashtra Bhushan Award 

1989 - Dadasaheb Phalke Award 

1972, 1974, and 1990 - Three National Film Awards 

15 Bengal Film Journalists' Association Awards

1959, 1963, 1966, and 1970 - Four Filmfare Best Female Playback Awards.

1993 - Filmfare Lifetime Achievement Award

1994 and 2004 - Filmfare Special Awards 

1984 - State Government of Madhya Pradesh instituted the Lata Mangeshkar Award of Lata Mangeshkar

1992 - the State Government of Maharashtra also instituted a Lata Mangeshkar Award

1969 - Padma Bhushan 

2009 - She was awarded the title of Officer of the French Legion of Honour, France's highest order

2012 - She was ranked number 10 in Outlook India's poll of the Greatest Indian.

Remembering Lata Didi on her birth anniversary. Her contribution to Indian music spans decades, creating an everlasting impact. Her soulful renditions evoked deep emotions and will forever hold a special place in our culture. — Narendra Modi (@narendramodi) September 28, 2023

She is also a recipient of honorary doctorates from  Sangeet Natak Akademi (1989), Indira Kala Sangeet Vishwavidyalaya, Khairagarh, and Shivaji University in Kolhapur.

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  • When was Lata Mangeshkar awarded with Bharat Ratna, India's highest civilian honour? + Lata Mangeshkar was awarded the Bharat Ratna, India's highest civilian honour in 2001.
  • Who wrote the biography of Lata Mangeshkar? + “Lata Mangeshkar- A musical Journey” a book on Lata Mangeshkar was published by author Yatindra Mishra.
  • What is Lata Mangeshkar's real name? + The real name of Lata Mangeshkar was Hema Mangeshkar.
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Lata Mangeshkar

Lata Mangeshkar

  • Born September 28 , 1929 · Indore, Indore State, Central India Agency, British India
  • Died February 6 , 2022 · Mumbai, Maharashtra, India (complications from COVID-19)
  • Birth name Hema Mangeshkar
  • The Nightingale of Bollywood
  • Nightingale of India
  • Queen Of Melody
  • Lata Mangeshkar was born in Indore on September 28, 1929, and became, quite simply, the most popular playback singer in Bollywood's history. She sung for over 50 years for actresses from Nargis to Preity G Zinta , as well as recorded albums of all kinds (ghazals, pop, etc). Until the 1991 edition, when her entry disappeared, the Guinness Book of World Records listed her as the most-recorded artist in the world with not less than 30,000 solo, duet,and chorus-backed songs recorded in 20 Indian languages between 948 and 1987. Today that number may have reached 40,000! She was born the daughter of Dinanath Mangeshkar , the owner of a theater company and a reputed classical singer in his own right. He started giving Lata singing lessons from the age of five, and she also studied with renowned singers Aman Ali Khan Sahib and Amanat Khan. Even at a young age she displayed a God-given musical gift and could master vocal exercises the first time. Ironically, for someone of her stature, she made her entry into Bollywood at the wrong time - around the 1940s, when bass singers with heavily nasal voices, such as Noor Jehan and Shamshad Begum were in style. She was rejected from many projects because it was believed that her voice was too high-pitched and thin. The circumstances of her entry into the industry were no less inauspicious - her father died in 1942, the responsibility of earning income to support her family fell upon her, and between 1942 and 1948 she acted in as many as eight films in Hindi and Marathi to take care of economic hardships. She made her debut as a playback singer in the Marathi film Kiti Hasaal (1942) but, ironically, the song was edited out! However, in 1948, she got her big break with Ghulam Haider in the film Majboor (1948) , and 1949 saw the release of four of her films: Mahal (1949) , Dulari (1949) , Barsaat (1949) , and Andaz (1949) ; all four of them became runaway hits, with their songs reaching to heights of what was until then unseen popularity. Her unusually high-pitched singing rendered the trend of heavily nasal voices of the day totally obsolete and, within a year, she had changed the face of playback singing forever. The only two lower-pitched singers to survive her treble onslaught to a certain extent were Geeta Dutt and Shamshad Begum . Her singing style was initially reminiscent of Noor Jehan , but she soon overcame that and evolved her own distinctive style. Her sister, Asha Bhosle , too, came up in the late 1950s and the two of them were the queens of Indian playback singing right through to the 1990s. Her voice had a special versatile quality, which meant that finally music composers could stretch their creative experiments to the fullest. Although all her songs were immediate hits under any composer, it was the composers C. Ramchandra and Madan Mohan who made her sound her sweetest and challenged her voice like no other music director. The 1960s and 1970s saw her go from strength to strength, even as there were accusations that she was monopolizing the playback-singing industry. However, in the 1980s, she cut down her workload to concentrate on her shows abroad. Today, Lata sings infrequently despite a sudden resurgence in her popularity, but even today some of Hindi Cinema's biggest hits, including Dilwale Dulhania Le Jayenge (1995) , Dil To Pagal Hai (1997) , and Veer-Zaara (2004) feature her legendary voice. No matter which female playback singer breaks through in any generation, she cannot replace the timeless voice of Lata Mangeshkar. She was an icon beyond icons.... - IMDb Mini Biography By: Q. Leo Rahman
  • Parents Dinanath Mangeshkar Shevanti Mangeshkar
  • Relatives Asha Bhosle (Sibling) Usha Mangeshkar (Sibling) Meena Khadikar (Sibling) Hridaynath Mangeshkar (Sibling) nm13294690 (Niece or Nephew)
  • A legendary playback singer in Indian movies, she recorded over 30,000 songs in 14 Indian languages, making her the most recorded voice in history.
  • Mentioned in the song "Brimful of Asha" by Cornershop. (The title refers to her sister, Asha Bhosle , who is also mentioned in the song.).
  • In an interview,Lata Mangeshkar herself disclosed on her 84th birthday in September,2013," Ghulam Haider is truly my Godfather.It was his confidence in me that he fought for me to tuck me into the Hindi Film Industry which otherwise had initially rejected me.Remembering her early rejection,Lata once said," Ghulam Haider was the first music director who showed complete faith in my talent.He introduced me to many film producers including S. Mukherji,a big name in film production,but when he said my voice was "too thin" to use in his film,Ghulam Haider was furious.Hence,finally he convinced Bombay Talkies,a banner bigger than S. Mukherji and introduced me through their movie Majboor (1948) .Lata's first big breakthrough film song,was "Dil mera tora,mujhe kaheen ka na chhora teray pyaar ne" lyrics by Nazim Panipati ,composed by Ghulam Haider.
  • Was awarded the Bharatha Rathna, the highest civilian honor by the Government of India.
  • Her contribution to Indian music industry in a career spanning seven decades gained her honorific titles such as the Nightingale of India, Voice of the Millennium and Queen of Melody.
  • About singing for Veer-Zaara (2004) : "Madan Mohan was like my brother. Yashji's like my brother. I felt I had gone back in time."
  • About her love of diamonds: "I've been fond of diamonds from childhood. As a child, my father used to design jewelry. But we couldn't afford them. He had a keen eye for jewelry and was fond of wearing precious stones. We kids were equally fascinated by jewels. But until I became a professional playback singer, I refused to wear jewelry. I had decided I'd wear only diamonds."
  • About the number of her songs being remixed in music videos: "I don't like it. I don't like remix albums as a concept. On top of that, these girls dancing in itsy-bitsy clothes suggestively! From childhood we've been told that a woman's dignity is in the way she conducts herself in public. The less you reveal, the more attractive you appear. I must say that the songs that I considered vulgar in those days seem like bhajans [devotional music] compared with what's being sung these days! Yes, I've sung naughty songs, but "Kaanta Lagaa," for instance, had another context when I sang it. I feel sorry for the girl who was seen in the music video of "Kaanta Lagaa." I've heard she's from a decent family. Why wasn't she stopped by her family? Ambition? If she did it with their consent, then God help them. I struggled hard to get where I am - that's why I am still here."
  • About music composition: "It doesn't suit me. Although I've done it in the past, now I don't feel like it. I don't think I've the patience."
  • About the December 2004 tsunami: "This sort of calamity shakes our faith in every law of nature. Little children, women, and entire families have perished. We must help...yes we must."

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लता मंगेशकर

लता मंगेशकर से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

  • क्या लता मंगेशकर धूम्रपान करती हैं ? नहीं
  • क्या लता मंगेशकर शराब पीती हैं ? नहीं
  • उनका जन्म इंदौर के एक मराठी भाषा बोलने वाले परिवार- दीनानाथ मंगेशकर और शेवंती (सुभामिता) के घर में हुआ, जो कि मध्य भारत (अब मध्य प्रदेश) का हिस्सा था।
  • उनके पिता एक रंग मंच अभिनेता और शास्त्रीय गायक थे।
  • उनकी मां, शेवंती मंगेशकर दीनानाथ की दूसरी पत्नी थीं।
  • उनके पिता दीनानाथ ने अपना उपनाम हार्दिकर से बदल कर मंगेशकर रख लिया, क्योंकि वह अपने मूल निवास, जो कि गोवा में स्थिति एक छोटा सा क़स्बा मंगेशी था, को अपने परिवार के नाम के साथ जोडना चाहते थे।
  • जब लता पैदा हुई तो उनका नाम हेमा रखा गया था, जिसे उनके माता-पिता ने बाद में बदल कर लता रख दिया, क्योंकि उनके पिता द्वारा नाटक “भावबन्धन” में एक महिला चरित्र का नाम लतिका था।
  • वर्ष 1938 में, उनका पहला लोक नाटक नुतन थियेटर, सोलापुर में था, जहां उन्होंने राग खंबावती और 2 मराठी गाने गाए।
  • 5 वर्ष की उम्र में ही लता ने अपने पिता द्वारा निर्देशित मराठी नाटकों में एक अभिनेत्री के तौर पर कार्य करना शुरू कर दिया था।
  • वह केवल एक ही दिन के लिए स्कूल गई थी। ऐसा कहा जाता है कि स्कूल के पहले ही दिन अपनी छोटी बहन आशा को अपने साथ स्कूल ले गई थीं, और स्कूल के अन्य छात्राओं को संगीत सीखने लग गई। जब अध्यापकों ने लता को अपनी छोटी बहन को स्कूल लाने और छात्राओं को संगीत सीखने के लिए माना किया तो लता इतनी क्रोधित हुई की उन्होंने तत्काल स्कूल छोड़ दिया और फिर वापस स्कूल कभी नहीं गई।
  • जब वह 13 साल की थी, तब 1942 में उनके पिता की हृदय रोग के कारण मृत्यु हो गई थीं, और उनके पिता की मृत्यु के बाद, मंगेशकर परिवार के सबसे करीबी दोस्त- मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने उनके परिवार की देखभाल की और उनकी मदद एक अभिनेत्री और गायक बनने के रूप में की।
  • वर्ष 1942 में, उन्होंने अपना पहला गीत “नाचू या गडे,खेळू साड़ी मणि हाउस भारी” मराठी फिल्म “किती हसाल” के लिए गाया, हालांकि, बाद में इस गाने को अंतिम कट से हटा दिया गया था।
  • वर्ष 1942 में, उन्होंने अपना पहला प्रदर्शित गीत ‘नताली चैत्राची नवालाई’ एक मराठी फिल्म ‘पहिली मंगलागौर’ में गाया था।

  • वर्ष 1943 में, उन्होंने पहला हिंदी गीत- ‘माता, एक सपूत की दुनिया बदल दे तू’ मराठी फिल्म “गजाभाऊ” के लिए गाया था।
  • वर्ष 1945 में, लता मुंबई स्थानांतरित हो गईं।
  • उन्होंने मास्टर विनायक की पहली हिंदी फिल्म “बडी माँ” (1945) में अपनी छोटी बहन आशा के साथ एक छोटी सी भूमिका निभाई।
  • जब गुलाम हैदर (संगीत निर्देशक) ने लता को फिल्म शहीद (1948) के निर्माता सशधर मुखर्जी  से मिलाया तो मुखर्जी ने लता की आवाज़ को ‘बहुत पतली’ बताते हुऐ उन्हें खारिज कर दिया। इसके बाद गुलाम हैदर ने कहा कि आने वाले वर्षो में फिल्म के निर्माता और निर्देशक लता का पैर पकड़ कर भीख मांगे गए की वह उनकी फिल्मों में गीत गाए।
  • लता का पहला सफल गीत “दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने (मजबूर, 1948 ) था।

लता मंगेशकर अपने गुरु गुलाम हैदर के साथ

  • ऐसा कहा जाता है कि शुरू में उन्होंने प्रख्यात गायिका नूरजहां को कॉपी किया था, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी स्वयं की गायन शैली को विकसित किया।
  • उर्दू / हिंदी गीत गाते हुए मराठी उच्चारण करने पर दिलीप कुमार ने लता मंगेशकर के ऊपर एक नकारत्मक टिप्पणी कि थी। इसके बाद लता ने उर्दू का सटीक उच्चारण सीखने की ठान ली और शफी नामक एक उर्दू अध्यपक से उर्दू में उच्चारण करना सीखने लगी।
  • गीत “आएगा आनेवाला” (महल, 1949) से वह काफी लोकप्रिय हो गईं, और ऐसा मानते है कि इस गीत को जिस ख़ूबसूरती से लता मंगेशकर ने गाया है, ऐसा कोई अन्य गायक नहीं गा सकता है।

  • वर्ष 1956 में, उनका एक गीत “रसिक बलमा” (चोरी चोरी) ने सर्वश्रेष्ठ गीत के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। फिल्मफेयर अवॉर्ड 1958 में शुरू किए गए थे और पार्श्व गायकों का कोई भी वर्ग इसमे शामिल नहीं था, इसलिए उन्हें कोई पुरस्कार नहीं मिला, और उनके विरोध के बाद, इस श्रेणी को 1958 में शामिल किया गया था।
  • लता को सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक के लिए पहला फिल्मफेयर पुरस्कार गीत “आजा रे परदेसी” (मधुमत, 1958) के लिए मिला। उन्होंने 1958 से 1966 तक सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्वगायक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कारों पर एकाधिकार किया। अपनी उदारता का परिचय देते हुए, वर्ष 1969 में लता ने फिल्मफेयर पुरस्कार लेने से मना कर दिया ताकि नए लोगो की प्रतिभाओं को बढ़ावा मिल सके।
  • उन्होंने फिल्म “परिचय” (1972) में सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका के लिए पहला नेशनल फिल्म अवार्ड जीता।

  • वह फिल्म “लेकिन…” (1990) के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्वगायक की श्रेणी में राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड की सबसे पुरनी विजेता (oldest winner) (61 उम्र) का भी रिकॉर्ड रखती है।

  • वर्ष 1962 की, शुरुआत में उन्हें हल्का जहर दे दिया था, और उसके बाद, वह लगभग 3 महीने के लिए बिस्तर पर रहीं।
  • 27 जनवरी 1963 को, लता ने चीन-भारत युद्ध के पृष्ठपट से एक देशभक्ति गीत “ऐ मेरे वतन के लोगों” गाया। यह गीत सुनने के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू (भारत के पूर्व प्रधान मंत्री) की आँखों में आँसू आ गए थे।

  • लता ने संगीत निर्देशक लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए अधिकतम संख्या में गाने (712) गाए हैं।

राम राम पाव्हणं

  • उन्होंने चार फिल्मों का निर्माण भी किया, जैसे कि- वादाई (मराठी 1953), झिंझर (हिंदी, 1953), कंचन (हिंदी, 1955), लेकिन (हिंदी,1990) ।

लता मंगेशकर भारत रत्न प्राप्त करती हुईं

  • मध्यप्रदेश सरकार और महाराष्ट्र सरकार ने क्रमशः 1984 और 1992 में लता मंगेशकर पुरस्कार की स्थापना की।
  • उन्हें मेकअप करना पसंद नहीं है।
  • एक साक्षात्कार के दौरान लता मंगेशकर ने बताया कि मशहूर गायक के एल सैगल से मिलना और दिलीप कुमार के लिए गीत गाना उनकी अतृप्त इच्छाओं में से एक है।
  • उन्होंने 14 विभिन्न भाषाओं में 50000 से अधिक गाने गाए हैं।
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