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Development Of India Essay In Hindi

विकास पथ पर भारत निबंध – Development Of India Essay In Hindi

विकास पथ पर भारत निबंध – (essay on development of india in hindi).

  • प्रस्तावना,
  • विकास के विभिन्न सोपान,
  • विकास में बाधक तत्त्व,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

विकास पथ पर भारत निबंध – Vikaas Path Par Bhaarat Nibandh

प्रस्तावना– 15 अगस्त 1947 को सैकड़ों वर्षों के दमन, अत्याचार, शोषण और पराधीनता के. कुत्सित पंक से एक पंकज प्रस्फुटित हुआ था–’स्वतन्त्र–भारत’; स्वतन्त्र और स्वाभिमान से गर्वोन्नत भारत, विश्वभर के स्वाधीनता संग्रामों की आशाओं का आकाश–दीप भारत। तब से आज तक हमारा भारत निरन्तर विकास के पथ पर अग्रसर हो रहा है। आज हमारे राजनेता भारत को शीघ्र ही महाशक्ति बनाने का सपना देखने लगे हैं।

विकास के विभिन्न सोपान–देश के विकास के विभिन्न सोपानों को निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है-

भोजन, वस्त्र और आवास के क्षेत्र में– कभी देश को बाहर से अन्न का आयात करना पड़ता था, आज हरित क्रान्ति के बल पर हम अनाज निर्यात करने की स्थिति में आ गये हैं। वस्त्रों का निर्यात भी हो रहा है। भवन–निर्माण की सामग्री देश में उपलब्ध है। कॉलोनियों का अबाध विस्तार हो रहा है।

चिकित्सा के क्षेत्र में स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में भी देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। स्वास्थ्य केन्द्र तथा चिकित्सालयों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। अनेक जटिल तथा असाध्य रोगों की चिकित्सा अब देश में उपलब्ध है।

अफ्रीका और अरब देशों के नागरिक अब यूरोप के स्थान पर भारत आकर चिकित्सा कराना उचित समझते हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में– अशिक्षा के कलंक को मिटाने का भी देश में अथक प्रयास हुआ है। प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। प्रौढ़–शिक्षा जैसे आन्दोलन भी चलते रहे हैं। शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने का कानून पारित हो चुका है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारा भारत वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी दृष्टि से भी विश्व के अनेक विकसित देशों की श्रेणी में आ गया है। साइकिल से लेकर अन्तरिक्ष यान तक देश में बन रहे हैं। परमाणु विज्ञान, धातु विज्ञान, अन्तरिक्ष अनुसन्धान, सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, शस्य विज्ञान आदि पर निरन्तर अनुसन्धान हो रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी में तो भारत ने सारे विश्व में अपनी धाक जमा ली है।

हमारी अनेक कम्पनियाँ विदेशों में नामी कम्पनियों का अधिग्रहण कर रही हैं। टाटा स्टील द्वारा कोरस का अधिग्रहण इस दिशा में उल्लेखनीय है। सॉफ्टवेयर व्यवसाय में तो भारत की धूम मची हुई है। निर्यात व्यापार में भी उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। विदेशी मुद्रा भण्डार निरन्तर बढ़ता जा रहा है।

सुरक्षा के क्षेत्र में सुरक्षा के क्षेत्र में भी भारत अब किसी से पीछे नहीं है। परम्परागत तथा नवीनतम अस्त्र–शस्त्रों का निर्माण देश में हो रहा है। टैंक, रडार, मिसाइल, लड़ाकू यान, ‘पृथ्वी’, ‘त्रिशूल’, ‘अग्नि’ आदि प्रक्षेपास्त्रों का विकास देश को सुरक्षा के प्रति आश्वस्त बना रहा है। हम विश्व की परमाणु शक्ति बन चुके हैं। अमेरिका से हुआ परमाणु–समझौता उल्लेखनीय है। अग्नि 5 मिसाइल का सफल परीक्षण भारत की बढ़ती सुरक्षा व्यवस्था का प्रमाण है।

आर्थिक क्षेत्र में देश का शेयर बाजार आत्मविश्वास से परिपूर्ण है। गत वर्षों में आर्थिक प्रगति 8 से 10 प्रतिशत रही है। विदेशी पूँजी का निवेश निरन्तर बढ़ रहा है। ये सारे मानदण्ड देश के विकास को प्रमाणित करते हैं। जब अमेरिका और यूरोपीय देशों में मंदी तथा बेरोजगारी बढ़ रही है, भारत में विकास दर ठीक बनी रहने की उम्मीद है।

विकास में बाधक तत्व– विकास की उपर्युक्त छवि बड़ी मनमोहिनी है। किन्तु विकास का यह प्रकाश अभी देश के लाखों गाँवों तक पूरी तरह नहीं पहुँचा है। विकास के मार्ग में अनेक ऐसे बाधक तत्त्व हैं जो विकास की धारा को जन–जन तक नहीं पहुँचने देते। भ्रष्टाचार, जनसंख्या की वृद्धि, राष्ट्रीय भावना का क्षरण, जीवन–मूल्यों के प्रति अनादर, विदेशी षड्यन्त्र, बेरोजगारी, जातिवाद, साम्प्रदायिकता आदि कारक हैं, जो देश की प्रगति में बाधक बने हुए हैं।

उपसंहार– अन्त में यही कहा जा सकता है कि देश ने हर दिशा में विकास किया है। विश्व में भारत की विश्वसनीयता बढ़ी है, किन्तु अभी मंजिल दूर है। अर्थशास्त्रियों ने देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिये कुछ मूलमन्त्र सुझाए हैं किन्तु आज की कुटिल राजनीति, सत्ता–लोलुपता और जनता का दिग्भ्रमित रूप इसे साकार होने देंगे, इसमें सन्देह है।

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विकास के पथ पर भारत निबंध | Essay on India on the Path of Development in Hindi

विकास के पथ पर भारत निबंध | India on the Path of Development in Hindi | Hindi Essay | India on the Path of Development Essay in hindi.

प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश अपने राष्ट्र के प्रति अभिमान होता है।इस बात पर गर्व है कि मैं भारत का रहने वाली हूं। देश की संस्कृति भौगोलिक स्थिति तथा इतिहास गर्वमय में है। विदेशियों का आक्रमण तथा अंग्रेजों की गुलामी इन सब समस्या का सामना करते हुए भारत ने कभी प्रगति की राह पर चलना ना छोड़ा।ढाई सौ साल अंग्रेजों कि आर्थिक शोषण और गुलामगिरी सहने के बाद किसी ने सोचा भी नहीं था कि भारत इतनी जल्दी विकास के पथ पर अपना कदम बढ़ाया ।भारत का अंग्रेजों ने जो शोषण किया उसके बाद भारत स्थिति दयनीय हो गई थीl आंतरिक सुरक्षा अशांति इन समस्याओं का सामना करते हुए भारत में प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता रहा। आजादी के बाद अनाज की होने वाली कमतरता को दूर करने के लिए भारत ने नई तकनीक को अपनाते हुए हरित क्रांति का प्रयोग किया। यह प्रयोग भारत में सफलतापूर्वक रहा। पंजाब हरियाणा के कई हिस्सों में उम्मीद से अधिक फसलें उगाई गई। उस में आधुनिक रसायन का इस्तेमाल किया गया। कृषि अनुसंधान विद्यालय स्थापित किए गए। उसमें कृषि संबंधित अध्ययन कर कर उसने संशोधन कर किया गया। किस प्रकार से हम अधिक से अधिक फसल ले सकते इस बात पर जोर दिया गया।भारत में होने वाली पानी की किल्लत को दूर करने के लिए भारत सरकार ने कई नए नहरों का निर्माण किया। इंदिरा गांधी नहर जो राजस्थान में स्थित है वह इसका उसको तो उदाहरण है। इस नहर से राजस्थान के उन चित्र को पाने का पहुंचाया गया जहां वर्षा नहीं होती या पानी की किल्लत हैl इन नहरों के पानी से बिजली निर्माण तथा क्षेत्र में पानी की सुविधा की गई। इसी तरह धीरे-धीरे भारत में प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ता गया।

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भारत में हमेशा ही विज्ञान के क्षेत्र में अधिक रूचि दिखाई है। कहीं नहीं नई तकनीकी का विकास भारत में किया गया। भारत में कई स्थानों पर अपने गोला बारूद निर्माण करने के लिए करने के लिए कई आयुध फैक्ट्री स्थापित की गई। भारत में आयात करने से अच्छा अधिक से अधिक चीजें अपने देश में उत्पन्न करके आत्मनिर्भर बनने के नीति पर जोर दिया है। भारत के आज हर गांव शहर तक के तक बिजली पानी पहुंच गई है। गांव सड़क में रास्तों का निर्माण किया गया, पानी की सुविधा की गई। यह छोटी- चीजें यही दिखाती है कि भारत निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है।

अंतरिक्ष के क्षेत्र में तो भारत की कामगिरी उल्लेखनीय है। पिछले तीन दशकों में भारत ने अनेक अंतरिक्ष उपग्रह लॉन्च किए हैं। भारत मंगल तक पहुंच गया है। यह सोचकर सारे देश आश्चर्य में है। क्योंकि वह कभी हमसे आगे हुआ करते थे और आज हमें अपनी निरंतर प्रयासों का नतीजा मिला है कि हम मंगल तक पहुंच गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान भारत के प्रगति में उल्लेखनीय तथा महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर रहा है। भारत का तिरंगा अंतरिक्ष में भी लहरा रहा है। 1975 के अंतरिक्ष में भेजे गए आर्यभट्ट उपग्रह से भारत की अंतरिक्ष में उड़ान भरने की शुरुआत हो गई थी।भारत द्वारा प्रक्षेपित किया गया सर्वप्रथम उपग्रह आर्यभट्ट यह था। उपग्रह संचार मौसम अनुमान आदि की महत्वपूर्ण जानकारियां देते हैं। इन उपकरणों की सहायता से आजहर घर में इंटरनेट मौजूद है तथा एटीएम की सुविधा हर जगह मौजूद की गई है।

भारत दुनिया के 6 परमाणु शक्ति वाला देश है। भारत में प्रथम परमाणु परीक्षण राजस्थान के पोकरण जिले में किया गया था। यह विस्फोट 1974 में किया गया था। इस टेस्ट का नाम स्माइलिंग बुद्धा रखा गया था। भारत में हर क्षेत्र में पिछले 60 सालों में प्रगति की है। सरकार ने समय-समय पर नई नई योजनाएं निकालकर उन्नति के पथ पर आगे बढ़ने की कोशिश की है। भारत में कभी पंचवर्षीय योजना लागू की गई तो कभी जन धन योजना। इन सारी योजनाओं का एक ही उद्देश्य होता है देश तथा देश के सभी नागरिकों का विकास करना। देश का विकास तभी संभव हो पाएगा जब देश के प्रत्येक नागरिक होंगे विकसित हों। अपने देश को उन्नति तथा प्रगति को ले जाने के लिए हर नागरिकों योगदान करना चाहिए। क्योंकि किसी देश का विकास तभी संभव होता है जब उसके नागरिकों का विकास है। देश का विकास करने के लिए हमें अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। हमें अपने कर्तव्य का पालन करते थे हमेशा सच्चाई की राह पर आगे बढ़ना चाहिए। भ्रष्टाचार नहीं लेना चाहिए ना ही किसी को लेने देना चाहिए। यदि हम स्वय का विकास करें और पूरे परिवार को चलाएं किसी तरह हर कोई व्यक्ति अपने अपना विकास करें तो देश का विकास में निश्चित हो जाएगा।

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सतत विकास पर निबंध | Essay on Sustainable Development in Hindi

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सतत विकास पर निबंध! Here is an essay on ‘Sustainable Development’ in Hindi language.

विश्व के सभी देशों में आज विकास के पथ पर एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़-सी मची है और इसके लिए औद्योगीकरण से लेकर प्राकृतिक संसाधनों के दोहन तक के हर सम्भव उपाय किए जा रहे हैं । बिकास की इस होड़ में हम यह भूल गए है कि हम इसे किस मूल्य पर हासिल करना चाहते हैं ।

इसमें दोराय नहीं है कि बिकास के लिए हम पूर्णतः प्रकृति पर निर्भर है, क्योंकि इसके लिए आवश्यक तेल से लेकर कोयला एवं जल भी हमें प्रकृति से ही प्राप्त होता है और ये सभी प्राकृतिक संसाधन पृथ्वी पर सीमित मात्रा में विद्यमान है ।

जिस तरह से विश्व की जनसंख्या बढ़ रही है, उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष तक यह बढ़कर 8 अरब से भी अधिक हो जाएगी और जिस तरह से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है, उसका दुष्परिणाम यह होगा कि आने वाली मानव पीढ़ियों के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधन पृथ्वी पर उपलब्ध ही नहीं होंगे ।

हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा है- ”हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के माध्यम से पानी, ऊर्जा, निवास स्थान, कचरा प्रबन्धन एवं पर्यावरण के क्षेत्रों में पृथ्वी द्वारा झेली जाने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए कार्य करना होगा ।”

अर्थशास्त्रियों, पर्यावरणविदों एवं वैज्ञानिकों ने इस समस्या का हल यह बताया है कि हम अपने विकास के लिए उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते समय इस बात का भी ध्यान रखे कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी ये संसाधन बचे रहें ।

भावी पीढ़ी के लिए संसाधनों के बचाव के मद्‌देनजर ही सतत विकास (सस्टेनेबल डेबलपमेण्ट) की अवधारणा का बिकास हुआ । हमारे रिजर्व बैंक के गबर्नर श्री रघुराम राजन का कहना है- ”हमें यह निश्चित करके चलना चाहिए कि पूरे विश्व में वृद्धि के वास्तविक एवं सतत स्रोत हो ।”

सतत बिकास एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि भावी पीढ़ी की आवश्यकताओं में भी कटौती न हो ।

यही कारण है कि सतत विकास अपने शाब्दिक अर्थ के अनुरूप निरन्तर चलता रहता है सतत विकास में सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ-साथ इस बात का ध्यान रखा जाता है कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहे । हमारे पूर्व प्रधानमन्त्री श्री लालबहादुर शास्त्री का कहना था- ”हमें देश के संसाधनों का प्रयोग मानवता के लाभ के लिए करना चाहिए ।”

ADVERTISEMENTS:

सतत विकास की आवश्यकता निम्नलिखित बातों से स्पष्ट हो जाती है:

1. औद्योगीकरण के कारण वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि हुई है, फलस्वरूप विश्व की जलवायु में प्रतिकूल परिवर्तन हुआ है, साथ ही समुद्र का जल स्तर बद जाने के कारण आने बाले वर्षों में कई देशों एवं शहरों के समुद्र में जलमग्न हो जाने की आशंका है ।

2. जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण में भी निरन्तर वृद्धि हो रही है । यदि इन्हें नियन्त्रित नहीं किया गया, तो परिणाम अत्यन्त मयकर होंगे ।

3. इनवायरन्‌मेण्टल डाटा सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, लोगों एवं राष्ट्रों की सुरक्षा, भोजन ऊर्जा, पानी एवं जलवायु, इन चार स्तम्भों पर निर्भर है । ये चारों एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं और ये सभी खतरे की सीमा को पार करने की कगार पर हैं ।

4. अपने आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए मानव विश्व के संसाधनों का इतनी तीव्रता से दोहन कर रहा है कि पृथ्वी की जीवन को पोषित करने की क्षमता तेजी से कम हो रही है ।

5. वर्ष 2030 तक विश्व की जनसंख्या के 8.3 अरब से अधिक हो जाने का अनुमान है, जिसके कारण उस समय भोजन एवं ऊर्जा की माँग 50% अधिक तथा स्वच्छ जल की माँग 30% अधिक हो जाएगी । भोजन, ऊर्जा एवं जल की इस बड़ी हुई माँग के फलस्वरूप उत्पन्न सकट के दुष्परिणाम भयंकर हो सकते हैं ।

विश्व में आई औद्योगिक क्रान्ति के बाद से ही प्राकृतिक संसाधनों का दोहन शुरू हो गया था, जो उन्नीसवीं एवं बीसवीं शताब्दी में अपनी चरम सीमा को पार कर गया । दुष्परिणामस्वरूप विश्व की जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा एवं प्रदूषण का स्तर इतना अधिक बढ़ गया कि यह अनेक जानलेवा बीमारियों का कारक बन गया, इसलिए बीसवीं शताब्दी में संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य वैश्विक संगठनों ने पर्यावरण की सुरक्षा पर बल देना शुरू किया, साथ ही ओजोन परत के संरक्षण के लिए वर्ष 1985 में वियना सम्मेलन हुआ एवं इसकी नीतियों को विश्व के अधिकतर देशों ने वर्ष 1988 में लागू भी किया । वर्ष 1987 में ओजोन परत मॉण्ट्रियल समझौता हुआ । आज विश्व के 197 राष्ट्रों के साथ-साथ भारत भी इस समझौते को ईमानदारीपूर्वक निभा रहा है ।

अन्तर्राष्ट्रीय समझौते का पूर्णरूपेण पालन किए जाने पर वर्ष 2060 तक ओजोन परत के ठीक हो जाने की सम्भावना जताई जा रही है । इस विषय से सम्बन्धित कई और समझौते एवं सम्मेलन विश्व के कई अन्य शहरों में भी किए गए ।

वर्ष 1997 में जापान में क्योटो प्रोटोकॉल में तय किया गया कि विकसित देश पृथ्वी के बढ़ते तापमान से दुनिया को बचाने के लिए अपने यहाँ ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाएंगे । दिसम्बर, 2009 में सम्पन्न कोपेनहेगन सम्मेलन का उद्‌देश्य भी पर्यावरण की सुरक्षा ही था ।

वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, परिवहन, इमारत एवं औद्योगिक क्षेत्रों में ऊर्जा दक्षता के उपाय अपनाकर प्रतिवर्ष भारत सहित अमेरिका, चीन, ब्राजील, यूरोपीय सब एवं मैक्सिको में वायु प्रदूषण से होने बाली एक लाख मौतों पर वर्ष 2030 तक रोक लगाई जा सकती है । संयुक्त राष्ट्र के जनरल असेम्बली के 69वें सत्र (2014) में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सतत विकास की पूंजी कहा गया ।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने इस सत्र में कहा था- ”शिक्षा मौलिक अधिकार होने के साथ-साथ प्रत्येक राष्ट्र की समृद्धि का आधार है । माता-पिता को स्वास्थ्य एवं आहार के बारे में जानकारी होनी चाहिए यदि वे चाहते हैं कि उनके बच्चे एक अच्छी शुरूआत करें, जिसके वे अधिकारी है । उन्नत राष्ट्र कुशल एवं शिक्षित कर्मचारियों पर निर्भर रहता है । गरीबी दूर करने की चुनौतियाँ स्वीकारने एवं जलवायु परिवर्तन को रोकने तथा आने वाले दशकों में उचित सतत विकास हेतु हमें मिल-जुलकर काम करना होगा ।”

भारत सरकार द्वारा भी इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जिनमें वनारोपण एवं सामाजिक वानिकी, मृदा संरक्षण, परती भूमि विकास, वाटर शेड प्रबन्धन, शुष्क कृषि विकास की अवधारणाएँ प्रमुख हैं ।

भारत सरकार के केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने 16 जनवरी, 2001 को आयोजित बैठक में इम्फाल (मणिपुर) में जैव-प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्तशासी संस्थान की स्थापना को अनुमोदित किया, जिसे वर्ष 2001 में मणिपुर सोसाईटी पंजीकरण अधिनियम, 1989 के अधीन पंजीकृत कराया गया ।

इसे संक्षिप्त रूप में आईबीएसडी कहा जाता है । इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु जैव-प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों के माध्यम से जैव-संसाधनों का विकास तथा उनका सतत प्रयोग करना है । भारत में सतत बिकास के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग एवं बहुपक्षीय पर्यावरणीय करारी के लिए भारत सरकार के केन्द्रीय अभिकरण की भूमिका पर्यावरण एवं बन मन्त्रालय निभाता है । इसने जलवायु परिवर्तन एवं ओजोन परत संरक्षण से लेकर सतत बिकास से सम्बन्धित विश्वभर में आयोजित कई सम्मेलनों एवं समझौतों में अपनी सक्रिय भागीदारी एवं भूमिका निभाई है ।

वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में हुए मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान हमारी पूर्व प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने कहा था- ”गरीबी दूर करना संसार के लिए पर्यावरण नीति के लक्ष्य का एक अभिन्न हिस्सा है ।”

साझा ग्रह, वैश्विक नागरिकता एवं अन्तरिक्षयान पृथ्वी की अन्त सम्बद्ध अवधारणाएँ मात्र पर्यावरण मुद्दे तक सीमित न होकर तब पूर्ण होती है, जब पृथ्वी के सभी लोग पर्यावरणीय सुरक्षा और मानव बिकास की साझा एवं अन्त सम्बन्धित जिम्मेदारियों को एक साथ समान रूप से निभाएं ।

भारत में सतत विकास के लिए कृत-संकल्प अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थान ‘द एनर्जी एण्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट’ द्वारा आयोजित ‘दिल्ली सस्टेनेबल डेबलपमेण्ट समिट’ (DSDS) की विश्व स्तर पर पहचान बन चुकी है । फरवरी, 2011 में आयोजित दिल्ली सतत बिकास सम्मेलन (डीएसडीएस) की विषय-वस्तु ‘टैपिंग लोकल इनीशिएटिव्स एण्ड टैकलिंग इनर्शिया’ थी ।

इस विश्वस्तरीय सम्मेलन में भाग लेने हेतु कोलम्बिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं नोबल पुरस्कार विजेता जोसेफ स्टिग्लिट्‌ज व विश्व के अन्य जाने-माने बिद्वानों के अलावा अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई, डॉमिनिकन के राष्ट्रपति लियोनेल फर्नांडीज रेना और सेशल्स के राष्ट्रपति री जेम्स एलिक्स माइकल ने भाग लिया ।

इस सम्मेलन का उद्‌घाटन हमारे तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री मनमोहन सिंह ने किया था । वर्ष 2012 में इस सम्मेलन की विषय-वस्तु ग्रोटेक्तिग द ग्लोबल कॉमंस : 20 इयर्स पोस्ट रियो थी । नई दिल्ली में आयोजित इस सम्मेलन में भी राष्ट्राध्यक्षों, मन्त्रियों सहित विश्वस्तरीय शिक्षाविद् शामिल हुए थे ।

टेरी द्वारा आयोजित वर्ष 2014 सम्मेलन की विषय-वस्तु थी- ”सबको भोजन, पानी व ऊर्जा, सुरक्षा उपलब्ध कराना ।” नई दिल्ली में 6 से 8 फरवरी तक चले इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव के अन्नान, सेशल्स के राष्ट्रपति जेए माइकल, गुयाना के पूर्व राष्ट्रपति भारत जगदेव आदि अन्य विशिष्ट लोगों ने भाग लिया ।

इस दौरान कैलिफार्निया एयर रिसोर्सेज बोर्ड (CARB) के चेयरमैन मेरी निकोल्स ने कहा कि वर्ष 1991 में भारत में 20 मिलियन वाहन थे, वर्ष 2011 में वाहनों की संख्या बढ़कर 140 मिलियन हो गई और वर्ष 2030 तक इनकी संख्या 400 मिलियन तक हो जाने की सम्भावना है ।

इस सम्मेलन में वाहनों एवं अन्य स्रोतों से धुएँ के रूप में उत्सर्जित होने बाले प्रदूषित पदार्थों के कारण भारत के शहरों में प्रदूषण की मात्रा में अप्रत्याशित वृद्धि पर चिन्ता जताई गई ।  टेरी की इस रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए भारत के विख्यात पर्यावरणविद् एवं टेरी के महानिदेशक श्री आरके पचौरी ने भारत सरकार को कैरोसिन तेल पर सब्सिडी न देकर सौर लालटेन पर सप्सिडी दिएजाने का सुझाव दिया है ।

रिपोर्ट में सुझाए गए प्रस्तावों पर केन्द्र सरकार ने सकारात्मक रवैया अपनाते हुए पाँच वर्षों में देश में 26 सौर पार्क निर्माण करने की योजना बनाई है ।  इन सोलर पार्क के द्वारा 22,100 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकेगा ।

केन्द्र सरकार के इस प्रस्ताव पर 12 राज्यों द्वारा स्वीकृति भी दे दी गई है । इसके साथ ही सरकार पेट्रोल चालित दुपहिये वाहनों की जगह साइकिल के प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु साइकिल की खरीद पर कर में छूट देने पर भी विचार कर रही है । सरकार ‘सबका साथ, सबका बिकास’ की योजना को अमल में ला रही है ।

सतत बिकास के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है:

1. इसके लिए सबसे पहले तो हमें जनसंख्या को स्थिर बनाए रखने की आवश्यकता है, क्योंकि जनसंख्या में वृद्धि होने से स्वाभाविक रूप से जीवन के लिए अधिक प्राकृतिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है ।

2. शिक्षा प्रणाली में सुधार एवं विकास किए बिना हम सतत बिकास की अवधारणा से लोगों को न तो अवगत करा सकते हैं और न ही इसे लागू कर सकते हैं ।

3. यदि हम चाहते है कि प्रदूषण कम हो एवं पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ सन्तुलित विकास भी हो, तो इसके लिए हमें नवीन प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना होगा ।

4. प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा तब ही सम्भव है, जब हम इनका उपयुक्त प्रयोग करें ।

5. उपभोक्तावादी संस्कृति पर नियन्त्रण किए बिना हम सतत बिकास की अवधारणा के अनुरूप कार्य नहीं कर सकते ।

6. हमें प्रत्येक कार्य करते समय प्रदूषण नियन्त्रण की बात को नहीं भूलना चाहिए ।

7. हमें आम लोगों की प्रवृत्ति में परिवहन लाते हुए उन्हें समझाना होगा कि जब आवश्यक हो तब ही बिजली खर्च करें तथा ऊर्जा के अन्य संसाधनों का दुरुपयोग न करें ।

बिकास एवं पर्यावरण एक-दूसरे के विरोधी नहीं है, अपितु एक-दूसरे के पूरक है । सन्तुलित एवं शुद्ध पर्यावरण के बिना मानव का जीवन कष्टमय हो जाएगा । हमारा अस्तित्व एवं जीवविकास हमारे लिए आवश्यक है और इसके लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करना भी आवश्यक है, किन्तु ऐसा करते समय हमें सतत बिकास की अवधारणा को अपनाने पर जोर देना चाहिए । 

सतत विकास में आर्थिक समानता, लैंगिक समानता एवं सामाजिक समानता के साथ-साथ पर्यावरण सन्तुलन भी निहित है, इसलिए कहा जाता है कि मानव का वास्तविक कल्याण सतत बिकास द्वारा ही सम्भव है । महात्मा गाँधी ने कहा था- ”हमारे उद्योग मानव प्रधान होने चाहिए न कि मशीन प्रधान ।” सतत बिकास के सन्दर्भ में उनकी यह बात हमें बहुत कुछ सिखाती है ।

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भारत एक उभरती हुई शक्ति पर निबंध | Essay on Emergence of India as a Super Power in Hindi

आज का निबंध भारत एक उभरती हुई शक्ति पर निबंध Essay on Emergence of India as a Super Power in Hindi पर दिया गया हैं.

एक महाशक्ति के रूप में तेजी से कदम बढ़ाते भारत का उदय अंतर्राष्ट्रीय सुपर पॉवर के रूप में विभिन्न क्षेत्रों में योगदान और उपलब्धियों के बारे में इस निबंध में जानेगे. उम्मीद करते है आपको ये लेख पसंद आएगा.

Essay on Emergence of India as a Super Power in Hindi

भारत एक उभरती हुई शक्ति पर निबंध | Essay on Emergence of India as a Super Power in Hindi

तेजी से बदलते भारत और विश्व शक्ति बनने की और बदलता भारत राजनैतिक आर्थिक, सामाजिक, भूगोलिक विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में भारत के वर्चस्व और भारत के भावी भविष्य के बारे में इस निबंध में चर्चा करेगे. क्यों भारत को एक नई उभरती हुई ताकत के रूप में देखा जा रहा हैं.

Essay on Emergence of India as a Super Power in Hindi : India as A Super Power Vision 2020, 2030 Essay on Emergence Indian Economic and Power future of India in 2021 or badalta Bharat.

now India is stand up with future superpower countries. can India become a superpower debate and our future predictions  emerging superpower essay in Hindi language blow?

भारत एक उभरती हुई शक्ति पर निबंध

आज के समय में सारे संसार के अर्थशास्त्री भारत को एक उभरती हुई शक्ति तथा अर्थव्यवस्था मान रहे हैं. सैकड़ों वर्षों की गुलामी के तत्पश्चात अपने आर्थिक ढाँचे में मूलभूत सुधार कर विकसित देशों को टक्कर देते हुए एक महाशक्ति के रूप में उदय भारत की यह राह आसान नही थी.

भारत ने आजादी के पश्चात विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग नीतियाँ अपनाई चाहे वो राष्ट्रीकरण की हो, हरित क्रांति, उदारीकरण एवं निजीकरण के विषय हो या शीत युद्ध काल में गुटनिरपेक्षता के रूप में विश्व शांति व राष्ट्र प्रगति के विषय में स्वयं को केन्द्रित करने की चाह ने आज भारत को एक तेजी से उभरती हुई सुपरपॉवर के रूप में खड़ा किया हैं.

भले ही भारत ने अंतर्राष्ट्रीय महत्व के निर्णयों को देरी से उठाया हो, मगर सोच समझकर उठाए गये इन कदमों की बदौलत ही आज भारत जैसे देश जिनकी जनसंख्या विश्व की दूसरी बड़ी आबादी के विकास के साथ साथ इसे एक समस्या न समझकर विकास का हथियार बनाकर, अधिक उत्पादन तथा कम लागत व मजदूरी की निति के चलते विकास के नए आयामों को स्थापित करने में सफलता अर्जित की हैं.

आज से तक़रीबन 30 साल पहले तक भारत को सुरक्षा, तकनीक तथा कई अन्य विषयों पर विदेशी सहायता तथा आयात के लिए हाथ फैलाना पड़ता था.

मगर इसी समय के दौरान भारत ने इसी समय पिछड़े व विकासशील देशों के नेता व सच्चे हितेषी व परामर्शदाता की भूमिका का निर्वहन किया था. इसी के चलते भारत को इन देशों ने अपना प्रतिद्वंदी न समझते हुए परम मित्र के रूप में समझा.

ब्राजील जैसे राष्ट्र एक दशक में विकास की दृष्टि से भारत से कहीं आगे थे. मगर 1992 में उदारीकरण एवं निजीकरण की निति ने वैश्विक नजारा बदल कर रखा दिया, अब तक भारत को जनसंख्या के बोझ से दबा व पीछा देश माना जाता था.

इन्ही नीतियों के सकारात्मक परिणामों की बदौलत भारत अब एक उभरती हुई शक्ति के रूप में उभर रहा हैं. अब चीन ही भारत का प्रतिद्वंदी नजर आता हैं. भविष्य में भारत को विकास, तकनीक, सुरक्षा जैसे अहम विषयों पर चीनियों से मुकाबला होना संभावित हैं.

इसके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्य के रूप में देखा जा रहा हैं. भारत ने उदारीकरण यानि वर्ल्ड के लिए ओपन डोर की निति ९० के दशक में अपनाई थी, चीन ने भारत से ठीक एक दशक पूर्व इसे अपनाया था, जिसका लाभ उन्हें मिला.

आज के समय में जापान, फ़्रांस, रूस तथा सुपर पॉवर अमेरिका जैसे देश भी चीन में निवेश करने से पूर्व हजारों बार सोचते हैं, चीनी बाजार की अनिश्चिंतता तथा श्रम व लागत में वृद्धि के चलते भविष्य में चीनी बाजार अर्थव्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं.

वही आज भारत को विश्व के अधिकांश देश व कम्पनियां एक बड़े बाजार के रूप में देख रहे हैं. हर देश आज भारत के साथ आर्थिक संबंध स्थापित करने को ललायित हैं. पिछले ५-६ सालों के दौरान मोदी सरकार के कार्यकाल में पूरे विश्व का भारत के प्रति आकर्षण बढ़ा हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राष्ट्रों व सुपरपॉवर के साथ भारत के अच्छे रिश्ते बनाने की पहल की हैं. जिससे चीन सहित अन्य हमारे प्रतिद्वंदी चिंतित हैं.

भारत में विदेशी कम्पनिओं को निवेश से जरा भी भय नहीं रहता हैं, क्योंकि भारत वो महाशक्ति हैं जहाँ विश्व के सभी देश आर्थिक मंदी से गुजर रहे होते हैं. भारत अपनी विकास दर के मुताबिक़ आगे बढ़ रहा होता हैं.

top developing countries list में  china gdp growth rate  6.7 के साथ पन्द्रहवें स्थान पर हैं जबकि  india gdp growth rate तक़रीबन 7.5 हैं.  largest economies in the world 2050 तक भारत इसी गति से चला तो आस-पास कोई भी देश नजर नहीं आएगा.

दूसरी तरफ एक अरब 25 करोड़ की जनसंख्या वाला भारत आज विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं. भारत ने विकास दर के नये नये रिकॉर्ड स्थापित किये हैं. भारत विजन 2020 इस दिशा में अहम पहल हैं. भारत एक ऐसे दौर से गुजर रहा हैं वो अभूतपूर्व हैं.

आयात की क्षमता रखने वाले देशों में भारत अग्रणी राष्ट्र हैं. हाल ही के वर्षों में हमने सूचना प्रोद्योगिकी, दूरसंचार और व्यापार आउटसोर्सिंग के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई हैं. इसमें कोई शक नहीं हैं, कि भारत एक उभरती हुई शक्ति हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा और अब डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा हैं, कि भारत अब एक उभरती हुई शक्ति नही बल्कि एक सुपरपॉवर राष्ट्र हैं. भारत परमाणु शक्ति के मामले में तीसरा बड़ा राष्ट्र हैं.

इसी साल रूस, अमेरिका तथा फ्रास जैसे देशों के साथ भारत के व्यापारिक समझौतों ने इस बात पर मुहर लगा दी हैं कि भारत एक उभरती हुई शक्ति हैं.

इन विदेशी निवेश से भारत के लोगो को रोजगार तो मिलेगा ही साथ ही उनके जीवन स्तर में भी बड़ा बदलाव आएगा. आज के वैश्विक परिद्रश्य में भारत एक याचक राष्ट्र की भूमिका से बड़े राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा होने वाला देश बन चुका हैं. चाहे मित्र हो या दुश्मन, पड़ोसी हो या दूसरे द्वीप के राष्ट्र आज भारत की अवहेलना नहीं कर सकता.

21 वी सदी में अब भारत एशिया ही नही विश्व नायक के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा हैं. चीन व पाकिस्तान को छोड़कर विश्व के लगभग सभी देश भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थायी प्रतिनिधित्व का समर्थन करते हैं.

आज अमेरिका जैसे देश की सभी बड़ी बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियों के मालिक व महत्वपूर्ण अधिकारी भारतीय अमेरिकी हैं. लक्ष्मी निवास मित्तल हो या मुकेश अंबानी इस देश के बड़े कारोबारी हैं,

जो भारत सहित विश्व की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने वाले मुख्य फैक्टर हैं. इन्होंने देश में रहकर तकनीकी तथा अन्य सरंचनातमक ढाँचे में मजबूती देकर राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की हैं.

  • आधुनिक भारत पर निबंध 
  • स्वस्थ भारत पर निबंध
  • भारत पर निबंध
  • भारत की विविधता पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों भारत एक उभरती हुई शक्ति पर निबंध Essay on Emergence of India as a Super Power in Hindi का यह निबंध आपको पसंद आया होगा.

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विकास पथ पर भारत निबंध – Development Of India Essay In Hindi

Hindi Essay प्रत्येक क्लास के छात्र को पढ़ने पड़ते है और यह एग्जाम में महत्वपूर्ण भी होते है इसी को ध्यान में रखते हुए hindilearning.in में आपको विस्तार से essay को बताया गया है |

Table of Contents

विकास पथ पर भारत निबंध – (Essay On Development Of India In Hindi)

  • प्रस्तावना,
  • विकास के विभिन्न सोपान,
  • विकास में बाधक तत्त्व,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

विकास पथ पर भारत निबंध – Vikaas Path Par Bhaarat Nibandh

प्रस्तावना– 15 अगस्त 1947 को सैकड़ों वर्षों के दमन, अत्याचार, शोषण और पराधीनता के. कुत्सित पंक से एक पंकज प्रस्फुटित हुआ था–’स्वतन्त्र–भारत’; स्वतन्त्र और स्वाभिमान से गर्वोन्नत भारत, विश्वभर के स्वाधीनता संग्रामों की आशाओं का आकाश–दीप भारत। तब से आज तक हमारा भारत निरन्तर विकास के पथ पर अग्रसर हो रहा है। आज हमारे राजनेता भारत को शीघ्र ही महाशक्ति बनाने का सपना देखने लगे हैं।

विकास के विभिन्न सोपान–देश के विकास के विभिन्न सोपानों को निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है-

भोजन, वस्त्र और आवास के क्षेत्र में– कभी देश को बाहर से अन्न का आयात करना पड़ता था, आज हरित क्रान्ति के बल पर हम अनाज निर्यात करने की स्थिति में आ गये हैं। वस्त्रों का निर्यात भी हो रहा है। भवन–निर्माण की सामग्री देश में उपलब्ध है। कॉलोनियों का अबाध विस्तार हो रहा है।

चिकित्सा के क्षेत्र में स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में भी देश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। स्वास्थ्य केन्द्र तथा चिकित्सालयों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। अनेक जटिल तथा असाध्य रोगों की चिकित्सा अब देश में उपलब्ध है।

अफ्रीका और अरब देशों के नागरिक अब यूरोप के स्थान पर भारत आकर चिकित्सा कराना उचित समझते हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में– अशिक्षा के कलंक को मिटाने का भी देश में अथक प्रयास हुआ है। प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य कर दी गई है। प्रौढ़–शिक्षा जैसे आन्दोलन भी चलते रहे हैं। शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने का कानून पारित हो चुका है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारा भारत वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी दृष्टि से भी विश्व के अनेक विकसित देशों की श्रेणी में आ गया है। साइकिल से लेकर अन्तरिक्ष यान तक देश में बन रहे हैं। परमाणु विज्ञान, धातु विज्ञान, अन्तरिक्ष अनुसन्धान, सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, शस्य विज्ञान आदि पर निरन्तर अनुसन्धान हो रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी में तो भारत ने सारे विश्व में अपनी धाक जमा ली है।

हमारी अनेक कम्पनियाँ विदेशों में नामी कम्पनियों का अधिग्रहण कर रही हैं। टाटा स्टील द्वारा कोरस का अधिग्रहण इस दिशा में उल्लेखनीय है। सॉफ्टवेयर व्यवसाय में तो भारत की धूम मची हुई है। निर्यात व्यापार में भी उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। विदेशी मुद्रा भण्डार निरन्तर बढ़ता जा रहा है।

सुरक्षा के क्षेत्र में सुरक्षा के क्षेत्र में भी भारत अब किसी से पीछे नहीं है। परम्परागत तथा नवीनतम अस्त्र–शस्त्रों का निर्माण देश में हो रहा है। टैंक, रडार, मिसाइल, लड़ाकू यान, ‘पृथ्वी’, ‘त्रिशूल’, ‘अग्नि’ आदि प्रक्षेपास्त्रों का विकास देश को सुरक्षा के प्रति आश्वस्त बना रहा है। हम विश्व की परमाणु शक्ति बन चुके हैं। अमेरिका से हुआ परमाणु–समझौता उल्लेखनीय है। अग्नि 5 मिसाइल का सफल परीक्षण भारत की बढ़ती सुरक्षा व्यवस्था का प्रमाण है।

आर्थिक क्षेत्र में देश का शेयर बाजार आत्मविश्वास से परिपूर्ण है। गत वर्षों में आर्थिक प्रगति 8 से 10 प्रतिशत रही है। विदेशी पूँजी का निवेश निरन्तर बढ़ रहा है। ये सारे मानदण्ड देश के विकास को प्रमाणित करते हैं। जब अमेरिका और यूरोपीय देशों में मंदी तथा बेरोजगारी बढ़ रही है, भारत में विकास दर ठीक बनी रहने की उम्मीद है।

विकास में बाधक तत्व– विकास की उपर्युक्त छवि बड़ी मनमोहिनी है। किन्तु विकास का यह प्रकाश अभी देश के लाखों गाँवों तक पूरी तरह नहीं पहुँचा है। विकास के मार्ग में अनेक ऐसे बाधक तत्त्व हैं जो विकास की धारा को जन–जन तक नहीं पहुँचने देते। भ्रष्टाचार, जनसंख्या की वृद्धि, राष्ट्रीय भावना का क्षरण, जीवन–मूल्यों के प्रति अनादर, विदेशी षड्यन्त्र, बेरोजगारी, जातिवाद, साम्प्रदायिकता आदि कारक हैं, जो देश की प्रगति में बाधक बने हुए हैं।

उपसंहार– अन्त में यही कहा जा सकता है कि देश ने हर दिशा में विकास किया है। विश्व में भारत की विश्वसनीयता बढ़ी है, किन्तु अभी मंजिल दूर है। अर्थशास्त्रियों ने देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिये कुछ मूलमन्त्र सुझाए हैं किन्तु आज की कुटिल राजनीति, सत्ता–लोलुपता और जनता का दिग्भ्रमित रूप इसे साकार होने देंगे, इसमें सन्देह है।

दूसरे विषयों पर हिंदी निबंध लेखन: Click Here

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Economic Development of India | Hindi | Economics

developing india essay in hindi

Read this article in Hindi to learn about the economic development of India.

हम दैनिक जीवन में व्यक्ति को किसी न किसी काम पर जाते देखते हैं । कुछ व्यक्ति खेतों में, करखानों में, विभिन्न नागरिक सेवाओं (शिक्षा, स्वास्थ, साफ-सफाई, यातायात, सुरक्षा आदि) स्वतंत्र व्यवसाय अथवा उद्योग व्यापार में कार्य करते हैं । उपरोक्त कार्यों से उन्हें आय प्राप्त होती है ।

इस आय से व्यक्ति अपनी आवश्यकता की वस्तुएं खरीदते हैं । इस प्रकार कुछ व्यक्ति उत्पादन से तथा कुछ व्यक्ति सेवाओं से आय अर्जित करते हैं । यदि देश के सभी व्यक्तियों की आय को जोड़ दिया जाए तो प्राप्त योगफल को राष्ट्रीय आय कहेगें तथा इसे देश की जनसंख्या से भाग दिया जाए तो प्राप्त भागफल देश की प्रति व्यक्ति आय कहलाएगा ।

developing india essay in hindi

भारत में लोकतंत्र पर निबंध (Democracy in India Essay in Hindi)

भारत में लोकतंत्र

भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में जाना जाता है, जिस पर सदियों तक विभिन्न राजाओं, सम्राटों तथा यूरोपीय साम्राज्यवादीयों द्वारा शासन किया गया। भारत 1947 में अपनी आजादी के बाद एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया था। उसके बाद भारत के नागरिकों को वोट देने और अपने नेताओं का चुनाव करने का अधिकार मिला। भारत क्षेत्रफल के हिसाब से दुनियां का सातवां सबसे बड़ा देश और आबादी के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा देश है, इन्हीं कारणों से भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में भी जाना जाता है। 1947 में देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ था। हमारे देश में केंद्र और राज्य सरकार का चुनाव करने के लिए हर 5 साल में संसदीय और राज्य विधानसभा चुनाव आयोजित किए जाते हैं।

भारत में लोकतंत्र पर बड़े तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on Democracy in India in Hindi, Bharat me Loktantra par Nibandh Hindi mein)

भारत में लोकतंत्र पर निबंध – 1 (250 300 शब्द) – loktantra par nibandh.

भारत की शासन प्रणाली लोकतांत्रिक है। यहाँ भारत की जनता अपना मुखिया स्वयं चुनती है। भारत में प्रत्येक नागरिक को वोट देने और उनकी जाति, रंग, पंथ, धर्म या लिंग के बावजूद अपनी इच्छा से अपने नेताओं का चयन करने की अनुमति प्रदान करता है।

लोकतंत्र का प्रभाव

भारत में लोकतंत्र का मतलब केवल वोट देने का अधिकार ही नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक समानता को भी सुनिश्चित करना है। सरकार को लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए निरक्षरता, गरीबी, सांप्रदायिकता, जातिवाद के साथ-साथ लैंगिग भेदभाव को खत्म करने के लिए भी काम करना चाहिए। देश में सरकार आम लोगों द्वारा चुनी जाती है और यह कहना गलत नहीं होगा कि यह उनकी बुद्धि और जागरूकता है जिससे वे सरकार की सफलता या विफलता निर्धारित करतें हैं।

लोकतंत्र के घटक

भारतीय लोकतंत्र का एक संघीय रूप है जिसके अंतर्गत केंद्र में एक सरकार जो संसद के प्रति उत्तरदायी है तथा राज्य के लिए अलग-अलग सरकारें हैं जो उनके विधानसभाओं के लिए समान रूप से जवाबदेह हैं। भारत के कई राज्यों में नियमित अंतराल पर चुनाव आयोजित किए जाते हैं। इन चुनावों में कई पार्टियां केंद्र तथा राज्यों में जीतकर सरकार बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा करती हैं।

लोकतंत्र को विश्व के सबसे अच्छे शासन प्रणाली के रुप में जाना जाता है, यही कारण है कि हमारे देश के संविधान निर्माताओं और नेताओं ने शासन प्रणाली के रुप में लोकतांत्रिक व्यवस्था का चयन किया। हमें अपने देश के लोकतंत्र को और भी मजबूत करने की आवश्यकता है।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Democracy in Hindi

निबंध 2 (400 शब्द)

लोकतंत्र से तात्पर्य लोगों के द्वारा, लोगों के लिए चुनी सरकार से है। लोकतांत्रिक राष्ट्र में नागरिकों को वोट देने और उनकी सरकार का चुनाव करने का अधिकार प्राप्त होता है। लोकतंत्र को विश्व के सबसे अच्छे शासन प्रणाली के रुप में जाना जाता है, यही कारण है कि आज विश्व के अधिकतम देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू है।

भारतीय लोकतंत्र की विशेषताएं

वर्तमान समय में भारत दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है। मुगलों, मौर्य, ब्रिटिश और अन्य कई शासकों द्वारा शताब्दियों तक शासित होने के बाद भारत आखिरकार 1947 में आजादी के बाद एक लोकतांत्रिक देश बना। इसके बाद देश के लोगों को, जो कई सालों तक विदेशी शक्तियों के हाथों शोषित हुए, अंत में वोटों के द्वारा अपने स्वयं के नेताओं को चुनने का अधिकार प्राप्त हुआ। भारत में लोकतंत्र केवल अपने नागरिकों को वोट देने का अधिकार प्रदान करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक समानता के प्रति भी काम कर रहा है।

भारत में लोकतंत्र पांच लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर काम करता है:

  • संप्रभु: इसका मतलब भारत किसी भी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप या नियंत्रण से मुक्त है।
  • समाजवादी: इसका मतलब है कि सभी नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।
  • धर्मनिरपेक्षता: इसका अर्थ है किसी भी धर्म को अपनाने या सभी को अस्वीकार करने की आजादी।
  • लोकतांत्रिक: इसका मतलब है कि भारत सरकार अपने नागरिकों द्वारा चुनी जाती है।
  • गणराज्य: इसका मतलब यह है कि देश का प्रमुख एक वंशानुगत राजा या रानी नहीं है।

भारत में लोकतंत्र कैसे कार्य करता है

18 वर्ष से अधिक आयु का हर भारतीय नागरिक भारत में वोट देने का अधिकार का उपयोग कर सकता है। मतदान का अधिकार प्रदान करने के लिए किसी व्यक्ति की जाति, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता है। भारत में कई पार्टियाँ है जिनके उम्मीदवार उनकी तरफ से चुनाव लड़ते हैं जिनमें प्रमुख है भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- मार्क्सिस्ट (सीपीआई-एम), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) आदि। उम्मीदवारों को वोट देने से पहले जनता इन पार्टियों या उनके प्रतिनिधियों के आखिरी कार्यकाल में किये गये कार्यों का मूल्यांकन करते हुए, अपना मतदान करती है।

सुधार के लिए क्षेत्र

भारतीय लोकतंत्र में सुधार की बहुत गुंजाइश है इसके सुधार के लिए ये कदम उठाए जाने चाहिए:

  • गरीबी उन्मूलन
  • साक्षरता को बढ़ावा देना
  • लोगों को वोट देने के लिए प्रोत्साहित करना
  • लोगों को सही उम्मीदवार चुनने के लिए शिक्षित करना
  • बुद्धिमान और शिक्षित लोगों को नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना
  • सांप्रदायिकता का उन्मूलन करना
  • निष्पक्ष और जिम्मेदार मीडिया सुनिश्चित करना
  • निर्वाचित सदस्यों के कामकाज की निगरानी करना
  • लोकसभा तथा विधानसभा में ज़िम्मेदार विपक्ष का निर्माण करना

हालांकि भारत में लोकतंत्र को अपने कार्य के लिए दुनिया भर में सराहा जाता है पर फिर भी इसमें सुधार के लिए अभी भी बहुत गुंजाइश है। देश में लोकतंत्र कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करने के लिए ऊपर बताए क़दमों को प्रयोग में लाया जा सकता है।

निबंध 3 (500 शब्द)

लोकतांत्रिक राष्ट्र एक ऐसा राष्ट्र होता है जहां नागरिक अपने चुनाव करने के अधिकार को इस्तेमाल करके अपनी सरकार चुनते हैं। लोकतंत्र को कभी-कभी “बहुमत के शासन” के रूप में भी जाना जाता है। दुनिया भर के कई देश लोकतांत्रिक सरकारे है लेकिन अपने विशेषताओं के कारण भारत को दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में जाना जाता है।

भारत में लोकतंत्र का इतिहास

भारत पर मुगल से मौर्यों तक कई शासकों ने शासन किया। उनमें से प्रत्येक के पास लोगों को शासित करने की अपनी अलग शैली थी। 1947 में अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया था। उस समय के भारत के लोग, जिन्होंने अंग्रेजों के हाथों काफी अत्याचारों का सामना किया था, उन्हें आजादी के बाद पहली बार वोट करने और खुद की सरकार चुनने का अवसर प्राप्त हुआ।

भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांत

संप्रभु एक ऐसी इकाई को संदर्भित करता है जो किसी भी विदेशी शक्ति के नियंत्रण से मुक्त होता है। भारत के नागरिक अपने मंत्रियों का चुनाव करने के लिए सर्वभौमिक शक्ति का इस्तेमाल करते हैं।

समाजवादी का मतलब है भारत के सभी नागरिकों को जाति, रंग, पंथ, लिंग और धर्म को नज़रंदाज़ करके सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।

धर्म निरपेक्षता

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि अपनी पसंद से किसी भी धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता। हमारे देश में कोई आधिकारिक धर्म नहीं है।

लोकतांत्रिक

लोकतांत्रिक का मतलब है कि भारत सरकार अपने नागरिकों द्वारा चुनी जाती है। किसी भी भेदभाव के बिना सभी भारतीय नागरिकों को वोट देने का अधिकार दिया गया है ताकि वे अपनी पसंद की सरकार चुन सकें।

देश का प्रमुख एक वंशानुगत राजा या रानी नहीं है। वह लोकसभा और राज्यसभा द्वारा चुना जाता है जहाँ के प्रतिनिधि खुद जनता द्वारा चुने गयें हैं।

भारत में लोकतंत्र की कार्यवाही

18 वर्ष से अधिक आयु के भारत के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है। भारत का संविधान किसी से भी अपनी जाति, रंग, पंथ, लिंग, धर्म या शिक्षा के आधार पर भेदभाव नहीं करता है।

भारत में कई पार्टियाँ राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ती है जिनमें प्रमुख है – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- मार्क्सिस्ट (सीपीआई-एम), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा)। इनके अलावा कई क्षेत्रीय पार्टियां हैं जो राज्य विधायिकाओं के लिए चुनाव लड़ती हैं। चुनावों को समय-समय पर आयोजित किया जाता है और लोग अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए मतदान करने के अपने अधिकार का उपयोग करते हैं। सरकार लगातार अच्छे प्रशासन को चुनने के लिए अधिक से अधिक लोगों को वोट देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

भारत में लोकतंत्र का मकसद केवल लोगों को वोट देने का अधिकार देने के लिए नहीं बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों में समानता सुनिश्चित करना भी है।

भारत में लोकतंत्र के कार्य में रुकावटें

हालांकि चुनाव सही समय पर हो रहें हैं और भारत में लोकतंत्र की अवधारणा का एक व्यवस्थित दृष्टिकोण से पालन किया जाता है लेकिन फ़िर भी देश में लोकतंत्र के सुचारु कामकाज में कई बाधाएं हैं। इसमें निरक्षरता, लिंग भेदभाव, गरीबी, सांस्कृतिक असमानता, राजनीतिक प्रभाव, जातिवाद और सांप्रदायिकता शामिल है। ये सभी कारक भारत में लोकतंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

हालाँकि भारत लोकतंत्र की विश्व भर में सराहना की जाती है लेकिन अभी भी इसे सुधार का काफी लंबा सफर तय करना है। भारत में लोकतंत्र के कामकाज पर असर डालने वाली अशिक्षा, गरीबी, लैंगिग भेदभाव और सांप्रदायिकता जैसी कारकों को समाप्त करने की आवश्यकता है ताकि देश के नागरिक सही मायनों में लोकतंत्र का आनंद ले सकें।

निबंध 4 (600 शब्द)

1947 में ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त होने के बाद भारत में लोकतंत्र का गठन किया गया था। इससे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का जन्म हुआ। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रभावी नेतृत्व के कारण ही भारत के लोगों को वोट देने और उनकी सरकार का चुनाव करने का अधिकार प्राप्त हुआ।

इस समय भारत में सात राष्ट्रीय पार्टियाँ हैं जो इस प्रकार हैं – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (एनसीपी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- मार्क्सिस्ट (सीपीआई- एम), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा)। इन के अलावा कई क्षेत्रीय पार्टियां राज्य विधानसभा चुनावों के लिए लड़ती हैं। भारत में संसद और राज्य विधानसभाओं का चुनाव हर 5 सालों में होता है।

भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांत इस प्रकार हैं:

संप्रभु का मतलब है स्वतंत्र – किसी भी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप या नियंत्रण से मुक्त। देश को चलने वाली सरकार नागरिकों द्वारा एक निर्वाचित सरकार है। भारतीय नागरिकों की संसद, स्थानीय निकायों और राज्य विधानमंडल के लिए किए गए चुनावों द्वारा अपने नेताओं का चुनाव करने की शक्ति है।

समाजवादी का अर्थ है देश के सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता। लोकतांत्रिक समाजवाद का अर्थ है विकासवादी, लोकतांत्रिक और अहिंसक साधनों के माध्यम से समाजवादी लक्ष्यों को प्राप्त करना। धन की एकाग्रता कम करने तथा आर्थिक असमानता को कम करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।

इसका अर्थ है कि धर्म का चयन करने का अधिकार और स्वतंत्रता। भारत में किसी को भी किसी भी धर्म का अभ्यास करने या उन सभी को अस्वीकार करने का अधिकार है। भारत सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है और उनके पास कोई आधिकारिक राज्य धर्म नहीं है। भारत का लोकतंत्र किसी भी धर्म को अपमान या बढ़ावा नहीं देता है।

इसका मतलब है कि देश की सरकार अपने नागरिकों द्वारा लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित हुई है। देश के लोगों को सभी स्तरों (संघ, राज्य और स्थानीय) पर अपनी सरकार का चुनाव करने का अधिकार है। लोगों के वयस्क मताधिकार को ‘एक आदमी एक वोट’ के रूप में जाना जाता है। मतदान का अधिकार किसी भी भेदभाव के बिना रंग, जाति, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर दिया जाता है। न सिर्फ राजनीतिक बल्कि भारत के लोग सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र का भी आनंद लेते हैं।

राज्य का मुखिया आनुवंशिकता राजा या रानी नहीं बल्कि एक निर्वाचित व्यक्ति है। राज्य के औपचारिक प्रमुख अर्थात् भारत के राष्ट्रपति, पांच साल की अवधि के लिए चुनावी प्रक्रिया द्वारा (लोकसभा तथा राज्यसभा) द्वारा चुने जाते हैं जबकि कार्यकारी शक्तियां प्रधान मंत्री में निहित होती हैं।

भारतीय लोकतंत्र द्वारा सामना किए जाने वाले चुनौतियां

संविधान एक लोकतांत्रिक राज्य का वादा करता है और भारत के लोगों को सभी प्रकार के अधिकार के प्रदान करता हैं। कई कारक हैं जो भारतीय लोकतंत्र को प्रभावित करने का कार्य करते हैं तथा इसके लिए एक चुनौती बन गए है। इन्ही में से कुछ निम्नलिखित कारको के विषय में नीचे चर्चा की गयी है।

लोगों की निरक्षरता सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है जो कि भारतीय लोकतंत्र की शुरूआत के बाद से हमेशा सामने आती रही है। शिक्षा लोगों को बुद्धिमानी से वोट देने के अपने अधिकार का उपयोग करने में सक्षम बनाती है।

गरीब और पिछड़े वर्गों के लोगों से आम तौर पर हमेशा ही राजनीतिक दलों द्वारा छेड़छाड़ की जाती है। राजनीतिक दल उनसे अक्सर वोट प्राप्त करने के लिए रिश्वत तथा अन्य प्रकार के प्रलोभन देते हैं।

इनके अलावा, जातिवाद, लिंगभेद, सांप्रदायिकता, धार्मिक कट्टरवाद, राजनीतिक हिंसा और भ्रष्टाचार जैसे कई अन्य कारक हैं जो भारत में लोकतंत्र के लिए एक चुनौती बन गये है।

भारत के लोकतंत्र की दुनिया भर में काफी प्रशंसा की जाती है। देश के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार उनके जाति, रंग, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर किसी भी भेदभाव के बिना दिया गया है। देश के विशाल सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई विविधता लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसके साथ ही आज के समय में लोगों के बीच का यह मतभेद एक गंभीर चिंता का कारण बन गया है। भारत में लोकतंत्र के सुचारु कार्य को सुनिश्चित करने के लिए हमें इन विभाजनकारी प्रवृत्तियों को रोकने की आवश्यकता है।

Essay on Democracy in India in Hindi

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Essay on India For Students and Children

500+ words essay on india.

India is a great country where people speak different languages but the national language is Hindi. India is full of different castes, creeds, religion, and cultures but they live together. That’s the reasons India is famous for the common saying of “ unity in diversity “. India is the seventh-largest country in the whole world.

Geography and Culture

India has the second-largest population in the world. India is also knowns as Bharat, Hindustan and sometimes Aryavart. It is surrounded by oceans from three sides which are Bay Of Bengal in the east, the Arabian Sea in the west and Indian oceans in the south. Tiger is the national animal of India. Peacock is the national bird of India. Mango is the national fruit of India. “ Jana Gana Mana ” is the national anthem of India . “Vande Mataram” is the national song of India. Hockey is the national sport of India. People of different religions such as Hinduism, Buddhism , Jainism, Sikhism, Islam, Christianity and Judaism lives together from ancient times. India is also rich in monuments, tombs, churches, historical buildings, temples, museums, scenic beauty, wildlife sanctuaries , places of architecture and many more. The great leaders and freedom fighters are from India.

F lag of India

The indian flag has tricolors.

The first color that is uppermost color in the flag which is the saffron color, stands for purity. The second color i.e. the middle color in the flag is the white color and it stands for peace. The third color that is the lowest color in the flag is the green color and it stands for fertility. The white color has an Ashoka Chakra of blue color on it. Ashoka Chakra contains twenty-four spokes which are equally divided. India has 29 states and 7 union territories.

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My Favorite States from India are as follows –

Rajasthan itself has a glorious history. It is famous for many brave kings, their deeds, and their art and architecture. It has a sandy track that’s why the nuclear test was held here. Rajasthan is full of desert, mountain range, lakes, dense forest, attractive oases, and temples, etc. Rajasthan is also known as “Land Of Sacrifice”. In Rajasthan, you can see heritage things of all the kings who ruled over there and for that, you can visit Udaipur, Jodhpur, Jaisalmer, Chittaurgarh, etc.

Madhya Pradesh

Madhya Pradesh is bigger than a foreign (Italy) country and smaller than Oman. It also has tourists attractions for its places. In Madhya Pradesh, you can see temples, lakes, fort, art and architecture, rivers, jungles, and many things. You can visit in Indore, Jabalpur, Ujjain, Bhopal, Gwalior and many cities. Khajuraho, Sanchi Stupa, Pachmarhi, Kanha national park, Mandu, etc. are the places must visit.

Jammu and Kashmir

Jammu and Kashmir are known as heaven on earth . We can also call Jammu and Kashmir as Tourists Paradise. There are many places to visit Jammu and Kashmir because they have an undisturbed landscape, motorable road, beauty, lying on the banks of river Jhelum, harmony, romance, sceneries, temples and many more.

In Jammu and Kashmir, u can enjoy boating, skiing, skating, mountaineering, horse riding, fishing, snowfall, etc. In Jammu and Kashmir, you can see a variety of places such as Srinagar, Vaishnav Devi, Gulmarg, Amarnath, Patnitop, Pahalgam, Sonamarg, Lamayuru, Nubra Valley, Hemis, Sanasar,  Anantnag,  Kargil, Dachigam National Park, Pulwama, Khilanmarg, Dras, Baltal, Bhaderwah, Pangong Lake, Magnetic Hill, Tso Moriri, Khardung La, Aru Valley, Suru Basin,Chadar Trek, Zanskar Valley, Alchi Monastery, Darcha Padum Trek, Kishtwar National Park, Changthang Wildlife Sanctuary, Nyoma, Dha Hanu, Uleytokpo, Yusmarg, Tarsar Marsar Trek and many more.

It is known as the ‘God’s Own Country’, Kerala is a state in India, situated in the southwest region, it is bordered by a number of beaches; covered by hills of Western Ghats and filled with backwaters, it is a tourist destination attracting people by its natural beauty. The most important destinations which you can see in Kerela are the museum, sanctuary, temples, backwaters, and beaches. Munnar, Kovalam, Kumarakom, and Alappad.

India is a great country having different cultures, castes, creed, religions but still, they live together. India is known for its heritage, spices, and of course, for people who live here. That’s the reasons India is famous for the common saying of “unity in diversity”. India is also well known as the land of spirituality , philosophy, science, and technology.

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  • Environmental Studies /

Sustainable Development in Hindi : जानिए सतत विकास क्या है?

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  • Updated on  
  • जनवरी 15, 2024

Sustainable Development in Hindi

सतत विकास का कांसेप्ट दशकों से है और एक आधुनिक कांसेप्ट के रूप में, इसे मूल रूप से 1987 में ब्रुंटलैंड रिपोर्ट द्वारा आगे लाया गया था। इसे केवल विकास के रूप में परिभाषित किया गया था जो भविष्य की क्षमता से समझौता किए बिना वर्तमान दुनिया की जरूरतों को पूरा करता है। सतत विकास को पांच मार्गदर्शक सिद्धांतों के माध्यम से सरल बनाया जा सकता है, अर्थात पर्यावरणीय सीमाओं के भीतर रहना, एक मजबूत, स्वस्थ और न्यायपूर्ण समाज सुनिश्चित करना, एक स्थायी अर्थव्यवस्था प्राप्त करना, सुशासन को बढ़ावा देना और एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में इनफार्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग करना। यह Sustainable Development in Hindi का यह ब्लॉग इस बात पर गहराई से विचार करता है कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट का कांसेप्ट क्या है, यह महत्वपूर्ण क्यों है और साथ ही इसके प्रमुख प्रकार और लाभ भी।

This Blog Includes:

सतत विकास किसे कहते हैं, सस्टेनेबल डेवलपमेंट की विशेषताएं, आर्थिक स्थिरता, सामाजिक स्थिरता, सांस्कृतिक स्थिरता, सस्टेनेबल डेवलपमेंट का महत्व, सतत विकास के उदाहरण.

जैसा कि शब्द सरलता से बताता है, Sustainable Development in Hindi का उद्देश्य भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों की अनदेखी न करते हुए वर्तमान मांगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के बीच संतुलन लाना है। यह दुनिया के विभिन्न पहलुओं के विकास की दिशा में काम करने के लिए मनुष्य के उद्देश्य के साथ प्रकृति की आवश्यकताओं को स्वीकार करता है। इसके अलावा, सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर अपने निबंध में, आपको यह उल्लेख करना चाहिए कि यह कांसेप्ट कैसे समझती है कि विकास और विकास समावेशी होने के साथ-साथ पर्यावरण की दृष्टि से भी सुदृढ़ होना चाहिए ताकि गरीबी कम हो और विश्व की आबादी के लिए साझा समृद्धि आए। इसका उद्देश्य संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करना है, साथ ही मानव, ग्रह के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए तत्काल और दीर्घकालिक लक्ष्यों की पूर्ति की योजना बनाना भी है।

Sustainable Development in Hindi के लक्ष्यों को पहली बार 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों द्वारा अपनाया गया था। सस्टेनेबल डेवलपमेंट कांसेप्ट का उद्देश्य प्रोडक्ट्स और सेवाओं के उपयोग को इस तरह से प्रोत्साहित करना है जो पर्यावरण पर प्रभाव को कम करता है और मानव को संतुष्ट करने के लिए संसाधनों का अनुकूलन करता है। जरूरत है। यह समझने के लिए कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट समय की आवश्यकता क्यों है, निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर एक नज़र डालें जो इसके महत्व को स्पष्ट करते हैं-

  • गैर-प्रदूषणकारी नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों का विकास
  • जनसंख्या स्थिरीकरण
  • एकीकृत भूमि उपयोग योजना
  • स्वस्थ फसल भूमि और घास का मैदान
  • वुडलैंड और सीमांत भूमि का पुन: वनस्पति
  • जैविक विविधता का संरक्षण
  • जल और वायु में प्रदूषण का नियंत्रण
  • कचरे और अवशेषों का पुनर्चक्रण
  • पारिस्थितिक रूप से अनुकूल मानव बस्तियाँ
  • पर्यावरण शिक्षा और सभी स्तरों पर जागरूकता

सस्टेनेबल डेवलपमेंट के तीन स्तंभ

Sustainable Development in Hindi का कांसेप्ट तीन मुख्य स्तंभों में निहित है जिसका उद्देश्य समावेशी विकास प्राप्त करना और साथ ही वर्तमान पीढ़ी के लिए साझा समृद्धि बनाना और भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करना जारी रखना है। ये तीन स्तंभ आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण विकास हैं और आपस में जुड़े हुए हैं और सामुदायिक विकास और सामाजिक और पर्यावरणीय स्थिरता के लक्ष्यों को दर्शाते हैं। आइए इन स्थायी विकास के स्तंभों को और विस्तार से देखें-

आर्थिक स्थिरता उन गतिविधियों को बढ़ावा देने का प्रयास करती है जिनके माध्यम से समुदाय के पर्यावरणीय, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर नेगेटिव प्रभाव डाले बिना लॉन्ग-टर्म आर्थिक विकास प्राप्त किया जा सकता है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट का कांसेप्ट के लिए एक प्रमुख सूत्रधार के रूप में, आर्थिक स्थिरता के बुनियादी मूल तत्व इस प्रकार हैं:

  • पर्यावरणीय दृष्टि से विश्व में भूख और गरीबी के लिए प्रभावी समाधान खोजना।
  • अर्थशास्त्र इस बात का अध्ययन है कि समाज अपने संसाधनों (पानी, वायु, भोजन, ईंधन, आदि) का उपयोग कैसे करता है और जब इसे स्टेनेबल डेवलपमेंट के कांसेप्ट के साथ जोड़ा जाता है, तो यह आर्थिक विकास प्राप्त करने पर केंद्रित होता है जो केवल टिकाऊ होता है और साथ ही साथ हमारे जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है और वातावरण;
  • आर्थिक स्थिरता को तीन सामान्य श्रेणियों में बांटा गया है ताकि स्टेनेबल डेवलपमेंट, यानी मूल्य और मूल्यांकन, नीतिगत साधन और गरीबी और पर्यावरण शामिल हो।

सामाजिक स्थिरता सामाजिक जिम्मेदारी का एक रूप है जो महत्वपूर्ण रूप से तब होता है जब किसी समुदाय के स्थिर और अस्थिर फैक्टर्स को समाप्त संसाधनों के रेस्टोरेशन की आवश्यकता होती है। यह सामाजिक वातावरण के साथ भौतिक पर्यावरण के डिजाइन को जोड़ती है और एक समुदाय में विभिन्न वर्गों की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करती है और कमजोर वर्ग को सही बुनियादी ढांचा और आवश्यक सहायता प्रदान करने पर विशेष जोर देती है। यह सस्टेनेबल डेवलपमेंट के कांसेप्ट को समझने में शामिल एक अन्य पैरामीटर है और सामाजिक स्थिरता के प्रमुख बुनियादी सिद्धांत हैं-

  • व्यवस्थित सामुदायिक भागीदारी
  • सरकार सहित मजबूत नागरिक समाज
  • ईमानदारी के आम तौर पर स्वीकृत मानक (सहिष्णुता, करुणा, सहनशीलता, प्रेम)
  • लैंगिक समानता

संस्कृति सस्टेनेबल डेवलपमेंट के कांसेप्ट के मुख्य घटकों में से एक है। सांस्कृतिक अधिकारों के महत्व और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के बारे में बढ़ती जागरूकता से सांस्कृतिक स्थिरता की आवश्यकता उत्पन्न होती है। कुछ प्रमुख कारक जिन पर सांस्कृतिक स्थिरता आधारित है, वे हैं-

  • सुसंस्कृत व्यक्ति : मन की एक विकसित स्थिति के परिणामस्वरूप समुदायों के बीच जागरूकता बढ़ सकती है जो सार्वभौमिक मानव अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विविधता की रक्षा और बढ़ावा देगी।
  • वैश्वीकरण : विभिन्न देशों में फैली विविध संस्कृतियों के साथ, बहुसांस्कृतिक राष्ट्रों के उदय के साथ-साथ उनके सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों को संबोधित करने के लिए वैश्वीकरण के प्रभावों पर अनिवार्य रूप से चर्चा करने की आवश्यकता है।

अब जब आप Sustainable Development in Hindi के कॉन्सेप्ट्स के इन तीन स्तंभों से परिचित हो गए हैं, तो उनके प्रमुख अंतरों पर एक नज़र डालें-

हम जिस पर्यावरण में रहते हैं उसके लिए जिम्मेदार होने के महत्व को ध्यान में रखते हुए सस्टेनेबल डेवलपमेंट विकास की दिशा में काम कर रहा है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट का मूल विचार कल की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आज के लिए काम करना है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट का महत्व यह है कि यह आने वाली पीढ़ियों की जरूरतों से समझौता किए बिना वर्तमान पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करता है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट हमें अपने संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करना सिखाता है। नीचे सूचीबद्ध कुछ बिंदु हैं जो हमें सस्टेनेबल डेवलपमेंट के महत्व को बताते हैं-

  • सतत कृषि विधियों पर ध्यान – सस्टेनेबल डेवलपमेंट महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आने वाली पीढ़ियों की जरूरतों का ख्याल रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि बढ़ती आबादी धरती माता पर बोझ न डालें। यह कृषि तकनीकों को बढ़ावा देता है जैसे फसल चक्रण और प्रभावी बीज बोने की तकनीक।
  • जलवायु को स्थिर करने का प्रबंधन करता है – हम जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग और जानवरों के प्राकृतिक आवास को मारने के कारण जलवायु परिवर्तन की समस्या का सामना कर रहे हैं। सस्टेनेबल डेवलपमेंट, टिकाऊ विकास प्रथाओं द्वारा जलवायु परिवर्तन को रोकने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। यह जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने को बढ़ावा देता है जो वातावरण को नष्ट करने वाली ग्रीनहाउस गैसों को छोड़ते हैं।
  • महत्वपूर्ण मानवीय आवश्यकताएं प्रदान करता है – सस्टेनेबल डेवलपमेंट भविष्य की पीढ़ियों के लिए बचत के विचार को बढ़ावा देता है और यह सुनिश्चित करता है कि संसाधन सभी को आवंटित किए जाएं। यह एक ऐसे बुनियादी ढांचे को विकसित करने के सिद्धांत पर आधारित है जिसे लंबे समय तक कायम रखा जा सकता है।
  • सतत जैव विविधता – यदि सस्टेनेबल डेवलपमेंट की प्रक्रिया का पालन किया जाता है, तो अन्य सभी जीवित जानवरों के घर और आवास समाप्त नहीं होंगे। चूंकि सस्टेनेबल डेवलपमेंट पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने पर केंद्रित है, यह जैव विविधता को बनाए रखने और संरक्षित करने में स्वचालित रूप से मदद करता है।
  • वित्तीय स्थिरता – जैसा कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट स्थिर विकास का वादा करता है, जीवाश्म ईंधन के उपयोग की तुलना में ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करके देशों की अर्थव्यवस्थाएं मजबूत हो सकती हैं, जिनमें से हमारे ग्रह पर केवल एक विशेष राशि है।

नीचे उल्लेखित सस्टेनेबल डेवलपमेंट के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। एक नज़र देख लो-

  • पवन ऊर्जा – पवन ऊर्जा आसानी से उपलब्ध होने वाला संसाधन है। यह एक मुफ्त संसाधन भी है। यह ऊर्जा का अक्षय स्रोत है और पवन की शक्ति का उपयोग करके जो ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है वह सभी के लिए फायदेमंद होगी। पवन चक्कियां ऊर्जा का प्रोडक्शन कर सकती हैं जिसका उपयोग हमारे लाभ के लिए किया जा सकता है। यह ग्रिड बिजली की लागत को कम करने का एक सहायक स्रोत हो सकता है और सस्टेनेबल डेवलपमेंट का एक अच्छा उदाहरण है। 
  • सौर ऊर्जा – सौर ऊर्जा, ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जो आसानी से उपलब्ध है और इसकी कोई सीमा नहीं है। सौर ऊर्जा का उपयोग कई चीजों को बदलने और करने के लिए किया जा रहा है जो पहले ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करके किए जा रहे थे। सोलर वॉटर हीटर इसका एक अच्छा उदाहरण हैं। यह एक ही समय में लागत प्रभावी और टिकाऊ है।
  • क्रॉप रोटेशन – बागवानी भूमि की वृद्धि की संभावना को बढ़ाने के लिए फसल चक्र एक आदर्श और टिकाऊ तरीका है। यह किसी भी रसायन से मुक्त है और मिट्टी में रोग की संभावना को कम करता है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट का यह रूप वाणिज्यिक किसानों और घरेलू माली दोनों के लिए फायदेमंद है।
  • कुशल जल फिक्स्चर – हमारे शौचालयों में हाथ और सिर की बौछारों की स्थापना जो कुशल हैं और पानी बर्बाद या रिसाव नहीं करते हैं, पानी के संरक्षण की एक विधि है। पानी हमारे लिए जरूरी है और हर बूंद का संरक्षण जरूरी है। शॉवर के नीचे कम समय बिताना भी सस्टेनेबल डेवलपमेंट और पानी के संरक्षण का एक तरीका है।
  • सस्टेनेबल फॉरेस्ट्री – यह सस्टेनेबल डेवलपमेंट का एक अद्भुत तरीका है जहां कारखानों द्वारा काटे जाने वाले लकड़ी के पेड़ों को दूसरे पेड़ से बदल दिया जाता है। जो काटा गया उसके स्थान पर एक नया पेड़ लगाया जाता है। इस तरह, मिट्टी का कटाव रोका जाता है और हमें एक बेहतर, हरित भविष्य की आशा है।

सस्टेनेबल डेवलपमेंट का उद्देश्य भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों की अनदेखी न करते हुए वर्तमान मांगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के बीच संतुलन लाना है।

सस्टेनेबल डेवलपमेंट के तीन स्तंभ इस प्रकार हैं: आर्थिक स्थिरता, सामाजिक स्थिरता, सांस्कृतिक स्थिरता आदि।

सस्टेनेबल डेवलपमेंट के उदाहरण इस प्रकार हैं: पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, क्रॉप रोटेशन आदि।

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My Vision For India In 2047 Essay

India has come a long way since gaining independence in 1947 and becoming a republic in 1950. In 2047, it will have completed 100 years as a republic, and it is exciting to think about what the country might look like then. As a nation, we have made significant progress over the past few decades, especially at the beginning of the 2000s. It is easy to imagine that in the next 25 years and make even greater strides. Here are a few sample essays on “ My Vision For India In 2047 ”.

My Vision For India In 2047 Essay

100 Words Essay On My Vision For India In 2047

I envision India as a global leader in 2047 in innovation and technology. With a highly educated and skilled workforce, India will be at the forefront of the Fourth Industrial Revolution, driving the development of cutting-edge technologies and solutions.

Additionally, I see India as a hub for international trade and commerce, with a thriving business environment that attracts investment from around the world. The country's diverse culture and rich history will continue to be a major draw for tourists, making it a top destination for cultural exchange and exploration.

Overall, my vision for India in 2047 is one of prosperity and progress, with a strong emphasis on sustainability and social responsibility. By prioritising education, innovation, and international cooperation, India has the potential to become a beacon of hope and motivation for the world.

200 Words Essay On My Vision For India In 2047

My vision for India in 2047 is of it to be a world leader in technological innovation and sustainable development. With a population of over 1.5 billion people, we must prioritise the well-being of our citizens and the environment.

Shift To Renewable Energy | One major aspect of this vision is the widespread adoption of renewable energy sources. Solar panels and wind turbines will be common, providing clean and efficient energy for households and businesses. This shift towards clean energy will reduce our carbon footprint and create jobs and stimulate the economy.

Advanced Transportation | Another important aspect is the implementation of advanced infrastructure. High-speed trains and efficient public transportation systems will connect major cities, reducing road pollution and congestion.

Technology | Smart cities will be equipped with state-of-the-art technology to optimise resource management and enhance the quality of life for citizens.

Education Hub | In addition, I envision India as a hub for education and research. Our universities will attract top talent from around the globe, and our scientists and engineers will make groundbreaking discoveries in fields such as artificial intelligence and biotechnology.

Overall, my vision for India in 2047 is for it to be a country that is technologically advanced, environmentally conscious, and socially progressive. We will lead the way in creating a sustainable and equitable future for all.

500 Words Essay On My Vision For India In 2047

In 2047, India will be a country that will be thriving in every aspect of life. It will have successfully harnessed the power of technology, innovation, and education to transform itself into a global leader. The government will be proactive in addressing the needs of its citizens and will have implemented policies that ensure the overall well-being of the population.

Thriving Infrastructure

One of the most striking features of India in 2047 will be the rapid development of infrastructure. The country will have a well-connected network of roads, railways, and airports, making it easy for people to travel within and abroad. The government will have also invested heavily in developing smart cities, which will be equipped with state-of-the-art amenities and facilities. These cities will be designed to be energy-efficient and environmentally friendly, making them ideal places to live and work.

Accessible Healthcare

In terms of healthcare, India 2047 will be home to some of the best hospitals and medical facilities in the world. The government will have prioritised healthcare and implemented policies that make it accessible to all citizens. Many trained medical professionals, including doctors, nurses, and specialists, will work in the public and private sectors to provide top-quality care to patients.

Improved Education

Education will also be another area where India will have made significant progress. The government will have invested heavily in developing schools and universities, and there will be many highly qualified teachers and professors who will be helping to shape the minds of the next generation. A wide range of educational resources will be available to students, such as books, computers, and other technological aids, which will enhance their learning.

Thriving Economy

One of the most notable features of India in 2047 will be its thriving economy. The country will have a diverse range of industries, including manufacturing, agriculture, and services, contributing to its rapid growth. Many successful businesses will operate in the country, and the government will implement policies that encourage entrepreneurship and innovation.

Strong International Relations

In terms of international relations, India in 2047 will be a respected member of the global community. The country will have strong diplomatic ties with many countries and will be a key player in regional and international organisations. It will have also taken a leading role in addressing and tackling major global challenges, such as climate change and terrorism. It will be working closely with other nations to find solutions to these pressing issues.

Embracing Technology And Innovation

For example, in 2047, India will become a leader in renewable energy, with a significant portion of its energy needs being met through solar and wind power. The government will implement policies that encourage the use of clean energy and invest heavily in developing infrastructure to support it.

A Nation Full Of Potential

In conclusion, India in 2047 will be a country that is full of potential and will have the potential to become a global leader in the 21st century. It will be a nation that has embraced technology, innovation, and education to drive its growth and development and will be well-positioned to take on future challenges.

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