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देश प्रेम पर निबंध – Desh Prem Essay in Hindi

Patriotism Desh Prem Essay in Hindi नमस्कार दोस्तों आज हम देश प्रेम पर निबंध लेकर आए हैं. हमारी धरती माँ स्वर्ग से भी बढ़कर है प्रत्येक व्यक्ति के दिल में स्वदेश के प्रति प्रेम होना ही चाहिए.

आज के निबंध, भाषण, अनुच्छेद, लेख में हम देश प्रेम क्या हैं किसे कहते है इस पर क्लास 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के स्टूडेंट्स के लिए सरल भाषा में हिंदी निबंध एस्से यहाँ बता रहे है.

देश प्रेम पर निबंध Essay on Patriotism in Hindi

प्रेम एक मानवीय गुण है जो जीवन को सार्थकता देता है, बगैर प्रेम के कटु जीवन विष की तरह बन जाता हैं, मानव का यह प्रेम विविध रूप में छलकता है यथा परिवार प्रेम, जातीय प्रेम, दोस्तों से प्रेम इन सबसे बढ़कर प्रेम का जो स्वरूप हैं.

वह है देश प्रेम अथवा स्वदेश प्रेम. मानव ही नहीं पशु और पक्षी अपनी जननी जन्मभूमि से अगाध प्रेम करते हैं. फिर भला मानव इससे अछूता कैसे रह सकता हैं.

प्रत्येक भारतीय अपनी जन्मभूमि को माँ कहकर सम्बोधित करता हैं, उसके मन के ये भाव देशप्रेम की तीव्र अभिव्यंजना करते हैं. यह प्रेम स्वाभाविक है क्योंकि हम जिस मिट्टी में पले बढ़े.

हमने अपने विकास किया तथा जीवन की आवश्यक सुविधाओं को इसने प्रदान किया, अतः हमारा दिल स्वतः ही इस भूमि से प्रेम करने लगता हैं.

प्रत्येक नागरिक का यह प्रथम कर्तव्य है कि वे अपने देश के प्रति उनके प्रतीक चिन्हों, संकेतों एवं अन्य लोगों से प्रेम करे तथा घुलमिलकर रहे.

देशभक्ति/देश प्रेम पर निबंध 1 (200 शब्द)

देशभक्ति का अर्थ हैं अपने देश के विकास, उसकी गरिमा को बढ़ाने में सकारात्मक भूमिका निभाना एवं आवश्यकता पड़े तो अपने देश के लिए मर मिटने के लिए तैयार रहना ही देश प्रेम हैं. बहुत से लोग मानते है कि अपने वतन की रक्षा की खातिर मर मिटने वाला ही देश प्रेमी होता हैं, जबकि ऐसा नहीं है.

निसंदेह देश की सीमाओं की रखवाली करने वाले हमारे सैनिक देश प्रेम से लबरेज होते ही हैं, मगर देश में बसने वाला आम नागरिक, शिक्षक, छात्र, व्यापारी, राजनेता, अभिनेता भी देश प्रेमी होते है जो अपने देश के विकास एवं सुधार में अपना अधिकतम योगदान देने का प्रयत्न करते हैं.

संसार में यदि कही देश प्रेम की अनूठी मिसाल देखने को मिलती हैं तो वह भारत देश एवं यहाँ के लोगों में ही हैं. जिन्होंने इतिहास की हर सदी में अपने वतन की रक्षा की खातिर जान तक कुर्बान कर देने के उदाहरण प्रस्तुत किये हैं. स्वतंत्रता संग्राम को ही ले लीजिए.

न जाने कितने अनाम यौद्धाओं, क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश हुकुमत को उखाड़ने के लिए अपना घर, परिवार और अंत में अपने जीवन का त्याग कर दिया था.

देश के प्रति इसी समपर्ण के भाव को देश प्रेम की उपमा दी जाती है जिसे हमारे साहित्य में भी महत्वपूर्ण स्थान दिया हैं. कवि गुप्त लिखते है कि वह दिल नहीं पत्थर है जिसमें स्वदेश के प्रति प्रेम का भाव नहीं हैं.

यदि हम आधुनिक पीढ़ी में देश प्रेम की बात करे तो अफ़सोस की बात हैं अपनी फलीफुली राष्ट्र भक्ति की विरासत लिए हमारी पीढ़ी राष्ट्र के नाम पर उदासीन प्रतीत होती हैं.

मात्र कुछ दिनों पन्द्रह अगस्त या छब्बीस जनवरी को ही उनका देश प्रेम जगता है कुछ कार्यक्रमों की आहुति के बाद वह अगले सीजन तक के लिए सुप्त हो जाता है.

धीरे धीरे खत्म होती जा रही देश प्रेम की यह भावना राष्ट्र के स्वर्णिम भविष्य की अच्छी निशानी नहीं हैं. हमारे युवकों छात्र छात्राओं में वतन पर मर मिटने का जज्बा हमें उत्पन्न करना होगा, तथा इस कार्य में शिक्षण संस्थान एवं हमारे गुरुजन अहम भूमिका निभा सकते हैं.

देश प्रेम पर निबंध 2 (300 शब्द)

सरल शब्दों में देश प्रेम अपने राष्ट्र, वतन के प्रति सम्मान, सर्वोच्च इज्जत की भावना का होना हैं. आप भी दिल में अपने भारत के प्रति अगाध श्रद्धा व प्रेम रखते है तो आप देशभक्त हैं. किसी भी सम्प्रभु राष्ट्र में देशभक्तों का बड़ा समूह होता है जो स्व से अधिक अपने वतन को तरजीह देते हैं.

अपने स्तर पर वे सब कुछ करने के लिए तत्पर रहते है जिसमें देश का भला निहित हो, आज की आधुनिक जीवन शैली एवं दोहरी नागरिकता ने व्यक्ति में देश प्रेम के भाव को न केवल कम किया बल्कि इन्हें रूढ़ि वादी सोच तक करार दिया हैं.

देश प्रेम का होना नितांत अनिवार्य हैं.

यह भी सत्य है कि लोगों में राष्ट्र भक्ति के संचार के लिए परिस्थितियाँ भी कुछ हद तक जिम्मेदार होती हैं, फिर भी आम हालातों में भी राष्ट्र सर्वोपरि ही समझा जाता हैं.

ब्रिटिश दौर में अंग्रेजी सरकार के दमन चक्र एवं क्रांतिकारियों को कठोर यातनाएं देने की सोच ने जन जन के दिल में देश प्रेम की ज्योति जला दी.

अंग्रेजी सरकार न अपनी कार्यवाहियों से समूचे भारत को अपने विरोध में खड़ा कर दिया. इस वातावरण में प्रत्येक व्यक्ति चाहे व किसान, मजदूर या कलमकार वह स्वयं को अपने वतन का प्रतिनिधि के रूप में देखने लगा. भारत के इतिहास में देश प्रेम का ऐसा ज्वर पूर्व में कभी नहीं देखा गया था.

आज भले ही हमारा देश स्वतंत्र है मगर लोगों को देश प्रेम छोड़ने की जरुरत नहीं हैं. क्योंकि हमारा अस्तित्व हमारे वतन हमारी भूमि से ही हैं. हम जो कुछ है इसकी बदौलत हैं. आज संसार बदल चूका है हम आए दिन आर्थिक युद्ध में पिछड़ते जा रहे हैं.

पूंजीवादी ताकते हमारें बाजारों पर कब्जा कर रही हैं. हमारे लोग बेगारी पर विवश हैं. हमें नयें युग में अपने राष्ट्र प्रेम को फिर से जागृत करने की जरुरत हैं.

स्वदेश में बनी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देकर, विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार एवं समाज में शांति व भाईचारे की स्थापना करके अपने राष्ट्र की तरक्की में योगदान दे सकते हैं. क्योंकि विकास एवं शान्ति एक दूसरे के पूरक हैं.

एक नागरिक के रूप में हमारा देश प्रेम न केवल स्वतंत्रता दिवस एवं गनतंत्र दिवस पर दिखना चाहिए, हमारे दिल की गहराई में इसे बचाने की जरुरत हैं. मात्र वतन के गुणगान एवं जयकारे से देश का भला नहीं होता हैं.

कर्मशील बनिये और अपने परिवार, समाज, राज्य व देश के विकास में भागीदार बनकर हम अपने कर्तव्यों को अदा कर सकते हैं. वह राष्ट्र हमेशा प्रगति के शिखर पर आरूढ़ होता है जिसके रूप अपने सामाजिक व आर्थिक विकास के प्रति सचेत रहते है इसलिए नयें भारत के प्रेमी नागरिक बनकर इसकी तरक्की में हाथ बटाएं.

जिस देश में जिस श्रेणी के लोग बसते है उस राष्ट्र का चरित्र वैसा ही बन जाता हैं. अतः हम अपने भारत के चरित्र को कैसा बनाना चाहते हैं इसका निर्णय अपने स्वविवेक से करें.

इतिहास में जयचंद और मीर जाफर भी हुए है और आज भी हैं भले ही हम सीमाओं पर जाकर अपने वतन के बाहरी दुश्मनों का मुकाबला न कर सके,

मगर घर में रहकर भी इन सापों के फन तो कुचले जा सकते हैं. एक आक्रामक कट्टर देशप्रेमी का स्व देश प्रेम कभी सोता नहीं है क्योंकि सोया हुआ प्रेम तो महज एक दिखावा होता हैं.

देश प्रेम पर निबंध 4 (400 शब्द), Essay on Love for Country in Hindi

देश-प्रेम का अर्थ – अपने देश, अपनी जन्मभूमि से लगाव रखना देशप्रेम हैं. इन्सान जिस भूमि पर जन्म लेता है अपना पेट उसके अन्न से भरकर शारीरिक व मानसिक विकास करता हैं. उससे प्रेम करना नैसर्गिक है.

देश-प्रेम में त्याग – अपने देश से प्रेम करने वाला राष्ट्र भक्त अपना सर्वोच्च त्याग करने के लिए तैयार रहता हैं. हमें यह विचार करना चाहिए कि हमें देश ने क्या नहीं दिया, जबकि बदलें में हम उसे क्या दे पाए है.

हमारा योगदान भारत के लिए क्या रहा हैं, अपना पेट भरना और शाम को सोकर अगले दिन कोल्हू के बैल की भांति अपने स्वार्थों में लग जाना तो पशुत्व की निशानी हैं.

एक पवित्र भावना – प्रेम एवं भक्ति राष्ट्र पर कीजिए, आपके जाने के बाद दुनियां याद रखेगी. अपने वतन की दीवानगी क्या क्या नहीं करवाती. वतन की खातिर जेल, यातनाएं, फांसी, गोली.

यह सब कुछ तो हमारा हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने मगर आज भी हम उनके सम्मान एवं राष्ट्र प्रेम में सिर झुकाकर नमन करते हैं. एक व्यक्ति के लिए राष्ट्र ही उसका गौरव होता है इसलिए अपने भारतीय होने पर गर्व करिए और इसके लिए कुछ करने का जज्बा व दीवानगी को जीवित रखिये.

देश प्रेमी का जीवन – एक देश लोगों से बनता है, समाज उन्ही लोगों व परिवारों से बनता है जो राष्ट्र की नींव कहलाती हैं. अपने राष्ट्र से प्रेम करने का अर्थ यह नहीं है.

आप अपने परिवार, समाज को भूल जाए, यदि आप उन्हें लगाव रखते है उनकी तरक्की करते है तो स्वतः ही आप राष्ट्र की उन्नति में सक्रिय भागीदार हैं.

मगर जब निजी हित एवं राष्ट्र हित में टकराव की स्थिति हो तो एक देशभक्त को अपने हित की बजाय देश के हित का सोचना चाहिए, क्योंकि राष्ट्रहित में प्रत्येक नागरिक का हित निहित हैं.

हमारी गौरवशाली विरासत व परम्परा- भारत के हर गाँव में चले जाइए किसी न किसी वीर यौद्धा, संत महात्मा एवं महापुरुषों के पद चिह्न मिलेगे.

चन्द्रगुप्त, चाणक्य, प्रताप, तिलक, आजाद, भगतसिंह नेताजी बोस जैसे व्यक्तित्व में देश प्रेम की दीवानगी एवं उनके योगदान हमारी समृद्ध विरासत हैं.

आज भले ही हमारी भूमिका स्वतंत्रता सेनानी से एक नागरिक के रूप में बदल गई है मगर पावन भावना आज भी विद्यमान हैं. किसान देश का पेट भरकर, चिकित्सक रोगियों का ईलाज कर, इंजीनियर निर्माण में, वैज्ञानिक शोध द्वारा, मजदूर अपनी परिश्रम से राष्ट्र की प्रगति व गौरव को बढ़ाने के अथक प्रयास कर रहे हैं.

देश-प्रेम-सर्वोच्च भावना – एक भारतीय के लिए सर्वोच्च भाव अपनी माता के प्रति होता हैं. वह उसे धन, दौलत अन्य प्रलोभन से अधिक प्यारी होती हैं. भारत भूमि भी हमारी माँ है इसकी सुन्दरता, वैभव, गरिमा, संस्कृति को बनाएं रखना हमारा पहला दायित्व हैं.

आज देश प्रेम की आवश्यकता – जब देश में आतंकी जवानों पर हमला करते है तो इस गम में पूरा देश रो पड़ता हैं, ये ही वीर जब सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में दुश्मन को खत्म कर आते है तो हर भारतीय जश्न मनाने लगता हैं.

वह जैसलमेर का हो या असम का, तमिल हो या पंजाबी सभी के दिल देश प्रेम के धागे से जुड़े होते हैं. जब मलेशिया ने जम्मू कश्मीर के पाकिस्तानी प्रोपेगंडा का साथ दिया.

देश के हजारों पाम आयल व्यापारियों ने अपने स्तर पर मलेशिया से व्यापारिक सम्बन्ध तोड़ने का निर्णय कर लिया, समय समय पर इस तरह देश प्रेम की मिसाले न केवल युवाओं को प्रेरित करती हैं बल्कि देश की एकता और अखंडता को सशक्त करती हैं.

देश-प्रेम पर निबंध Essay on Love for Country in Hindi

देश-प्रेम का अर्थ – दो शब्दों के मेल से देशप्रेम शब्द बनता हैं जिसका आशय है अपने देश से प्रेम प्यार मोहब्बत करना इसे हम दूसरे शब्दों में स्वदेश प्रेम भी कहते हैं. हम जिस भूमि पर जन्म लेते है जहाँ जीवन व्यतीत करते हैं अन्न जल खाकर जीवन संवारते हैं उस भूमि से प्रेम करना स्वाभाविक हैं.

त्याग –एक देश प्रेमी सदैव अपने वतन के लिए सर्वस्व समर्पण का भाव रखता हैं. अपने तन मन धन से वह सभी का त्याग करने से कभी हिचकता नहीं हैं. इस सम्बन्ध में महान अमेरिकन राष्ट्रपति लिंकन का कथन सारगर्भित हैं.

उन्होंने अपने देश के लोगों को संबोधित करते हुए कहा था, तुम यह मत सोचो कि तुम्हे देश ने क्या दिया बल्कि यह सोचो तुमने देश को क्या दिया हैं.

देश प्रेम का महत्व : संसार के सभी प्रेमों में देशप्रेम सभी से बढ़कर हैं ये पवित्र भाव इन्सान को सदैव त्याग और बलिदान के लिए प्रेरित करता हैं.

मानव के भावों का जन्म ह्रदय में होता हैं. प्रत्येक इन्सान की यह हार्दिक कामना रहती हैं कि उसने जिस जमीन पर जन्म लिया उसके अन्न जल का सेवन किया.

वह उस मातृभूमि के ऋण की अदायगी करे, इसके उदहारण हम प्रवासी भारतीयों में भी देख सकते हैं अपने स्वदेश लौटने की ललक सदैव उनमें बसी रहती हैं.

वे हरपल मात्रभूमि के दर्शन को ललायित रहते हैं. अपनी मातृभूमि के प्रति मानव के इसी प्रेम को राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने अपनी कविता के माध्यम से बताया हैं.

“पा कर तुझसे सभी सुखों को हमने भोगा. तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा. तेरी ही यह देह, तुझी से बनी हुई है. बस तेरे ही सुरस-सार से सनी हुई है. फिर अन्त समय तू ही इसे अचल देख अपनायेगी. हे मातृभूमि! यह अन्त में तुझमें ही मिल जायेगी.”

सभी भावों में देशप्रेम के भाव को सर्वोच्च माना गया हैं. इसके समक्ष व्यक्ति के निजी स्वार्थ और लोभ का कोई स्थान नहीं रह जाता हैं. जिस मनुष्य में अपने वतन के प्रति प्रेम व वफादारी के भाव नहीं हैं उसे पत्थर दिल अथवा पाशविक प्रवृत्ति ही कहा जाएगा.

“जो भरा नहीं है भावों से जिसमें बहती रसधार नहीं. वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं.”

देश प्रेम के विविध क्षेत्र तथा देश सेवा – सेवा का कोई विशिष्ट क्षेत्र नहीं होता हैं. हम जो कुछ भी कर सकते है वह सहयोग या सेवा ही हैं. हम राष्ट्र की तरक्की में तन मन धन से समर्पित होकर अपना सहयोग कर सकते हैं.

एक सैनिक के रूप में हम अपने वतन की सरहद की हिफाजत कर सकते हैं. एक किसान और मजदूर के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने देश प्रेम का प्रदर्शन कर सकते हैं.

हमारा देश दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक राष्ट्र हैं. लोकतंत्र हमारी पहचान है एक जागरूक नागरिक के रूप में हम अपनी राजनैतिक जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन करके भी राष्ट्र निर्माण के सच्चे भागीदार हो सकते हैं.

हम अपने मत का विवेकपूर्ण उपयोग करके सही और योग्य लोगों के हाथ में देश की बागडोर सौप सकते हैं. इस तरह निजी हितों का त्याग करके छोटे छोटे कदमों से देश के विकास में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं.

‘जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है’ जो माता हमें जन्म देती है उसकी गोदी में हम पलकर बड़े होते हैं. वह माँ हमें सबसे ही बढ़कर होती हैं.

उस जन्मभूमि के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने से कभी पीछे नहीं हटते हैं. हम जो कुछ भी होते हैं. अपनी माँ जन्मभूमि के अन्न जल की बदौलत ही होते हैं.

हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में अपनी जन्मभूमि से जुड़ा रहना चाहता है वह उसके लिए कुछ करना चाहता है यही भाव को हम देश प्रेम का नाम देते हैं. कुछ लोग आजीविका के लिए अन्य देशों में जाते हैं मगर स्वदेश के प्रति उनका प्रेम कभी कम नहीं होता हैं.

जब बाहर काम करने वाला व्यक्ति अपने घर को लौटता है तब जिस मानसिक शांति और सुकून का एहसास होता हैं वही उसका देश प्रेम अपनी भूमि के प्रति लगाव को दर्शाता हैं. मनुष्य ही नहीं पशु पक्षि भी दिन भर घूम फिरने के बाद अपने घर लौटकर ही सुकून की सांस लेते हैं.

देश प्रेम पर निबंध (1000 शब्द)

वैसे तो हर भारतीय को अपने हिंदुस्तान देश से अथाह प्रेम है परंतु हम उस प्रेम की बात नहीं कर रहे हैं जो भावनात्मक तरीके से प्रस्तुत किया जाता है बल्कि हम उस प्रेम की बात कर रहे हैं.

जो अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना को पैदा करता है। वास्तविक तौर पर देखा जाए तो अपने देश के लिए पूर्ण रूप से समर्पित हो जाना ही सच्चा देश प्रेम कहलाता है।

जो व्यक्ति जिस देश में पैदा होता है उसका स्वाभाविक तौर पर उस देश की मिट्टी के साथ भावनात्मक लगाव रहता है और इसीलिए वह अपने देश की सुरक्षा के लिए और अपने देश के विकास के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहता है।

देश प्रेमी लोग अपने देश की रक्षा करना अपना सबसे परम कर्तव्य समझते हैं और वह निस्वार्थ भाव से अपने देश की भलाई के लिए काम करते हैं। 

हम भी जिस देश में पैदा होते हैं उस देश के हम हमेशा आभारी रहते हैं। इसीलिए तो कहा जाता है कि हम चाहे कहीं भी क्यों न चले जाएं हम हमेशा अपने देश की मिट्टी के साथ जुड़े हुए रहते हैं क्योंकि हमें पता होता है कि हमारा मूल देश ही वह पावन देश है जहां पर हमने पहली बार इस धरती पर अपनी आंखें खोली थी।

देश प्रेम का शब्द दो शब्दों से मिलकर के बना होता है जिसका मतलब होता है अपने देश से प्यार करना और देश प्रेम का सिर्फ यह मतलब ही नहीं होता है बल्कि हमारा कर्तव्य भी यह होता है कि हम देश प्रेम के मतलब को चरितार्थ करें और एक राष्ट्रभक्त बने अथवा देश प्रेमी बने।

देश प्रेम के अंतर्गत हमारा सबसे परम कर्तव्य होता है अपने देश की रक्षा करना आज अथवा सुरक्षा करना। एक सच्चा देश प्रेमी तब हर उस दुश्मन से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है जब बात उसके देश की सुरक्षा पर आ जाती है और ऐसी अवस्था में वह अपनी जान की परवाह भी नहीं करता है।

देश प्रेमी व्यक्ति अपने देश की सुरक्षा के लिए अपना घर परिवार और अपनी जान तक कुर्बान करने के लिए तैयार रहता है और यही त्याग देश प्रेम का उत्तम उदाहरण भी कहलाता है।

हमें भी एक भारतीय नागरिक होने के नाते अपने देश की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए और अपने अंदर तो देशभक्ति की भावना को हमेशा रखना ही चाहिए साथ ही दूसरे लोगों के अंदर भी देशभक्ति की भावना को पैदा करने का प्रयास करना चाहिए.

साथ ही साथ अगर कभी हमें भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देना पड़े तो भी हमें ऐसा करने से बिल्कुल भी अपने कदम पीछे नहीं हटाने चाहिए, क्योंकि देश के लिए कुछ कर गुजरने का मौका सिर्फ नसीब वालों को ही मिलता है।

अगर हम देश के लिए दुश्मन से लड़ते हुए शहीद भी हो जाते हैं तो भी हमारा नाम इतिहास के पन्ने में स्वर्ण अक्षरों से अंकित हो जाता है और विद्यार्थियों को भारतीय इतिहास में हमारी कहानियां पढ़ाई जाती है,

जैसे हम स्कूल की किताबों में मनोज पांडे, विक्रम बत्रा जैसे किरदारों को पढ़ते हैं। इन्होंने भी देश प्रेम की वजह से ही अपनी जान की आहुति अपने देश की रक्षा के लिए दी और आज यह इतिहास के पन्ने में अमर हो गए हैं।

हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं जो सिर्फ अपने निजी स्वार्थ से मतलब रखते हैं और उन्हें देश से कोई भी मतलब नहीं होता है जबकि वह यह नहीं जानते हैं कि जब देश ही नहीं रहेगा तो उनका निजी स्वार्थ भी नहीं रहेगा।

अगर स्वार्थ की सोच उस समय भी सब लोग रखते जब हमारा भारत देश अंग्रेजों का गुलाम था तो आज शायद हम आजादी का आनंद नहीं उठा रहे होते हैं।

हालांकि हम यह नहीं कह रहे हैं कि अंग्रेजों की गुलामी के समय हमारे भारत देश में स्वार्थी लोग नहीं थे परंतु स्वार्थी लोगों से अधिक हमारे भारत देश में स्वाभिमानी लोग थे, जो भारत माता की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करने की हिम्मत रखते थे। यही वजह है कि तकरीबन 200 साल की अंग्रेजों की भयंकर गुलामी से हमारे भारत देश को आजादी मिली।

इसके लिए भी देश प्रेम ही जिम्मेदार है क्योंकि देश प्रेम की भावना की वजह से ही देश प्रेमी लोगों ने अंग्रेजों की गुलामी को स्वीकार नहीं किया और लगातार आजादी का बिगुल बजाते रहे। इस प्रकार एक दिन भारत देश आजाद हो गया।

देश प्रेम के लिए यह आवश्यक नहीं है कि आप बॉर्डर पर जाकर के दुश्मन से लड़ाई लड़े। आप देश प्रेम के अंतर्गत कुछ ऐसे भी काम कर सकते हैं जो देश प्रेम की श्रेणी में आता है।

जैसे आप यह निर्णय कर सकते हैं कि आप किसी भी घूसखोर व्यक्ति को कोई भी रिश्वत नहीं देंगे और ना ही कभी रिश्वत लेने का प्रयास करेंगे,

आप अपने आस-पड़ोस के लोगों के साथ प्यार से रहेंगे, आप देश का विकास किस प्रकार से हो इसके बारे में चर्चा करेंगे और देश के विकास में अपना योगदान देने का प्रयास करेंगे।

देश प्रेम के अंतर्गत आप अपना टैक्स समय पर सरकार को जमा करेंगे, ताकि सरकार टैक्स के पैसे से देश के विकास की रफ्तार को और भी तेज कर सकें।

इसके अलावा आप एक अच्छे भारतीय नागरिक होने के जो भी कर्तव्य होते हैं उनका भी निर्वहन सही प्रकार से करेंगे।

One comment

Aapko nibandh desh prem me desh ke baare mein smjhna hai hme nhi to ek or nibandh jisme Desh ke baare me likha ho 🙂

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देश प्रेम पर निबंध

Desh Prem Essay in Hindi: हम यहां पर देश प्रेम पर निबंध हिंदी में (Desh Prem Par Nibandh) शेयर कर रहे है। इस निबंध में देश प्रेम के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेयर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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देश प्रेम पर निबंध | Desh Prem Essay in Hindi

देश प्रेम पर निबंध 100 शब्द (essay on desh prem in hindi).

देश प्रेम शब्द से ही बात जाहिर होती है कि देश के प्रति प्रेम और वफादारी की भावना देशप्रेम है। जो लोग अपना महत्वपूर्ण समय और अपनी भूमिका देश प्रेम के लिए निभाते हैं। देश में रहते हुए हमें हमारे देश के प्रति हर तरह से सहयोग और विकास में बढ़ावा देना चाहिए।

देश के प्रति सम्मान की भावना देश के प्रति निस्वार्थ प्रेम की भावना ही देश प्रेम और देशभक्ति है। हमारे देश में देशभक्तों का एक समूह जो देश के विकास के लिए हर समय तैयार रहता है और उनके मन में देश प्रेम का एक अलग ही जुनून है।

लेकिन देश प्रेम और देशभक्ति की यह भावना प्रतिस्पर्धा के चलते लुप्त होती जा रही है। एक जाति और दूसरे जाति के बीच होने वाली प्रतिस्पर्धा देश प्रेम की भावना को सदा के लिए मिटा रही है। हमें अपने देश के प्रति एकजुट होकर रहना और निस्वार्थ प्रेम के जरिए देश को आगे बढ़ाना चाहिए।

देश प्रेम पर निबंध 200 शब्द (Rashtra Prem Par Nibandh)

अपने देश से निस्वार्थ तौर पर प्रेम देश प्रेम चलाता है। देश के प्रति अच्छी भावना की देश प्रेम को बढ़ावा दे रही है। देश प्रेम को अपने देश के प्रति देशभक्ति की वफादारी से परिभाषित किया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति का देश के प्रति प्रेम और भक्ति की भावना देश प्रेम या देश भक्ति चलाता है। भारत के लोगों के बीच देशभक्ति की भावनाएं ब्रिटिश शासन काल में देखने को मिली थी।

ब्रिटिश शासन काल में देशभक्ति की भावना उमड़ने की वजह से ही देश आजाद हुआ था। लेकिन आज के समय में आज की युवा पीढ़ी के अंदर देशभक्ति की भावना और देश प्रेम की भावना बहुत कम है। क्योंकि लोग एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा के चलते देश प्रेम को बिल्कुल भूल जा रहे हैं।

आज के समय में व्यक्ति अपने जीवन को अपने काम में उलझा रहा है। देश भक्ति और देश प्रेम से दूर रहने का प्रयास कर रहा है। देशवासियों के लिए एक संदेश कि हम सभी को एक साथ भाई चारे के साथ और प्रेम के साथ रहना चाहिए। देश का हर व्यक्ति देश हित के लिए सोचेगा तो एक दिन हमारा देश अन्य देशों के मुकाबले मजबूत और कई गुना आगे बढ़ेगा।

देश में देशभक्ति और देशप्रेम को बढ़ावा देना बहुत ही जरूरी है अन्यथा समय के साथ-साथ देशभक्ति और देशप्रेम लुप्त हो जाएगा। युवा जनरेशन अपने काम में इतनी उलझी हुई है कि उन्हें अन्य लोगों से मतलब ही नहीं है। इतना ही नहीं लोग प्रतिस्पर्धा के चलते भी स्वार्थी होते जा रहे हैं। हमें अपने जीवन को निस्वार्थ करना चाहिए और देशप्रेम और देश भक्ति में अपना मुख्य योगदान देना चाहिए।

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देश प्रेम पर निबंध 250 शब्द (Desh Prem Par Nibandh in Hindi)

देश प्रेम दो शब्दों के मिलन से बना है, जिस का तात्पर्य है अपनी मातृभूमि से प्रेम करना। चाहे प्राणी हो या मनुष्य हर जीव अपनी जन्भूमि के साथ एक अनोखे रिश्ते से जुड़ा हुआ होता है। अपनी मातृभूमि हर व्यक्ति को प्राणों से भी प्यारी होती है क्योंकि उसका जन्म और लालनपालन देश की मिट्टी में हुआ होता है।

किसी ने खूब कहा है ‘मां और मातृभूमि तो स्वर्ग से भी महान है’। देश प्रेम इस दुनिया का सबसे श्रेष्ठ प्रेम माना जाता है क्योंकि इस प्रेम में सबसे पहले देश का हित आता है बाद में सब कुछ। देश प्रेम को इस दुनिया का सबसे श्रेष्ठ त्याग भी माना जाता है क्योंकि देश के लिए अपना घर, अपना परिवार तथा अपनी जान तक न्योछार करनी पड़ती है।

देशभक्ति दुनिया की सबसे शुद्ध भावनाओं में से एक है। क्योंकि एक देशभक्त अपने देश के लिए निस्वार्थ भाव से देश के कल्याण के काम करता है और बदले ने कुछ भी वसूल नहीं करता। स्वतंत्रता संग्राम ने विभिन्न देश प्रेमियों को जन्म दिया, जिसकी हिम्मत और बहादुरी के चर्चे आज भी होते है।

रानी लक्ष्मी बाई, शिवाजी, गांधी जी, सुभाष चंद्र बोस, शहीद भगत सिंह और मौलाना आजाद जैसे कई देश प्रेमियों है, जिन्होंने देश के प्रति अपना जीवन समर्पित कर दिया और अपने देश के प्यार के लिए शहीद हो गए।

देश प्रेम की वास्तविक भावना के साथ जिम्मेदारी की भावना आती है। देश प्रेम भाईचारे को बढ़ावा देता है। देश प्रेम देशवासियों के बीच भ्रष्टाचार और स्वार्थ को दूर करने में भी मदद करती है। देश के नागरिकों में जितना अधिक देश प्रेम होगा इतना अधिक देश मजबूत बनेगा और विकासपथ पर आगे बढ़ेगा।

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देश प्रेम पर निबंध 300 शब्द

देश प्रेम की भावना हर व्यक्ति में अपने आप आती है। कहने का मतलब यह है कि जिस माता की गोद में व्यक्ति खेलकूद कर बड़ा होता है, उससे प्यार उसे खुद हो जाता है। इसलिए देश की मातृभूमि पर पनपने वाला हर इंसान अपनी मातृभूमि से एक अनोखा लगाव करता है और देश की मिट्टी से उसे अच्छा लगाव हो जाता है।

लेकिन धीरे-धीरे व्यक्ति के मन में देश प्रेम की भावना कम होती जा रही है। आने वाली जनरेशन में अगर ऐसा ही चलता रहा तो देश प्रेम खत्म होता दिखाई देगा। आज के समय में प्रतिस्पर्धा और एक दूसरे के प्रति घृणा की भावना देश प्रेम को कम कर रही है। लोगों को हिल मिलकर और सब के साथ रिश्ता बना कर रहना चाहिए।

देश प्रेम के अनोखे उदाहरण

देश प्रेम जो पूरी तरह से निस्वार्थ होता है और देश प्रेम व देश भक्ति मैं अपने प्राण न्योछावर कर देने वाले कई भारतीय आज देश प्रेम के अनोखे उदाहरण बने हुए हैं।

  • शहीद भगत सिंह
  • चंद्रशेखर आजाद
  • लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
  • महात्मा गांधी
  • लाला लाजपत राय

इन सभी ने अपने देश के खातिर अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए और उन्हीं की बदौलत आज हम आजादी से देश में घूम रहे हैं। अन्यथा आज भी ब्रिटिश सरकार का साम्राज्य हमारे देश में रहता और हम आज भी ब्रिटिश सरकार के गुलाम ही रहते। लेकिन इन सुर वीरों ने देश प्रेम दिखाते हुए और देशभक्ति दिखाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपने आप को देश के लिए न्योछावर कर दिया।

आज के समय के देशभक्त के मुख्य उदाहरण

आज के समय में भी देश प्रेम की भावना लोगों के मन में है। हमारी इंडियन आर्मी की तीनों सेनाएं देशभक्ति और देश प्रेम की एक मिसाल है। आए दिन सैकड़ों लोग देश प्रेम और देश भक्ति के लिए हंसते-हंसते शहीद हो जाते हैं।

उदाहरण को देखते हुए हमें भी अपने आप में देश प्रेम की भावना को जगाना चाहिए और देश के प्रति हमें अपने कर्तव्य निभाने चाहिए जितना हो सके, देश भक्ति में अपना योगदान देना चाहिए, इसी से हमारा देश आगे बढ़ सकता है।

देश प्रेम पर निबंध 500 शब्द

मातृभूमि के प्रति प्रेम हर व्यक्ति को अपने आप पैदा होता है और वही प्रेम देशप्रेम कहलाता है। देश में रहने वाले हर व्यक्ति और हर बच्चे को देश से प्रेम होना चाहिए। देश के प्रति भक्ति की भावना हर मनुष्य के मन में होनी जरूरी है।

व्यक्ति के मन में देश प्रेम की भावना तो पैदा होती ही है लेकिन व्यक्ति कई अन्य कारणों की वजह से देश प्रेम के प्रति अपना योगदान नहीं दे पाता है और ऐसा ही आज के समय में देखने को मिल रहा है।

देश प्रेम की परिभाषा

अपने देश के प्रति प्रेम और वफादारी देशप्रेम कहलाती है। देश के प्रति अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निस्वार्थ निभाना ही देश प्रेम है। प्रेम और देशभक्ति की भावना एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के करीब लाती है और देश के विकास में भी बढ़ावा देती है।

देश प्रेम का महत्व

देश को आगे बढ़ाने और देश को मजबूत बनाने के लिए देश में रहने वाले हर नागरिक में देश प्रेम की भावना होना बेहद जरूरी है। देश प्रेम ही देश को आगे बढ़ाने और देश के विकास में मुख्य भूमिका निभाते हैं। जहां पर देश प्रेम नहीं है, उस देश की तरक्की भी नहीं होती है। ऐसा अक्सर कहा जाता है कि गुड में हमेशा शक्ति होती है।

इसी प्रकार से यदि हमारे देश के हर नागरिक के मन में देश प्रेम के प्रति भावना होगी तो देश मजबूत शक्ति की तरह बढ़ेगा और कोई भी दुश्मन देश सामने देखने से पहले सोचेगा। देश प्रेम की भावना देश में जो कुछ लोगों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार और कालाबाजारी को भी खत्म कर सकता है। देश प्रेम देश के विकास को तेजी से आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण पहलू है।

देश प्रेम के प्रति कर्तव्य

जो व्यक्ति अपने देश के प्रति प्रेम करता है तो उस व्यक्ति को हमेशा निस्वार्थ प्रेम करना चाहिए। देसी हमारे कई कर्तव्य प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। लेकिन हमारा देश से अब यदि निस्वार्थ प्रेम है तो हम देश को आगे बढ़ाने में मुख्य योगदान दे रहे हैं।

हम सभी का कर्तव्य यह रहता है कि अपने देश के लिए त्याग की भावना बनाए रखना और एक दूसरे से अमिता प्यार के साथ पेश आना। हर व्यक्ति को अपने देश प्रेम और देश के प्रति कर्तव्य की पालना करनी चाहिए, जिससे देश में पल रहे गद्दारों का नाश किया जा सके और देश को मजबूत बनाया जा सके।

हमारे देश में हजारों देशभक्त और देश प्रेमियों के उदाहरण मिल जाएंगे। स्वतंत्रता सेनानियों के साथ-साथ राजा महाराजाओं के टाइम में भी कई महाराणा उन्हें अपने प्राण न्योछावर इस देश की संस्कृति को बचाने के लिए कर दिए थे।

उनमें राजस्थान के सपूत महाराणा प्रताप का नाम भी शामिल है। महाराणा प्रताप ने घास की रोटियां खाना स्वीकार कर लिया लेकिन हार स्वीकार नहीं की। यह देश भक्ति का एक सच्चा उदाहरण है। दूसरी तरफ देश में कई गद्दार भी पैदा हुए हैं।

देश प्रेम पर निबंध (800 शब्द)

एक माँ के प्रति हर बच्चे को प्रेम, आदर और सन्मान भाव होता है क्योंकि माँ बच्चे को जन्म देती है और उनकी गोद में खेलकर बच्चा बड़ा होता है। ठीक वैसे ही हर व्यक्ति को अपने देश के प्रति प्रेम होता है क्योंकि देश की मिटटी में वो पले बड़े होते है। देश की मातृभूमि के साथ हर व्यक्ति को एक अनोखा लगाव होता है।

देश प्रेम का अर्थ है अपने देश के लोगों, देश की मिट्टी, संस्कृति और मातृभाषा से प्यार करना, देश की प्रगति और समृद्धि के लिए काम करना और जरुरत पड़ने पर देश के लिए अपनी जान न्योछार करना। एक देश प्रेमी के लिए देश का विकास ही अपने जीवन का एक मात्र ध्येय होता है। देश प्रेम राष्ट्र को गौरव की ऊंचाइयों तक ले जाता है। किसी भी देश की सबसे बड़ी ताकत वहां के नागरिकों का देश के प्रति प्रेम है।

इमर्सन ने कहा है कि “सच्चे देशभक्त राष्ट्र की संपत्ति होते हैं”। देश की प्रगति और देश को मजबूत बनाने के लिए हर नागरिक में देश प्रेम होना बेहद जरुरी है। जिस देश के नागरिकों में देशप्रेम नहीं हैं, वह राष्ट्र कभी तरक्की नहीं कर सकता। वह राष्ट्र हमेशा दुश्मनों के बुरे मंसूबों का शिकार होता है। देश प्रेम व्यक्ति को एक जिम्मेदार नागरिक बनाता है। देश प्रेम नागरिकों  के बीच एकता और भावचारे की भावना को बढ़ाता है, जो राष्ट्र को सतत प्रगति की ओर ले जाता है।

देश की स्वतंत्रता और शांति के लिए देश प्रेम की भावना होना जरुरी है। देश के सुधार और विकास के लिए देश प्रेम की भावना होना आवश्यक है। देशप्रेम किसी भी स्वार्थी और हानिकारक तत्वों को नाबूद करता है, जिसके चलते भ्रष्टाचार को कम होता है। इसी तरह जब सरकार भ्रष्टाचार मुक्त होगी तो  देश तेजी से विकास करेंगा।

देश प्रेम के गुण

देश प्रेम होना एक महान गुण है। देश से प्रेम करने वाला एक राष्ट्र भक्त में अपना सर्वोच्च त्याग करना, निस्वार्थ होना और सर्वस्व समर्पण का भाव जैसे गुण होते है। वतन के प्रति  प्रेम व वफादारी और मर मिटने की भावना होती है। देश को प्रेम करना एक तपस्या है। जीवन भर काँटों की सेज पर चलना पड़ता है। देशप्रेम की भावना में ओत-प्रोत होकर ही सैनिक सीमा पर और खिलाड़ी खेल के मैदान पर असाधारण प्रदर्शन कर जाते हैं।

सिर्फ सीमा पर लड़ने वाला सैनिक ही देशप्रेमी नहीं होता लेकिन विश्व में देश का नाम रोशन करने वाले वैज्ञानिक, खिलाड़ी, कवि, लेखक, समाज सुधारकों, कलाकारों और समाज सेवकों भी महान देशभक्तों की श्रेणी में आते हैं। देश में बसने वाला हर एक आम नागरिक भी एक देशप्रेमी होता है, भले ही देश प्रेम के प्रति उनका सहयोग छोटा क्यों ना हो।

सच्चा देश प्रेमी अपनी मातृभूमि को स्वर्ग से भी उच्च मानता है। अपने तन, मन और धन से देश की सेवा करता है। देश पर अपने प्राणों की आहुति देने वाला देश प्रेमी मर के भी कभी नहीं मरता और सदा के लिए वो अमर हो जाता है। उनकी समाधी पर फूल और लोगों के मेले लगते है और उसके जीवन से लोग प्रेरणा लेते है।

भारत के महान देशभक्त

भारत में शुरू से ही देश प्रेमियों के कई किस्से रहे है। स्वतंत्रता संग्राम ने विभिन्न देशभक्तों को जन्म दिया है। भारतीय स्वतंत्रता सेनानी देशभक्ति से ओतप्रोत थे, इसलिए इन देशभक्तों ने देश के फलने-फूलने और समृद्ध होने के लिए अपने प्राणों का बलिदान तक दे दिया है। उनके नाम इतिहास आज भारत के सुवर्ण इतिहास में बड़े गर्व और सन्मान के साथ जोड़े गए है।

देशभक्त शिवाजी, राणा प्रताप, वीर कुंवर सिंह, रानी लक्ष्मी बाई, शहीद भगत सिंह, मौलाना आजाद, नेताजी बोस, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे अनगिनत लोगों ने अपनी खुद की परवाह किए बिना निस्वार्थ भाव से देश की रक्षा और सम्मान के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

आज हम लोग अपने देश में सुख, शांति औरआनंद से रहते है। क्योंकि भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने देश प्रेम में रंगकर अपना सर्वस्य त्याग कर देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण का बलिदान दे दिया।

आज देश प्रेम की भावना धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है। पिछली पीढ़ियों के लोगों की तरह आज के युवा अपने देश के प्रति उतनी मजबूत भावना महसूस नहीं करते हैं। आज देश प्रेम सिर्फ 15 अगस्त और 6 जनवरी को ही देखने को मिलता है, उसके दूसरे ही दिन देश प्रेम कमजोर हो जाता है।

बुजुर्गों को अपने बच्चों में देशभक्ति की भावना जगाने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए स्कूल-कॉलेज जैसे संस्थानों को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए। देश के युवाओं को अपने देश को प्यार और सम्मान देना चाहिए और इसे मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए। अगर देश पर अगर हमारा अधिकार है तो उसके प्रति हमारे बहुत से कर्तव्य भी है। हमें देश के सभी कर्तव्य को ईमानदारी के साथ निभाना चाहिए।

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Rahul Singh Tanwar

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देशभक्ति/देश प्रेम पर निबंध (Patriotism Essay in Hindi)

देशभक्ति को अपने देश के प्रति प्रेम और वफादारी के द्वारा परिभाषित किया जा सकता है। जो लोग अपने देश की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं ऐसे लोगों को देशभक्त कहा जाता है। देशभक्ति की भावना लोगों को एक दूसरे के करीब लाती है। हमें देश के साथ-साथ वहां रहने वाले लोगों के विकास के लिए भी बढ़ावा देना चाहिए। किसी भी व्यक्ति का देश के प्रति अमुल्य प्रेम और भक्ति, देशभक्ति कि भावना को परिभाषित करती है। जो लोग सच्चे देशभक्त होते हैं, वे अपने देश के प्रति और उसके निर्माण के लिए कुछ भी कर सकते हैं।

देशभक्ति पर लंबा तथा छोटा निबंध (Long and Short Essay on Patriotism in Hindi, Deshbhakti par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द).

देशभक्ति, देश के प्रति प्यार और सम्मान की भावना है। देशभक्त अपने देश के प्रति निःस्वार्थ प्रेम तथा उसपे गर्व करने के लिए जाने जाते हैं। दुनिया के हर देश में उनके देशभक्तों का एक समूह होता है, जो अपने देश के विकास के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। हालांकि, देशभक्ति की भावना हर क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ लोगों की बदलती जीवनशैली के कारण लुप्त होती जा रही है।

देशभक्ति का अनुभव स्थापित किया जाना चाहिए

अतीत में, विशेष रूप से ब्रिटिश शासनकाल के दौरान, कई लोग अपने देशवासियों के अंदर देशभक्ति की भावना पैदा करने के लिए आगे आए। देशभक्तों ने बैठकों का आयोजन किया तथा उनके आसपास के लोगों को प्रेरित करने के लिए भाषण देते हुए कई उदाहरणों का उपयोग किया। उसी प्रकार, जब बच्चे छोटें हो तभी से उनके अन्दर देशभक्ति की भावना पैदा की जानी चाहिए। स्कूलों और कॉलेजों में भी बच्चों के अन्दर अपने देश के प्रति प्यार और सम्मान की भावना को स्थापित करना चाहिए।

कई संस्थान 15 अगस्त और 26 जनवरी को समारोह एवं कार्यक्रम आयोजित करते हैं, उनमें देशभक्ति गीत गाए जाते हैं और उस दौरान देशभक्ति की भावना आसपास के पूरे देश को घेरी रहती है। लेकिन क्या यह असली देशभक्ति है?  नहीं! ऐसा वातावरण सामान्य रूप से सदैव होना चाहिए ना कि केवल इन विशेष तिथियों के आसपास ही। तभी जाके ये भावनाएं हमेशा के लिए हर नागरिक के दिल में बैठ जाएगी।

वो देश निश्चित रूप से बेहतर हो जाता है, जहां के युवा अपने देश से प्यार करते है तथा उस देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में कार्य करते है।

एक सच्चा देशभक्त वह है जो अपने देश की स्थिती सुधारने में जितना हो सके उतनी कड़ी मेहनत कर अपना पुर्ण योगदान दे सके। एक सच्चा देशभक्त न केवल अपने देश के निर्माण की दिशा में काम करता है बल्कि उसके आस-पास के लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है।

निबंध 2 (400 शब्द)

देशभक्ति की भावना, देश के प्रति अत्यधिक प्रेम की भावना को परिभाषित करता है। अतीत में हमारे देश में कई देशभक्त थे और आज भी बहुत से देशभक्त मौजूद हैं। हालांकि, भारत के लोगों के बीच देशभक्ति की भावना विशेष रूप से ब्रिटिश शासनकाल के दौरान देखी गयी थी।

प्रसिद्ध भारतीय देशभक्त

यहां ब्रिटिश शासनकाल के दौरान कुछ सच्चे देशभक्तों पर एक नज़र –

  • शहीद भगत सिंह

भगत सिंह जी को एक सच्चा देशभक्त माना जाता है। उन्होंने हमारे देश को ब्रिटिश सरकार के गुलामी से मुक्त कराने के लिए स्वतंत्रता संग्रामों में भाग लिया और एक क्रांति शुरू की। वे अपने मिशन के प्रति इतने समर्पित थे कि उन्होंने मातृभूमि के प्रति अपने प्राण त्यागने से पहले एक बार भी नहीं सोचा। वे कई नागरिकों के लिए एक प्रेरणा साबित हुए।

  • सुभाष चंद्र बोस

सुभाष चंद्र बोस जी को नेताजी के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने भारत को अंग्रेज सरकार के गुलामी से मुक्त कराने के लिए स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य भूमिका निभाई और वे अपने मजबूत विचारधाराओं के लिए जाने जाते है। विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों का हिस्सा होने के अलावा बोस जी अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने में अन्य सेनानियों का भी साथ दिये, बोस जी ने हिंदू-मुस्लिम की एकता को भी बढ़ावा दिया।

  • बाल गंगा धर तिलक

बाल गंगा धर तिलक जी देशभक्ति की भावना से जुड़े हुए थे। उनका कहना था कि, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा” इससे यह निर्धारित होता है कि वे कैसे ब्रिटिश शासकों के अत्याचारों से देश को मुक्त करने में सक्षम थे। तिलक जी ब्रिटिश सरकार के क्रूर व्यवहार की निंदा करते हुए भारत के नागरिकों के लिए स्वयं सरकार के अधिकार की मांग की।

  • मोहनदास करमचन्द गांधी

भारत में स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उनका योगदान सभी के द्वारा जाना जाता है कि कैसे उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अनेक स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व किया है। वे “सादा जीवन उच्च विचार” के एक आदर्श उदाहरण है। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता का सपना देखा और उसे अद्वितीय तरीके से इसे प्राप्त करने की दिशा में कड़ी मेहनत की।.

  • सरोजनी नायडू

अपने समय की एक प्रसिद्ध गायिका सरोजिनी नायडू जी भी दिल से एक देशभक्त थी। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने की दिशा में अपना योगदान भी  दिया। इन्होंने नागरिक अवज्ञा आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण उन्हें अन्य प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान फिर से इन्हें गिरफ्तार किया गया, परन्तु फिर भी इनके दिल से देशभक्ति की भावना नहीं मिटी।

भारत के नागरिकों को जितना हो सके, देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। नागरिकों के बीच देशभक्ति की भावना को उजागर करने के लिए सरकार, स्कूलों और अन्य संस्थानों को पहल करनी चाहिए।

Essay on Patriotism in Hindi

निबंध 3 (500 शब्द)

मार्क ट्वेन ने कहा, “जब-जब इसे जरुरत पड़ी तब-तब देशभक्ति ने देश और सरकार का समर्थन किया। देशभक्ति सभी देशों को प्यार और सम्मान करने तथा इसके सुधार की दिशा में काम करने के बारे में बताती है। इस दिशा में काम करने के लिए, लोग सरकार और अन्य संस्थानों के साथ हाथ मिलाते है।

समय के साथ देशभक्ति लुप्त हो रही है

समय के साथ देशभक्ति की भावना लुप्त हो रही हैं औऱ इन दिनों युवा पीढ़ी में ये भावना बहुत कम देखने को मिलती है, ऐसा इसलिए है क्योंकि आजकल लोग अपने जीवन में ही उलझे रहते  हैं। वे अत्यधिक स्वार्थी होते जा रहे है। स्वार्थी व्यक्ति वह होते है जो हमेशा अपने बारे में सोचते है और अपने स्वार्थ के आगे सब कुछ भुल जाते है, अपने स्वार्थ को हर चीज में और हर किसी से ऊपर रखते है। दूसरी ओर, देशभक्ति अपने देश के प्रति निःस्वार्थ प्रेम को दरसाता है। जो व्यक्ति खुद में ही परेशान रहता है और खुद को ही महत्व देता है, वो कभी एक देशभक्त नहीं हो सकता। इन दिनों बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने भी लोगों को स्वार्थी बनाने में अपना बहुत योगदान दिया है।

प्रत्येक व्यक्ति पैसे कमाने में व्यस्त है ताकि वो अपने जीवन को और आरामदायक तथा उनके आस-पास के लोगों की तुलना में और अधिक बेहतर बना सके। ऐसे परिस्थिति में किसी और चीज के बारे में सोचने के लिए शायद ही किसी के पास समय हो, लोगों ने देश के प्रति प्रेम तथा उसकी सेवा के प्रति जैसी भावना को लगभग भूला ही दिया है। देश के सुधार औऱ विकास की दिशा में योगदान देने के बजाये, युवा अब बेहतर जीवनशैली की तलाश में अन्य देशों में प्रवास कर रहे हैं, अगर लोगों की मानसिकता लगभग 100 साल पहले इसी तरह होती, तो वे कभी भी एकजुट नहीं होते और देश की आजादी के लिए नही लड़ते। वो उस स्थिति में केवल अपने स्वार्थी आदर्शों की ही खोज कर रहे होते।

सच्चे देशभक्त बनाम झूठे देशभक्त

हालांकि कई लोगों ने ब्रिटिश शासन के दौरान देशभक्त होने का दावा किया परन्तु उनमें से कुछ झूठे देशभक्त थे जिन्होंने अपने स्वार्थ को पुरा करने के लिए उस स्थिति का लाभ उठाया। आज भी ऐसे कई लोग हैं जो वास्तव में अपने देश से प्यार करते हैं और उसका सम्मान करते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी है जो ऐसा करने का केवल नाटक करते हैं।

एक सच्चा देशभक्त वह है जो अपने देश की सेवा करने के लिए पुर्णतः समर्पित होता है। वह पहले अपने देश और देशवासियों के हित के बारे में सोचता है और फिर अपने देश के सुधार और विकास के लिए सबकुछ बलिदान करने को तैयार हो जाता है। दूसरी तरफ, झूठा देशभक्त वह है जो अपने देश से प्यार करने का दावा करता है और देशभक्त होने का दिखावा करता है। हालांकि, वह अपने लाभ के लिए ऐसा करता है और वास्तव में उसे इन भावनाओं को अपने स्वार्थ के लिए दर्शाने का अधिकार नहीं है।

राष्ट्रवाद बनाम देशभक्त

राष्ट्रवाद और देशभक्ति शब्द अक्सर एक-दूसरे के लिए उपयोग किए जाते हैं हालांकि, दोनों में अंतर है। देशभक्ति का मतलब किसी देश के सकारात्मक बिंदुओं पर गर्व करना तथा उसके सुधार के लिए योगदान देना। दूसरी ओर, राष्ट्रवाद का अर्थ है कि, किसी भी देश पर उसके सकारात्मक और नकारात्मक बिंदुओं के बावजूद भी उसपर गौरव करना। हालांकि देशभक्ति को अच्छा माना जाता है वहीं, राष्ट्रवाद को तर्कहीन तथा द्वेषपूर्ण माना जाता है।

देशभक्ति कुछ लोगों में स्वयं उत्पन्न होती है जबकि कुछ में इसे स्थापित किया जाता है। देश के सुधार और विकास के लिए देशभक्ति की भावना आवश्यक है क्योंकि ये देश के लोगों को एक साथ लाने तथा उन्हें प्रेम, हर्ष, के साथ-साथ एक दुसरे की देखभाल करने की खुशी का अनुभव करने में भी मदद करता है।

निबंध 4 (600 शब्द)

देशभक्ति दुनिया की सबसे शुद्ध भावनाओं में से एक है। एक देशभक्त अपने देश के हित के प्रति निःस्वार्थ भाव महसूस करता है। वह अपने देश के हित और कल्याण को सबसे पहले रखता रखते है। वह बिना सोचे समझे अपने देश के प्रति त्याग करने के लिए तैयार भी हो जाता है।

देशभक्ति एक गुण है जिसे हर किसी के अंदर होना चाहिए

हमारे देश को हमारी मातृभूमि के रूप में जाना जाता है और हमें अपने देश से वैसे ही प्यार करना चाहिए जैसे हम अपनी मां से करते हैं, जो लोग अपने देश के लिए वहीं प्रेम और भक्ति महसुस करते है, जो वो अपने मां और परिवार के लिए करते है तो सहीं मायने में वहीं असली देशभक्त होते हैं। देशभक्ति एक गुण है जिसे प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर होना चाहिए। देशभक्तों से भरा देश, निश्चित रूप से उस स्थान की तुलना में रहने योग्य एक बेहतर जगह बन जाता है जहां लोग धर्म, जाति, पंथ और अन्य मुद्दों के नाम पर सदैव एक दूसरे के साथ लड़ा करते हैं। वह जगह जहां लोगों के पास कम स्वार्थ होगें वहां निश्चित रूप से कम संघर्ष होंगा तथा उनके अन्दर देशभक्ति के गुण विकषित होगें।

जाने हर किसी के अंदर देशभक्ति के गुण क्यों होना चाहिए

  • राष्ट्र निर्माण

जब हर कोई राष्ट्र को हर पहलू से मजबूत बनाने की दिशा में समर्पित करता है, तो ऐसा कोई रास्ता नहीं है जो देश को आगे बढ़ने और विकसित होने से रोके। देशभक्तों ने राष्ट्र के हित को सबसे पहसे रखा और इसके सुधार के लिए सदैव समर्पित रहे।

  • शांति और सद्भाव बनाए रखना

एक अच्छा राष्ट्र वह है जहां हर समय शांति और सद्भाव बनाए रखा जाता है। जहां लोगों के अन्दर भाईचारे की भावना होती है तथा वे दूसरे की मदद और समर्थन करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। देशभक्ति की भावना देशवासियों के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती है।

  • एक आम लक्ष्य के लिए काम करना

देशभक्त, देश के लक्ष्य तथा उसके सुधार के लिए काम करते हैं। जब हर किसी को एक ही लक्ष्य या मिशन की तरफ आकर्षित किया जाता है तो ऐसा कोई भी रास्ता नहीं होता, जो उन्हें अपने लक्ष्य को हासिल करने से रोक सके।

  • बिना किसी स्वार्थ के उद्देश्य से

देशभक्त बिना किसी व्यक्तिगत रुचि के अपने देश के लिए निःस्वार्थ रूप से काम करते हैं। अगर हर किसी में देशभक्ति की भावना है और वह अपने व्यक्तिगत हित को संतुष्ट करने के बारे में नहीं सोचता है, तो निश्चित रूप से इससे देश को लाभ होंता है।

  • बिना भ्रष्टाचार के

यदि राजनीतिक नेताओं के अन्दर देशभक्ति की भावना है, तो वे वर्तमान परिस्थिति के विपरीत देश के लिए काम करेंगे तथा सत्ता में लोग देश के उत्थान के लिए काम करने के बजाय खुद के लिए पैसे कमाने में व्यस्त रहते हैं। इसी तरह, यदि देश के सरकारी अधिकारी और अन्य नागरिक देश की सेवा की दिशा में दृढ़ रहेगें तथा स्वयं के लिए स्वार्थी बनकर धन कमाने से दुर रहेगें तो निश्चित रुप से भ्रष्टाचार का स्तर कम हो जाएगा।

देशभक्ति को अंधराष्ट्रीयता में नहीं बदला जाना चाहिए

देशभक्त होना एक महान गुण है। हमें अपने देश से प्यार और उसका सम्मान करना चाहिए और जितना भी हम कर सकते हैं देश के प्रति उतना करना चाहिए। देशभक्ति की भावना रखना  सकारात्मक बीन्दुओं को दर्शाते हैं कि यह कैसे देश को समृद्ध और बढ़ने में मदद कर सकता है। हालांकि, कुछ लोग का देश के प्रति अत्यधिक प्रेम और अपने देश को श्रेष्ठतर और सर्वोपरी मानना अंधराष्ट्रीयता को दर्शाता है कुछ भी अत्यधिक होना बेकार होता है चाहे वो देश के प्रति अधिक प्यार ही क्यू न हो। अंधराष्ट्रीयता में अपने देश की विचारधाराओं और अपने लोगों की श्रेष्ठता की तर्कहीन धारणा में दृढ़ विश्वास दूसरों के लिए घृणा की भावना पैदा करता है। यह अक्सर देशों के बीच संघर्ष और युद्ध को बढ़ावा देती है साथ ही साथ शांति और सद्भाव को भी बाधित करती हैं।

अतीत के कई उदाहरण हैं जिनमें अंधराष्ट्रीयता के कारण टकराव हुए और वे दंगो में परिवर्तित हो गए देशभक्ति और अंधराष्ट्रीयता के बीच एक बहुत ही पतली सी रेखा है। देशभक्ति एक निःस्वार्थ भावना है जबकि अंधराष्ट्रीयता कट्टरपंथी और तर्कहीन है। लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी देश की प्रति भक्ति और प्रेम उस समय उनकी अंधराष्ट्रीयता में ना परिवर्तित हो जाए।

किसी का उसके मूल भूमि के प्रति प्यार उसके देश के प्रति उसका सबसे शुद्धतम रूप है। एक व्यक्ति जो अपने देश के लिए अपने हितों का त्याग करने के लिए तैयार रहता है, हमें उसे सलाम करना चाहिए है। दुनिया के प्रत्येक देश को ऐसी भावना रखने वाले लोगों की अत्यधिक आवश्यकता है।

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HINDI ESSAYS & TOPICS

Essay on Desh Prem in Hindi – देश प्रेम पर निबंध

February 16, 2018 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में देश प्रेम पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph, short and Long Essay on Desh Prem in Hindi Language for students of all Classes in 200, 400 and 600 words.

Short Essay on Desh Prem in Hindi Language – देश प्रेम पर निबंध

Essay on Desh Prem in Hindi

Paragraph & Short Essay on Desh Prem in Hindi Language – देश प्रेम पर निबंध ( 200 words )

एक असली देश प्रेमी वह है, जिसके दिल में अपने देश के लिए प्यार और भक्ति है| एक सच्चे देश प्रेमी उनकी मातृभूमि के कल्याण के लिए अपने सभी बलिदान के लिए तैयार है। जिस भूमि पर वह पैदा हुआ और लाया गया है, वह उसके जीवन में किसी भी चीज की तुलना में उसके प्रति अधिक है। वह अपने देश की भूमि पर गर्व महसूस करता है। एक देश प्रेमी एक वफादार नागरिक है| वह शत्रु से अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता को बचाने के लिए अपने जीवन का त्याग करने के लिए युद्ध में जाएंगे उनके देशवासियों के लिए उनके लिए असहनीय सहानुभूति और सहानुभूति है। वह अपने निजी हित या लाभ की परवाह नहीं करता।

एक देशभक्त अपने देशवासियों की खातिर किसी भी तरह की पीड़ा से गुजरने के लिए तैयार है। वह अपने साथी-नागरिकों द्वारा प्यार करते हैं जो जब वह बीतता है तो आँसू बहाते हैं। ऐसे देश प्रेमियों के कई जलते उदाहरणों के साथ इतिहास का प्रचलन है, जिन्होंने अपने जन्मभूमि के कारण उनके जीवन का बलिदान किया। भारत में भी हजारों सच्चे देश प्रेमी थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अपना जीवन दिया था।

Short Essay on Desh Prem in Hindi Language – देश प्रेम पर निबंध ( 400 words )

भूमिका- देश प्रेम को सबसे उच्च प्रेम कहा गया है। हर व्यक्ति अपनी जन्म भूमि से निस्वार्थ प्रेम करता है। जन्म भूमि को स्वर्ग से भी उच्च माना गया है। हमारा देश हमारे लिए माँ समान होता है क्योंकि यही पर हमारा पालन पोषण होता है। हर व्यक्ति को अपना देश माँ की तरह ही प्यारा होता है। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति अपने देश से प्यार नहीं करता तो वह जीवित इंसान नही पत्थर है। व्यक्ति चाहे देश में किसी भी परिस्थिति में रहे वह हर हाल में अपने देश से प्यार करता है। उसका प्यार ही उसे देश के लिए कुछ करने का जज्बा देता है। सेना में मौजुद सैनिक प्रत्यकश रूप से अपना देश के प्रति प्रेम दिखाते है और बाकि सभी लोग अप्रत्यकश रूप से।

किसी भी देश की सबसे बड़ी ताकत वहाँ के लोग होते है और अगर वो देश से प्यार करते है तो देश की शक्ति का अंदाजा लोगो के देश प्रेम से लगाया जा सकता है। किसी भी देश का इतिहास और संस्कृति ही देश के बारे में बताते है। देश से प्यार करने वाले लोग अपना तन मन धन सबकुछ देश पर वार देते है। भारत में बहुत से वीर हुए है जिन्होने दे प्रेम के लिए प्राण त्याग दिए है। हमारा इतिहास देश प्रेम की कथाओं से भरा हुआ है। इस देश में वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप जैसे बहुत से देश प्रेमी हुए है। उन्होने देश की तन मन धन से सेवा की।

देश पर अगर हमारा अधिकार है तो उसके प्रति हमारे बहुत से कर्तव्य भी है। हमें इसके मान सम्मान का ध्यान रखना होगा और देश के विकास के लिए कार्य करना होगा। एक सच्चा देश प्रेमी हर तरह से देश की सेवा करता है। देश प्रेम का अहसास देश से जुदा होने पर ही होता है या फिर जब हमारी आजादी खतरे में होती है। देश प्रेम ही देश का विकास का परम साधन है। एक सच्चा देश प्रेमी देश को प्यार करता है,उसके रीति रीवाज से प्यार करता है,देश के रहन सहन से प्यार करता है और देश में बनी हर चीज से प्यार करता है। वह अपनी मातृभाषा से भी बहुत प्यार करता है। आज के दौर में भी वो हिंदी का प्रयोग करने में नहीं हिचकते। वह बहुत ही गौरव से हिंदी बोलते है। उनकी हर बात में देश प्रेम झलकता है। देश प्रेम देशवासियों की पहचान है।

Long Essay on Desh Prem in Hindi Language – देश प्रेम पर निबंध (600 Words)

देश प्रेम का अर्थ है मातृभूमि के लिए प्यार। यह गुण है जो मनुष्य को अपने मूल देश के लिए कुछ भी करता है। एक देश प्रेमी हमेशा अपने देश की प्रगति के लिए चिंतित है।अपने सभी कृत्यों और चालें इस विचार से आगे बढ़ती हैं कि प्रत्येक देश में राष्ट्रों के सांसद में उनका देश सबसे आगे होना चाहिए। लेकिन ऐसे लोग हैं जो देश प्रेमी होने का ढोंग करते हैं लेकिन अपने मूल देश की कीमत पर भी अपने हित के लिए कुछ भी करते हैं। ऐसे लोग वास्तविक दुश्मनों की तुलना में देश के लिए बहुत खतरनाक हैं। क्योंकि उन्हें पहचानना बहुत कठिन है। वे धोखेबाज और नकली देशभक्त हैं| युद्ध के समय देश प्रेम का गुणनोत्पादन महत्वपूर्ण रूप से प्रदर्शित होता है। जो एक सच्चे देश प्रेमी है वह अपने सभी देश के लिए अपने सभी बलिदान के लिए तैयार है। वह अपने देश की खातिर अपने ही जीवन को जोखिम में डालता है। वह हमेशा अपनी मातृभूमि की स्थिति की मांग के मुताबिक सेवा करने के लिए उत्सुक है। इतिहास में अपना नाम बनाये गये सभी महान राष्ट्रों को अपने देश प्रेमी की सेवाओं को स्पष्ट करने के लिए गर्व है।

उनकी भूमिका राष्ट्र की प्रगति में हानिकारक रही थी अंग्रेजी देशभक्ति का शानदार उदाहरण प्रस्तुत करता है| यह देशवासियों की देश प्रेमी थी जिन्होंने दुनिया के बड़े हिस्से में अपने साम्राज्य का विस्तार करने में मदद की। देश की असली शक्ति इन देश प्रेमी में निहित है। भारत को कई देश प्रेमियों का निर्माण करने पर गर्व है इन देशभक्तों ने अपनी मातृभूमि के लिए महान त्याग किए हैं उनके नाम भारत के इतिहास में स्वर्ण पत्रों में लिखे गए हैं। शिवाजी, राणा प्रताप, वीर कुंवर सिंह, राणी लक्ष्मी बाई, महाराजा रणजीत सिंह, सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस, लाला लाजपत राय, भगत सिंह, मौलाना आजाद, महात्मा गांधी, कुछ नाम हैं, जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपना जीवन बलिदान किया। वे रहते थे और देश के लिए मृत्यु हो गई। वे आने वाले पीढ़ी के लिए उदाहरण हैं। देशप्रेमियों की प्रगति में देश प्रेमी प्रमुख भूमिका निभाते हैं। लेकिन देश प्रेमी का वास्तविक परीक्षण संकट के समय होता है। जो एक वास्तविक देश प्रेमी है वह सभी परीक्षणों और कष्टों के सामने खड़ा नहीं है। मातृभूमि के लिए चिंता और प्यार की तीव्रता अपरिवर्तित रहती है। हमें ऐसे धोखेबाज के खिलाफ गार्ड पर होना चाहिए। वे भरोसेमंद कभी नहीं हो सकते। वे लोग हैं जो गोपनीय जानकारी अपने शत्रुओं को अपने छोटे से समाप्त होने के लिए प्रदान करते हैं।

जय चंद, मीर जाफर इत्यादि इस श्रेणी में आते हैं, जिनकी बेवफाई हमारे देश के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा करती है। इस तरह के तत्वों को पहचाना और कड़ाई से निपटा जाना चाहिए। ईसमें कोई संदेह नहीं है कि देश प्रेम एक गुण है। लेकिन इसे किसी निश्चित सीमा से परे जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए| तो यह राक्षसीपन हो जाता है| यह एक अच्छा संकेत नहीं है ऐसी रवैया वाला कोई व्यक्ति अन्य देशों पर नजर डालना शुरू कर देता है। यह दृष्टिकोण को संकुचित करता है जो अंततः अपने व्यक्तित्व विकास के लिए विनाशकारी साबित होता है। आक्रामक देश प्रेमी कभी-कभी देश की शांति और समृद्धि को खतरे में डालती है। यह अक्सर सामूहिक हत्या की ओर जाता है| हिटलर के शासनकाल के दौरान जर्मनी में यहूदियों की मास हत्या उन्मत्त देश प्रेमी का एक उदाहरण है। हमें इससे बचना चाहिए| देश प्रेम एक अच्छी गुणवत्ता है| इसे विकसित और संरक्षित किया जाना चाहिए। लेकिन हमें इसे व्यापक परिप्रेक्ष्य में लेना चाहिए। सभी पुरुषों समान हैं और जीवन की समानता है प्रभाग मानव निर्मित हैं| हमें पूरी दुनिया को एक देश के रूप में देखना चाहिए और उनके लिए परस्पर संबंध होना चाहिए।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध  ( Short Essay on Desh Prem in Hindi Language – देश प्रेम पर निबंध )  को पसंद करेंगे।

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देश प्रेम पर निबंध | Eassay on Desh Prem in Hindi

Essay on desh prem in Hindi

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देश प्रेम पर निबंध (Desh Prem Essay In Hindi)

हम सभी के अंदर कई प्रकार की भावनाएं होती हैं। जिनका सीधा संबंध हमारे अंदर चल रही गतिविधियों से होता है। इन भावनाओं के अंतर्गत प्रेम, समर्पण, इमानदारी, धोखा जैसी बातें भी शामिल होती हैं।

इन महापुरुषों में मुख्य रूप से महात्मा गांधी , भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस जैसे महान नेताओं और महापुरुषों का नाम सबसे पहले लिया जाता है। इन्होंने हमेशा अपने दिल में देश प्रेम की भावना को जगाए रखा और लोगों में भी इस संदेश को फैलाया की यह देश हमारा है और हम इस देश के असली नागरिक हैं।

देश प्रेम की भावना मैं कोई जबरदस्ती नहीं

इस बारे में हमें कई प्रकार की किताबें भी मिल जाती हैं, जिनसे हम ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं और सही दिशा की ओर बढ़ सकते हैं। ऐसे में हमेशा अपने देश के लिए अच्छे कार्य करते रहें और नित प्रगति की राह में आगे बढ़ते रहें।

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देश प्रेम पर निबंध – Patriotism essay in Hindi

आज हम आपके लिए लेकर आये हैं देश प्रेम पर निबंध (patriotism essay in Hindi). हमारे अंदर का जो देश प्रेम होता है वह छात्र जीवन से ही शुरू हो जाता है. और ये तब होता है जब स्कूल में हमें देश के बारे में बताया जाता है. स्कूल में कभी कभी इसके ऊपर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है. इसलिए आज आपके लिए लेकर आया हूँ देश प्रेम पर निबंध (patriotism essay in Hindi).  

भारत हमारी मातृभूमि है. इस विशाल देश के लाखों लोग भारतीयों के रूप में जाने जाते हैं. हमारे जीवन के विकास में मातृभूमि का योगदान अतुलनीय है. हमारे देश के लिए हमारे अंदर जो सम्मान है वह हमारे देश के लिए हमारा प्यार है. यही हमारी राष्ट्रीयता की भावना है. निस्वार्थ रूप से देश के लिए विभिन्न गतिविधियों में संलग्न होना और मातृभूमि के लिए बलिदान देना ही देश प्रेम का पहचान है.

देश प्रेम की जरूरत   

मां के लिए बच्चे की जो भक्ति और सम्मान होती है वैसा भक्ति और सम्मान मातृभूमि की ओर भी होना चाहिए. इन महान विचारों के अलावा, व्यक्ति और राष्ट्र की बेहतरी दूरगामी है. देश प्रेम देश के समग्र विकास की कुंजी है. कोई भी देश कभी भी देशभक्ति के बिना मजबूत नहीं रहा है. एक निष्क्रिय उपेक्षित राष्ट्र को सक्रिय करने में देशभक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है. देश प्रेम से देश तरक्की करता है और लोगों का आत्म-सम्मान बढ़ता है.

desh prem par nibandh

आदर्श देश प्रेमी

किसी देश और राष्ट्र का उत्थान और पतन मानव भाग्य के उदय और पतन के समान स्वाभाविक है. दुनिया के इतिहास में इसके पर्याप्त प्रमाण हैं. देश में इस तरह के महत्वपूर्ण मोड़ पर, देश प्रेमी योग पुरुषों का उदय होता है. भारत के इतिहास को कई देशभक्तों के बलिदानों द्वारा चिह्नित किया गया है. पुरु, चंद्रगुप्त मौर्य, समुद्रगुप्त, विक्रमादित्य, राणा प्रताप, शिवाजी, गुरुगोविंद सिंह, लक्ष्मीबाई, टीपू सुल्तान जैसे देश भक्त देश के लिए बहुत सारे बलिदान दिए हैं. लाललजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस ने भारत में देशभक्ति का एक नया अध्याय रचा है. भारत में, स्वतंत्रता में यह सभी का योगदान अविस्मरणीय है. गैरीबाल्डी, नेपोलियन और हिटलर अपने देश के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं. समय-समय पर दुनिया के हर हिस्से में संत और देशभक्त होते हैं.

देश प्रेम एक कला है

वास्तव में, देशभक्ति एक कला है. हर किसी के पास यह कला नहीं होता है. हर किसी को संत और ईमानदार देशभक्त बनने का अवसर नहीं मिलता है. वास्तव में, देश प्रेमी स्वार्थी होता है. वह देशवासियों की सेवा में खुद को समर्पित करता है. 

देशभक्ति के विकास और प्रसार में कई बाधाएं देखने को मिलता है. देश प्रेम के नाम पर दूसरे देशों के प्रति ईर्ष्या सच्ची देश प्रेम नहीं है. दूसरे देशों पर हमले, साम्राज्यवाद, स्वस्थ देश प्रेम का संकेत नहीं हैं. अपने देश की सामूहिक प्रगति को देखकर, अन्य देशों और नस्लों के प्रति वफादारी न दिखाना देशभक्ति की आदर्श परंपरा नहीं हो सकती है. देशभक्ति अस्थायी राष्ट्रवाद का निर्माण करती है. यह राष्ट्रीय एकता के लिए एक बाधा है. धर्म देशभक्तों के लिए अच्छा नहीं है. सांप्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता देश को सुधारने के बजाय नुकसान पहुंचाते हैं. देशभक्तों को जासूसी से दूर रहना चाहिए.

देश प्रेम एक महान मानव प्रवृत्ति है. देश की समृद्धि के विकास में यह जनता को प्रोत्साहित करता है. देशभक्ति अतीत और वर्तमान की महिमा पर टिकी हुई है. यह लोगों के दिलों में गर्व पैदा करता है. सच्चे देशभक्तों को बलिदान और सेवा की भावना के साथ देशभक्ति की वेदी पर खुद को बलिदान करना चाहिए. देश हमेशा एक ईमानदार देशभक्त चाहता है. शिक्षा का विकास व्यक्ति के दिल में देश प्रेम पैदा करता है. देशभक्ति का इतिहास और जीवनी लोगों को देशभक्त बनने के लिए प्रेरित करती है. देशभक्ति व्यक्ति को वीर कर्म करने के लिए प्रभावित करती है.

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जी हाँ, ये था हमारा लेख देश प्रेम पर निबंध (patriotism essay in Hindi). उम्मीद है आपको ये निबंध पसंद आया होगा. अगर आप चाहते है की ये लेख बाकि सबको की भी पसंद आये तो ये लेख को शेयर करना न भूलें. मिलते है अगले लेख में. धन्यवाद.

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देश प्रेम पर निबंध | Essay on Deshprem in Hindi

Essay on Deshprem in Hindi

सभी कक्षा के लिए देश प्रेम पर निबंध | Essay on Deshprem (Love for Country) for all class in Hindi | Desh Prem Par Nibandh

“देश प्रेम वह पुण्य क्षेत्र है, अलम असीम त्याग से विलखित. आत्मा के विकास से जिसमें, मानवता होती है विकसित.”

मनुष्य जिस देश अथवा समाज में पैदा होता है उसकी उन्नति में सहयोग देना उसका प्रथम कर्तव्य है, अन्यथा उसका जन्म लेना व्यर्थ है. देश प्रेम की भावना ही मनुष्य को बलिदान और त्याग की प्रेरणा देती है. मनुष्य जिस भूमि पर जन्म लेता है, जिसका अन्न खाकर, जल पीकर अपना विकास करता है उसके प्रति प्रेम की भावना का उसके जीवन में सर्वोच्च स्थान होता है इसी भावना से ओतप्रोत होकर कहा गया है-

“जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” अर्थात जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.

देश प्रेम की स्वाभाविकता

देश प्रेम की भावना मनुष्य में स्वाभाविक रूप से विद्यमान रहती है. अपनी जन्मभूमि के लिए प्रत्येक मनुष्य के ह्रदय में मोह तथा लगाव अवश्य होता है. अपनी जन्मभूमि के लिए मनुष्य ही नहीं पशु पक्षियों में भी प्रेम होता है. वे भी उसके लिए मर मिटने की भावना रखते हैं-

आग लगी इस वृक्ष में जलते इसके पात, तुम क्यों जलते पक्षियों, जब पंख तुम्हारे पास. फल खाए इस वृक्ष के बीट लथेडें पात, यही हमारा धर्म हैं जले इसी के साथ.

देश प्रेम की भावना प्रत्येक युग में सर्वत्र विद्यमान रहती हैं. मनुष्य जहां रहता है वहां अनेक कठिनाइयों के बाद भी उस स्थान के प्रति उसका लगाव बना रहता है. देश प्रेम के सक्षम कोई सुविधा-असुविधा नहीं रहती है. विश्व के अनेक ऐसे प्रदेश एवं राष्ट्र है जहां जीवन अत्यंत कठिन है किंतु फिर भी वहां के निवासियों ने स्वयं को उन परिस्थितियों के अनुरूप बना लिया और सदैव उसी देश के निवासी बन कर रहे. मनुष्य पशु आदि जीवधारियों की तो बात ही क्या, फूल पौधों में भी अपने देश के लिए मिटने की चाह होती है. पंडित माखनलाल चतुर्वेदी ने पुष्प की अभिलाषा का अत्यंत सुंदर वर्णन किया है-

मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक. मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पर जावें वीर अनेक.

अपने देश अथवा अपनी जन्मभूमि के प्रति प्रेम होना मनुष्य की एक स्वाभाविक भावना है

देश प्रेम का महत्व

देशप्रेम विश्व के सभी आकर्षणों से बढ़कर है. यह एक ऐसा पवित्र तथा सात्विक भाव है जो मनुष्य को लगातार त्याग की प्रेरणा देता है. देश प्रेम का संबंध मनुष्य की आत्मा से है. मानव की हार्दिक इच्छा रहती है कि उसका जन्म जिस भूमि पर हुआ है वहीं पर मृत्यु का वर्णन करें. विदेशों में रहते हुए भी व्यक्ति अंत समय में अपनी मातृभूमि के दर्शन करना चाहता है. राष्ट्रीय कवि मैथिलीशरण गुप्त ने कहा है-

पा कर तुझसे सभी सुखों को हमने भोगा. तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा. तेरी ही यह देह, तुझी से बनी हुई है. बस तेरे ही सुरस-सार से सनी हुई है.

फिर अन्त समय तू ही इसे अचल देख अपनायेगी. हे मातृभूमि! यह अन्त में तुझमें ही मिल जायेगी.

देश प्रेम की भावना मनुष्य की उच्चतम भावना है. देश प्रेम के सामने व्यक्तिगत लाभ का कोई महत्व नहीं है. जिस मनुष्य के मन में देश के प्रति अपार प्रेम और लगाव नहीं है, उस मानव के अंदर को कठोर पाषाण खंड कहना ही उपयुक्त होगा. इसलिए राष्ट्रीय कवि मैथिलीशरण गुप्त के अनुसार-

जो भरा नहीं है भावों से जिसमें बहती रसधार नहीं. वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं.

जो मानव अपने देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर देता है तो वह अमर हो जाता है, किंतु जो देश प्रेम तथा मातृभूमि के महत्व को नहीं समझता, वह तो जीवित रहते हुए भी मृतक जैसा है.

देश प्रेम के विविध क्षेत्र तथा देश सेवा

देश प्रेम की भावना को व्यक्त करने वाले विभिन्न क्षेत्र हैं. हम तन-मन-धन से देश के विकास में सहयोग दे सकते है. हमारे जिस कार्य से देश की प्रगति हो वही कार्य देशप्रेम की सीमा में आ जाता है. देश की वास्तविक उन्नति के लिए हमें सब प्रकार से देश की सेवा करनी चाहिए. देश सेवा के विभिन्न क्षेत्र हो सकते हैं-

राजनीति द्वारा

भारत प्रजातंत्रात्मक देश है जिसमें वास्तविक शक्ति जनता के हाथ में रहती है. अपने मताधिकार का उचित प्रयोग करके, जनप्रतिनिधि के रूप में सत्य, निष्ठा और ईमानदारी से कार्य करके और देश को जाति, संप्रदाय तथा प्रांतीयता की राजनीति से मुक्त करके, हम उसके विकास में सहयोग दे सकते हैं.

समाज सेवा द्वारा

समाज में फैली हुई कुरीतियों को दूर करके भी हमें अपने देश को सुधारना चाहिए. अशिक्षा, मद्यपान, बाल विवाह, छुआछूत, व्यभिचार आदि अनेक बुराइयों को दूर करके हम अपने देश की अमूल्य सेवा कर सकते हैं और अपनी मातृभूमि के प्रति देश प्रेम की भावना का परिचय दे सकते हैं.

जो नागरिक आर्थिक दृष्टि से अधिक संपन्न है उन्हें देश की विकास परियोजनाओं में सहयोग देना चाहिए, उन्हें देश के रक्षा कोष में उदारतापूर्वक अधिक से अधिक दान देना चाहिए जिससे देश की विभिन्न विकास योजना सुचारू रूप से चल सके.

कलाकार से कई रूप से देश की सेवा कर सकता है. उसकी कृतियों में अद्भुत शक्ति होती है. कवि तथा लेखक अपनी रचनाओं द्वारा मनुष्य में उच्च विचारों तथा देश के लिए त्याग की भावना पैदा कर सकते हैं. कलाकारों की सुन्दर कृतियों को विदेशियों द्वारा खरीदने पर विदेशी मुद्रा का लाभ होता है यह भी एक प्रकार की देश सेवा ही है.

इस प्रकार केवल राष्ट्रहित में राजनीति करने वाला व्यक्ति ही देश प्रेमी नहीं है. स्वस्थ व्यक्ति सेना में भर्ती होकर, मजदूर, किसान, अध्यापक, अपना कार्य मेहनत, निष्ठा तथा लगन से करके और छात्र अनुशासन में रहकर देश प्रेम का परिचय दे सकते हैं.

प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि हम अपना सब कुछ अर्पित करके भी देश की रक्षा तथा विकास में सहयोग दें. हम देश में कहीं भी रहे, किसी भी रूप में रहे अपने कार्य को ईमानदारी से तथा देश के हित को सर्वोपरि मानकर करें. आज जब देश अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं से जूझ रहा है ऐसे समय में प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि हम अपने व्यक्तिगत सुखों को त्याग करके देश के सम्मान, रक्षा तथा विकास के लिए तन-मन-धन को अर्पित कर दे.

प्रत्येक नागरिक के लिए छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद ने कहा हैं कि-

जिएँ तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे या हर्ष. न्यौछावर कर दे हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष.

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2 thoughts on “देश प्रेम पर निबंध | Essay on Deshprem in Hindi”

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देश-प्रेम  desh prem.

निबंध नंबर :- 01  

प्रेम के अनेकानेक रूपों में सबसे श्रेष्ठ, पवित्र और उज्ज्वल है-देश-प्रेम। देश-प्रेम की सूक्ष्मता और गहनता को स्वार्थी या विलासी नहीं समझ सकते। यह देश से मिली सुविधाओं के एवज में दिया जाने वाला भुगतान नहीं है, यह तो नि:स्वार्थ समर्पण भावना है। जिसका लक्ष्य कुछ पाना नहीं मात्र देना होता है। भगत सिंह को देश-प्रेम का प्रतिदान क्या मिला-फाँसी; सुभाष को मौत, गांधी को गोली। लेकिन देश प्रेमी अपने देश की अस्मिता को, उसके गौरव और स्वाभिमान को खंडित होते नहीं देख सकता। उसका खून खौल उठता है और तब सर्वस्व समर्पित करके भी वह मातृभूमि के मान की रक्षा करता है। देश-प्रेम का जपचा कितना गहरा होता है, यह इसी से जाना जा सकता है कि विषुवत् रेखा के निकट रहने वाला आतप सहता है, ध्रुव-प्रदेश का वासी बर्फानी शीत में लिटरता है, किन्तु अपना देश नहीं त्यागना चाहता। जैसा कि श्री राम ने कहा–'जननी जन्मभमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।' 

सत्य ही कहा है मैथिलीशरण गुप्त जी ने भी-

'जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं, वह हृदय नहीं, पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।' 

देश-प्रेम वह पुण्य क्षेत्र है जो अमल असीम त्याग से विलसित है। जिस प्रेम से आत्मा का विकास और मानवता का विकास होता है।

निबंध नंबर :- 02 

देश-प्रेम 

जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं । वह हदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।।  

नैसर्गिक भावना : प्रत्येक देशवासी के हृदय में अपनी मातृभूमि के प्रति असी इस भावना से प्रेरित होकर वह तन-मन-धन से देश-सेवा के लिए तत्पर होता है। देश के योगदान देना, उसकी एकता एवं अखंडता को बनाए रखने के लिए सदैव तैयार रहना कल्याण के लिए निस्वार्थ भाव से कर्म करते रहना हो देश-प्रम है । जिस देश में डाले जिसका अन्न खाकर हम बड़े हुए हैं तथा जिसके जल से हमने अपनी पिपासा को शांत

मन जन्म लिया है. जिसके शीतल पवन ने हमारे प्राणों को नवस्फूर्ति प्रदान की है तथा जिसकी पावन मिटटी में कर हम बड़े हए हैं, उसके प्रति हृदय में पवित्र प्रेम की भावना होना स्वाभाविक है -

देश की माटी, देश का जल, 

हवा देश की देश के फल

सरस बने प्रभु सरस बने । 

देश के तन और देश के मन

देश के घर के भाई बहिन

विमल बनें प्रभु विमल बनें ।। 

देश का विकास : देश के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाना ही देश-प्रेम कहलाता है। आवश्यकता पड़ने पर देश के लिए प्राण न्योछावर करना ही केवल देश-प्रेम नहीं बल्कि देश के विकास के लिए किया गया प्रत्येक कार्य इसी श्रेणी में आता है । कृषक, वैज्ञानिक, अध्यापक, वास्तुकार, व्यापारी, उद्योगपति सभी देश के विकास में हाथ बँटाते हैं और इसके प्रति अपना प्रेम प्रकट करते हैं।

प्रेरक व्यक्तित्व : स्वदेश-प्रेम की भावना प्रत्येक मनुष्य में स्वाभाविक रूप से विद्यमान होती है। इसी भावना के कारण रानी लक्ष्मी बाई, सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस जैसे वीरों ने हँसते-हँसते प्राण न्योछावर कर दिए । देश-प्रेम की भावना के कारण ही छत्रपति शिवाजी आजीवन मुगलों से युद्ध करते रहे । देश-प्रेम मनुष्य को गौरव प्रदान करता है । इसी भावना से प्रेरित होकर प्रवासी भारतीय भी देश के प्रति अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटते।

जिएँ तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे, यह हर्ष ।

निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारत वर्ष । ।

देश प्रेम  Desh Prem

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देश प्रेम पर निबंध | Essay on Desh Prem in Hindi

Essay on Desh Prem in Hindi: देश प्रेम की भावना हर एक व्यक्ति के जीवन में अपने देश के प्रति एक ही ऐसी भावना है, जिसके लिए हर देश प्रेमी मर मिटने को भी तैयार रहता है। एक सच्चा और अच्छा देश प्रेमी हमेशा ही अपने देश की संस्कृति एवं परंपराओं का सम्मान करता है और अपने देश का नाम ऊंचा रखने के लिए वह हर संभव प्रयास बड़े ही स्नेह और ईमानदारी के साथ करता है।

देश प्रेम मानव जीवन में एक शक्तिशाली भावना है। व्यक्ति को हमेशा अपने देश के प्रति सेवा भाव एवं उसे बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करती रहती है। जिस भी व्यक्ति अंदर देश प्रेम की भावना उत्पन्न हो जाती है तब फिर वह व्यक्ति अपने देश के लिए अपने प्राण भी मुस्कुराते हुए न्योछावर कर देता है।

देश प्रेम पर निबंध (Essay on Desh Prem in Hindi)

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देश प्रेम पर निबंध 500 शब्‍दों में (Essay on Desh Prem in Hindi)

देश प्रेम की भावना यह एक ऐसी अनोखी भावना है, जो व्यक्ति को अपने देश से जुड़ा हुआ महसूस कराती है। अपने देश के प्रति यही लगाव व्यक्ति को उसकी जन्मभूमि ,अपने देश की संस्कृति, उसके इतिहास और उसे देश में रहने वाले लोगों के प्रति मान – सम्मान लोगो के प्रति इज्जत और प्रेम भाव का अहसास कराती है। एक सच्चा देश प्रेमी हमेशा ही अपने देश का विकास और अपने देश की तरक्की में अपना योगदान करने के लिए हमेशा तैयार रहता है।

देश प्रेम के प्रति हर व्यक्ति की अपने – अपने देश के प्रति अपनी अलग – अलग अभिव्यक्ति हो सकती है। कुछ लोग देश के प्रति अपना प्रेम वफादारी और निष्ठा के रूप में दिखाते हैं, वे अपने देश के सम्मान गीत व अपने देश के झंडे को ही सम्मान के रूप से देखते हैं। तो कुछ ऐसे भी देश है जो अपने देश की कला साहित्य और संगीत के क्षेत्र में दुनिया भर के सामने प्रदर्शित होते हैं।

देश प्रेम का अर्थ

देश प्रेम दो शब्दों से मिलकर बनता है। जिसका अर्थ होता है प्रेम सम्मान और समर्पण। इस दुनिया में रहने वाले सभी लोग जो जिस देश से रहते है और उसी देश के प्रति अपना प्रेम और अपनी जन्मभूमि से जो लगाव रखता है वही देश प्रेम कहलाता है। एक सच्चा और अच्छा देश प्रेमी वही होता है जो अपने देश की तरक्की में भागीदार बने और उस तरक्की से खुश हो,गर्व महसूस करे , अपने देश के राष्ट्र के गीतों, राष्ट्र चिन्हों,और और अपने देश की सुरक्षा के लिए जो सैनिक शहीद हुए है उनके इस बलिदान का सम्मान करें।

देश प्रेम का महत्व

हर व्यक्ति के लिए उसका देश उसके लिए एक धरोहर के रूप में होता है। देश प्रेम हर व्यक्ति के लिए बहुत महत्व रखता है। एक देश में विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं और सभी में एक जुटता मजबूती और भाईचारा आदि देखने को मिलता है। “अनेकता में एकता” यह जो कथन है वह यहां पूर्णता यही सिद्ध होता है कि, जब देश के सभी लोग मिलकर अपने देश के प्रति कार्य करते हैं बलिदान देते हैं तो हमारा देश बहुत ही विकासशील, समृद्ध और शक्तिशाली बनता है।

पूरी दुनिया में कई तरह के प्रेम संबंध होते हैं लेकिन उन सब में देश प्रेम सभी से बढ़कर माना जाता है।यह देश प्रेम व्यक्ति के अंदर अपने देश के प्रति त्याग और बलिदान करने के लिए प्रेरित करता है। सभी जीवों ने इसी मातृभूमि में जन्म लिया है और इसी धरती ने जल ,भोजन और रहने के लिए आवास प्रदान किया है। तो हम सभी देशवासियों का यह कर्तव्य बनता है कि वह अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए खुद का बलिदान कर देने की ललक हर व्यक्ति के अंदर होनी चाहिए।

देश प्रेम के प्रति समर्पण की भावना

हर देशवासी को अपने देश के प्रति समर्पण और मर मिटने की भावना अपने अंदर रखना हर देशवासी और उसे देश के अच्छे नागरिक होने का कर्तव्य है। देश के सैनिक बॉर्डर की सीमाओं में जिस तरह अपने देश के प्रति देश प्रेम निभाते हैं, उसी प्रकार देश में रहने वाला हर नागरिक चाहे वह छात्र हो ,शिक्षक, कोई नेता ,अभिनेता, व्यापारी , खिलाड़ी आदि यह सभी भी देश प्रेमी ही होते हैं जो किसी न किसी रूप में देश के विकास के कार्य में अपना योगदान देके अपने देश के विकास में अपना योगदान देते हैं।

जिस प्रकार एक सैनिक अपने देश की हिफाजत के लिए सरहदों पर तैनात रहता है। और एक साधारण व्यक्ति किसान और मजदूर के रूप में अपनी देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी का भली भांति पालन करता है और देश के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करता है।

एक शिक्षक अपने सभी छात्रों को देश प्रेम के प्रति समर्पण और बलिदान की भावना से ओतप्रोत कर देता है, जिससे आगे चलकर भविष्य में वही बच्चे हमारे देश का भविष्य बनते हैं और अपने देश की तरक्की और विकास के लिए अपना योगदान देते हैं।

देश प्रेमी के गुण

एक सच्चे देश प्रेमी के के प्रति अनेकों गुण होते हैं जो किस प्रकार हैं –

  • एक सच्चा देश प्रेमी हमेशा अपने राष्ट्र के हित के लिए और हर पहलू को मजबूत करने के लिए सदैव समर्पित रहता है।
  • एक अच्छा देशभक्त वही होता है जो लोगों में शांति और सद्भाव बनाए रखें। एक दूसरे के प्रति भाईचारा और एक दूसरे पर मत मिटने के लिए सदैव तत्पर रहे।
  • एक अच्छा देश प्रेमी सदैव अपने लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर आकर्षित एवं तत्पर रहता है।
  • एक देश प्रेमी बिना किसी व्यक्तिगत स्वार्थ के हमेशा देश की सेवा करने के लिए तैयार रहता है। अभिव्यक्ति अपने व्यक्तिगत के बारे में ना सोचकर, अपने देश के प्रति अपने आपको को देश को सौंप कर उसे हमेशा लाभ और तरक्की की ओर ले जाता हैं।
  • देश प्रेम की भावना लोगों में भाईचारे को बढ़ा कर एक दूसरे के करीब ले आती है।

देश प्रेम का तात्पर्य

देश प्रेम से तात्पर्य अपने देश के साथ प्रेम और उसकी इज्जत करना है। सच्चा देश भक्ति सदा अपने देश की रक्षा के लिए त्याग और बलिदान करने के लिए आतुर रहता है। एक व्यक्ति अपने जीवन में कर्म और विचारों से तो भिन्न हो सकता है, परंतु जब बात अपने देश की होती है तो सभी धर्म के लोग बिना कोई जात – पात ,छोटा – बड़ा सभी अपने वातंकी रक्षा के लिए एकजुट होकर सच्ची देशभक्ति को निभाते हैं।

हमें अपना देश एक बहुत ही सुंदर धरोहर के रूप में प्राप्त हुआ है। देश प्रेम एक ऐसी शक्तिशाली शक्ति है, जिसके सामने दुश्मन को भी अपने मुंह की खानी पड़ती है। देश प्रेमी कैसी भावना है जो जो हमें अपनी संस्कृति सभ्यता और गौरव को समझने और उसे सम्मान करने के लिए प्रोत्साहित करती है। देश प्रेम की भावना व्यक्ति को देश के प्रति समर्पित होने अपने कर्तव्यों को भली भांति निभाने और अपने देश की समृद्धि, विकास और उन्नति के क्षेत्र में अपना योगदान देती है।

प्रश्न 1- देश प्रेम के लिए क्या आवश्यक है?

उत्तर -देश प्रेम के लिए सबसे आवश्यक शांति और सद्भाव बनाए रखना है।

प्रश्न 2- देश प्रेम क्या है?

उत्तर -देश प्रेमी अपने देश की तरक्की पर गर्व महसूस करना,अपने देश के राष्ट्र चिन्हों और प्रतीकों का आदर सम्मान करना यही सच्चा देश प्रेम है।

प्रश्न 3- देश प्रेम से क्या तात्पर्य है?

उत्तर -देश प्रेम से तात्पर्य किसी देश के प्रति पूर्ण समर्पित प्रेम,समर्थन, रक्षा और राष्ट्रीय निष्ठा का होना है।

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Desh prem essay in hindi देश प्रेम पर निबंध.

Know information regarding देश प्रेम पर निबंध Desh Prem Essay in Hindi for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12.

Desh Prem Essay in Hindi

Desh Prem Essay in Hindi 500 Words

देश-प्रेम ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी’ के अनुसार माता और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान हैं। जिस देश में हमारा जन्म हुआ है, जिसकी धरती से उत्पन्न हुए अन्न को खाकर हम शारीरिक दृष्टि से हष्ट-पुष्ट हुए हैं, जहां की पवित्र नदियों का अमृत के समान पवित्र और शीतल जल पीकर हमें तृप्ति मिली है, जहां की शीतल, मंद और सुगन्धित वायु हमारी प्राणवायु में निहित है और जिस वसुधा पर गृह-निर्माण कर हम समस्त सुखों का उपभोग कर रहे हैं, उस देश के कण-कण से, उसके प्रत्येक जीव एवं उसकी प्रत्येक वस्तु के प्रति हमारा अनंत प्रेम होना स्वाभाविक ही है। मैथिलीशरण गुप्त ने तो स्वदेश प्रेम से रहित हृदय वाले व्यक्ति को पत्थर की संज्ञा देते हुए उसे निरे पशु के समान माना है,

‘जिनमें न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है। वह नर नहीं नर-पशु निरा, और मृतक-समान है।

केवल इतना ही नहीं, वे तो यहां तक लिखते हैं कि

जो भरा नहीं है भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं। वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।’

संस्कृत और हिन्दी के कवियों ने ही नहीं, अंग्रेजी के कवियों ने भी स्वदेश-प्रेम की महानता को स्वीकार किया है। नायन हेल की इस पंक्ति में उनके देश-प्रेम की सुंदर एवं पवित्र भावना देखी जा सकती है –

‘मुझे दुख है कि मैं केवल एक बार जीवन को स्वदेश पर अर्पित कर सकता हूं।’

मनुष्य के हृदय में स्वदेश के प्रति प्रेम होना स्वाभाविक ही है। मनुष्य ही क्या, पशु-पक्षियों तथा पेड़-पौधों में भी यह पावन प्रवृत्ति देखी जा सकती है। पक्षी परे दिन कोसों तक घमकर सायंकाल अपने नीड़ों में लौटते हैं। पेड़-पौधे भी अपनी जन्मभूमि में जितने फलते-फूलते हैं, वैसे किसी अन्य स्थल पर नहीं। उदाहरण के लिए-कश्मीर में उत्पन्न होने वाला सेब विश्व में अन्यन्त्र कहीं वैसा उत्पन्न नहीं हो सकता। दिनकर की ‘देश-प्रेम’ कविता की कुछ पंक्तियों में इसके दर्शन किये जा सकते हैं,

‘हिमवासी जो हिम में तम में, जीता है नित कांप-कांप कर। रखता है अनुराग अलौकिक, वह भी अपनी मातृभूमि से।

जिस देश के वासी स्वदेश की उन्नति में ही अपनी उन्नति देखते हैं, ऐसे देश की उन्नति ही संभव हो सकती है। वर्तमान समय में विदेशों में दृष्टिगोचर होने वाली उन्नति देश-प्रेम के परिणामस्वरूप ही दिखाई देती है। इसके विपरीत, भारतवर्ष की अवनति का मूल कारण भारतवासियों में देश-प्रेम का अभाव है। हमारे देश के लिए यह लज्जा की बात है कि कोई व्यक्ति देश-हित के लिए स्व.हित की बलि नहीं दे सकता।

संसार के प्रत्येक देश में समय-समय पर देश-प्रेमी जन्म लेते रहे हैं। भारत का इतिहास तो देश-प्रेम की कथाओं से भरा पड़ा है। शिवाजी, राणाप्रताप, लक्ष्मीबाई, भगतसिंह, सुभाष चन्द्रबोस, रामप्रसाद बिस्मिल आदि देश-प्रेमियों को विस्मृत नहीं किया जा सकता है। इन महान आत्माओं की त्याग-भावना के परिणामस्वरूप ही देश की स्थिति में परिवर्तन हो सका है। हम भारतवासियों के हृदय में देश-प्रेम की भावना को कूट-कूट कर भरने वाले इन सभी देश-प्रेमियों का स्वागत करते हैं।

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देश प्रेम पर निबंध | Desh Prem Essay in Hindi

 देश प्रेम पर निबंध desh prem essay in hindi.

देश प्रेम शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है. जिसका अर्थ होता है. देश के प्रति प्रेम. अर्थात स्वदेश के प्रति प्रेम ही देश प्रेम होता है. हमारे राष्ट्र के प्रति प्रेमभाव हमारा कर्तव्य है. हमें अपनी मातृभूमि से प्रेम होना चाहिए.देश प्रेम स्वाभाविक रूप से होना चाहिए. 

देश-प्रेम में त्याग –  अपने देश के प्रति प्रेम बनाये रखने का सबसे श्रेष्ठ उदहारण देश की रक्षा करना होता है. एक सच्चा देश भक्त अपनी जान की प्रवाह किये बिना देश की सेवा में हर समय तत्पर रहता है. अपने देश प्रेम के लिए अपना घर,अपना परिवार तथा अपनी जान तक न्योछार करनी पड़ती है. यही देश के लिए एक व्यक्ति का श्रेष्ठ त्याग होता है. 

एक पवित्र भावना –   हम एक भारतीय नागरिक होने के नाते हमें देश की रक्षा करनी चाहिए. तथा देश के प्रति प्रेम एवं राष्ट्र भक्ति को बढ़ावा देना चाहिए.देश के प्रति पवित्र भावना को उज्जवल करना चाहिए. हमें अपने देश के लिए कुर्बान होने का मौका मिले तो हमें उसे नहीं ठुकराना चाहिए.

देश के लिए शहीद होना खुद के लिए गर्व की बात होनी चाहिए. देश के लिए शहीद होना देश प्रेम की निशानी है. प्रत्येक व्यक्ति के लिए उसका राष्ट्र ही गौरव होता है.अपने गौरव को बनाये रखने के लिए हमें देश के लिए सब-कुछ अर्पित कर देना चाहिए.

प्रेमी का जीवन – एक से परिवार बनता है. परिवार मिलकर समाज बनता है. समाज मिलकर एक राष्ट्र की नीव रखते है. इसलिए एक व्यक्ति का राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान होता है. देश प्रेम की पहचान हम देश प्रेम और निजी प्रेम से टकराव से कर सकते है. 

यदि देश प्रेम जीता तो वह व्यक्ति सच्चा देश भक्त है. वरना खुद की रक्षा तो कुत्ते भी करते है.अपने राष्ट्र के लिए जीवन तक का त्याग कर देना सच्ची देशभक्ति तथा देश प्रेम होता है.

देश के बोर्डर पर जाकर देश की रक्षा करना,देश की आंतरिक व्यवस्था को बनाये रखना,देश में वस्तुओ का निर्माण करना,खेती-बाड़ी कर देश का पेट भरना आदि ये सभी उदहारण देश के सेवा के है. भारतीय नागरिक होते हुए हमें अपने दायित्व को भली-भांति निभाना चाहिए.

देश के लिए अपना जीवन अर्पित कर देना ही देश भक्ति नहीं है. किसी भी क्षेत्र से देश की सेवा करना देश भक्ति की निशानी है. देश के लिए वरदान बनकर देश का नाम रोशन करना देशभक्ति है.

देश-प्रेम-सर्वोच्च भावना  – एक भारतीय के लिए धरती माता सबसे श्रेष्ठ होती है. देश प्रेम धन,दौलत से भी बढ़कर होना चाहिए. हमारे देश की भूमि हमारी मातृभूमि है. इसे माता का दर्जा दिया जाता है. 

ये हमारी रक्षा अपने बेटे की तरह करती है. इसलिए हमें इसका रक्षा अपनी माता की तरह करनी चाहिए. हमारे राष्ट्र की सुन्दरता तथा संस्कृति को बनाये रखना का हमारा प्रथम कर्तव्य है. 

आज देश प्रेम की आवश्यकता  – आज हमारे देश को सच्चे प्रेम की आवश्यकता है. हमारे देश में बचने वाले गद्दार लोग पैसो के लालच में आकर अपनी माता यानि मातृभूमि को धोखा देते है. उन लोगो से देश को  बचाने के लिए हमें आज देश प्रेम की शक्त जरुरत है. आज हमारे देश में प्रेम का स्तर काफी अच्छा है. 

देश में जब भी कोई गद्दर द्वारा हमला किया जाता है. तब पूरा देश बदले की चाहत में रो उठता है. और देश तब तक शांत नहीं होता जब तक देश उनका बदला न लें. हमारी देश में जो प्रेम अभी बना हुआ है. वह प्रेम सदा बना रहे यही हम अपने देशवासियों से उम्मीद करते है.

हमारे देश में बचने वाले गद्दारों से बचने के लिए देश को एकता तथा अखंडा की शक्त जरुरत है. इसके बदोलत हमारे देश का विकास संभव है.देश के प्रति प्रेमभाव को बढ़ावा देने के लिए आचार्य शुक्ल जी स्नेह ने लिखा है-

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देश प्रेम पर निबंध Essay on Desh Prem in Hindi @ 2020

हेलो दोस्तों आज फिर में आपके लिए लाया हु Essay on Desh Prem पर पुरा आर्टिकल लेकर आया हु। कहते है Desh Prem की भावना जिस इंसान में नहीं होती वह पशु के समान होता है। इस आर्टिकल में हम आपके लिए लाये है देश प्रेम पर निबंध की पूरी जानकारी जो आपको अपने बच्चे का होमवर्क करवाने में बहुत मदद मिलेगी।

Essay on Desh Prem in Hindi

  • देश प्रेम पर निबंध

प्रस्तावना :

स्वदेश प्रेम की भावना प्रत्येक व्यक्ति में होना स्वभाविक है और जिसमें यह भावना नहीं है वह इंसान नहीं, पशु है। जिस देश में हम पैदा हुए हैं, जहाँ की भूमि की मिट्टी हमारी रग-रग में बसी हुई है, उस मिट्टी से प्यार करना हमारा धर्म है। वह भूमि ही तो हमारी माता है, जननी है और अपनी जननी की सभी को रक्षा करनी चाहिए।

मातृभूमि की उपयोगिता :

हमारी अपनी माता हमें केवल जन्म देती है, लेकिन हमारा पालन-पोषण, अन्न, धन, फूल, फल तो हमें हमारी धरती माता ही देती है, इसलिए मातृभूमि का महत्व तो स्वर्ग से भी बढ़कर है। यह स्वदेश की भावना केवल इंसान में ही नहीं, अपितु पशु-पक्षियों, कीट-पतंगों में भी होती है। सभी को अपने जन्म-स्थान से लगाव होता है।

पशु-पक्षी  भी अपने रहने के स्थान को सजा-संवाकर रखते हैं और दिनभर इधर-उधर  घूमने के बाद सायंकाल को अपने घर में आकर ही शान्ति का अनुभव करते | हैं।

विदेशों में रहने वाले भारतीय इस पीड़ा को समझते हैं कि अपने देश की मिट्टी से दूर रहना कितना कष्टप्रद होता है। स्वदेश प्रेम की भावना से ओत-प्रोत व्यक्ति अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राण भी न्यौछावर कर सकता है

मातृभूमि के उपकार :

सत्य ही तो है कि मातृभूमि ने हमे सभी सुख दिए हैं। इसी धरती का अन्न खाकर हम बड़े हुए हैं, इसी का पानी पीकर हमने अपनी प्यास बुझाई है। इसी की शुद्ध वायु में हम साँस ले रहे हैं, फिर क्यों न हम भी अपनी मातृभूमि की जी-जान से रक्षा करें। सच्चे देशभक्तों का इतिहास : सच्चे देश-प्रेमियों का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है।

अनेक महापुरुषों, जैसे- महाराणा प्रताप, रानी लक्ष्मीबाई , शिवाजी , राजाराममोहन राय, गुरु गोविन्द सिंह, सरदार पटेल, भगत सिंह ,राज गुरु ,लाल बहादुर शास्त्री आदि ने देश-सेवा के सामने अपनी निजी सुख की कभी भी चिन्ता नहीं की और देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया था।

उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी, लेकिन भारतमाता का बाल भी बांका न होने दिया। देश की धरती ऐसे वीर सपूतों को दिल से श्रद्धांजलि अर्पित करती है।

मातृभूमि के प्रति हमारा कर्त्तव्य :

मातृभूमि का हमारे ऊपर बहुत ऋण है, जिसे हम कभी भी नहीं चुका सकते। आज हम स्वतन्त्र है, लेकिन हमारे वीरों ने अनेक कुर्वानियों के पश्चात्, यह स्वतन्त्रता प्राप्त की है। हमें भी अपनी मातृभूमि की पूरे जी-जान से रक्षा करनी चाहिए। सच्चा देशभक्त वही है जो आवश्यकता पड़ने पर अपने बारे में नहीं सोचता, वरन् अपनी मातृभूमि के बारे में सोचता है।

देश-प्रेम बलिदान माँगता है। हमे कोरी बातों से नहीं, बल्कि अपने कार्यों से देश-सेवा करनी चाहिए। देश की प्रगति के लिए अथक प्रयास करने चाहिए। आतंकवादियों, चोरों, लुटेरों से अपनी भारतमाता को बचाना चाहिए। कोई भी बाहरी व्यक्ति आकर हमारी भारतमाता को नुकसान पहुँचाए, तो हमे डटकर उसका सामना करना चाहिए। तभी हम सच्चे देशभक्त कहलाएंगे।

रूस और जापान में युद्ध छिड़ा हुआ था। रूस की सेना ने एक पहाड़ी पर आक्रमण कर दिया। उस पहाड़ी पर जापान के थोड़े से सैनिक अपनी भारी तोप के साथ डटे थे। रूसी सेना उस तोप पर अधिकार करना चाहती थी। रूस के सैनिकों का आक्रमण बहुत भयानक था। वे संख्या में बहुत अधिक थे। जापानी सेना को पीछे हटना पड़ा। उस तोप और पहाड़ी पर रूसी सेना ने आधिपत्य कर लिया। तोप चलाने वाले जापानी तोपची को यह बात सहन नहीं हुई कि उसकी तोप से शत्रु उसी के सैनिकों की जान | ले ले।

रात्रिकाल में बिना किसी को सूचित किए पेट के बल सरकता वह उस पहाड़ी  पर पहुँच गया। वह तोप के पास तो पहुँच गया, किंतु उसे हटाने अथवा नष्ट करने का उसके पास कोई उपाय नहीं था। उसने कुछ देर तक सोच-विचार किया। अंत में वह तोप की नली में घुस गया।

रात में वहाँ भारी हिमपात हुआ। तोप की नली में घुसे तोपची को ऐसा अनुभव । हुआ कि सर्दी के मारे उसकी नसों के भीतर रक्त जमता जा रहा है। उसकी एक-एक | नस फटी जा रही थी। फिर भी वह दाँत में दाँत दबाए रात भर तोप में घुसा रहा। सूर्योदय होने पर रूसी सैनिक तोप के पास आए। वे अपनी सफलता पर खुश हो रहे थे। उन्होंने तोप की परीक्षा करने का मन बनाया।

तोप में गोला-बारूद भरा गया। जैसे ही तोप छूटी उसकी नली में घुसे जापानी तोपची के चीथड़े उड़ गए। तोप के सामने का वृक्ष रक्त से लाल हो गया। तोप की नली से रक्त निकल रहा था। रूसी सैनिकों ने वह रक्त देखा तो कहने लगे, “ऐसा प्रतीत होता है कि तोप छोड़कर जाते समय जापानी सैनिक इसमें कोई प्रेत बैठा गए हैं। अब वह रक्त उगल रहा है। आगे पता नहीं क्या करेगा? अत: यहाँ से भाग निकलना ही श्रेयस्कर प्रेत के भय से रूसी सैनिक तोप छोड़कर उस पहाड़ी से भाग गए। तब जापानी सैनिकों ने पहाड़ी पर पुनः कब्जा जमा लिया।

इस प्रकार जापानी तोपची ने अपना बलिदान देकर वह कर दिखाया, जो एक विशाल तथा शक्तिशाली सेना नहीं कर सकती थी। ऐसी थी जापानी सैनिकों की देशभक्ति! अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु हँसते हँसते | प्राण दे देना जापानी बड़े गौरव की बात मानते हैं।

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देश के प्रति मन में होने वाला कोमल भाव जिसे वह बहुत अच्छा, प्रशंसनीय तथा सुखद समझता है, देश-प्रेम है। देश के साथ अपना घनिष्ठ संबंध बनाए रखने की चाहना देश-प्रेम है। स्वार्थ रहित तथा देश के सर्वतोमुखी कल्याण से ओत-प्रोत भाव देश-प्रेम है। देश के प्रति अंत:करण को अत्यंत द्रवीभूत कर देने वाले और अत्यधिक ममता से युक्त अतिशय अथवा प्रचंड भाव को देश-प्रेम कहते हैं।

देश-प्रेम शाश्वत शोभा का मधुवन है। उर-उर के हीरों का हार है। हृदय का आलोक है। कर्तव्य का प्रेरक है। जीवन-मूल्यों की पहचान है। जीवन-सिद्धि का मूल मंत्र है।

प्रश्न उठता है, देश से प्रेम क्यों हो, इसका उत्तर देते हुए स्वामी विवेकानन्द कहते हैं, भारत मेरा जीवन, मेरा प्राण है। भारत के देवता मेरा भरण-पोषण करते हैं। भारत मेरे बचपन का हिंडोला, मेरे यौवन का आनन्दलोक और मेरे बुढ़ापे का बैकुंठ है।’ _महात्मा गाँधी कहते हैं, ‘मैं देश-प्रेम को अपने धर्म का ही एक हिस्सा समझता हूँ। देश प्रेम के बिना धर्म का पालन पूरा हुआ, कहा नहीं जा सकता।’ (इंडियन ओपिनियन) श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी देश-प्रेम का कारण बताते हुए लिखते हैं-‘यह वन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है। यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है। इसका कंकर-कंकर शंकर है, इसका बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है। हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए।’

देश-प्रेम के सम्बन्ध में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का कथन है-‘परिचय प्रेम का प्रवर्तक है। बिना परिचय के प्रेम नहीं हो सकता। यदि देश-प्रेम के लिए हृदय में जगह करनी है तो देश के स्वरूप से, अंग-अंग से परिचित और अभ्यस्त हो जाइए।’ जब देश-प्रेम का दिव्य रूप प्रकट होता है तब आत्मा में मातृभूमि के दर्शन होते हैं।

स्वामी रामतीर्थ लिखते हैं, ‘मेरी वास्तविक आत्मा सारे भारतवर्ष की आत्मा है। जब मैं चलता हूँ तो अनुभव करता हूँ सारा भारतवर्ष चल रहा है। जब मैं बोलता हैं तो मैं मान करता हूँ कि यह भारतवर्ष बोल रहा है। जब मैं श्वांस लेता हूँ तो महसूस करता हूँ कि यह भारतवर्ष श्वांस ले रहा है। मैं भारतवर्ष हूँ।

देश-प्रेम का भाव राष्ट्रीयता का अनिवार्य तत्व है, देशभक्ति की पहचान है। इहलोक की सार्थकता का गुण है और मृत्यु के पश्चात स्वर्ग में निश्चित स्थान की उपलब्धि है। संस्कृत का सूक्तिकार तो जन्मभूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर महान मानता है। सरदार पटेल का कहना है, ‘देश की सेवा में जो मिठास है, वह और किसी चीज में नहीं।’

कथाकार प्रेमचन्द की धारणा थी, ‘खून का वह आखिरी कतरा जो वतन की हिफाजत में गिरे दुनिया की सबसे अनमोल चीज है।’ आज के भारत में देश-प्रेमी और देश-द्रोही की पहचान आसान नहीं रही। यहाँ तो राजा प्रताप की जय-जय की जगह अकबर की जय-जय, देश को लूटकर खाने वाले परम देशभक्त और चरित्र-हीनता की ओर धकेलने वाले ‘ भारत-रत्न ‘ हैं।

देशहित के लिए जीवनभर तन को तिल-तिल गलाने वाले परम साम्प्रदायिक और जातिवाद के परम पक्षधर धर्मनिरपेक्षता के अवतार बने हैं। विदेशी भाषा अंग्रेजी को महारानी और राष्ट्रभाषा हिन्दी की दासी मान नाक-भौंह सिकोड़ने वाले राष्ट्रीय हैं। जब यह न का कालुष्य धुलेगा तो देश-प्रेमी की जय-जयकार और देश-द्रोही की धिक्कार होगी।

  • Essay on Desh Prem in Hindi

“वह जीव ही नहीं जिसमें प्रेम की भावना नहीं, मनुष्य तो हो हा नहा सकता।”एस विचार किसी महात्मा के हैं। वे तो प्रेमरहित प्राणी को पाषाण की उपमा देते हैं। अन्य प्राणियों से ऊपर उठकर मनुष्य जाति के लिए देशप्रेम और देशभक्ति का होना अत्यंत आवश्यक है और यह उसके लिए विशेष गुण भी है।

‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’, अर्थात् माता तथा मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है-यह भावना जिस व्यक्ति में नहीं, वह पशु एवं पाषाण से भी निकृष्ट है। जहाँ जन्म लिया, पले, बढ़े, जहाँ चलना-दौड़ना, खेलना-हँसना आदि क्रियाएँ कीं, जहाँ का अन्न-जल ग्रहण करके बड़े हुए. जिसके कण-कण को गंदा-मैला-कलुषित किया और जिससे सदा स्नेह और पोषण मिलता रहा, यदि हमें उस ‘माँ’ (जन्मभूमि) से प्रेम नहीं तो धिक्कार है हमारे जीवन पर, धिक्कार है ऐसे व्यक्ति पर, जिसकी माता को शत्रु पददलित एवं अपमानित करने का प्रयत्न कर रहा हो और वह सख की साँस ले।

जिसे अपने देश से प्रेम है, वह ऐसी उपेक्षा नहीं कर सकता। अपने में देशप्रेम की भावना को जाग्रत करना न केवल अपनी जन्मभूमि को बचाना है, अपितु उन ऋणों से उऋण होना है, जिनके बिना हमारे लिए नरक का विधान है। हमें अपने देश पर गर्व करना चाहिए। उसकी रक्षा के लिए तन, मन, धन-सर्वस्व न्योछावर करने तक के लिए मन में भावना और संकल्प होना चाहिए। इस विषय में किसी कवि ने ठीक ही कहा है-

‘जिनको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है। वह नर नहीं, नर-पशु निरा है और मृतक समान है।’ स्वदेश-प्रेम का यह अर्थ नहीं कि हम भारत माता की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करते रहें या भारत माता की जय’ पुकारते रहें। देश के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करना और उन्हें अन्य सभी कार्यों से सर्वोच्च प्राथमिकता देना ही स्वदेश-प्रेम है।

देश के प्रति हमारे कर्तव्य क्या हैं, इसपर विचार करने की आवश्यकता है। हमारा कर्तव्य है स्वदेश को स्वतंत्र बनाए रखें। देश की समस्याओं को सुलझाने का प्रयत्न करें; जैसे-अन्न समस्या, बेकारी की समस्या, अशिक्षा की समस्या, गरीबी की समस्या आदि।

यदि हमें स्वदेश से सच्चा प्रेम है तो हमें एकता की रक्षा करनी चाहिए। यह तभी हो सकता है जब हम मन से संप्रदाय-भेद, भाषा-भेद, जाति-भेद, स्पृश्यता-अस्पृश्यता आदि भेदभावों को भुला दें। हम आपस की लड़ाई और दंगे-फसाद करते रहें तो हमें ‘स्वदेश-प्रेम’ का गुणगान करने का कोई अधिकार नहीं। यदि हम राष्ट्रीय एकता तथा प्रेम की भावना का प्रसार करते हैं तभी हम सच्चे अर्थों में स्वदेश-प्रेमी हैं।

जो व्यक्ति देश से, देश की सरकार से बेईमानी नहीं करता, वह व्यक्ति वास्तव में देश- प्रेमी है। देश पर जब कोई संकट आ पड़े, उस समय देश पर प्राण न्योछावर करने के लिए जो आगे बढ़े, वही देशप्रेम का दावा कर सकता है।

अपने देश के लोगों की सहायता करना भी देशप्रेम का आवश्यक अंग है। जो भूखे को भोजन, नंगे को वस्त्र, बेकार को रोजगार और अशिक्षित को शिक्षा देता है, वही देशप्रेमी है। हमें  सुभाषचंद्र बोस, लाला लाजपतराय, रवींद्रनाथ ठाकुर, मदनमोहन मालवीय, बाल गंगाधर तिलक, सरदार वल्लभभाई पटेल , चंद्रशेखर, भगतसिंह आदि के जीवन-चरित्र से स्वदेश-प्रेम की शिक्षा लेनी चाहिए।

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प्रेम मानव का स्वाभाविक गुण है। प्रेम के अभाव में जीवन सारहीन है। यह प्रेम पारिवारिक-प्रेम, जाति-प्रेम, मित्र के प्रति प्रेम, स्वदेश-प्रेम आदि अनेक रूपों में प्रकट होता है। परंतु इनमें स्वदेश-प्रेम ही सर्वोच्च प्रेम है। जब पशु-पक्षियों को अपने घर से, अपनी मातृभूमि से प्यार होता है, तो भला मानव को अपनी जन्मभूमि और अपने देश से प्रेम क्यों नहीं होगा। मनुष्य तो विधाता की सर्वोत्तम रचना है। संस्कृत के किसी महान कवि ने ठीक ही कहा है-

“जननी जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी।” अर्थात् माता और जन्मभूमि की तुलना में स्वर्ग का सुख भी तुच्छ प्रत्येक देशवासी को अपने देश से अनुपम प्रेम होता है। अपना देश चाहे बर्फ से ढका हो, चाहे गर्म रेत से भरा हो, चाहे ऊँची-ऊँची पहाड़ियों से घिरा हो, वह सबके लिए प्रिय होता है।

वास्तव में अपनी टूटी-फूटी झोंपड़ी में हमें जो सुख मिलता है, वह पराए महलों में भी नहीं मिल सकता। अपनी मातृभूमि के हज़ारों संकट भी परदेस के सुखों से श्रेयस्कर हैं। देश-प्रेम का अर्थ है-देश में रहने वाले जड-चेतन सभी प्राणियों से प्रेम है। वास्तव में, सच्चे देश-प्रेमी के लिए देश का कण-कण पावन और पूज्य होता है।

सच्चा देशप्रेमी वही होता है, जो देश के लिए निःस्वार्थ भावना से बड़े से बड़ा त्याग कर सकता है। सच्च देशभक्त कर्तव्य की भावना से प्रेरित होता है। वह अपने प्राण हथेली पर रखकर देश की रक्षा के लिए शत्रुओं का मुकाबला करता है। ध्यान रहे, सभी को अपना कार्य करते हुए देशहित को सर्वोपरि समझना चाहिए।

जिस देश में हमने जन्म लिया है, उस देश के प्रति हमारे अनंत कर्तव्य हैं। हमें अपने प्रिय देश के लिए कर्तव्य-पालन और त्याग की भावना  रखनी चाहिए। हमारे देश में अनन्य देशभक्त हुए हैं, जिन्होंने हँसते-हँसते देश पर अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।

हमें भी उनके जैसा ही देशभक्त होना चाहिए। भगतसिंह , चन्द्रशेखर, सुखदेव आदि देशभक्तों ने अपने देश के लिए हँसते-हँसते फाँसी के फन्दे को चूम लिया। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस , लाला लाजपत राय आदि अनेक देशभक्तों ने अनेकों कष्ठ सहकर और अपने प्राणों का बलिदान करके देश को आजाद करने में अपना योगदान दिया। राजेन्द्र प्रसाद, सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू आदि देश-रत्नों ने जीवन भर देश की सेवा की।

स्वदेश-प्रेम मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। अत: हमें स्वदेश-प्रेम की भावना के साथ-साथ समग्र मानवता के कल्याण को भी ध्यान में रखना होगा। तभी हमारा जीवन सफल होगा।

देशप्रेम वह पुण्य क्षेत्र है अमल असीम त्याग से विलसित। आत्मा के विकास से जिसमें, मानवता होती है विकसित। -गोपालशरण सिंह

मनुष्य जिस देश या समाज में जन्म लेता है, यदि वह उसकी उन्नति में समुचित सहयोग नहीं देता तो उसका जन्म व्यर्थ है। देश-प्रेम की भावना ही मनुष्य को बलिदान, त्याग की प्रेरणा देती है। मनुष्य जिस भूमि पर जन्म लेता है, जिसका अन्न खाकर, और जल पीकर अपना विकास करता है, उसके प्रति प्रेम की भावना का उसके जीवन में सर्वोच्च स्थान होता है-‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।

देशप्रेम की स्वाभाविकता-देश-प्रेम की भावना मनुष्य में स्वाभाविक रूप से विद्यमान रहती है। प्रत्येक मनुष्य के हृदय में अपनी जन्मभूमि के लिए मोह तथा लगाव अवश्य होता है। मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षियों में भी अपनी जन्मभूमि के प्रति प्रेम का भाव होता है। वे भी उसके लिए मर-मिटने की भावना रखते हैं- आग लगी इस वक्ष में जलते इसके पात तुम क्यों जलते पक्षियो, जब पंख तुम्हारे पास। फल खाए इस वृक्ष के, बीट लथेड़े पात, यही हमारा धर्म है, जलें इसी के साथ।

देश-प्रेम की भावना सर्वत्र और सब युगों में विद्यमान रहती है। मनुष्य जहाँ रहता है, अनेक कठिनाइयाँ होते हुए भी उस स्थान के प्रति उसका मोह बना रहता है। देश-प्रेम के सम्मुख सुविधा असुविधा की बाधा नहीं रहती। विश्व में बहुत से ऐसे राष्ट्र व प्रदेश हैं, जहाँ जीवन अत्यंत कठिन है, परंतु वहाँ के वासियों ने स्वयं को उन परिस्थितियों के अनुरूप बना लिया, उस स्थान को नहीं छोड़ा- विषुवत् रेखा का वासी जो जीता है नित हाँफ-हाँफकर, रखता है अनुराग अलौकिक फिर भी अपनी मातृभूमि पर।

हिमवासी जो हिम में, तम में जी लेता है काँप-काँपकर, वह भी अपनी मातृभूमि पर कर देता है प्राण निछावर। मनुष्य, पशु आदि जीवनधारियों की बात ही क्या; फूल-पौधों में भी अपने देश के लिए मिटने की चाह होती है। पं. माखनलाल चतुर्वेदी ने पुष्प की इसी अभिलाषा का वर्णन किया है-

मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर तुम देना फेंक, मातृभूमि हित शीश चढ़ाने, जिस पथ जाएँ वीर अनेक। इस प्रकार अपने देश और अपनी जन्मभूमि के प्रति प्रेम एक स्वाभाविक भावना है।

देश-प्रेम का महत्त्व-देश-प्रेम विश्व के सभी आकर्षणों से बढ़कर है। यह एक ऐसा पवित्र व सात्त्विक भाव है, जो मनुष्य को निरंतर त्याग की प्रेरणा देता है। देश-प्रेम का संबंध मनुष्य की आत्मा से है। मानव की हार्दिक इच्छा रहती है कि उसका जन्म जिस भूमि पर हुआ है, वहीं पर वह मृत्यु का वरण करे। विदेशों में रहते हुए भी अंत समय में वह अपनी मातृभूमि के दर्शन करना चाहता है।

गुप्त जी ने कहा है-

पाकर तुझको सभी सुखों को हमने भोगा, –

तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा?

तेरी ही यह देह तुझी से बनी हुई है, बस तेरे ही सुरस सार से सनी हुई है। फिर अंत समय तू ही इसे अचल देख अपनाएगी, हे मातृभूमि यह अंत में तुझमें ही मिल जाएगी।

वास्तव में देश-प्रेम की भावना मनुष्य की उच्चतम भावना है। देश-प्रेम के सामने व्यक्तिगत लाभ का कोई महत्त्व नहीं है। जिस मनुष्य के मन में अपने देश के प्रति अपार प्यार और लगाव नहीं है, उस मानव के हृदय को कठोर पाषाण-खंड कहना ही उपयुक्त होगा। कहा भी गया है- भरा नहीं जो भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं, वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं। जो मानव अपने देश के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर देता है, वह अमर हो जाता है। परंतु जो देश-प्रेम तथा मातृभूमि के महत्त्व को समझता है, वह तो जीते हुए भी मरे हुए जैसा है- जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है। वह नर नहीं, नर-पशु निरा है, और मृतक समान है।

देशप्रेम के विविध क्षेत्र व देश-सेवा-देश-प्रेम के कई क्षेत्र हैं। हम तन-मन धन से देश के विकास में सहयोग दे सकते हैं। हमारे जिस कार्य से देश की उन्नति हो, वही कार्य देश-प्रेम की सीमा में आता है। देश की वास्तविक उन्नति के लिए हमें सब प्रकार से अपने देश की सेवा करनी चाहिए। देश-सेवा के विभिन्न क्षेत्र हो सकते हैं-

(क) राजनीति द्वारा- भारत प्रजातंत्रात्मक देश है, जिसमें वास्तविक शक्ति जनता के हाथ में रहती है। अपने मताधिकार का उचित प्रयोग करके, जनप्रतिनिधि के रूप में सत्य, निष्ठा तथा ईमानदारी से कार्य करके देश को जनप्रतिनिधि के रूप में सत्य, निष्ठा तथा ईमानदारी से कार्य करके, देश को जाति, संप्रदाय तथा प्रांतीयता की राजनीति से मुक्त करके हम उसके विकास में सहयोग दे सकते हैं।

(ख) समाज-सेवा द्वारा- समाज में फैली कुरीतियों को दूर करके हमें देश को सुधारना चाहिए। अशिक्षा, मद्यपान, बाल-विवाह, छुआछूत, व्यभिचार आदि अनेक बुराइयों को, जिनसे देश की उन्नति में बाधा पहुँचती है, दूर करके देश-सेवा की जा सकती है।

(ग) धन द्वारा- जो मनुष्य आर्थिक दृष्टि से अधिक संपन्न हैं, उन्हें देश की विकास योजनाओं में सहयोग देना चाहिए। देश के रक्षा-कोष में उत्साहपूर्वक धन देना चाहिए, जिससे प्रतिरक्षा शक्ति मजबूत की जा सके।

(घ) कला द्वारा- कलाकार सक्रिय रूप से देश की सेवा कर सकता है। उसकी कृतियों में अद्भुत शक्ति होती है। कवि, लेखक अपनी रचनाओं द्वारा मनुष्य में उच्च विचारों तथा देश के लिए त्याग की भावना जगा सकते हैं। कलाकार की सुंदर कृतियों को जब विदेशी खरीदते हैं, तो विदेशी-मुद्रा प्राप्त होती है।

इसप्रकार केवल राजनीति करनेवाला व्यक्ति ही देश-प्रेमी नहीं है, स्वस्थ व्यक्ति सेना में भर्ती होकर, किसान, मजदूर, अध्यापक अपना कार्य मेहनत, निष्ठा तथा लगन से करके, छात्र अनुशासन में रहकर देश-प्रेम का परिचय दे सकते हैं।

हमारा कर्त्तव्य-

हमारा कर्तव्य है कि सब कुछ अर्पित करके भी देश की रक्षा तथा तथा विकास में सहयोग दें। जहाँ भी हों, जिस रूप में हों हम अपने कार्य ईमानदारी से तथा देश के हित को सर्वोपरि मानकर करें। जब देश अनेक राष्ट्रों व अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का सामना कर रहा है, ऐसे समय हमारा कर्त्तव्य है कि व्यक्तिगत सुखों को त्याग कर देश के सम्मान, रक्षा तथा विकास में तन-मन-धन को न्यौछावर कर दें। प्रसाद के ये शब्द हमारा आदर्श बन जाते हैं- जिएँ तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष।

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आपने अधिकतर यह देखा होगा कि चिड़िया जिस पेड़ पर अपना घोंसला तैयार कर लेती है तो वह पेड़ उसको बहुत प्यारा हो जाता है। वह चिड़िया उस पेड़ को अपनी जमीन की तरह मानने लगती है। यह बात सभी के लिए लागू होती है। हम चाहे किसी भी देश में पैदा हो हमें उस देश की धरती और मिट्टी से लगाव होना स्वाभाविक है। देश प्रेम में कितने ही देश भक्तों ने अपना सर्वस्व त्याग दिया। और ऐसे बहुत से लेखक और कवि थे जिन्होंने अपने देशभक्ति स्वरूप कलम से देश प्रेम की रचनाएं की। देश प्रेमी अपनी सफलता वतन के प्रति उज्वल स्वप्न को साकार करने में ही मानते हैं। लोगों का अपने देश के लिए प्रेम और अपना जीवन उसकी सेवा के लिए व्यतीत करना ही उस देश के भविष्य को स्वर्णिम बनाता है।

भगत सिंह ने अपना पूरा जीवन अपने देश के प्रति समर्पित कर दिया था। भगत सिंह के मन में जुनून था कि वह अपने देश को अंग्रेजी हुकूमत से छुटकारा दिलवाकर रहेंगे। सिर्फ भगत सिंह ही नहीं बल्कि राजगुरू और सुखदेव जैसे वीर सपूतों ने भी भारत के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। देश के प्रति प्रेम रखने वालों की सूची बहुत लंबी है। आखिर इन सभी देशभक्तों में ऐसा क्या था कि वह देश के लिए मर मिटने को तैयार हो गए? इसका उत्तर है देश प्रेम। देश प्रेम की भावना ने उन्हें यह साहसिक कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। प्रत्येक नागरिक का यह दायित्व बनता है कि वह अपने देश के प्रति समर्पित भावना के दीपक की लौ सदैव जलाए रखे।

देश प्रेम क्या है?

देश प्रेम और कुछ नहीं बल्कि अपने वतन के लिए कुछ कर गुजरने का जुनून निरंतर एक समान बना रहने को कह सकते हैं। यह भावना अपने देश के नाम के उच्चारण मात्र से ही मन में जोश, उत्तेजना और अपार प्रेम की तरंगों का संचार कर देती है। एक सच्चा देश भक्त अपने देश की गरिमा को बनाए रखते हुए ऐसे कार्य को हजारों बार करेगा जिससे उसके देश का नाम विश्व भर में बार-बार सकारात्मक रूप से गूंज उठे। ऐसा होने से उसका मन ऐसा भाव विभोर हो उठता है मानो यह देश उसका अपनी संतान हो।

कई गीतकारों ने ऐसे गीतों की रचना की जिसमें देश भक्ति की झलक साफ-साफ दिखाई और सुनाई पड़ती है। ऐसे ही कुछ गीतों के कुछ बोल हैं- “मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती …”।, “ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी कसम, तेरी राहों में जान तक लुटा जाऐगे, फूल क्या चीज है, तेरे कदमों पे हम, भेंट अपने सिरों की चढ़ा जाएंगे…।” देश प्रेम की भावना हमारे अंदर से उत्पन्न होती है। यह भावना सभी नागरिकों में होनी चाहिए।

देश प्रेम का इतिहास कहां से शुरू हुआ?

देश प्रेम कोई नया शब्द नहीं है। हमारे देश के लोग हमेशा से ही देश के प्रति अपनी वफादारी निभाते आए हैं। आप इतिहास में अनेकों ऐसे महान शासकों को देख सकते हैं जिन्होंने भारत को विदेशी आक्रमणकारियों को भारत पर कब्जा जमाने के सपने को पूरा नहीं होने दिया। उदाहरण के लिए सम्राट चंद्रगुप्त, सम्राट अशोक, वीर शिवाजी आदि। इन सभी महान राजाओं ने विदेशी ताकत को कभी भी भारत पर हावी नहीं होने दिया। लेकिन देश प्रेम की उच्च कोटि की भावना हमें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देखने को मिली।

देश प्रेम का प्रथम उदाहरण हमें सन् 1857 के संग्राम के दौरान देखने को मिला। मेरठ से शुरू हुए इस संग्राम से अंग्रेजी हुकूमत की जड़े हिल उठी थीं। लेकिन सन् 1920 तक आते-आते देश प्रेम की भावना अपनी चरम सीमा तक पहुंच चुकी थी। इस दौरान हमारे देश के हर कोने से हजारों की संख्या में लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया। देश के प्रति इतने असीम लगाव के चलते ही आखिरकार सन् 1947 में भारत पूर्ण रूप से आजाद हो गया।

आज के दौर में देशभक्ति

माना कि हमारा देश आज एक स्वतंत्र राष्ट्र है। लेकिन आज के आधुनिक दौर में भी हम देशभक्ति को अनेक रूप में देख सकते हैं। हमने 15 अगस्त 1947 को आजादी प्राप्त की थी। इसी आजादी को हमने आज तक भी अपने दिल में कायम कर रखा है। हम आज भी बड़े ही उत्साह और जोश के साथ स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस को मनाते हैं। हर साल 15 अगस्त को स्कूल और दफ्तरों में झंडा फहराया जाता है। स्कूल और कॉलेज में परेड की जाती है। भारत में मेक इन इंडिया जैसे अभियान को बड़े ही उत्साह के साथ चलाया जाता है और लोग इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। आज के दौर में देश प्रेम को अनेकों रूपों में दिखाया जा सकता है जैसे कि देश को साफ सुथरा रखकर, भारत में बनी चीजों को खरीदकर और आपस में मिल जुलकर रहकर।

देश प्रेम पर निबंध 200 शब्दों में

हमारे देश की जो धरती है वह वीरों की धरती कहलाई है। यह धरती वीरों के बलिदान की साक्षी रही है। स्वामी विवेकानंद, भगत सिंह, राजगुरु, सुभाष चंद्र बोस और ना जाने कितने ही ऐसे महान पुरूष रहे हैं जिन्होंने लोगों के दिलों में राष्ट्र प्रेम की भावना जगाई। राष्ट्र प्रेम एक अलग प्रकार की भावना है। यह कुछ इस प्रकार की भावना है जैसे हम अपनी मां के लिए प्रेम की भावना का इजहार करते हैं। राष्ट्र प्रेम की भावना हमें अपने देश के लिए कुछ बड़ा करने का हौसला देती है।

जिसे अपने देश के लिए सच्चा प्रेम होता है वह कभी भी अपने देश की छवि को नुकसान नहीं पहुंचाने देता है। देश के प्रति समर्पण भाव रखना बहुत जरूरी है। जो लोग अपने देश के लिए वफादार नहीं होते हैं वह कभी भी अच्छे नागरिक की श्रेणी में नहीं आ सकते हैं। एक सच्चा देशभक्त निस्वार्थ भाव से देश की सेवा करता है। सच्चा देशभक्त देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन करना चाहता है। आज हम सभी के लिए यह जरूरी है कि हम अपने अंदर राष्ट्रभक्ति को जागृत करके रखें। ऐसा करने से हमारा देश प्रगतिशील बनता है।

देश प्रेम पर 10 लाइनें

  • देश प्रेम की भावना रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
  • जैसे हम अपनी मां से प्रेम और लगाव रखते हैं ठीक उसी प्रकार की भावना हमें अपने देश के लिए भी रखनी चाहिए।
  • सच्चे राष्ट्रभक्त कभी भी अपने देश की छवि नहीं बिगड़ने देते हैं।
  • देशभक्त हमेशा स्वार्थहीन होकर देश की सेवा करते हैं।
  • एक सच्चा देशभक्त कभी भी बेईमान नहीं हो सकता है।
  • भगत सिंह, सुखदेव, बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी आदि यह सभी लोग सच्चे राष्ट्रभक्त थे।
  • हम अपनी देशभक्ति अनेकों रूप में दिखा सकते हैं।
  • हमारे देश के जवान सच्चे राष्ट्रभक्त कहलाए जाते हैं।
  • हमें मेक इन इंडिया मुहिम को बढ़ावा देना चाहिए।
  • राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना हमें कहीं पर सिखाई नहीं जाती है। बल्कि यह भावना तो हमारे अंदर से ही जागृत होती है।

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स्वदेश प्रेम पर निबंध। Swadesh Prem Essay in Hindi

स्वदेश प्रेम पर निबंध। Swadesh Prem Essay in Hindi : प्रत्येक देशवासी को अपने देश से अनुपम प्रेम होता है। सच्चे देश-प्रेमी के लिए देश का कण-कण पावन और पूज्य होता है। देश-प्रेम का तात्पर्य है- देश में रहने वाले जड़-चेतन सभी से प्रेम ¸देश के रहन-सहन रीति-रिवाज वेशभूषा से प्रेम¸ देश के सभी धर्मों मतों भूमि¸ पर्वत¸ नदी सभी से प्रेम और अपनत्व रखना उन सबके प्रति गर्व की अनुभूति करना।

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देश प्रेम पर निबंध – Desh Prem Essay in Hindi

संज्ञा की परिभाषा, भेद, उदाहरण

‘जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान है’

माँ हमें जन्म देती है और धरती माँ की गोद में पल कर हम बड़े होते हैं। जिस देश में हमने जन्म लिया, वह हमारी मातृभूमि हमें प्राणों से भी अधिक प्रिय है। उस पर हमारा सब कुछ न्योछावर है, क्योंकि उसने हमें अन्न जल दिया, आश्रय दिया, हमारा पोषण किया।

Essay on Desh prem in Hindi

देश प्रेम की यह भावना इंसान के हदय को देशभक्ति से ओत प्रोत रखती है और समय आने पर वह अपना सब कुछ देश के लिए न्योछावर करने को तत्पर रहता है।

इतिहास देशभक्तों के बलिदान की गाथाओं से भरा पड़ा है। सभी देशों में देशप्रेमियों को सम्मान और स्नेह मिलता है। हमारे देश के कवियों और साहित्यकारों ने शहीदों और देश पर मर मिटने वाले देशभक्तों की अमर गाथाओं को जी खोल कर लिखा है।

देशभक्ति के उदाहरण केवल ये शहीद ही नहीं हैं। देश का नाम सारे विश्व में रोशन करने वाले वैज्ञानिक, खिलाड़ी, कवि और लेखक भी महान देशभक्तों की श्रेणी में आते हैं। ऐसे समाज सुधारकों, कलाकारों और समाज सेवकों के कार्यों से इतिहास भरा पड़ा है जिन्होंने देश की उन्नति के लिये अपना सार जीवन लगा दिया। देशवासी उन्हें शत शत प्रणाम करते हैं। देश उनका सदैव ऋणी रहेगा।

1000 हिन्दी मुहावरे, मुहावरों का अर्थ और वाक्य प्रयोग

हस सब का परम कर्तव्य है कि अपने देश और देशवासियों की भलाई के विषय में चिन्तन करें। अपने देश की भ्रष्टाचार, गरीबी और बेरोजगारी जैसी समस्याओं को समाप्त करने का प्रयास करें और देश के विरूद्ध कार्य करने वाली शक्तियों का नाष करें।

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देश प्रेम पर निबंध | Essay On Desh Prem in Hindi 300 Word (Desh Prem Par Nibandh)

Essay On Desh Prem in Hindi: देश प्रेम एक व्यक्ति का अपने देश के प्रति प्रेम और समर्पण है। यह एक ऐसी भावना है जो व्यक्ति को अपने देश की भलाई के लिए काम करने के लिए प्रेरित करती है। देश प्रेम का अर्थ है अपने देश की संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों का सम्मान करना। यह अपने देश की रक्षा करने और उसके गौरव को बढ़ाने के लिए तैयार रहना भी है।

Essay On Desh Prem in Hindi

Table of Contents

Essay On Desh Prem in Hindi 300 Word (देश प्रेम पर निबंध)

देश प्रेम एक ऐसी भावना है जो एक व्यक्ति को अपने देश के प्रति प्रेम और लगाव महसूस कराती है। यह भावना किसी व्यक्ति के जन्मभूमि, उसकी संस्कृति, उसके इतिहास और उसके लोगों के प्रति प्रेम से उत्पन्न होती है। देश प्रेम एक व्यक्ति को अपने देश की सेवा करने और उसके विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।

देश प्रेम की कई अलग-अलग अभिव्यक्तियाँ हो सकती हैं। कुछ लोग देश प्रेम को अपने देश के प्रति वफादारी और निष्ठा के रूप में व्यक्त करते हैं। वे अपने देश के झंडे और गीत के प्रति सम्मान का भाव रखते हैं। वे अपने देश के लिए लड़ने और उसे बचाने के लिए तैयार रहते हैं।

दूसरे लोग देश प्रेम को अपने देश की संस्कृति और परंपराओं के प्रति प्रेम के रूप में व्यक्त करते हैं। वे अपने देश की कला, साहित्य और संगीत को संरक्षित करने के लिए काम करते हैं। वे अपने देश की विरासत को दुनिया के सामने लाने के लिए प्रयास करते हैं।

तीसरे लोग देश प्रेम को अपने देश के लोगों के प्रति प्रेम के रूप में व्यक्त करते हैं। वे अपने देश के लोगों की मदद करने और उनके कल्याण के लिए काम करते हैं। वे अपने देश के लोगों को एकजुट और मजबूत बनाने के लिए प्रयास करते हैं।

देश प्रेम एक शक्तिशाली भावना है जो एक व्यक्ति को अच्छे के लिए काम करने के लिए प्रेरित कर सकती है। यह एक व्यक्ति को अपने देश की सेवा करने और उसे एक बेहतर जगह बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है।

देश प्रेम के कई लाभ हैं। यह एक व्यक्ति को अधिक जिम्मेदार और कर्तव्यनिष्ठ बनाता है। यह एक व्यक्ति को अधिक दयालु और उदार बनाता है। यह एक व्यक्ति को अधिक साहसी और बहादुर बनाता है।

देश प्रेम एक मूल्यवान संपत्ति है। यह एक व्यक्ति को एक बेहतर इंसान बनने में मदद करता है। यह एक व्यक्ति को अपने देश के लिए एक बेहतर नागरिक बनने में मदद करता है।

देश प्रेम को बढ़ावा देने के लिए कई चीजें की जा सकती हैं। बच्चों को बचपन से ही देश प्रेम की शिक्षा दी जानी चाहिए। उन्हें अपने देश की संस्कृति, इतिहास और लोगों के बारे में बताया जाना चाहिए। उन्हें देश प्रेम की भावना को बढ़ावा देने वाले साहित्य, फिल्मों और अन्य मीडिया का प्रदर्शन किया जाना चाहिए।

देश प्रेम एक ऐसी भावना है जो किसी भी देश के विकास और समृद्धि के लिए आवश्यक है। यह एक व्यक्ति को अपने देश के प्रति समर्पित और प्रतिबद्ध बनाता है। यह एक व्यक्ति को अपने देश की सेवा करने और उसे एक बेहतर जगह बनाने के लिए प्रेरित करता है।

देश प्रेम के महत्व (Essay On Desh Prem in Hindi)

देश प्रेम का बहुत महत्व है। यह एक देश को एकजुट और मजबूत रखता है। यह देशवासियों के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है। देश प्रेम लोगों को अपने देश के लिए कुछ भी बलिदान करने के लिए प्रेरित करता है। यह देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाता है।

देश प्रेम के विभिन्न रूप

देश प्रेम के विभिन्न रूप हैं। कुछ लोग देश प्रेम का इजहार अपने देश की सेवा करके करते हैं। वे सेना में भर्ती हो सकते हैं या सरकारी नौकरी कर सकते हैं। कुछ लोग देश प्रेम का इजहार अपने देश की संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देकर करते हैं। वे कला और साहित्य को प्रोत्साहित कर सकते हैं या देश के ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित कर सकते हैं। कुछ लोग देश प्रेम का इजहार अपने देश की रक्षा करके करते हैं। वे सेना में भर्ती हो सकते हैं या अर्धसैनिक बलों में शामिल हो सकते हैं।

वर्तमान में देश प्रेम की आवश्यकता

आज के समय में देश प्रेम की बहुत आवश्यकता है। हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जब दुनिया में कई तरह की चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए हमें एकजुट और मजबूत होना होगा। देश प्रेम ही हमें इस दिशा में प्रेरित कर सकता है।

कुछ देशभक्तों के उदाहरण

भारत में कई देशभक्त हुए हैं जिन्होंने अपने देश के लिए बहुत कुछ किया है। इनमें से कुछ प्रसिद्ध देशभक्तों में शामिल हैं:

  • महात्मा गांधी: महात्मा गांधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक थे। उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों का उपयोग करके भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराया।
  • सुभाष चंद्र बोस: सुभाष चंद्र बोस भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के एक और प्रमुख नेता थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का नेतृत्व किया, जो ब्रिटिश भारतीय सेना के खिलाफ लड़ी।
  • चंद्रशेखर आजाद: चंद्रशेखर आजाद भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के एक क्रांतिकारी नेता थे। उन्होंने आजादी के लिए कई लड़ाइयां लड़ीं और अंत में ब्रिटिश पुलिस से बचने के लिए आत्महत्या कर ली।
  • भगत सिंह: भगत सिंह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के एक युवा क्रांतिकारी थे। उन्होंने ब्रिटिश सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए कई बम धमाके किए। उन्हें अंत में ब्रिटिश सरकार ने फांसी दे दी।

इन सभी देशभक्तों ने अपने देश के लिए बहुत कुछ किया है। उन्होंने हमें देश प्रेम का पाठ पढ़ाया है और हमें अपने देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया है।

हम सभी को देश प्रेम की भावना को अपने जीवन में विकसित करना चाहिए। हमें अपने देश की संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों का सम्मान करना चाहिए। हमें अपने देश की रक्षा करनी चाहिए और उसके गौरव को बढ़ाना चाहिए।

देश प्रेम एक व्यक्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण गुणों में से एक है। यह हमें अपने देश की सेवा करने और उसके गौरव को बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। देश प्रेम ही हमें एकजुट और मजबूत बनाता है और हमें दुनिया में चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है।

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Hindi Essay on “Desh Prem or Swadesh Prem” , ”देश प्रेम या स्वदेश प्रेम ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

स्वदेश प्रेम

जो भरा नहीं है भावों से बहती जिसमें रसधार नहीं वह हृदय नहीं है, पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यान नहीं।

विश्व में ऐसा तो कोई अभागा ही होगा जिसे अपने देश से प्यार न हो। मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी भी अपने देश या घर से अधिक समय तक दूर नहीं रह पाते। सुबह-सवेरे पक्षी अपने घोसले से जाने कितनी दूर तक उड़ जाते हैं दाना-दुनका चुगने के लिए पर शाम ढलते ही चहचहाता हुआ वापस अपने घोसले में लौट आया करता है। एक नन्हीं सी चींटी भ अपने बिल से पता नहीं कितनी दूर चली जाती है उसे भी अपने नन्हें और अदृश्य से हाथों या दांतों में चावल का दाना दबाए वापस लौटने को बेताब रहती है ये उदाहरण स्पष्ट करते हैं कि मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी तक स्वदेश-प्रेमी हुआ करते हैं।

देश अपने आप में होता एक भू-भाग ही है। उसकी अपने कुछ प्राकृतिक और भौगोलिक सीमांए तो होती ही हैं, कुछ अपनी विशेषतांए भी हो सकती हैं बल्कि अनावश्यक रूप से हुआ ही करती है। वहां के रीति-रिवाज, रहन-सहन, खान-पान, भाषा और बोलचाल, धार्मिक-सामाजिक विश्वास और प्रतिष्ठान, संस्कृति का स्वरूप और अंतत: व्यवहार सभी कुछ अपना हुआ करता है। यहां तक कि वर्तन, नदियां झाने तथा जल के अन्य स्त्रोत, पेड़-पौधे और वनस्पतियां तक अपनी हुआ करती हैं। देश या स्वदेश इन्हीं सबसे समन्वित स्वरूप को कहा जाता है। इस कारण स्वदेश प्रेम का वास्तविक अर्थ उस भू-भाग विशेष पर रहने औश्र मात्र अपने विश्वासों और मान्यताओं के अनुसार चलने-मानने वालों से प्रेम करना ही नहीं हुआ करता, बल्कि उस धरती के कण-कण से धरती पर उगने वाले पेड़-पौधों, वनस्पतियों, पशु-पक्षियों ओर पत्ते-पत्ते या जर्रे से प्रेम हुआ करता है। जिसे अपनी मातृभूमि से स्नेह, वह तो मनुष्य कहलाने लायक ही नहीं है।

‘जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है वह नर नहीं है, पशु गिरा है, और मृतक समान है।’

श्री राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को कहा था कि मुझे यह सोने की लंका भी स्वदेश से अच्छी नहीं लगती। मां और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान लगते हैं।

‘ अपिस्वर्णमयी लंका न में लक्ष्मण रोचते जननी जन्मभूमिश्च, स्वर्गादपि गरीयसी’

उपर्युक्त पंक्तियों में श्री राम ने स्वदेश का महत्व स्पष्ट किया है। यदि मां हमें जन्म देती है तो मातृभूमि अपने अन्न-जल से हमारा पालन-पोषण करती है। पालन-पोषण मातृभूमि वास्तव में स्वर्ग से भी महान है। यही कारण है कि स्वदेश से दूर जाकर व्यक्ति एक प्रकार की उदासी और रूगणता का अनुभव करने लगता है। अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता और रक्षा के सामने व्यक्ति अपने प्राणों तक का महत्व तुच्छ मान लेता है। अपना प्रत्येक सुख-स्वार्थ, यहां तक कि प्राण भी उस पर न्यौछावर कर देने से झिझकना नहीं। बड़े से बड़ा त्याग स्वदेश प्रेम और उसके मान सम्मान की रक्षा के सामने तुच्छ प्रतीत होता है। जब देश स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष कर रहा था। तब नेताओं का एक संकेत पाकर लोग लाठियां-गोलियां तो खाया-झेला ही करते थे, फांसी का फंदा तक गले में झूल जाने को तैयार रहा करते थे। अनेक नौजवान स्वदेश प्रेम की भावना से प्रेरित होकर ही जेलों में सड़-गल गए फांसी पर लटक गए और देश से दर-बदर होकर काले पानी की सजा भोगते रहे।

स्वदेश प्रेम वास्तव में देवी-देवताओं और स्वंय भगवान की भक्ति-पूजा से भी बढक़र महत्वपूर्ण माना जाता है। घ्ज्ञक्र से सैंकड़ों-हजारों मील दूर तक की हड्डियों तक को गला देने वाली बर्फ से ढकी चौटियों पर पहरा देकर सीमों की रक्षा करने में सैनिक ऐसा कुछ रुपये वेतन पाने के लिए ही नहीं किया करते बल्कि उन सबसे मूल में स्वदेश-प्रेम की अटूट भावना और रक्षा की चिंता भी रहा करती है। इसी कारण सैनिक गोलियों की निरंतर वर्षा करते टैंकों-तोपों के बीच घुसकर वीर-सैनिक अपने प्राणों पर खेल जाया करते हैं। स्वदेश प्रेम की भावना से भरे लोग भूख-प्यास आदि किसी भी बात की परवाह न कर उस पर मर मिटने के लिए तैयार दिखाई दिया करते हैं।

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