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भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध (National Festivals of India Essay in Hindi)

भारत त्यौहारों की भूमि है। यहां कई धार्मिक पर्व और राष्ट्रीय पर्व मनाये जाते है। गांधी जयंती, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस देश में मनाए जाने वाले तीन राष्ट्रीय पर्व हैं। भारत सरकार ने देश के राष्ट्रीय पर्वो पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया है। देश भर में सभी स्कूल, कॉलेज, कार्यालय और बाजार इन पर्वो पर बंद होते हैं। विभिन्न आवासीय सामाजिक लोग भी इन त्यौहारों का जश्न मनाने के लिए एकत्रित होते हैं। वे आमतौर पर सुबह के समय इन राष्ट्रीय त्यौहारो को मनाते हैं। जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है, देशभक्ति गीत गाया जाता है और आमतौर पर लोगों के लिए चाय-नाश्ते या दोपहर के भोजन की भी व्यवस्था की जाती है।

भारत के राष्ट्रीय पर्व पर लंबे तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on National Festivals of India in Hindi, Bharat ke Rashtriya Parva par Nibandh Hindi mein)

भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती और गणतंत्र दिवस भारत के तीन राष्ट्रीय पर्व हैं। इनमे से प्रत्येक त्यौहारों का अपना-अपना महत्व है। ये विभिन्न कारणों से मनाए जाते हैं, इन त्यौहारों और उनके महत्व के बारे में यहां संक्षिप्त विवरण दिये गये है:

स्वतंत्रता दिवस

15 अगस्त 1947 के दिन भारत को आजादी मिली थी और तभी से प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। यह स्वतंत्रता दिवस उन स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने के लिए भी मनाया जाता है जिन्होंने हमारे देश की आजादी के लिए निःस्वार्थ रूप से अपने प्राणों का बलिदान दिया। प्रत्येक वर्ष उनके इन वीर कार्यो के लिए उन्हें याद किया जाता हैं।

गणतंत्र दिवस

भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को प्रारुप में आया था। संविधान के गठन के साथ, भारत एक प्रभुत्व राज्य बना और तभी से 26 जनवरी को पुरे देश भर में अति उत्साह के साथ मनाया जाने लगा। मुख्यतः गणतंत्र दिवस समारोह नई दिल्ली के राजपथ में आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम के दौरान परेड, नृत्य और कई अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जो भारत के संविधान के प्रति हमारे सम्मान को दर्शाते है।

गांधी जयंती

हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनायी जाती है। यह भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म दिवस है। वे सदैव ही सच्चाई और अहिंसा के मार्ग का पालन किया करते थे और दुसरो को भी इसके लिए प्रेरित किया करते थे। अंग्रेजों को देश से खदेड़ने के लिए उन्होंने कई भारतीयों को अपने अहिंसा आंदोलन में शामिल किया।

भारत के सभी राष्ट्रीय पर्व अपने नागरिकों के लिए विशेष महत्व रखते हैं। ये पूरे देश में महान उत्साह के साथ मनाए जाते हैं।

इसे यूट्यूब पर देखें : Bharat ke Rashtriya Parva par Nibandh

भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध – 2 (400 शब्द)

हमारे देश के प्रत्येक राष्ट्रीय त्यौहारों में प्रमुख कार्यक्रम और समारोह आयोजित किये जाते हैं। इन त्यौहारों में से प्रत्येक को अनूठे तरीके से मनाया जाता है। भारत के तीन प्रमुख राष्ट्रीय पर्व जैसे- स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती को मनाने के निम्नलिखित महत्व यहां दिए गए है:

स्वतंत्रता दिवस समारोह

दिल्ली के लाल किले में राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्रता दिवस मनाये जाते है। देश के प्रधान मंत्री हर साल 15 अगस्त को इस ऐतिहासिक स्थल पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। 15 अगस्त 1947 के दिन भारत देश को ब्रिटिश शासन के गुलामी से आजादी मिली थी तथा भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा इसी दिन ध्वजारोहण किया गया और तभी से इस अनुष्ठान की शुरूआत हुई हैं।

स्वतंत्रता दिवस उत्सव पर हर साल 21 बंदूको की सलामी दी जाती हैं। इस दिन देश के प्रधान मंत्री अपने भाषण से देश के नागरिको को संबोधित करते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में झंडा फहराने के कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते है। इस अवसर का जश्न मनाने के लिए देश भर के स्कूलों, कॉलेजों, कार्यालयों और आवासीय क्षेत्रों में सांस्कृतिक कार्यक्रम और पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।

गणतंत्र दिवस उत्सव

भारत के संवैधानिक प्रमुख अर्थात राष्ट्रपति प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को राजपथ, नई दिल्ली में राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। इसके बाद राष्ट्रीय कैडेट कोर और भारतीय सेना द्वारा परेड का आयोजन किया जाता हैं। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न भारतीय राज्यों के नागरिक अपनी जीवंत और सुंदर झांकी के द्वारा अपनी संस्कृति का प्रदर्शन करते हैं। स्कूल के छात्र राजपथ में नृत्य एवं अन्य संस्कृति कार्यक्रम को प्रस्तुत करते हैं।

देश के लिए बहादुरी से लड़ने वाले सैनिकों को इस दिन याद किया जाता है और सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रपति अशोक चक्र और कीर्ति चक्र के द्वारा इन बहादुर व्यक्तित्वों को सम्मान अर्पित करते हैं। विभिन्न राज्यों के गवर्नर अपने संबंधित राज्यों में राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। स्कूलों, कालेजों, कार्यालयों और अन्य संस्थानों में इस दिन को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और कई समारोह भी आयोजित किये जाते है।

गांधी जयंती उत्सव

राष्ट्र के पिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर को हुआ था, एक लोकप्रिय नेता होने को नाते गांधी जी को उनके जयंती पर विशेष रुप से याद किया जाता है। इस दिन महात्मा गांधी जी की मूर्तियों को फूलों से सजाया जाता है और शैक्षणिक संस्थानों और कार्यालयों में इस अवसर पर विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। महात्मा गांधी जी की उपलब्धियों और योगदान के बारे में भाषण भी दिए जाते हैं। अनेक प्रार्थना सभाएं भी आयोजित की जाती हैं और विभिन्न मंत्रियों द्वारा गांधी जी के स्मारको का दौरा कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया जाता हैं। उनकी प्रशंसा में देशभक्ति गीत गाए जाते हैं। गांधी जयंती उत्सव के एक हिस्से के रूप में चित्रकला और निबंध प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है।

भारत के सभी नागरिक इन तीन राष्ट्रीय त्यौहारों के उत्सव में दिल से भाग लेते हैं और देशभक्ति की भावना से सराबोर हो जाते है।

भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध – 3 (500 शब्द)

भारतीय राष्ट्रीय पर्व जैसे स्वतंत्रता दिवस, गांधी जयंती और गणतंत्र दिवस जो पूरे देश भर में बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। चूंकि, ये सभी राष्ट्रीय अवकाश हैं, इसीलिए ज्यादातर स्कूलों में इन पर्वो से एक दिन पहले ही इनका आयोजन किया जाता हैं। दो दिनों तक कोई कक्षा न होने के कारण ये छात्रों के लिए दोहरा उत्सव का समय बन जाता है। यहाँ स्कूलों में राष्ट्रीय पर्वो मनाने के निम्नलिखित महत्वो के बारे में बताया गया है:

स्वतंत्रता दिवस हमारे देश का सबसे पसंदीदा राष्ट्रीय पर्व है। स्कूलों में इस पर्व को मनाने के महत्व यहां नीचे दिये गये है:

  • स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिएः स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण यह सुनिश्चित करना है कि युवा पीढ़ी स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदानों की जानकारी प्राप्त हो, जिससे वह उनका मान-सम्मान करे। यह दिन स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने के साथ-साथ उनके सम्मान का भी प्रतीक है।
  • युवा पीढ़ी को स्वतंत्रता संर्घष का महत्व समझाने के लिए: स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस समारोह युवा पीढ़ी को अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान नागरिको के संघर्ष और कठिनाइयों से परिचय कराने का एक अच्छा समय होता है। इस दिन स्वतंत्रता सेनानियों के संर्घष और ब्रिटिश साम्राज्य को कमजोर करने के लिए विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों के आयोजन और आम जनता के प्रयास और समर्थन के ऊपर भाषण दिए जाते हैं और स्कीट का वर्णन किया जाता है।
  • स्वतंत्रता के अनुभूति का उत्सव मनाने के लिए : आजादी की भावना का जश्न मनाने के लिए स्वतंत्रता दिवस समारोह तथा विभिन्न स्कूलों में पतंग उड़ान प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है।
  • युवा पीढ़ी में देशभक्ति की भावना जागृत करने के लिए : उत्सव भी युवा पीढ़ी के अंदर देशभक्ति की भावना को पैदा करने का एक साधन होता है, जिसका की आज कल के युवा पीढ़ी के युवाओ के भीतर आभाव देखने को मिल रहा है।

देश भर के स्कूलों में गणतंत्र दिवस समारोह भव्य रूप से मनाया जाता है। हमारे देश में गणतंत्र दिवस मनाने के निम्नलिखित महत्व यहां दिए गए है:

  • भारतीय संविधान के महत्व बताने के लिए : भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को बनाया गया था। ये दिन स्कूलों में छात्रों को भारतीय संविधान के महत्व को समझाने के लिए मनाया जाता है।
  • युवा पीढ़ी को देश के करीब लाने के लिए: भारतीय संविधान के गठन और इसमें शामिल नेताओं के द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों और कठिनाइयों का वर्णन करने तथा उनसे प्रेरणा लेने के लिए भाषण का आयोजन किया जाता हैं। स्कूलों में गणतंत्र दिवस का जश्न युवा पीढ़ी को अपने देश के करीब लाने का एक अच्छा अवसर प्रदान करता है।

स्कूलों में गांधी जयंती मनाने के निम्नलिखित महत्व यहां दिए गए है:

  • युवा दिमाग को महात्मा गाँधी के विचारधाराओं से प्रेरित करने के लिए: गांधी जी को देश के पिता के रुप में जाना जाता है। गांधी जी के सम्मान में स्कूलों तथा कॉलेजों में गांधी जयंती मनाई जाती है और युवा पीढ़ी को उनकी विचारधाराओं का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस दिन दिये गये भाषणो के माध्यम से युवा पीढ़ी को बापू की प्रेरणादायक जीवन कहानी सुनने तथा सच्चाई और अहिंसा के मार्ग का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
  • देशभक्ति की भावना को स्थापित करने के लिए: बापू एक सच्चे देशभक्त थे। उनके जन्मदिन को देश भर के स्कूलों में उत्सव के रुप में मनाया जाता है। ये छात्रों को अपने अंदर देश के प्रति देशभक्ति की भावना का समायोजन करने के लिए प्रेरित करता है।

छात्र उत्साह के साथ इन उत्सवों में भाग लेते हैं। इस दिन पूरा वातावरण देशभक्ति की भावना से भर जाता है।

भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध – 4 (600 शब्द)

भारत त्योहारों की भूमि के रूप में जाना जाता है। प्रत्येक भारतीय राज्य के अपने विशेष पर्व होते हैं जिन्हें प्रत्येक वर्ष बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और इन त्यौहारों के दौरान अपने नजदीकी और प्रियजनों से भेट करने के लिए जाते हैं। कई धार्मिक त्यौहारों के अलावा, देश में तीन राष्ट्रीय पर्व भी मनाएं जाते है जो स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती हैं। इन सभी त्यौहारों को पूरे देश में अत्यधिक हर्षो-उल्लाष के साथ मनाया जाता हैं। इन त्यौहारों और उनके उत्सव के महत्व के पीछे की कुछ इतिहासिक घटनाएं निम्न रुप से यहां दी गयी है:

1: स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्रता संर्घष

दशकों तक अंग्रेजों ने भारत को अपने उपनिवेश के रुप में स्थापित किया था। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान उन्होंने भारत के नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार किया था। नागरिकों को कड़ी मेहनत करने के लिए बाध्य किया जाता था और उसके लिए उन्हें कम मेहनताना दिया जाता था और इसी तरह अंग्रेजों का अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ता चला जा रहा था। महात्मा गांधी, चंद्रशेखर आज़ाद, शहीद भगत सिंह, बाल गंगाधर तिलक और सरोजिनी नायडू जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने न केवल देश के लिए लड़ा बल्कि स्वतंत्र जनता को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए भी प्रेरित किया।

स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देने के लिए एक विशेष दिन

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों और उनके संघर्ष के प्रयासों के कारण अंततः वर्ष 1947 में भारत को आजादी मिली। 15 अगस्त 1947 को भारत देश ने स्वतंत्रता प्राप्त की और प्रत्येक वर्ष इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन स्वतंत्रता प्राप्त करने में हमारी मदद करने वाले महान नेताओं का सम्मान करने और श्रद्धांजलि देने के लिए प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस को उनकी याद में मनाया जाता है।

स्वतंत्रता मनाने के लिए एक विशेष दिन

स्वतंत्रता दिवस आजादी का जश्न मनाने के लिए एक विशेष दिन है। इस दिन पूरे देश में इस उत्सव को मनाने के लिए कई विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

2: गणतंत्र दिवस

भारतीय संविधान के गठन के उत्सव में मनाया जाना वाला दिन

भारत सरकार अधिनियम (1935) को 26 जनवरी 1950 में भारत के संविधान द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था। यह देश का कानूनी दस्तावेज बन गया था, भारतीय संविधान को सम्मान देने के लिए प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।

विशेष उत्सव का समय

प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस पर एक भव्य समारोह होता है। ये दिन विशेष तरिको से मनाया जाता है। देश की राजधानी, नई दिल्ली में एक प्रमुख गणतंत्र दिवस समारोह होता है। भारत के राष्ट्रपति राजपथ में देश के राष्ट्रीय झंडे को फहराते हैं और राष्ट्रीय गान प्रारम्भ होता है। इसके बाद परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं। इस दिन वीरता पुरस्कार भी वितरित किए जाते हैं।

3: गांधी जयंती

सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी को याद रखने के लिए एक विशेष दिन

महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों का नेतृत्व किया और हर कदम पर अंग्रेजों को चुनौती भी दी। हर साल 2 अक्टूबर को पूरे भारत वर्ष में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है।

सत्य और अहिंसा के मार्ग का पालन करने की प्रेरणा

महात्मा गांधी जी की विचारधारा उनके समय के अन्य नेताओं से बिलकुल अलग थीं। अधिकांश स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने के लिए आक्रामक साधनों का सहारा लिया, तो वहीं महात्मा गांधी जी ने सच्चाई और अहिंसा के मार्ग का पालन किया। उनकी विचारधारा न केवल अपने समय के लोगों के लिए बल्कि युवा पीढ़ी के लिए भी एक प्रेरणाश्रोत थी। गांधी जयंती बापू की महान विचारधाराओं को याद दिलाने और उन्हें अपने जीवन में अंतर्निविष्ट करने के लिए प्रेरित करती है।

स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती वास्तव में भारतीयों के लिए विशेष दिन होते हैं। इन्हें राष्ट्रीय अवकाश के रूप में घोषित किया गया है। देश भर में इन त्यौहारों को पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता हैं। इन त्यौहारों के दौरान स्कूलों, कार्यालयों, बाजारों और आवास समितियों को तिरंगे रंग के रिबन, गुब्बारे और झंडे के साथ सजाया जाता है। इन त्यौहारों पर देशभक्ति का वातावरण बनाने के लिए देशभक्ति गीत भी गाए जाते है।

Essay on National Festivals of India

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By: savita mittal

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भारत देश ‘ अनेकता में एकता’ का देश है। भौगोलिक विविधता के कारण यहाँ विभिन्न धर्मों, जातियों एवं सम्प्रदायों के लोग रहते हैं। अनेक धर्मों व जातियों के लोग होने से, यहाँ सभी के अपने-अपने त्योहार हैं। इस दृष्टिकोण से देखा आए, तो भारत में प्रत्येक माह किसी-न-किसी त्योहार की धूम रहती है। त्योहार जीवन में नवस्फूर्ति, चेतना, उमंग, स्नेह एवं आनन्द का अनुभव कराते हैं, साथ ही मानवीय गुणों को स्थापित कर लोगों में प्रेम, भाईचारे एवं नैतिकता का सन्देश देते हैं। ये त्योहार देश की एकता और अखण्डता को भी मजबूत बनाते हैं।

भारतवर्ष में सभी त्योहारों का अपना महत्त्व है। यहाँ मनाए जाने वाले त्योहारों में होली, रक्षाबन्धन, दुर्गापूजा, हरा, गणेश-चतुर्थी, दीपावली, बैसाखी, गुडफाइडे, क्रिसमस, सिंह, ओणम, पोंगल, ईद, मुहर्रम, सरहुल, गुरुपर्व आदि प्रमुख हैं। इनमें से हिन्दू सम्प्रदाय से सम्बन्धित कुछ त्योहार धार्मिक रीति-रिवाजों, वेदों और पुराणों की घटनाओं एवं मान्यताओं के अनुसार मनाए जाते हैं। भारत में मनाए जाने वाले कुछ प्रमुख त्योहारों के विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं।

Major Festivals of India Essay in Hindi

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होली रंगों का त्योहार है। यह फाल्गुन मास की समाप्ति के बाद चैत्र मास के प्रथम दिन (प्रतिपदा को) मनाया जाता है। चैत्र मास हिन्दू कैलेण्डर का प्रथम मास होता है। इस प्रकार, होली हिन्दुओं के लिए नववर्ष का त्योहार भी है। इस त्योहार में लोग एक-दूसरे को रंग, अबीर एवं गुलाल लगाते हैं, अपने लड़ाई-झगड़ों को भूलकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं एवं सभी के साथ मिलकर नाचते-गाते हैं। इस प्रकार, बसन्त ऋतु में मनाया जाने बाला यह त्योहार रंग-बिरंगा एवं मस्ती से परिपूर्ण होता है।

होली के त्योहार के पीछे कई पौराणिक कथाएँ विद्यमान हैं, जिनमें से प्रह्लाद एवं होलिका की कथा सर्वाधिक मान्य एवं प्रचलित है। ‘विष्णु पुराण’ की एक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप, विष्णु भगवान को नहीं मानता था तथा विष्णु की पूजा-आराधना करने को मना किया करता था। बिडम्बना यह थी कि उसका अपना ही पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप को यह ज्ञात होते ही उसने प्रह्लाद को तरह-तरह के कष्ट देने प्रारम्भ कर दिए।

जब इन सभी का प्रह्लाद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, तब उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया, जिसे अग्नि में न जलने का बरदान प्राप्त था। हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, किन्तु होलिका अग्नि में भस्म हो गई और प्रह्लाद बच गया। विष्णु भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध करके प्रह्लाद को पिता के कष्टों से मुक्ति दिलाई।

इस प्रकार, लोग इस घटना को स्मरण कर होलिका दहन करके अगले दिन रंगों से होली खेलते हैं। होली का साहित्य में भी विवरण हुआ है। कविवर “निराला जी कहते हैं- “नयनों के डोरे लाल गुलाल भरे, खेली होली।”

होली का त्योहार राधा और कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी सम्बन्धित है। इसलिए श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा एवं वृन्दावन में होली अत्यधिक धूमधाम से मनाई जाती है। भारत में होली का त्योहार पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है, किन्तु क्षेत्रीय विविधता के कारण देश के कई क्षेत्रों में इसे अन्य नाम भी दिए गए हैं। पश्चिम बंगाल में होली को ‘बसन्तोत्सव’ के रूप में मनाया जाता है।

पंजाब में इस त्योहार को ‘होला मोहल्ला’ कहा जाता है। तमिलनाडु में इसे ‘कामन पोडिगई’ कहा जाता है। हरियाणा में इसे ‘पुलेण्डी’ कहा जाता है। महाराष्ट्र में इसे ‘रंग-पंचमी’ के रूप में मनाया जाता है। भारत में होली किसी भी नाम से मनाई जाए, लेकिन समानता यह है कि इस लोग रंग, अबीर एवं गुलाल का प्रयोग करके ही खेलते हैं।

होली के अवसर पर कुछ लोग शराब पीकर धमा चौकड़ी करते हैं। ऐसी घटनाएँ होली की पवित्रता को नष्ट करती हैं। होली के अवसर पर आजकल रासायनिक रंगों का प्रयोग किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अतः को रासायनिक रंगों के प्रयोग से बचना चाहिए एवं प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए। यह पवित्र त्योहार मुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

दुर्गापूजा हिन्दुओं का ऐसा त्योहार है, जिसकी धूम पूरे दस दिनों तक रहती है। वैसे तो यह त्योहार वर्ष में दो बार आता है, एक बार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में, जिसे वासन्तिक नवरात्र कहते हैं एवं दूसरी बार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में, जिसे शारदीय नवरात्र कहा जाता है, किन्तु इन दोनों में शारदीय नवरात्र अधिक प्रचलित है। नवरात्र का प्रारम्भ कलश एवं दुर्गा माँ की प्रतिमा स्थापित करके किया जाता है।

दुर्गापूजा का सम्बन्ध एक पौराणिक कथा से है। इस कथा को अनुसार, एक समय देवताओं के राजा इन्द्र एवं दैत्यों के राजा महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में देवराज इन्द्र की पराजय हुई। देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से बचाने के लिए दुर्गा माँ ने उसके साथ लगातार नौ दिनो तक युद्ध किया और दसवें दिन उसको पराजित कर उसका वध कर दिया। इसी कारण उन्हें ‘महिषासुरमर्दिनी’ कहा जाता है।

यह त्योहार बंगाल में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बंगाल में पष्ठी के दिन प्राण-प्रतिष्ठा के इस विधान को बोधन अर्थात् आरम्भ कहा जाता है। इसी दिन माता के 1 से आवरण हटाया जाता है। गुजरात में शारदीय नवरात्र के दौरान गरबा की धूम रहती है। नवयुवक एवं नवयुवतियाँ अपने साथियों के साथ गरबा खेलते हैं। इस दौरान लोग व्रत रखते है, देवी की अखण्ड ज्योत जलाते हैं और प्रतिदिन हवन करते हैं।

इस प्रकार, दुर्गापूजा पूरे नौ दिनों तक चलती है। नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा के बाद दशमी के दिन शाम को उनकी प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है। इस दिन को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है। दशमी को बिजयादशमी के रूप में मनाने के पीछे भी एक पौराणिक कथा है। भगवान राम ने रावण पर विजय पाने के लिए दुर्गा की पूजा की थी, इसलिए इस दिन को लोग शक्ति-पूजा के रूप में भी मनाते हैं एवं अपने अस्त्र-शस्त्र की पूजा करते हैं। अन्ततः श्रीराम इसी दिन माँ दुर्गा के आशीर्वाद से रावण पर विजय प्राप्त करने में सफल रहे थे, तब से इस दिन को बिजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।

विजयादशमी के पूर्व शहरों एवं गाँवों में रामलीला का आयोजन किया जाता है। विजयादशमी वाले दिन रावण, कुम्भकरण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। हिमाचल प्रदेश के ‘कुल्लू’ शहर में दशहरे का मेला प्रसिद्ध है, जो कई दिनों तक रहता है। विजयादशमी का त्योहार अनीति, अत्याचार तथा तामसिक ॐ प्रवृत्तियों के नाश का प्रतीक है। यह त्योहार दुर्गा माँ (सिंहवाहिनी) की असीम शक्ति और रामचन्द्र जी के आदर्शों का आभास कराता है।

भारत के प्रमुख त्योहार पर निबंध

दीपावली का शाब्दिक अर्थ होता है- दीपों की पंक्ति । इस त्योहार में लोग दीपों को पंक्तिबद्ध रूप में अपने घर के अन्दर एवं बाहर जलाते हैं। इस प्रकार, यह प्रकाश का त्योहार है। यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन लोग गणेश-लक्ष्मी का पूजन करते हैं, जिन्हें पौराणिक कथा के अनुसार धन, समृद्धि, विघ्नहरण एवं ऐश्वर्य का भगवान माना जाता है। दीपावली से एक दिन पहले का दिन ‘घन त्रयोदशी’ या ‘धनतेरस’ अतिशुभ माना जाता है। इस दिन लोग सोना-चाँदी एवं बर्तन खरीदते हैं।

धनतेरस मनाने के पीछे का पौराणिक कारण इस प्रकार है-कहा जाता है कि समुद्र मंथन के पश्चात् लक्ष्मी की उत्पत्ति इसी दिन हुई थी इसलिए इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। समुद्र मंथन से ही धनवन्तरि, जिन्हें औषध विज्ञान का प्रणेता माना जाता है, की उत्पत्ति कार्तिक मास की त्रयोदशी को हुई थी। इसलिए इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। श्रीरामचन्द्र जी जब रावण का वध एवं चौदह वर्ष का बनवास व्यतीत करके अयोध्या वापस लौटे, तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में अपने घर एवं नगर को घी के दीपों से जगमगा दिया था। गोस्वामी तुलसीदास जी ने ‘गीतावली’ में इसका रमणीय वर्णन किया है

“साँझ समय रघुवीर पुरी की शोभा आजु बनी। ललित दीप मालिका बिलोकहि हितकरि अवध धनी।।”

पश्चिम बंगाल में लोग दीपावली को काली पूजा के रूप में मनाते हैं। वहाँ बड़े-बड़े एवं भव्य पण्डालों के अन्दर माँ काली की प्रतिमा प्रतिस्थापित की जाती है। काली पूजा के बाद वहाँ लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। दीपावली का अपना धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व है, किन्तु आज इस त्योहार में कई प्रकार की बुराइयाँ भी समाहित हो गई हैं। इस त्योहार के नाम पर लोग अपनी सामर्थ्य का प्रदर्शन करते हुए हज़ारों रुपये पटाखों में उड़ा देते हैं। अत्यधिक पटाखे जलाना जिस डाल पर बैठे, उसी डाल को काटने जैसा है।

जिस शुद्ध हवा में हम साँस लेते हैं, उसी को पटाखों से हम अशुद्ध करते हैं, यह कितनी अज्ञानता है। जुआ खेलना इस त्योहार की सबसे बड़ी बुराई है, यदि जुआ नहीं खेला जाए तथा पटाखे न जलाए जाएँ, तो यह त्योहार अन्धकार पर प्रकाश की विजय के अपने सन्देश को सार्थक करता नज़र आएगा। आज इन बुराइयों को दूर कर इस त्योहार के उद्देश्यों को सार्थक करने की आवश्यकता है।

यदि एक ऐसे अन्तर्राष्ट्रीय त्योहार का नाम पूछा जाए, जो भारत में धार्मिक सहिष्णुता एवं भाईचारे का प्रतीक बन गया हो, तो नि:सन्देह सभी का जवाब ‘ईद’ ही होगा, क्योंकि यह मुसलमानों का एक ऐसा त्योहार है, जिसे दुनिया के कई मुस्लिम देशों में भले ही बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हो, किन्तु अन्य देशों से अलग भारत एक ऐसा देश है, जहाँ दूसरे धर्मों के लोग भी मुसलमान भाइयों को ईद की मुबारकबाद देते हुए इस पवित्र त्योहार में सम्मिलित होकर भारत की सर्वप्रमुख विशेषता ‘अनेकता में एकता’ का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

ईद दो तरह की होती है- एक ईद-उल-फितर एवं दूसरी ईद-उल-जुहा जब हम ईद की बात करते हैं, तो इसका तात्पर्य ईद-उल-फ़ितर ही होता है। ईद-उल-जुहा को बकरीद कहा जाता है।

पहली ईद-उल-फितर पैगम्बर मुहम्मद ने 624 ई. में जंग-ए-बदर के बाद मनाई थी। ईद-उल-फितर इस्लाम के उपवास के महीने ‘रमज़ान’ के समाप्त होने के बाद मनाई जाती है। इस्लामी कैलेण्डर के सभी महीनों की तरह इसकी शुरुआत भी नए चाँद के दिखने पर होती है। इस ईद में मुसलमान तीस दिनों तक रोजा रखने के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं और अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्होंने उन्हें महीनेभर रोज़ा रखने की शक्ति दी। ईद की तिथि के काफ़ी पहले से ही लोग इस त्योहार की तैयारी में जुट जाते हैं।

घरों की साफ-सफाई की जाती है एवं परिवार के सभी सदस्यों के लिए नए कपड़े सिलवाए जाते हैं। ईद के दौरान नए पकवान बनाने के अतिरिक्त, नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार तथा मित्रों के बीच उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है। ईद के दिन मस्जिद में सुबह की नमाज़ से पहले, नमाजी गरीबों को खैरात या दान देते हैं, जिसे ज़कात-उल-फितर कहा जाता है।

ईद के दिन ईदगाह में जाकर सबके साथ नमाज़ अदा करना शुभ माना जाता है। नमाज़ के दौरान छोटे-बड़े का कोई अन्तर नहीं रहता। राजा हो या रंक, सभी एक ही पंक्ति में खड़े होकर नमाज़ पढ़ते हैं। नमाज समाप्त होने के बाद ईद की मुबारकबाद ‘ईद मुबारक’ कहकर देते हैं। उम्र में अपने से छोटे लोगों को आशीर्वाद स्वरूप जो उपहार एवं धन दिया जाता है, उसे ईदी कहा जाता है। सेवइयों का ईद के दिन अपना अलग ही महत्त्व है, इसी के कारण इसे ‘मीठी ईद’ के नाम से भी जाना जाता है।

ईद का वर्णन नजीर अकबराबादी ने अपनी नज्म में भली-भाँति किया है “”है आधियों को तअत-ओ-तजरीद की ख़ुशी और जाहिदों को जुहद की तमहीद की ख़ुशी ऐसी न शब-ए-बारात न बकरीद की ख़ुशी जैसी कि हर एक दिल में है इस ईद की खुशी।”

शब्दार्थ –आबिद श्रद्धालु, तअत श्रद्धा, जाहिद इबादत करने वाला, जुहद की तमहीद धर्म की बात की शुरुआत। कहने का अर्थ है कि ईंद एक ऐसा त्योहार है, जिसकी खुशी ‘शब-ए-बारात’ और ‘बकरीद’ जैसे अन्य त्योहारों से भी बढ़कर है। इस त्योहार में श्रद्धालुओं को जहाँ अल्लाह के प्रति श्रद्धा की खुशी होती है, यहीं इबादत करने वाले को इस बात की खुशी होती है कि धर्म की बातों की फिर शुरुआत हुई है।

ईद का त्योहार भाईचारे एवं मैत्री का सन्देश देता है। इस्लाम के संस्थापक मुहम्मद साहब का सन्देश केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए कल्याणकारी है। ईद-उल-फितर से पूर्व रोजा रखना हमें त्याग एवं तपस्या की प्रेरणा देता है। यह हमें सिखाता है कि हमारा जीवन केवल सुख-सुविधाओं एवं आराम का उपयोग करने के लिए नहीं है, बल्कि इसमें त्याग, अनुशासन एवं बलिदान को भी स्थान देना अनिवार्य है।

ईसाइयों में भी दो प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं-क्रिसमस और गुडफ्राइडे। ये दोनों त्योहार ईसा मसीह से सम्बन्ध रखते हैं। गुडफ्राइडे को ईसा मसीह के बलिदान दिवस के रूप में तथा क्रिसमस की ईसा मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। क्रिसमस को बड़ा दिन’ के नाम से भी जाना जाता है। ईसाई मान्यता के अनुसार, पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था।

ईसाइयों के धर्मग्रन्थ ‘न्यू टेस्टामेण्ट’ में वर्णित क्रिसमस से सम्बन्धित एक कथा है। ईश्वर ने मरियम नामक एक कुँबारी लड़की के पास एक देवदूत भेजा, जिसका नाम गैब्रियल था। उस देवदूत ने मरियम को बताया कि वह ईश्वर के पुत्र को जन्म देगी तथा बालक का नाम जीसस रखा जाएगा। वह बड़ा होकर राजा बनेगा तथा उसके राज्य की कोई सीमा नहीं होगी।

देवदूत गैब्रियल जोसेफ के पास भी गए और उन्होंने उसे बताया कि मरियम एक बच्चे को जन्म देगी और उसे सलाह दी कि वह मरियम की देखभाल करे व उसका परित्याग न करे। जब राजकीय आदेशानुसार सभी नागरिकों को अपने मूल जन्मस्थान पर जनगणना में शामिल होने के लिए कहा गया, तब एक रात मरियम और जोसेफ नाजरथ से येथलेहम जाने के लिए निकले।

तभी रास्ते में तूफानी हवाओं और खराब मौसम के कारण उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली, जहाँ मरियम ने 25 दिसम्बर की आधी रात को जीसस को जन्म दिया। जीसस के जन्मदिन के स्मरणस्वरूप ही प्रत्येक वर्ष 25 दिसम्बर को क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है।

जीसस का जन्म अर्द्धरात्रि को हुआ था, इसलिए क्रिसमस के समारोह अर्द्धरात्रि के बाद शुरू होते हैं। इसमें मोमबत्तियाँ जलाकर चर्च व घरों में जीसस क्राइस्ट एवं माता मरियम की सामूहिक पूजा की जाती है। इसके बाद जीसस क्राइस्ट की प्रशंसा में लोग कैरोल (सामूहिक गीत) गाते हैं तथा घर-घर जाकर गाने के रूप में क्राइस्ट का शुभ सन्देश एवं आने वाले नववर्ष के लिए शुभकामनाएँ देते हैं। ‘जिंगल बेल्स जिंगल बेल्स, जिंगल ऑल द बे’ क्रिसमस के अवसर पर गाया जाने वाला एक प्रसिद्ध गीत है।

क्रिसमस की बात हो और लाल व सफेद ड्रेस पहने हुए सफेद बाल एवं दाढ़ी वाले मोटे वृद्ध सान्ता क्लॉज, जो अपने बाहन रेडियर पर सवार रहता है, की कोई चर्चा न हो भला ऐसा कैसे हो सकता है। यही तो वह पात्र है, जिसकी प्रतीक्षा क्रिसमस के दिन प्रत्येक बच्चे को होती है। सान्ता क्लॉज एक क्रिश्चियन पौराणिक पात्र है, जो नए साल के आगमन से कुछ दिन पूर्व क्रिसमस की रात बच्चों को ढेर सारे उपहार एवं मिठाइयाँ दिया करता था। इसलिए कुछ लोग क्रिसमस के अवसर पर सान्ता क्लॉज बनकर बच्चों को उपहार एवं मिठाइयाँ देते हैं।

क्रिसमस के मौके पर घर के आँगन में क्रिसमस ट्री लगाने तथा इसे सजाने की भी परम्परा है। सिटीको एवं समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन चर्च को भी सजाया जाता है तथा जीसस क्राइस्ट की जन्मसम्बन्धी झांकियां लगाई जाती है।

इस दिन पृथ्वी पर अवतरित होकर जीसस फ्राइस्ट ने अपने छोटे से जीवनकाल में मानवता के कल्याण के लिए सदावरण एवं सहनशीलता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सबको प्रेम एवं भाईचारे का सन्देश दिया था। यह उत्सव सुख, शान्ति व समृद्धि का सूचक है। जीसस ने कहा था कि ईयर सभी व्यक्तियों से प्यार करते हैं, इसलिए हमें प्रेम को जीवन में अपनाकर ईश्वर की सेवा करनी चाहिए। ईश्वर की सेवा का सबसे उत्तम मार्ग गरीबों की सेवा करना है, फ्रिसमस का त्योहार हमें यही सन्देश देता है। अत: इसे सार्थक करने के लिए हमें अपने व्यावहारिक जीवन में जीसस के सन्देशों को लागू करना चाहिए। 

सिखों के भी अपने त्योहार होते हैं। इनमें ‘मैसाखी’ और ‘लोहड़ी’ प्रमुख है। वैसाखी के त्योहार को मनाने की मान्यता है कि इसी दिन 1699 ई. में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह ने खालसा पन्थ’ की स्थापना की थी। इस स्थापना से गुरु गोबिन्द सिंह का मुख्य उद्देश्य था- लोगों को तत्कालीन मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त करके, उनके धार्मिक, नैतिक और व्यावहारिक जीवन को श्रेष्ठ बनाना। इस दिन सिख लोग गुरुद्वारों में जाते हैं और पवित्र ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ का पाठ करते हैं। यह त्योहार उत्तर भारत में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित कई क्षेत्रों में मनाया जाता है।

इन त्योहारों की तरह तमिलनाडु में ‘पोंगल’, केरल में ‘ओणम’ एवं असम में ‘बिह’ को भी बड़ी धूमधाम से मनाने की परम्परा है। इन प्रसिद्ध त्योहारों के अतिरिक्त जैनियों की ‘महावीर जयन्ती’, बौद्धों की ‘बुद्ध जयन्ती’ एवं सिखों की ‘गुरुनानक जयन्ती’ भी हमारे देश के मुख्य पर्व है। भारत देश में धार्मिक एवं सांस्कृतिक त्योहारों की भाँति राष्ट्रीय त्योहार भी मनाए जाते हैं। इनमें 2 अक्टूबर ‘गाँधी जयन्ती’, 14 नवम्बर ‘बाल दिवस’, 15 अगस्त स्वतन्त्रता दिवस’ और 26 जनवरी ‘गणतन्त्र दिवस’ के रूप में उत्साहपूर्वक मनाए जाते हैं।

विभिन्न प्रकार के पर्व-त्योहार हमारे जीवन में खुशियों एवं मनोरंजन के रंग भरते हैं और नीरसता को समाप्त करते हैं। हमारी भारतीय संस्कृति की परम्परा विशेष समय में विशेष प्रकार के त्योहार मनाने की रही हैं। ये त्योहार सभ्यता-संस्कृति के अभिन्न अंग है। ये सभी त्योहार राष्ट्र को एकता के सूत्र में बाँधे रहने में अहम भूमिका का निर्वाह करते हैं। हमें चाहिए कि हम अपनी इस संस्कृति एवं एकता को बनाए रखने में विशेष योगदान दें और जाति, धर्म के भेद जैसी अफवाहों से बचें। हमें राष्ट्र को गौरवान्वित एवं समृद्धशाली बनाने के लिए लोगों में भाईचारे और बन्धुत्व की भावना जागृत करनी चाहिए तथा त्योहार के महत्व को जीवन में उतारना चाहिए।

26 जनवरी हम देशवासियों के लिए अति शुभ एवं गौरवपूर्ण दिन है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के लगभग ढाई वर्ष बाद इसी ऐतिहासिक तिथि 26 जनवरी, 1950 को स्वतन्त्र भारत का संविधान लागू हुआ था। इस तिथि को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी और तत्कालीन वायसराय श्री राजगोपालाचारी ने विधिवत् रूप से अपने समस्त अधिकार उन्हें सौंपे थे।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर एवं उनके सहयोगियों के अथक प्रयास से निर्मित संविधान के जारीहोते ही भारत सम्प्रभुता सम्पन्न गणराज्य बन गया। इसी उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी, गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतन्त्र का अर्थ है-ऐसी शासन व्यवस्था, जिसमे सत्ता जनसाधारण में समाहित हो अतः सागू होने के साथ ही भारत 26 जनवरी, 1950 से गणतन्त्र राष्ट्र बन गया।

गणतन्त्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है। इस दिन प्रत्येक भारतीय, देश की आजादी में अपने प्राणों की आहत देने शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धाजलि अर्पित करते है| गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम सन्देश देने है, जिसका सीधा प्रसारण रेडियो एवं दूरदर्शन पर किया जाता है। इण्डिया गेट, विजय पथ, नई दिल्ली में गणतन्त्र दिवस का समारोह विशेष रूप से आयोजित किया जाता है।

देश के अतिथि के रूप में प्राय: किसी देश के राष्ट्राध्यक आमन्त्रित किया जाता है। राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद भव्य झांकी का आयोजन किया जाता है। नेट से लेकर विजय पथ तक इसे देखने के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। थल सेना, नौसेना, वायु सेना एवं अर्द्धसैनिक बलों की परेड इस समारोह की सर्वाधिक मनोरम दृश्य होती है। इसके अतिरिक्त, पूरे देश की संस्कृति का आभास कराते हुए प्रायः सभी प्रदेशों की भव्य एवं खूबसूरत झाँकियाँ लोगों का मन मोह लेती है।

इस समारोह में देश के लिए अपनी जान की बाजी लगा देने वाले जवानों को विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है। देश के कोने-कोने से किसी विशेष अवसर पर अपनी सूझ-बूझ एवं वीरता का प्रदर्शन करने वाले बहादुर बच्चों को भी इस दिन राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया जाता है। परेड के अन्त में वायु सेना के जहाज आकाश में कलाबाजियाँ प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लेते हैं। प्रजातन्त्र एवं लोकतन्त्र गणतन्त्र के ही समानार्थी शब्द है। प्रजातान्त्रिक शासन प्रणाली के अनेक लाभ है।

प्रजातान्त्रिक शासन में राज्य की अपेक्षा व्यक्ति को अधिक महत्त्व दिया जाता है। राज्य व्यक्ति के विकास के लिए पूर्व अवसर प्रदान कराता है। जिस प्रकार व्यक्ति और समाज को अलग करके दोनों के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती, ठीक उसी प्रकार प्रजातान्त्रिक शासन प्रणाली में प्रजा और सरकार को अलग-अलग नहीं देखा जा सकता प्रजातन्त्र के अनेक लाभ हैं, तो इससे कई प्रकार की हानियाँ भी सम्भव हैं। प्रजातन्त्र की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि जनता शिक्षित हो एवं अपना हित समझती हो। जनता को यह समझना होगा कि आज़ादी हमें सरलता से नहीं मिली है।

इसके लिए हज़ारों लोगों ने अपने प्राण गँवाए हैं। आज़ादी मिलने के बाद देश का गणतन्त्र बनना हमारे लिए दोहरी खुशी है। इस शुभ दिन का सभी को आदर करना चाहिए। गणतन्त्र दिवस आजादी के शहीदों को याद करने एवं उन्हें श्रद्धांजलि देने में मुख्य भूमिका निभाता है। इस दिन राष्ट्रपति भवन में अनेक राजकीय समारोह आयोजित किए जाते हैं। विदेशी राजनयिक, वरिष्ठ सम्माननीय जन व पदक बिजेता यहाँ एकत्र होते हैं। रात्रि को राष्ट्रपति भवन, सचिवालय, इण्डिया गेट व अन्य राजकीय कार्यालय रंग-बिरंगे प्रकाश से जगमगा उठते हैं। लालकिले के प्रांगण में कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है।

स्कूलों में देशभक्ति एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय एकता का यह पर्व सभी धर्मों के लोगों को मिल-जुलकर रहने एवं प्रेम-भाईचारे का सन्देश देता है। यह हमें देश की स्वतन्त्रता, अखण्डता एवं सम्प्रभुता बनाए रखने की सीख देता है।

यह नहीं भूलना चाहिए कि हम आज जिस आज़ादी की साँस ले रहे हैं, वह वीर जवानों की देन है। सरहद पर जवान सर्दी-गर्मी आदि परेशानियों को सहते हुए भी हर समय दुश्मनों पर केवल इसलिए दृष्टि रखते कि हमारा गणतन्त्र सुरक्षित रह सके। हमें भी अपनी स्वतन्त्रता एवं अखण्डता बनाए रखने का संकल्प लेते हुए, देश के बिकास में हर सम्भव योगदान देना चाहिए। महान् सन्त ‘रामतीर्थ’ कहते थे-“राष्ट्र के हित के लिए प्रयत्न करना विश्व की शक्तियों अर्थात् देवताओं की आराधना करना है।”

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध

Essay on National Festivals of India in Hindi: राष्ट्रीय पर्व वह होते हैं, जो राष्ट्रीय से संबंधित मनाए जाते हैं। जैसे कि स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, इत्यादि। तो आज हम आपको अपने इस लेख में इसी से संबंधित जानकारी देने वाले हैं। हम यहां पर  भारत के राष्ट्रीय पर्व   पर निबंध  शेयर कर रहे है। इस निबंध में  भारत के राष्ट्रीय पर्व   के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध | Essay on National Festivals of India in Hindi

भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध (250 शब्द).

हमारा भारत त्योहारों का देश है। यहां पर अनेक प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। होली, दिवाली, ईद, बैसाखी, हर तरह के त्योहारों को बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसी प्रकार इनमें से कुछ राष्ट्रीय त्योहार भी हैं, जिन्हें हम बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं।

स्वतंत्रता दिवस

15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली थी। इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है और इस बात से अवगत कराया जाता है कि किस तरह अंग्रेजों से हमें आजादी दिलवाई थी। स्वतंत्रता सेनानियों ने और उनके लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

गणतंत्र दिवस

26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था। इस उपलक्ष में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। यह भारत का सबसे महत्वपूर्ण दिन है, इसीलिए इस दिन को बहुत ही महत्वपूर्ण तरीके से मनाया जाता है। दिल्ली के लाल किला पर परेड निकाली जाती है और प्रधानमंत्री द्वारा झंडा फहराया जाता है। स्कूलों में भी अनेक प्रकार के कार्यक्रम किए जाते हैं।

गांधी जयंती

गांधी जयंती 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। इस दिन महात्मा गांधी का जन्म दिवस होता है। महात्मा गांधी उन स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं, जिन्होंने भारत को आजादी दिलाई थी। महात्मा गांधी के द्वारा बहुत से आंदोलन किए गए थे, सबसे महत्वपूर्ण योगदान महात्मा गांधी का रहा है।

ये राष्ट्रीय त्यौहार भारत के इतिहास के आवश्यक अध्याय हैं। राष्ट्रीय त्योहार देशभक्ति की एक महान भावना के साथ और हमारी स्वतंत्रता की जीत की याद में मनाया जाता है। ये त्यौहार हमें याद दिलाते हैं कि भले ही हम एक दूसरे से भिन्न हों, हमारा प्यार हमें राष्ट्र के लिए एकजुट करता है।

भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध (850 शब्द)

हमारा भारत त्योहारों का देश है। यहां पर अलग-अलग तरह के त्यौहार बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाते हैं। सभी धर्म समुदाय और जाति के लोग मिलकर सभी त्योहारों को एक साथ मनाते हैं। समुदाय के त्योहार होते हैं, जैसे होली, दिवाली, ईद, बैसाखी इत्यादि।

आज हम यहां पर बात कर रहे हैं, राष्ट्रीय त्योहार के बारे में। भारत के तीन प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार हैं;- स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, और गांधी जयंती इन तीनों त्योहारों को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

राष्ट्रीय त्योहार क्या है?

राष्ट्रीय त्योहार वह त्योहार होते हैं, जो त्योहार हमारे देश के उपलक्ष में मनाए जाते हैं। जिन त्योहारों से हमारा इतिहास जुड़ा होता है। उन त्योहारों को राष्ट्रीय त्योहार कहा जाता है। इन त्योहारों को उतनी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। जितनी धूमधाम के साथ सामुदायिक त्योहारों को मनाया जाता है, क्योंकि यह हमारे देश से जुड़े हैं और हमारी देश प्रेम भावना को जागरूक करते हैं।

15 अगस्त 1947 के उपलक्ष में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी। इस त्यौहार को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आइए इससे  जुड़ी कुछ बातें आपको बताते हैं;-

  • स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि

स्कूलों में कॉलेज में अन्य जगहों पर बड़े-बड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। उनके त्याग बलिदान के उपलक्ष में उनको याद किया जाता है, और उनका मान सम्मान बढ़ाया जाता है। जिसके कारण इस त्यौहार को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। साथ ही लाल किले पर प्रधानमंत्री के द्वारा झंडा फहराया जाता है।

  • युवा पीढ़ी के लिए स्वतंत्रता संघर्ष का महत्व ;-

आज की युवा पीढ़ी  को स्वतंत्रता दिवस के बारे में बताया जाता है, उन्हें जागरूक किया जाता है और भारतीयों के द्वारा सही गई यात्राओं के बारे में बताया जाता है। किस तरह से अंग्रेजों ने भारत के ऊपर शासन किया था और लोगों को प्रताड़ना दी थी और किस तरह से हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की कुर्बानी देकर भारत को आजादी दिलाई थी। इन सब बातों से युवा पीढ़ी को अवगत कराया जाता है, भाषण दिया जाता है और उत्सव मनाया जाता है।

  • युवा पीढ़ी में देश भक्ति जागृत के लिए

इस उत्सव के जरिए युवा पीढ़ी को भी जागरूक किया जाता है और उनके अंदर देशभक्ति पैदा करने का यह बहुत ही अच्छा जरिया है। आजकल की युवा पीढ़ी में देशभक्ति बहुत ही कम देखने को मिलती है इसीलिए इस उत्सव को बहुत ही अच्छे तरीके के साथ मनाया जाता है।

26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया था। इस उपलक्ष में गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। आइए इससे  जुड़ी कुछ बातें आपको बताते हैं;-

  • संविधान के महत्व को समझाने के लिए

इस दिन युवा पीढ़ी को और सभी लोगों को संविधान का महत्व समझाने के लिए इस त्यौहार को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दिल्ली के लाल किला पर परेड निकाली जाती है और झंडा फहराया जाता है।

  • युवा पीढ़ी को देश के करीब लाने के लिए और उसका महत्व समझाने के लिए

संविधान में सभी कर्तव्य और अधिकार सम्मिलित हैं, जिन से युवा पीढ़ी को अवगत होना चाहिए और अपने देश के करीब रहना चाहिए। अपने देश के इतिहास को जानना चाहिए, इसी उपलक्ष में गणतंत्र दिवस का उत्सव बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। खासतौर पर स्कूल और कॉलेज में आयोजित किया जाता है। भाषण दिया जाता है और नाटक प्रस्तुत किए जाते हैं।

2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इस दिन गांधी जी का जन्म दिवस होता है। इसी उपलक्ष में गांधी जयंती मनाई जाती है। आइए इससे जुड़ी कुछ और बातें बताते हैं;-

  • महात्मा गांधी के विचार धाराओं के बारे में बताने के लिए

महात्मा गांधी जी को देश के पिता के रूप में संबोधित किया जाता है। सब लोगों ने प्यार से बापू कहकर बुलाते थे। स्कूल और कॉलेज मैं गांधी जयंती को भी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गांधी जी को सम्मान देने के लिए इस दिन को मनाया जाता है, और युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित किया जाता है, कि वह महात्मा गांधी के चरण कमल और उनकी विचारधारा को ध्यान में रखते हुए, अपने जीवन का मार्गदर्शन करते रहें। जिस तरह से वह सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चले थे। हमें भी उसी तरह से हमेशा सच्चाई और अहिंसा का रास्ता ही अपनाना चाहिए, फिर कितनी मुश्किलें क्यों ना आए हम हर मुश्किल को पार कर जाएंगे।

  • जागरूकता देशभक्ति के लिए

युवा पीढ़ी को जागरूक किया जाता है, देश भक्ति के लिए जिस तरह से महात्मा गांधी एक सच्चे भक्त थे। उसी तरह से लोगों को भी जागरूक किया जाता है, कि वह देश के प्रति सच्चे और ईमानदार रहें।

त्योहारों का महत्व

  • गांधी जयंती का अपना एक अलग महत्व है क्योंकि यह त्यौहार गांधी जी के विचारों की तरह सोच रखने की सीख देता है। यह भी सीख देता है कि हमें एकजुट होकर रहना चाहिए और हर त्यौहार को आपस में मिलकर मनाना चाहिए।
  • स्वतंत्रता दिवस का यह महत्व होता है कि लोग अपने आप को स्वतंत्र मानते हैं और खुशी मनाते हैं क्योंकि वह किसी भी बंदिश में नहीं है। लोगों को आजादी बहुत ही प्रिय होती है। इस दिन के उपलक्ष में पतंगबाजी भी की जाती है, जिसमें लोग बहुत ही आनंद लेते हैं।
  • गणतंत्र दिवस इसका भी अपना ही एक अलग महत्व है क्योंकि इस दिन भारत का संविधान लागू किया गया था और लाल किले पर परेड निकाली जाती है। जिसका आनंद लेने के लिए वहां पर लाखों की भीड़ पहुंचती है और इसको बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।

हमारे राष्ट्रीय त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण है, इसीलिए हमें इन्हें धूमधाम के साथ मनाना चाहिए, और अपने देश भक्ति के प्रति जागरूक रहना चाहिए। अपने देश का सम्मान करना चाहिए। अपने आप को स्वच्छ रखना चाहिए, और इन त्योहारों के साथ संबंध बनाए रखना चाहिए, क्योंकि यह हमारे देश के इतिहास से अवगत कराते हैं।

दोस्तों आज हमने अपने इस लेख में आपको भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध ( Essay on National Festivals of India in Hindi) के बारे में बताया है और उनका महत्व भी समझाया है। आशा करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा और आप भी अपने देश के प्रति जागरूक रहेंगे। अगर आपको इससे संबंधित कोई भी जानकारी चाहिए तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं।

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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - दीपावली पर निबंध हिंदी में

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दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi) - दिवाली... ये शब्द सामने आते ही रोशनी से जगमग घर, शहर की तस्वीर दिमाग में आ जाती है। दिवाली हर भारतीय के लिए अपनों से जुड़े होने और अच्छाई करने की प्रेरणा देने वाला महापर्व है। दिवाली हमारे देश भारत के सबसे लोकप्रिय व महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दिवाली को दीपावली भी कहते हैं। दीपावली को प्रकाश का पर्व कहा जाता है। दीपावली अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है जो हमारे देश की संस्कृति, सामाजिकता और सौहार्द्र को वैश्विक स्तर पर दर्शाता है। देश ही नहीं विश्वभर में मौजूद भारतीय मूल के लोग इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। दुर्गा पूजा पर निबंध (Durga Puja Essay in hindi) | पीएम इंटर्नशिप योजना

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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - प्रस्तावना (Introduction)

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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - दीपावली पर निबंध हिंदी में

इस महापर्व को मनाने के पीछे कई मान्यताएं हैं। सबसे प्रमुख मान्यता भगवान राम द्वारा 14 वर्ष वनवास से अध्योध्या आगमन की है। इस वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम द्वारा माता सीता को हर कर ले जाने वाले अहंकारी रावण पर विजय प्राप्त करने की खुशी भी शामिल है। दिवाली का त्योहार यह संदेश भी देता है कि बुराई चाहे रावण जैसी बलवान और बुद्धिवान क्यों न हो, उसका एक दिन अंत होकर ही रहता है। बुराई का साथ देने वाले भले इंद्रजीत, कुंभकर्ण जैसे महाबली क्यों न हों उनका भी विनाश होना तय है। अपने पूज्य राम के रावण के विजय और वनवास समाप्त कर अयोध्या वापसी की खुशी में अयोध्यावासियों ने धूमधाम और हर्ष-उल्लास के साथ सजावट और तैयारियांं कर इस दिन को उत्सव की तरह मनाया तब से हर साल इस दिन यानी कार्तिक अमावस्या को दीपावली का उत्सव मनाया जाता है।

दिवाली त्योहार तथा इसकी खूबियों से छात्रों को परिचित कराने के लिए छोटी कक्षाओं में दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi) का प्रश्न हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पूछा जाता है। इस हिंदी दिवाली निबंध (Diwali Essay in Hindi) से उन युवा शिक्षार्थियों को फायदा मिलेगा जो दीपावाली त्योहार पर हिंदी में निबंध (Diwali Essay in Hindi) लिखना चाहते हैं। साथ ही उन्हे Diwali 2024 kab hai के बारे में जानकारी भी प्राप्त होगी। हमने नीचे दिए गए निबंध में शुभ दिवाली त्योहार (Happy Diwali Festival in Hindi) के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने का एक छोटा-सा प्रयास किया है। बच्चे दिवाली पर हिंदी के इस निबंध (Diwali Essay in Hindi) से सीखकर लाभ उठा सकते हैं तथा वाक्य कैसे बनाए एवं किन बातों को दीपावली निबंध में जगह दी जाए, जैसी बातों को समझने के साथ ही अपने हिंदी लेखन कौशल को भी बेहतर बना सकते हैं।

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ये भी पढ़ें: राष्ट्रीय खेल दिवस | गुरु नानक जयंती पर निबंध

दिवाली हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय व महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे बड़े ही उत्साहपूर्वक और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बच्चों को दिवाली पर निबंध (diwali par nibandh) लिखकर त्योहार के बारे में अपने आनंदमय अनुभव साझा करने का अवसर मिलता है। युवा आम तौर पर इस त्योहार को बहुत पसंद करते हैं क्योंकि यह सभी के लिए ढेर सारी खुशियाँ और उल्लास के पल लेकर आता है। अपने घर-परिवार से दूर अन्य प्रदेश, विदेश में रहकर रोजगार करने लोग भी इस समय अपने घर-परिवार के साथ दिवाली मनाने के लिए लंबी यात्रा कर अपनों के बीच आते हैं और अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं तथा अपने प्रियजनों के साथ शुभकामनाएं और उपहार साझा करते हैं।

दिवाली पर निबंध (diwali par nibandh in hindi)

अधिकतर लोग इस दौरान ऑनलाइन साल 2024 में दिवाली कब है, ढूंढते रहते हैं (What is the real date of Diwali in 2024?)। ऐसे में आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2024 में दिवाली पर्व 31 अक्टूबर को मनाई गई। हालांकि कुछ प्रदेशों में एक नवंबर को भी दीवाली मनाई जाएगी। वर्ष 2025 में दिवाली 21 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष रूप से धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। छात्र इस लेख में नीचे दिए गए दिवाली त्योहार पर निबंध (Essay of Diwali Festival) की जांच कर सकते हैं और दिवाली त्योहार के बारे में अपने व्यक्तिगत अनुभव व्यक्त करने या साझा करने के लिए इस विषय पर कुछ पंक्तियां लिखने का प्रयास कर सकते हैं। बच्चों को कक्षा मे दीपावली पर निबंध (dipawali per nibandh) लिखने को कहा जाता है। दिवाली पर निबंध (diwali par nibandh) लिखने के लिए आपको इस लेख से मदद मिलेगी।

दिवाली के पावन अवसर पर धन की देवी माँ लक्ष्मी, विघ्नहर्ता गणेश जी व कुबेर जी की विधि-विधान से पूजा करने का विशेष महत्व माना गया है। लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करने को सर्वाधिक फलदायक माना जाता है। इसके अलावा प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन विशेष फलदायक होता है। ऐसी मान्यता है कि स्थिर लग्न में की गई अपनी पूजा-आराधना से प्रसन्न होकर माता लक्ष्मी आराधक के घर में निवास करने लगती हैं। इस समय अधिकतर लोग ये जानना चाहते हैं कि Diwali 2024 kab hai। वर्ष 2024 में दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया गया। हालांकि कुछ प्रदेशों में एक नवंबर को भी दीवाली मनाई जाएगी। साल 2023 में दिवाली के अवसर पर 12 नवंबर को लक्ष्मी पूजन मुहूर्त गृहस्थजनों के लिए सायं 05:41 मिनट से रात 07:37 मिनट तक है। लक्ष्मी पूजन मुहूर्त की कुल अवधि लगभग 01 घंटे 55 मिनट रहेगी। वहीं साल 2022 में, 24 अक्टूबर को दिवाली का त्योहार देश भर में मनाया गया था।

अन्य लेख पढ़ें-

  • रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
  • हिंदी दिवस पर भाषण
  • इंजीनियर कैसे बन सकते हैं?

दीपावली एक महत्वपूर्ण पर्व है जिस पर सभी एक-दूसरे के साथ अपनी खुशियां साझा करते हैं और दूसरों के सुखमय जीवन की कामनाएं करते हैं। दीपावली के शुभ अवसर पर परिजनों, ईष्टमित्रों से किन शब्दों में अपनी शुभकामना व्यक्त करें, यह उलझन होती है। नीचे कुछ दिवाली शुभकामना संदेश दिए गए हैं जिनकी मदद से आपको अपनी भावना व्यक्त करने में सहूलियत होगी-

  • प्रकाश व खुशियों के महापर्व दीपावाली आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं...
  • देवी महालक्ष्मी की कृपा से आपके घर में हमेशा उमंग और आनंद की रौनक हो। इस पावन मौके पर आप सबको दीपावाली की हार्दिक शुभकामनाएं। शुभ दीपावली!
  • प्रकाश के महापर्व दीपावली पर मेरी कामना है कि आपको समृद्धि, खुशी और अपार सफलता मिले। शुभ दीपावली!
  • लक्ष्मी जी विराजें आपके द्वार, सोने चांदी से भर जाए आपका घर-बार, आपके जीवन में आए खुशियां अपार, यही कामना है आपके लिए उपहार। दीपावली की बधाई...
  • शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा । शत्रुबुद्धि-विनाशाय दीपज्योती नमोऽस्तुते ।। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।।
  • प्रकाश का महापर्व दीपावली आपके घर में लाए खुशहाली, आप और आपके परिवार को हैप्‍पी दिवाली।
  • गणपति और मां लक्ष्मी आपके दुखों का नाश करें। रोशनी के दीप आपके घर में खुशहाली लाएं। दिवाली की ढेर सारी बधाई...
  • गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) पर भाषण
  • प्रदूषण पर निबंध
  • बाल दिवस पर हिंदी में भाषण

यहां बच्चों के लिए दिवाली पर हिंदी में निबंध (diwali par nibandh in hindi) दिया गया है, जिसकी मदद दीपावली पर निबंध (deepavali par nibandh) लिखते समय ली जा सकती है:

दीपावली का अर्थ: दिवाली जिसे "दीपावली" के नाम से भी जाना जाता है, भारत और दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। ‘दीपावली' संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप + आवली। ‘दीप’ का अर्थ होता है ‘दीपक’ तथा ‘आवली’ का अर्थ होता है ‘शृंखला’, जिसका मतलब हुआ दीपों की शृंखला या दीपों की पंक्ति। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार दुनिया भर के लोगों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। हालांकि इसे हिंदू त्योहार माना जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग भी पटाखे और आतिशबाजी के जरिए इस उज्ज्वल त्योहार को मनाते हैं।

दीपावली त्योहार की तैयारी: दीपावली त्योहार की तैयारियां दिवाली से कई दिनों पहले ही आरंभ हो जाती है। दीपावली के कई दिनों पहले से ही लोग अपने घरों की साफ-सफाई व रंगाई-पुताई करने में जुट जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो घर साफ-सुथरे होते हैं, उन घरों में दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी विराजमान होती हैं तथा अपना आशिर्वाद प्रदान करके वहां सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी करती हैं। दिवाली के नजदीक आते ही लोग अपने घरों को दीपक और तरह-तरह के लाइट्स से सजाना शुरू कर देते हैं।

दिवाली में पटाखों का महत्व: दीपावली को "रोशनी का त्योहार - प्रकाश पर्व" कहा जाता है। इस दिन लोग मिट्टी के बने दीपक जलाते हैं और अपने घरों को विभिन्न रंगों और प्रकारों की रोशनी से सजाते हैं, जिसे देखकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो सकता है। इस पर्व में बच्चों को पटाखे जलाना और विभिन्न तरह के आतिशबाजी जैसे फुलझड़ियां, रॉकेट, फव्वारे, चक्री आदि बहुत पसंद होते हैं।

महत्वपूर्ण लेख:

  • बिहार बोर्ड 10वीं टाइमटेबल देखें
  • छत्तीसगढ़ बोर्ड 10वीं टाइम टेबल
  • एमपी बोर्ड 12वीं टाईमटेबल देखें
  • एमपी बोर्ड 10वीं टाईमटेबल देखें

दिवाली का इतिहास : हिंदू मान्यताओं के अनुसार, दिवाली के दिन ही भगवान श्री राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और उनके उत्साही भक्त हनुमान के साथ अयोध्या लौटे थे, अमावस्या की रात होने के कारण दिवाली के दिन काफी अंधेरा होता है, जिस वजह से उस दिन पूरे अयोध्या को दीपों और फूलों से भगवान श्री राम चंद्र के लिए सजाया गया था, ताकि भगवान राम के आगमन में कोई परेशानी न हो, तब से लेकर आज तक इसे दीपों का त्योहार और अंधेरे पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है।

इस शुभ अवसर पर, बाजारों में भगवान गणेश जी, लक्ष्मी जी, राम जी आदि की मूर्तियों की खरीदारी की जाती है। इस दौरान बाजारों में खूब चहल-पहल होती है। लोग इस अवसर पर नए कपड़े, बर्तन, मिठाइयां आदि खरीदते है। हिंदुओं द्वारा देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, क्योंकि व्यापारी दिवाली के पर्व पर नए बहीखाते की शुरुआत करते हैं। साथ ही, लोगों का मानना है कि यह खूबसूरत त्योहार सभी के लिए धन, समृद्धि और सफलता लाता है। लोग दिवाली के त्योहार के अवसर पर अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करने के लिए तत्पर रहते हैं।

दीपवाली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां

दीपावाली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व के पावन अवसर पर भी कुछ असामाजिक तत्व अपने बुरी आदत जैसे शराब का सेवन, जुआ खेलना, टोना-टोटका करना और पटाखों के गलत इस्तेमाल से इसे ख़राब करने में जुटे रहते हैं। अगर समाज में दीपावाली के दिन इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो दिवाली का पर्व वास्तव में शुभ दीपावली हो जाएगा।

अन्य महत्वपूर्ण लेख :

  • 10वीं के बाद किए जाने वाले लोकप्रिय कोर्स
  • 12वीं के बाद किए जा सकने वाले लोकप्रिय कोर्स और कॅरियर विकल्प जानें।

दिवाली स्वयं के अंदर के अंधकार को मिटा कर समूचे संसार को प्रकाशमय बनाने का त्योहार है। बच्चे इस दिन अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ियाँ तथा अन्य पटाखे खरीदते हैं और आतिशबाजी का आनंद उठाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि दीपावली के त्योहार का अर्थ दीप, प्रेम तथा सुख-समृद्धि से है। ऐसे में पटाखों का इस्तेमाल सावधानी पूर्वक और अपने बड़ों के सामने रहकर करना चाहिए। दिवाली का त्योहार हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। दीपावली का त्योहार सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। इस त्योहार के कारण लोगों में आज भी सामाजिक एकता बनी हुई है। हिंदी साहित्यकार गोपालदास नीरज ने भी कहा है, "जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना, अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।" इसलिए दीपावली पर प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देने के प्रयत्न करने चाहिए।

इन्हें भी देखें

  • सीबीएसई क्लास 10वीं सैंपल पेपर
  • यूके बोर्ड 10वीं डेट शीट
  • यूपी बोर्ड 10वीं एडमिट कार्ड
  • आरबीएसई 10वीं का सिलेबस

दीपावली के साथ मनाए जाने वाले उत्सव (Celebrations celebrated with Deepawali)

  • दीपावली का त्योहार लगभग 5 दिनों का होता है। जिस के पहले दिन धनतेरस होता है। धनतेरस के दिन लोग धातु की वस्तुएं जैसे सोने और चांदी के आभूषण को खरीद कर अपने घर जरूर लेकर जाते हैं।
  • दीपावली का दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। कुछ लोग इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाते हैं।
  • तीसरा दिन दीपावली त्योहार का मुख्य दिन होता है। इस दिन देवी महालक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है।
  • दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से हुई मूसलाधार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था।
  • दिवाली के त्योहार के आखिरी दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।

ये भी देखें :

  • हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें
  • दशहरा पर निबंध

1) दीपावली को दीपों का त्योहार या दीपोत्सव भी कहा जाता है।

2) दिवाली भारत के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है।

3) यह त्यौहार भगवान राम की याद में मनाया जाता है जो चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।

4) इस अवसर पर हिंदू अनुयायी मिट्टी के दीपक जलाते हैं और अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं।

5) बच्चे इस त्योहार पर पटाखे जलाकर बहुत खुश होते हैं।

6) हिंदुओं में इस अवसर पर धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

7) बच्चे, बूढ़े और जवान, सभी इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा करते हैं।

8) इस दिन सभी लोग अपने दोस्तों और पड़ोसियों को मिठाइयाँ और उपहार देते हैं।

9) भारत में इस दिन सार्वजनिक अवकाश रहता है और लोग इस त्योहार को बड़े धूम-धाम के साथ मनाते हैं।

10) यह हिंदुओं के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है, जिसे अन्य धर्म और संप्रदाय के लोग भी आपस में मिलजुल कर मनाते हैं।

  • हिंदी दिवस पर कविता | हिंदी दिवस पर निबंध | हिंदी दिवस पर भाषण

दिवाली हिंदू चंद्र-सौर महीनों अश्विन और कार्तिक में मनाई जाती है, जो आम तौर पर मध्य अक्टूबर और मध्य नवंबर के बीच आती है। प्राचीन हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दिवाली प्रतिवर्ष कार्तिक माह के पंद्रहवें दिन अमावस्या को मनाई जाती है।

वर्ष 2024 में शुक्रवार, 1 नवंबर, 2024 रोशनी का त्योहार मनाया जाएगा। द्रिकपंचांग के अनुसार सबसे शुभ समय शाम 5:36 बजे और 6:16 इनके बीच है।

वैदिक पंचांग के अनुसार, Dhanteras 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2024 Date and Auspicious Time) कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 30 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी। प्रदोष काल इस दिन संध्याकाल 5 बजकर 36 मिनट से लेकर 8 बजकर 11 मिनट तक है।

Diwali 2024 Date : कब है दिवाली? पूजा करने का शुभ मुहूर्त 31 अक्टूबर की शाम में 6:27 मिनट से लेकर रात में 8:32 मिनट तक है। दीपावली पूजा का निशिता मुहूर्त रात में 11:39 मिनट से देर रात 12 बजकर 31 मिनट तक है।

दीपावली पर निबंध (deepavali par nibandh) : वर्ष 2024 में, 29 अक्टूबर, 2024 को धनतेरस और 31 अक्टूबर, 2024 को छोटी दिवाली के बीच एक दिन का अंतराल होगा। यह क्रम हिंदू चंद्र कैलेंडर के आधार पर होगा।

प्रदोष काल : शाम 05:36 बजे से रात 08:11 बजे तक

वृषभ काल: सायं 06:20 बजे से रात्रि 08:15 बजे तक

अमावस्या तिथि आरंभ: 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:52 बजे

अमावस्या तिथि समाप्त 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 बजे।

दीपावली पर निबंध (dipawali per nibandh) 150 शब्द (कक्षा 4 और 5 के छात्रों के लिए)

दिवाली पर निबंध (diwali nibandh in hindi) कक्षा 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में उपयुक्त हैं।

दिवाली पर निबंध हर साल परीक्षाओं में आने वाले सबसे महत्वपूर्ण निबंधों में से एक है। दिवाली, रोशनी का त्योहार है। यह हिंदू धर्म का एक बहुत पुराना उत्सव है। मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने रावण का वध किया और लंका विजय के बाद माता सीता को लेकर अध्योध्या वापस लौटे। भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास की समाप्ति और रावण पर विजय के साथ माता सीता को मुक्त कराकर अयोध्या लौटने की खुशी में अयोध्यावासियों ने घर-घर दीपक जलाए। खुशियां मनाईं। यह परंपरा आज भी जारी है। दुनियाभर में हिंदू धर्मावलंबी बहुत उत्साह के साथ दीपावली मनाते हैं।

इस त्योहार को लेकर बच्चों में खासा उत्साह रहता है। घर, दुकान में दीपावली से पहले सफाई की जाती है। सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं। बच्चे पटाखे छोड़ते हैं। लोग अपने घरों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाते हैं। दीपक जलाते हैं। दुकानों-प्रतिष्ठानो में मां लक्ष्मी की पूजा होती है। मिठाईयां बांटी जाती है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह अंधकार को दूर कर प्रकाश का भी प्रतीक है।

दिवाली पर निबंध (diwali nibandh in hindi) 250 शब्द (कक्षा 6,7 और 8 के छात्रों के लिए)

250 शब्दों की शब्द सीमा वाले दिवाली निबंध कक्षा 6,7 और 8 के छात्रों की परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। दिवाली उल्लास और उत्सव का समय है। यह वह दिन है जब राजा रामचंद्र ने असुर सम्राट रावण को हराया और 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे। अयोध्या वापसी पर अयोध्यावासियों ने अपने राजा राम का स्वागत दीप जलाकर किया। मान्यता है कि रामचंद्र की वापसी की खुशी में दीपावली मनाई जाती है।

लोग रंग-बिरंगी रोशनी से घरों को सजाते हैं। दीप-मोमबत्ती जलाते हैं। पकवान बनते हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं। मां लक्ष्मी की पूजा होती है। बच्चे और बड़े पटाखे-आतिशबाजी करते हैं।

आतिशबाजी दिवाली का एक लोकप्रिय हिस्सा बन गई है, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि त्योहार की असली भावना अपने प्रियजनों के साथ खुशियाँ फैलाना है। दिवाली जैसे त्यौहार परिवारों और दोस्तों के बीच के आपके बंधन को मजबूत करता है। यह एक ऐसा समय है जब हर कोई अपने परिवारों के साथ जश्न मनाने के लिए अपने गृहनगर वापस जाता है।

दिवाली के अवसर पर राष्ट्रीय अवकाश रहता है। इसलिए हर कोई त्योहार का आनंद उठाता है। रात होते ही उत्साह बढ़ता है। हर तरफ रोशनी दिखती है। माहौल में उल्लास का अनुभव होता है। दिवाली हमें धैर्य और जीवन में अच्छी चीजों की प्रतीक्षा करने का मूल्य सिखाती है। बच्चे उत्सुकता से उन स्वादिष्ट मिठाइयों और पकवानों का इंतज़ार करते हैं। यह एक ऐसा समय भी है जब घरों और आसपास की जगहों की अच्छी तरह सफाई होती है। दिवाली इस बात की शिक्षा देती है कि "अच्छे लोग हमेशा बुरे लोगों पर विजय प्राप्त करते हैं।"

दिवाली पर 300 शब्दों में निबंध (कक्षा 9,10 और 11 के छात्रों के लिए)

300 शब्दों में दिवाली पर निबंध कक्षा 9,10 और 11 के छात्रों के लिए उनकी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह निबंध अक्सर हिंदी लेख में पूछा जाता है।

भारतीय संस्कृति में त्यौहार मानव जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। वे हमारे मूल्यों की एक विशेष याद दिलाते हैं। त्योहार हमारी एकता, उल्लास और मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं, इसे चरितार्थ करते हैं। दीपावली एक ऐसा ही एक त्यौहार है जिसे बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है। दिवाली एक हिंदू त्यौहार है जो लंका के राजा रावण के साथ एक बड़ी लड़ाई के बाद श्रीरामचंद्र की अयोध्या वापसी का प्रतीक है। यह अंधकार पर प्रकाश का द्योतक है। त्यौहार में लोग मिलजुलकर खुशियां बांटते हैं।

दिवाली हमें सभी के प्रति दयालु होने और धैर्य रखने की याद दिलाती है। हमारी मान्यताओं का हमारे सोचने के तरीके पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है, इसलिए हमें दिवाली जैसे त्यौहारों में अपने विश्वास को बनाए रखना चाहिए। हालांकि दिवाली की रात को लोग पटाखे और आतिशबाजी करते हैं। यह कई बार लोगों की असुविधा का भी कारण बनता है। आतिशबाज़ी हवा में हानिकारक गैसें छोड़ती हैं, जिससे प्रदूषण होता है। इससे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पटाखे की तेज आवाज आस-पास रहने वाले जानवरों को भी डराते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, दूसरों को खतरे में डाले बिना, ज़िम्मेदारी से जश्न मनाना ज़रूरी है। दिवाली के दौरान, हमारे घर ताज़े पके हुए खाने की स्वादिष्ट खुशबू से भर जाते हैं। हम त्योहार के दौरान बहुत सारे स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं और उनका आनंद लेते हैं। लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि त्योहार हमें करीब लाने और हमारे बंधन को मजबूत करने के लिए होते हैं, न कि उत्सव के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए। तो, आइए दिवाली को खुशी, दया और सभी जीवित प्राणियों और हमारे आस-पास की दुनिया के लिए विचार के साथ मनाएं।

लोगों में इस वर्ष जिज्ञासा हो रही है कि दिवाली 2024 कब है? (Diwali 2024 kab hai) 31 अक्टूबर या 1 नवंबर? तो हम आपको diwali kab hai 2024 सवाल का जवाब बता देते हैं। यदि आप भी सोच रहे हैं कि 2024 में दीपावली कब मनाई जाएगी तो जान लिजिए कि कुछ ज्योतिषियों के अनुसार 1 नवंबर को दिवाली (diwali 2024) मनाना शास्त्रसम्मत है। 1 नवंबर को दिवाली मनाए जाने की वजह से इस बार दीप पर्व 5 की जगह 6 दिनों का हो जाएगा। 29 अक्टूबर को धनतेरस से पर्व की शुरुआत होगी और 3 नवंबर को भाईदूज के साथ इसका समापन होगा। ज्योतिषियों के अनुसार प्रदोषकाल में प्रदोष व्यापिनी तिथि अमावस्या होने पर दिवाली मनाई जाती है। हालांकि इस बार 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों ही दिन अमावस्या तिथि है। शास्त्र के अनुसार जब दोनों दिन सांयकाल में अमावस्या तिथि हो तो दूसरे दिन अमावस्या युक्त प्रतिपदा को लिया जाना चाहिए। इसलिए 1 नवंबर को दिवाली मनाना शास्त्रसम्मत है।

हालांकि कुछ पंडितों के अनुसार 31 अक्टूबर को ही दिवाली मनाया जाना चाहिए। उनके अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को शाम 3 बजकर 52 मिनट पर आरंभ हो रही है और इसका समापन 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार कार्तिक अमावस्या 1 नवंबर को है। दिवाली की पूजा अमावस्या तिथि में प्रदोष व्यापिनी मुहूर्त में शास्त्रसम्मत है। प्रदोषकाल सूर्यास्त के बाद प्राप्त होता है। हालांकि कुछ ज्योतिषियों का कहना है कि 1 नवंबर काे अमावस्या तिथि सूर्यास्त के बाद जल्द खत्म हो जाएगी। ऐसे में प्रदोषकाल कम समय प्राप्त होगा। अमावस्या को निशिता मुहूर्त में लक्ष्मी पूजा का महत्व माना जाता है। 1 नवंबर को निशिता मुहूर्त प्राप्त नहीं होगा इसलिए कुछ लोग इस वजह से 31 अक्टूबर को दिवाली मनाए जाने को ठीक बता रहे हैं। (2024 mein diwali kab hai)

दिवाली 2024 के अवसर पर हरियाणा और दिल्ली सरकार ने 31 अक्टूबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया। हरियाणा सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि दीपावली के अवसर पर 31 अक्टूबर को अवकाश रहेगा। वहीं दिल्ली सरकार ने भी दीपावली की छुट्‌टी 31 अक्टूबर को घोषित की है। शिक्षा निदेशालय हरियाणा द्वारा जारी नए आदेश के बाद छुट्‌टी की तिथि बदली है। दरअसल, पहले हरियाणा में दिवाली की छुट्टी 2024 गुरुवार, 31 अक्टूबर और शुक्रवार 1 नवंबर को होने वाली थी। लेकिन अब ये तारीखें बदलकर 30 और 31 अक्टूबर कर दी गई हैं।

दिवाली का त्योहार आने के 10-12 दिन पहले से ही बच्चों में इस त्योहार का उमंग दिखने लगता है। कोई अपने घरों में घरौंदा बनाने में जुट जाता है तो कोई कंदील तैयार करने में लग जाता है। स्कूलों में भी दिवाली के अवसर पर बच्चों के बीच रंगोली प्रतियोगिता, कंदील प्रतियोगिता जैसे इवेंट का आयोजन होता है जिसमें बच्चे अपनी रचनात्मक क्षमता दिखाते हैं। इस दौरान बच्चों का उत्साह देखते ही बनता है। इसके अलावा कई संस्थाओं द्वारा भी दिवाली पर कार्यक्रमों का आयोजन कर सामाजिक सद्भाव का संदेश देते हुए मिठाई और ग्रीन पटाखे बांटे जाते हैं।

दीपावली के दिन घर में मिट्टी का घरौंदा रखने का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। हालांकि बीते समय के साथ लोग इसको भूलने लगे हैं, लेकिन आज भी मान्यताओं को मानने वाले लोग मिट्टी, लकड़ी आदि से घरौंदा बनाकर घरों में रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दीपावली के दिन घर में घरौंदा बनाने से घर में माता लक्ष्मी का वास होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। कंदील सजाकर रखने से सकारात्मकता का भाव घर में बना रहता है।

दीपावली के अवसर पर बाजार में चहल-पहल बढ़ जाती है। तरह-तरह की दुकानें सजती हैं। मिट्‌टी के दीये, पटाखे, सजावट के सामान, फूल, कृत्रिम फूल, रंगोली बनाने का सामान, विभिन्न प्रकार की रंग-बिरंगी लाइट, कपड़े, मिठाईयां, बर्तन की दुकानें सड़क के किनारे सज जाती हैं। पूरा माहौल आनंद और उल्लास से भर जाता है। लोग घरों की सफाई करते हैं। उपयोग में आने वाली नई चीजें खरीदते हैं। इस अवसर का लाभ ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां भी उठाती हैं। वे ग्राहकों को तरह-तरह के लुभावने ऑफर देते हैं और छूट देकर अधिक से अधिक बिक्री करना चाहते हैं। लोग उपहार में एक-दूसरे को मिठाईयां देते हैं। कंपनियाें में अपने कर्मचारियों को गिफ्ट देने की परंपरा है। कंपनियां अपने कर्मियों को बर्तन, थर्मस, प्रेशर कूकर, आयरन, ट्रॉली बैग आदि के साथ मिठाईयां और नमकीन के पैकेट उपहार में देती हैं।

बच्चों को दीपावली का इंतजार सबसे अधिक इंतजार रहता है। क्योंकि उन्हें विभिन्न तरह के पटाखे चलाने को मिलता है। बच्चे अपने अभिभावकों से दिवाली से दो-चार दिन पहले ही अपने लिए फुलझड़ियां, अनार, पटाखे, बंदूक खरीदवा लेते हैं। और घर-बाहर धमा-चौकड़ी मचाते हुए पटाखे छोड़ते हैं। हालांकि पटाखे चलाते समय असावधानी रखने पर कभी-कभी दुर्घटना भी होती है। हाथ-पैर जल जाते हैं। इसलिए पटाखे चलाते समय बच्चों को ध्यान रखना चाहिए कि किसी को कोई नुकसान न हो। हालांकि दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध है। और भारी आवाज और रोशनी वाले पटाखे नहीं चला सकते। क्योंकि ये पटाखे भारी मात्रा में धुंआ छोड़ते हैं जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है। इससे सांस के मरीजों की तकलीफ बढ़ जाती है। वहीं तेज आवाज वाले पटाखे से जानवर खासकर कुत्ते सहम जाते हैं। इसलिए उनकी परेशानी का भी ध्यान रखना चाहिए। बिहार में भी राजधानी पटना के अलावे मुजफ्फरपुर, गया और हाजीपुर में किसी प्रकार के पटाखों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। क्योंकि पिछले वर्ष इन चार शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई बहुत खराब या गंभीर पाई गई थी। हालांकि ग्रीन पटाखों का उपयोग रात 8 से 10 बजे तक किया जा सकता है।

विभिन्न राज्यों में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ग्रीन पटाखों को छोड़कर अन्य सभी पटाखों के निर्माण, बिक्री, फोड़ने और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है। साथ ही कॉमर्शियल वेबसाइट पर पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाई गई है। ग्रीन पटाखों के लिए भी समय सीमा निर्धारित की गई है। ग्रीन पटाखों में प्रदूषण फैलाने वाल पीएम पार्टिकल्स कम मात्रा में होते हैं।

Frequently Asked Questions (FAQs)

दिवाली 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी और साथ ही अंधकार पर रोशनी का प्रतीक है। अपने घरों की सफाई और उन्हें तरह तरह के लाइट से सजाने के बाद लक्ष्मी गणेश की पूजा के साथ दीपावली का त्योहार धूम धाम से मनाया जाता है, तथा रात के समय बच्चे आतिशबाजी का भी लुफ्त उठाते हैं।

इस त्योहार के दौरान, लोग अपने घरों को रंगोली और तेल के दीयों से सजाते हैं, जिन्हें दीपक कहा जाता है। सभी एक दूसरे को बधाई देते हैं, अच्छे अच्छे पकवान बनाते हैं, पटाखों से आतिशबाजी करते हैं और मिल-जुल कर सौहार्द के साथ दिवाली के पर्व को मनाते हैं।

दीपावली' संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप + आवली। ‘दीप’ अर्थात ‘दीपक’ और ‘आवली’ अर्थात ‘श्रृंखला’, जिसका मतलब हुआ दीपकों की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति।

आप इस लेख की सहायता से दिवाली पर हिंदी में निबंध लिख सकते है, पूरे लेख को ध्यान से पढ़ें और समझें की आप किस तरह से दिपावली पर हिंदी निबंध लिख सकते हैं।  

दिवाली का त्योहार मिट्टी के दीप या फिर तरह -तरह के लाइट और रंगोली से अपने घर को सजा कर, खुशियां बाँट कर, लक्ष्मी गणेश की पूजा करके, अच्छे अच्छे पकवान बना कर हर्ष और उल्लास के साथ दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।

साल 2024 में दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। हालांकि कुछ प्रदेशों में 1 नवंबर को भी दीपावली मनाई जाएगी। 

लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करना सर्वाधिक फलदायक माना जाता है। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन का और विशेष महत्व है। साल 2023 में दिवाली के अवसर पर 12 नवंबर को लक्ष्मी पूजन मुहूर्त गृहस्थजनों के लिए सायं 05:41 मिनट से रात 07:37 मिनट तक है। लक्ष्मी पूजन मुहूर्त की कुल अवधि लगभग 01 घंटे 55 मिनट रहेगी। 

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